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RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

April 1, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 1 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

समय :2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(i) सिंधु सभ्यता का स्थल लोथल निम्न में से किस राज्य में स्थित है? [1]
(अ) गुजरात
(ब) राजस्थान
(स) पंजाब
(द) हरियाणा
उत्तर:
(अ) गुजरात

(ii) हड़प्पा की खोज सर्वप्रथम किसने की थी? [1]
(अ) राखालदास बनर्जी
(ब) दयाराम साहनी
(स) जॉन मार्शल
(द) एस. आर. राव
उत्तर:
(ब) दयाराम साहनी

(iii) निम्नलिखित लिपियों में से किसका अर्थ जेम्स प्रिंसेप द्वारा निकाला गया था? [1]
(अ) बंगाली और देवनागरी
(ब) संस्कृत और प्राकृत
(स) ब्राह्मी और खरोष्ठी
(द) यूनानी और इण्डो-यूनानी
उत्तर:
(स) ब्राह्मी और खरोष्ठी

(iv) निम्न में से मौर्य साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक केन्द्र था [1]
(अ) तक्षशिला
(ब) उज्जयिनी
(स) पाटलिपुत्र
(द) सुवर्णगिरि।
उत्तर:
(स) पाटलिपुत्र

(v) साहित्यिक परम्परा में महाभारत के रचयिता माने जाते हैं- [1]
(अ) वेदव्यास
(ब) वाल्मीकि
(स) श्रीकृष्ण
(द) भाट सारथी।
उत्तर:
(अ) वेदव्यास

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

(vi) इब्न बतूता कहाँ का निवासी था- [1]
(अ) मेसोपोटामिया
(ब) फ्रांस
(स) चीन
(द) मोरक्को।
उत्तर:
(द) मोरक्को।

(vii) शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ स्थित है? [1]
(अ) आगरा
(ब) मुम्बई
(स) हैदराबाद
(द) अजमेर।
उत्तर:
(द) अजमेर।

(viii) अभिलेखीय साक्ष्यों के अनुसार, निम्नलिखित में से विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी? [1]
(अ) दक्कन के सुल्तान
(ब) उड़ीसा के गजपति शासक
(स) हरिहर और बुक्का
(द) तमिलनाडु के चोल
उत्तर:
(स) हरिहर और बुक्का

(ix) अंग्रेजों ने रैयत शब्द का प्रयोग किया [1]
(अ) जमींदारों के लिए
(ब) ब्रिटिश लोगों के लिए
(स) किसानों के लिए
(द) इनमें से सभी
उत्तर:
(स) किसानों के लिए

(x) निम्नलिखित में से किस गवर्नर जनरल ने अपने काल में कलकत्ता के नगर-नियोजन का कार्य किया ? [1]
(अ) लॉर्ड वेलेजली
(ब) लॉर्ड वारेन हैस्टिंग
(स) लॉर्ड मिंटो I
(द) लॉर्ड कार्नवालिस।
उत्तर:
(अ) लॉर्ड वेलेजली

(xi) ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गाँधीजी द्वारा शुरू किए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के तात्कालिक कारण की पहचान कीजिए। [1]
(अ) कैबिनेट मिशन
(ब) क्रिप्स मिशन
(स) साइमन कमीशन
(द) माउंटबेटन प्लान।
उत्तर:
(ब) क्रिप्स मिशन

(xii) ये गिलास फल एक दिन हमारे की मुँह में आकर गिरेगा।’ यह कथन किसका था? [1]
(अ) लॉर्ड डलहौजी का
(ब) लॉर्ड कैनिंग का
(स) लॉर्ड क्लाइव का
(द) लॉर्ड वेलेजली का।
उत्तर:
(अ) लॉर्ड डलहौजी का

