Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 3 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 History Model Paper Set 3 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) सिंधु सभ्यता का स्थल बनावली किस राज्य में स्थित है? [1]
(अ) राजस्थान
(ब) हरियाणा
(स) उत्तर प्रदेश
(द) गुजरात
उत्तर:
(ब) हरियाणा
(ii) मोहनजोदड़ो की सबसे विस्तृत इमारत कौन-सी है? [1]
(अ) स्नानागार
(ब) राज-प्रासाद
(स) अन्नागार
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) अन्नागार
(iii) निम्नलिखित में से सर्वोत्तम कारण की पहचान कीजिए जिसके कारण राजा अशोक को उसकी प्रजा द्वारा “देवनापिय’ और ‘पियदस्सी’ के रूप में जाना जाता था- [1]
(अ) अशोक ने अपने आपको आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया।
(ब) उसने ‘देवपुत्र’ की उपाधि स्वीकार की।
(स) पुरालेखशास्त्रियों ने उसे देवानांपिय के रूप में जाना।
(द) उसने धम्म के माध्यम से समाज की भलाई की।
उत्तर:
(द) उसने धम्म के माध्यम से समाज की भलाई की।
(iv) प्रयाग प्रशस्ति के लेखक हैं- [1]
(अ) हरिषेण
(ब) बाणभट्ट
(स) कौटिल्य
(द) जयदेव।
उत्तर:
(अ) हरिषेण
(v) महाभारत है- [1]
(अ) एक खण्डकाव्य
(ब) एक उपन्यास
(स) एक महाकाव्य
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) एक महाकाव्य
(vi) भारतीय डाक-व्यवस्था का विस्तृत विवरण किसने दिया है- [1]
(अ) अल बिरूनी ने
(ब) इब्न बतूता ने
(स) बर्नियर ने
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) इब्न बतूता ने
(vii) वीरशैव मत के प्रवर्तक कौन थे? [1]
(अ) बासवन्ना
(ब) बसन्तसेन
(स) लकुलीश
(द) चन्द्रमौलि।
उत्तर:
(अ) बासवन्ना
(viii) विट्ठलराय मन्दिर का निर्माण किसने करवाया? [1]
(अ) देवराय प्रथम
(ब) देवराय द्वितीय
(स) हरिहर प्रथम
(द) हरिहर द्वितीय।
उत्तर:
(ब) देवराय द्वितीय
(ix) बम्बई दक्कन में किसानों का विद्रोह कब हुआ? [1]
(अ) 1875 में
(ब) 1878 में
(स) 1881 में
(द) 1885 में।
उत्तर:
(अ) 1875 में
(x) निम्न में से कौन-सा एक परम्परागत गुजराती शैली का प्रसिद्ध उदाहरण है? [1]
(अ) गेटवे ऑफ इंडिया
(ब) विक्टोरिया टर्मिनस
(स) बम्बई सचिवालय
(द) ऐल्फिस्टन सर्कल।
उत्तर:
(अ) गेटवे ऑफ इंडिया
(xi) कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की घोषणा अपने किस अधिवेशन में की थी? [1]
(अ) सूरत अधिवेशन
(ब) लाहौर अधिवेशन
(स) बम्बई अधिवेशन
(द) नागपुर अधिवेशन।
उत्तर:
(ब) लाहौर अधिवेशन
(xii) 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण था। [1]
(अ) चर्बी वाले कारतूस
(ब) वेलेजली की सहायक संधि
(स) ईसाई धर्म प्रचारक
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) चर्बी वाले कारतूस
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) भक्ति परम्परा की सबसे प्रसिद्ध कवयित्री …………. का जन्म मारवाड के मेदता के राजकुल में हुआ था। [1]
(ii) बम्बई दक्कन में पहला ……………. 1820 के दशक में लागू किया गया। [1]
(iii) ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मद्रास में ……………. का निर्माण कराया। [1]
(iv) 1928 ई. में अंग्रेजी सरकार के शासन की जाँच करने के लिए इंग्लैण्ड से ………… भारत आया था। [1]
(v) महाभारत नामक महाकाव्य कई भाषाओं में मिलता है लेकिन इसकी मूल भाषा ………… है। [1]
