• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

April 8, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Drawing Model Papers Set 7 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 24

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
दिये गये बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्प का चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखें-
(i) निम्न में से बूंदी शैली का लोकप्रिय विषय रहा है- (\(\frac {1}{2}\))
(अ) रागदीपक
(ब) बारहमासा
(स) कविप्रिया
(द) गीत गोविन्द
उत्तर:
(ब) बारहमासा

(ii) पिछवाई चित्र प्रसिद्ध हैं- (\(\frac {1}{2}\))
(अ) नाथद्वारा के
(ब) जयपुर के
(स) किशनगढ़ के
(द) मेवाड़ के
उत्तर:
(अ) नाथद्वारा के

(iii) जहाँगीर के दरबार के मुख्य चित्रकार थे- (\(\frac {1}{2}\))
(अ) आकारिजा
(ब) वसावन
(स) अबुलहसन
(द) मनोहर
उत्तर:
(अ) आकारिजा

(iv) तुजुम अल उलूम नामक सचित्र ग्रन्थ में कितने चित्र संग्रहित हैं? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) 7
(ब) 876
(स) 1570
(द) 1580
उत्तर:
(ब) 876

(v) बसौली शैली का विकास किस शासक के समय हुआ? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) राजा कृपाल सिंह
(ब) राजो संसार चंद्र
(स) शाहजहाँ
(द) अकबर
उत्तर:
(अ) राजा कृपाल सिंह

(vi) फड़ चित्रों का गायन किसके द्वारा किया जाता है? (\(\frac {1}{2}\))
(अ) ढोकरा द्वारा
(ब) भोपाओं द्वारा
(स) वाद्य यंत्रों द्वारा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) भोपाओं द्वारा

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) जेब्रा नामक चित्र …………………… के द्वारा बनाया गया। (\(\frac {1}{2}\))
(ii) अहमदनगर शैली में ही 1567 ई. में …………………. का चित्रण हुआ। (\(\frac {1}{2}\))
(iii) राधिका नामक चित्र ………………… द्वारा बनाया गया। (\(\frac {1}{2}\))
(iv) राजस्थान की नाथद्वारा की …………….. चित्र परम्परा प्रसिद्ध है। (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
(i) उस्ताद मंसूर,
(ii) गुलिस्ता पांडुलिपि,
(iii) अब्दुल रहमान चुगताई,
(iv) पिछवाई।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-
(i) किस चित्र शैली में चित्रकार का नाम, तिथि व उसका विवरण लिखा जाता था? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
बीकानेर चित्र शैली में।

(ii) बीजापुर शैली का खगोलीय विद्या पर आधारित सचित्र ग्रन्थ कौन-सा है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
नूजुम अल उलूम।

(iii) रावण और जटायु चित्र किस चित्रकार का है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
राजा रवि वर्मा का।

(iv) टेराकोटा मूर्ति शिल्प मुख्यतया किसके द्वारा बनाए जाते हैं? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
कुम्हार द्वार

(v) पालाघाट देवी का अंकन किस चित्रण परम्परा में किया जाता है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
वी चित्रण परम्परा में।

(vi) राजस्थान के भीलवाड़ा क्षेत्र की लोकप्रिय चित्रण परम्परा का क्या नाम है? (\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
फड़ चित्रण परम्परा।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

खण्ड – ब

निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 4.
नूह का संदूक चित्र की विशेषताएँ बताइए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
यह एक मुंगलकालीन चित्र है। यह चित्र दीवाने-ए-हासिफ में चित्रित है। इसको चित्रित करने का श्रेय उस्ताद मिस्किन को है। इस चित्र में हल्के लाल, नीले, पीले व शुद्ध सफेद रंग का आकर्षक प्रयोग है। जल के प्रभाव हेतु ऊर्ध्वाकार परिप्रेक्ष्य का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 5.
शाहजहाँ कालीन चित्रकला की विशेषताएँ बताइए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
शाहजहाँ कालीन चित्रकला की विशेषताएँ- शाहजहाँ ने राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ चित्रशाला की स्थापना कर चित्रकला का विकास किया। इन्होंने टीक, आदर्शवादी व शैलीकरण युक्त चित्रों को बढ़ावा दिया। इनके समय में निर्मित कलाकृतियाँ अचेतन गुणों व उत्कृष्ट सौन्दर्गीकरण से युक्त थीं। इनके चित्रों में गहन रंगों व जटिल महीन रेखाओं का उपयोग किया गया था। प्रेम व राजसी छवि का प्रदर्शन चित्रों में देखने को मिलता है। रहस्यवादी विषयों को चित्रित करने के लिए इन्होंने भारतीय शैली का प्रयोग किया था।

