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RBSE 12th Hindi Compulsory Model Paper Set 3 with Answers

April 4, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Hindi Model Papers Set 3 with Answers provided here.

RBSE Class 12 Hindi Compulsory Model Paper Set 3 with Answers

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

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खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न

निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –

किसान का जीवन बनाने में हो भारत का सर्वोदय है। भारत का किसान देखभाल कर चलने वाला है। वह सदियों से अपना काम चतुराई से करता आ रहा है। वह परिश्रमी है। खेत में जब उतरता है, तो कड़ी धूप में भी सिर पर चादर रखकर वह डटा रहता है। वह स्वभाव से मितव्ययी है। उसे बुद्ध या पुराणपंथी कहना अपनी आँखों का अंधापन है। भारतीय किसान को उसकी भाषा में जब कोई अच्छी बात बताई जाती है, तब वह उसे चाव से सीखता है और अपनाने की कोशिश करता है। भारतीय किसान शरीर से सुदृढ़ और मन से क्षमाशील है। सन्तोष और परिश्रम में भारतीय किसान संसार में सब से ऊपर है। उसके सद्गुणों की प्रशंसा करनी चाहिए। फूस के छप्परों के घरों में रहना दोष नहीं है। किसान ने जान-बूझकर ऐसे घर चुने हैं। वह अपने घर को बाँस और बल्लियों के ठाठ से, अपने ही जंगल की घास और अपने ही ताल की मिट्टी से बनाई हुई कच्ची ईंटों से बनाता है। इसमें एक बड़ा लाभ यह है कि किसान बाहरी जगत का मुँह नहीं ताकता। वह अपने ही क्षेत्र में स्वावलम्बी बन जाता है।

आत्मनिर्भरता भारतीय किसान के जीवन की कुंजी है।

(i) भारतीय किसान का उल्लेखनीय गुण है
(अ) रूढ़िवादिता एवं दूरदर्शिता
(ब) ऋतुओं की प्रकृति का ज्ञाता
(स) अपनी चादर के अनुसार पैर पसारने वाला
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।
उत्तर :
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।

(ii) भारतीय किसान किस बात में संसार में सबसे ऊपर है ?
(अ) अशिक्षा एवं परम्परावाद में
(ब) सात्विकता एवं पवित्रता में
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में
(द) गरीबी एवं कर्मठता में।
उत्तर :
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में

(ii) भारतीय किसान को स्वावलम्बी कैसे कहा जा सकता है ?
(अ) आत्मनिर्भरता के कारण
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है
(स) अपना जलसंसाधन पैदा करता है
(द) अपने खेतों को स्वयं जोतता, खोदता और निराता है।
उत्तर :
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है

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(iv) ‘मितव्ययी’ का शाब्दिक अर्थ है
(अ) मित्रों से उधार लेने वाला
(ब) कम खर्च करने वाला
(स) थोड़ा-थोड़ा सनकी
(द) अधिक खर्च करने वाला।
उत्तर :
(ब) कम खर्च करने वाला

(v) नीचे दिए गए शीर्षकों में से उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(अ) भारतीय किसान
(ब) आत्मनिर्भर
(स) स्वावलम्बी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) भारतीय किसान

(vi) भारतीय किसान के जीवन की कुंजी है
(अ) हल और बैल
(ब) साहूकार
(स) आत्मनिर्भरता
(द) परतंत्रता
उत्तर :
(स) आत्मनिर्भरता

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निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तरपुस्तिका में लिखिए –

मन-दीपक निष्कंप जलो रे।
सागर की उत्ताल तरंगें
आसमान को छू-छू जाएँ
डोल उठे डगमग भूमण्डल
अग्निमुखी ज्वाला बरसाए
धूमकेतु बिजली की द्युति से
धरती का अन्तर हिल जाए।
फिर भी तुम जहरीले फन को
कालजयी बन उसे दलो रे!
कदम-कदम पर पत्थर, काँटे
पैरों को छलनी कर जाएँ
श्रांत-क्लांत करने को आतुर
क्षण-क्षण में जग की बाधाएँ
मरण-गीत आकर गा जाएँ
दिवस-रात आपद-विपदाएँ।
फिर भी तुम हिमपात-तपन में
बिना आह. चुपचाप चलो रे।
कालकूट जितना हो पी लो
दर्द, दंश दाहों को जी लो
जीवन की जर्जर चादर को
अटल नेह साहस से सी लो
आज रात है तो कल निश्चय
अरुण हँसेगा, खुशियाँ ले लो
आकुल पाषाणी अन्तर से
निर्झर-सा अविराम ढलो रे!
जन-हिताय दिन-रात गलो रे!

