Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 6 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 History Model Paper Set 6 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) सम्भवतः सिंधु सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु है- [1]
(अ) मनके
(ब) मुहर
(स) फयॉन्स
(द) वृषभ
उत्तर:
(ब) मुहर
(ii) सिंधु सभ्यता की भरण-पोषण नीतियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथन/कथनों में से कौन-सा सही है/हैं? [1]
(1) पुरातत्वविद जले अनाज के दानों तथा बीजों की खोज से आहार सम्बन्धी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल रहे हैं।
(2) प्राचीन वनस्पति के अध्ययन के विशेषज्ञों ने हड़प्पा स्थलों से अनाज के दाने, जैसे मोटे अनाज, जौ आदि प्राप्त किये।
(3) पुरातत्वविदों के अनुसार पशु पाले जाते थे।
सही विकल्प का चयन कीजिए-
(अ) केवल (1) और (2)
(ब) केवल (2) और (3)
(स) केवल (1), (2) और (3)
(द) केवल (2)
उत्तर:
(द) केवल (2)
(iii) निम्न में से सबसे शक्तिशाली महाजनपद कौन-सा था? [1]
(अ) कुरु
(ब) वज्जि
(स) मगध
(द) कोशल
उत्तर:
(स) मगध
(iv) मौर्य साम्राज्य का संस्थापक कौन था? [1]
(अ) अशोक
(ब) चन्द्रगुप्त मौर्य
(स) चाणक्य
(द) विष्णुगुप्त
उत्तर:
(ब) चन्द्रगुप्त मौर्य
(v) मनुस्मृति के अनुसार पुरुष कितने प्रकार से धन का अर्जन कर सकते थे- [1]
(अ) 5
(ब) 6
(स) 7
(द) 8
उत्तर:
(स) 7
(vi) बर्नियर था- [1]
(अ) इतिहासकार
(ब) चिकित्सक
(स) दार्शनिक
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
(vii) निम्नलिखित में से कौन स्त्री अलवार सन्त है? [1]
(अ) संबंदर
(ब) सुन्दरार
(स) अंडाल
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) अंडाल
(viii) हम्पी के भग्नावशेषों की खोज किसने की थी ? [1]
(अ) एस. आर. राव
(ब) जॉन मॉर्शल
(स) कॉलिन मैकेंजी
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(स) कॉलिन मैकेंजी
(ix) उस अर्थशास्त्री की पहचान कीजिए, जिसके विचारों के अनुसार ब्रिटिश अधिकारी 1820 के दशक में महाराष्ट्र के कार्य करने लगे। [1]
(अ) डेविड रिकार्डो
(ब) थेम्स रॉबर्ट
(स) जॉन स्टुअर्ट मिल
(द) वाल्टर बेघॉट।
उत्तर:
(अ) डेविड रिकार्डो
(x) नव-गॉथिक शैली की प्रमुख विशेषता है- [1]
(अ) ऊँची उठी हुई छतें
(ब) नोकदार मेहराबें
(स) बारीक साज-सज्जा
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
(xi) प्रथम गोलमेज सम्मेलन कब आयोजित हुआ था? [1]
(अ) 1930 ई. में
(ब) 1931 ई. में
(स) 1932 ई. में
(द) 1933 ई. में।
उत्तर:
(अ) 1930 ई. में
(xii) आरा में विद्रोहियों का नेतृत्व किसने किया? [1]
(अ) कुंवर सिंह ने
(ब) तात्या टोपे ने
(स) रानी लक्ष्मीबाई ने
(द) वाजिद अली ने।
उत्तर:
(अ) कुंवर सिंह ने
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) अलवार तथा नयनार संतों की रचनाओं को ……………… के समान महत्वपूर्ण बताकर इस परम्परा को सम्मानित किया गया। [1]
(ii) बंगाल में इस्तमरारी बंदोबस्त व्यवस्था 1793 ई. में ……………… ने लागू की। [1]
(iii) बम्बई स्थित प्रसिद्ध …………….. का निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेद जी टाटा ने करवाया था जो परम्परागत इण्डो-सारसेनिक शैली में निर्मित है। [1]
(iv) हिंदु-मुस्लिम एकता के लिए …………….. ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया था। [1]
(v) महाभारत महाकाव्य पद्य साहित्य की एक श्रेष्ठ रचना है जो एक …………….. रहा है। [1]