प्रश्न 6.
बीजापुर चित्र शैली का इतिहास बताइए? (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
बीजापुर चित्र शैली का विकास आदिल शाह प्रथम (1558 ई.-1580 ई.) व उसके उत्तराधिकारी इब्राहिम द्वितीय (1580 ई. – 1627 ई.) के समय माना जाता है। इब्राहिम द्वितीय के समय ही ‘रागमाला’ चित्रों का चित्रण (1592 ई.) भी किया गया। बीजापुर चित्र शैली एक समृद्ध चित्रकला शैली है, जिसका स्वरूप 1570 ई. में निर्मित की गई ‘नुजुम अल उलूम’ के सचित्र विश्वकोषीय रचना से मिलता है। जिसमें 876 लघु चित्र बनाए गए हैं।

प्रश्न 7.
रागमाला चित्रों में स्त्री चित्रण की विशेषता बताइए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
रागमाला चित्रों की श्रृंखला में मौजूद स्त्री पोशाक 16वीं सदी के दक्षिणी स्कूल ऑफ पेंटिंग की सबसे प्रमुख व प्रेरणादायक है। महिलाओं के बालों को लेपाक्षी भित्ति चित्रों के समान, गर्दन के पीछे वाले भाग पर एक जूड़े के रूप में लपेटा गया है। चित्रण में क्षितिज गायब हो जाता है और इसे एक तटस्थ रंग की जमान में बदल दिया गया है। यह छोटे-छोटे पौधों से ढका हुआ है अथवा मेहराब पर सममित वास्तुशिल्प गुम्बदों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। बालों की विन्यास प्रक्रिया को छोड़कर सभी विशेषताएँ उत्तरी भारत या पर्शिया के समान मिलती हैं।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

प्रश्न 8.
गोलकुण्डा में नारी एवं अन्य प्रकार के चित्रण का उल्लेख कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
गोलकुण्डा का नारी चित्रण प्रसिद्ध है। यहाँ के नारी चित्र सौन्दर्य से परिपूर्ण थे। मैना और स्त्री नामक शीर्षक वाला चित्र इसका श्रेष्ठ उदाहरण है जो डबलिन के चेस्टरबरी संग्रहालय में रखा हुआ है। अन्य चित्रों में उमरावों, दरबारियों व राग-रागिनियों के चित्र उल्लेखनीय हैं। तुजुक-ए-आसफी यहाँ का एक प्रमुख चित्रित ग्रंथ है।

प्रश्न 9.
बीजापुर शैली के किसी एक चित्र का वर्णन कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
बीजापुर शैली का एक प्रमुख चित्र है-पोलो खेलते चाँद बीबी। इस चित्र में बीजपुर की रानी चाँद बीबी को अन्य महिलाओं के साथ मैदान में पोलो खेलते हुए चित्रित किया है, इसमें दूर पृष्ठभूमि में आकाश का अंकन तथा क्षितिज पर सुंदर छोटे भवनों, पेड़-पौधों व पहाड़ों का चित्रण किया गया है। चित्र के ऊपर व नीचे हाशियों में चौकोर खाने बनाकर फारसी लेख अंकित किए गए हैं। अग्र भूमि में पक्षियों का अंकन भी किया गया है, यह चित्र वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में सुरिक्षत है।

प्रश्न 10.
पहाड़ी चित्र शैली में शृंगरी श्रृंखला से आप क्या समझते हैं? (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
संस्कृत महाकाव्य ‘रामायण’ बसौली और कुल्लू के पहाड़ी कलाकारों के पसंदीदा ग्रन्थों में से एक था। चित्रकारों ने ‘रामायण’ से प्रेरित चित्रों की एक श्रृंखला बनाई, जिसे ‘शृंगरी चित्र श्रृंखला’ कहा गया। इस श्रृंखला का नाम ‘शांगरी’ नामक स्थान से लिया गया जो कुल्लू शाही परिवार की एक शाखा का निवास स्थान था। कुल्लू कलाकारों की ये कृतियाँ बसौली और बिलासपुर की शैलियों से अलग-अलग मात्रा में प्रभावित थीं।