(vii) निरन्तर चलने की प्रेरणा कवि किस उद्देश्य से दे रहा है ?
(अ) संघर्ष करने के लिए
(ब) आत्मसन्तोष के लिए
(स) समाज के हित के लिए
(द) बाधाओं को हटाने के लिए।
उत्तर :
(स) समाज के हित के लिए

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(viii) कविता में बाधाओं के लिए कई प्रतीक आए हैं, निम्न में से कौन-सा विकल्प बाधाओं के लिए नहीं आया है?
(अ) पत्थर
(ब) काँटे
(स) कालकूट
(द) निर्झर।
उत्तर :
(द) निर्झर।

(ix) ‘निर्झर-सा अविराम ढलो रे’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
(अ) झरना निरन्तर बहता रहता है
(ब) अविराम ढलना ही झरने की आदत है
(स) झरने के समान निरन्तर जनहित के लिए प्रयत्नशील रहो
(द) झरने के समान हमें भी अविराम बहना चाहिए।
उत्तर :
(ब) अविराम ढलना ही झरने की आदत है

(x) ‘जीवन की जर्जर चादर को पंक्ति में निहित अलंकार है
(अ) उत्प्रेक्षा
(ब) यमक
(स) श्लेष
(द) रूपक।
उत्तर :
(द) रूपक।

(xi) उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है
(अ) निर्झर
(ब) भूमण्डल
(स) अविराम बहना
(द) जग-हित को समर्पित जीवन।
उत्तर :
(द) जग-हित को समर्पित जीवन।

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(xii) अमृत का विपरीतार्थक पद्यांश में आया है
(अ) कालकूट
(ब) विष
(स) अमी
(द) हलाहल
उत्तर :
(अ) कालकूट

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जिसके और टुकड़े नहीं हो सकते।
उत्तर :
वर्ण

(ii) उर्दू भाषा लिपि में लिखी जाती है।
उत्तर :
फारसी

(iii) “प्रात:कालीन भ्रमण स्वास्थ्य के लिए उपयोगी है।” वाक्य में शब्द शक्ति है।
उत्तर :
अभिधा

(iv) शब्द का कल्पना आधारित अर्थ निकले तथा जो अभिधेय अर्थ और लक्ष्यार्थ से परे हो, वह शक्ति है।
उत्तर :
व्यंजना

(v) विपति भए धन ना रहै, रहै जो लाख करोर। नभ तारे दिपि जात हैं, ज्यों रहीम भए भोर। पंक्ति में अलंकार है।
उत्तर :
उदाहरण

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(vi) “काली घणी कुरूप, कस्तूरी काँटा तुलै”। काव्य पंक्ति में ‘क’ वर्ण की होने से अलंकार है।
उत्तर :
आवृत्ति, अनुप्रास

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :एक पंक्ति में दीजिए –

(i) निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए –
A. Demi official,
B. Rehabiliation
उत्तर :
A. अर्ध शासकीय,
B. पुनर्वास।

(ii) ‘यादृच्छिक’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर :
Random

(ii) ‘चौक की चाँदनी दाएँ-बाएँ भूखी-की-भूखी फैली रह जाती है’ – कहने का लेखक का तात्पर्य क्या है?1
उत्तर :
भगत जी चाँदनी-चौक बाजार में पंसारी की दुकान पर जाकर अपनी आवश्यकता की चीजें – काला नमक और जीरा खरीदते हैं। चाँदनी चौक का समस्त आकर्षण भगत जी के लिए बेकार रहता है।

(iv) आलेख’ किन विषयों पर लिखे जाते हैं?
उत्तर :
आलेख किसी ज्वलंत समस्या, तत्कालीन घटनाक्रम, महत्वपूर्ण व्यक्तियों तथा प्रसिद्ध विषयों के बारे में लिखे जाते हैं।

(v) “अकेलापन अथवा एकान्त मनुष्य को योग्य बनाता है।” ‘जूझ’ कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
एकान्त में मनुष्य की एकाग्रता बढ़ जाती है और वह अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाता है।