(vi) 1857 ई. के जन विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजी शासन ने अपनी सैनिक ताकत के साथ-साथ ……….. की नीति का व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया। [1]
उत्तर:
(i) वेदों,
(ii) चार्ल्स कार्नवालिस,
(iii) होटल ताजमहल,
(iv) महात्मा गाँधी,
(v) गतिशील ग्रन्थ,
(vi) फूट डालो और राज करो।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) सिंधु सभ्यता के सबसे लम्बे अभिलेख में कितने चिह्न हैं ? [1]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के सबसे लम्बे अभिलेख में 26 चिह्न हैं।
(ii) महाकाव्य काल में चाण्डाल किसे कहा जाता था? [1]
उत्तर:
महाकाव्य काल में शवों की अंत्येष्टि तथा मृत पशुओं को छूने वालों को चाण्डाल कहा जाता था।
(iii) मनुस्मृति से आप क्या समझते हैं ? इसकी रचना कब हुई ? [1]
उत्तर:
मनुस्मृति धर्मशास्त्रों एवं धर्मसूत्रों में सबसे बड़ा ग्रन्थ है जिसका संकलन लगभग 200 ई. पू. से 200 ई. के मध्य हुआ।
(iv) अल बिरूनी कौन-कौन सी भाषा जानता था? [1]
उत्तर:
अल बिरूनी फारसी, सीरियाई, संस्कृत और हिब्रू आदि भाषाएँ जानता था।
(v) उस विदेशी यात्री का नाम लिखिए जिसे मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली का काजी (न्यायाधीश) कई वर्षों के लिए नियुक्त किया? [1]
उत्तर:
मुहम्मद बिन तुगलक ने इब्न बतूता को दिल्ली का काजी नियुक्त किया था।
(vi) उस लिंगायत भक्त का नाम लिखिए जिसने बारहवीं शताब्दी में कर्नाटक में नए आंदोलन का नेतृत्व किया। [1]
उत्तर:
बासवन्ना।
(vii) अमीर खुसरो कौन था? [1]
उत्तर:
अमीर खुसरो महान कवि, संगीतज्ञ एवं शेख निजामुद्दीन औलिया का अनुयायी था।
(viii) पुणे के सूपा गाँव का किसान आन्दोलन किनके विरोध में हुआ था ? [1]
उत्तर:
साहूकार व अनाज के व्यापारियों के विरोध में।
(ix) प्रायः ‘राजा’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया जाता था? [1]
उत्तर:
शक्तिशाली जमींदारों के लिए।
(x) 1857 की क्रांति एक सैनिक विद्रोह था अथवा स्वतंत्रा संग्राम ? अपने उत्तर की पुष्ट में तर्क दीजिए। [1]
उत्तर:
1857 ई. की क्रान्ति स्पष्ट रूप से एक स्वतन्त्रता संग्राम था क्योंकि इस क्रांति में प्रत्येक धर्म, जाति एवं समूह के लोगों ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध लड़ाई लड़ी थी। इस कारण इसे ‘जन-क्रांति’ की संज्ञा भी दी गई।
(xi) रंग बाग (प्लेजर गार्डन) का निर्माण किसने करवाया ? [1]
उत्तर:
नवाब वाजिद अली शाह ने।
(xii) नव-गॉथिक शैली की दो इमारतों तथा इसमें धन लगाने वाले भारतीयों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
- यूनिवर्सिटी हॉल-कावसजी जहाँगीर रेडीमनी तथा
- राजाबाई टावर-प्रेमचन्द रायचन्द।
खण्ड – ब
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
सिंधु सभ्यता कालीन कृषि प्रौद्योगिकी की कोई दो विशेषताएँ बताइए। [2]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता कालीन कृषि प्रौद्योगिकी की दो विशेषताएँ अग्र प्रकार हैं-
- खेत जोतने के लिए बैलों का प्रयोग होता था।
- एक साथ दो अलग-अलग फसलें उगाई जाती थीं।
प्रश्न 5.
मनुस्मृति में सीमा सम्बन्धी विवादों के समाधान के लिए राजा को क्या सलाह दी गयी है? [2]
उत्तर:
मनुस्मृति आरंभिक भारत का सबसे प्रसिद्ध विधि ग्रन्थ है । संस्कृत भाषा में लिखित इस ग्रन्थ की रचना 200 ई. पू. से 200 ई. के मध्य हुई थी। इस ग्रन्थ में राजा को यह सलाह दी गयी है कि भूमि सम्बन्धी विवादों से बचने के लिए सीमाओं की गुप्त पहचान बनाकर रखनी चाहिए। इसके लिए सीमाओं पर भूमि में ऐसी वस्तु दबाकर रखनी चाहिए जो समय के साथ नष्ट न हो।
प्रश्न 6.