प्रश्न 11.
कांगड़ा शैली किसके संरक्षण में विकसित हुई? इस शैली की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
काँगड़ा शैली राजा संसार चन्द के संरक्षण में विकसित हुई। इस शैली के चित्रण का मुख्य विषय प्रेम है। इस शैली के चित्रों में वृक्ष, बादल, जल, जंगल तथा पशु-पक्षियों का बड़ा ही मनोहारी चित्रण किया गया है, साथ ही भव्य भवनों व महलों को भी चित्रित किया गया है।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

प्रश्न 12.
टेराकोटा मूर्ति शिल्प परम्परा के बारे में लिखिए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
सम्पूर्ण भारत में मूर्ति निर्माण में सर्वाधिक प्रचलित टेराकोटा है। टेराकोटा पकी हुई मिट्टी होती है। तालाबों और नदियों के किनारों से लाई गई मिट्टी से आमतौर पर कुम्हार के द्वारा पारम्परिक त्यौहारों पर पूजा में प्रयोग आने वाली मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। अधिक समय तक बनाए रखने के लिए उन्हें आग में पकाया जाता है। भारत के मणिपुर, आसाम, तमिलनाडु, गंगा का मैदान और मध्यप्रदेश आदि क्षेत्रों में टेराकोटा के मर्ति शिल्प बनाए जाते हैं।

प्रश्न 13.
वर्ली चित्र किस प्रकार बनाए जाते हैं? बताइए। (\(\frac {3}{4}\))
उत्तर:
पारम्परिक रूप से वर्ली चित्रों को लोगों द्वारा घरों की मिट्टी की बनी हुई रंगीन दीवारों पर चावल के आटे से बनाया जाता है। माना जाता है ये चित्र उत्पादकता को उन्नत करते हैं, बीमारियों को दूर करते हैं, मरे हुए लोगों को प्रसन्न करते हैं और आत्माओं की माँग को पूरा करते हैं; वारली समुदाय के लोगों का यह मानना है। बाँस की एक लकड़ी के एक सिरे को चबाकर ब्रुश जैसा बना लिया जाता है और उसका उपयोग चित्र बनाने में किया जाता है।

खण्ड – स

निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 14.
जोधपुर चित्र शैली का वर्णन कीजिए। (1\(\frac {1}{2}\))
अथवा
राजस्थानी चित्र शैली में चित्रण हेतु ‘वसली’ के प्रयोग के बारे में लखिए। (1\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
जोधपुर चित्रकला शैली:- जोधपुर शैली की शुरुआत जसवंत सिंह के शासनकाल में (1638-1678) 17वीं शताब्दी में मानी जाती है। मारवाड़ के आरम्भिक साक्ष्यों में वीरजी द्वारा चित्रित रागमाला सेट है। जसवंत सिंह की रुचि बल्लभ सम्प्रदाय में होने से चित्रों में वल्लभ संप्रदाय (श्रीनाथ जी), राधा कृष्ण भागवत पुराण विषयों का चित्रण हुआ। यह प्रवृत्ति 19वीं शताब्दी तक चलती रही, जब तक कि फोटोग्राफी का आविष्कार नहीं हो गया था। इनके उत्तराधिकारी अजीत सिंह (1600-1724) के शासन काल में जोधपुर शैली के सबसे सुंदर और सजीव चित्र बने। महाराजा अजीत सिंह के समय शृंगार रस के प्रसिद्ध काव्य रसिकप्रिया, गीत गोविंद आदि विषयों पर चित्रण हुआ।

वीर दुर्गादास राठौड़ का मुगलों से युद्ध कर मारवाड़ पर अपना शासन स्थापित करना भी यहाँ के चित्रकारों का प्रमुख विषय रहा है। दुर्गादास राठौड़ की घुड़सवारी के चित्र बहुत प्रसिद्ध हुए। जोधपुर में मानसिंह (18031843) के शासनकाल में रामायण (1804), ढोला-मारू, पंचतंत्र (1804) और शिवपुराण पर चित्रण हुआ। जोधपुर में रामायण का चित्रण बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें रामायण के विषयों को जोधपुर की गलियों, बाजारों, प्रवेश द्वारों, स्थानीय वेशभूषा के साथ कल्पित किया गया है, जो कि बहुत ही रोचक दिखाई देता है। मानसिंह के समय जोधपुर में नाथ संप्रदाय से संबंधित चित्रों का निर्माण प्रमुखता से हुआ है।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