(vi) कुशासन के आधार पर 1856 ई. में ………….. को ब्रिटिश राज्य में मिलाकर नवाब वाजिद अली शाह को निष्कासित कर दिया। [1]
उत्तर:
(i) मीराबाई,
(ii) राजस्व बंदोबस्त,
(iii) फोर्ट सेंट जॉर्ज,
(iv) साइमन कमीशन,
(v) संस्कृत,
(vi) अवध।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) सिंधु सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल कौन-सा है ? [1]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल मोहनजोदड़ो है।
(ii) महाभारत की विषयवस्तु को किन दो शीर्षकों के अन्तर्गत रखते हैं ? [1]
उत्तर:
- आख्यान तथा
- उपदेशात्मक।
(iii) सातवाहन कुल के किस शासक ने शक राजा रुद्रदामन के परिवार से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किए? [1]
उत्तर:
गोतमी-पुत्त सिरी-सातकनि ने।
(iv) चीन के विषय में इन बतूता के वृत्तान्त की तुलना किसके वृत्तान्त से की जाती है? [1]
उत्तर:
मार्को पोलो के वृत्तांत से।
(v) फ्रांसीसी यात्री बर्नियर के अनुसार भारत तथा यूरोप के मध्य मूल असमानताओं में से एक कौन-सी थी? [1]
उत्तर:
बर्नियर के अनुसार भारत में यूरोप के विपरीत निजी भू-स्वामित्व का सर्वथा अभाव पाया जाता है।
(vi) प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन कब व किसके नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ ? [1]
उत्तर:
प्रारंभिक भक्ति आन्दोलन लगभग छठी शताब्दी में अलवारों एवं नयनारों के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ।
(vii) सूफ़ी सिलसिले के किन्हीं दो मुख्य उपदेशकों का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
- शेख मुइनुद्दीन चिश्ती तथा
- शेख निजामुद्दीन औलिया।
(viii) अमला क्या था ? [1]
उत्तर:
ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में राजस्व एकत्रित करने के लिए जमींदार का जो अधिकारी गाँव में जाता था, उसे अमला कहा जाता था।
(ix) कुदाल एवं हल किन लोगों के जीवन का प्रतीक माना जाता था ? [1]
उत्तर:
कुदाल को पहाड़िया लोगों तथा हल को संथालों के जीवन का प्रतीक माना जाता था।
(x) किस मुगल बादशाह ने 1857 ई. के विद्रोहियों का नेतृत्व करना स्वीकार कर लिया ? [1]
उत्तर:
बहादुरशाह ज़फर ने।
(xi) 20वीं शताब्दी के राष्ट्रवादी आन्दोलन को किससे प्रेरणा प्राप्त हुई ? [1]
उत्तर:
1857 ई. के घटनाक्रम से।
(xii) बम्बई में गेट-वे-ऑफ इंडिया कब व किसके स्वागत में बनवाया गया था? [1]
उत्तर:
बम्बई में गेट-वे ऑफ इंडिया 1911 ई. में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम व उनकी पत्नी के स्वागत के लिए बनवाया गया।
खण्ड – ब
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
सिंधु सभ्यता के लोगों द्वारा सिंचाई के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले साधनों के नाम लिखिए व उदाहरण भी दीजिए। [2]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के लोगों द्वारा मुख्यतः नहरों, कुओं एवं जलाशयों का प्रयोग सिंचाई हेतु किया जाता था। उदाहरण-
- शोर्तुघई (अफगानिस्तान) नामक स्थल से सिंधु सभ्यता कालीन नहरों के अवशेष मिले हैं।
- सिंधु सभ्यता के लोगों द्वारा सिंचाई के लिए कुओं का भी प्रयोग किया जाता था।
- धौलावीरा (गुजरात) से जलाशयों के अवशेष मिले हैं जिनका उपयोग कृषि के लिए जल संचयन हेतु किया जाता था।
प्रश्न 5.
अशोक के धम्म के प्रमुख सिद्धान्त बताइए। [2]
उत्तर:
सबसे प्राचीन अभिलेख मौर्य सम्राट अशोक के हैं जिनके माध्यम से अशोक ने अपने धम्म का प्रचार किया, जिसके प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित थे-(i) बड़ों का आदर करना, (ii) संन्यासियों एवं ब्राह्मणों के प्रति उदारता रखना, (iii) अपने सेवकों एवं दासों के प्रति उदार व्यवहार करना, (iv) दूसरों के धर्मों एवं परम्पराओं का आदर करना।
प्रश्न 6.
गोत्र प्रणाली के दो नियमों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
लगभग 1000 ई. पू. के बाद से प्रचलन में आयी ब्राह्मणीय पद्धति ने लोगों को गोत्रों में वर्गीकृत किया। प्रत्येक गोत्र एक वैदिक ऋषि के नाम पर होता था जिसके सदस्य उसी ऋषि के वंशज माने जाते थे। गोत्र प्रणाली के दो नियम महत्वपूर्ण थे-
- विवाह के पश्चात् स्त्री को पिता के स्थान पर पति के गोत्र का माना जाता था।
- एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह सम्बन्ध नहीं रख सकते थे।
प्रश्न 7.
इब्न बतूता ने भारतीय शहरों के सम्बन्ध में जो लिखा है, उस पर प्रकाश डालिए। [2]
उत्तर:
इब्न बतूता मोरक्को का निवासी था। वह मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था। उसने भारतीय शहरों के बारे में लिखा था कि भारतीय शहर घनी आबादी वाले व समृद्ध हैं। उसने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा व विशाल जनसंख्या वाला शहर बताया। उसने महाराष्ट्र के दौलताबाद शहर को भी आकार में दिल्ली के समकक्ष बताया। शहरों के बाजार मात्र आर्थिक विनिमय के स्थान ही नहीं थे बल्कि सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र भी थे। अधिकांश बाजारों में एक मस्जिद व मन्दिर होते थे। शहर आवश्यक इच्छा, साधन और कौशल वाले लोगों के लिए व्यापक अवसरों से भरपूर थे।
प्रश्न 8.
गुरु नानक के प्रमुख उपदेश कौन-कौन से हैं? [2]
उत्तर:
गुरुनानक के प्रमुख उपदेश निम्नलिखित हैं
- उन्होंने हिन्दू तथा मुस्लिम धर्म-ग्रन्थों को नकारा।
- उन्होंने निर्गुण भक्ति का समर्थन किया।
- उन्होंने धर्म के सभी आडम्बरों-यज्ञ, आनुष्ठानिक स्नान, मूर्ति-पूजा तथा कठोर तप का खण्डन किया।
- उनके अनुसार परमपूर्ण रब्ब (परमात्मा) का कोई लिंग अथवा आकार नहीं है।
- उन्होंने परमात्मा की उपासना के लिए एक सरल उपाय, निरंतर स्मरण तथा जप बताया।
प्रश्न 9.
विजयनगर के शासक स्वयं को देवता या भगवान का प्रतिनिधि होने का दावा कैसे करते थे? [2]
उत्तर:
विजयनगर के शासक भगवान विरुपाक्ष की ओर से शासन करने का दावा करते थे। सभी राजकीय आदेशों पर प्रायः कन्नड़ लिपि में श्री विरुपाक्ष शब्द अंकित होता था। शासक देवताओं से अपने गहन सम्बन्धों के संकेतक के रूप में विरुद ‘हिन्दू सूरतराणा’ का भी प्रयोग करते थे जिसका शाब्दिक अर्थ था- हिन्दू सुलतान।
प्रश्न 10.
विजयनगर के कमलपुरम् जलाशय के बारे में बताइए। [2]
उत्तर:
कमलपुरम् जलाशय विजयनगर के सबसे महत्वपूर्ण जलाशयों में से एक था। जिसके पानी से न केवल आस-पास के खेतों को सींचा जाता था बल्कि एक नहर के माध्यम से राजकीय केन्द्र तक भी ले जाया जाता था।
प्रश्न 11.
“रैयतवाड़ी प्रथा ने बम्बई दक्कन के रैयतों को संकट की स्थिति में डाल दिया।” कोई तीन उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
- रैयतवाड़ी प्रथा के अन्तर्गत माँगा गया राजस्व इतना अधिक था कि अनेक स्थानों पर किसान अपने गाँव से नए क्षेत्रों में पलायन कर गए।
- वर्षा की कमी के कारण फसल खराब होने पर किसानों के लिए राजस्व अदा करना असम्भव हो जाता था। इस स्थिति में भी कलेक्टर बड़े अधिकारियों को खुश करने के लिए अत्यन्त कठोरतापूर्वक राजस्व वसूलने का प्रयत्न करते थे।
- किसानों के राजस्व नहीं अदा कर पाने पर उनकी फसलों को जब्त कर पूरे गाँव पर जुर्माना लगा दिया जाता था।
प्रश्न 12.
1857 के विद्रोह के समय 41वीं नेटिव इन्फेन्ट्री कहाँ तैनात थी तथा उसने अवध मिलिट्री पुलिस को क्या दलीलें दी ? [2]
उत्तर:
1857 के विद्रोह के समय 41वीं नेटिव इन्फेन्ट्री अवध में तैनात थी। उसने अवध मिलिट्री पुलिस को दलील दी कि उसने अपने समस्त अंग्रेज अधिकारियों को मार दिया है इसलिए अवध मिलिट्री पुलिस कैप्टन हियर्से को मार दे अथवा गिरफ्तार करके उन्हें सौंप दे।
प्रश्न 13.
“गाँधीजी एक सच्चे जन नेता थे।” कथन की व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
महात्मा गाँधी भारत में एक जन नेता के रूप में स्थापित हो गए। निम्न स्थितियों ने उन्हें एक जन नेता बना दिया-
- उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को जन आन्दोलन में परिणत किया।
- उन्होंने आम जनता की तरह साधारण वस्त्र धारण किये।
- गाँधीजी देश की जनता से उनकी ही भाषा में बातचीत करते थे।
- अन्य नेताओं की तरह वे सामान्य जनसमूह से अलग नहीं खड़े होते थे बल्कि वे उनमें घुल-मिल जाते थे।
- उन्होंने गरीबों और हरिजनों के हित में कार्य किये।
प्रश्न 14.
1857 ई. के विद्रोह से पूर्व कई अफवाहों व भविष्यवाणियों ने भारतीयों में बेचैनी उत्पन्न की। इनमें से किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
- यह अफवाह थी कि अंग्रेजों ने हिन्दुओं एवं मुसलमानों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए बाजार में मिलने वाले आटे में गाय व सूअर की हड्डियों का चूरा मिलवा दिया है।
- यह भविष्यवाणी की जा रही थी कि प्लासी की लड़ाई के 100 वर्ष पूरे होते ही 23 जून, 1857 ई. को अंग्रेजी राज की समाप्ति हो जाएगी।
प्रश्न 15.
पेलसर्ट नामक डच यात्री की भारत यात्रा का वर्णन संक्षेप में कीजिए। [2]
उत्तर:
पेलसर्ट नामक एक डच यात्री ने सत्रहवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की थी। बर्नियर की ही तरह वह भी लोगों में व्यापक गरीबी देखकर अचम्भित था। लोग ‘इतनी दुखद गरीबी’ में रहते हैं कि इनके जीवन को नितान्त अभाव के घर तथा कठोर कष्ट दुर्भाग्य के आवास के रूप में चित्रित अथवा ठीक प्रकार से वर्णित किया जा सकता है। राज्य को उत्तरदायी ठहराते हुए वह कहता है “कृषकों को इतना अधिक निचोड़ा जाता है कि पेट भरने के लिए उनके पास सूखी रोटी भी मुश्किल से बचती है।”
प्रश्न 16.
भारतीय इतिहास के मध्यकाल के दौरान दक्षिण भारत के शहरों की मुख्य विशेषताओं की परख कीजिए। [2]
उत्तर:
- दक्षिण भारत के नगर मदुरई तथा कांचीपुरम् प्रमुख धार्मिक केन्द्र थे।
- दक्षिण भारत के अनेक नगरों में बन्दरगाह होते थे।
- ये व्यापार के मुख्य केन्द्रों के कारण विकसित हुए थे।
- दक्षिण भारत के शहरों में धार्मिक उत्सव अत्यधिक धूम धाम के साथ मनाये जाते थे।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता के नगर नियोजन की वर्तमान सन्दर्भ में उपयोगिता बताइए। [3]
अथवा
सिंधु सभ्यता कालीन कृषि प्रौद्योगिकी की विशेषताएँ बताइए। [3]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता में नगर एक निश्चित योजना के अनुसार बनाये जाते थे। सिंधु सभ्यताकालीन नगर मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा में हमें जो नगर-नियोजन दृष्टिगत होता है उसकी वर्तमान सन्दर्भ में भी उपादेयता है क्योंकि वर्तमान समय के नगरों में भी उसी प्रकार की संरचना का विकास किया जाता है जो मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा में विद्यमान थी। इन दोनों नगरों को दो भागों में विभाजित किया गया है, दुर्ग क्षेत्र, जहाँ शासक तथा उच्च अधिकारी रहते थे और निचला शहर, जहाँ निम्न वर्ग के लोग रहते थे। आधुनिक नगर नियोजन भी कुछ. इसी तरह होता है, एक तरफ उच्च लोगों के निवास होते हैं तथा दूसरी तरफ मध्यम एवं निम्न वर्ग के लोगों के निवास होते हैं। दोनों नगरों में सड़कों की पूरी व्यवस्था रखी जाती थी जो आज के नगरों में भी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। दोनों नगरों में सड़कों का निर्माण भी वर्तमान नगरों की भाँति ही किया गया। वर्तमान में भी यदि किसी नगर का निर्माण किया जाता है तो उसमें वही तत्व परिलक्षित होते हैं जो सिन्धु सभ्यता के नगर नियोजन में विद्यमान थे। प्रत्येक घर में कुआँ होता था, अपशिष्ट पानी निकालने के लिए प्रत्येक घर में नालियाँ बनी होती थीं एवं सभी घरों में खिड़कियाँ होती थीं। इन दोनों नगरों में सड़कों का ढाल इस प्रकार बनाया जाता था कि हवा चलने के साथ-साथ सड़कों की सफाई हो जाती थी। वास्तव में यह कहा जा सकता है कि वर्तमान में भी सिंधु सभ्यता के नगर नियोजन की प्रासंगिकता है क्योंकि आज भी नगरों का नियोजन ऐसे ही किया जाता है जैसे हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो में किया गया था।
प्रश्न 18.
महाजनपदों की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
भारतीय इतिहास में मौर्य साम्राज्य की स्थापना का महत्व लिखिए। [3]
उत्तर:
छठी शताब्दी ई. पू. में भारत में अनेक महाजनपदों का उदय हुआ। सोलह महाजनपदों का उल्लेख हमें जैन ग्रन्थ ‘भगवती सूत्र’ तथा बौद्ध ग्रन्थ ‘अंगुत्तर निकाय’ में मिलता है। इन सोलह महाजनपदों के नाम इस प्रकार थे-अंग, मगध, काशी, कोशल, वज्जि, मल्ल, चेदि, वत्स, कुरु पांचाल, मत्स्य,शूरसेन, अश्मक, अवन्ति, काम्बोज तथा गान्धार। इनमें सबसे शक्तिशाली महाजनपद मगध था। ये महाजनपद दो प्रकार के थे, प्रथम गण तथा द्वितीय राज्य। गण अनेक छोटे-छोटे राज्यों के समूहों से मिलकर बनता था वहीं राज्य में एक ही राजा, एक ही राजधानी तथा एक ही राजचिह्न होता था। वज्जि तथा शाक्य इस समय के मुख्य गण थे।
प्रत्येक महाजनपद की अपनी एक राजधानी होती थी जिसकी प्रायः किलेबंदी की जाती थी जो राजधानियों के रख-रखाव, प्रारंभिक सेनाओं तथा नौकरशाही के लिए आवश्यक आर्थिक स्रोत के अर्जन तथा संरक्षण में सहायक होती थी। महाजनपदों की एक विस्तृत कराधान व्यवस्था थी, साथ ही उन्नत कृषि पैदावार के कारण राज्यों के पास पर्याप्त मात्रा में धन रहता था।
लगभग छठी शताब्दी ई. पू. संस्कृत में धर्मशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना ब्राह्मणों द्वारा की गई जिसमें राजा व प्रजा के लिए राजकीय एवं सामाजिक नियमों का निर्धारण किया गया तथा यह भी अपेक्षा की गई कि शासक क्षत्रिय वर्ग से ही हों। धीरे-धीरे कुछ राज्यों ने अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तन्त्र तैयार कर लिया जिनमें सैनिक प्रायः कृषक वर्ग से ही भर्ती किए जाते थे।
प्रश्न 19.
