Students must start practicing the questions from RBSE 12th Economics Model Papers Set 9 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Economics Model Paper Set 9 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
(i) राष्ट्रीय आय मापन की विधि है
(अ) मूल्यवर्धित विधि
(ब) व्ययविधि
(स) आयविधि
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर :
(द) उपरोक्त सभी
(ii) पूँजीगत वस्तु हैं
(अ) टेलीविजन
(ब) ट्रैक्टर
(स) भोजन
(द) कपड़ा
उत्तर :
(ब) ट्रैक्टर
(iii) अप्रत्यक्ष कर नहीं है
(अ) उत्पादन शुल्क
(ब) सीमा शुल्क
(स) आयकर
(द) बिक्रीकर
उत्तर :
(स) आयकर
(iv) मुद्रा का कार्य है
(अ) विनिमय का माध्यम
(ब) मूल्य का मापक
(स) मूल्य का संचय
(द) इनमें से सभी
उत्तर :
(द) इनमें से सभी
(v) करेंसी जमा अनुपात है
(अ) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा + बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
(ब)
(स) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा x बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
(द) लोगों द्वारा करेंसी में धारित मुद्रा – बैंक जमा के रूप में धारित मुद्रा
उत्तर :
(ब)
(vi) मुद्रा गुणक है
(अ) \(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{H}}\)
(ब) CU + R
(स) CU + DD
(द) \(\frac{\mathrm{CU}}{\mathrm{DD}}\)
उत्तर :
(अ) \(\frac{\mathrm{M}}{\mathrm{H}}\)
(vi) वस्तुओं में उपयोगिता का सृजन किया जाता है
(अ) उपभोग
(ब) उत्पादन
(स) विनिमय
(द) बाजार
उत्तर :
(ब) उत्पादन
(viii) चाय-चीनी हैं
(अ) स्थानापन्न वस्तुएँ
(ब) पूरक वस्तुएँ।
(स) निम्नस्तरीय वस्तुएँ
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) पूरक वस्तुएँ।
(ix) किसी वस्तु की माँग निर्भर करती है
(अ) वस्तु की कीमत पर
(ब) अन्य वस्तुओं की कीमत पर
(स) उपभोक्ता की आय पर
(द) उपरोक्त सभी पर
उत्तर :
(द) उपरोक्त सभी पर
(x) परिवर्तनशील अनुपातों का नियम सम्बन्धित है
(अ) अल्पकाल एवं दीर्घकाल दोनों से
(ब) दीर्घकाल से
(स) अल्पकाल से
(द) अति दीर्घकाल से
उत्तर :
(स) अल्पकाल से
(xi) पैमाने के प्रतिफल की अवस्था होती है
(अ) 2
(ब) 3
(स) 4
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) 3
(xii) उत्पादन बढ़ने पर परिवर्ती लागत व कुल लागत दोनों समान रूप से बढ़ते हैं
(अ) अल्पकाल में
(ब) दीर्घकाल में
(स) दोनों में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ब) दीर्घकाल में
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(i) वे वस्तुएँ जो अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में प्रयोग की जाती हैं ……………………………………. वस्तुएँ कहलाती हैं।
उत्तर :
मध्यवर्ती
(ii) सरकार द्वारा अन्य लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की बिक्री किया जाना ……………………………………. कहलाता है।
उत्तर :
विनिवेश
(iii) करों में वृद्धि करने से उपभोग और निर्गत में ……………………………………. होती है।
उत्तर :
कमी
(iv) ……………………………………. अर्थशास्त्र के अन्तर्गत वस्तुओं तथा सेवाओं के संदर्भ में आर्थिक इकाइयों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर :
व्यष्टि
(v) जब उपभोक्ता की आय बढ़ने पर वस्तु की माँग बढ़े तथा आय कम होने पर माँग घटे तो ऐसी वस्तुएँ ……………………………………. वस्तुएँ कही जाती हैं।
उत्तर :
सामान्य
(vi) उत्पादक के निजी साधनों के बाजार दर पर प्रतिफल को ……………………………………. लागत कहते हैं।
उत्तर :
अस्पष्ट
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर 10-20 शब्दों में दीजिए
(i) निवेश का तात्पर्य समझाइए।
उत्तर :
उत्पादन की दृष्टि से पूँजीगत वस्तुओं की खरीद पर किये जाने वाला व्यय निवेश कहलाता है।
(ii) व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र का एक-एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर :
- व्यष्टि अर्थशास्त्र-मजदूरी का निर्धारण।
- समष्टि अर्थशास्त्र-राष्ट्रीय आय का निर्धारण।
(iii) 1936 में प्रकाशित कीन्स के ग्रन्थ का क्या नाम है?