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(i) शंकरदेव के उपदेश …………….. के नाम से जाने जाते हैं। [1]
(ii) उत्तरी बंगाल में ……………….. सबसे अधिक शक्तिशाली थे। [1]
(iii) 18वीं शताब्दी में मद्रास, बम्बई और कलकत्ता का महत्वपूर्ण ………………. शहरों के रूप में विकास हो चुका था। [1]
(iv) ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत में काँग्रेस ने ……………….. को प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया। [1]
(v) लगभग छठी शताब्दी ई.पू. से अधिकांश राजवंश ………………. का अनुसरण करते थे। [1]
(vi) 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में दोपहर बाद ……………….. ने विद्रोह कर दिया। [1]
उत्तर:
(i) भगवती धर्म,
(ii) जोतदार,
(iii) औपनिवेशिक,
(iv) 26 जनवरी 1930,
(v) पितृवंशिकता प्रणाली,
(vi) पैदल सेना।

प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) उन दो पुरावस्तुओं का उल्लेख कीजिए जिनके आधार पर पुरातत्वविद यह मानते हैं कि खेत जोतने के लिए सिंधु संस्कृति में बैलों का प्रयोग होता था। [1]
उत्तर:

  • हलों का प्रतिरूप प्राप्त होना
  • बैलों की मृण्मूर्तियाँ प्राप्त होना।

(ii) महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश कौन-सा है? [1]
उत्तर:
महाभारत का सबसे महत्वपूर्ण उपदेशात्मक अंश भगवद्गीता है जो कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है।

(iii) स्त्रीधन से क्या अभिप्राय है ? [1]
उत्तर:
विवाह के समय स्त्री को मिले उपहारों पर स्त्री का स्वामित्व माना जाता था जिसे स्त्रीधन कहा जाता था।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

(iv) भारत के उन दो नगरों के नाम लिखिए जिनका इब्न बतूता ने दौरा किया और वहाँ विश्ववादी संस्कृति पाई। [1]
उत्तर:
दिल्ली तथा दौलताबाद।

(v) ‘उलुक’ एवं ‘दावा’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [1]
उत्तर:
‘उलुक’ अश्व डाक व्यवस्था को कहा जाता था जबकि ‘दावा’ पैदल डाक व्यवस्था को। उलुक प्रति चार मील की दूरी पर स्थापित राजकीय घोड़ों द्वारा चलित होती थी, जबकि ‘दावा’ में प्रति मील तीन अवस्थान होते थे।

(vi) अलवार और नयनार सन्त कौन थे ? [1]
उत्तर:
अलवार सन्त विष्णु के उपासक थे, जबकि नयनार संत शिव के उपासक थे।

(vii) यदि आप अजमेर की यात्रा करेंगे तो वहाँ स्थित किस सूफी सन्त की दरगाह की जियारत करेंगे? [1]
उत्तर:
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती।

(viii) बंगाल में इस्तमरारी बन्दोबस्त व्यवस्था कब व किसने लागू की ? [1]
उत्तर:
बंगाल में इस्तमरारी बन्दोबस्त व्यवस्था 1793 ई. में चार्ल्स कार्नवालिस ने लागू की।

(ix) पहाड़िया लोग कौन थे ?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में राजमहल की पहाड़ियों के आसपास रहने वाले लोगों को पहाड़िया कहा जाता था। [1]

(x) “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।” यह कविता किसने लिखी ? [1]
उत्तर:
सुभद्रा कुमारी चौहान ने।

(xi) 1857 ई. का विद्रोह कब व कहाँ से प्रारम्भ हुआ ? [1]
उत्तर:
1857 ई. का विद्रोह 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी से प्रारम्भ हुआ।

(xii) बम्बई में नव-गॉथिक शैली की किन्हीं दो इमारतों के नाम बताइए। [1]
उत्तर:

  • बम्बई विश्वविद्यालय तथा
  • विक्टोरिया टर्मिनल।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

खण्ड – ब

लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)

प्रश्न 4.
सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु क्या है ? इसकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
उत्तर:
हड़प्पाई मुहर सम्भवतः सिन्धु घाटी सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु है।
विशेषताएँ-

  • हड़प्पाई मुहरें सेलखड़ी नामक पत्थर से बनाई गई हैं।
  • इन मुहरों पर सामान्य रूप से जानवरों के चित्र एवं एक ऐसी लिपि के चिह्न खुदे हुए हैं जिन्हें अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।

प्रश्न 5.
बीसवीं सदी के राष्ट्रवादी नेताओं ने सम्राट अशोक को प्रेरणा का स्रोत क्यों माना ? [2]
उत्तर:
उन्नीसवीं व आरंभिक बीसवीं सदी के भारतीय इतिहासकारों को मौर्य साम्राज्य की संभावना बहुत चुनौतीपूर्ण एवं उत्साहवर्धक लगी। साथ ही प्रस्तर मूर्तियों सहित मौर्यकालीन सभी पुरातत्व एक अद्वितीय कला के प्रमाण थे जिन्हें साम्राज्य की पहचान माना जाता था। अशोक अन्य राजाओं की अपेक्षा बहुत शक्तिशाली एवं परिश्रमी था तथा उसके अपने आदर्श थे। वह अन्य राजाओं की अपेक्षा बहुत ही विनीत था जो अपने नाम के साथ बड़ी-बड़ी उपाधियाँ लगाते थे। अशोक के इन्हीं गुणों के कारण ही बीसवीं सदी में राष्ट्रवादी नेताओं ने उसे प्रेरणा का स्रोत माना।

प्रश्न 6.
भारत के आरंभिक समाज में प्रचलित आचार-व्यवहार एवं रीति-रिवाजों का इतिहास लिखने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ? [2]
उत्तर:
भारत के आरंभिक समाज में प्रचलित आचार-व्यवहार एवं रीति-रिवाजों का इतिहास लिखने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-(i) प्रत्येक ग्रन्थ किसी समुदाय विशेष के दृष्टिकोण से लिखा जाता था; अत: यह याद रखना आवश्यक है कि ये ग्रन्थ किसने लिखे, इनमें क्या लिखा गया एवं किन लोगों के लिए इनकी रचना हुई। (i) इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि इन ग्रन्थों की रचना में किस भाषा का प्रयोग हुआ है तथा इनका प्रचार-प्रसार किस प्रकार हुआ।

प्रश्न 7.
इब्नबतूता भारत की डाक-प्रणाली की कार्यकुशलता देखकर क्यों चकित हुआ? उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
इब्न बतूता भारत की डाक-प्रणाली की कार्यकुशलता देखकर चकित हुआ क्योंकि भारत की डाक-प्रणाली इतनी अधिक कुशल थी कि जहाँ सिन्ध से दिल्ली तक की यात्रा में पचास दिन लगते थे, वहीं सुल्तान तक गुप्तचरों की खबर मात्र पाँच दिनों में ही पहुँच जाती थी। इसके अतिरिक्त इससे व्यापारियों के लिए न केवल लम्बी दूरी तक सूचना भेजी जा सकती थी बल्कि अल्प सूचना पर माल भी भेजा जा सकता था।

प्रश्न 8.
इतिहासकार धार्मिक परम्परा के इतिहास का पुनर्निर्माण करने के लिए किन-किन स्रोतों का उपयोग करते है? [2]
उत्तर:
इतिहासकार धार्मिक परम्परा के इतिहास का पुनर्निर्माण करने के लिए अनेक स्रोतों का उपयोग करते हैं जिनमें प्रमुख हैं-मूर्तिकला, स्थापत्य कला, धर्मगुरुओं से जुड़ी कहानियाँ, दैवीय स्वरूप को जानने को उत्सुक स्त्री व पुरुषों द्वारा लिखी गई काव्य रचनाएँ। मूर्तिकला एवं स्थापत्य कला का उपयोग इतिहासकार तभी कर सकते हैं जब उन्हें इन आकृतियों और इमारतों को बनाने व उनका उपयोग करने वाले लोगों के विचारों, आस्थाओं तथा आचारों की समझ हो। धार्मिक विश्वासों से सम्बन्धित साहित्यिक परम्पराओं को समझने के लिए हमें कई भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 9.
विजयनगर शासकों के लिए मंदिरों और सम्प्रदायों को प्रश्रय देना क्यों महत्वपूर्ण था? [2]
उत्तर:
चौदहवीं शताब्दी में स्थापित विजयनगर साम्राज्य उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। विजयनगर शासकों के लिए मंदिर और सम्प्रदाय अपनी सत्ता, सम्पत्ति और निष्ठा के लिए समर्थन एवं मान्यता के महत्वपूर्ण माध्यम थे। अतः उन्हें प्रश्रय देना उनके लिए महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 10.
कॉलिन मैकेन्जी कौन थे? हम्पी के बारे में उनकी आरंभिक जानकारियाँ किस बात पर आधारित थीं? [2]
उत्तर:
कॉलिन मैकेन्जी एक अभियंता, सर्वेक्षक एवं मानचित्रकार थे जो ईस्ट इण्डिया कम्पनी में कार्यरत थे। इन्होंने हम्पी का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया था। इस नगर के बारे में उनकी आरंभिक जानकारियाँ विरुपाक्ष मंदिर एवं पम्पादेवी के पूजा स्थलों के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थीं।

प्रश्न 11.
जमींदारों को नियन्त्रित करने एवं उनकी स्वायत्तता को सीमित करने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कौन-कौन से कदम उठाए? [2]
उत्तर:
जमीदारों को नियंत्रित करने एवं उनकी स्वतन्त्रता को सीमित करने के लिए ईस्ट इंडिया कम्पनी ने निम्नलिखित कदम उठाए-

  • ईस्ट इंडिया कम्पनी ने जमींदारों की सैनिक टुकड़ियों को भंग कर दिया।
  • सीमा शुल्क समाप्त कर दिया गया।
  • इन जमींदारों को कम्पनी द्वारा नियुक्त कलेक्टर के अधीन कर दिया गया।
  • जमींदारों से स्थानीय न्याय व स्थानीय पुलिस की व्यवस्था करने की शक्ति छीन ली गयी।

प्रश्न 12.
20वीं शताब्दी में भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन ने किससे प्रेरणा ली? [2]
उत्तर:
20वीं शताब्दी में भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन ने 1857 ई. के घटनाक्रम से प्रेरणा ली। इस विद्रोह के आस-पास राष्ट्रवादी कल्पना का एक विस्तृत दृश्य जगत बुन दिया गया था तथा इसको प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के रूप में याद किया जाता था, जिसमें प्रत्येक वर्ग ने साम्राज्यवादी शासन के विरुद्ध मिल-जुलकर संघर्ष किया था।

प्रश्न 13.
भारत का वृत्तान्त लिखने में अल बिरूनी के समक्ष कौन-कौन सी बाधाएँ आयीं ? किन्हीं दो को बताइए। [2]
उत्तर:

  • भाषा-अल बिरूनी के अनुसार संस्कृत भाषा अरबी व फारसी भाषा से इतनी भिन्न थी कि विचारों और सिद्धान्तों को एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना सरल नहीं था।
  • धार्मिक अवस्था व प्रथाएँ-भारत में विभिन्न धार्मिक विश्वास व प्रथाएँ प्रचलित र्थी जिन्हें समझने के लिए उसे वेदों व ब्राह्मण ग्रन्थों का सहारा लेना पडा।

प्रश्न 14.
1857 ई. के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था ? [2]
उत्तर:
1857 ई. में मेरठ छावनी में सैनिकों को प्रयोग करने के लिए नए कारतूस दिए गए थे जिन्हें प्रयोग करने से पहले दाँतों से खींचना पड़ता था। अफवाह थी कि इन पर गाय व सूअर की चर्बी लगी हुई है। अपना धर्म भ्रष्ट होने के भय से हिन्दू एवं मुसलमान सैनिकों ने इनका प्रयोग करने से इन्कार कर दिया एवं विद्रोह पर उतारू हो गए।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 15.
“स्वराज के लिए हिन्दू, मुसलमान, पारसी और सिख सबको एकजुट होना पड़ेगा।” गाँधीजी के इस कथन को असहयोग आन्दोलन के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
बसना नामक गाँव में गाँधीजी ने ऊँची जाति वालों को संबोधित करते हुए कहा था, “यदि आप स्वराज के हक में आवाज उठाते हैं तो आपको अछूतों की सेवा करनी पड़ेगी। केवल नमक कर या अन्य करों के समाप्त हो जाने से आपको स्वराज नहीं मिलेगा। इसके लिए आपको अपनी उन गलतियों का प्रायश्चित करना होगा जो आपने अछूतों के साथ की हैं। स्वराज के लिए हिन्दू, मुसलमान, पारसी और सिख सबको एकजुट होना पड़ेगा क्योंकि ये स्वराज की सीढ़ियाँ हैं।

प्रश्न 16.
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में क्यों ले लिया ? [2]
उत्तर:
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर-नियोजन का कार्यभार निम्नलिखित कारणों से अपने हाथों में ले लिया-(i) अंग्रेज व्यापारी बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की सम्प्रभुता से असन्तुष्ट थे। उसने उनसे मालगोदाम के रूप में प्रयोग किये जाने वाला छोटा किला छीन लिया था। (ii) प्लासी के युद्ध में विजय के उपरान्त अंग्रेजों ने कलकत्ता में ऐसा किला बनाने का निश्चय किया जिस पर आसानी से आक्रमण न किया जा सके।

खण्ड – स

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)

प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता से प्राप्त मुहरों, लिपि एवं तौल के साधनों की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता सिद्ध कीजिए। [3]
अथवा
क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि सिंधु सभ्यता के शहरों की जलनिकासी, नगर योजना की ओर संकेत करती है? आपके उत्तर के पक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए। [3]
उत्तर:
मुहरों की प्रासंगिकता-सिंधु सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण पुरावस्तु मुहरें हैं जो बड़ी संख्या में इस सभ्यता के विभिन्न स्थलों से पायी गयी हैं। इन मुहरों पर एक लिपि अंकित है जो अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है जिसके कारण इन मुहरों का महत्व वर्तमान में भी बना हुआ है। जब मुहरों पर अंकित इस लिपि को पढ़ने में सफलता मिल जायेगी तब सिंधु सभ्यता के सन्दर्भ में नयी जानकारियाँ हमारे समक्ष आयेंगी।

लिपिकी प्रासंगिकता-सिंधु सभ्यता वासियों की एक लिपि भी थी, परन्तु दुर्भाग्यवश अभी तक इस लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है। जब तक यह लिपि पढ़ी नहीं जाती तब तक वर्तमान सन्दर्भ में इस लिपि की प्रासंगिकता का निर्धारण नहीं किया जा सकता।

माप-तौल की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता-सिंधु सभ्यता में माप-तौल के लिए बाँटों का प्रयोग किया जाता था। सिंधु सभ्यता के बाँट जिस अनुपात में होते थे उसी अनुपात में वर्तमान में भी होते हैं। सिंधु सभ्यता के सभी नगरों में माप-तौल प्रणाली एक समान, जो कि वर्तमान में भी पूरे देश में एक समान है। निश्चित ही माप-तौल प्रणाली की प्रेरणा हमें सिंधु सभ्यता से मिली होगी। सिंधु की माप-तौल प्रणाली आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उस समय थी।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 18.
अशोक द्वारा अपने अधिकारियों और प्रजा को दिये गये संदेशों की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता सिद्ध कीजिए। [3]
अथवा
सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में मगध की व्याख्या कीजिए। [3]
उत्तर:
सम्राट अशोक ने सभी धर्मों का सरल स्वरूप स्थापित किया जो धम्म कहलाया। अशोक ने अपने अधिकारियों और प्रजा को धम्म का संदेश दिया जिसकी वर्तमान सन्दर्भ में भी प्रासंगिकता है। अशोक के धम्म का स्वरूप मानवतावादी था जो नैतिक नियमों के पालन पर जोर देता है। अशोक के धम्म में बड़ों का आदर, सेवक तथा दासों के प्रति उदार व्यवहार तथा दूसरे सम्प्रदायों के प्रति आदर की भावना सम्मिलित है। वर्तमान युग में हम देखते हैं कि नई युवा पीढ़ी अपने बड़ों (माता-पिता) . को एक बोझ समझते हैं तथा उन्हें उपेक्षित एवं अकेला छोड़ देते हैं। धनी तथा शक्तिशाली लोग गरीब एवं उपेक्षित लोगों के अधिकारों को दबाकर उनका शोषण करते हैं। व्यक्ति अपने धर्म को अच्छा बताकर दूसरे धर्मों की बुराई करता है। अशोक के धम्म में जिन आदर्शों का उल्लेख किया गया है, व्यक्ति उन्हें अपने जीवन में उतार कर एक आदर्श एवं सुखी जीवन जी सकता है।

प्रश्न 19.
विजयनगर के प्रशासन में अमर नायक प्रणाली की भूमिका का उल्लेख कीजिए। [3]
अथवा
“महानवमी डिब्बा, विजयनगर साम्राज्य की एक विशिष्ट संरचना थी।” कथन को न्यायसंगत ठहराइए। [3]
उत्तर:
सेना-प्रमुख जिनके पास सशस्त्र सैनिक होते थे और जो किलों पर नियंत्रण रखते थे ‘नायक’ कहलाते थे। नायकों की प्रवृत्ति अधिकतर अवसरवादी होती थी तथा समय के अनुसार ये शासकों का प्रभुत्व स्वीकार कर लेते थे और अवसर पाकर विद्रोह भी कर देते थे। ये तेलुगु या कन्नड़ भाषा बोलते थे। इनके विद्रोह को शासकों द्वारा सैनिक कार्यवाही से दबाया जाता था।

विजयनगर साम्राज्य ने दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली के आधार पर ‘अमर-नायक’ नामक राजनीतिक प्रणाली की खोज की। अमर शब्द का उद्भव संस्कृत के शब्द ‘समर’ से हुआ है जिसका अर्थ है-लड़ाई या युद्ध। इसका अर्थ फारसी के शब्द अमीर से भी मिलता है और अमीर यानी ऊँचे पद का कुलीन व्यक्ति। अमर-नायकों को सैनिक कमांडरों की पदवी दी जाती थी। राय शासकों द्वारा उन्हें प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। अमर-नायकों का कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में किसानों, शिल्पकारों, व्यापारियों से राजस्व संग्रह कर राजकीय कोष में जमा करना था, राजस्व का कुछ निर्धारित प्रतिशत इन्हें अपने खर्चे हेतु दिया जाता था। ये राज्य की सैनिक सहायता भी करते थे और वर्ष में एक बार भेंट या उपहार राजा को प्रदान कर अपनी स्वामिभक्ति का प्रदर्शन करते थे।

प्रश्न 20.
भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान शहरीकरण के प्रतिरूपों में देखे गए महत्वपूर्ण बदलावों को उजागर कीजिए। [3]
अथवा
‘व्हाइट’ और ‘ब्लैक टाउन’ शब्दों का क्या महत्व था? [3]
उत्तर:
भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान छोटे कस्बों के पास आर्थिक रूप से विकसित होने के अधिक अवसर नहीं थे। हालाँकि कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास जैसे शहरों का तेजी से विस्तार हुआ तथा जल्द ही ये विशाल शहर बन गए। इन तीनों शहरों के नए व्यावसायिक तथा प्रशासनिक केन्द्रों के रूप में विकसित होने के साथ-साथ कई अन्य तत्कालीन शहर कमजोर भी होते जा रहे थे।

ये शहर औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का केन्द्र होने की वजह से भारतीय सूती कपड़े जैसे निर्यात उत्पादों के लिए संग्रह डिपो थे, लेकिन इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के बाद इस प्रवाह की दिशा परिवर्तित हो गई तथा इन शहरों में ब्रिटिश कारखानों में बनी वस्तुएँ उतरने लगीं। भारत से तैयार माल की जगह कच्चे माल का निर्यात होने लगा। इस आर्थिक गतिविधि ने औपनिवेशिक शहरों को देश के परम्परागत शहरों तथा कस्बों से एकदम अलग खड़ा कर दिया। 1853 ई. में रेलवे की शुरुआत होने के साथ ही शहरों की कायापलट होने लगी जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र परम्परागत शहरों से दूर जाने लगा। साथ ही जमालपुर, वॉल्टेयर तथा बरेली जैसे रेलवे नगरों का उदय हुआ।

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खण्ड – द

निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)

प्रश्न 21.
प्रारम्भिक भक्ति परम्पराओं को स्पष्ट करते हुए इनका जाति व राज्य के प्रति दृष्टिकोण का भी उल्लेख कीजिए। [4]
अथवा
“धार्मिक और राजनीतिक संस्था के रूप में खिलाफत की बढ़ती हुई विषय शक्ति की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप सूफीवाद का विकास हुआ।” स्पष्ट कीजिए। [4]
उत्तर:
प्रारम्भिक भक्ति परम्परा-धार्मिक इतिहासकारों ने भक्ति परम्परा को दो मुख्य वर्गों में बाँटा है-(1) सगुण (विशेषण सहित) तथा (2) निर्गुण (विशेषण विहीन)। प्रथम वर्ग में शिव, विष्णु तथा उनके अवतार व देवियों की आराधना आती है, जिनकी मूर्त रूप में आराधना हुई तथा द्वितीय वर्ग में अमूर्त, निराकार ईश्वर की उपासना की जाती थी। प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन का उदय लगभग छठी शताब्दी में अलवारों (विष्णु भक्ति में तन्मय) तथा नयनारों (शिवभक्त) के नेतृत्व में हुआ। वे तमिल भाषा में अपने इष्ट की स्तुति में भजन गाते हुए एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते थे। अपनी यात्राओं के दौरान अलवार तथा नयनार सन्तों ने कुछ पावन स्थलों को अपने इष्ट का निवास स्थल घोषित किया। बाद में इन्हीं स्थलों पर विशाल मन्दिरों का निर्माण हुआ तथा वे तीर्थस्थल माने गए।

जाति के प्रति दृष्टिकोण-कुछ इतिहासकारों का मत है कि अलवार तथा नयनार सन्तों ने जाति-प्रथा एवं ब्राह्मणों की प्रभुता के विरोध में आवाज उठाई। यह बात कुछ हद तक सत्य प्रतीत होती है क्योंकि भक्ति सन्त विविध समुदायों से थे; जैसे-ब्राह्मण, शिल्पकार, किसान तथा कुछ तो अस्पृश्य माने जाने वाली जातियों से थे। इन सन्तों की रचनाओं को वेद जितना महत्वपूर्ण बताकर इस परम्परा को सम्मानित किया गया। उदाहरण के लिए, अलवार सन्तों के एक मुख्य काव्य संकलन ‘नलयिरादिव्यप्रबंधम्’ का वर्णन तमिल वेद के रूप में किया जाता था।

राज्य के प्रति दृष्टिकोण-तमिल क्षेत्र में प्रथम सहस्राब्दि के उत्तरार्ध में राज्य का उद्भव तथा विकास हुआ जिसमें पल्लव एवं पांड्य राज्य (छठी से नवीं शताब्दी ई.) शामिल थे। हालाँकि कई शताब्दियों से मौजूद बौद्ध तथा जैन धर्म को इस क्षेत्र में व्यापारी व शिल्पी वर्ग का प्रश्रय प्राप्त था। इन धर्मों को यदा-कदा ही राजकीय संरक्षण तथा अनुदान प्राप्त होता था।

बौद्ध तथा जैन धर्म के प्रति उनका विरोध तमिल भक्ति रचनाओं की एक मुख्य विषयवस्तु है। नयनार सन्तों की रचनाओं में विशेषत: विरोध का स्वर उभर कर आता है। नि:संदेह शक्तिशाली चोल (नीं से तेरहवीं शताब्दी) सम्राटों ने ब्राह्मणी तथा भक्ति परम्परा को समर्थन देने के साथ ही विष्णु तथा शिव के मन्दिरों के निर्माण के लिए भूमि-अनुदान दिए। उदाहरण के लिए, चिदम्बरम, तंजावुर तथा गंगैकोंडचोलपुरम के विशाल शिव मंदिर चोल सम्राटों की मदद से ही बने। इसी काल में कांस्य में ढाली गई शिव की प्रतिमाओं का भी निर्माण हुआ।

अलवार तथा नयनार सन्त वेल्लाल कृषकों द्वारा सम्मानित होते थे इसलिए सम्भवतया शासकों ने भी उनका समर्थन पाने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए, चोल सम्राटों ने दैवीय समर्थन पाने का दावा किया तथा अपनी सत्ता के प्रदर्शन के लिए सुंदर मन्दिरों का निर्माण कराया जिनमें पत्थर तथा धातु से बनी मूर्तियाँ सुसज्जित थीं।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 22.
1930 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
“भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे।” कथन का विश्लेषण कीजिए। [4]
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन समाप्त होने के कई वर्ष पश्चात् तक महात्मा गाँधी ने स्वयं को समाज सुधार के कार्यों तक सीमित रखा। 1928 ई. में उन्होंने पुनः सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाये जाने के कारण सविनय अवज्ञा आन्दोलन 1930 ई. में चलाया गया जो यह सत्य और अहिंसा पर आधारित एक विशाल आन्दोलन था। इस आन्दोलन को चलाये जाने के निम्नलिखित कारण थे-

  • 1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया। इस कमीशन ने भारतीयों के विरोध के बावजूद भी अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी जिससे भारतीयों में असन्तोष फैल गया।
  • बारदोली के किसान आन्दोलन की सफलता ने गाँधीजी को सरकार के विरुद्ध आन्दोलन चलाने के लिए प्रेरित किया।
  • गाँधीजी ने सरकार के समक्ष कुछ शर्ते रखी, परन्तु वायसराय ने इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ- सविनय अवज्ञा आन्दोलन गाँधीजी की दाण्डी यात्रा से प्रारम्भ हुआ। गाँधीजी ने घोषणा की कि वे ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानून को तोड़ने के लिए यात्रा का नेतृत्व करेंगे। नमक पर राज्य का एकाधिकार बहुत अलोकप्रिय था। इसी को निशाना बनाते हुए गाँधीजी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष को संघटित करने की सोच रहे थे। अधिकांश भारतीयों को गाँधीजी की इस चुनौती का महत्व समझ में आ गया लेकिन ब्रिटिश शासन को नहीं। यद्यपि गाँधीजी ने अपनी नमक यात्रा की पूर्व सूचना वायसराय लॉर्ड इरविन को दे दी थी लेकिन वे इस यात्रा का महत्व नहीं समझ सके।

गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 ई. को अपने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से पैदल यात्रा प्रारम्भ की तथा 6 अप्रैल, 1930 को दाण्डी के निकट समुद्र तट पर पहुंचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून को तोड़ा। वहीं से सविनय अवज्ञा आन्दोलन देशभर में फैल गया तथा अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए दमन चक्र प्रारम्भ कर दिया। गाँधीजी सहित अनेक लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में बन्द कर दिया, परन्तु आन्दोलन की गति पर कोई अन्तर नहीं पड़ा। इसी बीच गाँधीजी तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के मध्य एक समझौता हुआ। गाँधी-इरविन समझौते के तहत गाँधीजी ने दूसरे गोलमज सम्मेलन में भाग लेना एवं आन्दोलन बन्द करना स्वीकार कर लिया। इस तरह 1931 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन कुछ समय के लिए रुक गया।

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की असफलता एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन का पुनः प्रारम्भ- 1931 ई. में लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में गाँधीजी ने भाग लिया, परन्तु इस सम्मेलन में भारतीय प्रशासन के बारे में कोई उचित हल न निकल पाने के कारण गाँधीजी निराश होकर भारत लौट आये। भारत लौटने पर उन्होंने अपना सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः प्रारम्भ कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन का दमन करने के लिए आन्दोलनकारियों पर फिर से अत्याचार करने प्रारम्भ कर दिए। कांग्रेस के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अंत-ब्रिटिश सरकार के दमनकारी चक्र के समक्ष सविनय अवज्ञा आन्दोलन की गति धीमी पड़ गयी। अंत में मई 1939 ई. में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस ले लिया।

RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) कालीबंगा
(ब) पाटलिपुत्र
(स) इलाहाबाद
(द) दिल्ली
अथवा
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) नागेश्वर
(ब) कौशाम्बी
(स) बड़ोदरा
(द) मछलीपट्टनम
RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi 2
उत्तर:
RBSE 12th History Model Paper Set 1 with Answers in Hindi 1

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