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(vi) ‘सिल्वर वैडिंग’ पर भूषण ने अपने पिता को क्या उपहार दिया?
उत्तर :
‘सिल्वर वैडिंग’ पर भूषण ने अपने पिता को उपहार में ऊनी ड्रेसिंग गाउन दिया।

(vi) पढ़ाई के लिए जूझ’ का लेखक अपनी माँ के साथ किसके पास गया?
उत्तर :
पढ़ाई के लिए लेखक अपनी माँ के साथ दत्ताजी राव के पास गया।

(vii) क्या पीढ़ी के अन्तराल’ को सिल्वर वैडिंग कहानी की मूल संवेदना कहा जा सकता है ?
उत्तर :
कहानीकार ने सिल्वर वैडिंग को आधार बनाकर दो पीढ़ियों के विचार-भेद का चित्रण किया है। अतः पीढ़ी अन्तराल को कहानी की मूल संवेदना मानना अनुचित नहीं है।

(ix) ‘जूझ’ लेखक की कक्षा के मॉनीटर का नाम क्या था?
उत्तर :
लेखक की कक्षा के मॉनीटर का नाम वसंत पाटील था।

(x) गजानन माधव मुक्तिबोध’ की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
रचनाएँ-

  • चाँद का मुँह टेढ़ा है,
  • भूरी-भूरी खाक।

(xi) रजिया सज्जाद जहीर का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
लेखिका रजिया सज्जाद जहीर का जन्म 15 फरवरी, सन् 1917, अजमेर (राजस्थान) में हुआ था।

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खण्ड – (ब)

निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 4.
मुद्रित माध्यम के लेखक और पत्रकारों को क्या सावधानी रखनी पड़ती है ?
उत्तर :
मुद्रित माध्यम के लेखक और पत्रकारों को अपने पाठकों के भाषा ज्ञान, शैक्षिक योग्यता तथा रुचियों का ध्यान रखना पड़ता है। उनको प्रकाशन के लिए प्राप्त सामग्री की समय-सीमा के प्रति भी सावधान रहना होता है। उनको सामग्री की शब्द-सीमा का भी ध्यान रखना होता है। उन्हें प्रकाशित सामग्री को छापने से पूर्व शुद्ध करने में पूरी सावधानी रखनी होती है। लेखन में तारतम्य और स्वाभाविक प्रवाह बनाये रखना भी जरूरी होता है।

प्रश्न 5.
हिन्दी में नेट पत्रकारिता के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
हिन्दी में नेट पत्रकारिता ‘बेब दुनिया’ के साथ शुरू हुई। इंदौर के नयी दुनिया समूह से शुरू हुआ यह पोर्टल हिन्दी का सम्पूर्ण पोर्टल है। ‘जागरण’, ‘अमर उजाला’, ‘हिन्दुस्तान’, ‘राजस्थान पत्रिका’, ‘भाष्कर’ आदि ने विश्व जाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है। इनके वेब संस्करण शुरू हुये। ‘प्रभासाक्षी’ नामक अखबार प्रिंट रूप में न होकर केवल इंटरनेट पर ही उपलब्ध है।

प्रश्न 6.
‘खाद्य-पदार्थों में मिलावट’ विषय पर एक आलेख लिखिए।
उत्तर :
बाजार में आज कोई भी वस्तु शुद्ध नहीं मिलती। प्रत्येक वस्तु में किसी-न-किसी वस्तु की मिलावट पाई जाती है। आज हर वस्तु नकली तथा मिलावटी मिलती है। दूध में पानी, घी में डालडा या चर्बी, धनिये में घोड़े की लीद, चाय पत्ती में चमड़े की कतरन, काली मिर्च में पपीते के बीज, मसालों में पत्थर का चूरा आदि तो पहले भी मिलाये जाते थे अब तो रसायनों का प्रयोग करके सिंथेटिक दूध, घी, खोया तथा अन्य खाद्य पदार्थ तैयार किये जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक होते हैं। शासन प्रशासन और जनता को मिलकर ही इस समस्या या समाधान करना होगा।

प्रश्न 7.
‘सहा नहीं जाता है/नहीं सहा जाता है।’ इन पंक्तियों को दुहराकर कवि ने क्या मनोभाव व्यक्त किया है ? 2
उत्तर :
कवि ने इन पंक्तियों में यह स्पष्ट किया है कि प्रियतम के प्रेमदान की अधिकता अब उसको सहन नहीं हो रही। प्रियतम के व्यक्तित्व का निरन्तर छाया उजाला उसे असह्य हो गया है। उसकी चमक कवि की आँखों में चुभने लगी है। वह पराश्रित-सा हो गया है। अपने इस मनोभाव पर जोर डालने के लिए ही कवि ने इस पंक्ति को दुहराया है।

