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RBSE Class 12 Hindi Compulsory Model Paper Set 2 with Answers
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –
जल और मानव-जीवन का सम्बन्ध अत्यन्त घनिष्ठ है। वास्तव में जल ही जीवन है। विश्व की प्रमुख संस्कृतियों का जन्म बड़ी-बड़ी नदियों के किनारे ही हुआ है। बचपन से ही हम जल की उपयोगिता, शीतलता और निर्मलता की ओर आकर्षित होते रहे हैं। किन्त नल के नीचे नहाने और जलाशय में डुबकी लगाने में जमीन-आसमान का अन्तर है। हम जलाशयों को देखते ही मचल उठाते हैं, उनमें तैरने के लिए। आज सर्वत्र सहस्रों व्यक्ति प्रतिदिन सागरों, नदियों और झीलों में तैरकर मनोविनोद करते हैं और साथ ही अपना शरीर भी स्वस्थ रखते हैं। स्वच्छ और शीतल जल में तैरना तन को स्फूर्ति ही नहीं, मन को शान्ति भी प्रदान करता है। तैरने के लिए आदिम मनुष्य को निश्चय ही प्रयत्न और परिश्रम करना पड़ा होगा, क्योंकि उसमें अन्य प्राणियों की भाँति तैरने की जन्म-जात क्षमता नहीं है। जल में मछली आदि जलजीवों को स्वच्छंद विचरण करते देख मनुष्य ने उसी प्रकार तैरना सीखने का प्रयत्न किया और धीरे-धीरे उसने इस कार्य में इतनी निपुणता प्राप्त कर ली कि आज तैराकी एक कला के रूप में गिनी जाने लगी। विश्व में जो भी खेल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं, उनमें तैराकी प्रतियोगिता अनिवार्य रूप से सम्मिलित की जाती है।
(i) तैराकी के द्वारा कौन-से लाभ प्राप्त होते हैं ?
(अ) मनोविनोद, शारीरिक स्फूर्ति व मानसिक शान्ति
(ब) शीतलता और निर्मलता
(स) शीतल जल के सान्निध्य का सुख
(द) मछलियों-सा अनुभव।
उत्तर :
(अ) मनोविनोद, शारीरिक स्फूर्ति व मानसिक शान्ति
(ii) आदिमानव को तैराकी की प्रेरणा कहाँ से मिली?
(अ) नभचरों से
(ब) निशाचरों से
(स) जलचरों से
(द) थलचरों से।
उत्तर :
(स) जलचरों से
(iii) मनुष्य के लिए तैराकी है
(अ) जन्मजात क्षमता
(ब) भाग्य से प्राप्त क्षमता
(स) अनायास प्राप्त हुई क्षमता
(द) निरन्तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता।
उत्तर :
(द) निरन्तर अभ्यास से प्राप्त क्षमता।
(iv) ‘अत्यन्त’ में उपसर्ग व मूलशब्द का उचित रूप है
(अ) अत् + अन्त
(ब) अति + अन्त
(स) अत्य + अंत
(द) अत्यं + त।
उत्तर :
(ब) अति + अन्त
(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा
(अ) शीतल जल का महत्त्व
(ब) जल ही जीवन है
(स) तैराकी : एक कला
(द) शीतलता और निर्मलता।
उत्तर :
(स) तैराकी : एक कला
(vi) सभी खेल प्रतियोगिताओं में अनिवार्य रूप से सम्मिलित प्रतियोगिता है
(अ) तैराकी
(ब) भारोत्तोलन
(स) कबड्डी
(द) हॉकी
उत्तर :
(अ) तैराकी
निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए –
कातरता, चुप्पी या चीखें या हारे हुओं की खोज जहाँ भी मिलेगी उन्हें प्यार से सितार पर बजाऊँगा। जीवन ने कई बार उकसाकर मुझे अनलंध्य सागरों में फेंका है अगन-भट्टियों में झोंका है मैंने वहाँ भी ज्योति की मशाल प्राप्त करने के यत्न किये बचने के नहीं, तो क्या इन टटकी बन्दूकों से डर जाऊँगा ? तुम मुझको दोषी ठहराओ मैंने तुम्हारे सुनसान का गला घोंटा है पर मैं गाऊँगा चाहे इस प्रार्थना सभा में तुम सब मुझ पर गोलियाँ चलाओ मैं मर जाऊँगा लेकिन मैं कल फिर जन्म लँगा कल फिर आऊँगा।
(vii) कवि ने किस महापुरुषों के भावों का उल्लेख किया है ? –
(अ) महात्मा बुद्ध
(ब) महावीर स्वामी
(स) महात्मा गाँधी
(द) दयानन्द सरस्वती।।
उत्तर :
(स) महात्मा गाँधी
(viii) मैं मर जाऊँगा लेकिन मैं कल फिर जन्म लूँगा कल फिर आऊँगा। पद्यांश की उक्त अन्तिम तीन पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहता है ?
