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RBSE Class 12 Chemistry Model Paper Set 6 with Answers in Hindi
पूर्णांक: 56
समय: 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए
(i) सरल घन में उपस्थित परमाणुओं द्वारा घेरे गये कुल आयतन का प्रभाज है
(अ) \(\frac{\pi}{4}\)
(ब) \(\frac{\pi}{6}\)
(स) \(\frac{\pi}{3 \sqrt{2}}\)
(द) \(\frac{\pi}{4 \sqrt{2}}\)
उत्तरः
(अ) \(\frac{\pi}{4}\)
(ii) वात्या भट्टी में आयरन ऑक्साइड अपचयित होता है
(अ) SiO2 द्वारा
(ब) C द्वारा
(स) CO द्वारा
(द) CaCO3 द्वारा
उत्तरः
(अ) SiO2 द्वारा
(iii) जटिल यौगिक [Fe(H2O) NO]SO4 में Fe के अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है-
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तरः
(अ) 2
(iv) निम्न में से कौन-सा यौगिक हैलोफॉर्म अभिक्रिया देगा
(अ) मेथेनॉल
(ब) ऐथेनॉल
(स) 1-प्रोपेनॉल.
(द) 1-ब्यूटेनॉल
उत्तरः
(ब) ऐथेनॉल
(v) फिन्केलस्टीन अभिक्रिया में होता है
(अ) विहाइड्रोहेलोजेनीकरण
(ब) हाइड्रोजेनीकरण
(स) हैलोजेन विनियम
(द) ऑक्सीकरण
उत्तरः
(स) हैलोजेन विनियम
(vi) ल्यूकास अभिकर्मक का प्रयोग मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के विभेद में किया जाता है
(अ) प्राथमिक
(ब) द्वितीयक
(स) तृतीयक
(द) इनमें से सभी
उत्तरः
(द) इनमें से सभी
(vii) प्रोटीनों में पाये जाने वाले ऐमीनो अम्लों की संख्या है। जिन्हें मानव शरीर संश्लेषित करता है- 1
(अ) 20
(ब) 10
(स) 5
(द) 4
उत्तरः
(ब) 10
(viii) इन्सुलिन किसके उपापचय को नियन्त्रित करता है?
(अ) खनिज
(ब) ऐमीनो अम्ल
(स) ग्लूकोस
(द) विटामिन
उत्तरः
(स) ग्लूकोस
(ix) शर्करा के किस कार्बन परमाणु पर हाइड्रॉक्सिल समूह की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति RNA तथा DNA में विभेद करती है?
(अ) दूसरे
(ब) तीसरे
(स) चौथे
(द) पहले
उत्तरः
(अ) दूसरे
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) पायराइट से कॉपर निष्कर्षण के दौरान प्राप्त धातुमल मुख्यतः _____________ से बना होता है।
उत्तर:
FeSiO3
(ii) एल्युमीनियम के विद्युत-धातुप में _____________ की छड़ का प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
ग्रेफाइट
(ii) Cr2+ (जलीय) आयन के चुम्बकीय आघूर्ण का मान _____________
उत्तर:
4.84 BM
(iv) संकुल [Fe(CN)6]4- की आवेश संख्या _____________ होती है।
उत्तर:
-4
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
(i) धातुओं की चालकता ताप-वृद्धि से क्यों घट जाती है ?
उत्तर:
ताप-वृद्धि से धातुओं में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के पथ में करनेल (Kernel) कम्पन करना प्रारम्भ कर देते हैं जिससे प्रवाह में अवरोध उत्पन्न हो जाता है तथा उनकी चालकता घट जाती है।
(ii) ppm क्या होता है ?
उत्तर:
विलेय के भार भागों की वह संख्या जो विलयन के एक मिलियन (106) भार भागों में उपस्थित हो, ppm कहलाती है।
(i) मोलरता की तुलना में मोललता को वरीयता क्यों दी जाती है ?
