• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE 12th Hindi Sahitya Model Paper Set 8 with Answers

April 8, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Hindi Model Papers Set 8 with Answers provided here.

RBSE Class 12 Hindi Sahitya Model Paper Set 8 with Answers

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश :

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न – पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर – पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

RBSE Solutions

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए – (6 x 1 = 6)

किसान का जीवन बनाने में ही भारत का सर्वोदय है। भारत का किसान देखभाल कर चलने वाला है। वह सदियों से अपना काम चतुराई से करता आ रहा है। वह परिश्रमी है। खेत में जब उत्तर :ता है, तो कड़ी धूप में भी सिर पर चादर रखकर वह डटा रहता है। वह स्वभाव से मितव्ययी है। उसे बुद्धू या पुराणपंथी कहना अपनी आँखों का अंधापन हैं। भारतीय किसान को उसकी भाषा में जब कोई अच्छी बात बताई जाती है, तब वह उसे चाव से सीखता है और अपनाने की कोशिश करता है। भारतीय किसान शरीर से सुदृढ़ और मन से क्षमाशील है। सन्तोष और परिश्रम में भारतीय किसान संसार में सब से ऊपर है। उसके सद्गुणों की प्रशंसा करनी चाहिए। फूस के छप्परों के घरों में रहना दोष नहीं है। किसान ने जान-बूझकर ऐसे घर चुने हैं। वह अपने घर को बाँस और बल्लियों के ठाठ से, अपने ही जंगल की घास और अपने ही ताल की मिट्टी से बनाई हुई कच्ची ईंटों से बनाता है। इसमें एक बड़ा लाभ यह है कि किसान बाहरी जगत का मुँह नहीं ताकता। वह अपने ही क्षेत्र में स्वावलम्बी बन जाता है। आत्मनिर्भरता भारतीय किसान के जीवन की कुंजी है।

(i) भारतीय किसान का उल्लेखनीय गुण है- (1)
(अ) रूढ़िवादिता एवं दूरदर्शिता
(ब) ऋतुओं की प्रकृति का ज्ञाता।
(स) अपनी चादर के अनुसार पैर पसारने वाला
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।
उत्तर :
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।

(ii) भारतीय किसान किस बात में संसार में सबसे ऊपर है ? (1)
(अ) अशिक्षा एवं परम्परावाद में
(ब) सात्विकता एवं पवित्रता में
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में
(द) गरीबी एवं कर्मठता में।
उत्तर :
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में

RBSE Solutions

(iii) भारतीय किसान को स्वावलम्बी कैसे कहा जा सकता है ? (1)
(अ) आत्मनिर्भरता के कारण
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है
(स) अपना जलसंसाधन पैदा करता है
(द) अपने खेतों को स्वयं जोतता, खोदता और निराता है।
उत्तर :
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है

(iv) ‘मितव्ययी’ का शाब्दिक अर्थ है (1)
(अ) मित्रों से उधार लेने वाला
(ब) कम खर्च करने वाला
(स) थोड़ा-थोड़ा सनकी
(द) अधिक खर्च करने वाला।
उत्तर :
(ब) कम खर्च करने वाला

(v) नीचे दिए गए शीर्षकों में से उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए – (1)
(अ) भारतीय किसान
(ब) आत्मनिर्भर
(स) स्वावलम्बी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) भारतीय किसान

RBSE Solutions

(vi) भारतीय किसान के जीवन की कुंजी है (1)
(अ) श्रम
(ब) फसल
(स) सादगी
(द) आत्मनिर्भरता।
उत्तर :
(द) आत्मनिर्भरता।

निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए – (6 x 1 = 6)

क्षमा शोभती उस भुजंग को
उठी अधीर धधक पौरुष की
जिसके पास गरल हो,
आग राम के शर से।
उसको क्या, जो दन्तहीन
सिन्धु देह धर ‘त्राहि-त्राहि’
विषहीन विनीत सरल हो।
करता आ गिरा शरण में,
तीन दिवस तक पंथ माँगते
चरण पूज, दासता ग्रहण की
रघुपति सिन्धु किनारे,
बैंधा मूढ़ बन्धन में।
बैठे पढ़ते रहे छन्द
सच पूछो तो शर में ही
अनुनय के प्यारे-प्यारे।
बसती है दीप्ति विनय की,
उत्तर में जब एक नाद भी
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का
उठा नहीं सागर से,
जिसमें शक्ति विजय की।

RBSE Solutions

(i) क्षमा किसको शोभा देती है ? (1)
(अ) विषयुक्त सर्प को
(ब) सरल व्यक्ति को
(स) शक्ति सम्पन्न व्यक्ति को
(द) निर्बल को।
उत्तर :
(स) शक्ति सम्पन्न व्यक्ति को