(अ) मैं मरने के बाद कल फिर जन्म लूँगा
(ब) कवि बार-बार मरना और जन्म लेना चाहता है
(स) देश-सेवा करने वाले बार-बार जन्म लेते हैं और मरते हैं।
(द) मानवता के रक्षक हर जन्म में मानवता की सेवा की चाह रखते हैं।
उत्तर :
(द) मानवता के रक्षक हर जन्म में मानवता की सेवा की चाह रखते हैं।
(ix) ‘सुनसान का गला घोंटा है’ का तात्पर्य बताइए
(अ) सुनसान रूपी व्यक्ति की गर्दन दबा दी
(ब) सुनसान में ले जाकर व्यक्ति का गला घोंट दिया
(स) सूने मानव-मन में आशा की उमंगें भर दी
(द) सुनसान-स्थल पर सुन्दर गीत गाया।
उत्तर :
(स) सूने मानव-मन में आशा की उमंगें भर दी
(x) किसी रचना को लिखने की कई शैलियाँ होती हैं। शैली भेद के अनुसार उपर्युक्त पद्यांश की लेखन शैली है
(अ) आत्मकथा शैली
(ब) वर्णनात्मक शैली
(स) संवाद शैली
(द) प्रश्न शैली।
उत्तर :
(अ) आत्मकथा शैली
(xi) उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक नीचे लिखे विकल्यों से छोटिए
(अ) ज्योति की मशाल
(ब) अग्रदूत
(स) मानवता के मसीहा महात्मा गाँधी
(द) महावीर स्वामी।
उत्तर :
(स) मानवता के मसीहा महात्मा गाँधी
(xii) ‘अनलंध्य’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द है
(अ) दुर्लय
(ब) लंघ्य
(स) अलंध्य
(द) सुलंध्य
उत्तर :
(ब) लंघ्य
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) शब्दों के मेल से जब एक पूर्ण विचार प्रकट होता है, वह कहलाता है।
उत्तर :
वाक्य
(ii) अंग्रेजी भाषा की लिपि है।
उत्तर :
रोमन
(iii) “मैं हंसी नहीं कर रहा है, मुझे बड़े जोर की भूख लगी है।” वाक्य में शब्द शक्ति है। 1
उत्तर :
अभिधा
(iv) किसी काव्य रूढ़ि को आधार बनाकर लक्षणा-शक्ति का प्रयोग किया जाता है, तो वहाँ शब्द शक्ति होती है।
उत्तर :
रूढ़ा लक्षणा
(v) “काली घटा का घमण्ड घटा, नभ मण्डल तारक वृन्द खिले।” पंक्ति में अलंकार है।
उत्तर :
रूपक
(vi) “शोभा-सिन्धु न अन्त रही की।” पंक्ति में शोभा पर सिन्धु उपमान का आरोप है। अतः अलंकार है।
उत्तर :
उपमेय, रूपक।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :एक पंक्ति में दीजिए-
(i) निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए-
A.Volunteer,
B.Portfolio
उत्तर :
A. स्वयंसेवक,
B. विभाग।
(ii) परिसंघ’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर :
Federation
(iii) ‘पहलवान की ढोलक’ कहानी का संदेश क्या है? बताइए –
उत्तर :
‘पहलवान की ढोलक’ कहानी में कहानीकार ने कला का स्वतंत्र मूल्य होने का संदेश दिया है।
(iv) आलेख किसका छोटा रूप होता है?
उत्तर :
आलेख निबन्ध-लेखन का ही एक लघु रूप होता है।
(v) पाठशाला भेजने के लिए लेखक के दादा ने उससे क्या-क्या वचन लिए थे ?
उत्तर :
पाठशाला जाने से पहले और बाद में खेतों पर काम करेगा, ढोरों को चराएगा। खेत में ज्यादा काम होने पर स्कूल से छुट्टी लेगा।
(vi) ‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी का मुख्य पात्र यशोधर बाबू समाज के किस वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है?
