Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 4 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 History Model Paper Set 4 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) सिंधु सभ्यता का स्थल शीर्तुघई निम्न में से किस देश में स्थित है? [1]
(अ) भारत
(ब) अफगानिस्तान
(स) पाकिस्तान
(द) बांग्लादेश
उत्तर:
(ब) अफगानिस्तान
(ii) सिंधु सभ्यता की अधिकांश मुहरें किससे बनी हैं? [1]
(अ) सेलखड़ी
(ब) मिट्टी
(स) काँसा
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) सेलखड़ी
(iii) अशोक के अधिकांश अभिलेख किस भाषा में हैं- [1]
(अ) पालि
(ब) प्राकृत
(स) संस्कृत
(द) हिन्दी।
उत्तर:
(ब) प्राकृत
(iv) निम्नलिखित में से मगध की राजधानी कौन-सी थी? [1]
(अ) राजगृह
(ब) उज्जैन
(स) तक्षशिला
(द) गांधार।
उत्तर:
(अ) राजगृह
(v) निम्न में से विवाह के किस प्रकार में वैवाहिक सम्बन्ध समूह के मध्य ही होते हैं- [1]
(अ) अंतर्विवाह
(ब) बहिर्विवाह
(स) बहुपत्नी प्रथा
(द) बहुपति प्रथा।
उत्तर:
(अ) अंतर्विवाह
(vi) इब्न बतूता के विषय में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा उपयुक्त है? [1]
(अ) वह मुहम्मद बिन तुगलक के शासन के दौरान काजी था।
(ब) उसने अरबी में किताब-उल-हिन्द लिखी।
(स) उसने संस्कृत, पाली और प्राकृत कार्य का अरबी भाषा में अनुवाद किया।
(द) वह एक चिकित्सक, दार्शनिक और इतिहासकार था।
उत्तर:
(अ) वह मुहम्मद बिन तुगलक के शासन के दौरान काजी था।
(vii) अलवार किस मत से सम्बन्धित थे? [1]
(अ) वैष्णव मत से
(ब) शैव मत से
(स) बौद्ध मत से
(द) शाक्त मत से।
उत्तर:
(अ) वैष्णव मत से
(viii) विजयनगर का सबसे शक्तिशाली तथा विद्वान शासक किसे माना जाता है? [1]
(अ) विरुपाक्ष द्वितीय
(ब) हरिहर द्वितीय
(स) बुक्का प्रथम
(द) कृष्णदेव राय।
उत्तर:
(द) कृष्णदेव राय।
(ix) इस्तमरारी बन्दोबस्त किसके शासनकाल में लागू हुआ? [1]
(अ) वॉरेन हेस्टिंग्स
(ब) मैकाले
(स) कार्नवालिस
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कार्नवालिस
(x) बम्बई में सार्वजनिक भवनों के लिए किस स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया? [1]
(अ) नवशास्त्रीय शैली
(ब) नव-गॉथिक शैली
(स) इंडो-सारासेनिक शैली
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
(xi) ‘ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स’ का प्रकाशन किसने किया था? [1]
(अ) जवाहरलाल नेहरू
(ब) जयप्रकाश नारायण
(स) नरेन्द्र देव
(द) एन. जी. रंगा।
उत्तर:
(अ) जवाहरलाल नेहरू
(xii) विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पहुँचकर किसे अपना नेता घोषित किया? [1]
(अ) बहादुरशाह जफर को
(ब) रानी लक्ष्मीबाई को
(स) शाहमल को
(द) मौलवी अहमदुल्ला शाह को
उत्तर:
(अ) बहादुरशाह जफर को
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) बारहवीं शताब्दी में इस्लामी जगत में …………… का गठन प्रारम्भ हो गया। [1]
(ii) 1878 में …………… की रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में प्रस्तुत की गयी जिसमें दंगा फैलने का कारण ऋणदाताओं और साहूकारों द्वारा अन्याय करना बताया गया था? [1]
(iii) औपनिवेशिक शासन में …………… को भारत का सरताज शहर घोषित किया गया। [1]