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प्रश्न 8.
‘किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं’-इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।
उत्तर :
शायर अपनी खराब किस्मत का रोना रोता है तो उसकी किस्मत भी माथा ठोकती है कि वह किसके पाले पड़ गई। दोनों ही एक-दूसरे से असंतुष्ट हैं। उनमें आपस में तनातनी का रिश्ता है। यह तना-तनी कभी भी खत्म नहीं होने वाली है क्योंकि शायर और उसकी किस्मत का साथ भी कभी टूटने वाला नहीं है।

प्रश्न 9.
सर्वग्रासी काल की मार से बचते हुए वही दीर्घजीवी हो सकता है, जिसने अपने व्यवहार में जड़ता छोड़कर नित बदल रही स्थितियों में निरन्तर अपनी गतिशीलता बनाए रखी है। ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर :
महाकाल लगातार जीवों को मार रहा है। जो प्रबल जीवन-इच्छा वाले हैं, उनका काल से संघर्ष निरन्तर चल रहा है। जीर्ण और दुर्बल झड़ रहे हैं। अपने व्यवहार की जड़ता को त्यागकर नित्य बदल रही परिस्थिति के अनुरूप अपने स्वयं को ढालकर निरन्तर गतिशील रहने वाला ही काल की मार से बच सकता है। परिवर्तन ही जीवन है।

प्रश्न 10.
“भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना स्त्री के मानवाधिकार को कुचलने की परम्परा का प्रतीक है।” इस कथन पर तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
पुरुषों की तरह स्त्रियों को भी अपनी पसंद का जीवन-साथी चुनने का अधिकार है, लेकिन पंचायत ने भक्तिन की बेटी पर आवारा तीतरबाज युवक को पति के रूप में थोप दिया। यह कोई परिस्थितिवश होने वाली घटना नहीं थी। यह पुरुष प्रधान समाज द्वारा स्त्री के मानवाधिकार को कुचलने का षड्यंत्र था। स्त्रियों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करने की यह परम्परा सदियों से चली आ रही है।

प्रश्न 11.
लेखक परिश्रम के बल पर अपना जीवन ऊपर उठाता है-‘जूझ’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
लेखक एक खेतिहर किसान का बेटा है। वह खेत में पानी लगाता है, कोल्हू पेरने में पिता की मदद करता है, भैंस चराता है। ये सभी कार्य खेती में उसके परिश्रम को दर्शाते हैं। स्कूल में पढ़ाई का अवसर मिलने पर इसी परिश्रम के बल पर वह कक्षा में अग्रणी स्थान बनाता है। अध्यापक की प्रेरणा पाकर और कठोर परिश्रम करके एक अच्छा कवि बन जाता है। इससे सिद्ध होता है कि परिश्रम और लगन से एक साधारण व्यक्ति भी महान बन सकता है।

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प्रश्न 12.
किशनदा के चरित्र का कौन-सा पक्ष आपको सबसे अधिक प्रभावित करता है और क्यों? तर्क सहित बताइए।
उत्तर :
किशनदा के मन में पहाड़ी लोगों के प्रति सहानुभूति और सद्भाव था। पहाड़ी गाँवों से आने वाले बेरोजगार नवयुवकों को ठहरने का स्थान देना, उनके भोजन आदि की व्यवस्था करना और फिर अपने प्रभाव से उन्हें किसी सरकारी नौकरी में नियोजित करना उनका एक महत्वपूर्ण कार्य था। हम उनके चरित्र की इस महानता को सदैव याद रखेंगे।

खण्ड – (स)

निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :लगभग 250 शब्दों में दीजिए-