उत्तर:
इसका कारण है कि मोललता पर ताप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है एवं यह केवल द्रव्यमानों से सम्बन्धित होती है।
(iv) निकल धातु शोधन के मॉन्ड प्रक्रम से सम्बन्धित रासायनिक अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
(v) 3d श्रेणी में मैंगनीज अधिकतम संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है। कारण दीजिए।
उत्तर:
मैंगनीज अपने यौगिकों में बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थायें प्रदर्शित करता है।
Mn का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d54s2 होता है।
अत: d कक्षकों में अधिकतम पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण, यह [+2 +3, +4, +5, +6, +7] अधिकतम ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है।
(vi) ईथर की वाष्पशीलता, ऐल्कोहॉलों से अधिक क्यों होती है ?
उत्तर:
ईथरों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध नहीं होते हैं जिस कारण वे संगुणित नहीं हो पाते हैं जबकि ऐल्कोहॉलों में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध उपस्थित होते हैं जिससे वे संगुणित हो जाते हैं और आसानी से वाष्पित नहीं होते। यही कारण है कि ऐल्कोहॉल कम वाष्पशील जबकि ईथर अधिक वाष्पशील होते हैं।
(vii) ऐनिलीन से फेनिल आयसो सायनाइड प्राप्त करने की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C6H5NH2 + CHCl3 + 3KOH → C6H5NC +3KCl + 3H2O
(viii) ऐथेनेमीन से ऐथेनॉल प्राप्त करने की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C2H5NH2 + HNO2 → C2H5OH + N2 + H2O
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
एक ठोस में ऑक्साइड आयन घनीय निविड संकुलित जालक में उपस्थित है, धनायन A केवल 1/6 वां भाग चतुष्फलकीय रिक्ति को अध्यासित करता है, धनायन B केवल 1/3 वाँ भाग अष्टफलकीय रिक्ति को अध्यासित करता है। यौगिक का सूत्र बताइए। (1½)
उत्तर:
घनीय निविड संकुलन में,
जालक में अणुओं की संख्या = N
अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या = N
चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या = 2N
अतः, ऑक्साइड आयनों की संख्या = N
धनायन A की संख्या = \(\frac{1}{6}\) × 2N = \(\frac{N}{3}\)
धनायन B की संख्या = \(\frac{1}{3}\) × N = \(\frac{N}{3}\)
यौगिक AN/3 : BN/3 : ON
अतः सूत्र = ABO3
प्रश्न 5.
यौगिक MaXb में x फलक केन्द्रित घनीय (fcc) व्यवस्था में है। इसकी एकक कोष्ठिका को चित्र में दिखाया गया है। इसका मूलानुपाती सूत्र क्या है? (1½)
उत्तर:
चूँकि चित्र में M परमाणु 4 किनारों के मध्य बिन्दु और एक केन्द्र पर उपस्थित है, अतः M. परमाणुओं की संख्या = \(\frac{1}{4}\) × 4 + 1 = 2
चूँकि X परमाणु घन के कोनों पर तथा फलकों के केन्द्र पर उपस्थित है अतः
x परमाणुओं की संख्या = \(\frac{1}{8}\) × 8 + \(\frac{1}{2}\) × 6 = 4
अतः सूत्र = M2X4 या MX2
प्रश्न 6.
आदर्श एवं अनादर्श विलयन में अन्तर बताइए। (1½)
उत्तर:
आदर्श एवं अनादर्श विलयन में अन्तर
आदर्श विलयन | अनादर्श विलयन |
1. सभी ताप एवं सान्द्रता पर राउल्ट के नियम का पालन करता है। PA = PA°xA; PB = PB°xB |
1. सभी ताप एवं सान्द्रता पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता है। PA ≠ PA°xA; PB ≠ PBXB |
2. मिश्रण के आयतन पर कोई परिवर्तन नहीं होता। ∆Vmix = 0 |
2. मिश्रण के आयतन में परिवर्तन होता है। ∆Vmix ≠ 0 |
3. मिश्रण की एन्थैल्पी पर कोई परिवर्तन नहीं होता। ∆Hmix = 0 |
3. मिश्रण की एन्थैल्पी परिवर्तित हो जाती है। ∆Hmix ≠ 0 |
प्रश्न 7.