उत्तर :
यशोधर बाबू के रूप में कहानीकार समाज के मध्यवर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। यह पात्र मन से सुविधाभोगी रहना चाहता है लेकिन आदर्श रूप में वह साधारण मध्यवर्ग का प्रतिनिधि है।
(vii) लेखक के दादा का जल्दी ईख पेरने का कारण क्या था ?
उत्तर :
लेखक का दादा लालची स्वभाव का था। वह गुड़ का ज्यादा दाम जल्दी लेना चाहता था।
(viii) “वानप्रस्थ के लिए प्रैसक्राइब्ड ठहरीं ये चीजें”-यशोधर बाबू किन बातों को वानप्रस्थ के लिए निर्धारित मानते हैं तथा क्यों ?
उत्तर :
धार्मिक बातें वानप्रस्थ लेने के बाद के लिए निर्धारित हैं। परिवार की जिम्मेदारी से मुक्त होकर वानप्रस्थ लेकर ही इन बातों में उनका मन लग सकेगा।
(ix) लेखक और उसकी माँ दादा से क्यों डरते थे ? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर :
लेखक का दादा जरा-सी बात पर उसे और उसकी माँ को मारता था। वह पढ़ाई की बात सुनकर उस पर जंगली सूअर की तरह गुर्राता था। अतः लेखक और उसकी माँ दादा से पढ़ाई की कोई बात नहीं कह सकते थे।
(x) शमशेर बहादुर सिंह की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
- चुका भी नहीं हूँ मैं,
- कुछ और कविताएँ।
(xi) हजारी प्रसाद द्विवेदी को भारत सरकार ने किस सम्मान से अलंकृत किया है?
उतर :
हजारी प्रसाद द्विवेदी को भारत सरकार ने ‘पद्मभूषण’ सम्मान से अलंकृत किया है।
खण्ड – (ब)
निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए –
प्रश्न 4.
टेलीविजन से जुड़ी विशेषताएँ और कमियाँ लिखिए।
उत्तर :
टेलीविजन- विशेषताएँ- दृश्य एवं श्रव्य माध्यम, उल्टा पिरामिड शैली में समाचार, अनपढ़ भी देखकर-सुनकर जानकारी पा सकते हैं। कमियाँ- किसी की छवि को बिगाड़ सकता है, अनेक बार छोटी-छोटी बातों को बार-बार दिखाया जाता है, मामूली घटना को बड़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, सत्यता के प्रमाण का नितांत अभाव।
प्रश्न 5.
प्रिंट मीडिया, रेडियो माध्यमों से प्रत्येक से सम्बन्धित दो-दो कमियाँ लिखिए।
उत्तर :
कमियाँ (क) प्रिंट मीडिया –
- निरक्षरों के लिए यह किसी काम का नहीं है,
- घटनाओं को तुरन्त पाठकों तक नहीं पहुँचाया जा सकता।
(ख) रेडियो –
- किसी समाचार को आरम्भ से अन्त तक सुनने की बाध्यता,
- किसी सूचना का सन्दर्भ के लिए सुरक्षित रखना सम्भव नहीं।
प्रश्न 6.
“शिक्षा के व्यवसायीकरण ने शिक्षा को बहुत महँगा बना दिया है।” इस समस्या पर एक आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर :
पिछले कुछ वर्षों में निजी शिक्षा संस्थाओं की बाढ़-सी आ गई है। महाविद्यालय ही नहीं विश्वविद्यालय भी निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। शिक्षा के प्रसार और समयानुकूल शैक्षिक योग्यता पाने के अवसर बढ़ने से यह सारा परिदृश्य बड़ा उत्साहप्रद और आशाजनक प्रतीत होता है लेकिन इसका दूसरा पहलू भी चिंतनीय है। निजी शिक्षा-संस्थाओं के व्यावसायिक दृष्टिकोण के कारण शिक्षा बहुत महँगी हो गई है।
पिछले वषो में तकनीकी, प्रबंधकीय और चिकित्सकीय शिक्षा-संस्थाओं में छात्रों का जमकर आर्थिक शोषण हुआ है। शिक्षा शुल्क निश्चित किए जाने और शुल्क प्रतिपूर्ति आदि व्यवस्था किए जाने पर भी ये संस्थाएँ अन्य शुल्कों के बहाने छात्रों का शोषण करने में लगी हैं। लाभ कमाने के लिए और बहुत से व्यवसाय हैं। कम से कम शिक्षा के क्षेत्र में तो इन संस्थानों के सर्वेसर्वाओं से कुछ नैतिक दायित्व निभाने की अपेक्षा की जा सकती है।
प्रश्न 7.