(iv) 1931 ई. में ……………. का आयोजन लंदन में किया गया जिसमें गाँधीजी ने कांग्रेस का नेतृत्व किया था। [1]
(v) सन् 1951-52 में पुरातत्ववेता …………… के नेतृत्व में मेरठ जिले के हस्तिनापुर नामक गाँव में उत्खनन किया गया था। [1] (vi) पहाड़ी लोग …………… के आस-पास रहते थे। वे जंगल की उपज से ही अपना निर्वाह करते थे। [1]
उत्तर:
(i) सूफी सिलसिलों,
(ii) दक्कन जाँच आयोग,
(iii) बम्बई,
(iv) द्वितीय मोलमेज सम्मेलन,
(v) बी. बी. लाल,
(vi) राजमहल की पहाड़ियों।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) अलेक्जेंडर कनिंघम कौन था ? [1]
उत्तर:
अलेक्जेंडर कनिंघम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक थे।
(ii) महाभारत की मूल कथा के रचयिता कौन माने जाते हैं ? [1]
उत्तर:
महाभारत की मूल कथा के रचयिता भाट सारथी, जिन्हें ‘सूत’ कहा जाता था, माने जाते हैं।
(iii) पितृवंशिकता एवं मातृवंशिकता में क्या अन्तर है? [1]
उत्तर:
पितृवंशिकता का अर्थ है वह वंश परम्परा जो पिता के पुत्र, फिर पौत्र, प्रपौत्र आदि से चलती है। मातृवंशिकता शब्द का प्रयोग तब किया जाता है, जब वंश परम्परा माँ से जुड़ी होती है।
(iv) आप किस प्रकार सोचते हैं कि फ्रांस्वा बर्नियर मुगल दरबार से नजदीकी से जुड़ा रहा? [1]
उत्तर:
फ्रांस्वा वर्नियर मुगल सम्राट शाहजहाँ के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह के चिकित्सक के रूप में मुगल दरबार से नजदीकी से जुड़ा रहा।
(v) इब्न बतूता ने भारत के किस शहर को सबसे बड़ा शहर कहा है? [1]
उत्तर:
दिल्ली को इब्न बबूता ने भारत का सबसे बड़ा शहर कहा है।
(vi) स्वयं को विष्णु की प्रेयसी मानकर अपनी प्रेमभावना को छन्दों में व्यक्त करने वाली प्रथम अलवार स्त्री भक्त का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
अंडाल।
(vii) किस सूफी संत की रचनाएँ गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित हैं ? [1]
उत्तर:
बाबा फरीद।
(viii) भारत में सर्वप्रथम औपनिवेशिक शासन कहाँ स्थापित हुआ ? [1]
उत्तर:
भारत में सर्वप्रथम औपनिवेशिक शासन बंगाल में स्थापित हुआ।
(ix) इस्तमरारी बन्दोबस्त लागू किए जाने के समय बर्दवान का राजा कौन था? [1]
उत्तर:
राजा तेजचंद।
(x) झाँसी में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किसने किया ? [1]
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई ने।
(xi) अवध को ब्रिटिश साम्राज्य में कब व किसने मिलाया ? [1]
उत्तर:
अवध को 1856 ई. में लार्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया।
(xii) हिल स्टेशन (पर्वतीय सैरगाह) औपनिवेशक शहरी विकास की एक विशिष्ट विशेषता थी। शिमला को छोड़कर दो अन्य हिल स्टेशनों के नाम लिखिए, जो अंग्रेजों की आवश्यकताओं से जुड़े थे।
उत्तर:
- माउंट आबू तथा
- दार्जिलिंग।
खण्ड – ब
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
सिंधु सभ्यता की जानकारी हमें किन-किन साक्ष्यों से मिलती है ? [2]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता की जानकारी हमें केवल भौतिक साक्ष्यों से मिलती है जो अग्रलिखित हैं- (i) नगरों तथा भवनों के अवशेष। (ii) मृदभाण्ड, आभूषण, औजार, पकी हुई ईंटें एवं घरेलू सामान। (iii) पत्थर के फलक, मुहरें एवं बाँट। (iv) शवाधान एवं जानवरों की हडिड्याँ।
प्रश्न 5.
आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई. पू. को एक महत्वपूर्ण परिवर्तन काल क्यों माना जाता है? स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ई. पू. को एक महत्वपूर्ण परिवर्तन काल माना जाता है जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
- इस काल को प्रायः आरंभिक राज्यों, नगरों, लोहे के बढ़ते प्रयोग एवं सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है।
- इसी काल में बौद्ध एवं जैन धर्म तथा विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ।
- इसी काल में भारत में 16 महाजनपदों का उदय हुआ।
- इसी काल में ब्राह्मणों ने संस्कृत में धर्मशास्त्र नामक ग्रंथों की रचना शुरू की।
प्रश्न 6.
अन्तर्विवाह एवं बहिर्विवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
अन्तर्विवाह में वैवाहिक सम्बन्ध समूह के मध्य ही होते हैं। यह समूह एक गोत्र, कुल, एक जाति अथवा एक ही स्थान पर बसने वालों का हो सकता है; जबकि बहिर्विवाह से आशय गोत्र से बाहर वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करने से है।
प्रश्न 7.
हिन्दू, हिन्दवी तथा हिन्दुस्तान शब्द कैसे प्रचलन में आये? संक्षेप में समझाइए। [2]
उत्तर:
विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों से ज्ञात होता है कि ‘हिन्दू’ शब्द लगभग छठी शताब्दी ई. पू. में प्रयोग होने वाले एक प्राचीन फारसी शब्द से निकला है जिसका प्रयोग सिन्धु नदी (Indus) के पूर्व के क्षेत्र के लिए होता था। अरबों ने इस फारसी शब्द का प्रयोग जारी रखा तथा इस क्षेत्र को ‘अल-हिन्द’ तथा यहाँ के निवासियों को हिन्दी कहने लगे। कालांतर में तुर्कों ने (लगभग 10-13वीं शताब्दी के मध्य) सिन्धु से पूर्व में रहने वाले भारतीयों को हिन्दू पुकारना आरम्भ कर दिया तथा उनके निवास क्षेत्र को हिंदुस्तान एवं उनकी भाषा को हिन्दवी कहने लगे।
प्रश्न 8.
सूफी आन्दोलन एवं भक्ति-आन्दोलन की विचारधाराओं में क्या-क्या समानताएँ थीं ? स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
- एकेश्वरवाद दोनों एक ईश्वर में विश्वास करते थे। सूफ़ियों ने परमात्मा को एक माना तथा स्वयं को उनकी सन्तान बताया, वहीं भक्ति-आन्दोलन के सन्तों ने भी एक ईश्वर की महिमा का गुणगान किया।
- मानवतावाद दोनों सम्प्रदायों ने मानव को महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है और उन्हें प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया है।
- मानव मात्र से प्रेम-सूफी और भक्ति-आन्दोलन के सन्तों ने लोगों को उपदेश दिया कि मनुष्य से प्रेम करना चाहिए क्योंकि मानव-प्रेम ही ईश्वर-प्रेम है।
- गुरु की महिमा का गुणगान-सूफ़ी एवं भक्ति सन्त दोनों ने गुरु की महिमा का गुणगान किया है। सूफी गुरु को पीर कहते थे।
प्रश्न 9.