उत्तर :
“The General Theory of Employ ment, Interest and Money”
(iv) परोक्ष विनिमय में आदान-प्रदान का माध्यम क्या होता है?
उत्तर :
परोक्ष विनिमय में आदान-प्रदान का माध्यम मुद्रा होती है।
(v) पूँजी हानि किसे कहते हैं?
उत्तर :
बंधपत्र की मूल्य गिरावट से हुई हानि को बंधपत्रधारी की पूँजी हानि कहते हैं।
(vi) FRBA का पूरा नाम बताइए।
उत्तर :
Fiscal Responsibility and Budget Management Act.
(vii) प्रत्यक्ष कर के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर :
- आयकर,
- निगम कर।
(viii) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
वह अर्थव्यवस्था जिसमें सभी आर्थिक निर्णय किसी एक केन्द्रीय सत्ता द्वारा लिए जाते हैं।
(ix) कुल उपयोगिता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
किसी वस्तु की उत्तरोत्तर एक से अधिक इकाइयों के उपयोग से प्राप्त उपयोगिताओं का योग कुल उपयोगिता कहलाता है।
(x) उत्पादन फलन का समीकरण या सूत्र लिखिए।
उत्तर :
q = f (x1 × x2) यहाँ q = उत्पादन मात्रा, x1, x2 कारक 1 व 2
(xi) उत्पादन कारक का आशय लिखिए।
उत्तर :
वह कारक जिनकी सहायता से उत्पादन किया जाता है, जैसे-भूमि, पूँजी, श्रम आदि।
(xii) पूर्ति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
किसी निर्धारित समय पर बाजार में विभिन्न कीमतों पर विक्रय हेतु वस्तु की मात्रा।
खण्ड – (ब)
प्रश्न 4.
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) क्या है ?
उत्तर :
एक वर्ष में एक देश की घरेलू अर्थव्यवस्था में उत्पादित समस्त अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्यों के योग को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। इसमें विदेशी नागरिकों द्वारा घरेलू अर्थव्यवस्था में कमाई गई आय को सम्मिलित किया जाता है लेकिन देश के नागरिकों द्वारा विदेशों में कमाई गई आय को सम्मिलित नहीं किया जाता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित आँकड़ों से बिक्री की गणना कीजिए
मदें – ₹ लाख में
(i) कारक लागत में निवल वर्धित मूल्य – 300
(ii) मध्यवर्ती उपभोग – 200
(iii) अप्रत्यक्ष कर – 20
(iv) मूल्य ह्रास – 30
(v) स्टॉक में परिवर्तन – 50
उत्तर :
बिक्री = कारक लागत पर निवल वर्धित मूल्य – स्टॉक में परिवर्तन + मध्यवर्ती उपभोग + अप्रत्यक्ष कर + मूल्यह्रास
= 300 – (-50) + 200 + 20 + 30
= 300 + 50 + 200 + 20 + 30
= ₹ 600 लाख।
प्रश्न 6.
तरलता अधिमान का आशय लिखिए।
उत्तर :
मुद्रा को कई रूपों में रखा जा सकता है किन्तु विभिन्न रूपों में सबसे तरल रूप नकद मुद्रा है क्योंकि नकद. मुद्रा को ही जब हम चाहें, इच्छानुसार प्रयोग कर सकते हैं। इसे ही तरलता अधिमान कहते हैं।
प्रश्न 7.
कर क्या है ? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
वह अनिवार्य भुगतान जो करदाताओं द्वारा सरकार को किया जाता है तथा जिसके बदले करदाता किसी प्रत्यक्ष लाभ की आशा नहीं करते हैं उसे कर कहते हैं, जैसे-आयकर, सम्पत्ति कर, उत्पाद कर, आयात शुल्क, निर्यात शुल्क आदि कर वर्तमान में सरकारों की आय का सबसे बड़ा साधन हैं।
प्रश्न 8.
राजस्व प्राप्तियों तथा पूँजीगत प्राप्तियों में अन्तर कीजिए।
उत्तर :
राजस्व एवं पूँजीगत प्राप्तियों में प्रमुख अन्तर यह है कि राजस्व प्राप्तियों को भविष्य में वापस करने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं होती है। जबकि पूँजीगत प्राप्तियाँ एक प्रकार का ऋण होती हैं जिन्हें सरकार को ब्याज सहित वापस करना होता है।
प्रश्न 9.