विजयनगर के विट्ठल मन्दिर को अनूठा और रोचक क्यों समझा जाता था? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
विजयनगर साम्राज्य में व्यापार के विकास को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
विट्ठल मन्दिर विजयनगर का दूसरा महत्वपूर्ण मन्दिर है। भगवान विट्ठल को विष्णु का स्वरूप माना जाता है तथा ये महाराष्ट्र में प्रमुख देव के रूप में पूजे जाते हैं। कर्नाटक में भगवान विट्ठल के मन्दिर की स्थापना तथा पूजा-आराधना विजयनगर के शासकों द्वारा अलग-अलग प्रदेशों की परम्पराओं को आत्मसात करने का उदाहरण है। इस मन्दिर की विशेषता रथ के आकार का एक अनूठा मन्दिर है। कहा जाता है कि रथ के आकार के मन्दिर सूर्य देवता हेतु निर्मित किए गए थे। मन्दिर के परिसरों में पत्थर के टुकड़ों के फर्श से निर्मित गलियाँ हैं जिनके दोनों ओर बने मंडपों में व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे। विट्ठल मन्दिर के पत्थरों पर सुन्दर फूलों, भयानक जानवरों और नृत्य करती हुई सुन्दर स्त्रियों का उत्कीर्णन है, जिन्हें देखकर दर्शक स्तब्ध रह जाता है। विट्ठल मन्दिर की मूर्ति कला, कोमलता और भयानकता का सन्तुलित रूप है।
प्रश्न 20.
ब्रिटिश औपनिवेशिक शहरों में रिकॉर्ड्स सँभाल कर क्यों रखे जाते थे ? [3]
अथवा
उन्नीसवीं सदी में नगर नियोजन को प्रभावित करने वाली चिंताएँ कौन-सी थी? [3]
उत्तर:
ब्रिटिश औपनिवेशिक शहरों में रिकॉर्ड्स शहरीकरण के विकास की गति को समझने के लिए सँभाल कर रखे जाते थे। इसे हम निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं-
- जनसंख्या में क्यों तथा किस गति से वृद्धि हो रही है?
- शहरी तथा ग्रामीण जनसंख्या का क्या प्रतिशत है ? यदि इसमें कोई परिवर्तन हो रहा है तो क्यों हो रहा है?
- शहरों में व्यापारिक गतिविधियाँ किस प्रकार संचालित हो रही हैं तथा उनमें क्या परिवर्तन हो रहा है ?
- व्हाइट तथा ब्लैक टाउन उस समय नस्लीय भेदभाव के प्रतीक थे। यहाँ किस प्रकार की गतिविधियाँ हो रही हैं ? यह अवश्य ज्ञात किया जाता था।
- जनसंख्या के आँकड़े नागरिकों की मृत्यु दर तथा बीमारियों का पता लगाने में सहायक होते हैं।
- ये आँकड़े स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण होते थे।
- इन आँकड़ों से कानून व्यवस्था बनाये रखने में अत्यधिक सहायता प्राप्त होती है।
- शहर में समाज का जीवन कैसा है तथा उसमें किस प्रकार का परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है ?
- औपनिवेशिक शहरों के और अधिक विकास में क्या-क्या तथा किस प्रकार की योजनाएँ सहायक हो सकती हैं ?
- यदि शहरों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है तो उनमें किस प्रकार की सहायता की आवश्यकता है?
