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RBSE Class 12 Economics Model Paper Set 3 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
(i) समष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध है
(अ) कीमत स्तर से
(ब) रोजगार स्तर से
(स) राष्ट्रीय स्तर पर उत्पादन से
(द) इनमें से सभी।
उत्तर :
(द) इनमें से सभी।
(ii) ‘द जनरल थ्योरी ऑफ इम्प्लॉयमेंट इन्टरेस्ट एण्ड मनी’ पुस्तक किसने लिखी ?
(अ) अल्फ्रेड मार्शल ने
(ब) एडम स्मिथ ने
(स) जे. एम. कीन्स ने
(द) जे. बी. से ने।
उत्तर :
(स) जे. एम. कीन्स ने
(iii) समष्टि अर्थशास्त्र की दृष्टि से अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में सम्मिलित है
(अ) परिवार क्षेत्र
(ब) फर्म
(स) सरकार
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर :
(द) उपरोक्त सभी।
(iv) भारतीय रिजर्व बैंक की मौखिक नीति का उपकरण है
(अ) बैंक दर
(ब) आरक्षित जमा अनुपात
(स) खुले बाजार की क्रियाएँ
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(द) उपरोक्त सभी
(v) मुद्रा स्फीति में
(अ) सामान्य कीमत स्तर बढ़ जाती है
(ब) सामान्य कीमत स्तर घट जाती है
(स) (अ) तथा स) दोनों गलत
(द) (अ) तथा (ब) दोनों सही
उत्तर :
(अ) सामान्य कीमत स्तर बढ़ जाती है
(vi) भारत में एक रुपये के नोट का निर्गमन कौन करता है
(अ) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(ब) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
(स) भारत सरकार
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(स) भारत सरकार
(vii) अर्थव्यवस्था में माँग एवं पूर्ति पर सरकार का नियंत्रण रहता है
(अ) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में
(ब) बाजार अर्थव्यवस्था में
(स) दोनों में
(द) दोनों में से किसी में नहीं
उत्तर :
(अ) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था में
(vi) अर्थव्यवस्था में माँग एवं पूर्ति पर सरकार का नियंत्रण रहता है
(अ) बायीं ओर
(ब) दायीं ओर
(स) (अ) तथा (ब) दोनों सही
(द) (अ) तथा (ब) दोनों गलत
उत्तर :
(अ) बायीं ओर
(ix) दवाइयों की माँग होती है
(अ) इकाई लोचदार
(ब) इकाई से कम लोचदार
(स) पूर्णतया लोचदार
(द) पूर्णतया बोलोचदार
उत्तर :
(द) पूर्णतया बोलोचदार
(x) चित्र प्रदर्शित करता है
(अ) कुल स्थिर लागत
(ब) कुल परिवर्तनशील लागत
(स) कुल लागत
(द) उनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(ब) कुल परिवर्तनशील लागत
(vi) वे लागत जो उत्पादन के साथ बढ़ती-घटती है, कहलाती है
(अ) कुल परिवर्तनशील लागत
(ब) कुल स्थिर लागत
(स) (अ) तथा (ब) दोनों सही
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(अ) कुल परिवर्तनशील लागत
(xii) सीमान्त उत्पादन की आकृति होती है
(अ) सीधे ‘U’ आकार की
(ब) उल्टे ‘U’ आकार की
(स) उल्टे ‘V’ आकार की
(द) सीधे ‘V’ आकार की
उत्तर :
(ब) उल्टे ‘U’ आकार की
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पर्ति कीजिए
(i) विदेशों को विक्रय की गयी वस्तुएँ एवं सेवाएँ …………………………. कहलाती हैं।
उत्तर :
निर्यात
(ii) केन्द्र सरकार द्वारा …………………………. प्रकार के कर लगाये जाते हैं।
उत्तर :
दो
(iii) केन्द्र सरकार की परिसम्पत्तियों तथा दायित्वों से सम्बन्धित राशियों का लेखा …………………………. कहलाता है।
उत्तर :
पूँजीगत
(iv) दुर्लभता से आशय उस स्थिति से है जिसके साधनों की कुलपूर्ति कुल माँग से …………………………. होती है। 1
उत्तर :
कम
(v) एक वस्तु के स्थान पर दूसरी वस्तु का उपभोग करना ” कहलाता है।
उत्तर :
प्रतिस्थापन
(vi) कुल लागत, स्थिर लागत तथा ” …… लागत का योग होती है। 1
उत्तर :
परिवर्ती
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर 10-20 शब्दों में दीजिए
(i) टेलीविजन, ट्रैक्टर, पम्प सेट एवं भोजन में से कौन-सी पूँजीगत वस्तुएँ हैं?