प्रश्न 13.
दूरदर्शन पर कार्यक्रम का संचालक अपाहिज से बार-बार प्रश्न क्यों पूछता है ? वह क्यों चाहता है कि वह अपना दुख बताए ?
अथवा
फिराक की रुबाइयों में हिन्दी, उर्दू और लोकभाषा का आकर्षक पुट लगाया गया है। सोदाहरण बताइए।3
उत्तर :
दूरदर्शन पर जो कार्यक्रम दिखाया जा रहा है, उसकी सफलता अपाहिज व्यक्ति द्वारा प्रश्नों का उत्तर देने तथा पीड़ा से आहत होकर रो पड़ने में है। दूरदर्शन पर अपाहिज को पेश करके उसके दुख के बारे में पूछा जाता है। आयोजक चाहता है कि प्रश्न पूछने से अपनी पीड़ा से आहत होकर वह अपाहिज फूट-फूट कर रोने लगे। वह दर्शकों से आशा करता है कि वे भी अपाहिज की पीड़ा से व्याकुलं होकर रोने लगे।

तभी उसका कार्यक्रम सफल माना जायेगा। उसे रोता देखकर दर्शकों की आँखें भी आँसुओं से भर उठेंगी। इस प्रकार यह करुण दृश्य अत्यन्त प्रभावशाली बन पड़ेगा। कार्यक्रम की सफलता पर दर्शक बढ़ेंगे, चैनल को विज्ञापन प्राप्त होंगे तथा खूब आर्थिक लाभ होगा।

प्रश्न 14.
नमक ले जाने के बारे में सफ़िया के मन में उठे द्वन्द्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा नेताओं और कुछ पुराने व्यक्तियों की अधिकार लिप्सा पर किए गए व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। 3
उत्तर :
सफ़िया का अन्तर्द्वन्द्व-सिख बीबी को अपनी माँ का हमशक्ल पाकर उसके प्रति सफ़िया के मन में मातृभाव उत्पन्न हो गया। उसने सफ़िया से पाकिस्तान से थोड़ा नमक लाने की इच्छा व्यक्त की। सफ़िया ने उसे पूरा करने का निश्चय कर लिया परन्तु पाकिस्तान से भारत नमक लाना कानून के विरुद्ध था।

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सफ़िया अपने निश्चय पर दृढ़ थी। उसने सोचा वह नमक तो अवश्य ले जाएगी। भले ही चोरी से ले जाना पड़े। उसने नमक की पुड़िया फलों की टोकरी में छिपा दी परन्तु उसे यह विचार उचित न लगा। वह प्रेम की सौगात को चोरी से नहीं ले जाना चाहती थी। उसने उसे दिखाकर ले जाने का निश्चय किया।

उसको विश्वास था कि कस्टम वाले भी मनुष्य होते हैं तथा मोहब्बत और मानवता की भावनाएँ उनके दिल में भी होती हैं। चारित्रिक विशेषताएँ- नमक भारत ले जाने न ले जाने अथवा चोरी से या कह-सुनकर ले जाने के विषय में जो द्वन्द्व सफ़िया के मन में उठे हैं, उनका कारण सफ़िया का उदार तथा साम्प्रदायिक भावनाओं से अप्रभावित होना है। उसके मन में मानवीयता, मोहब्बत और अपनेपन की भावना भरी हुई है।

उसको कस्टम वालों की भी इंसानियत पर पूरा विश्वास है। वह कानून को इंसानियत और मुहब्बत से ऊपर नहीं मानती। अपने विश्वास से वह दोनों देशों के कस्टम अधिकारियों को प्रभावित करने में सफल होती है। सफ़िया अपने वायदे की पक्की है और उसे पवित्र साधनों से ही पूरा भी करती है।

प्रश्न 15.
यशोधर बाबू की पत्नी उनकी अपेक्षा अधिक प्रगतिशील है। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 3
अथवा
लेखक आनंद यादव संघर्ष करके जीवन को ऊँचा बनाता है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं? प्रमाण सहित सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
यशोधर बाबू की पत्नी अपने पुत्रों एवं पुत्री की भावना का ध्यान रखते हुए शीघ्र ही नई जीवन पद्धति को अपना लेती हैं। वह बिना बाँह का ब्लाउज पहनती, होठों पर लाली रचाती, ऊँची ऐड़ी की सैंडिल पहनती हैं। यद्यपि वह मूल संस्कारों से ग्रामीण हैं लेकिन अपनी पुत्री के समझाने पर वह आधुनिकता अपना लेती हैं। इसके विपरीत यशोधर बाबू पुराने विचारों से चिपके रहते हैं। नए परिवर्तन उनको भारतीय संस्कृति के लिए हानिकारक लगते हैं।