‘हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है ? 2
उत्तर :
‘कैमरे में बन्द अपाहिज’ कविता में कवि रघुवीर सहाय ने इलैक्ट्रॉनिक मीडिया की सोच पर व्यंग्य किया है। ‘एक दुर्बल को लाएँगे’ की दूरदर्शन की घोषणा उसके इसी अहंकार को सूचित करती है कि वह सामर्थ्यवान और शक्तिशाली हैं तथा अन्य अशक्त और दुर्बल हैं। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से दूरदर्शन की इस दूषित मनोवृत्ति का चित्रण व्यंग्यपूर्वक किया है।
प्रश्न 8.
कवि ‘पाताली अँधेरे की गुहाओं के विवरों में धुएँ के बादलों में’ लापता होने की कामना क्यों करता है ? 2
उत्तर :
कवि ने कहा है-“रमणीय यह उजेला अब सहा नहीं जाता। अतः इस असह्य बन गए उजाले से बचने के लिए वह घोर अंधकारमयी गुफाओं में लापता हो जाना चाहता है। वह प्रिय के प्रेम-प्रकाश से मुक्त होकर अपने स्वतन्त्र अस्तित्व को परखना चाहता है वह अनुभव करना चाहता है कि उसके वियोग के अंधकार में जीने के लिए भी क्या उसे प्रिय का सहारा लेना पड़ेगा?
प्रश्न 9.
भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है ? 2
उत्तर :
भक्तिन ने अपना सिर उस्तरे से मुंडवा लिया था। लेखिका को स्त्री का सिर मुंडाना अच्छा नहीं लगता। उनके मना करने पर भक्तिन ने अपने काम को शास्त्रों के अनुकूल बतायाकहा, यह शास्त्र में लिखा है। क्या लिखा है? यह पूछने पर उसने कहा- ‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध’।
प्रश्न 10.
बाजार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?
उत्तर :
बाज़ार का जादू चढ़ने पर मनुष्य उसके आकर्षण में फंसकर अनावश्यक और अनुपयोगी चीजों को खरीदता जाता है। जब बाज़ार का जादू उतर जाता है तब वह समझता है कि उसके द्वारा बहुतायत में खरीदी गई फैंसी चीजों से आराम के बजाय उसे असुविधा ही हो रही है।
प्रश्न 11.
‘ऐनी वे-जेनरेशनों में गेप तो होता ही है सुना’-ऐसा कहकर स्वयं को दिलासा देते हैं पिता।-यशोधर बाबू किस कारण स्वयं को दिलासा देते हैं ?
उत्तर :
यशोधर बाबू कुमाऊँनी संस्कारों को मानते हैं वह अपने गरीब रिश्तेदारों तथा मिलने वालों की उपेक्षा करने के पक्ष में नहीं हैं। परन्तु उनके बच्चे ऐसा करना नहीं चाहते। अपने परिवार में अपनी बातें अमान्य होते देखना यशोधर जी को अच्छा नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में वह यह सोचकर अपना मन समझाते हैं कि नई और पुरानी पीढ़ियों के विचारों में अन्तर तो होता ही है।
प्रश्न 12.
कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक आनन्द यादव की धारणा में क्या बदलाव आया? 2
उत्तर :
कविता के प्रति लगाव ने लेखक के जीवन पर गहरे प्रभाव डाले। इससे पहले वह खेत में पानी देते, ढोर चराते या अन्य कार्य करते हुए अकेलेपन से ऊब जाता था। लेकिन काव्य से प्रेम हो जाने के पश्चात् उसे अकेलापन अच्छा लगता था, अकेले में कोई कविता गुनगुनाई या जोर से गाई जा सकती थी, अभिनय किया जा सकता था और यहाँ तक कि नाचा भी जा सकता था।
खण्ड – (स)
निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :लगभग 250 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न 13.
‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का प्रतिपाद्य/संदेश क्या है?
अथवा
‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने। ‘उषा’ कविता की इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘सहर्ष स्वीकारा है’ में कवि ने जीवन के सब सुख-दुख, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक को सम्यक् भाव से अंगीकार करने का संदेश दिया है। कवि ने माना है कि उसकी भावनाएँ, विचार, व्यक्तित्व यहाँ तक कि उसका अस्तित्व सभी कुछ उसके प्रिय की देन हैं। उसने अब तक हर परिस्थिति को सहर्ष स्वीकार किया है फिर भी भवितव्यता या भावी आशंकाएँ उसे डराती हैं।
कवि को भय है कि प्रिय की अत्यधिक आत्मीयता उसकी आत्मा को निर्बल कर देगी तथा वह भावी जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना आत्म-निर्भर होकर नहीं कर सकेगा। जीवन में जो कुछ मनुष्य को प्राप्त होता है वह किसी अज्ञात सत्ता की प्रेरणा से ही प्राप्त होता है।
प्रिय के स्नेह की अधिकता से जब कवि का व्यक्तित्व दबने लगता है तो वह उस को भूल जाना चाहता है। कवि का संदेश है कि उस सर्वव्यापक के प्रभाव से बाहर होने की चेष्टा केवल मन को धोखा देना है।
प्रश्न 14.
‘शिरीष के फूल’ नामक पाठ में लेखक ने साहित्य, समाज और राजनीति में पुरानी और नयी पीढ़ी के किस द्वन्द्व का संकेत किया है?
अथवा
‘नमक’ कहानी भारत-पाक विभाजन के बावजूद मानवीय भावनाओं की समानता की कथा है। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
‘शिरीष के फूल’ पाठ में लेखक ने शिरीष के फलों के माध्यम से संकेत किया है कि पुरानी पीढ़ी अपने अधिकारों और पद को छोड़कर नयी पीढ़ी को अवसर देना नहीं चाहती। शिरीष के फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकलने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फूल और पत्ते इन्हें हटने को विवश नहीं कर देते ये अपने स्थान पर जमे रहते हैं।
इन फलों को देखकर लेखक को उन भारतीय नेताओं की याद आती है जो सत्ता से चिपके रहना चाहते हैं। ये नेता भी शिरीष के फलों की तरह अपने पदों को तब तक नहीं छोड़ते जब तक कि नई पीढ़ी के युवक इन्हें धक्का मारकर नहीं हटा देते। नयी पीढ़ी अधिकारों तथा पदों को प्राप्त करना चाहती है।
दोनों पीढ़ियों में यह संघर्ष निरन्तर चलता है। अन्त में नयी पीढ़ी, पुरानी पीढ़ी को बलात् हटाकर उन अधिकारों को प्राप्त कर लेती है। अधिकार लिप्सा का यह संघर्ष साहित्य, समाज और राजनीति में साफ देखा जा सकता है।
प्रश्न 15.
‘जूझ’ कहानी के आधार पर समझाइए कि लेखक आनंद यादव की मराठी भाषा कैसे सुधरने लगी? 3
अथवा
‘सिल्वर वैडिंग’ कहानी का प्रमुख पात्र वर्तमान में रहता है, किन्तु अतीत को आदर्श मानता है। इससे उसके व्यवहार में क्या-क्या विरोधाभास दिखाई पड़ते हैं? सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
आनंद यादव के स्कूल में सौंदलगेकर नामक शिक्षक थे। वह मराठी भाषा पढ़ाते थे। वह कवि भी थे। कक्षा में कविताएँ गाकर सुनाते भी थे। आनन्द यादव की रुचि उनकी प्रेरणा से कविता की ओर बढ़ी। वह स्वयं कविता लिखता और उनको दिखाता। वे उसमें सुधार करते। धीरे-धीरे आनन्द की उनके प्रति आत्मीयता बढ़ी। आनंद उनके घर जाने लगा। मास्टर जी उसको कवि की भाषा के बारे में समझाते थे। छंद और अलंकारों के बारे में बताते थे।
शुद्ध लेखन का ढंग बताते थे तथा अन्य अनेक बातें बताते रहते थे। वे लेखक को पुस्तकें तथा कविता-संग्रह पढ़ने के लिए देते थे। इन बातों तथा सौंदलगेकर से निकटता और अपनापन होने के कारण आनन्द यादव का मराठी भाषा का ज्ञान बढ़ता गया तथा जाने-अनजाने पर उसकी मराठी भाषा सुधरने लगी। सौंदलगेकर का मराठी भाषा पढ़ाने का ढंग अत्यन्त रोचक था। वह अत्यन्त तन्मयता के साथ मराठी पढ़ाते थे।
उनका व्यवहार भी छात्रों के प्रति स्नेहपूर्ण था। अतः लेखक के जीवन पर उनका सर्वाधिक प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 16.
हरिवंश राय बच्चन का कवि परिचय लिखिए।
अथवा
जैनेन्द्र कुमार का लेखक परिचय लिखिए।
उत्तर :
जैनेन्द्र कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद के कौड़ियागंज कस्बे में सन् 1905 में हुआ था। बचपन में आपको पिता की छाया से वंचित होना पड़ा। आपकी माता ने आपका पालन-पोषण किया। आपका मूल नाम आनन्दीलाल था। आपने हस्तिनापुर के जैन गुरुकुल ऋषि ब्रह्मचर्याश्रम में शिक्षा ग्रहण की। सन् 1919 में मैट्रिक करने के बाद आपने काशी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया किन्तु गाँधीजी के आह्वान पर अध्ययन छोड़कर स्वतन्त्रता आन्दोलन में कूद पड़े। बाद में आपने स्वाध्याय द्वारा ज्ञानार्जन किया। स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लेने के कारण आपको जेल यात्रा भी करनी पड़ी।
आप जेल यात्रा के साथ साहित्य साधना करते रहे। हिन्दुस्तानी अकादमी से आप पुरस्कृत भी हुए। सन् 1988 में आपका देहावसान हो गया। साहित्यिक परिचय-जैनेन्द्र कुमार ने कथा साहित्य के साथ हिन्दी गद्य की अन्य विधाओं ‘पर भी लेखनी चलाई है। जैनेन्द्र ने विचारात्मक, मनोविश्लेषणात्मक, वर्णनात्मक आदि शैलियों के साथ व्यंग्य शैली को भी अपनाया है। कृतियाँ-जैनेन्द्र जी की रचनाएँ निम्नलिखित हैं-
कहानी संग्रह-नीलम देश की राजकन्या, फाँसी, जय-सन्धि, वातायन, एक रात, दो चिड़िया, पाजेब। उपन्यास-परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, जयवर्धन, मुक्तिबोध।
निबन्ध संग्रह-पूर्वोदय, जड़ की बात, साहित्य का श्रेय और प्रेय, सोच-विचार, प्रश्न और प्रश्न, काम, प्रेम और परिवार, अकाल पुरुष गाँधी। संस्मरण-‘ये और वे’। अनुवाद-प्रेम में भगवान (कहानी) मंदाकिनी, पाप और प्रकाश (नाटक)।
खण्ड – (द)
प्रश्न 17.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
बात सीधी थी पर एक बार भाषा के चक्कर में जरा टेढ़ी फंस गई। उसे पाने की कोशिश में भाषा को उलटा-पलटा तोड़ा मरोड़ा घुमाया फिराया कि बात या तो बने या फिर भाषा से बाहर आए लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ बात और भी पेचीदा होती चली गई।
अथवा
नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो।
और जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।
उत्तर :
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि कुँवर नारायण की कविता ‘बात सीधी थी पर’ से लिया गया है। कवि इस अंश में उन रचनाकारों पर मधुर व्यंग्य कर रहा है, जो अपनी कविता को प्रभावशाली बनाने के लिए क्लिष्ट भाषा का प्रयोग किया करते हैं।
व्याख्या-कवि कहता है कि बात सीधी और सरल थी परन्तु वह उसे प्रभावपूर्ण भाषा में व्यक्त करना चाहता था। भाषा को आकर्षक बनाने पर ध्यान देने के कारण कथ्य की सरलता ही नष्ट हो गई। वह दुरूह हो गई। कवि ने बात की सरलता को नष्ट होने से बचाने के लिए भाषा में संशोधन किया, शब्दों को बदला और वाक्य रचना में फेर-बदल किया। उसने प्रयास किया कि बात की सरलता बनी रहे तथा भाषा की क्लिष्टता और दिखावटी स्वरूप से छुटकारा मिले परन्तु इससे बात व भाषा और अधिक उलझती चली गई।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (2 + 4 = 6)
अब तक सफिया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे ? अच्छा, अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टमवालों के सामने बसे पहले इसी को रख दें? लेकिन अगर कस्टमवालों ने न जाने दिया! तो मजबूरी है, छोड़ देंगे।
लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा करके झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।
अथवा
मगर मुश्किल यह थी कि मुझे अपने बचपन में जिससे सबसे ज्यादा प्यार मिला वे थीं जीजी। यूँ मेरी रिश्ते में कोई नहीं थी। उम्र में मेरी माँ से भी बड़ी थीं, पर अपने लड़के-बहू सबको छोड़कर उनके प्राण मुझी में बसते थे और वे थीं उन तमाम रीति-रिवाजों, तीज-त्योहारों, पूजा-अनुष्ठानों की खान जिन्हें कुमार-सुधार सभा का यह उपमंत्री अंधविश्वास कहता था, और उन्हें जड़ से उखाड़ फेंकना चाहता था। पर मुश्किल यह थी कि उनका कोई पूजा-विधान, कोई त्योहार अनुष्ठान मेरे बिना पूरा नहीं होता था। दीवाली है तो गोबर और कौड़ियों से गोवर्धन और सतिया बनाने में लगा हूँ, जन्माष्टमी है तो रोज आठ दिन की झाँकी तक को सजाने और पैंजीरी बाँटने में लगा हैं, हर-छठ है तो छोटी रंगीन कल्हियों में भजा भर रहा हैं। किसी में भना चना, किसी में भनी मटर, किसी में भुने अरवा चावल, किसी में भुना गेहूँ। जीजी यह सब मेरे हाथों से कराती, ताकि उनका पुण्य मुझे मिले। केवल मुझे।
उत्तर :
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित पाठ ‘नमक’ से लिया गया है। इसकी लेखिका ‘रजिया सज्जाद जहीर’ हैं। प्रसंग-भाई के साथ उग्र बहस करने के बाद सफिया का सारा गुस्सा ठंडा हो गया और लाहौर से लौटने की तैयारी में अपना सामान बाँधने लगी।
व्याख्या-भाई द्वारा अदीबों, कस्टम वालों को लेकर कुछ व्यंग्य किए तो सफिया ने भी उनका व्यंग्यों में ही जवाब दिया। इसके बाद धीरे-धीरे उसके गुस्से का बुखार उतर गया। उसने भावुकता में आकर कुछ तीखे संवाद बोल दिए थे, पर अब भावना का स्थान बुद्धि ले रही थी। वह सोच रही थी कि उसे नमक की पुड़िया तो अवश्य ले जानी थी पर यह काम कैसे सम्पन्न हो? पहले उसने सोचा कि पुड़िया वह हाथ में लेकर चले और सबसे पहले उसी को रख दे।
अगर कस्टम वाले न जाने दें तो फिर मजबूरीवश छोड़ जाएँगे। लेकिन वह माँ समान सिख बीबी को क्या जवाब देगी?। सहसा सफिया को ख्याल आया कि वे तो सैयद कहे जाते हैं और सैयद एक बार जो वायदा कर लेते हैं उसे पूरा करके ही मानते हैं। चाहे जान भी क्यों न चली जाय, वह वायदा पूरा करके रहेगी। तभी झटका लगा कि आखिर वायदा पूरा होगा, तो कैसे?
फिर सफिया ने एक युक्ति सोची कि पुड़िया को कीनुओं की टोकरी में सबसे नीचे दबा दिया जाय तो कैसा रहे! कीनुओं के ढेर के नीचे से उसे ढूँढ़ निकालना किसी के लिए भी आसान न होगा। फिर शंका हुई अगर किसी कस्टम वाले ने पुड़िया को देख लिया तो क्या होगा? फिर मन को समझाया कि लाहौर आते वक्त भी किसी की फलों की टोकरियों की तलाशी नहीं ली जा रही थी। सभी लोग लाहौर से कीनू और भारत से केले ले जा रहे और ला रहे थे। कुछ नहीं होगा। यही ठीक रहेगा और कुछ हुआ तो देखा जाएगा।
प्रश्न 19.