सरकार किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए ऋण लेती है ?
उत्तर :
- देश पर आने वाले सामरिक या आर्थिक संकट का सामना करने के लिए।
- सामूहिक उपयोग में आने वाली वस्तुओं के निर्माण हेतु।
- प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम विदोहन करके देश का आर्थिक विकास करने के लिए।
- अन्य विकास कार्यों के संचालन हेतु वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए।
- सरकारी बजट के अस्थायी घाटों को पूरा करने तथा लोगों के आर्थिक जीवन को संतुलित बनाये रखने के लिए।
प्रश्न 10.
सरकारी बजट की प्राप्तियों को एक चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर :
प्रश्न 11.
पष्ट अथशास्त्र का विषय-वस्तु बताइए।
उत्तर :
व्यष्टि अर्थशास्त्र के अंतर्गत उन समस्त सिद्धान्तों तथा नियमों का अध्ययन किया जाता है, जो व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं। व्यष्टि अर्थशास्त्र की विषय-वस्तु में निम्नलिखित सिद्धांतों को सम्मिलित किया जाता है-
- उपभोग के सिद्धांत
- उत्पादन के सिद्धांत,
- वस्तु कीमत सिद्धांत,
- साधन कीमत सिद्धांत।
प्रश्न 12.
माँग की कीमत लोच को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
किसी वस्तु की मांग में प्रतिशत परिवर्तन को उस वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन से भाग देने पर प्राप्त भागफल उस वस्तु की माँग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand) कहलाता है।
सूत्र रूप में –
माँग की कीमत लोच (es) = \(\frac{\text { वस्तु की माँग में प्रतिशत परिवर्तन }}{\text { वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन }}=\left[\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\mathrm{Q}}\right] \times\left[\frac{\mathrm{P}}{\Delta \mathrm{P}}\right]\)
प्रश्न 13.
एक वस्तु की माँग पर विचार करें। ₹ 4 की कीमत पर इस वस्तु की 25 इकाइयों की माँग है। मान लीजिए वस्तु की कीमत बढ़कर ₹ 5 हो जाती है तथा परिणामस्वरूप वस्तु की माँग घटकर 20 इकाइयाँ हो जाती है। कीमत लोच की गणना कीजिए। (2)
उत्तर :
दिया है – P0 = ₹ 4, q0 = 25 इकाइयाँ
ΔP = 5 – 4 = ₹ 1, Δq = 25 – 20 = 5 इकाइयाँ
सूत्र- माँग की कीमत लोच
(eD) = \(\frac{\Delta q}{\Delta p} \times \frac{P_{0}}{q_{0}}\)
मान रखने पर \(\frac{5}{1} \times \frac{4}{25}=\frac{20}{25}=\frac{4}{5}=0.8\)
अतः माँग की कीमते लोच = 0.8
अर्थात् मांग की कीमत लोच एक से कम (eD <1) है।
प्रश्न 14.
एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है ?
उत्तर :
कुल उत्पादित मात्रा में परिवर्ती इकाइयों की उपयोग की गई संख्या का भाग देकर उस परिवर्ती आगत का औसत उत्पाद प्राप्त किया जा सकता है अर्थात् परिवर्ती आगत की ‘एक इकाई से प्राप्त उत्पादन को उस आगत का औसत उत्पाद कहते हैं।
सूत्र रूप में –
औसत उत्पाद \(=\frac{\text { कुल लागत }}{x_{1}}=\frac{f\left(x_{1}, \bar{x}_{2}\right)}{x_{1}}\)
जहाँ x1 = परिवर्ती आगत,
\(\bar{x}_{2}\) = स्थिर आगत।
प्रश्न 15.
बाजार में फर्मों की संख्या में वृद्धि, बाजार पूर्ति वक्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर :
सभी फर्मों के पूर्ति वक्रों का योग ही बाजार पूर्ति वक्र कहलाता है। यदि बाजार में फर्मों की संख्या में परिवर्तन आता है तो बाजार पूर्ति वक्र में भी परिवर्तन आता है। अतः यदि बाजार में फर्मों की संख्या में वृद्धि होती है तो बाजार पूर्ति वक्र दायीं ओर शिफ्ट होता है।
प्रश्न 16.
पूर्ति के विस्तार से क्या आशय है ?