दो द्रवों A तथा B के वाष्प दाब क्रमशः 80 mm तथा 60 mm हैं। A के 3 मोल तथा B के 2 मोल मिलाने पर प्राप्त विलयन का कुल वाष्प दाब क्या होगा? (1½)
उत्तर:
कुल दाब = PA‘ + PB‘
PA‘ = PA × XA = 80 × \(\frac{3}{2+3}\)
= 80 × = 16 × 3 = 48 min
pA‘ = pB × XB = 60 × \(\frac{2}{5}\) = 12 × 2 = 24
कुल दाब = PA‘ + PB‘ = 48 + 24 = 72 mm
प्रश्न 8.
वेग स्थिरांक पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है ? ताप के इस प्रभाव को मात्रात्मक रूप में कैसे प्रदर्शित कर सकते हैं। (1½)
उत्तर:
किसी रासायनिक अभिक्रिया का ताप 10° (दस डिग्री) बढ़ाने पर वेग स्थिरांक के मान में दोगुनी वृद्धि होती है।
आरेनियस ने ताप एवं वेग स्थिरांक के मध्य में निम्न सम्बन्ध स्थापित किया
k = Ae-Ea/RT
यहाँ A = आवृत्ति गुणक या आरेनियस गुणक या पूर्व चरघातांकी गुणक।
R = गैस नियतांक
Ea = सक्रियण ऊर्जा
T = ताप
k = वेग नियतांक
प्रश्न 9.
अभिक्रिया की कोटि और आण्विकता को परिभाषित कीजिए। (1½)
उत्तर:
आणविकता-किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले अभिकारक अणुओं की न्यूनतम संख्या को अभिक्रिया की आणविकता कहते हैं। उदाहरणार्थ-अमोनियम नाइट्राइट को गर्म करने पर होने वाली अभिक्रिया में अमोनियम नाइट्राइट का एक अणु भाग लेता है अतः उसकी आणविकता एक है।
NH4NO2 → 2H2O + N2↑
अभिक्रिया-कोटि-किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों के अणुओं की वह संख्या जिनका सान्द्रण अभिक्रिया की प्रगति में परिवर्तित होता है, अभिक्रिया की कोटि कहलाती है। उदाहरणार्थ-CH3COOC2H5 + NaOH → CH3COONa + C2H5OH
उपर्युक्त अभिक्रिया में दोनों अभिकारकों के एक-एक अणु की सान्द्रता प्रभावित हो रही है; अतः यह द्वितीय कोटि की अभिक्रिया है परन्तु अभिक्रिया
C12H22O11 + H2O + C6H12O6 + C6H12O6 केवल C12H22O11 की सान्द्रता में परिवर्तन होने पर अभिक्रिया का वेग परिवर्तित होता है। जल (H2O) की सान्द्रता में परिवर्तन का वेग पर कोई प्रभाव नहीं होता है। अतः अभिक्रिया की कोटि एक है।
प्रश्न 10.