उत्तर :
ट्रैक्टर व पम्प सेट पूँजीगत वस्तुएँ हैं।
(ii) विदेशी व्यापार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
दो या दो से अधिक देशों के मध्य होने वाला वस्तुओं तथा सेवाओं का क्रय-विक्रय।
(iii) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
उत्पादन के सभी साधनों पर निजी स्वामित्व होता है।
(iv) ट्रेजरी बिल किसे कहते हैं?
उत्तर :
बाजार में निर्गत बेचने के लिए उत्पादन किया जाता है।
(v) मुद्रा की पूर्ति की M, माप क्या है? है?
उत्तर :
वे बिल जिनके आधार पर सरकार अल्पकालीन ऋण प्राप्त करती है।
(vi) घाटे का बजट क्या होता है ?
उत्तर :
जब सरकार की कुल आय सरकार के कुल व्यय से कम होती है।
(vii) मूल्यवर्धित कर क्या है ?
उत्तर :
मूल्यवर्धित कर एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तु की मूल्यवृद्धि पर लगाया जाता है।
(vii) समष्टि अर्थशास्त्र से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसके अंतर्गत समग्र अर्थव्यवस्था का आर्थिक विश्लेषण किया जाता है, समष्टि अर्थशास्त्र कहलाता है।
(ix) उपभोक्ता के बजट प्रतिबंध से क्या आशय है?
उत्तर :
बजट प्रतिबंध वस्तुओं के उन सभी बंडलों को प्रदर्शित करता है, जिन्हें उपभोक्ता अपनी निश्चित आय से खरीद सकता है।
(x) सीमान्त उत्पाद का सूत्र लिखिए।
उत्तर :
सीमान्त उत्पाद (MP) = \(\frac{\text { निर्गत में परिवर्तन }}{\text { आगत में परिवर्तन }} \text { या } \frac{\Delta q}{\Delta x_{1}}\)
(xi) लागत से क्या समझते हैं?
उत्तर :
उत्पादन करने हेतु साधनों पर किया गया व्यय, लागत कहलाता है।
(xii) मूल्य निर्धारण की न्यूनतम सीमा क्या है?
उत्तर :
मूल्य निर्धारण की न्यूनतम सीमा सीमान्त लागत के बराबर होती है।
खण्ड – (ब)
प्रश्न 4.
व्यष्टि अथवा सूक्ष्म अर्थशास्त्र की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
- इसमें अर्थव्यवस्था के छोटे अंशों का अध्ययन किया जाता है।
- इसमें कुल अर्थव्यवस्था के एक छोटे भाग का अध्ययन किया जाता है।
- इसे कीमत सिद्धान्त, सामान्य अर्थशास्त्र तथा कीमत एवं उत्पादन का सिद्धान्त भी कहा जाता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से उत्पादन के मूल्य की गणना कीजिए मदें
(i) कारक लागत पर निवल वर्धित मूल्य
(ii) मध्यवर्ती उपभोग
(ii) उत्पादन शुल्क
(iv) आर्थिक सहायता
(v) मूल्य ह्रास
उत्तर :
उत्पादन का मूल्य = कारक लागत पर निवल
वर्धित मूल्य + मध्यवर्ती उपभोग + उत्पादन शुल्क – आर्थिक सहायता + मूल्य ह्यस
= 100 + 75 + 20 – 5 + 10 = ₹ 200 लाख
उत्पादन मूल्य = ₹ 200 लाख।
प्रश्न 6.