हजार राम मंदिर कहाँ स्थित था? इसकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
उत्तर:
हजार राम मंदिर विजयनगर के राजकीय केन्द्र में स्थित था।
विशेषताएँ-
- यह एक अत्यन्त दर्शनीय मंदिर है जिसकी आन्तरिक दीवारों पर रामायण से लिए गए कुछ दृश्य उकेरे गए हैं।
- सम्भवतः इसका प्रयोग केवल राजा एवं उसके परिवार द्वारा ही किया जाता था।
- इसकी दीवारों पर पटल मूर्तियों का निर्माण किया गया था जिनमें रामायण से लिए गए कुछ दृश्यांश भी सम्मिलित हैं।
प्रश्न 10.
लोटस महल के बारे में आप क्या जानते हैं? [2]
उत्तर:
लोटस (कमल) महल विजयनगर के राजकीय केन्द्र के सबसे सुन्दर भवनों में से एक था जिसे यह नाम उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज यात्रियों ने दिया था। इतिहासकार इस सम्बन्ध में निश्चित नहीं हैं कि इस भवन का निर्माण किस कार्य के लिए किया गया था। इतिहासकार मैकेंजी द्वारा बनाए गए मानचित्र से यह संकेत मिलता है कि लोटस महल एक परिषदीय सदन था; जहाँ शासक अपने परामर्शदाताओं से भेंट करता था।
प्रश्न 11.
जोतदार जमींदारों का विरोध क्यों व कैसे करते थे? [2]
उत्तर:
जोतदार गाँव में अपना प्रभाव नियंत्रण बढ़ाने के लिए जमींदारों का विरोध करते थे। जोतदार जमींदारों द्वारा गाँव की जमा (लगान) को बढ़ाने के प्रयत्नों का विरोध करते थे तथा जींदारों के अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकते थे व उन पर निर्भर किसानों को अपने पक्ष में एकजुट रखते थे।
प्रश्न 12.
शाह मल कौन था? [2]
उत्तर:
शाह मल उत्तर प्रदेश में बड़ौत परगना के एक बड़े गाँव का रहने वाला था जिसने चौरासी गाँव के मुखियाओं और काश्तकारों को संगठित कर अंग्रेजों के विरुद्ध व्यापक विद्रोह का नेतृत्व किया। जुलाई 1857 ई. में शाह मल को युद्ध में अंग्रेजों ने मार दिया।
प्रश्न 13.
असहयोग आन्दोलन के मुख्य कार्यक्रम क्या थे? बताइए। [2]
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन के मुख्य कार्यक्रम-
- विदेशी वस्त्रों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना।
- अंग्रेजों की नौकरियों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना।
- सभी सरकारी सभा-सम्मेलनों तथा उत्सवों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना।
- सरकारी न्यायालयों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना।
- सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार करना।
- सरकारी उपाधियों को त्यागना।
- सरकार को किसी प्रकार का कोई कर नहीं देना।
- सैनिकों तथा सिपाहियों द्वारा सरकारी सेवाएँ त्यागना।
प्रश्न 14.
नाना साहिब कौन थे? 1857 के विद्रोह में इनका योगदान बताइए। [2]
उत्तर:
नाना साहिब पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी थे। 1 जुलाई 1857 को जब कानपुर से अंग्रेजों ने प्रस्थान किया तो नाना साहिब ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की तथा पेशवा की उपाधि धारण की। नाना साहिब का अदम्य साहस कभी भी कम नहीं हुआ और उन्होंने कानपुर में क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया। फतेहपुर और आंग आदि स्थानों पर इनके दल और अंग्रेजों के मध्य भीषण युद्ध हुए।
प्रश्न 15.
“इन बतूता एक हठीला यात्री था।” कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
इब्न बतूता को यात्राओं से न तो घबराहट होती थी और न ही थकान; उसने उत्तरी-पश्चिमी अफ्रीका में स्थित अपने निवास स्थान मोरक्को वापस जाने से पूर्व कई वर्षों तक उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया भारतीय उपमहाद्वीप एवं चीन के कई भागों की यात्राएँ की। इसी कारण उसे हठीला यात्री कहा जाता है।
प्रश्न 16.
कस्बा एवं गंज के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में उत्तर दीजिए। [2]
उत्तर:
कस्बा–कस्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतया स्थानीय विशिष्ट वस्तुओं का केन्द्र होता है। गंज-गंज एक छोटे स्थायी बाजार को कहा जाता है। कस्बा व गंज दोनों कपड़ा, फल, सब्जी एवं दुग्ध उत्पादों से सम्बद्ध थे। ये विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए सामग्री उपलब्ध कराते थे।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता का अन्त किस प्रकार हुआ था? संक्षेप में बताइए। [3]
अथवा
सिंधु सभ्यता में कृषि के लिए सिंचाई के विभिन्न तरीकों का किस प्रकार विकास किया गया? स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता का अन्त निम्न प्रकार से हुआ-
(i) ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनसे पता चलता है कि लगभग 1800 ई. पू. तक चोलिस्तान (पाकिस्तान) जैसे क्षेत्रों में अधिकांश विकसित सिंधु सभ्यता स्थल उजड़ चुके थे। इसके साथ ही गुजरात, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नई बस्तियों में आबादी बढ़ने लगी थी।
(ii) ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तर हड़प्पा के क्षेत्र 1900 ई. पू. के पश्चात् भी अस्तित्व में रहे। कुछ चुने हुए सिंधु सभ्यता स्थलों की भौतिक संस्कृति में परिवर्तन आया, जैसे-
(अ) सभ्यता की विशिष्ट पुरावस्तुएँ, जैसेबाँट, मुहरें एवं विशिष्ट मनके समाप्त हो गए।
(ब) लेखन, लम्बी दूरी का व्यापार एवं शिल्प विशेषज्ञता भी समाप्त हो गई।
(स) प्रायः थोड़ी वस्तुओं के निर्माण के लिए थोड़ा ही माल प्रयोग में लाया जाने लगा।
(द) आवास निर्माण की तकनीकों का ह्रास हुआ तो विशाल सार्वजनिक संरचनाओं का निर्माण बन्द हो गया।
इस प्रकार पुरावस्तुएँ एवं बस्तियाँ इन संस्कृतियों में एक ग्रामीण जीवन-शैली की ओर संकेत करती हैं। इन संस्कृतियों को ‘उत्तर हड़प्पा’ अथवा ‘अनुवर्ती संस्कृतियाँ’ कहा गया।
प्रश्न 18.
इतिहास के अध्ययन हेतु सिक्के महत्वपूर्ण स्रोत हैं, टिप्पणी कीजिए। [3]
अथवा
जातक और पंचतंत्र की कथाओं से इतिहासकार किस प्रकार राजा और प्रजा के बीच सम्बन्धों का अनुमान लगाते हैं? [3]
उत्तर:
प्राचीन भारत के इतिहास के अध्ययन के लिए सिक्के बहुत महत्वपूर्ण स्रोत हैं। देश के विभिन्न भागों से इस काल के सिक्के बहुत अधिक संख्या में प्राप्त हुए हैं। सिक्कों पर खुदे हुए अक्षरों, चिह्नों तथा उनके भार और धातु के आधार पर वर्गीकरण के द्वारा व्यापारिक सम्बन्धों तथा शासकों के सम्बन्ध में क्रमबद्ध जानकारी प्राप्त होती है। आहत सिक्कों पर चिह्न तथा विशेष राजाओं के वंश के नाम से उनको जारी करने वाले शासकों के सम्बन्ध में विवरण प्राप्त होता है। कुषाण प्रथम शासक थे जिन्होंने सोने के सिक्के बड़े पैमाने पर जारी किए। चाँदी और ताँबे के आहत सिक्के छठी शताब्दी ईसा पूर्व प्रचलन में आए। सिक्कों के द्वारा व्यापार विनिमय में आसानी होती थी। सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र कहा जाता हैं।
प्रश्न 19.