प्रश्न 15.
मुगलकालीन चित्र ‘गोवर्धन पर्वत उठाते हुए कृष्ण’ का वर्णन करो। (1\(\frac {1}{2}\))
अथवा
प्रारम्भिक मुगल चित्रकला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (1\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
गोवर्धन पर्वत उठाते हुए कृष्ण:- यह हरिवंश पुराण पांडुलिपि का एक चित्र है। यह अकबर के चित्रकार उस्ताद मिस्किन (1585-90) द्वारा बनाया गया है। यह वर्तमान में मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम आफ आर्ट, न्यूयॉर्क, यू.एस.ए. में संग्रहित है। हरिवंश पुराण इन संस्कृत पांडुलिपियों में से एक है जिनका मुगल शासकों द्वारा फार तो में अनुवाद करवाया गया था। अकबर द्वारा भगवान कृष्ण पर आधारित इस खंड का फारपी में अनुवाद करने के लिए महान विद्वान ‘बदायूँनी’ को नियुक्त किया था। बदायूँनी अपने रूढ़िवादी धार्मिक विचारों के लिए बहुत प्रसिद्ध था। अकबर के दरबार के प्रसिद्ध इतिहासकार अबुल फजल बदायूँनी के विचारों के बिल्कुल विपरीत थे। इस चित्र में भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ से ऊपर उठा रखा है। भगवान इंद्र के प्रकोप से मूसलाधार वर्षा हो रही है। सभी ग्रामवासी, पश, गोवर्धन पर्वत के नीचे आकर अपने प्राणों की रक्षा कर रहे हैं।

प्रश्न 16.
पहाड़ी शैली के किन्हीं दो चित्रों का वर्णन कीजिए। (1\(\frac {1}{2}\))
अथवा
कांगड़ा चित्र शैली के विकास में राजा संसार चंद के योगदान का वर्णन करो। (1\(\frac {1}{2}\))
उत्तर:
नैनसुख के साथ पेंटिंग देखते बलवंत सिंह- इस चित्र में जसरोटा के राजकुमार बलवंत सिंह अपने हाथों में पकड़े कृष्ण के चित्र को देख रहे हैं। उनके पीछे विनम्रता से झुकी हुई आकृति का अंकन है जो संभवतः नैनसुख है। इस चित्र में नैनसुख ने संध्या के समय का अंकन शांत भाव से किया है। जो नैनसुख और बलवंत सिंह के स्वभाव का सूचक है। बलवंत सिंह बैठे हुक्का पी रहे हैं। संगीतकारों को बड़ी चतुराई से चित्र के एक हिस्से में अंकित किया गया है जिससे चित्र में शांति का वातावरण बन सके।

नंद यशोदा और कृष्ण- यह चित्र भागवत पुराण के दृश्य को प्रदर्शित करता है जिसमें नंद अपने परिवार और सगे-संबंधियों के साथ वृंदावन की यात्रा के लिए जा रहे हैं। गोकुल में राक्षसों का बहुत आतंक हो गया है। वह राक्षस कृष्ण को बार-बार परेशान करते हैं इसलिए उन्होंने एक सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्णय लिया। नंद संपूर्ण समूह का नेतृत्व करते हुए एक बैलगाड़ी में सवार हैं, पीछे दूसरी बैलगाड़ी में कृष्ण और बलराम अपनी माता यशोदा और रोहिणी के साथ बैठे हैं। अन्य महिला और पुरुष घर में प्रयुक्त होने वाली सामग्री और वस्तुओं को लेकर साथसाथ चल रहे हैं। कलाकार द्वारा चित्र में प्रयुक्त भाव को सुंदर तरीके से चित्रित किया है जैसे-सिर पर रखा भारी बोझ, आँखों से झलकती थकावट, बर्तनों को मजबूती से पकड़े होने के कारण भुजाओं का तना होना आदि।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

खण्ड – द

निबन्धात्मक प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 17.
किशनगढ़ शैली के उद्भव और विकास के साथ-साथ उसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (2)
अथवा
राजस्थानी चित्र शैली की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर:
किशनगढ़ चित्रशैली का उदभव एवं विकास- सन् 1609 ई. जोधपुर के राजा उदयसिंह के आठवें पुत्र किशनसिंह को जयपुर, जोधपुर, अजमेर आदि से घिरी जो जागीर उत्तराधिकार में मिली थी, वह किशनगढ़ नाम से विख्यात हुई। यह शैली किशनगढ़ के राजदरबार में पोषित व विकसित होकर ‘किशनगढ़ शैली’ के नाम से प्रसिद्ध हुई।