ऐक्टिनाइड्स क्या हैं? इन्हें ऐक्टिनाइड्स क्यों कहा जाता है? इनके प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर:
f-ब्लॉक तत्त्वों की दो श्रेणियाँ होती हैं1. लैन्थेनाइड श्रेणी तथा 2. ऐक्टिनाइड श्रेणी। ऐक्टिनाइड श्रेणी में थोरियम से लेकर लॉरेन्शियम तक के चौदह तत्त्वों को ऐक्टिनाइड्स कहा जाता
है। ये तत्त्व आवर्त सारणी में ऐक्टिनियम का अनुसरण करते हैं तथा भौतिक व रासायनिक गुणों में उससे समानता भी प्रकट करते हैं। इसलिए इन्हें ऐक्टिनाइड्स कहा जाता है।
ऐक्टिनाइडों के उपयोग
- यूरेनियम तथा प्लूटोनियम का मुख्य उपयोग नाभिकीय रिएक्टर से परमाणु ऊर्जा उत्पादन में ईंधन के रूप में किया जाता है। प्लूटोनियम का उपयोग परमाणु हथियार बनाने में भी किया जाता है।
- थोरियम ऑक्साइड का उपयोग चमकने वाले गैस मेन्टल के निर्माण में होता है।
- यूरेनियम के लवणों का उपयोग हरे रंग के काँच के निर्माण में होता है।
- थोरियम लवण का उपयोग आजकल कैंसर के उपचार में होता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित प्रेक्षणों को स्पष्ट कीजिए – (¾ + ¾ = 1½)
(अ) d-श्रेणी के तत्व f-श्रेणी के तत्वों की तुलना में अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
उत्तर:
d-श्रेणी में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है जो कि आबन्ध निर्माण में भाग लेते हैं। इसका कारण कम प्रभावी नाभिकीय आवेश होता है। इस कारण से d-ब्लॉक के तत्व अधिक संख्या में ऑक्सीकरण संख्या प्रदर्शित करते हैं। वहीं -ब्लॉक के तत्वों में f-कक्षकों के दुर्बल परिरक्षण प्रभाव के कारण नाभिकीय आवेश अधिक प्रभावी हो जाता है तथा आबन्ध निर्माण में कम इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं, इस कारण :- श्रेणी के तत्व कम मात्रा में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
(ब) Cu+ लवण रंगहीन जबकि Cu2+ लवण रंगीन होते हैं।
उत्तर:
Cu+ आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होते हैं, इस कारण इसमें d-d संक्रमण नहीं होता है। फलस्वरूप Cu+ आयन व इसके लवण रंगहीन होते हैं जबकि Cu2+ आयन में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, इस कारण d-d संक्रमण आसानी से होता है और Cu2+ आयन रंगीन हो जाते हैं। इन आयनों का व इनके लवणों का रंग नीला होता है।
प्रश्न 12.
(अ) वोल्फ-किश्नर अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जब ऐल्डिहाइड या कीटोन के हाइडाजोन को सोडियम ऐथॉक्साइड के साथ 453 K ताप पर गर्म किया जाता है। तब N, गैस निकल जाती है. तथा ऐल्केन बनती है, यह अभिक्रिया वोल्फ किश्नर अपचयन कहलाती है।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों से उच्च होते हैं, क्यों ?
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों में अतिरिक्त H-बन्ध – उपस्थित होने के कारण ये द्विलक बनाते हैं अतः इसका क्वथनांक अधिक होता है।
(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प प्रावस्था में बनने वाले द्विलक की संरचना बनाइए। (½ + ½ + ½ = 1½)
उत्तर:
प्रश्न 13.
डाइएथिल इथर तथा एथेनॉल मे विभेद कीजिए।
उत्तर:
डाइएथिल ईथर | एथेनॉल |
1. इसकी गन्ध काफी विशिष्ट होती है। | 1. इनकी ऐल्कोहॉलिक गन्ध होती है। |
2. यह आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है। | 2. यह आयोडो फॉर्म परीक्षण देता है। |
3: यह ऑक्सीजन से क्रिया करके परॉक्साइड बनाता है। | 3. ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके यह परॉक्साइड नहीं बनाता। |
4. यह कमरे के ताप पर गैस है। | 4. यह कमरे के ताप पर द्रवीय अवस्था में होता है |
प्रश्न 14.