उच्च शक्तिशाली मुद्रा के प्रमुख घटक लिखिए।
उत्तर :
उच्च शक्तिशाली मुद्रा के दो प्रमुख घटक हैं, जो निम्नलिखित हैं :
- लोगों द्वारा अपने पास रखे गये नोट और सिक्के (C)
- व्यावसायिक बैंकों के महत्वपूर्ण संचय व अन्य संचय (ER)
प्रश्न 7.
राजस्व बजट और पूँजीगत बजट में अन्तर कीजिए।
उत्तर :
राजस्व बजट में कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व प्राप्तियाँ आती हैं। राजस्व व्यय वे व्यय होते हैं जो परिसम्पत्तियों में वृद्धि या दायित्वों में कमी नहीं करते हैं। जबकि पूँजीगत बजट में सरकार की पूँजीगत प्राप्तियाँ और पूँजीगत व्यय आते हैं। सरकार की वे प्राप्तियाँ पूँजीगत कहलाती हैं जिनसे दायित्वों में वृद्धि होती है या वित्तीय परिसम्पत्तियाँ कम होती हैं।
प्रश्न 8.
गैर-कर राजस्व क्या है ? इसके स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
कर को छोड़कर राजस्व प्राप्तियों के अन्य सभी स्रोत गैर-कर राजस्व के अन्तर्गत आते हैं। अर्थात् वे राजस्व प्राप्तियाँ जो कर नहीं हैं वे गैर-कर राजस्व कहलाती हैं। भारत में केन्द्रीय सरकार के गैर-कर राजस्व के तीन स्रोत हैं- ब्याज प्राप्तियाँ, लाभांश तथा लाभ, विदेशी अनुदान।
प्रश्न 9.
पूँजी निर्माण में सार्वजनिक व्यय किस प्रकार सहायक होते हैं
उत्तर :
सरकार घाटे के बजट बनाकर सार्वजनिक व्ययों में वृद्धि करती है। इससे मुद्रा बाजार में आती है तथा लोगों की आय में वृद्धि होती है। इस आय को व्यक्ति उपभोग या बचत में प्रयोग करते हैं। जो आय उपभोग से बच जाती है उससे पूँजी का निर्माण होता है।
प्रश्न 10.
“प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
- अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं तथा सेवाओं के उपभोग पर लगाये जाते हैं अतः ये आय की उस मात्रा पर वसूल किये जाते हैं जो प्रत्यक्ष करों के लगने के बाद शेष रह जाती है।
- अप्रत्यक्ष कर उन वस्तुओं पर भी लगाये जाते हैं जिनका उपभोग स्वयं उत्पादकों द्वारा किया जाता है। अतः इस प्रकार उत्पादकों के उपभोग पर भी कर लग जाता है।
प्रश्न 11.
आर्थिक नियोजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सरकार या अन्य नियोजन संस्थाएँ पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखकर आर्थिक विकास के लिए भविष्य की नीतियों का निर्धारण करती हैं, उसे आर्थिक नियोजन कहा जाता है।
प्रश्न 12.
उपभोक्ता के बजट सेट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
उपभोक्ता के लिए उपलब्ध बंडलों के सेट को बजट सेट कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, उन सभी बंडलों का संग्रह जिसे उपभोक्ता वर्तमान बाजार कीमतों पर अपनी निश्चित आय से खरीद सकता है उसे बजट सेट (Bud get Set) कहते हैं।
प्रश्न 13.
बजट रेखा क्या है ?
उत्तर :
किन्हीं दो वस्तुओं के उन सभी संयोगों को दर्शाने वाली रेखा, जिन्हें एक उपभोक्ता अपनी आय से एक निश्चित मूल्य पर क्रय कर सकता है, बजट रेखा (Budget line) कहलाती है। इसे मूल रेखा या उपभोक्ता सम्भावना वक्र (Consumer Possibility Curve) भी कहते हैं। समीकरण- P1x1 + P2x2 = M
अथवा
\(x_{2}=\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{P}_{2}}-\frac{\mathrm{P}_{1}}{\mathrm{P}_{2}} x_{1}\)
रेखाचित्र-
प्रश्न 14.