महाराजा रूपसिंह (1643-1658 ई.) वैष्णव धर्म को मानते थे तथा इसी कारण उन्होंने आश्रित चित्रकारों से कृष्ण व राधा प्रेमलीलाओं के अनेक चित्र चित्रित करवाये। इनके उत्तराधिकारी राजा मानसिंह (16581706 ई.) स्वयं भी कवि व कला के ज्ञाता भी थे। चित्र को एक ही नजर में परख लेते थे। उन्होंने अपने राज्यकाल में भक्ति सम्बन्धित चित्रों का ही निर्माण करवाया क्योंकि वे वैष्णव धर्म के अनुयायी थे। इनके पुत्र महाराजा राजसिंह (1706-1798 ई.) भी कलाप्रिय, चित्रकार, धर्मपरायण, काव्य रसिक शासक थे। उन्होंने प्रसिद्ध चित्रकार सूर्यध्वज निहाल चन्द्र को अपनी चित्रकला का प्रबन्धक नियुक्त किया। महाराजा राजसिंह ने 33 ग्रन्थों की रचना की तथा चित्रकला का सर्वाधिक विकास किया।

राजा सावंतसिंह की अभिरुचि राज्य वैभव के प्रति न होकर कला, साहित्य व संगीत में विशेष रुचि होने के कारण नागरी दास राधा-कृष्ण की मधुर भक्ति में लीन हो गये। उनके कला प्रेम व कृष्ण भक्ति के मिश्रण ने किशनगढ़ शैली को उत्कर्ष पर पहुँचा दिया तथा विशेष ख्याति प्राप्त की। सन् 1735 ई. से लेकर 1770 ई. तक के कुछ ही समय में किशनगढ़ की कला का विकास इस तरह हुआ कि असाधारण सौन्दर्यगत कृतियों की रचना हुई, जो आज भी ख्याति प्राप्त हैं।

‘निहालचन्द’ राजा सावंतसिंह का आश्रित चित्रकार था। राधा-कृष्ण का अनुपम सौन्दर्ययुक्त चित्रण उसी ने किया। इसमें राधा की मुखाकृति को सावंतसिंह की उप-पत्नी बणी-ठणी के चेहरे को आधार बनाकर किया गया। बणी-ठणी अपने अनुपम रूप, सौन्दर्य के कारण रूप चित्रण का कारण बनी। नायक-नायिका व राधा-कृष्ण के चित्रण में नायिका तथा राधा की भूमिका में ‘बणी-ठणी’ को ही चित्रित किया। चित्रकार नानकराम ने भी नागरीदास के भाई बहादुर सिंह के राज्य काल में अनेक चित्रों का निर्माण किया। लाड़लीदास नामक चित्रकार ने राजा कल्याण सिंह के काल (1798-1838 ई.) में किशनगढ़ शैली को विकसित किया तथा आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस शैली के प्रसिद्ध ‘गीत-गोविन्द’ का चित्रण भी इसी शासन काल (1820 ई.) में हुआ। राजा पृथ्वीसिंह के राज्यकाल (1840-1880 ई.) तक किशनगढ़ शैली धीरे-धीरे पतनोन्मुख होती चली गयी। इस प्रकार साहित्यिक पृष्ठभूमि पर आधारित होने के कारण किशनगढ़ शैली के चित्र जनमानस को कविता व कला दोनों का रसास्वादन कराने में पूरी तरह सक्षम माने गये हैं।

किशनगढ़ चित्रशैली की प्रमख विशेषताएँ- किशनगढ़ चित्रशैली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) किशनगढ़ चित्रशैली की सबसे प्रमुख विशेषता नारी-सौन्दर्य है। गौर वर्ण, पतला लम्बा चेहरा, ऊँचा व पीछे की ओर ढलवा ललाट, लम्बी व नुकीली नाक, पतले होंठ, उन्नत चिबुक, लम्बी छरहरे बदन वाली, खंजनाकृति या कमल नयन, चापाकार भौंहें, बालों की लट कान के पास झूलती हुई, लम्बी पतली बाँहें, लम्बे केश आदि नारी आकृतियों का चित्रण इस शैली की विशिष्ट पहचान है।

(ii) इस चित्रशैली में पुरुष आकृतियों का छरहरा बदन, उन्नत ललाट, लम्बी नाक, पतले होंठ, कानों तक खिंची हुई लम्बी आँखें किशनगढ़ शैली की अपनी व्यक्तिगत विशेषता है।