(अ) कीटोनों के क्वथनांक समावयवी ऐल्डिहाइडों से उच्च होते हैं, क्यों? कारण लिखिए।
उत्तर:
कीटोनों में दो इलेक्ट्रॉन विमोचक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं जबकि ऐल्डिहाइडों में एक समूह उपस्थित होता है जिसके परिणामस्वरूप कीटोनों में ऐल्किल समूह ऐल्डिहाइडों से अधिक ध्रुवीय होता है। अतः कीटोनों के क्वथनांक समावयवी ऐल्डिहाइडों से उच्च होते हैं।
(ब) ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों के हाइड्रोजोनों का निर्माण प्रबल अम्लीय माध्यम में नहीं किया जा सकता, क्यों? (¾ + ¾ = 1½)
उत्तर:
हाइड्राजोनों का निर्माण कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्राजीन से क्रिया द्वारा होता है जो कि नाभिकस्नेही की तरह कार्य करता है। प्रबल अम्लीय माध्यम में हाइड्राजीन प्रोटॉनीकृत हो जाती है। अतः यह नाभिकस्नेही के समान कार्य करने के योग्य नहीं रहती जिसके परिणामस्वरूप ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों को प्रबल अम्लीय माध्यमों में नहीं बनाया जा सकता।
प्रश्न 15.
एथेनॉल एवं 3-मेथिल पेन्टेन 2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी 3-मेथिल पेन्टेन के विलियम्सन संश्लेषण की अभिक्रिया। लिखिए। (1½)
उत्तर:
विलियम्सन संश्लेषण SN2 अभिक्रिया है अतः इस संश्लेषण की सफलता के लिए ऐल्किल हैलाइड प्राथमिक (1°) होना चाहिए। अतः ऐल्किल हैलाइड एथेनॉल से प्राप्त होना चाहिए तथा ऐल्कॉक्साइड आयन 3-मेथिल पेण्टेन-2-ऑल से प्राप्त होना चाहिए। पूर्ण संश्लेषण निम्नवत् होगा
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 16.
(अ) वेग नियम को परिभाषित कीजिए।
(ब) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक 60 s-1 है। अभिकारक को अपनी प्रारम्भिक सान्द्रता से घटकर \(\frac{1}{16}\) वाँ भाग रह जाने में कितना समय लगेगा? (1 + 2 = 3)
अथवा
(अ) प्लेटिनम की सतह पर अमोनिया के अपघटन से हाइड्रोजन एवं नाइट्रोजन गैसें प्राप्त होती हैं। शून्य कोटि की इस अभिक्रिया का वेग स्थिरांक 1.5 × 10-4 mol s-1 है तब N2 एवं H2 के बनने का वेग ज्ञात कीजिए।
(ब) (i) अभिक्रिया की कुल कोटि का परिकलन कीजिए जिसका वेग नियत है। वेग = k[NH3]5/2 [O2]1/2.
(ii) किसी रासायनिक अभिक्रिया के वेग को प्रभावित करने वाले दो कारकों को लिखिए। (iii) संघट्टों के प्रभावी संघट्ट होने के लिए दो परिस्थितियाँ लिखिए। (1 + 2 = 3)
उत्तर:
(अ) वह गणितीय व्यंजक जो अभिकारकों की मोलर सान्द्रता पर अभिक्रिया के वेग की प्रायोगिक निर्भरता को व्यक्त करता है, वेग नियम कहलाता है। यदि एक सामान्य अभिक्रिया
aA + bB → उत्पाद
का वेग A की सान्द्रता की घात p तथा B की सान्द्रता की घात q पर निर्भर करता है, तो
वेग =k[A]P [B]
जहाँ k वेग स्थिरांक अथवा दर स्थिरांक है। उपर्युक्त समीकरण को ही वेग नियम कहते हैं।
(ब) प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,
t = \(\frac{2 \cdot 303}{k}\) log \(\frac{[\mathrm{A}]_{0}}{[\mathrm{~A}]}\)
चूँकि प्रश्नानुसार, अभिकारक प्रारम्भिक सान्द्रता का केवल \(\frac{1}{16}\) वाँ भाग रह जाता है।
प्रश्न 17.
(अ) यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं, परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है, क्यों
(ब) साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् Hgo+
(ii) सेमीकार्बेजाइड एवं दुर्बल अम्ल (1 + 2 = 3)
अथवा
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
(ब) एक कार्बनिक यौगिक ‘A’ जिसकी विशिष्ट गन्ध है, NaOH के साथ अभिक्रिया करने पर दो यौगिक ‘B’ तथा ‘C’ बनाता है। यौगिक ‘B’ का अणु सूत्र C7H8O है जो ऑक्सीकरण पर पुनः यौगिक ‘A’ देता है। यौगिक ‘C’ एक अम्ल का सोडियम लवण है जो सोडा लाइम के साथ गर्म करने पर एक ऐरोमैटिक · हाइड्रोकार्बन ‘D’ देता है। A, B,C तथा D की संरचनाएँ प्राप्त कीजिए। (1 + 2 = 3)
उत्तर:
(अ) कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणावेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर विस्थापित होता है जबकि फीनॉक्साइड आयन में ऋणावेश एक ऑक्सीजन परमाणु पर ही विस्थापित होता है, इसलिए फीनॉक्साइड आयन की तुलना में कार्बोक्सिलेट आयन अधिक स्थायी होता है। फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की तुलना में प्रबल अम्ल होते हैं।
प्रश्न 18.
(अ) ऐनिलीन के डाइएजोटीकरण से क्या अभिप्राय है? अभिक्रिया का समीकरण लिखिये।
(ब) एनिलीन की हिन्सबर्ग अभिकर्मक के साथ होने वाली अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। (1½ + 1½ = 3)
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त मुख्य उत्पादों की संरचनाएँ लिखिए :
(ब) दिए गए निर्देश के अनुसार निम्नलिखित यौगिकों को व्यवस्थित कीजिए:
(i) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में : (CH3)2 NH, CH3, NH2,C6H5NH,
(ii) जलीय विलयन में क्षारकीय सामर्थ्य के घटते क्रम में : (CH3)3N, (CH3), NH, CH3NH2
(iii) क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में : (C2H5)2 N, (C2H5), N, C2H5NH2 (1½ + 1½ = 3)
उत्तर:
(अ) डाइएजोटीकरण-ऐनिलीन एवं नाइट्रस अम्ल की अभिक्रिया द्वारा 273-258 ताप पर बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को बनाया जाता है। नाइट्रस अम्ल अभिक्रिया मिश्रण में हो सोडियम नाइट्राइट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से उत्पन्न करते हैं। प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन के डाइऐजोनियम में परिवर्तन को डाइएजोटीकरण कहते हैं। अस्थायी प्रकृति के कारण डाइऐजोनियम लवण का भण्डारण नहीं करते और बनते ही तुरन्त प्रयोग कर लेते हैं।
(ब) ऐनिलीन की अभिक्रिया निम्न के साथ इस प्रकार होती हैहिन्सबर्ग अभिकर्मक से-बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2Cl) जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक कहते हैं। प्राथमिक ऐमीन या ऐनिलीन के साथ यह अभिकर्मक सल्फोनैमाइड बनाता है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 19.
(अ) क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के आधार पर संकुल [Ti(H2O)6]3+ के बैंगनी रंग की व्याख्या कीजिए।
(ब) संयोजकता आबन्ध सिद्धान्त के आधार पर [CO(C2O4)3]– में आबन्ध की प्रकृति की विवेचना कीजिए। (2 + 2 = 4)
अथवा
(अ) [Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुम्बकीय है, जबकि [Fe(CN)6]3- दुर्बल अनुचुम्बकीय है। क्यों?
(ब) [CONH3)6]3+ एक आन्तरिक कक्षक संकुल है जबकि [Ni(NH3)6]2+ एक बाहृय कक्षक संकुल है। क्यों?