(ii) समुद्र के किनारे खड़े होकर कौन रास्ता मांग रहा है ? (1)
(अ) लक्ष्मण
(ब) सुग्रीव
(स) विभीषण
(द) राम।
उत्तर :
(द) राम।

(ii) ‘अनुनय के प्यारे छन्द पढ़ने’ से क्या आशय है ? (1)
(अ) अच्छे गीत गाना
(ब) भजन-कीर्तन करना
(स) नम्रता से विनय करना
(द) दोहा-छन्द पढ़ना।
उत्तर :
(स) नम्रता से विनय करना

RBSE Solutions

(iv) सिन्धु देह धर ‘त्राहि-त्राहि’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताइए (1)
(अ) अनुप्रास
(ब) पुनरुक्ति प्रकाश
(स) उपमा
(द) यमक।
उत्तर :
(ब) पुनरुक्ति प्रकाश

(v) उपर्युक्त पाश का उपयुक्त शीर्षक है (1)
(अ) विषधर सर्प
(ब) भगवान राम और सागर
(स) जीवन में शान्ति का महत्त्व
(द) जीवन में शक्ति की महत्ता।
उत्तर :
(द) जीवन में शक्ति की महत्ता।

(vi) समुद्र का समानार्थक शब्द पद्यांश में प्रयुक्त हुआ है (1)
(अ) सिन्धु
(ब) सागर
(स) जलागार
(द) अ और ब
उत्तर :
(अ) सिन्धु

RBSE Solutions

प्रश्न 2.
दिए गए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए – (6 x 1 = 6)

(i) ओज गुण में ………………………………….. ध्वनियों का प्रयोग होता है। (1)
उत्तर :
मूर्धन्य

(ii) वाक्य रचना में किसी शब्द की कमी रह जाती है, वहाँ ………………………………….. दोष होता है। (1)
उत्तर :
न्यूनपदत्व

(iii) छह अथवा आठ चरणों वाले छंद को ………………………………….. छन्द कहते हैं। (1)
उत्तर :
छप्पय

(iv) जिन छंदों के प्रत्येक चरण में मात्राएँ अथवा वर्ण समान हों, उनको ………………………………….. छन्द कहते हैं। (1)
उत्तर :
सम

(v) मानवता के जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ। पंक्ति में ………………………………….. अलंकार है। (1)
उत्तर :
मानवीकरण

(vi) संक्षिप्त उक्ति द्वारा प्रस्तुत और अप्रस्तुत का बोध जहाँ एक साथ होता है, वहाँ ………………………………….. अलंकार होता है। (1)
उत्तर :
समासोक्ति

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)

(i) प्रतीप अलंकार का एक उदाहरण लिखिए। (1)
उत्तर :
प्रतीप अलंकार का उदाहरण- उसी तपस्वी से लम्बे थे देवदारु दो चार खड़े।

(ii) विभावना अलंकार को स्पष्ट कीजिए। (1)
उत्तर :
जब कारण के अभाव में भी कार्य का होना प्रकट किया जाता है तो वहाँ विभावना अलंकार होता है।

RBSE Solutions

(iii) ‘बीट’ से आप क्या समझते हैं? (1)
उत्तर :
विषय विशेष में लेखन का दायित्व सौंपा जाता है। मीडिया की भाषा में इसको ‘बीट’ कहते हैं।

(iv) विवरणात्मक रिपोर्ट में कैसा वर्णन होता है? (1)
उत्तर :
विवरणात्मक रिपोर्ट में किसी घटना या समस्या का विस्तृत और गहन विवरण प्रस्तुत किया जाता है।

(स) भौगोलिक स्थिति के आधार पर खबरें कितने प्रकार की होती हैं ? (1)
उत्तर :
भौगोलिक स्थिति के आधार पर खबरों को स्थानीय, क्षेत्रीय, आंचलिक, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय आदि रूपों में वर्गीकृत किया जाता है।

(vi) गाँव के लोग संवदिया को क्या समझते थे? (1)
उत्तर :
गाँव के लोगों के अंदर संवदिया को लेकर एक गलत धारणा थी कि संवदिया का काम कामचोर, निठल्ले और पेटू लोग ही करते हैं।

(vii) भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें किनके घर पर आती थीं? (1)
उत्तर :
भारत जीवन प्रेस की पुस्तकें रामचन्द्र शुक्ल के घर पर आती थीं।

(vii) हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को कवि ने ईमानदार क्यों कहा है? (1)
उत्तर :
कवि ने हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को ईमानदार कहा है क्योंकि अगर वह अमीर होता तो इस तरह हाथ फैलाकर भीख नहीं माँगता।

(ix) बच्चे ने हिमालय को किस दिशा में बताया था? (1)
उत्तर :
बच्चे ने हिमालय को उस दिशा में बताया जिस दिशा में उसकी पतंग उड़ी जा रही थी।