अपने ही विचारों के कारण उनका अपने बच्चों से टकराव होता रहता है। वह किशनदा के प्रभाव में आकर उनके आदर्शों का ही पालन करते रहते हैं। अपने परिवार के अनुरूप अपने आपको नहीं ढाल पाते। निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि यशोधर बाबू की पत्नी आधुनिक जीवन-शैली अपनाकर अपनी प्रगतिशीलता सिद्ध कर देती है जबकि यशोधर स्वयं रूढ़िवादी संस्कारों के ही बने रहते हैं।

प्रश्न 16.
आलोक धन्वा का कवि परिचय दीजिए।
अथवा
हजारी प्रसाद द्विवेदी का लेखक परिचय दीजिए।
उत्तर :
कवि आलोक धन्वा का जन्म सन् 18 ई. बिहार राज्य के मुंगेर में हुआ था। सा. आठवें दशक में कवि आलोक धन्वा ने त छोटी अवस्था में अपनी गिनी-चुनी कांवताओं से अपार लोकप्रियता अर्जित की। सन् 1972-1973 में प्रकाशित इनकी आरंभिक कविताएँ हिन्दी के काव्य प्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोक धन्वा ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया।

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सन् 72 से लेखन आरंभ करने के बाद उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य संग्रह सन् 1998 में प्रकाशित हुआ। आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं-जनता का आदमी, गोली दागते पोस्टर, कपड़े के जूते, भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ दुनिया रोज बनती है। आलोक धन्वा को साहित्यिक क्रियाकलापों के लिए राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, पहल सम्मान आदि पुरस्कार प्राप्त हुए।

खण्ड-(द)

प्रश्न 17.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(2 + 4 = 6)

सबसे तेज बौछारें गयीं भादों गया सवेरा हुआ.खरगोश की आँखों जैसा लाल सवेरा डैस्कवर्क हिन्दी (अनिवार्य), कक्षा-12 शरद आया पुलों को पार करते हुए अपनी नयी चमकीली साइकिल तेज चलाते हुए घण्टी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर से चमकीले इशारों से बुलाते हुए पतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड को चमकीले इशारों से बुलाते हुए और आकाश को इतना मुलायम बनाते हुए कि पतंग ऊपर उठ सके दुनिया की सबसे हलकी और रंगीन चीज़ उड़ सके दुनिया का सबसे पतला कागज उड़ सके बाँस की सबसे पतली कमानी उड़ सके कि शुरू हो सके सीटियों, किलकारियों और तितलियों की इतनी नाजुक दुनिया हैं
अथवा
आबो-ताब अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं ऐसे में तू याद आए है अंजुमने-मय में रिंदों को रात गए गर्दू पै फ़रिश्ते बाबे-गुनह जग खोले हैं
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित कवि आलोक धन्वा की कविता ‘पतंग’ से लिया गया है। कवि यहाँ वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद ऋतु के प्रारंभ का वर्णन प्रतीकों के माध्यम से कर रहा है।

व्याख्या-कवि कहता है कि वर्षा ऋतु समाप्त हो गई है। भादों के महीने का अन्त हो रहा है। अब तेज बौछारें गिरने की सम्भावना नहीं है। आकाश से बादल हट जाने से अब सवेरा अधिक चमकीला तथा प्रकाश से परिपूर्ण दिखाई दे रहा है। वह खरगोश की आँखों की तरह लाल है। वर्षा के पानी से भरे नदी-नालों को पुल से पार करके शरद ऋतुरूपी बालक अपनी नई चमकदार साइकिल को तेज दौड़ते हए जोर-जोर से घण्टी बजाते हुए अपने आगमन की सूचना देता हुआ आ पहुँचा है।

यहाँ साइकिल प्रकाशपूर्ण दिन तथा स्वच्छ आकाश का प्रतीक है। रास्ते स्वच्छ हो गए हैं और उनमें भरा पानी और कीचड़ सूख गए हैं। आकाश साफ हो गया है। स्वच्छ आकाश में पतंग उड़ाने के लिए संकेत के साथ यह बालक अन्य बच्चों को बुला रहा है। वह जानता है कि स्वच्छ आकाश में पतंग खूब ऊँची उड़ेगी। पतंग रंगीन और पतले कागज से बनी है। उसमें बाँस की पतली लचीली खपच्ची लगी है। वह बहुत हल्की है।

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जब यह पतंग आकाश में उड़ेगी तो बच्चे खुशी से चिल्लाएँगे तथा सीटियाँ बजाएँगे। आकाश में उड़ती हुई रंग-बिरंगी पतंगें तितलियों के समान प्रतीत होंगी।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (2 + 4 = 6)

रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकार कर चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस ख्याल से ढोलक बजाता हो, किंतु गाँव के अर्द्धमृत, औषधि-उपचार-पथ्य-विहीन प्राणियों में वह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बूढ़े-बच्चे-जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन-शक्ति-शून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। अवश्य ही ढोलक की आवाज़ में न तो हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।
अथवा
शास्त्र का प्रश्न भी भक्तिन अपनी सुविधा के अनुसार सुलझा लेती है। मुझे स्त्रियों का सिर घुटाना अच्छा नहीं लगता, अतः मैंने भक्तिनं को रोका। उसने अकुंठित भाव से उत्तर दिया कि शास्त्र में लिखा है। कुतूहलवश मैं पूछ ही बैठी-‘क्या लिखा है ? तुरंत उत्तर मिला-‘तीरथ गए मुँडाए सिद्ध।’ कौन-से शास्त्र का यह रहस्यमय सूत्र है, ‘यह जान लेना मेरे लिए संभव ही नहीं था। अतः मैं हारकर मौन हो रही और भक्तिन का चूडाकर्म हर बृहस्पतिवार को, एक दरिद्र नापित के गंगाजल से धुले उस्तरे द्वारा यथाविधि निष्पन्न होता रहा।
उत्तर :
सन्दर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह भाग-2’ में संकलित पाठ ‘पहलवान की ढोलक’ से लिया गया है। इसके लेखक फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। प्रसंग-इस अंश में लेखक रात्रि होने पर गाँव की डरावनी दशा का वर्णन कर रहा है। सूरज डूबते ही लोग अपनी झोंपड़ियों में घुस जाते थे।

सारे गाँव को चुप्पी घेर लेती थी। लोगों की बोली भी नहीं निकलती थी। उस सन्नाटे भरी रात में लोगों का एक ही सहारा था। पहलवान की ढोलक से निकली ध्वनि ही उन्हें जिन्दा रखती थी। उस ढोलक की , वनि में एक ललकार थी, मृत्यु को एक चुनौती थी।

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व्याख्या-लुट्टन शाम से सुबह तक ढोलक बजाता रहता था। उसका ढोलक बजाने के पीछे जो भी भाव रहा हो लेकिन ढोलक की वह ध्वनि गाँव के अधमरे, दवाई-इलाज और पथ्य से रहित प्राणियों में वह जीवन भर देती थी। उस ध्वनि को सुनकर गाँव के बूढ़े, बच्चे और नौजवान लोगों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का वही दृश्य नाचने लगता था।

उनकी सुन्न पड़ गई नाड़ियों में बिजली-सी दौड़ने लगती थी। ढोल की उस आवाज से न तो बुखार हट सकता था और न महामारी की विनाशक शक्ति रुक सकती थी। परन्तु इतना निश्चित था कि मरते हुए प्राणियों को मरते समय कोई कष्ट नहीं होता था। वे लोग मृत्यु से डरते नहीं थे।

प्रश्न 19.
जिला कलक्टर, भरतपुर की ओर से रजिस्ट्रार, रसद विभाग, जयपुर को एक अर्द्धशासकीय पत्र लिखिए, जिसमें सरकारी राशन की दुकानों पर होने वाली अनियमितताओं के संबंध में उचित कार्रवाई करने का आग्रह हो।
अथवा
उपशासन सचिव उद्योग विभाग राजस्थान सरकार की ओर से खादी ग्रामोद्योग हेतु एक अधिसूचना जारी कीजिए।
उत्तर :

राजस्थान सरकार
उद्योग विभाग
जयपुर

क्रमांक खा.ग्रा. 202

दिनांक 7 जून 20_ _

अधिसूचना

खादी ग्रामोद्योग द्वारा खादी को आधुनिक रुचि के अनुरूप और लोकप्रिय बनाने के लिए सफल प्रयास किए गए हैं। अतः सभी जिला कलेक्टरों से आशा की जाती है कि वे अपने अधीनस्थ विभागों तथा जनता में खादी के प्रयोग को प्रोत्साहित करेंगे।

प्रतिलिपि सूचनार्थ

  • सभी सचिव/विभागाध्यक्ष, राज. सरकार, जयपुर।
  • समस्त जिला कलक्टर

ह°
(क, ख, ग)
प्रशासन सचिव

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प्रश्न 20.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द)
(1) मतदाता जागरण अभियान
(2) विज्ञान वरदान या अभिशाप
(3) बढ़ती महँगाई : दुखद जीवन
(4) राजस्थान और पर्यटन की संभावनाएँ
उत्तर :
राजस्थान और पर्यटन की संभावनाएँ

संकेत बिंदु-

  • प्रस्तावना,
  • पर्यटनमानचित्र पर राजस्थान,
  • राजस्थान के पर्यटन-स्थल,
  • उपसंहार।

प्रस्तावना-महापंडित राहुल सांकृत्यायन कहते हैं कि ‘मनुष्य एक जंगम प्राणी है’। अपने आविर्भाव के आदिचरण से ही मानव की प्रकृति घुमक्कड़ी की रही है। इसके पीछे अनेक कारण रहे हैं। आज ‘पर्यटन’ शब्द का एक विशेष अर्थ में प्रयोग हो रहा है। पर्यटन अब केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं है अपितु संसार के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था ही पर्यटन पर आधारित हो गई है।

पर्यटन-मानचित्र पर राजस्थान-यों तो भारत के अनेक प्रदेश अपने प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधता के कारण पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं, किन्तु राजस्थान का इस क्षेत्र में अपना ही महत्त्व है। भारत के पर्यटन-मानचित्र पर राजस्थान का स्थान किसी अन्य प्रदेश से कम नहीं है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने के कारण, आज राजस्थान ने भारत के पर्यटन-मानचित्र पर अपनी महत्त्वपूर्ण उपस्थिति को प्रमाणित कर दिया है।

राजस्थान के पर्यटन स्थल-राजस्थान के पर्यटन स्थलों को प्राकृतिक, वास्तु – शिल्पीय तथा धार्मिक वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

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(i) प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में भरतपुर का घना पक्षी विहार प्रमुख है। यहाँ शीत ऋतु में साइबेरिया जैसे अतिदूरस्थ स्थलों से हजारों पक्षी प्रवास के लिए आते हैं। पक्षी-प्रेमियों ‘ और पर्यटकों के लिए यह सदैव ही आकर्षण का केन्द्र रहा है। सरिस्का तथा रणथम्भौर का बाघ अभयारण्य भी महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल रहा है। अब राजस्थान सरकार इसे पुनः नवजीवन प्रदान करने में रुचि ले रही है। इसके अतिरिक्त राजस्थान की अनेक प्राकृतिक झीलों तथा गिरिवन भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। गल्ताजी, पुष्कर, जयसमन्द, राजसमन्द आदि उल्लेखनीय झीलें। हैं।

(ii) वास्तुशिल्पीय पर्यटन स्थलों में राजस्थान में महल, दुर्ग और मन्दिर आते हैं। जैसलमेर, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि के राजभवन उल्लेखनीय हैं। राजस्थान में दुर्गों की भी दर्शनीय शृंखला है। इनमें जयपुर का नाहरगढ़, सवाई माधोपुर का रणथम्भौर, जैसलमेर का सोनार दुर्ग, बीकानेर का जूनागढ़, भीलवाड़ा ‘का माण्डलगढ़ चित्तौड़गढ़ आदि पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थान के मन्दिर भी वास्तुशिल्प के अद्भुत नमूने हैं।

वाड़ौली मन्दिर, ओसियाँ का मन्दिर, अपूर्णा का मन्दिर, रणकपुर का जैन मन्दिर और मन्दिरों का सिरमौर आबू स्थित दिलवाड़ा के जैन मन्दिर आदि हैं। इनके अतिरिक्त चित्तौड़गढ़ स्थित कीर्तिस्तम्भ राजस्थान की पर्यटनीय कीर्ति का प्रमाण है। अजमेर की ख्वाजा साहब की दरगाह का भी पर्यटन की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। राजस्थान की अनेक प्राचीन हवेलियाँ भी दर्शनीय हैं।

उपसंहार-पर्यटन ने राजस्थान को विश्व के मानचित्र पर महत्त्वपूर्ण स्थान दिलाया है। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक राजस्थान आते हैं। इनसे राज्य को ख्याति के अतिरिक्त उल्लेखनीय राजस्व भी प्राप्त होता है। पर्यटन-विभाग एवं राजस्थानवासियों के सहयोग से इस दिशा में श्रेय और प्रेय दोनों की सिद्धि हो सकती है।

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