शासन सचिव, भाषा विभाग, राजस्थान सरकार, जयपुर की ओर से कार्यालय में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने बावत् ज्ञापन तैयार कीजिए।
अथवा
राजस्व विभाग शासन सचिव की ओर से ‘प्रशासन गाँव की ओर’ अभियान के बारे में बताने के लिए एक अधिसूचना तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजस्थान सरकार
भाषा विभाग
शासन सचिवालय, जयपुर
ज्ञापन
ज्ञा. सं. – 10 (स)/भा. वि./1443/03
दिनांक – 20 अगस्त, 20_ _
विषय : – कार्यालय में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने बाबत्
अत्यन्त खेद का विषय है कि विभाग द्वारा अधिकांश कार्य अंग्रेजी में हो रहा है। हिन्दीभाषी राज्य होने एवं राजभाषा हिन्दी को उचित महत्त्व देने के क्रम में कार्यालयी पत्र व्यवहार यथासंभव हिन्दी में किए जाएँ। अंग्रेजी का प्रयोग अपरिहार्य स्थिति में ही किया जाए।
ह
(अ, ब, स)
शासन सचिव
सेवा में,
समस्त विभागाध्यक्ष
प्रश्न 20.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द) 5
(1) इण्टरनेट : सूचना क्रांति
(2) जनसंख्या वृद्धि : घटती समृद्धि
(3) वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएँ
(4) राजस्थान के प्रसिद्ध मेले
उत्तर :
जनसंख्या वृद्धि : घटती समृद्धि संकेत बिंदु –
- प्रस्तावना,
- जनसंख्या – वृद्धि के दुष्परिणाम,
- नियन्त्रण के उपाय,
- उपसंहार।
प्रस्तावना – भूमि, जन और संस्कृति ये तीनों राष्ट्र के अनिवार्य अंग माने गए हैं। इनमें भूमि और संस्कृति दोनों का महत्त्व ‘जन’ के सापेक्ष ही होता है। जन के बिना भूमि निरर्थक है और संस्कृति का विकास ही सम्भव नहीं है। जन या जनसंख्या का अति विस्तार भी राष्ट्र के लिए घातक होता है, क्योंकि उसके भरण – पोषण और सुरक्षा के लिए, आवश्यक संसाधन जुटाने का उत्तरदायित्व जन को ही निभाना पड़ता है। आज हमारे देश में बेलगाम बढ़ती जनसंख्या एक विकट चुनौती बनी हुई है।
जनसंख्या – वृद्धि के दुष्परिणाम – जब किसी समाज के सदस्यों की संख्या बढ़ती है तो उसे उनके भरण – पोषण के लिए जीवनोपयोगी वस्तुओं की भी आवश्यकता पड़ती है। उत्पादन तथा जनसंख्या वृद्धि में संतुलन न होने से जनसंख्या आगे चलने लगती है, फलस्वरूप जनसंख्या – वृद्धि आगे – आगे दौड़ती है और पीछे – पीछे उत्पादन – वृद्धि। जनसंख्या और उत्पादन – दर में चोर – सिपाही का खेल शुरू हो जाता है।
वास्तविकता यह है कि उत्पादन वृद्धि के सारे लाभ को जनसंख्या की वृद्धि व्यर्थ कर देती है। आज हमारे देश में यही हो रहा है। जनसंख्या वृद्धि सारी समस्याओं की जननी है। बढ़ती महँगाई, बेरोजगारी, कृषि – भूमि की कमी, उपभोक्ता – वस्तुओं का अभाव, यातायात की कठिनाई सबके मूल में यही बढ़ती जनसंख्या है।
नियंत्रण के उपाय – आज के विश्व में जनसंख्या पर नियंत्रण रखना प्रगति और समृद्धि के लिए अनिवार्य आवश्यकता है। भारत जैसे विकासशील देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण परम आवश्यक है। जनसंख्या पर नियंत्रण के अनेक उपाय हो सकते हैं। वैवाहिक आयु में वृद्धि करना एक सहज उपाय है। बाल – विवाहों पर कठोर नियंत्रण होना चाहिए। दूसरा उपाय, संतति – निग्रह अर्थात् छोटा परिवार है। परिवार नियोजन के अनेक उपाय आज उपलब्ध हैं।
तीसरा उपाय, राजकीय सुविधाएँ केवल परिवार नियोजन का पालन करने वालों तक सीमित करना है। परिवार नियोजन अपनाने वाले व्यक्तियों को वेतन वृद्धि देकर, पुरस्कृत करके तथा नौकरियों में प्राथमिकता देकर भी जनसंख्या नियंत्रण को प्रभावी बनाया जा सकता है। इनके अतिरिक्त शिक्षा का प्रसार तथा धार्मिक और सामाजिक नेताओं का सहयोग भी जनसंख्या नियंत्रण में सहायक हो सकता है।
उपसंहार – जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि, खतरे की घंटी है। यह विस्फोटक बनकर राष्ट्र के कुशल – क्षेम को निगल जाय, उससे पहले ही इस समस्या का गम्भीरता से निराकरण होना चाहिए। आज संसार में संख्या – बल नहीं, अर्थ और बुद्धि – बल से ही सफलता प्राप्त होती है। भारत को एक समृद्ध और शक्ति – सम्पन्न राष्ट्र बनाने के लिए जनसंख्या की असीमित वृद्धि को यथाशीघ्र नियंत्रित करना चाहिए।
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