‘वर्ण’ और ‘जाति’ में कोई दो अन्तर बताइए। [2]
उत्तर:
‘वर्ण’ और ‘जाति’ में दो अन्तर निम्न प्रकार हैं-
- वर्ण व्यवस्था को एक दैवीय व्यवस्था माना जाता था, जबकि जाति जन्म पर आधारित व्यवस्था थी।
- वर्ण संख्या में चार थे, जबकि जाति की कोई निश्चित संख्या नहीं थी।
प्रश्न 7.
इब्न बतूता के समय यात्राएँ अति दुष्कर थीं, स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
इब्न बतूता देशाटन का बहुत ही शौकीन था। 1332-33 ई. के उस काल में जब इब्न बतूता ने अपनी यात्राएँ प्रारम्भ की थीं, यात्रा करना एक बहुत ही कठिन और जोखिम भरा कार्य था। यात्रा में चोर, लुटेरों, समुद्री डाकुओं, जंगली जीवों, बीमारियों का भय रहता था तथा यात्रा के साधन भी नहीं थे। जब वह मुल्तान से दिल्ली की यात्रा पर था तो रास्ते में डाकुओं ने उसके कारवाँ पर हमला बोल दिया, इब्न बतूता बुरी तरह घायल हो गया और कई सहयात्रियों की डाकुओं ने हत्या कर दी।
प्रश्न 8.
“कबीर चौदहवीं और पंद्रहवीं शताब्दियों के सन्त-कवियों में अप्रतिम थे।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
कबीर ने अनेक भाषाओं व बोलियों में मिलने वाली अपनी रचनाओं में से कुछ में निर्गुण परम्परा की सन्त भाषा का प्रयोग किया है। कबीर की ‘उलटबाँसियाँ’ बहुत प्रसिद्ध हैं। जिनमें बहुत-सी विरोधाभासी बातें हैं, जिनके अर्थ समझना बहुत ही कठिन है। उलटबाँसियों में सामान्य प्रचलित अर्थों को उलट दिया गया है, जैसे कि “समंदर लागि आगि”, ‘केवल ज फूल्या फूल बिन’, आदि। ये अभिव्यंजनाएँ यह प्रमाणित करती हैं कि परम सत्ता को समझना बहुत ही जटिल है।
प्रश्न 9.
विजयनगर राज्य के पतन के कोई दो कारण बताइए। [2]
उत्तर:
विजयनगर राज्य के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
- विजयनगर राज्य में सिंहासन प्राप्ति के लिए गृहयुद्ध चलते रहने के कारण राज्य की शक्ति कमजोर पड़ गयी।
- 1565 ई. में राक्षसी-तांगडी (तालीकोटा) के युद्ध में विजयनगर की सेनाएँ बुरी तरह पराजित हुईं।
प्रश्न 10.
कृष्ण देव राय कौन थे? [2]
उत्तर:
कृष्णदेव राय विजयनगर के प्रसिद्ध शासकों में से एक थे जिनका सम्बन्ध तुलुव वंश से था। इन्होंने विजयनगर पर 1509 से 1529 ई. तक शासन किया। इनके शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण था।
प्रश्न 11.
ब्रिटिश अधिकारियों ने पहाड़ी लोगों के स्थान पर संथालों को बसाने की नीति क्यों अपनायी ? [2]
उत्तर:
ब्रिटिश अधिकारी राजमहल की पहाड़ियों को साफ करके कृषि करवाना चाहते थे, जबकि . पहाड़ी लोग ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थे। संथालों ने इस कार्य में रुचि ली जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश अधिकारियों ने पहाड़ी लोगों के स्थान पर संथालों को बसाने की नीति अपनायी।
प्रश्न 12.
अंग्रेजों द्वारा अवध के अधिग्रहण का स्थानीय जनता पर क्या प्रभाव पड़ा ? [2]
उत्तर:
अंग्रेजों द्वारा अवध के अधिग्रहण के कारण स्थानीय जनता ब्रिटिश शासन के विरुद्ध हो गई क्योंकि नवाब को हटाने से दरबार और उसकी संस्कृति नष्ट हो गई। संगीतकारों, नर्तकों, कवियों, कारीगरों, बावर्चियों, नौकरों, सरकारी कर्मचारियों एवं अनेक लोगों की रोजी-रोटी समाप्त हो गयी थी।
प्रश्न 13.