परिवर्ती अनुपात का नियम क्या है ?
उत्तर :
जब उत्पादन के अन्य आगतों को स्थिर रखकर एक परिवर्ती आगत की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो प्रारम्भ में सीमान्त उत्पादन में वृद्धि होती है, इसके बाद यह घटता है और आगे चलकर यह ऋणात्मक हो जाता है। सीमान्त उत्पादन में परिवर्तन की यह प्रवृत्ति ही परिवर्ती अनुपात का नियम कहलाती है।
प्रश्न 15.
औसत सम्प्राप्ति से क्या आशय है ?
उत्तर :
किसी वस्तु की बिक्री से प्राप्त होने वाली प्रति इकाई सम्प्राप्ति ही औसत सम्प्राप्ति कहलाती है।
सूत्र – औसत सम्प्राप्ति – \(=\frac{\text { कुल सम्प्राप्ति }}{\text { बेची गई मात्रा }}\) = AR – AR
प्रश्न 16.
पूर्ति वक्र दायीं ओर तथा बायीं ओर कब खिसकता है ?
उत्तर :
कीमत के अतिरिक्त अन्य कारक .रवर्तन होने के कारण पूर्ति में वृद्धि होने में प्रति वक्र दायीं ओर तथा पूर्ति में कमी होने में पूर्नि वक्र बायीं ओर खिसकता है।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
सकल घरेलू उत्पाद एवं कल्याण में सम्बन्ध की व्याख्या कीजिए।
अथवा
किसी फर्म की माल सूची और मूल्य वर्धित के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर :
माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच सम्बन्ध-फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच सम्बन्ध को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता हैफर्म i का सकल मूल्यवर्धित (GVAi) = फर्म i के द्वारा उत्पादित निर्गत का सकल मूल्य (qi) – फर्म द्वारा प्रयुक्त मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य (Zi).
GVAi = फर्म की बिक्री का मूल्य (Vi) + माल सूची में परिवर्तित का मूल्य (Ai) – फर्म द्वारा प्रयुक्त मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य (Zi)
फर्म की माल-सूची में परिवर्तन = वर्ष के दौरान फर्म का उत्पादन – वर्ष के दौरान फर्म की बिक्री।
फर्म का निवल मूल्यवर्धित = GVAi- फर्म। का मूल्यह्रास (Di)
उपरोक्त से स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) अर्थव्यवस्था की सभी फर्मों के निवल मूल्यवर्धित (GVAi) और मूल्यह्रास (Di) का कुल योग होता है। मूल्यवर्धित की गणना करते समय फर्म के उत्पादन का मूल्य देखा जाता है। यदि फर्म वर्ष के दौरान अपने उत्पाद की कम मात्रा बेच पाती है तो फर्म की माल-सूची का मूल्य बढ़ जाता है, इसके विपरीत यदि किसी कारण से फर्म वर्ष के दौरान अपने उत्पादन का अधिकांश भाग विक्रय कर देती है तो फर्म की माल-सूची का मूल्य कम हो जाता है।
प्रश्न 18.
वस्तु विनिमय प्रणाली को विस्तार से समझाइए।
अथवा
मुद्रा के कार्यों का वर्णन कीजिए। .