(स) [CO(NH3)5Cl]SO4 तथा [CO(NH3)5SO4]Cl आयनन समावयव हैं। क्यों? कारण लिखिए। (1½ + 1½ + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) क्रिस्टल क्षेत्र सिद्धान्त के अनुसार, [Ti(H2O)6]3+ बैंगनी रंग का होता है, क्योंकि इसमें धातु के d-कक्षक का एक इलेक्ट्रॉन संकुल की निम्नतम ऊर्जा अवस्था (t2g) से उत्तेजित होकर इससे अगले उच्च रिक्त e कक्षक में चला जाता है।
अतः [(t2g)1 (eg)0 → (t2g)° (eg)] संक्रमण अर्थात् d-d संक्रमण के कारण [Ti(H2O)6]3+ बैंगनी रंग का दिखाई देता है।
(ब) [Co(C2O4)3]3- यहाँ Co का परमाणु क्रमांक 27, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 3d7 4s2 तथा ऑक्सीकरण संख्या (+ 3) है। यहाँ C2O42- एक प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है तथा यह इलेक्ट्रॉनों का युग्मन कर आन्तरिक कक्षक संकुल बनाता है।
ज्यामितीय – अष्टफलकीय
संकरण – d2sp3
रंग – रंगहीन (अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण)
चुम्बकत्व – प्रतिचुम्बकीय (अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति के कारण)
संकुल – यह एक आन्तरिक कक्षक (निम्न चक्रण) संकुल है।
प्रश्न 20.
(अ) निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए
CH3CH2CH2CHO,CH3CH2CH2CH2OH, H5C2 – O – C2H5, CH2CH2CH2CH2CH3
(ब) एक कार्बनिक यौगिक (A) जिसका आण्विक सूत्र C8H8O है, 2, 4-डाइ-नाइट्रोफेनिल हाइड्राजीन (2,4-डी. एन.पी.) अभिकर्मक के साथ नारंगी- लाल अवक्षेप प्रदान करता है और सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में आयोडीन के साथ गर्म करने पर एक पीले रंग का अवक्षेप बनाता है। यह यौगिक टॉलेन-अभिकर्मक अथवा फेहलिंग-विलयन को अपचित नहीं करता और न ही यह ब्रोमीन जल अथवा बेयर अभिकर्मक को वर्णविहीन करता है। यह क्रोमिक अम्ल द्वारा प्रबल ऑक्सीकरण से एक कार्बोक्सिलिक अम्ल (B) बनाता है जिसका आण्विक सूत्र C7H6O2 है। यौगिक (A) व (B) को पहचानिए एवं प्रयुक्त अभिक्रियाओं को समझाइए। (1 + 3 = 4)
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों की संरचना लिखिए
(ब) एथिलबेन्जीन तथा एटाइरीन को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(स) ऐसीटिलीन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (2 + 1 + 1 = 4)
उत्तर:
(अ) क्वथनांकों का बढ़ता हुआ क्रमऐल्केन <. ईथर < ऐल्डिहाइड < ऐल्कोहॉल अतः CH3CH2CH2CH2CH3 < C2H5 – O – C2H5 < CH3CH2CH2CHO < CH3CH2CH2CH2OH
(ब) यौगिक (A) 2, 4-डी.एन.पी. व्युत्पन्न निर्मित करता है। अतः यह यौगिक कोई ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन है। चूँकि यह टॉलेन अभिकर्मक अथवा फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं करता, इसलिए यौगिक (A) एक कीटोन ही होना चाहिए। यौगिक A आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। अतः यह मेथिल कीटोन ही होना चाहिए। यौगिक (A) का आण्विक सूत्र संकेत देता है कि यह अत्यधिक असंतृप्त है। परन्तु फिर भी यह ब्रोमीन जल अथवा बेयर अभिकर्मक को वर्णविहीन नहीं करता। इससे प्रदर्शित होता है कि असंतृप्तता ऐरोमैटिक वलय के कारण है। यौगिक 8 एक कीटोन का ऑक्सीकरण उत्पाद है, अतः यह कार्बोक्सिलिक अम्ल होना चाहिए। यौगिक B का आण्विक सूत्र यह दर्शाता है कि यह बेन्जोइक अम्ल होना चाहिए। अतः यौगिक (A) एक मोनो प्रतिस्थापित ऐरोमैटिक मेथिल कीटोन होना चाहिए। यौगिक (A) का आण्विक सूत्र यह दर्शाता है कि यह फेनिलमेथिलकीटोन (ऐसीटोफीनोन) होना चाहिए। अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार से होंगी
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