चरखे को राष्ट्रवाद का प्रतीक क्यों चुना गया ? [2]
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी ने चरखे को मानव समाज एवं राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में देखा जिसमें मशीनों तथा प्रौद्योगिकी को अधिक महिमामण्डित नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त अधिक चरखा कातना निर्धनों को पूरक आय भी प्रदान कर सकता था, जिससे उन्हें स्वावलम्बी बनने में सहायता प्राप्त होती। गाँधीजी मानते थे कि मशीनों से श्रम बचाकर व्यक्तियों को मौत के मुँह में धकेलना एवं उन्हें बेरोजगार बनाकर सड़क पर फेंकने के समान है। इस क्रिया से धन का केन्द्रीयकरण होता है तथा निर्धन और अधिक निर्धन तथा धनी और अधिक धनी होता जाता है। अतः महात्मा गाँधी नियमित रूप से चरखा कातते थे।
प्रश्न 14.
सहायक सन्धि क्या थी? सहायक सन्धि को इसके प्रमुख बिन्दुओं के साथ स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
1798 ई. में लॉर्ड वेलेजली द्वारा देशी राज्यों को हड़पने के लिये एक सन्धि का प्रारूप निर्मित किया गया, इसे ही सहायक सन्धि कहा जाता है। सहायक सन्धि के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं-
- सन्धि करने वाले राज्य को एक ब्रिटिश सैनिक रेजीमेण्ट अपने यहाँ रखना होता था।
- सैनिक रेजीमेण्ट का व्यय सहायक सन्धि करने वाले राज्य को ही वहन करना होता था।
- सन्धि करने वाला राज्य न तो किसी और शासक के साथ सन्धि कर सकेगा और न ही अंग्रेजों की अनुमति के बिना किसी युद्ध में हिस्सा ले सकेगा।
- सन्धि करने वाले राज्य की बाहरी तथा आंतरिक चुनौतियों से अंग्रेज रक्षा करेंगे।
प्रश्न 15.
अल बिरूनी की जीवन-यात्रा का संक्षिप्त विवरण दीजिए। [2]
उत्तर:
11वीं शताब्दी के आरम्भ में भारत में आये अल बिरूनी का जन्म 973 ई. में आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित ख्वारिज्म नामक स्थान पर हुआ था। अल बिरूनी एक विद्वान व्यक्ति तथा अनेक भाषाओं का ज्ञाता था, जैसे- सीरियाई, फारसी, हिब्रू, संस्कृत इत्यादि। अल बिरूनी यूनानी भाषा नहीं जानता था फिर भी वह प्लेटो तथा अन्य यूनानी दार्शनिकों के विचारों तथा कार्यों से पूर्णरूपेण परिचित था। अल बिरूनी ने यूनानी विचारकों तथा उनके साहित्य को अरबी अनुवाद से पढ़ा। इनमें धीरे-धीरे अल बिरूनी को गज़नी अच्छा लगने लगा तथा महमूद गज़नवी के भारत आक्रमण के समय वह भारत आ गया।
प्रश्न 16.
मद्रास में औपनिवेशिक काल के दौरान विकसित किए गये नये ‘ब्लैक टाउन’ के किन्हीं दो चारित्रिक लक्षणों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
नये ‘ब्लैक टाउन’ के दो चारित्रिक लक्षण निम्नलिखित थे-
- यहाँ कम्पनी के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बुनकरों, कारीगरों, बिचौलियों तथा दुभाषियों को रखा गया था।
- यहाँ परम्परागत भारतीय शहरों की तरह मन्दिर तथा बाजार के चारों ओर रिहायशी मकान बनाए गये थे।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता में गृह स्थापत्य की चार विशेषताएँ बताइए। [3]
अथवा
सिंधु सभ्यता के लोगों के बीच सामाजिक और आर्थिक भिन्नताओं को जानने के लिए पुरातत्वविदों ने शवाधानों का कैसे प्रयोग किया है? परख कीजिए। [3]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता में निचला शहर गृह स्थापत्य का अनूठा उदाहरण पेश करता है। इस सभ्यता में गृह-स्थापत्य की चार विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
- आवासीय भवन मुख्यतः एक आँगन पर केन्द्रित थे जिसके चारों ओर कमरे बने हुए थे।
- आँगन सम्भवतः खाना पकाने तथा कताई करने (खासकर गर्म और शुष्क मौसम में) जैसी गतिविधियों का केन्द्र था।
- आवास के मुख्य द्वार से आन्तरिक भाग अथवा आँगन सीधे तौर पर दिखाई नहीं देता था।
- प्रत्येक घर में ईंटों के फर्श से बना एक स्नानघर होता था जिसकी नालियाँ दीवार के जरिए सड़क की नालियों से जुड़ी हुई थीं।
प्रश्न 18.