उत्तर :
अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होने से, उसकी पूर्ति में वृद्धि हो जाती है, तो इसे पूर्ति का विस्तार कहते हैं।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद, वैयक्तिक आय तथा व्यक्तिगत प्रयोज्य आय की अवधारणा को समझाइए।
अथवा
माल सूची की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
माल सूची की अवधारणा (Concept of Inventory)-अर्थशास्त्र के अन्तर्गत अबिक्रीत निर्मित वस्तुओं तथा अर्द्धनिर्मित वस्तुओं अथवा कच्चे मालों का वह स्टॉक जो कोई फर्म एक वर्ष से अगले वर्ष तक रहती है, वह माल-सूची (Inventory) कहलाता है। माल सूची एक स्टॉक परिवर्तन होता है।
यदि वर्ष के आरम्भ में इसका मूल्य कम हो तथा वर्ष के अन्त में अधिक हो तो इस स्थिति को माल सूची में वृद्धि कहेंगे। यदि वर्ष के आरम्भ की तुलना में वर्ष के अन्त में माल सूची का मूल्य कम हो तो इसे माल सूची में हास कहेंगे।
एक वर्ष के दौरान किसी फर्म की माल सूची में परिवर्तन ज्ञात करने का सूत्र निम्न हैसूत्र-माल सूची = वर्ष के दौरान फर्म का उत्पादन – वर्ष के दौरान फर्म की बिक्री है।
प्रश्न 18.
मुद्रागुणक के मूल्य के निर्धारण में किन अनुपातों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है? समझाइये।
अथवा
क्या आप ऐसा मानते हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही ‘मुद्रा का निर्माण करते हैं?
उतर :
व्यावसायिक बैंकों द्वारा ही प्रारम्भिक निक्षेपों के आधार पर मुद्रा का सृजन किया जाता है। वास्तव में, मुद्रा का निर्माण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे सभी व्यावसायिक बैंक मिलकर ही पूरा करते हैं। बैंक अपने यहाँ जमा से अधिक ऋण प्रदान करते हैं तथा मुद्रा का निर्माण करते हैं।
व्यापारिक बैंक द्वारा जब भी किसी व्यक्ति को ऋण दिया जाता है तो वह कई गुना साख का निर्माण करता है तथा साथ ही मुद्रा की तरलता को भी बढ़ाने में सहायक होता है। अतः हम इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही मुद्रा का निर्माण करते है।
प्रश्न 19.
केन्द्रीय योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था तथा बाजार अर्थव्यवस्था में कोई तीन अन्तर बताइए।
अथवा
“व्यष्टि एवं समष्टि अर्थशास्त्र एक-दूसरे के पूरक हैं।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र एक-दूसरे के पूरक हैं क्योंकि किसी फर्म द्वारा कच्चा माल या मशीन आदि खरीदते समय उसकी कीमत सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था में उसकी माँग पर निर्भर करती है। इसके अलावा अर्थशास्त्र की सामान्य प्रकृति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत इकाइयों के व्यवहार को प्रभावित करने वाले सिद्धान्तों का ज्ञान जरूरी है।
प्रश्न 20.
एक चित्र की सहायता से औसत सम्प्राप्ति (AR) तथा सीमांत सम्प्राप्ति (MR) के मध्य सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
एक रेखाचित्र की सहायता से पूर्ति में परिवर्तन को प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर :
पूर्ति में परिवर्तन (Change in Supply)-पूर्ति में परिवर्तन वस्तु की कीमत के अतिरिक्त अन्य कारकों में परिवर्तन के कारण होता है। पूर्ति वक्र के दाँयें नीचे की ओर खिसकने पर पूर्ति में वृद्धि तथा पूर्ति वक्र के बायीं ऊपर की ओर खिसकने पर पूर्ति में कमी होती है। इन्हें निम्न रेखाचित्र में दर्शाया गया है –
चित्र में SS मूल पूर्ति वक्र है, S1S1 पूर्ति में कमी तथा S2S2 पूर्ति में वृद्धि को प्रदर्शित कर रहा है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
धातु मुद्रा एवं पत्र मुद्रा में कोई चार अन्तर बताइए।
अथवा
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग क्या है ? किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य से यह किस प्रकार सम्बन्धित है ?
उत्तर :
जीवनयापन के दैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की जाने वाली मुद्रा की माँग संव्यवहार माँग कहलाती है। इसे लेन-देन के लिए मुद्रा की मांग भी कहा जाता है। संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग व्यक्ति और फर्म दोनों के द्वारा की जाती है। संव्यवहार माँग का कारण यह है कि वेतन तो एक निश्चित समय के पश्चात् मिलता है लेकिन व्यय दैनिक रूप से किये जाते हैं। संव्यवहार माँग कितनी होगी यह व्यक्ति की आय पर निर्भर है।
किसी निर्धारित समयावधि में अर्थव्यवस्था में संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग संव्यवहार की कुल मात्रा का एक भाग होती है। अतः इसे अग्रांकित प्रकार रखा जा सकता है –
MdT = K.T
यहाँ, MdT = संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग
T = एक इकाई समयावधि में किये कुल संव्यवहार का मूल्य
K= धनात्मक अंश।
अर्थव्यवस्था में की जाने वाली संव्यवहार के लिए कुल माँग सकल घरेलू उत्पाद तथा मूल्य स्तर से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है।
इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
एक अर्थव्यवस्था लें, जिसमें केवल दो ही व्यक्ति हैं, एक फर्म का स्वामी व दूसरा श्रमिक। प्रत्येक माह के प्रथम दिन फर्म द्वारा श्रमिक को ₹ 100 वेतन स्वरूप दिए जाते हैं। श्रमिक इसके बदले में अपनी आय को फर्म द्वारा उत्पादित वस्तु को खरीदने में पूरे माह में व्यय कर देता है।
इस अर्थव्यवस्था में केवल एक ही वस्तु उपलब्ध है। इस प्रकार से हर महीने के प्रारम्भ में श्रमिक के पास ₹ 100 मुद्रा होती है और फर्म के पास ₹ 1 महीने के अंतिम दिन स्थिति विपरीत होती है-फर्म के पास ₹ 100 होते हैं, जो उसे श्रमिक को अपनी उत्पादित वस्तु बेचने पर प्राप्त हुए तथा फर्म और श्रमिक की औसत मुद्रा धारिता ₹ 50 के बराबर है। इस प्रकार, अर्थव्यवस्था में संव्यवहार हेतु मुद्रा की मांग ₹ 100 के बराबर होगी।
इस अर्थव्यवस्था में मासिक संव्यवहार का कुल परिमाण ₹ 200 है, जिसमें कि ₹ 100 मूल्य का उत्पाद तो फर्म श्रमिक को बेचती है तथा श्रमिक ₹ 100 मूल्य की सेवा फर्म को बेचता है। इस प्रकार से, यह स्पष्ट है कि इस अर्थव्यवस्था में संव्यवहार के लिए किसी-किसी इकाई अवधि में मुद्रा की मांग संव्यवहार की कुल मात्रा के अंश मात्र होगी।
प्रश्न 22.
बजट रेखा को समीकरण एवं रेखाचित्र द्वारा समझाइए।
अथवा
पूर्णतया लोचदार माँग को रेखाचित्र के माध्यम से समझाइए।
उत्तर :
पूर्णतया बेलोचदार माँग (eD = 0)- यदि किसी वस्तु की कीमत में अत्यधिक परिवर्तन होने के बावजूद भी उसकी माँग मात्रा में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो इसे पूर्णतया बेलोचदार माँग कहते हैं।
रेखाचित्र से स्पष्ट है कि कीमत के OP से कम OP2 होने पर तथा OP से अधिक OP1 होने पर माँग मात्रा OQ समान रही है अर्थात् DD माँग रेखा पूर्णतया बेलोचदार माँग को व्यक्त कर रही है।
प्रश्न 23.
अल्पकालीन औसत लागत एवं दीर्घकालीन औसत लागत की सचित्र व्याख्या कीजिए।
अथवा
दीर्घकालीन औसत लागत एवं दीर्घकालीन सीमान्त लागत के सम्बन्ध को रेखाचित्र की सहायता से समझाइए।
उत्तर :
दीर्घकालीन सीमान्त लागत तथा औसत लागत में संबंध को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-
- जब औसत लागत कम होती है तब सीमान्त लागत, औसत लागत की अपेक्षा तीव्र गति से गिरती है।
- जब औसत लागत बढ़ती है तब सीमान्त लागत, औसत लागत की अपेक्षा अधिक तेजी से बढ़ती है।
- यदि औसत लागत स्थिर होती है तो वह सीमान्त लागत के बराबर होती है।
- सीमान्त लागत वक्र, औसत लागत वक्र को नीचे से उसके निम्नतम बिन्दु पर काटता है।
इसे निम्न चित्र द्वारा समझा जा सकता है-
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