(iii) इस चित्रशैली की विषयवस्तु के रूप में राधा-कृष्ण के लीला भाव से सम्बन्धित विषयों का प्रमुख रूप से चित्रण हुआ है। इसके अतिरिक्त गीत-गोविन्द, भागवत-पुराण, रसिक प्रिया, नागर-समुच्चय आदि का भी चित्रण हुआ है।

(iv) इस चित्रशैली के चित्रों की पृष्ठभूमि में किशनगढ़ के प्राकृतिक परिवेश में झीलों, पहाड़ों, वनों, उपवनों एवं विभिन्न पशु-पक्षियों का अंकन किया गया है।

RBSE 12th Drawing Model Paper Set 7 with Answers in Hindi

प्रश्न 18.
भारतीय चित्रकला के उत्थान में राजा रवि वर्मा के योगदान का वर्णन करते हुए इनकी रंग योजना व चित्रों के मुख्य विषय भी बताइए। (2)
अथवा
यामिनी रंजन राय के जीवन और कृतित्व पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर:
राजा रवि वर्मा का भारतीय चित्रकला के उत्थान में योगदान- राजा रवि वर्मा एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति को पाश्चात्य शैली में नाटक मण्डली का प्रभाव दिखाते हुए चित्रण किया। इन्होंने अनेक विषयों पर चित्र बनाए। उनके विषयों में राजा-महाराजाओं के पोट्रेट चित्रों की भी अधिकता रही। रवि वर्मा के चित्रों के विषय भारतीय शैली पाश्चात्य होने से उनमें नाटकीयता का भाव भी देखने को मिलता है।

राजा रवि वर्मा ने तत्कालीन लोक जीवन एवं समय का नाटक मण्डलियों से प्रेरणा ग्रहण कर देवी-देवताओं के पौराणिक चित्र भी बनाए। इन्होंने अपने चित्रों के प्रकाशन के लिए बम्बई में लिथोग्राफ प्रेस खोली और उसके माध्यम से अपने चित्र प्रकाशित किए। इनके चित्र भारत सहित विदेशों में प्रसिद्ध हुए।

हिन्दू महाकाव्यों एवं आख्यानों के चित्र इनकी विशेष पहचान थी। स्त्रियों के अनेक रूप भी रवि वर्मा की कला में दिखाई देते हैं। इनके प्रसिद्ध चित्र रावण और जटायु, भीष्म प्रतिज्ञा, समुद्र का मान मर्दन, द्रोपदी, शकुन्तला, यशोदा एवं कृष्ण तथा राजा हरिश्चन्द्र आदि हैं।

राजा रवि वर्मा की रंग योजना- राजा रवि वर्मा प्रथम भारतीय थे जिन्होंने अंग्रेजों की प्रचलित तकनीक तैल चित्रण को अपनाया था। उनके चित्रों की रंग-योजना बड़ी मनोहारी होती थी जो कि मन में गम्भीर भाव जगाती थी। उन्होंने गहरे लाल, नीले, हरे, पीले, सुनहरे व जामुनी मूल रंगों का प्रयोग करके अपने परम्परागत लालित्य को सुन्दर रूपाकारों में ढाला तथा यथार्थ छवियों की सी माँसलता प्रदान की। इस प्रकार कहा जा सकता है कि राजा रवि वर्मा की रंग-योजना बड़ी ही आकर्षक होती थी।

राजा रवि वर्मा के चित्रों के प्रमुख विषय- राजा रवि वर्मा ने भारतीय गाथाओं (पौराणिक, धार्मिक एवं महाकाव्यों) की अभिव्यक्ति पश्चिमी शैली में की। उन्होंने अनेक विषयों पर चित्र बनाए। उनके विषयों में राजा महाराजाओं के पोट्रेट चित्रों की अधिकता रही। साथ ही उनके चित्रों में नारी चित्रण भी अधिकता से हुआ था।

राजा रवि वर्मा ने अपनी कला साधना को जारी रखा। ‘शकुन्तला का दुष्यन्त के नाम पत्र लेखन’ उनकी सर्वश्रेष्ठ कृति है। सन् 1901 में राजा रवि वर्मा उदयपुर दरबार के निमन्त्रण पर वहाँ गए। वहाँ उन्होंने अनेक चित्र बनाए जिनमें महाराणा प्रताप’ का व्यक्ति चित्र अति सुन्दर है।

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Model Papers

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions