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RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

April 1, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 2 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) सिंधु सभ्यता का स्थल कालीबंगा निम्न में से किस राज्य में स्थित है? [1]
(अ) पंजाब
(ब) हरियाणा
(स) गुजरात
(द) राजस्थान
उत्तर:
(द) राजस्थान

(ii) सिंधु सभ्यता का प्रथम खोजा गया स्थल कौन-सा है? [1]
(अ) हड़प्पा
(ब) मोहनजोदड़ो
(स) धौलावीरा
(द) लोथल।
उत्तर:
(अ) हड़प्पा

(iii) निम्न में से किस शासक को बीसवीं शताब्दी के राष्ट्रवादी नेताओं ने प्रेरणा का स्रोत माना है- [1]
(अ) अशोक
(ब) कनिष्क
(स) समुद्रगुप्त
(द) चन्द्रगुप्त मौर्य।
उत्तर:
(अ) अशोक

(iv) सर्वप्रथम सोने के सिक्के किन शासकों ने जारी किए थे- [1]
(अ) शक
(ब) कुषाण
(स) मौर्य
(द) गुप्त।
उत्तर:
(ब) कुषाण

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

(v) महाभारत की सबसे चुनौतीपूर्ण उपकथा है- [1]
(अ) द्रौपदी का पाण्डवों के साथ विवाह करना
(ब) श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश देना
(स) अर्जुन द्वारा युद्ध करने से इन्कार करना
(द) पाण्डवों की विजय।
उत्तर:
(अ) द्रौपदी का पाण्डवों के साथ विवाह करना

(vi) प्रसिद्ध इतिहासकार वी. एस. सुकथांकर एक प्रसिद्ध विद्वान थे- [1]
(अ) संस्कृत के
(ब) मराठी के
(स) हिन्दी के
(द) अंग्रेजी के।
उत्तर:
(अ) संस्कृत के

(vii) फ्रांस्वा बर्नियर किस देश का निवासी था- [1]
(अ) फ्रांस का
(ब) ब्रिटेन का
(स) इटली का
(द) स्पेन का।
उत्तर:
(अ) फ्रांस का

(viii) शेख निजामुद्दीन औलिया की दरगाह कहाँ स्थित है? [1]
(अ) फतेहपुर सीकरी
(ब) दिल्ली
(स) आगरा
(द) अजमेर।
उत्तर:
(ब) दिल्ली

(ix) हम्पी को राष्ट्रीय महत्व के स्थल के रूप में कब मान्यता प्राप्त हुई? [1]
(अ) 1966 ई. में
(ब) 1976 ई. में
(स) 1986 ई. में
(द) 2021 ई. में
उत्तर:
(ब) 1976 ई. में

(x) स्थायी बन्दोबस्त मुख्यतः कहाँ लागू हुआ? [1]
(अ) बंगाल
(ब) मद्रास
(स) बम्बई
(द) पंजाब।
उत्तर:
(अ) बंगाल

(xi) सात टापुओं का शहर माना जाता है। [1]
(अ) बम्बई
(ब) कलकत्ता
(स) मद्रास
(द) दिल्ली।
उत्तर:
(अ) बम्बई

(xii) अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ- [1]
(अ) अप्रैल 1941 में
(ब) अगस्त 1942 में
(स) जनवरी 1943 में
(द) अक्टूबर 1946 में।
उत्तर:
(ब) अगस्त 1942 में

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने नवें गुरु तेग बहादुर जी की रचनाओं को भी गुरुबानी में सम्मिलित किया और इस ग्रन्थ को ……………….. का नाम दिया। [1]
(ii) 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में ………………….. ने राजमहल की पहाडियों का दौरा किया। [1]
(iii) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने कलकत्ता में ……………….. नामक किले का निर्माण करवाया। [1]
(iv) 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के ………………….. में जनरल डायर द्वारा भयंकर नरसंहार किया गया। [1]
(v) सातवाहन राजाओं को उनके ……………….. से चिह्नित किया जाता था जिससे यह प्रतीत होता है कि माताएँ महत्वपूर्ण थीं। [1]
(vi) शाहमल उत्तर प्रदेश के ………………. एक बड़े गाँव के रहने वाले थे। [1]
उत्तर:
(i) गुरू ग्रन्थ साहिब,
(ii) फ्रांसिस बुकानन,
(iii) फोर्ट विलियम,
(iv) जलियाँवाला बाग,
(v) मातृनाम,
(vi) बडौत परगना।

प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) सिंधु सभ्यता कालीन शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टताओं में से किसी एक का नाम बताइए। [1]
उत्तर:
नियोजित जल निकास प्रणाली सिंन्धु सभ्यता कालीन शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टताओं में से एक थी।

(ii) पुरातत्ववेत्ता बी. बी. लाल ने 1951-52 में मेरठ जिले (उत्तर प्रदेश) के किस गाँव का उत्खनन किया? [1]
उत्तर:
हस्तिनापुर का।

(iii) आरंभिक संस्कृत परम्परा में महाभारत को किसकी श्रेणी में रखा गया है? [1]
उत्तर:
आरंभिक संस्कृत परम्परा में महाभारत को इतिहास की श्रेणी में रखा गया है।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

(iv) उस फ्रांसीसी राजनीतिक दार्शनिक का नाम लिखिए जो दारा शिकोह का चिकित्सक था। [1]
उत्तर:
फ्रांस्वा बर्नियर।

(v) किस यात्री ने सुल्तान मुहम्मद तुगलक को भेंट में देने के लिए घोड़े, ऊँट तथा दास खरीदे ? [1]
उत्तर:
मोरक्को निवासी इब्न बतूता ने।

(vi) अलवारों के उस मुख्य काव्य संकलन का नाम लिखिए, जिसका वर्णन तमिल वेद के रूप में किया जाता था। [1]
उत्तर:
नलयिरादिव्यप्रबन्धम्।

(vii) हदीस का क्या अर्थ है? [1]
उत्तर:
हदीस का अर्थ है- पैगम्बर मोहम्मद साहब से जुड़ी परम्पराएँ; जिनके अन्तर्गत उनकी स्मृति से जुड़े शब्द और क्रियाकलाप आदि आते हैं, हदीस कहा जाता है।

(viii) बंगाल के धनी किसानों को किस नाम से जाना जाता था ? [1]
उत्तर:
बंगाल के धनी किसानों को जोतदार के नाम से जाना जाता था।

(ix) इस्तमरारी बंदोबस्त क्या था ? [1]
उत्तर:
वह स्थायी भू-राजस्व व्यवस्था जिसके अन्तर्गत ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राजस्व की राशि निश्चित कर दी थी जो प्रत्येक जमींदार को अदा करनी होती थी, इस्तमरारी बन्दोबस्त व्यवस्था कहलाती थी।

(x) 1857 के विद्रोह के समय मुगल बादशाह कौन था ? [1]
उत्तर:
बहादुरशाह जफर।

(xi) 1857 ई. की क्रांति को जनक्रांति की संज्ञा क्यों दी गई? [1]
उत्तर:
क्योंकि इस क्रांति में प्रत्येक धर्म, जाति और समूह के लोगों ने अंग्रेजी शासन के विरूद्ध लड़ाई लड़ी थी।

(vii) स्थापत्य कला की इण्डो-सारसेनिक तथा नव-गॉथिक शैली की एक-एक इमारत का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:

  • इण्डो-सारसेनिक गेट- वे ऑफ इण्डिया, मुम्बई।
  • नव-गॉथिक शैली- मुम्बई विश्वविद्यालय।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

खण्ड – ब

लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)

प्रश्न 4.
लोथल और चन्हुदड़ो सिंधु सभ्यता कालीन स्थलों पर दस्तकारी के उत्पादन की तकनीकों विशेषकर मनका बनाने की तकनीक को स्पष्ट कीजिए। [2]
उतर:
लोथल और चन्हुदड़ो सिंधु सभ्यता कालीन स्थलों पर मनके बनाने के लिए कार्नीलियन, जैस्पर, स्फटिक, क्वार्ट्ज तथा सेलखड़ी जैसे पत्थर, ताँबा, काँसा तथा सोने जैसी धातुएँ तथा शंख, फयॉन्स तथा पकी मिट्टी का प्रयोग किया जाता था। मनकों को उत्कीर्णन या चित्रकारी अथवा रेखाचित्र द्वारा सजाया जाता था। सेलखड़ी चूर्ण के लेप को साँचे में ढालकर भी मनके तैयार किए जाते थे। कार्नीलियन का लाल रंग, पीले रंग के कच्चे माल और उत्पादन के विभिन्न चरणों में मनकों को आग में पकाकर प्राप्त किया जाता था। पहले पत्थरों के पिंडों को अपरिष्कृत आकार में तोड़ते थे फिर बारीकी से शल्क निकालकर इन्हें अंतिम रूप देते थे। घिसाई, पॉलिश तथा इनमें छेद करने के साथ ही मनके बनाने की प्रक्रिया पूरी होती थी।

प्रश्न 5.
आप कैसे कह सकते हैं कि यूनानी आक्रमण ने मुद्रा (सिक्के) के क्षेत्र को प्रभावित किया? [2]
उत्तर:
यूनानी आक्रमण ने भारत में मुद्रा (सिक्के) के क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। उन्होंने सोने के ऐसे सिक्के चलाए जिन पर राजा का नाम, उपाधि और तिथि अंकित होती थी, जबकि पूर्व में प्रचलित चाँदी के सिक्कों पर ऐसा कोई वर्णन नहीं होता था। इसके अतिरिक्त यूनानियों द्वारा प्रचलित सिक्के निर्माण कला की उत्कृष्टता के कारण भी श्रेष्ठ थे।

प्रश्न 6.
बहिर्विवाह पद्धति की कोई दो विशेषताएँ बताइए। [2]
उत्तर:
बहिर्विवाह पद्धति की दो विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

  • इस पद्धति में विवाह अपने गोत्र से बाहर करना अनिवार्य था।
  • इस पद्धति के अनुसार पिता का महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य कन्यादान अर्थात् विवाह में कन्या की भेंट करना था।

प्रश्न 7.
“फ्रांस्वा बर्नियर द्वारा प्रस्तुत भारतीय ग्रामीण समाज का चित्रण सच्चाई से बहुत दूर था।” कथन को स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
फ्रांस्वा बर्नियर द्वारा प्रस्तुत भारतीय ग्रामीण समाज का चित्रण सच्चाई से बहुत दूर था। वास्तव में 16वीं व 17वीं शताब्दी में ग्रामीण समाज में बड़े पैमाने पर सामाजिक व आर्थिक विभेद पाया जाता था। एक ओर बड़े जमींदार थे तो दूसरी ओर अस्पृश्य भूमिहीन श्रमिक थे; इन दोनों के बीच में बड़े किसान थे, जो किराए के श्रम का उपयोग करते थे और उत्पादन में जुटे रहते थे। कुछ छोटे किसान भी थे, जो बड़ी मुश्किल से अपने जीवनयापन लायक उत्पादन कर पाते थे।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 8.
आप कैसे कह सकते हैं कि कबीर और नानक सामाजिक चेतना के प्रहरी थे ? [2]
उत्तर:
मध्यकालीन भक्ति सन्तों में कबीर एवं नानक का स्थान बहुत उच्च है। कबीर और नानक इस बात पर बल देते थे कि लोग समाज में व्याप्त बुराइयों को छोड़ें तथा एक आदर्श एवं संयमित जीवन प्रणाली को अपनायें। कबीर और नानक कहते थे कि लोग सामाजिक बुराइयों, पाखण्डवाद तथा धार्मिक आडम्बरों के प्रति चेतना जाग्रत करें। लोग स्वयं तय करें कि क्या अच्छा है तथा क्या बुरा। लोग लकीर के फकीर न बनें बल्कि अपनी अन्तरात्मा की आवाज को स्वीकार करें। कबीर और नानक ने लोगों को धार्मिक पाखण्डों तथा कर्मकाण्डों के प्रति सचेत करने का प्रयास किया। अतः हम मान सकते हैं कि कबीर और नानक दोनों सामाजिक चेतना के प्रहरी थे।

प्रश्न 9.
विजयनगर साम्राज्य में विरुपाक्ष मंदिर के सभागारों का प्रयोग किस रूप में होता था? [2]
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में विरुपाक्ष मंदिर के सभागारों का प्रयोग विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए होता था। इनमें से कुछ ऐसे थे जिनमें देवालयों की मूर्तियाँ संगीत, नृत्य एवं नाटकों के विशेष कार्यक्रमों में देखने के लिए रखी जाती थी। अन्य सभागारों का प्रयोग देवी-देवताओं के विवाह के उत्सव पर आनंद मनाने एवं कुछ अन्य का प्रयोग देवी-देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था। इन अवसरों पर विशिष्ट मर्तियों का प्रयोग होता था जो छोटे केन्द्रीय देवालयों में स्थापित मूर्तियों से भिन्न होती थीं।

प्रश्न 10.
विजयनगर के शासक अमर-नायकों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए क्या नीति अपनाते थे ? [2]
उत्तर:
अमर-नायकों को राजा को वर्ष में एक बार भेंट भेजनी पड़ती थी। उन्हें अपनी स्वामिभक्ति प्रकट करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों सहित स्वयं उपस्थित होना पड़ता था। राजा समय-समय पर उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित करते रहते थे, परन्तु उनकी यह नीति पूरी तरह से सफल नहीं रही। 17वीं शताब्दी में कई अमर-नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 11.
जमींदार को किसानों से राजस्व एकत्रित करने में किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था? [2]
उत्तर:
जमींदार को किसानों से राजस्व एकत्रित करने में निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था-

  • कभी-कभी खराब फसल होने पर किसानों के लिए राजस्व का भुगतान करना कठिन हो जाता था।
  • उपज की नीची कीमतों के कारण भी किसानों के लिए राजस्व का भुगतान करना कठिन हो जाता था।
  • कभी-कभी किसान जानबूझकर स्वयं भी भुगतान में देरी कर देते थे।

प्रश्न 12.
1857 के विद्रोह के कोई दो सामाजिक कारण बताइए। [2]
उत्तर:

  • भारतीयों को लगता था कि ब्रिटिश सरकार पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचारों एवं पश्चिमी संस्थानों के माध्यम से भारतीय समाज को सुधारने के लिए विशेष प्रकार की नीतियाँ लागू कर रही है।
  • रूढ़िवादी भारतीयों को अंग्रेजों द्वारा सती प्रथा को समाप्त करने एवं विधवा विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करने की नीति पर आपत्ति थी।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 13.
गाँधीजी की नमक यात्रा किन-किन कारणों से उल्लेखनीय थी ? [2]
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा निम्नलिखित तीन कारणों से उल्लेखनीय थी-

  • नमक यात्रा की घटना से गाँधीजी समस्त विश्व की नजर में आ गये। इस यात्रा को यूरोप व अमरीकी प्रेस ने अपने समाचार-पत्रों में व्यापक रूप से स्थान दिया।
  • यह प्रथम राष्ट्रवादी घटना थी जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
  • गाँधीजी एवं उनके सहयोगियों की नमक यात्रा के कारण अंग्रेजों को यह आभास हो गया था कि अब उनका शासन बहुत दिनों तक नहीं चल पाएगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में भागीदार बनाना पड़ेगा।

प्रश्न 14.
मेरठ छावनी के विद्रोही सिपाहियों ने मुगल सम्राट बहादुरशाह को क्या सन्देश पहुँचाया ? [2]
उत्तर:
दिल्ली के लाल किले के फाटक पर पहुँचकर मेरठ छावनी के विद्रोही सैनिकों ने मुगल सम्राट बहादुरशाह को यह सन्देश पहुँचाया कि “हम मेरठ के सभी अंग्रेज पुरुषों को मारकर आए हैं क्योंकि वे हमें गाय और सुअर की चर्बी में लिपटे कारतूसों को दाँतों से खींचने के लिए मजबूर कर रहे थे। इससे हिन्दू और मुसलमानों, दोनों का धर्म भ्रष्ट हो जाएगा। आप हमें अपना आशीर्वाद दें एवं हमारा नेतृत्व करें।”

प्रश्न 15.
अल बिरूनी के लेखन कार्य की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
उत्तर:
अल बिरूनी के लेखन कार्य की दो विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-

  • अल बिरूनी ने अपने लेखन कार्य में अरबी भाषा का प्रयोग किया,
  • अल बिरूनी द्वारा लिखित ग्रन्थों की लेखन शैली के विषय में उसका दृष्टिकोण आलोचनात्मक था।

प्रश्न 16.
उन्नीसवीं सदी के आखिर में भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा जनगणना के सांख्यिकी आँकड़ों में परिवर्तन किस प्रकार भ्रमित करने वाला था? स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:

  • इन आँकड़ों में बीमारियों से होने वाली मौतों की सारणियों का अन्तहीन सिलसिला या उम्र, लिंग, जाति तथा व्यवसाय के अनुसार लोगों को गिनने की व्यवस्था से संख्याओं का एक विशाल भंडार मिलता था जिससे सटीकता का भ्रम उत्पन्न हो जाता था।
  • ऊँची जाति के लोग अपने घर की औरतों के बारे में जानकारी देने से हिचकिचाते थे तथा अधिकांश लोग जनगणना आयुक्तों को गलत जवाब देते थे।

खण्ड – स

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)

प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता कालीन धार्मिक प्रथाओं के पुनर्निर्माण में पुरातत्वविदों के समक्ष समस्याओं का वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
सिंधु सभ्यता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। [3]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता कालीन धार्मिक प्रथाओं के पुनर्निर्माण में पुरातत्वविदों के समक्ष उत्पन्न कुछ प्रमुख समस्याएँ निम्न प्रकार हैं-
1. असामान्य एवं अपरिचित वस्तुओं का परीक्षण-आरंभिक पुरातत्वविदों के अनुसार असामान्य एवं अपरिचित लगने वाली अनेक वस्तुएँ सम्भवतः धार्मिक महत्व की होती थीं, जैसे-आभूषणों से लदी हुई नारी-मृण्मूर्तियाँ (जिन्हें मातृदेवियों की संज्ञा दी गई थी)। इनमें से कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे। ‘पुरोहित राजा’ के समान पुरुषों की दुर्लभ पत्थर से बनी मूर्तियाँ जिनमें उन्हें एक लगभग मानवीकृत मुद्रा में एक हाथ घुटने पर रखकर बैठा हुआ दिखाया गया था। इसके अतिरिक्त विशाल स्नानागार, कालीबंगन एवं लोथल से मिली वेदियों जैसी संरचनाओं को आनुष्ठानिक महत्व का माना गया है।

2. मुहरों का परीक्षण-पुरातत्वविदों ने अनुष्ठान के दृश्य वाली मुहरों को धार्मिक आस्थाओं एवं प्रथाओं से जोड़ने का प्रयास किया है, जबकि उन मुहरों को जिन पर पेड़-पौधे उत्कीर्ण है, प्रकृति पूजा से जोड़ा है। वहीं मुहरों पर बनाए गए एक सींग वाले जानवर (एक शृंगी) को कल्पित एवं संश्लिष्ट माना है। ‘योगी’ की मुद्रा (पालथी मार कर बैठना) वाली आकृति वाली मुहरों का सम्बन्ध हिन्दू धर्म से जोड़ा गया है क्योंकि इसे ‘आद्य शिव’ की संज्ञा दी गई है। इसके अतिरिक्त पत्थर की शंक्वाकार वस्तुओं को लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 18.
“छठी शताब्दी ई. पू. से ही भारतीय उपमहाद्वीप में ‘भू’ और ‘समुद्री’ मार्गों का जाल फैला हुआ था।” इस कथन को व्यापार के संदर्भ में प्रमाणित कीजिए। [3]
अथवा
“अशोक ने धम्म के प्रतिपादन हेतु व्यावहारिक उपाय किए।” कथन को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
उत्तरी भारत की एकता तथा गुप्त शासकों द्वारा देश में शान्ति स्थापना के कारण आन्तरिक और विदेशी व्यापार में बहुत उन्नति हुई जिसके कारण देश में व्यापक आर्थिक प्रगति हुई। छठी शताब्दी ई. पू. से ही परिवहन के लिये भूतल मार्गों और सामुद्रिक यातायात के लिए समुद्री मार्गों का जाल बिछ गया था। भू-मार्ग मध्य एशिया और उसके आगे तक जाते थे। पाटलिपुत्र जैसे कुछ नगर नदी मार्गों के किनारे तथा पुहार, सोपारा जैसे नगर समुद्र तट पर बसे हुए थे। जलमार्ग अरब सागर से होते हुए उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा बंगाल की खाड़ी से होते हुए चीन और दक्षिण पूर्व एशिया तक फैल गया था।

विभिन्न प्रकार का कपड़ा, खाद्य-पदार्थ, अनाज, मसाले, नमक आदि आन्तरिक व्यापार की मुख्य वस्तुएँ थीं। निर्यात की वस्तुओं में कपड़ा, जड़ी-बूटी, मसाले, काली मिर्च, नील तथा हाथी दाँत की वस्तुएँ मुख्य थीं जिनको अरब सागर के रास्ते भूमध्य क्षेत्र तक भेजा जाता था।

प्रश्न 19.
आपके विचार में महानवमी डिब्बा से सम्बद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्व था? [3]
अथवा
विजयनगर राज्य के किन्हीं चार ऐतिहासिक स्मारकों का उल्लेख कीजिए। [3]
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में महानवमी डिब्बा शहर के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक पर स्थित एक विशाल मंच था जिसका आकार लगभग 11000 वर्ग फीट तथा ऊँचाई 40 फीट थी। हमें ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इस पर एक लकड़ी की संरचना बनी हुई थी। कारीगरों ने इसके आधार पर सुन्दर नक्काशी भी की है।

सम्भवतः इस संरचना से जुड़े अनुष्ठानं महानवमी से जुड़े थे, जिसका सम्बन्ध उत्तरी भारत के दशहरे, बंगाल की प्रसिद्ध दुर्गा पूजा तथा प्रायद्वीपीय भारत के नवरात्री तथा महानवमी के त्योहारों से है। विजयनगर के शासक इस अवसर पर अपनी प्रतिष्ठा तथा शक्ति का प्रदर्शन करते थे। इस अवसर पर अनेक अनुष्ठान होते थे । राजा के अश्व की पूजा, मूर्ति की पूजा तथा जानवरों की बलि इस अवसर के मुख्य आकर्षण थे। इसके अतिरिक्त नृत्य, कुश्ती, घोड़ों, हाथियों, रथों और सैनिकों की शोभायात्रा भी इस अवसर के अन्य आकर्षण थे। इस अवसर पर नायक एवं अधीनस्थ राजा विजयनगर के शासक को भेंट भी देते थे। इन उत्सवों तथा कार्यक्रमों के गहन सांकेतिक अर्थ थे। राजा अथवा शासक त्योहारों के अन्तिम दिन अपनी तथा अपने नागरिकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में निरीक्षण करते थे। इस अवसर पर नायक राजा के लिए बड़ी मात्रा में उपहार तथा निश्चित कर लाते थे।

प्रश्न 20.
सोलहवीं व सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों द्वारा बसाए गए शहरों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
प्रमुख भारतीय व्यापारियों ने औपनिवेशिक शहरों में स्वंय को किस प्रकार स्थापित किया? बताइए। [3]
उत्तर:
पूर्व औपनिवेशिक काल अर्थात् सोलहवीं व सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों द्वारा बसाए गए शहरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-

  • मुगलों द्वारा बसाए गए शहर जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों एवं अपनी शोभा व समृद्धि के लिए प्रसिद्ध थे।
  • आगरा, दिल्ली व लाहौर शाही प्रशासन एवं सत्ता के महत्वपूर्ण केन्द्र थे। मनसबदार व जागीरदार प्रायः इन्हीं शहरों में रहते थे। इन सत्ता केन्द्रों में आवास का होना किसी अभिजात वर्ग की स्थिति और प्रतिष्ठा का सूचक माना जाता था।
  • इन शहरी केन्द्रों में सम्राट एवं कुलीन वर्ग की उपस्थिति के कारण विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करना आवश्यक था।
  • राजकोष भी शाही राजधानी में ही स्थित था इसलिए राज्य का राजस्व नियमित रूप से राजधानी में ही आता था।
  • बादशाह एक किलेबन्द महल में रहता था एवं शहर एक ही दीवार से घिरा हुआ होता था, जिसमें अलग-अलग द्वारों से आवागमन पर नियन्त्रण रखा जाता था।
  • शहरों में मन्दिर, मस्जिद, उद्यान, मकबरे, बाजार, महाविद्यालय आदि स्थित होते थे।

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खण्ड – द

निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)

प्रश्न 21.
भारत में सूफी मत के अभ्युदय और विकास तथा खानकाह और सिलसिलों के गठन का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
अलवर और नयनार के राज्य और समाज के साथ सम्बन्धों का वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
भारत में सूफी मत का अभ्युदय एवं विकास- सूफीवाद या सूफी मत 19वीं सदी में अंग्रेजी में मुद्रित एक शब्द है जिसका तसव्वुफ नामक शब्द से इस्लामी ग्रन्थों में उल्लेख किया गया है। कुछ विद्वानों के अनुसार यह शब्द सूफ यानी ऊन है। सूफ़ी लोग ऊन से बने वस्त्र धारण करते थे। कुछ अन्य विद्वानों का मत है कि यह शब्द ‘सफ़ा’ से निकला है; ‘सफ़ा’ का तात्पर्य सम्भवतः पैगम्बर साहब की मस्जिद के बाहर एक चबूतरे पर अनुयायियों की सभा से है, जो धर्म के विषय में चर्चा हेतु एकत्र होती थी।

कुछ आध्यात्मिक लोगों की रुचि रहस्यवाद और वैराग्य की ओर विकसित हुई, इन रहस्यवादियों का अपना एक अलग अंदाज था, इन्हें सूफी कहा गया। सूफ़ियों ने इस्लाम की पुरातन रूढ़ परम्पराओं तथा कुरान और ‘सुन्ना’ (पैगम्बर के व्यवहार) की धर्माचार्यों द्वारा की गयी बौद्धिक व्याख्याओं की आलोचना की। सूफ़ियों ने साधना में लीन होकर अनुभवों के आधार पर कुरान की अपने अनुसार व्याख्या की। उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद साहब को ‘इंसान ए कामिल’ बताते हुए ईश्वर-भक्ति और उनके आदेशों के पालन पर बल दिया।

खानकाह सूफीवाद- ने 11वीं शताब्दी तक आते-आते एक पूर्ण विकसित आन्दोलन का रूप ले लिया। सूफीवाद की कुरान से जुड़ी अपनी एक समृद्ध साहित्यिक परम्परा थी। समाज को नयी दृष्टि तथा समाज की अव्यवस्था तथा अनैतिकता को रोकने हेतु सफियों ने ‘खानकाह’ (फारसी) के नाम से अपने संगठित समुदाय का गठन किया। इस समुदाय का नियन्त्रण पीर शेख अथवा मुर्शिद द्वारा किया जाता था तथा ये लोग गुरु के रूप में जाने जाते थे। शिष्यों (अनुयायियों) की भरती और नियन्त्रण का कार्य इन्हीं लोगों के द्वारा संचालित किया जाता था। अपने वारिस (खलीफा) का चुनाव भी स्वयं करते थे। ये लोग आध्यात्मिक नियमों के नीति निर्धारण के साथ-साथ खानकाह के निवासियों के बीच एवं शेख तथा जनसाधारण के बीच सम्बन्धों की सीमा भी तय करते थे।

सिलसिलों का गठन- सिलसिले शब्द का अर्थ है; कड़ी या जंजीर अथवा जंजीर की भाँति एक-दूसरे से जुड़ा हुआ। सूफी सिलसिलों का गठन लगभग 12वीं शताब्दी में प्रारम्भ हो चुका था। इस सूफी सिलसिले की पहली अटूट कड़ी अल्लाह और पैगम्बर मोहम्मद साहब के बीच मानी जाती है तथा इसके पश्चात् शेख और मुरीद आदि आते थे। इस सिलसिले या कड़ी के द्वारा पैगम्बर मोहम्मद साहब की आध्यात्मिक शक्ति शेख के माध्यम से मुरीदों तक पहुँचती थी। अनुयायियों को भरती करते समय दीक्षा का विशेष अनुष्ठान किया जाता था। दीक्षा प्राप्त करने वाले अनुयायी को निष्ठा की शपथ लेनी पड़ती थी और उसे सिर मुंडाकर थेगड़ी लगे वस्त्र धारण करने पड़ते थे।

पीर की मृत्यु के पश्चात् उसकी दरगाह उसके अनुयायियों के लिए तीर्थस्थल का रूप ले लेती थी। दरगाह का अर्थ है-दरबार, देश-विदेश से पीर के अनुयायी पीर की दरगाह पर उनकी बरसी के अवसर पर जियारत के लिए आते थे। इस प्रकार जियारत पर अनुयायियों के मेले को ‘उर्स’ कहा जाता था। उर्स का अर्थ है- पीर की आत्मा का परमपिता की आत्मा से मिलना। सफियों के अनुसार पीर अपनी मृत्यु के बाद ईश्वर की परमसत्ता में विलीन हो जाते हैं। इस तरह जीवित अवस्था की अपेक्षा मृत्यु के बाद वे एक प्रकार से सर्वव्यापी परमात्मा का रूप ले लेते हैं। इसी श्रद्धा के कारण लोग अपने कष्टों के निवारण तथा कामनाओं की पूर्ति हेतु उर्स के मौके पर ज़ियारत के रूप में उनकी दरगाह पर आशीर्वाद लेने हेतु जाते हैं। इस प्रकार शेख,का वली के रूप में आदर करने की प्रथा प्रारम्भ हुई।

प्रश्न 22.
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधी के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
भारत छोड़ो आंदोलन के उदय के कारण बताते हुए इसके प्रमुख कार्यक्रम व गतिविधियों पर प्रकाश डालिए। [4]
उत्तर:
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधीजी का योगदान–भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में महात्मा गाँधीजी ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(i) अहिंसात्मक आन्दोलनों का नेतृत्वमहात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध अनेक अहिंसात्मक आन्दोलनों का नेतृत्व किया जिनमें असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन आदि प्रमुख हैं। महात्मा गाँधी ने अपने आन्दोलनों के माध्यम से भारतीय जनता को जागृत किया कि वे अंग्रेजों का साथ नहीं दें। यदि वे अंग्रेजों का साथ नहीं देंगे तो शीघ्र ही अंग्रेज भारत से बाहर होंगे। उन्होंने विदेशी माल का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया तथा विदेशी वस्त्रों की होली जलवाई। जनता के हित में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाया गया नमक कानून तोड़ा। अगस्त, 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से आर-पार की लड़ाई छेड़ी तथा ‘करो या मरो’ का नारा दिया। अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाना चाहा लेकिन वे जनता की आवाज को न दबा सके। अन्त में अंग्रेज सरकार घबरा गयी और उसे देश को आजाद करना पड़ा।

(ii) देश को सत्याग्रह एवं अहिंसारूपी हथियार प्रदान करना—गाँधीजी के दो प्रमुख हथियार थे—सत्याग्रह एवं अहिंसा। अपनी बात को मनवाने के लिए गाँधीजी धरना देते थे या कुछ दिनों का उपवास रख लेते थे अथवा अपना विरोध प्रकट करने के लिए अन्य कोई भी तरीका अपना लेते थे। उन्होंने कई बार आमरण अनशन भी किया। गाँधीजी को सम्पूर्ण विश्व के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता सत्याग्रह से मिलती थी। इनके सत्याग्रह रूपी हथियार से अंग्रेज सरकार भी काँपती थी। इसके अतिरिक्त गाँधीजी अपनी बात को मनवाने के लिए कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं करते थे बल्कि अहिंसक तरीके से उसका विरोध करते थे। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि अंग्रेज सरकार हर प्रकार से शक्तिशाली है इसलिए इनसे लड़कर नहीं जीता जा सकता। उन्हें तो शान्ति और अहिंसा से ही पराजित किया जा सकता है। अंत में उन्होंने इसी नीति से अंग्रेज सरकार को झुका दिया।

(iii) भारतीय राष्ट्रवाद से समाज के सभी वर्गों को जोड़ना-गाँधीजी ने स्वतंत्रता हेतु संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन को जन आन्दोलन में परिवर्तित किया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद से समाज के सभी वर्गों, यथा-वकीलों, डॉक्टरों, जमींदारों, किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, युवकों, महिलाओं, निम्न जातियों, हिन्दुओं, मुसलमानों, सिखों आदि को जोड़ा तथा उनमें परस्पर एकता स्थापित की। उन्होंने समस्त जनता को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़कर उसे जन आन्दोलन बना दिया।

(iv) समाज सुधारक-गाँधीजी ने भारतवासियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए अनेक कार्य किये। भारत से गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने लोगों को खादी पहनने का सन्देश दिया। समाज से छुआछूत व बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया। अछूतों के उद्धार के लिए उन्हें ‘हरिजन’ नाम दिया। देश में साम्प्रदायिक दंगों को समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने गाँव-गाँव घूमकर लोगों को भाईचारे को संदेश दिया।

(v) हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक- अंग्रेजों ने भारतीयों को एक-दूसरे से अलग रखने के उद्देश्य से अनेक प्रयास किये। हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन गाँधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता को कायम रखने के भरसक प्रयत्न किये जिससे अंग्रेजों की फूट-डालो और राज करो की नीति सफल न हो सकी।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने में गाँधीजी का अविस्मरणीय योगदान रहा है। यदि गाँधीजी को स्वाधीनता संघर्ष की धुरी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) लोथल
(ब) मत्स्य
(स) मद्रास
(द) अमृतसर
अथवा
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) कोटा
(ब) काशी
(स) दिल्ली.
(द) धौलावीरा
RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 2
उत्तर:
RBSE 12th History Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 1

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