(x) बिंब का कविता में क्या महत्व है? लिखिए। (1)
उत्तर :
इन बिंबों से ही हम संसार को समझ सकते हैं । इन बिंबों के प्रयोग से ही कविता आसानी से समझ में आने योग्य बनती है।

(xi) नाटक तथा साहित्य की अन्य विधाओं में एक अन्तर लिखिए। (1)
उत्तर :
जहाँ साहित्य की दूसरी विधाएँ पढ़ने या सुनने तक सीमित होती हैं वहीं नाटक पढ़ने-सुनने के साथ-साथ देखा भी जाता

(xii) कहानी विधा शिक्षा देने का प्रबल माध्यम है। कैसे? (1)
उत्तर :
शिक्षा देने के लिये भी कहानी विधा का प्रयोग सबल माध्यम है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण पंचतंत्र की कहानियाँ हैं।’

RBSE Solutions

खण्ड – (ब)

निर्देश-प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
समाचार लेखन के कितने ककार हैं ? उनके नाम लिखिए। (2)
उत्तर :
किसी समाचार को लिखते हुए मुख्य रूप से छह प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयत्न होता है। क्या हुआ, किसके साथ हुआ, कहाँ हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ और क्यों हुआ। इस क्या, किसके (या कौन) कहाँ, कब, कैसे और क्या को छह ककार के रूप में जाना जाता है। किसी घटना, समस्या या विचार से संबंधित समाचार लिखते हुए इन सभी ककारों को ही ध्यान में रखा जाता है।

प्रश्न 5.
इंट्रो से आप क्या समझते हैं? उदाहरण देकर समझाइये। (2)
उत्तर :
समाचार के मुखड़े को ही इंट्रो कहते हैं। समाचार की प्रथम दो या तीन पंक्तियाँ मुख्य रूप से क्या, कौन, कब और कहाँ नामक चार ककारों पर आधारित होती हैं। ये सभी चारों ककार-क्या, कौन, कब और कहाँ-सृजनात्मक और तथ्यों पर आधारित होते हैं। इंट्रो का एक उदाहरण देखिएनैनीताल, 20 मार्च, मकान की छत ढहने से 3 लोग मरे, 20 घायल। ग्यारह से अधिक लोगों के अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका। घायलों को अस्पताल में भरती करा दिया गया है।

प्रश्न 6.
पारो बुआ का नाम सुन संभव थोड़ा असहज हुआ और विचारों में क्यों खो गया? (2)
उत्तर :
संभव ने जब पारो बुआ का नाम सुना, तो वह देवदास भाँति एक रचना में खो गया या यों कहिये उसका विचार पारो नाम पर केन्द्रित हो गया। चूँकि देवदास की प्रेमिका पारो थी, ठीक वैसे ही यहाँ भी संभव की प्रेमिका पारो ही थी। संभव ने पारो को पाने की आशा लिए मंसा देवी में मन्नत की गाँठ बाँधी थी। वह चाहता था कि उसकी अपनी पारो सामने आ जाये और वह उसको जी भर कर देख पाए।

प्रश्न 7.
‘सिंधु तर्यो उनको बनरा’पद्यांश में अंगद द्वारा राम के प्रताप का वर्णन किया गया है, इसे अपने शब्दों में लिखिए। (2)
उत्तर :
अंगद रावण को भयभीत करने के लिए कहता है कि जिस हनुमान ने यहाँ आकर इतना उत्पात मचाया और तुम्हारी लंका जला दी वह तो राम की वानर सेना का एक छोटा-सा वानर (वनरा) है जो दौड़-भाग करने में बहुत कुशल है।

इससे यह ध्वनि निकलती है कि हमारी वानर सेना में एक से बढ़कर एक वीर हैं। अतः राम से युद्ध करने से पहले तू सोच-विचार कर ले। राम के आगे तू (रावण) टिक नहीं पाएगा। अंगद ने दौत्यकर्म का निर्वाह भलीभाँति किया। जो अपेक्षाएँ उससे थीं, अपने वाक्चातुर्य से उसने उन्हीं को पूरा किया।

प्रश्न 8.
विद्यापति अथवा सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला’ में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)
उत्तर :
मॉडल 1 का प्रश्न 8 देखें।

RBSE Solutions

प्रश्न 9.
‘पहचान’ लघु कथा के कथ्य पर प्रकाश डालिए। (2)
उत्तर :
‘पहचान’ असगर वजाहत की लघु कथा है जिसमें एक ऐसे राजा की कहानी है जिसने अपनी प्रजा को आँखें बंद रखने, कानों में पिघला सीसा डाल लेने और होंठ सिलवा लेने की आज्ञा दी। प्रजा ने राजा की आज्ञा का पालन किया।

उसने प्रजा को यह झाँसा दिया था कि ऐसा करने से हमारा राज्य स्वर्ग हो जायेगा। बहुत दिनों बाद जब प्रजा के कुछ लोगों ने आँख खोलकर उस स्वर्ग को देखना चाहा तो पता चला कि वे अब एक-दूसरे को भी नहीं देख सकते। सर्वत्र उन्हें राजा ही राजा दिख रहा था।

प्रश्न 10.
भरत-राम प्रेम कविता में तुलसी ने राम के किस स्वभाव की विशेषताओं का वर्णन किया है? (2)
उत्तर :
‘भरत-राम प्रेम’ तुलसीदास ने राम के स्वभाव की विशेषताएँ स्वयं भरत के मुँह से कहलवाई हैं। भरत जी कहते हैं- मैं अपने स्वामी श्रीराम के स्वभाव को जानता हूँ। भरत के इस कथन से पता चलता है कि भगवान राम अत्यन्त उदार हैं तथा भरत और अन्य परिवारीजनों पर उनका अपार स्नेह है। वह अपराध करने वाले पर भी कभी क्रोध नहीं करते। वह अत्यन्त दयालु हैं। बचपन से अब तक उन्होंने भरत को कोई दुःख नहीं पहुँचाया हैं।

प्रश्न 11.
रामचन्द्र शुक्ल अथवा ममता कालिया में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)
उत्तर :
मॉडल 1 का प्रश्न 11 देखें।

प्रश्न 12.
‘सूरदास की झोंपड़ी’ कहानी द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है ? (2)
उत्तर :
अपनी झोपड़ी में आग लगने पर भी सूरदास विचलित नहीं था। मिठुआ ने पूछा – ‘दादा अब हम कहाँ रहेंगे ?’ सूरदास ने कहा’हम फिर झोंपड़ी बनायेंगे।’ कोई लाख बार उसे जलायेगा तो हम लाख बार बनायेंगे। इस कहानी द्वारा प्रेमचंद संदेश देना चाहते हैं कि मनुष्य को विपत्ति के समय धैर्य से काम लेना चाहिए। उसे विचलित नहीं होना चाहिए। अविचलित रहकर निरन्तर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। इस कहानी में दृढ़ निश्चय के साथ कार्य करने और संघर्षशील रहने की प्रेरणा दी गई है।

प्रश्न 13.
ग्यारह साल बाद मिलने पर रूपसिंह को भूप दादा कैसे लगे ? (2)
उत्तर :
ग्यारह साल बाद रूपसिंह की मुलाकात भूप दादा से हुई तो वह कतई असाधारण नहीं लगे। उन्होंने स्वेटर और मफलर पहन रखे थे। उनका कद मध्यम था। उनमें चुस्ती थी। मामूली सी शख्सियत के बावजूद उनका जादू अभी तक बाकी था। उनका गोरा-चिट्टा चित्तीदार चेहरा सख्त और लम्बोतरा था मानो ग्रेनाइट पत्थर से तराशकर बनाया गया हो।

उनकी अजीब-सी स्थितप्रज्ञ आँखों मद्धिम-मद्धिम जल रही थीं। उनकी भौहों पर कटे का निशान था। वह वैसे के वैसे ही थे। ग्यारह सालों में वे और अधिक ठोस और सख्त हो गए थे।

प्रश्न 14.
लेखक ने आज मालवा में बहनेवाली नदियों की दुर्दशा के बारे में क्या बताया है ? (2)
उत्तर :
लेखक ने बताया है कि आज मालवा की नदियों में पानी का अभाव है। इंदौर की खान और सरस्वती नदियों में पानी नहीं है। शिप्रा, चंबल, गम्भीर, पार्वती, कालीसिंध, चोरल सबका यही हाल हो रहा है। इन नदियों में कभी बारहों महीने पानी रहा करता था। अब ये मालवा के आँसू भी नहीं बहा सकी। चौमासे में बहती हैं, बाकी महीनों में बस्तियों का गन्दा पानी इनमें बहता रहता है। वर्तमान औद्योगिक सभ्यता ने इन सदानीरा नदियों को गन्दे पानी का नाला बना दिया है।

RBSE Solutions

प्रश्न 15.
मिठुआ के प्रश्न “और जो कोई सौ लाख बार लगा दे” का उत्तर सूरदास ने किस प्रकार दिया? सूरदास का उत्तर किस विशेषता को दर्शाता है? (2)
उत्तर :
सूरदास अपनी जली हुई झोंपड़ी को बार-बार बनाने का निश्चय व्यक्त करता है। मिठुआ पूछता है- ‘और का जो कोई सौ लाख बार (आग) लगा दे तो वह क्या करेगा,” उत्तर में सूरदास कहता है “तो हम सौ लाख बार बनाएँगे”। सूरदास का यह उत्तर उसकी दृढ़ता को दर्शाता है। वह झोंपड़ी जलने से विचलित नहीं है, वह उसके बार-बार पुनर्निर्माण के लिए तैयार है। अपना समय किसी से बदला लेने में नष्ट करने के स्थान पर झोंपड़ी के पुनः निर्माण में उसका सदुपयोग करना चाहता है।

खण्ड – (स)

प्रश्न 16 .
‘पहचान’ लघु कथा में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। (उत्तर :-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
संवदिया कहानी के प्रमुख पात्र हरगोबिन का परिचय दीजिए।
उत्तर :
‘पहचान’ शीर्षक लघु कथा में निम्नलिखित व्यंग्य निहित हैं-

  1. हर राजो गूंगी, बहरी और अंधी प्रजा पसंद करता है।
  2. हर राजा चाहता है कि उसकी प्रजा बेजुबान (गूंगी) हो और उसके खिलाफ आवाज न उठाये।
  3. प्रजाजनों के एकजुट होने से राजा को हानि होने की संभावना है इसलिये वह उन्हें एकजुट नहीं होने देता।
  4. राजा प्रजाजनों को यह झाँसा देता है कि उसकी हर आज्ञा राज्य के हित में है और राज्य को स्वर्ग बनाने के लिये है।
  5. छद्म प्रगति और विकास के बहाने धीरे-धीरे राजा उत्पादन के सभी साधनों पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेता है।
  6. राजा लोगों को यह झाँसा देता है कि वह उनके जीवन को स्वर्ग जैसा बना देगा पर वास्तव में प्रजा का जीवन और भी खराब हो जाता है। हाँ, राजा अपना जीवन स्वर्ग जैसा अवश्य बना लेता है।

प्रश्न 17.
गीतावली से संकलित पद राघौ एक बार फिरि आवौ’ में निहित करुणा और संदेश को अपने शन में स्पष्ट कीजिए। (उत्तर सीमा : शब्द) (3)
अथवा
‘सत्य’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस पद से यह व्यक्त होता है कि माता कौशल्या अपने पुत्र राम के वियोग में अत्यन्त व्याकुल हैं। वात्सल्य वियोग से युक्त इस पद में राम के दर्शन हेतु कौशल्या की व्याकुलता व्यंजित है। भले ही वे कह रही हों कि तुम्हारे प्रिय घोड़े तुम्हारे चले जाने से दुखी हैं अतः तुम आकर उन्हें अपने दर्शन दे दो, पर वास्तविकता यही है कि वे स्वयं राम को देखने के लिए व्याकुल हैं। राम का पशु प्रेम भी व्यंजित है।

तुलसीदास ने रामचरितमानस में भी लिखा है ‘जासु वियोग विकल पसु ऐसे’। उसी प्रकार की बात कवि ने यहाँ कही है कि राम के वियोग में उनके घोड़े इस प्रकार दुर्बल हो गए हैं जैसे पाला पड़ने से कमल मुरझा जाते हैं। ऐसी ही दशा सभी अयोध्यावासियों की राम के वियोग में हो रही है। इस पद में राम के हृदय की करुणा व्यक्त हुई है। इस पद से संदेश मिलता है कि राम अत्यन्त उदार हैं। इससे माता कौशल्या का वात्सल्यभाव भी व्यक्त हुआ है।

RBSE Solutions

प्रश्न 18
“तो मुइला, इसी तरह में भी आ बैठा मौत की इस पीठ पर, उसी की जिसने मेरा सब कुछ निगल लिया था। भूपसिंह के वक्तव्य के पीछे कही गई गिद्ध और चिड़िया की कहनी कौन-सी है? लिखिए। (उत्तर :-सीमा 80 शब्द) (4)
अथवा
“पग-पग नीर वाला मालवा सूखा हो गया।” कैसे ? ‘अपना मालवा : खाऊ-उजाडू सभ्यता में’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (उत्तर सीमा 80 शब्द) 4
उत्तर :
रूप ने अपने भाई भूपसिंह से हिमांग पहाड़ पर चढ़कर बसने का कारण पूछा। भूप ने उसको एक नन्ही चिड़िया की कहानी सुनाई। चिड़िया से गीध ने कहा कि वह उसे खा जायेगा। चिड़िया ने डरकर पूछा-‘क्यों? गीध ने कहा – क्योंकि वह उससे ऊँचा नहीं उड़ सकती। नन्ही चिड़िया ने धैर्यपूर्वक पूछा’अगर मैं तुमसे ऊँचा उड़कर दिखा दूँ तो?’ गीध ने उसके बचकानेपन पर हँस कर कहा”तो नहीं खाऊँगा।’ मुकाबला शुरू हो गया।

गीध अपने लम्बे डैने फैलाकर खूब ऊँचा उड़ा। चिड़िया को डर लगा, किन्तु वह धैर्यपूर्वक उड़ती रही। मरना तो है ही फिर मौत से लड़कर क्यों न मरूँ? चिड़िया ने सोचा और पूरी ताकत लगाकर उड़ी। लगा कि प्राण निकल जाएँगे। अपनी पूरी ताकत से उड़कर चिड़िया गीध की पीठ पर जा बैठी। गीध अपनी ताकत के घमंड में आकाश में खूब ऊँचा उड़ा। मगर अब चिड़िया को डर नहीं था।

वह हर हाल में उससे ऊँचाई पर थी, मौत की पीठ पर ही जा बैठी थी। भूप ने यह कहानी अपनी बात, रूप को समझाने के लिए सुनाई थी। जिस पहाड़ के कारण भूप का सब कुछ तबाह हुआ था, वह उसी के ऊपर आ बैठा था, वह मौत की पीठ पर आ बैठा था। उसकी स्थिति उस चिड़िया के ही समान थी।

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (1 + 4 = 5)

राघौ! एक बार फिरि आवौ।
ए बर बाजि बिलोकि आपने बहुरो बनहिं सिधावौ।।
जे पय प्याइ पोखि कर-पंकज वार वार चुचुकारे।
क्यों जीवहिं, मेरे राम लाडिले! ते अब निपट बिसारे।।
भरत सौगुनी सार करत हैं अति प्रिय जानि तिहारे।
तदपि दिनहिं दिन होत झाँवरे मनहुँ कमल हिममारे।।
सुनहु पथिक! जो राम मिलहिं बन कहियो मातु संदेसो।
तुलसी मोहिं और सबहिन तें इन्हको बड़ो अंदेसो।।
अथवा
हम कह नहीं सकते
न तो हममें कोई स्फुरण हुआ और न ही कोई ज्वर
किन्तु शेष सारे जीवन हम सोचते रह जाते हैं
कैसे जानें कि सत्य का वह प्रतिबिंब हममें समाया या नहीं
हमारी आत्मा में जो कभी-कभी दमक उठता है
क्या वह उसी की छुअन है
जैसे
विदुर कहना चाहते तो वही बता सकते थे
सोचा होगा माथे के साथ अपना मुकुट नीचा किए
युधिष्ठिर ने
खांडवप्रस्थ से इंद्रप्रस्थ लौटते हुए।
उत्तर :
सन्दर्भ – प्रस्तुत पंक्तियाँ गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित ‘गीतावली’ से ली गई हैं जिन्हें हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘अन्तरा भाग – 2’ में ‘पद’ शीर्षक से संकलित किया गया है।

RBSE Solutions

प्रसंग – राम के वनगमन के कारण उनके द्वारा पाले – पोसे गए घोड़े अत्यन्त व्याकुल हैं। माता कौशल्या पथिक के माध्यम से राम को यह सन्देश भिजवा रही हैं कि उन्हें अपने घोड़ों को इस तरह विस्मृत नहीं कर देना चाहिए।

व्याख्या – माता कौशल्या किसी पथिक को सन्देश देती हुई कहती हैं कि हे पथिक! यदि तुम्हें वन में कहीं राम मिल जाएँ तो उनसे मेरा यह सन्देश अवश्य कह देना कि तुम्हारे पाले – पोसे घोड़े तुम्हारे वियोग में अत्यन्त व्याकुल हैं। इसलिए हे राघव (राम) कम से कम एक बार तो वन से आकर इन्हें देख लो।

हे राम! अपने इन श्रेष्ठ घोड़ों को, जिन्हें तुमने पाला – पोसा है, देखकर फिर वन में वापस चले जाना। तुमने जिन घोड़ों को दूध पिलाकर और अपने कमल जैसे हाथ इनके बदन पर फिराकर बार – बार प्रेम से पुचकारा था, वे तुम्हारे वियोग में भला कैसे रह सकेंगे ?

हे लाड़ले पुत्र राम! क्या तुमने अपने उन घोड़ों को पूरी तरह विस्मृत कर दिया? यद्यपि तुम्हारे न होने से भरत उन घोड़ों की सौगुनी अधिक देखभाल करते हैं, क्योंकि वे तुम्हारे प्रिय घोड़े हैं तथापि तुम्हारे बिना वे घोड़े इस प्रकार दिनों – दिन दुर्बल होते जा रहे हैं जैसे पाला पड़ने से कमल दिनों – दिन मुरझाता जाता है। हे पथिक! तुम राम से जाकर मेरा यह सन्देश अवश्य कह देना।

तुलसीदास जी कहते हैं कि माता कौशल्या ने कहा कि मुझे सबसे अधिक इन घोड़ों की चिन्ता है कि ये तुम्हारे वियोग में भला कैसे जीवित रहेंगे ?

प्रश्न 20.
निम्नलिखित पठित गद्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए – (1 + 4 = 5)

फिर मुझे एक लोमड़ी मिली। मैंने उससे पूछा, “तुम शेर के मुँह में क्यों जा रही हो?” उसने कहा, “शेर के मुँह के अंदर रोजगार का दफ्तर है। मैं वहाँ दरख्वास्त दूँगी, फिर मुझे नौकरी मिल जाएगी।” मैंने पूछा, “तुम्हें किसने बताया।” उसने कहा, “शेर ने” और वह शेर के मुँह के अंदर चली गई।

फिर एक उल्लू आता हुआ दिखाई – दिया। मैंने उल्लू से वही सवाल किया। उल्लू ने कहा, “शेर के मुँह के अंदर स्वर्ग है।” मैंने कहा, “नहीं, यह कैसे हो सकता है।” उल्लू बोला, “नहीं, यह सच है और यही निर्वाण का एकमात्र रास्ता है।” और उल्लू भी शेर के मुंह में चला गया।
अथवा
संवदिया डटकर खाता है और ‘अफर’ कर सोता है, किन्तु हरगोबिन को नींद नहीं आ रही है। यह उसने क्या किया ? क्या कर दिया ? वह किसलिए आया था ? वह झूठ क्यों बोला ? नहीं, नहीं, सुबह उठते ही वह बूढ़ी माता को बड़ी बहुरिया का सही संवाद सुना देगा अक्षर-अक्षर, ‘मायजी, आपकी इकलौती बेटी बहुत कष्ट में है।

आज ही किसी को भेजकर बुलवा लीजिए। नहीं तो वह सचमुच कुछ कर बैठेगी। आखिर, किसके लिए वह इतना सहेगी। बड़ी बहुरिया ने कहा है, भाभी के बच्चों की जूठन खाकर वह एक कोने में पड़ी रहेगी।
उत्तर :
संदर्भ – प्रस्तुत गद्यावतरण असगर वजाहत द्वारा रचित ‘लघु कथाएँ’ पाठ की ‘शेर’ नामक लघु कथा से लिया गया है। यह पाठ हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘अंतरा भाग – 2’ में संकलित है।

प्रसंग – लेखक ने जंगल में जब बरगद के पेड़ के नीचे मुंह खोलकर बैठे शेर को देखा तो डरकर झाड़ियों की ओट में छिप गया। उसने देखा कि जानवर स्वेच्छा से पंक्तिबद्ध होकर शेर के खुले मुख में घुसते जा रहे थे। जब लेखक ने इन जानवरों से पूछा कि आप लोग शेर के मुँह में क्यों जा रहे हैं तब उन्होंने जो कारण बताया उसी का उल्लेख इस अवतरण में है।

व्याख्या – लेखक ने देखा कि लोमड़ी जैसा चालाक जानवर भी शेर के खुले मुख में प्रवेश कर रहा है। उसने जब लोमड़ी से इसका कारण पूछा तो लोमड़ी ने बताया कि शेर के मुख में रोजगार दफ्तर है और वहाँ जाने पर मुझे नौकरी मिल जाएगी, ऐसा उसे शेर ने ही बताया है।

इसी प्रकार जब उल्लू (मूर्ख का प्रतीक) से पूछा कि तुम शेर के मुख में क्यों जा रहे हो तो उसने कहा कि शेर के मुख में स्वर्ग है, वहाँ जाने पर मुझे जन्म और मृत्यु से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी और मेरा कल्याण होगा। जब लेखक ने कहा कि शेर के मुख में भला स्वर्ग कैसे हो सकता है तो उल्लू कहने लगा कि यह सच है और निर्वाण का यही एकमात्र रास्ता है। यह कहते हुए वह शेर के मुख में चला गया।

लेखक यह कहना चाहता है कि शेर सब जानवरों को झांसा देकर अपना शिकार बनाता है। उसका प्रचार तंत्र मजबूत है परिणामतः मूर्ख और चतुर सब उसके झांसे में आकर उसकी झूठी बातों पर विश्वास कर लेते हैं।

RBSE Solutions

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए (6)
(अ) वैर नहीं मैत्री करना सिखाते हैं धर्म
(ब) पड़ोसी देश व भारत
(स) युवकों में बेकारी
(द) दहेज एक सामाजिक कलंक
(य) राजस्थान की संस्कृति
उत्तर :
(य) राजस्थान की संस्कृति
प्रस्तावना – सभ्यता और संस्कृति के विषय में बड़ा भ्रम है। किसी विचार और व्यवहार को निखारना, धोना, माँजना या उसमें उत्तमोत्तम गुणों का आधान करना ही संस्कृति है। किसी समाज के विचारों, परम्पराओं, दर्शन, कला, शिल्प, साहित्य तथा धार्मिक विश्वासों का सामूहिक नाम ही संस्कृति कहा जाता है। बहुधा संस्कृति और सभ्यता को एक समझ लिया जाता है किन्तु यह ठीक नहीं है। संस्कृति मानव समाज का आन्तरिक सतत् विकास है तो सभ्यता उसके बाह्य भौतिक जीवन का प्रदर्शन है।

राजस्थान की सांस्कृतिक विशेषताएँराजस्थानी संस्कृति की अनेक निजी तथा सामान्य विशेषताएँ हैं, जो इस प्रकार हैं।

(i) शूरता की साधना – राजस्थान सदा से शूरवीरों की जन्मस्थली रहा है। वीरता, स्वाभिमान और बलिदान की भावना इस प्रदेश के कण – कण में और मन – मन में समाई रही है। यहाँ के कवियों ने भी इस भावना पर धार चढ़ाई हैबादल ज्यूँ सुरधनुस बिण, तिलक बिणा दुज – पूत।

बनौन सोभे मौड़ बिण,घाव बिणा रजपूत॥ यहाँ की माताओं ने पालने में ही पुत्र को अपनी भूमि की रक्षा पर प्राण निछावर करने की लोरियाँ सुनाई हैं। व्यक्तिगत वीरता के प्रदर्शन की उन्मत्तता ने इस धरती पर अनेक निरर्थक रक्तपात भी कराये हैं तथापि शूर – वीरता राजस्थानी संस्कृति का प्रधान गुण है।

(ii) शरणागत रक्षा – यहाँ के शासकों ने शरण में आए शत्रुपक्षीय व्यक्ति की रक्षा में अपना सर्वस्व तक दाँव पर लगाया है। हमीर इस परम्परा की मूर्द्धन्य मणि हैं।

(iii) जौहर व्रत – यह भी राजस्थानी संस्कृति की निजी विशेषता रही है। पतियों के केसरिया बाना धारण करके युद्धभूमि में जाने के पश्चात् अपने सतीत्व की रक्षा तथा पत्नीव्रत का पालन करने वाली राजपूत नारियाँ जलती चिता में कूदकर जान दे देती थीं। इसी को जौहर कहते हैं।

(iv) अतिथि – सत्कार – राजस्थान अपने उदार आतिथ्य भाव के लिए सदा से प्रसिद्ध रहा है। अतिथि बनने पर शत्रुओं तक को उचित सम्मान देना, यहाँ की संस्कृति की विशेषता रही है।

(v) साहित्य एवं कला प्रेम – राजस्थान में केवल रण की ही साधना नहीं हुई, यहाँ शिल्प, कला और साहित्य को भी भरपूर सम्मान और प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है। कवियों को राज्याश्रय मिला। अनेक उत्कृष्ट काव्यकृतियों का सृजन हुआ और आज तक यह परम्परा निर्बाध चली आ रही है। यहाँ केवल अभेद्य दुर्ग ही निर्मित नहीं हुए अपितु भव्य आवासों, मन्दिरों, जलाशयों तथा कीर्ति – स्तम्भों का भी निर्माण हुआ। लोकगीत, लोकनाट्य, कठपुतली प्रदर्शन, संगीत, नृत्य आदि कलाओं ने भी यहाँ समुचित सम्मान पाया है।

RBSE Solutions

(vi) त्यौहार तथा उत्सव राजस्थान अपने त्यौहारों और उत्सवों के लिये भी प्रसिद्ध है। गणगौर तथा तीज जैसे विशिष्ट सांस्कृतिक छाप वाले त्यौहारों के साथ यहाँ सभी प्रदेशों में प्रचलित होली, दीपावली, दशहरा, रक्षाबन्धन आदि त्यौहार भी उत्साह के साथ मनाये जाते हैं। त्यौहारों के अतिरिक्त राजस्थान में अनेक मेले और उत्सव भी मनाये जाते हैं। पुष्कर, करौली, भरतपुर, तिलवाड़ा, धौलपुर आदि के उत्सव प्रसिद्ध हैं।

उपसंहार – राजस्थानी संस्कृति पुरानी और परम्परा प्रिय रही है किन्तु वह निरन्तर विकासशील भी है। देश तथा विदेश में होने वाले नवीन परिवर्तन से वह अछूती नहीं है। अपनी परम्परागत विशेषताओं की रक्षा करते हुए वह नवीनता की लहरों में भी बह रही है। आधुनिकता तथा परम्परा का यह समन्वय राजस्थान की संस्कृति को जीवन्त बनाये रखेगा।

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Model Papers

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions