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RBSE Class 12 Hindi Compulsory Model Paper Set 6 with Answers
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पी प्रश्न
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –
दःख के वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनन्द-वर्ग में उत्साह का है। भय में हम प्रस्तुत कठिन स्थिति से विशेष रूप में दुखी और कभी-कभी उस स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान् भी होते हैं। उत्साह में हम आने वाली कठिन स्थिति के भीतर साहस के अवसर के निश्चय द्वारा प्रस्तुत कर्म-सुख की उमंग से अवश्य प्रयत्नवान् होते हैं। उत्साह में कष्ट या हानि सहन करने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्त होने के आनन्द का योग रहता है। साहसपूर्ण आनन्द की उमंग का नाम उत्साह है। कर्म-सौंदर्य के उपासक ही सच्चे उत्साही कहलाते हैं। जिन कर्मों में किसी प्रकार का कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है, उन सबके प्रति उत्कण्ठापूर्ण आनन्द उत्साह के अन्तर्गत लिया जाता है। कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्ध-वीर, दान-वीर, दया-वीर इत्यादि भेद किए हैं। इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्ध-वीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा या मृत्यु की परवाह नहीं रहती। इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यन्त प्राचीनकाल से होता चला आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं। साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता। उसके साथ आनन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कण्ठा का योग चाहिए। सारांश यह है कि आनन्दपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कण्ठा में ही उत्साह का दर्शन होता है, केवल कष्ट सहने में या निश्चेष्ट साहस में नहीं। धृति और साहस दोनों का उत्साह के बीच संचरण होता है।
(i) हम स्वयं को कठिन परिस्थितियों से दूर रखने के लिए प्रयत्नशील होते हैं, जब हम
(अ) धैर्य
(ब) उत्कण्ठा
(स) उत्साह
(द) प्रफुल्लता।
उत्तर :
(द) प्रफुल्लता।
(ii) साहसपूर्ण आनन्द की उमंग का नाम है
(अ) धैर्य
(ब) युद्ध-वीर
(स) दया-वीर
(द) धर्म-वीर।
उत्तर :
(ब) युद्ध-वीर
(iii) साहित्य मीमांसकों ने उत्साह के कई भेद किए हैं, सबसे मुख्य और प्राचीन भेद है-
(अ) दान-वीर
(ब) युद्ध-वीर
(स) दया-वीर
(द) धर्म-वीर।
उत्तर :
(ब) युद्ध-वीर
(iv) ‘साहित्य-मीमांसकों’ में प्रयुक्त समास है-
(अ) बहुब्रीहि
(ब) कर्मधारय
(स) सम्बन्ध तत्पुरुष
(द) द्वन्द्व।
उत्तर :
(स) सम्बन्ध तत्पुरुष
(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है
(अ) उत्साह
(ब) आनन्द
(स) भय
(द) दु:ख।
उत्तर :
(द) दु:ख।
(vi) धृति और साहस दोनों का किसके बीच संचरण होता है?
(अ) धैर्य के
(ब) उत्साह के
(स) उत्कण्ठा के
(द) प्रफुल्लता के
उत्तर :
(ब) उत्साह के
निम्नलिखित अपठित पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –
ऋषि-मुनियों, साधु-सन्तों को
नमन, उन्हें मेरा अभिनन्दन।
जिनके तप से पूत हुई है
भरत देश की स्वर्णिम माटी
जिनके श्रम से चली आ रही
युग-युग से अविरल परिपाटी।
जिनके संयम से शोभित है
जन-जन के माथे पर चंदन।
कठिन आत्म-मंथन के हित
जो असि-धारा पर चलते हैं
पर-प्रकाश हित पिघल-पिघल कर
मोम-दीप-सा जलते हैं।
जिनके उपदेशों को सुनकर
सँवर जाए जन-जन का जीवन
सत्य-अहिंसा जिनके करुणामय है
जिनकी वाणी जिनके चरणों से है पावन
भारत की यह अमिट कहानी।
उनसे ही आशीष, शुभेच्छा,
पाने को करता पद-वंदन।।
(vii) ऋषि-मुनि व साधु-सन्त नमन करने योग्य हैं, क्योंकि
(अ) तप, श्रम एवं संयम का आदर्श प्रस्तुत किया है
(ब) जंगल में रहकर तपस्या करते हैं
(स) उन्होंने धन-संचय नहीं किया है
(द) वे पूज्य होते हैं।
उत्तर :
(अ) तप, श्रम एवं संयम का आदर्श प्रस्तुत किया है
(viii) “असि धारा पर चलते हैं” से क्या आशय है
(अ) तलवार की धार पर चलते हैं
(ब) लोकहित में कष्ट झेलते हैं
(स) कष्टों को बुलाते हैं –
(द) तलवार से कष्टों को हटाते हैं।
उत्तर :
(ब) लोकहित में कष्ट झेलते हैं
(ix) दीपक के समान जलकर वह
(अ) जन-जीवन को सँवारते हैं
(ब) अन्धकार हटाकर उजाला करते हैं
(स) गरीबों का कष्ट दूर करते हैं।
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) जन-जीवन को सँवारते हैं
(x) ‘निरन्तर’ शब्द का समानार्थक पद्यांश से चुनिए
(अ) लगातार
(ब) चलते हैं।
(स) अविरल
(द) चली आ रही।
उत्तर :
(स) अविरल
(xi) उपर्युक्त पद्यांश का शीर्षक है
(अ) हमारे पूजनीय ऋषि-मुनि
(ब) अहिंसा-व्रती
(स) आत्मजयी साधु-सन्त
(द) महापुरुष।
उत्तर :
(अ) हमारे पूजनीय ऋषि-मुनि
(xii) भारत की अमिट कहानी किनके चरणों से पवित्र हुई है
(अ) राजनेताओं के
(ब) ऋषि-मुनियों के
(स) ईश्वर के
(द) सभी के
उत्तर :
(ब) ऋषि-मुनियों के
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(i) हमारे मुँह से निकलने वाली प्रत्येक स्वतंत्र आवाज …………………………………… कहलाती है।
उत्तर :
ध्वनि
(ii) स्वरों और व्यंजनों के संयोग के समय …………………………………… लिपि में मात्राओं का प्रयोग होता है।
उत्तर :
देवनागरी
(iii) कुम्हार बोला-“बेटी, बादल हो रहे हैं।” वाक्य में …………………………………… शब्द शक्ति है।
उत्तर :
व्यंजना
(iv) जिस शब्द शक्ति से व्यंग्यार्थ का बोध होता है, उसे …………………………………… शक्ति कहते हैं।
उत्तर :
व्यंजना
(v) लट-लटकनि मनु मत्त मधुपगन मादक मदहिं पिए। काव्य पंक्ति में …………………………………… अलंकार है।
उत्तर :
उत्प्रेक्षा
(vi) गंगाजल-सा पावन मन है। काव्य पंक्ति में मन की …………………………………… गंगाजल से की गई है। अतः …………………………………… अलंकार है।
उत्तर :
समानता, उपमा।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :एक पंक्ति में दीजिए –
(i) निम्न पारिभाषिक शब्दों के अर्थ लिखिए
A. Commission,
B. Judgement
उत्तर :
A. आयोग,
B. निर्णय।
(ii) ‘अन्वेषण’ शब्द के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए।
उत्तर :
Investigation
(iii) “शिरीष के फूल’ पाठ में लेखक ने कवि होने के लिए किस गुण को आवश्यक माना है?
उत्तर :
“शिरीष के फूल’ पाठ में लेखक ने माना है कि श्रेष्ठ कवि होने के लिए अनासक्त होना आवश्यक है।
(iv) फीचर और समाचार लेखन में एक अन्तर बताइए।
उत्तर :
समाचार-लेखन में सूचना देना आवश्यक होता है, फीचर लेखन में सूचना के साथ मनोरंजन भी जुड़ जाता है।
(v) लेखक आनंद यादव को कवि बनाने में किसका बहुत बड़ा सहयोग था,,
उत्तर :
लेखक को कवि बनाने में मास्टर सौंदलगेकर का बड़ा सहयोग था।
(vi) यशोधर बाबू ने किशनदा के गाँव चले जाने के बाद कौन-कौन सी परम्पराओं का पालन किया था? 1
उत्तर :
घर में होली गवाना, जन्यो पुन्यू के दिन सभी कुमाऊँनियों को जनेऊ बदलने के लिए अपने घर बुलाना, राम लीला की तालीम के लिए क्वार्टर का एक कमरा दे देना आदि परंपराओं का पालन किया।
(vii) शर्त के अनुसार पाठशाला जाने से पहले लेखक को सवेरे कितने बजे तक खेत में काम करना होता था? 1
उत्तर :
लेखक को सवेरे 11 बजे तक खेत में काम करना होता था।
(vii) यशोधर बाबू बिड़ला मंदिर जाकर क्या करते थे?
उत्तर :
बिड़ला मन्दिर जाकर लक्ष्मी नारायण के आगे हाथ जोड़ते, उनके चरणों में पड़े आशीर्वाद के फूलों को उठाकर चुटिया में खोंसते और महात्मा से गीता पर प्रवचन सुनते।
(ix) लेखक आनन्द यादव किशोरावस्था से खेती के बारे में क्या सोचता था?
उत्तर :
लेखक किशोर अवस्था में ही सोचने लगा था कि खेती से व्यक्ति का जीवन-यापन तो हो सकता है लेकिन जीवन का विकास नहीं हो सकता।
(x) आलोक धन्वा की किन्हीं दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
रचनाएँ-
- जनता का आदमी
- गोली दागते पोस्टर।
(xi) जैनेन्द्र कुमार का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
जैनेन्द्र कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद के कौड़ियागंज कस्बे में सन् 1905 में हुआ था।
खण्ड – (ब)
निम्नलिखित लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर :अधिकतम 40 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 4.
इंटरनेट से जुड़ी विशेषताएँ और कमियाँ लिखिए।
उत्तर :
इंटरनेट- विशेषताएँ- चौबीसों घंटे समाचार व सूचनाएँ उपलब्ध, पूरे के पूरे समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, अनेक पुस्तकें इंटरनेट पर उपलब्ध, सभी जानकारियों का स्रोत, संग्रहणीय।
कमियाँ- अश्लीलता, दुष्प्रचार, गंदगी फैलाने का साधन, कीमती माध्यम, सांस्कृतिक प्रदूषण का माध्यम, विश्वसनीयता का अभाव।
प्रश्न 5.
जनसंचार के प्रमुख माध्यम कौन-कौन से हैं ? इन माध्यमों में समाचारों के लेखन और प्रस्तुति में क्या प्रमुख अन्तर है ?
उत्तर :
जनसंचार के प्रमुख माध्यम हैं – प्रिंट, टी.वी, रेडियो और इंटरनेट। इन सभी माध्यमों में समाचार की लेखन शैली और प्रस्तुति में अन्तर है। अखबार पढ़ने के लिए, रेडियो सुनने के लिए और टी.वी. देखने के लिए होता है पर इंटरनेट पर पढ़ने, सुनने और देखने, तीनों की सुविधा है।
प्रश्न 6.
‘सारी समस्याओं की जननी : जनसंख्या वृद्धि’ इस विषय पर एक फीचर लिखिए।
उत्तर :
सारी समस्याओं की जननी : जनसंख्या वृद्धि-आज देश अनेकानेक समस्याओं से जूझ रहा है। गरीबी, बेरोजगारी, महँगाई, अशिक्षा, बढ़ते अपराध, तनाव भरी जिंदगी, असुरक्षा आदि सारी समस्याओं का मूल कारण निरंतर बढ़ती जा रही जनसंख्या है। विकास कार्यों में झोंकी जा रही धनराशि को जनसंख्या वृद्धि निष्फल बना रही है।
विश्व का विशालतम जनतंत्र, भारत महाशक्ति बनने की राह पर आदि बातों पर कुछ क्षण के लिए हम खुश भले होंगे लेकिन एक सौ बीस करोड़ से अधिक लोगों की न्यूनतम आवश्यकताओं को भी पूरा कर पाने के सवाल पर हमारी ‘दृढ़ अर्थव्यवस्था’ और विशाल प्रशासन तंत्र बगलें झाँकने लगता है।
प्रश्न 7.
‘शीतल वाणी में आग’-के होने का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि वह वाणी की कोमलता, मधुरता और शीतलता का पक्षधर है। वह अपनी बात कोमल वाणी में कहता है किन्तु इस कोमल वाणी में उसके हृदय की वेदना छिपी है। यही वह आग है जिसे कवि ने शीतल वाणी के माध्यम से व्यक्त करना चाहा है।
प्रश्न 8.
‘दिशाओं को मृदंग की तरह बजाने तथा पेंग भरने’ से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
तात्पर्य यह है कि छतों पर पतंग उड़ाते समय इधर-उधर भागते बच्चों के पैरों से जो आवाज निकलती है उससे दिशाएँ प्रतिध्वनित हो उठती हैं। ऐसा लगता है कि जैसे दिशाएँ मृदंग हैं, जिन्हें बच्चे बजा रहे हैं। बच्चों के तेजी से दौड़ने को पेंग भरना कहा गया है। झूला झूलने को पेंग भरना कहते हैं। झूले पर झूलने वाला तेजी से ऊपर-नीचे जाता-आता है।
प्रश्न 9.
जीजी के त्याग और दान के विषय में क्या विचार थे? ‘काले मेघा पानी दे’ अध्याय के आधार पर समझाइए।
उत्तर :
जीजी बुद्धिवादी नहीं भावना को महत्त्व देने वाली थी। उनका विचार था कि दान वह होता है जब हम अपनी सबसे प्यारी तथा जिसकी हमें सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है उस वस्तु को किसी को प्रसन्नतापूर्वक देते हैं। अपने पास की अपार धन-सम्पत्ति में से कुछ रुपये किसी को देना दान नहीं है। अपनी सर्वाधिक जरूरत की वस्तु को देना ही त्याग है तथा वही दान भी है।
प्रश्न 10.
ढोलक की आवाज़ का पूरे गाँव पर क्या असर होता था ?
उत्तर :
गाँव में हैजा तथा मलेरिया रोग फैले थे। गाँव में निर्धनता और साधनहीनता इतनी थी कि दवा-इलाज और पथ्य की व्यवस्था न होने से लोग मर रहे थे। ढोलक की आवाज़ लोगों का डर दूर करती थी तथा उनको संघर्ष करते हुए निर्भीक भाव से मरने में सहायक होती थी। पहलवान की ढोलक की आवाज़ गाँव के लोगों के मन में साहस और उत्साह का संचार करती थी।
प्रश्न 11.
लेखक आनंद यादव का मन पढ़ाई में पूरी तरह क्या सोचकर लग गया ?
उत्तर :
लेखक का मन कक्षा में अपने से कम उम्र के बच्चों को देखकर पहले तो पूरी तरह बदल गया, वह पढ़ाई छोड़ना चाहता था लेकिन कक्षा में छोटी उम्र के वसंत पाटील को देखकर उसका मन पढ़ाई में लग गया। वसंत पाटील होशियार था, अतः वही मॉनीटर था। वह घर से पढ़कर आता था। लेखक भी उसकी देखा-देखी घर से पढ़कर आने लगा।
प्रश्न 12.
‘सिल्वर वैडिंग’ के आदर्श पात्र किशनदा की मृत्यु किस प्रकार हुई ? कहानीकार इससे क्या निष्कर्ष देना चाहते हैं ?
उत्तर :
किशनदा हर प्रकार के सद्गुणों से युक्त थे। पहाड़ी लोगों के साथ सद्भाव और सहानुभूति से प्रेरित होकर ही उन्होंने अपना सरकारी क्वार्टर उनके लिए समर्पित कर रखा था। लेकिन सेवा-निवृत्ति (रिटायरमेंट) के बाद उन्हें किसी ने भी अपने यहाँ जगह नहीं दी। सबकी उपेक्षा के कारण मजबूरी में उन्हें अपने गाँव जाकर रहना पड़ा, जहाँ बहुत कम समय में ही उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु का कारण भी किसी ने जानने की कोशिश नहीं की।
खण्ड – (स)
निम्नलिखित दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर :लगभग 250 शब्दों में दीजिए-
प्रश्न 13.
शमशेर बहादुर सिंह की कविता ‘उषा’ नवीन बिम्बों व उपमानों का जीवंत दस्तावेज है।” स्पष्ट करें। 3
अथवा
कवि ने अपने प्रियतम से उसको भूल जाने का दण्ड माँगा है। माँगी गई वस्तु का मिलना वरदान कहलाता है, परन्तु कवि ने इसे दण्ड क्यों कहा है? ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता के आधार पर कथन की विस्तार से विवेचना कीजिए।
उत्तर :
‘उषा’ शमशेर बहादुर सिंह की एक प्रयोगवादी रचना है। कवि ने इसमें सूर्योदय से पहले के भोर के सुन्दर प्राकृतिक दृश्य का चित्रण नवीन बिम्बों तथा प्रतीकों का सहारा लेकर किया है। राख से लीपा हुआ चौका, केसर से धुली काली सिल, लाल खड़िया चाक से मली स्लेट आदि प्रतीक तथा बिम्ब ही कवि के भावों को चित्र के समान सजीव रूप दे रहे हैं।
प्रयोगवादी काव्य शैली में कवियों द्वारा पहले से चले आ रहे बिम्बों तथा उपमानों के स्थान पर सर्वथा नए बिम्बों का प्रयोग किया गया है। ‘उषा’ कविता में भोर का दृश्य प्रस्तुत करने के लिए कवि ने आकाश को नीला शंख, राख से लीपा चौका, लाल केसर से धुली काली सिल, लाल खड़िया से मली हुई स्लेट तथा नीले जल में हिलती किसी की गोरी देह के समान बताया है। ये सभी उपमान नए हैं।
प्रश्न 14.
‘काले मेघा पानी दे’ में लोक प्रचलित विश्वास और विज्ञान के द्वन्द्व का सुन्दर चित्रण है” इस संबंध में अपना मत व्यक्त कीजिए।
अथवा
बाजार का जादू क्या है? इससे बचने का क्या उपाय लेखक ने बताया है?
उत्तर :
‘काले मेघा पानी दे’ – संस्मरण में लेखक ने पुरानी परम्परा का वर्णन किया है। जब वर्षा के अभाव में लोग त्राहि-त्राहि कर उठते थे, पेड़-पौधे सूखने लगते. थे तब इंदर सेना के लड़के बादलों से पानी माँगने गलियों में निकलते थे। लोग उन्हें पानी से तरबतर कर देते थे। लोगों का विश्वास था कि इससे वर्षा होगी। वर्षा होने के बारे में विज्ञान का अपना सिद्धान्त और तर्क है किन्तु जन-विश्वास उससे ऊपर है।
विज्ञान के सफल न होने पर लोग अपने विश्वास के अनुरूप आचरण करने से नहीं चूकते। जन-विश्वास और विज्ञान का यही द्वन्द्व इस संस्मरण का वर्ण्य विषय है। लेखक का तर्कशील मन इसे पानी को बर्बादी मानता है, जबकि जीजी का मानना है कि दान और त्याग द्वारा देवता को प्रसन्न किया जाता है। तर्क बुद्धि से लेखक का मत ठीक लगता है, जबकि आस्था की दृष्टि से जीजी का मत ठीक लगता है।
प्रश्न 15.
“सिल्वर वैडिंग’ कहानी का कथानक पाश्चात्य संस्कृति के अन्धानुकरण एवं बदलते मानवीय मूल्यों पर आधारित है। उक्त कथन की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
अथवा
“इन बातों से मैं सौंदलगेकर मास्टर के बहुत नजदीक पहुँच गया।” लेखक आनंद यादव मास्टर सौंदलगेकर के नजदीक कैसे पहुँचा तथा इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर :
“सिल्वर वैडिंग” मनोहर श्याम जोशी की एक विचारोत्तेजक कहानी है। इसका कथानक पाश्चात्य संस्कृति के अन्धानुकरण एवं बदलते मानवीय मूल्यों पर आधारित है। इसके प्रधान पात्र हैं, यशोधर बाबू। यशोधर पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव और आकर्षण से पूरी तरह मुक्त नहीं हैं, वे उसके समर्थक तो नहीं हैं किन्तु स्पष्ट विरोधी भी नहीं हैं। इस सम्बन्ध। में वह एक द्वन्द्व से घिरे हैं।
कहानी के अन्य पात्र-उनकी पत्नी, पुत्र, पुत्री आदि पाश्चात्य विचारों तथा प्रथाओं के समर्थक हैं। उनकी पुत्री और पत्नी का पहनावा पश्चिमी पहनावे से प्रभावित है। उनकी पत्नी बिना बाँहों का ब्लाउज पहनती है। होठों पर लिपिस्टिक लगाती है, घर से बाहर दालभात खा लेती है।
उनकी पुत्री जींस के साथ बिना बाहों वाला टाप पहनती है। वह डॉक्टरी पढ़ने अमेरिका जाना चाहती है। उनके पुत्रों ने पिता की बिना इच्छा के घर में सभी आधुनिक सामान एकत्र कर लिए हैं। यशोधर भी इनको सामाजिक सम्मान पाने में सहायक मानते हैं।
यशोधर के विवाह की पच्चीसवीं वर्ष गाँठ पर सिल्वर वैडिंग का आयोजन दफ्तर में सहायकों तथा घर पर परिवार के लोगों द्वारा किया जाता है। यशोधर दफ्तर में हुए आयोजन के लिए तीस रुपये तो देते हैं परन्तु इसमें शामिल नहीं होते।
इसी प्रकार घर पर आयोजित पार्टी में यशोधर ने पत्नी के साथ केक तो काटा परंतु अंडा होने के कारण उसे खाया नहीं। उन्होंने अधूरे मन से पार्टी में मजा लिया और भूषण द्वारा लाए गए गाउन को पहना।
प्रश्न 16.
आलोक धन्वा का कवि परिचय लिखिए।
अथवा
धर्मवीर भारती का लेखक परिचय दीजिए।
उत्तर :
कवि आलोक धन्वा का जन्म सन् 1948 ई. बिहार राज्य के मुंगेर में हुआ था। सातवें-आठवें दशक में कवि आलोक धन्वा ने बहुत छोटी अवस्था में अपनी गिनी-चुनी कविताओं से अपार लोकप्रियता अर्जित की। सन् 1972-1973 में प्रकाशित इनकी आरंभिक कविताएँ हिन्दी के काव्य प्रेमियों को जबानी याद रही हैं। आलोक धन्वा ने कभी थोक के भाव में लेखन नहीं किया।
सन् 72 से लेखन आरंभ करने के बाद उनका पहला और अभी तक का एकमात्र काव्य संग्रह सन् 1998 में प्रकाशित हुआ। काव्य संग्रह के अलावा वे पिछले दो दशकों से देश के विभिन्न हिस्सों में सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में अध्ययन-मंडलियों का संचालन किया और रंगकर्म तथा साहित्य पर कई राष्ट्रीय संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों में अतिथि व्याख्याता के रूप में भागीदारी की है।
आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं-जनता का आदमी,। गोली दागते पोस्टर, कपड़े के जूते, भागी हुई लड़कियाँ, ब्रूनो की बेटियाँ दुनिया रोज बनती है। आलोक धन्वा को साहित्यिक क्रियाकलापों के लिए राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान, पहल सम्मान आदि पुरस्कार प्राप्त हुए।
खण्ड -(द)
प्रश्न 17.
निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए –
सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में धुएँ के बादलों में बिलकुल मैं लापता लापता कि वहाँ भी तो तुम्हारा ही सहारा है !! इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है या मेरा जो होता-सा लगता है, होता-सा संभव है सभी वह तुम्हारे ही कारण के कार्यों का घेरा है, कार्यों का वैभव है अब तक तो जिन्दगी में जो कुछ था, जो कुछ है सहर्ष स्वीकारा है, इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है।
अथवा
नहला के छलके-छलके निर्मल जल से उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ में संकलित कवि गजानन माधव मुक्तिबोध’ की कविता ‘सहा नहीं जाता है’ से लिया गया है। इस अंश में कवि दंड के रूप में दूर कहीं पाताली अँधेरी गुफाओं या धुएँ के बादलों में लापता हो जाना चाहता है। कवि अपने वर्तमान को अपनी प्रिया की प्रेरणा ही मानता है।
व्याख्या-कवि अपने अज्ञात प्रिय से निवेदन करता है कि वह उसे दण्ड दे। कवि यह याचना सच्चे मन से कर रहा है। कवि चाहता है कि अपने चारों ओर घिरे हुए प्रियतम के उजाले से मुक्त होकर वह घने अंधकार से भरी पाताली गुफाओं में, सूने अँधेरे बिलों में, दरारों में, घने धुएँ से बने बादलों में लापता हो जाय, गायब हो जाय, छिप जाय। लापता होने पर भी कवि को अपने प्रिय का सहारा रहेगा।
वह अकेलेपन के इस दण्ड को अंधकार में रहकर भी अपने प्रिय की स्मृति के सहारे सरलता से झेल सकेगा। कवि जानता है कि उसका अस्तित्व उसके प्रियतम के कारण ही है। अब तक उसने जीवन में जो कुछ पाया है अथवा जो कुछ उसे अपना होना-सा लगता है अथवा जो कुछ उसका होने की सम्भावना है-वह सब प्रियतम के कारण ही है।
कवि ने जीवन में जो कार्य किए हैं, जिन कामों के लिए वह जाना जाता है, जिन कामों से वह घिरा हुआ है, उन सब कामों का प्रेरणा-स्रोत उसका प्रिय ही है। उसके जीवन में जो कुछ पहले था तथा आज जो भी कुछ उसके पास है, उस सबको उसने प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार किया है क्योंकि कवि की हर उपलब्धि अच्छी या बुरी, सब उसके प्रियतम को प्यारी लगती है।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (2 + 4 = 6)
शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब-कुछ कोमल है ! यह भूल है। इसके फल इतने मजबूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी अपना स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल-पत्ते मिलकर, धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं। वसंत के आगमन के समय जब सारी वनस्थली पुष्प-पत्र से मर्मरित होती रहती है, शिरीष के पुराने फल बुरी तरह खड़खड़ाते रहते हैं। मुझे इनको देखकर उन नेताओं की याद आती है, जो किसी प्रकार ज़माने का रुख नहीं पहचानते और जब तक नई पौध के लोग उन्हें धक्का मारकर निकाल नहीं देते तब तक जमे रहते हैं।।
अथवा
उन्होंने चाय की प्याली सफिया की तरफ खिसकाई और खुद एक बड़ा-सा घुट भरकर बोले, “वैसे तो डाभ कलकत्ता में भी होता है जैसे नमक यहाँ भी होता है, पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है! हमारी जमीन, हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!” उठते वक्त उन्होंने पुड़िया सफ़िया के बैग में रख दी और खुद उस बैग को उठाकर आगे-आगे चलने लगे; सफ़िया ने उनके पीछे चलना शुरू किया। जब सफ़िया अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब पुल की सबसे निचली सीढ़ी के पास वे सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे। सफ़िया सोचती जा रही थी किसका वतन कहाँ है-वह जो कस्टम के इस तरफ़ है या उस तरफ़!
उत्तर :
संदर्भ-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग-2′ में संकलित पाठ ‘शिरीष के फूल’ से लिया गया है। इसके लेखक ‘श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी’ हैं।
प्रसंग-लेखक शिरीष के फलों की दृढ़ता का रोचक ढंग से परिचय करा रहा है।
व्याख्या-शिरीष के फूलों की अतिशय कोमलता को देखकर आगे होने वाले कवियों ने समझा कि शिरीष का फल भी इतना कोमल होता है। ऐसा सोचना भ्रम है। शिरीष के फल तो इतने मजबूत होते हैं कि फूल निकल आने पर भी वे अपना स्थान नहीं छोड़ते। जबकि प्राय सभी वृक्षों में फल-फूल आने के समय गिर जाया करते हैं।
वसंत के आने पर जब सारे वनों में नए पत्तों और फूलों का मधुर मर्मर स्वर सुनाई देने लगता है तब शिरीष की डालों पर टंगे पुराने फल एक-दूसरे और डालों से टकराकर बड़ा कर्णकटु स्वर उत्पन्न करते रहते हैं। हजारी प्रसाद जी व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि उस समय उनको शिरीष के पुराने फलों को देखकर उन राजनेताओं की याद आने लगती थी जो कि जमाने के रुख को नहीं पहचान पाते और अपने आसनों से चिपके रहना चाहते हैं।
ऐसे लोगों को समाज की नई पीढ़ी के लोग धक्का मार कर बाहर कर देते हैं।
प्रश्न 19.
अधिशासी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, बाड़मेर (राजस्थान) द्वारा निर्माण कार्य के लिए निविदा तैयार कीजिए।
अथवा
परीक्षा नियंत्रक, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की ओर से स्नातक की लिखित परीक्षाओं की तिथि की सूचना देने हेतु विज्ञप्ति तैयार कीजिए।
उत्तर :
राजस्थान सरकार
कार्यालय अधिशासी अभियंता,
सार्वजनिक निर्माण विभाग
बाड़मेर (राजस्थान)
क्रमांक :- निविदा 3 (स)/417
दिनांक-3 अप्रैल, 20_ _
निविदा सूचना
सार्वजनिक निर्माण विभाग, बाड़मेर के अधीन निम्नलिखित कार्यों हेतु पंजीकृत ‘अ’ अथवा ‘ब’ श्रेणी संविदा धारकों से दिनांक 30 अप्रैल, 20_ _ तक दोहरे लिफाफे पद्धति में मोहरबंद निविदाएँ आमंत्रित की जाती हैं। निविदा प्रारूप कार्यालय समय में 100/- रुपये जमा करवा कर प्राप्त किया जा सकता है। प्राप्त निविदाएँ दिनांक 1 मई, 20_ _ को प्रातः 11:00 बजे उपस्थित निविदादाताओं के समक्ष खोली जायेंगी।
शर्ते :
- निविदा निरस्त अथवा स्वीकृत करने का अधिकार अधोहस्ताक्षरकर्ता के पास सुरक्षित रहेगा।
- निविदा शर्तों के अनुरूप कार्य न होने पर रोहर राशि जब्त कर ली जायेगी।
- समस्त न्यायिक परिवादों का क्षेत्र बाड़मेर रहेगा।
(क, ख, ग,)
अधिशासी अभियंता
प्रश्न 20.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर सारगर्भित निबंध लिखिए। (शब्द सीमा 300 शब्द)
(1) राष्ट्रीय एकता की सुरक्षा
(2) नदी जल स्वच्छता अभियान
(3) राष्ट्रभाषा हिन्दी : वर्तमान स्थिति और भविष्य
(4) घटती समाजिकता : बढ़ते संचार साधन
उत्तर :
नदी जल स्वच्छता अभियान
संकेत बिंदु-
- प्रस्तावना
- नदियों का महत्व
- नदी जल की स्थिति
- नदी जल की स्वच्छता कैसे
- उपसंहार।
प्रस्तावना-जल को ‘जीवन’ कहा गया है। जल के बिना सृष्टि में जीवन का अस्तित्व संभव नहीं है। प्रकृति ने हमें जल भंडार उपलब्ध कराने में कोई कंजूसी नहीं की है। पृथ्वी का तीन चौथाई भाग जल से आवृत्त है। पेय हो या अपेय हर रूप में जल हमारे लिए उपयोगी है। ऐसे महत्वपूर्ण जल को स्वच्छ और सुरक्षित रखना मनुष्य का अनिवार्य दायित्व माना जाना चाहिए।
नदियों का महत्व-हमारे देश में नदियों का सदा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। न केवल भौतिक लाभों की दृष्टि से बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी नदियों के प्रति पूज्यभाव रहा है। गंगा का स्थान तो इस दृष्टि से सर्वोपरि है। नदियों से पीने और खेती की सिंचाई के लिए जल मिलता है।
उद्योगों में भी नदी जल का उपयोग होता है। गहरी और सदानीरा नदियों से यात्रा और व्यापार में सहयोग प्राप्त होता है। धार्मिक लोग नदी में स्नान करके पुण्य लाभ और पवित्रता प्राप्त करते हैं। नदी जल से देवताओं का अभिषेक होता है। इस प्रकार नदियों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है।
नदी जल की स्थिति-आज दुर्भाग्य से नदियों के प्रति सर्वत्र उपेक्षा का भाव दिखाई दे रहा है। नदी जल के प्रदूषण से नदियों की उपयोगिता और अस्तित्व संकट में पड़ गए हैं। नगरों का कूड़ा-करकट, विसर्जित जल और धार्मिक कृत्यों का अपशिष्ट नदियों में बहाया जा रहा है। समस्त जीवों को जीवन देने वाली नदियों का जीवन ही संकट में पड़ा हुआ है। नदियाँ नाले बनती जा रही हैं।।
नदी जल की स्वच्छता कैसे? – नदी जल को स्वच्छ बनाने में सरकार और जनता दोनों की सकारात्मक भागीदारी आवश्यक है। वर्षों पहले गंगा की स्वच्छता का अभियान चला था किन्तु करोड़ों रुपए व्यय होने के बाद भी गंगा की स्थिति में कोई अन्तर नहीं आया। वर्तमान सरकार ने अब ‘नमामि गंगे’ नाम से गंगा स्वच्छता अथवा नदी जल स्वच्छता अभियान का आरम्भ किया है। केवल सरकारी अभियान से नदियाँ स्वच्छ नहीं हो सकी।
हर वर्ग के नागरिकों को इसे एक राष्ट्रीय आन्दोलन के रूप में अपनाना होगा। बस्तियों का कूड़ा, मल तथा औद्योगिक प्रदूषित जल और अपशिष्ट पदार्थ नदी में बहाने को घोर पाप और अपराध मानना होगा। कुछ स्वैच्छिक संस्थाएँ भी इस अभियान में भाग ले रही हैं। छात्र भी रैलियों तथा स्वच्छीकरण कार्यक्रमों द्वारा इस अभियान में भागीदारी निभा सकते हैं।
उपसंहार-नदियाँ हमारे देशरूपी शरीर की रक्त शिराएँ हैं। देश को स्वच्छ, स्वस्थ और सम्पन्न बनाने तथा विश्व में एक स्वच्छता प्रिय राष्ट्र की छवि बनाने के लिए ‘नदी जल स्वच्छता अभियान’ से जुड़ना हम सभी का कर्तव्य है।
यदि नदियों की उपेक्षा ऐसी ही होती रही तो भौतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ऐसी अपूरणीय क्षति होगी कि सारा भारतीय समाज पछताने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर पाएगा। अतः नदियों के महत्व और उनकी स्वच्छता तथा सुरक्षा के प्रति सचेत होकर एक राष्ट्रीय दायित्व को निभाना परम आवश्यक है।
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