उत्तर :
मुद्रा के कार्य-मुद्रा के प्रमुख कार्यों को निम्न दो भागों में बाँटा जा सकता है-
(अ) प्राथमिक अथवा मुख्य कार्य, तथा
(ब) सहायक अथवा गौण कार्य।
(अ) मुद्रा के प्राथमिक अथवा मुख्य
कार्य-मुद्रा के प्राथमिक कार्य अग्रलिखित
- विनिमय का माध्यम-मुद्रा सामान्य रूप से क्रय-शक्ति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करती है। मुद्रा से ही लोग क्रय-विक्रय का सभी कार्य करते हैं।
- मूल्य का मापक-समस्त वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य मुद्रा में ही मापा जाता है। मुद्रा के अभाव में वस्तुओं के मूल्यों के मापन की कोई उचित व्यवस्था नहीं है।
(ब) मुद्रा के सहायक अथवा गौण कार्य-मुद्रा के सहायक कार्य अथवा गौण कार्य निम्नलिखित हैं-
- भावी भुगतान का आधार-उधार लेन-देन का भुगतान भविष्य में किस प्रकार तथा कितना करना है इसका निर्धारण मुद्रा से ही किया जाता है।
- मूल्य का संचय-कब, क्या आवश्यकता पड़ जाय इस हेतु भविष्य के लिए धन संचय करके रखना आवश्यक होता है। मुद्रा ने मूल्य-संचय के इस कार्य को आसान कर दिया है।
- मूल्य का हस्तान्तरण-कोई भी व्यक्ति अब वस्तुओं का क्रय-विक्रय मुद्रा के माध्यम से कर सकता है तथा मूल्य का हस्तान्तरण सुविधाजनक नोटों और चेकों के माध्यम से कर सकता है।
प्रश्न 19.
उत्पादन सम्भावना वक्र के संदर्भ में अवसर लागत की अवधारणा को समझाइए।
अथवा
एक आदर्शक विज्ञान के रूप में अर्थशास्त्र को समझाइए।
उत्तर :
अर्थशास्त्र एक आदर्शक विज्ञान है इस धारणा को मानने वाले अर्थशास्त्रियों के अनुसार, अर्थशास्त्र सकारात्मक विज्ञान के साथ ही साथ एक आदर्शक विज्ञान भी है।
इसके निम्नलिखित तर्क हैं-
- अर्थशास्त्र अपने लक्ष्यों के प्रति तटस्थ नहीं रह सकता क्योंकि अर्थशास्त्र के अध्ययन का – मुख्य उद्देश्य सीमित संसाधनों का सर्वोत्तम प्रयोग करना होता है।
- मनुष्य एक तार्किक नहीं बल्कि एक..भावुक व्यक्ति भी होता है। अतः हम मानव व्यवहार का अध्ययन वास्तविक तथा आदर्शात्मक दोनों विज्ञानों के रूप में करते हैं।
- व्यक्ति के आर्थिक जीवन की व्यवहारिक समस्याओं के समाधान के लिए अर्थशास्त्र को नीतिशास्त्र से सम्बन्धित करना अति आवश्यक है।
- अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक रूप को स्वीकार न किए जाने पर अध्ययन का क्षेत्र अति संकुचित हो जाएगा।
- वे अर्थशास्त्री जो अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक विज्ञान मानते हैं वह स्वयं इसके आदर्शात्मक रूप को प्रभावित करते हैं।
- अर्थशास्त्र के अंतर्गत आर्थिक नियोजन से सम्बन्धित उद्देश्यों की प्राप्ति अर्थशास्त्र के आदर्शात्मक पहलू को अपनाए बिना की जानी असम्भव है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि वर्तमान में अर्थशास्त्र को केवल वास्तविक अथवा सकारात्मक विज्ञान माना जाना न्यायसंगत व तर्कसंगत नहीं है। यह साथ ही साथ एक आदर्शात्मक विज्ञान भी है क्योंकि अर्थशास्त्री का कार्य केवल व्याख्या या खोज करना ही नहीं बल्कि समर्थन तथा निन्दा करना भी है।
प्रश्न 20.
एक फर्म की सम्प्राप्ति, बाजार कीमत तथा उसके द्वारा बेची गई मात्रा में क्या सम्बन्ध है?
अथवा
एक कीमत-स्वीकारक फर्म की बाजार कीमत तथा सीमान्त सम्प्राप्ति में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर :
एक इकाई के कम या अधिक उत्पादन करने से कुल सम्प्राप्ति में जो परिवर्तन आता है उसे सीमान्त सम्प्राप्ति कहते हैं।
सूत्र – MR = TRA – TRALI
एक कीमत स्वीकारक फर्म बाजार कीमत को ही स्वीकार करती है अतः उसके लिए औसत सम्प्राप्ति, सीमान्त सम्प्राप्ति तथा बाजार कीमत तीनों बराबर होते हैं। एक कीमत स्वीकारक फर्म के लिए सभी सीमान्त सम्प्राप्तियों को जोड़कर कुल सम्प्राप्ति की गणना की जा सकती है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियंत्रण रीतियों की विवेचना कीजिए।
अथवा
उत्पादन, राजस्व एवं वितरण के क्षेत्र में मुद्रा के महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
(a) उत्पादन के क्षेत्र में
- बड़े पैमाने पर उत्पादन सम्भव-उत्पादन के सभी साधनों को मुद्रा के माध्यम से आसानी से जुटाया जा सकता है क्योंकि सभी साधनों का प्रतिफल मुद्रा में ही प्रदान किया जाता है।
- पूँजी की गतिशीलता-मुद्रा के माध्यम से पूँजी को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना सरल हो गया है तथा इससे समान रूप से विकास की अवधारणा को बल मिला है।
- पूँजी निर्माण सम्भव-मुद्रा के उद्भव से अब छोटी-छोटी बचतों को मुद्रा के रूप में बचाकर पूँजी का निर्माण करना आसान हो गया है।
(b) राजस्व के क्षेत्र में सरकार मुद्रा की सहायता से ही अपनी समस्त व्यवस्थाओं के संचालन हेतु जनता से राजस्व प्राप्त करती है। वह जनता पर कर लगाती है, ऋण प्रदान करती है।
(c) वितरण के क्षेत्र मुद्रा के द्वारा ही उत्पादन के सभी साधनोंभूमि, श्रम, पूँजी, संगठन तथा साहस का निर्माण होता है और उनको पारिश्रमिक भी मुद्रा में ही प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 22.
सीमान्त उपयोगिता एवं कुल उपयोगिता को तालिका के माध्यम से समझाइये।
अथवा
पूर्णतया लोचदार माँग को रेखाचित्र के माध्यम से समझाइए।
उत्तर :
पूर्णतया लोचदार माँग (e, = r)-जब एक दी हुई कीमत पर माँग अनंत होती है तथा कीमत में नाममात्र की वृद्धि से माँग शून्य हो जाती है तो इसे पूर्णतया लोचदार माँग कहते हैं। यह अव्यवहारिक होती है।
रेखाचित्र में DD माँग वक्र x अक्ष के समानांतर है। इसके अनुसार OP कीमत पर ही 0Q, OQ, तथा अन्य कोई भी माँग हो सकती है। यदि कीमत OP से थोड़ी सी बढ़ जाय तो माँग समाप्त हो जायेगी।
प्रश्न 23.
अल्पकालीन सीमान्त लागत वक्र ‘U’ आकार का क्यों होता है?
अथवा
अल्पकालीन सीमान्त लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देते है?
उत्तर :
चित्र से स्पष्ट है कि अल्पकाल में SAC में परिवर्तन SAVC में हुए परिवर्तन का ही परिणाम होता है। SMC वक्र हमेशा SAVC वक्र को काटते हुए ऊपर चढ़ता है। SAVC वक्र उत्पादन में वृद्धि होने पर पहले गिरता है फिर निम्न बिन्दु A को प्राप्त करके ऊपर चढ़ता है। औसत लागत वक्र q, उत्पादन स्तर तक गिरता है जहाँ उसका निम्नतम बिन्दु B प्राप्त हो जाता है। इसके बाद SAVC वक्र की भाँति SAC वक्र भी ऊपर की ओर बढ़ने लगता है। औसत SAMC हमेशा SAVC वक्र तथा SAC को क्रमशः उनके निम्नतम बिन्दुओं A तथा B पर काटते हुए ऊपर उठता है।
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