खण्ड – द
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
भारतीय उपमहाद्वीप में चिश्ती सिलसिले की जीवन की गतिविधियों एवं चिश्ती उपासना के प्रमुख केन्द्रों की। व्याख्या कीजिए। [4]
अथवा
धार्मिक विश्वासों और आचरणों की गंगा-जमुनी बनावट का वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
भारत आने वाले सूफ़ी सम्प्रदायों में चिश्ती सम्प्रदाय 12वीं सदी के अन्त में सबसे प्रभावशाली सम्प्रदाय था। कारण यह था कि चिश्ती सम्प्रदाय ने भारतीय परम्परा को अपनाया तथा अपने आपको स्थानीय परिवेश के अनुकूल परिवर्तित किया।
चिश्ती खानकाह में जीवन- खानकाहें सामाजिक जीवन की गतिविधियों का केन्द्र होती थीं। शेख निजामुद्दीन औलिया की चौदहवीं शताब्दी की खानकाह दिल्ली में यमुना किनारे बाहरी सीमा पर गियासपुर में स्थित थी। खानकाह के दरवाजे सबके लिये खुले रहते थे। लोगों की आवासीय व्यवस्था तथा उपासना हेतु खानकाह में कई छोटे-छोटे कमरे तथा एक बड़ा हॉल था जिसे जमातखाना कहा जाता था। शेख निजामुद्दीन औलिया का परिवार और उनके अनुयायी खानकाह के सहवासी थे। शेख निजामुद्दीन औलिया छत के ऊपर बने एक छोटे कमरे में रहते थे, जहाँ वे अपने भक्तों से भेंट करते थे। खानकाह का विस्तृत आँगन एक बरामदेनुमा गलियारे से घिरा हुआ था। मंगोल आक्रमण के समय गियासपुर के लोगों ने खानकाह में शरण ली थी।
खानकाह की लंगर व्यवस्था- खानकाह में एक सामुदायिक रसोई (लंगर व्यवस्था) सभी लोगों के भोजन की व्यवस्था हेतु बिन माँगी खैर (फुतूह) यानी लोगों द्वारा स्वेच्छा से दिये गये दान के आधार पर चला करती थी। सुबह से लेकर शाम तक यहाँ सभी लोगों को भोजन प्राप्त होता था। शेख से मिलने के लिये हर तबके के लोग, गरीब, अमीर, हिन्दू, मुसलमान सभी आते थे तथा शेख बिना किसी भेदभाव के सबका स्वागत करते थे। यहाँ लोग अनुयायी बनने, इबादत करने, आशीर्वाद लेने, अपने दुःख-दर्दो को दूर करने हेतु शेख से आशीर्वाद लेने आते थे। अमीर खुसरो, अमीर हसन सिजजी, जियाउद्दीन बरनी जैसे प्रसिद्ध लोगों ने शेख से अपनी मुलाकातों के बारे में अपने संस्मरण लिखे हैं।
स्थानीय परम्पराएँ तथा आध्यात्मिक उत्तराधिकारियों का चयन-खानकाहों की गतिविधियों में स्थानीय परम्पराओं का समावेश दृष्टिगोचर होता है। शेख के सामने सिजदा करना (झुककर प्रणाम करना), शिष्यों का सिरमुंडन, अभ्यागतों का आदर सत्कार, पानी पिलाना, यौगिक व्यायाम आदि इस बात के प्रतीक थे कि स्थानीय परम्पराओं को अपनाने का प्रयास खानकाहों में किया गया।
शेख ने चिश्ती धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु अनुयायियों से अपने वारिसों का चयन करके उन्हें भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में खानकाहों की स्थापना हेतु भेजा। इन अनुयायियों ने विभिन्न जगहों पर खानकाहें स्थापित कीं; जिससे शेख का यश चारों दिशाओं में फैल गया और लोग अधिकाधिक संख्या में उनके आध्यात्मिक पूर्वजों की दरगाह पर आने लगे।
चिश्ती उपासना के प्रमख केन्द्र व उपदेशक-चिश्ती उपासना के प्रमुख केन्द्र व उपदेशक निम्नलिखित थे-
चिश्ती उपासना के प्रमुख केन्द्र (दरगाह) | उपदेशक (सूफ़ी) |
1. अजमेर (राजस्थान) | शेख मुइनुद्दीन चिश्ती |
2. दिल्ली | ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी |
3. अजोधन (पाकिस्तान) | शेख फरीदुद्दीन गंज-ए-शकर |
4. दिल्ली | शेख निजामुद्दीन औलिया |
5. दिल्ली | शेख नसीरुद्दीन चिराग-ए-देहली |
प्रश्न 22.
आपकी दृष्टि में दाण्डी यात्रा क्यों उल्लेखनीय थी ? इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों के साथ संवादों की समीक्षा कीजिए। [4]
अथवा
भारत छोड़ो आन्दोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
दाण्डी यात्रा का उल्लेखनीय होना-मेरी दृष्टि में दाण्डी यात्रा निम्न कारणों से उल्लेखनीय थी- (i) दाण्डी यात्रा से महात्मा गाँधी समस्त विश्व की नजर में आ गए थे। इस यात्रा को यूरोप व अमरीकी प्रेस ने अपने समाचार पत्रों में बहुत अधिक स्थान दिया। (ii) दाण्डी यात्रा एक ऐसी प्रथम राष्ट्रवादी घटना थी जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाओं ने नमक व शराब कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपनी सामूहिक गिरफ्तारियाँ दी थीं। (iii) गाँधीजी एवं उनके सहयोगियों की दाण्डी यात्रा के कारण अंग्रेजों को यह आभास हो गया था कि अब उनका शासन बहुत दिनों तक नहीं चल पाएगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में भागीदार बनाना पड़ेगा।
अंग्रेजों के साथ संवाद- दाण्डी यात्रा से अंग्रेजों को यह अहसास हो गया था कि उनका शासन भारत से उखड़ने वाला है इसलिए उन्होंने गाँधीजी के साथ संवाद स्थापित करना प्रारम्भ कर दिया। जनवरी 1931 में गाँधीजी को जेल से रिहा करने के पश्चात् अंग्रेजी वायसराय ने लम्बी बैठकें की जिनके बाद गाँधी-इरविन समझौते पर सहमति बनी। समझौते की शर्तों में सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लेना, समस्त कैदियों को रिहा करना एवं तटीय क्षेत्रों में नमक उत्पादन की अनुमति देना सम्मिलित था। गाँधीजी को अंग्रेजों ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए सहमत किया। 7 सितम्बर, 1932 को लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें गाँधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया।
लंदन में हुआ यह सम्मेलन किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सका इसलिए भारत लौटने पर गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः प्रारम्भ कर दिया। 1935 ई. में नए गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट में सीमित प्रतिनिधित्व शासन व्यवस्था का आश्वासन व्यक्त किया गया। दो वर्ष पश्चात् सीमित मताधिकार के आधार पर हुए चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता प्राप्त हुई। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ। महात्मा गाँधी व नेहरू जी ने फैसला लिया कि यदि अंग्रेज युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को स्वतंत्रता देने पर सहमत हों तो कांग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है, परन्तु अंग्रेज सरकार ने उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया। इसके विरोध में कांग्रेसी मंत्रिमण्डलों ने अक्टूबर 1939 में त्यागपत्र दे दिया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु शासकों पर दबाव डालने के लिए 1940-41 के दौरान कांग्रेस ने अलग-अलग स्थानों पर सत्याग्रह प्रारम्भ कर दिया।
1942 ई. में क्रिप्स मिशन भारत आया तथा इसकी विफलता ने गाँधीजी को एक बड़ा आन्दोलन करने पर मजबूर कर दिया। यह आन्दोलन अगस्त 1942 में प्रारम्भ हुआ जिसे भारत छोड़ो आन्दोलन का नाम दिया गया।
प्रश्न 23.
दिए गए भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) धौलावीरा
(ब) मथुरा
(स) बम्बई
(द) चंपारण
अथवा
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) शूरसेन
(ब) बनावली
(स) लखनऊ
(द) सूरत
उत्तर:
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