विजयनगर साम्राज्य के विरूपाक्ष मन्दिर की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
विजयनगर को राजधानी के रूप में चयनित करने का आधार क्या था? [3]
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य के विरुपाक्ष मन्दिर के निर्माण में कई शताब्दियों का लम्बा समय लगा। सबसे प्राचीन मन्दिर, जो नवीं-दसवीं शताब्दी के कालखण्ड में निर्मित था, का विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद व्यापक विस्तार किया गया। राजा कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में मुख्य मन्दिर के सामने मंडप का निर्माण कराया। इस मन्दिर के स्तम्भों पर अत्यन्त सुन्दर उत्कीर्णन किया गया है। पूर्वी गोपुरम् भी राजा कृष्णदेव राय के शासनकाल में ही निर्मित हुआ। मन्दिर में निर्मित सभागारों को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों हेतु प्रयोग में लाया जाता था। देवी-देवताओं को झूला झुलाने हेतु तथा देवी-देवताओं के वैवाहिक उत्सवों का आनन्द मनाने हेतु अन्य सभागारों का प्रयोग किया जाता था। यह मन्दिर तत्कालीन समय की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 20.
औपनिवेशिक सरकार ने नगरों के मानचित्र तैयार करने पर क्यों ध्यान दिया? वर्तमान में इनकी प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए। [3]
अथवा
अंग्रेजों ने हिल स्टेशनों का विकास क्यों किया? बताइए। [3]
उत्तर:
प्रारंभिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कारणों से मानचित्र बनाने पर विशेष ध्यान दिया-
- सरकार का मानना था कि किसी स्थान की बनावट एवं भूदृश्य को समझने के लिए मानचित्र आवश्यक होते हैं। इस जानकारी के आधार पर वे शहरी प्रदेश पर नियन्त्रण बनाये रख सकते थे।
- जब शहरों का विस्तार होने लगा तो न केवल उनके विकास की योजना तैयार करने के लिए बल्कि शहर को विकसित करने एवं अपनी सत्ता मजबूत बनाने के लिए भी मानचित्र बनाये जाने लगे।
- शहरों के मानचित्रों से हमें उसकी पहाड़ियों, नदियों एवं हरियाली का पता चलता है। यह जानकारी रक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए योजना बनाने में बहुत काम आती है।
- मकानों की सघनता एवं गुणवत्ता, सड़कों की स्थिति आदि से किसी प्रदेश की व्यावसायिक सम्भावनाओं का पता लगाने एवं कराधान की रणनीति बनाने में भी सहायता मिलती है।
खण्ड – द
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
“कबीर पहले और आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं जो सत्य की खोज में रूढ़िवादी सामाजिक संस्थाओं और विचारों को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हैं।” स्पष्ट कीजिए। [4]
अथवा
ग्यारहवीं से सोलहवीं शताब्दी के बीच सूफी संतों और राज्य के सम्बन्धों की पहचान कीजिए। [4]
उत्तर:
उत्तरी भारत की सन्त कवियों की परम्परा में सन्त कबीरदास जी (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी) अद्वितीय थे इतिहासकारों द्वारा इनके जीवनकाल तथा इनकी विशिष्टताओं का चुनौतीपूर्ण अध्ययन उनके द्वारा रचित काव्य तथा उनके अनुयायियों द्वारा लिखी गई जीवनियों के आधार पर किया गया है। ‘कबीर बानी’ के नाम से कबीर की तीन विशिष्ट परिपाटियाँ संकलित की गई हैं-
- ‘कबीर बीजक’-उत्तर प्रदेश में वाराणसी तथा अन्य कई स्थानों पर ‘कबीर बीजक’ में कबीर की वाणी संरक्षित की गई है।
- ‘कबीर ग्रन्थावली’ द्वितीय परिपाटी राजस्थान के दादू पंथ से सम्बन्धित कबीर ग्रन्थावली के रूप में संरक्षित की गई है।
- ‘आदि ग्रन्थ साहिब’-आदि ग्रन्थ साहिब में कबीरदास जी के कई पद संकलित किए गए हैं।
कबीरदास जी के निर्वाण के काफी समय के पश्चात् उनकी रचनाओं के संकलन का कार्य उनके अनुयायियों द्वारा किया गया। कबीरदास जी के पद संग्रहों को 19वीं शताब्दी में बंगाल, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में मुद्रित और प्रकाशित किया गया।
विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं एवं बोलियों में कबीर की रचनाएँ- कबीर की रचनाओं में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों का समावेश है। कबीर ने अपने पदों में निर्गुण कवियों की संत भाषा का भी प्रयोग किया है। कबीर की उलटबाँसियाँ बहुत प्रसिद्ध हैं जिनमें बहुत-सी विरोधाभासी बातें हैं जो यह प्रमाणित करती हैं कि परम सत्ता को समझना बहुत ही जटिल कार्य है। उलटबाँसी में सामान्य प्रचलित अर्थों को उलट दिया गया है। उलटबाँसियाँ कबीर के रहस्यवादी अनुभवों को प्रमाणित करती हैं; जैसे- “समंद लागि आगि”, “केवल जो फूल्या फूल बिन” आदि अभिव्यंजनाओं का प्रयोग।
एक परम सत्य के विभिन्न नाम- कबीर ने परम सत्य को उद्घाटित करने हेतु अनेक परिपाटियों का प्रयोग किया है। इस्लाम के दर्शन के अनुसार वे सत्य को अल्लाह, खुदा, हजरत, पीर आदि कहते हैं। वेदान्त दर्शन के अनुसार वे सत्य को अलख (अदृश्य), निराकार, ब्रह्म और आत्मन भी कहते हैं। योगियों की परम्परा से प्रभावित होकर वे सत्य को शब्द और शून्य जैसी अभिव्यक्तियों से भी प्रकट करते हैं।
कुछ कविताओं में हिन्दू धर्म के बहुदेववाद और मूर्ति-पूजा का भी खण्डन किया गया है। जिक्र और इश्क के सूफी सिद्धान्तों के प्रयोग द्वारा जप (नाम सिमरन) जप्त की हिन्दू परम्परा की अभिव्यक्ति भी कबीरदास जी के कुछ पदों में होती है। अतः कबीर की समृद्ध परम्परा इस बात की द्योतक है कि कबीर पहले और आज भी उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं जो सत्य की खोज में रूढ़िवादी सामाजिक संस्थाओं और विचारों को प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हैं।
प्रश्न 22.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए- [4]
(i) रॉलेट एक्ट (ii) खिलाफत आन्दोलन।
अथवा
“गाँधीजी एक सक्षम राजनेता के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक भी थे।” कथन की उपर्युक्त तर्क देकर पुष्टि कीजिए। [4]
उत्तर:
(i) रॉलेट एक्ट- देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट एक्ट के नाम से जाना गया। इस कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था।
‘गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया, रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये तथा दुकानों को बन्द कर दिया गया।
‘गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई। अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किया गया। पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियाँ चला दी। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली।
13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलीबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में लोग घायल हो गये।
(ii) खिलाफत आन्दोलन-खिलाफत आन्दोलन (1919-20) मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था।
इस आन्दोलन की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं-
(i) पहले के ऑटोमन साम्राज्य के समस्त इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे। (ii) जजीरात-उल-अरब (अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें। (iii) खलीफा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित रखने योग्य बन सके।
गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को विस्तार एवं मजबूती प्रदान करने के लिए खिलाफत आन्दोलन को इसका अंग बनाया। उन्हें यह विश्वास था कि असहयोग को खिलाफत के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिन्दू एवं मुसलमान आपस में मिलकर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अन्त कर देंगे।
प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) बनावली
(ब) कलिंग
(स) अजमेर
(द) सूरत
अथवा
दिए गए भारत के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) लखनऊ
(ब) कलिंग
(स) रंगपुर
(द) अमृतसर
उत्तर:
Leave a Reply