अशोक ने धम्म के प्रतिपादन हेतु कौन-कौन से व्यावहारिक उपाय किए? वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
अशोक के अभिलेखों का इतिहास निर्माण में क्या महत्व है? समझाइए। [3]
उत्तर:
बौद्ध अनुश्रुतियों के अनुसार कलिंग युद्ध के पश्चात् अशोक का हृदय परिवर्तित हो गया तथा उसने घोषणा की कि वह रणभेरी घोष (युद्ध की घोषणा) के स्थान पर धम्म घोष का पालन करेगा साथ ही इसका प्रचार-प्रसार भी करेगा। अतः अशोक ने अपनी इस घोषणा के अनुरूप सभी धर्मों का सरल स्वरूप स्थापित किया जो धम्म कहलाया। अशोक का यह धर्म मूलतः नैतिक नियम ही है जो उसने अपनी प्रजा में प्रसारित किए जिनमें बड़ों के प्रति आदर, संन्यासियों एवं ब्राह्मणों के प्रति उदारता, सेवक व दासों के साथ उदार व्यवहार तथा दूसरे धर्मों और परम्पराओं का आदर संम्मिलित है। अशोक ने अपने धम्म को प्रसारित करने के लिए न सिर्फ एक बौद्ध संगीति बुलवाई अपितु विदेशों में अपने धर्म प्रचारक (धम्म महामात्य) भी भेजे। संक्षेप में कहा जाए तो अशोक का धम्म सभी धर्मों का सार, सरल तथा मानवतावादी स्वरूप लिए था।
प्रश्न 19.
‘गोपुरम्’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। [3]
अथवा
विजयनगर के प्रशासन में अमर नायक प्रणाली की भूमिका का उल्लेख कीजिए। [3]
उत्तर:
विजयनगर के शासकों द्वारा मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला में कई नए तत्वों का समावेश किया गया है। ‘राय गोपुरम् इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है। गोपुरम् की मीनारों की विशालता इस बात को प्रमाणित करती है कि तत्कालीन विजयनगर के शासक इतने ऊँचे गोपुरम् के निर्माण हेतु आवश्यक सामग्री, तकनीक व साधन जुटाने में सक्षम थे। गोपुरम् एक प्रकार से राजकीय प्रवेश द्वार थे जो दूर से ही मन्दिर होने का संकेत देते थे। गोपुरम् के अन्य विशिष्ट अभिलक्षणों में मंडप तथा लम्बे स्तम्भों वाले गलियारे देवस्थलों को चारों ओर से घेरे हुए थे।
प्रश्न 20.
लॉटरी कमेटी क्या थी ? इसके अन्तर्गत कलकत्ता के नगर-नियोजन के लिए कौन-कौन से कदम उठाए गए? [3]
अथवा
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू के वर्षों में ही नगर नियोजन का अधिकार अपने हाथों में क्यों ले लिया था? कारणों को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली के पश्चात् नगर-नियोजन का कार्य सरकार की सहायता से लॉटरी कमेटी ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी का यह नाम इसलिए पड़ा यह कमेटी नगर सुधार के लिए पैसे की व्यवस्था जनता के बीच लॉटरी बेचकर करती थी। लॉटरी कमेटी द्वारा नगर नियोजन के लिए उठाए गए कदम- (i) लॉटरी कमेटी ने कलकत्ता शहर का नया मानचित्र बनाया ताकि कलकत्ता को नया रूप दिया जा सके। (ii) लॉटरी कमेटी की प्रमुख गतिविधियों में शहर में हिन्दुस्तानी जनसंख्या वाले भाग में सड़कें बनवाना एवं नदी किनारे से अवैध कब्जे हटाना सम्मिलित था। (iii) कलकत्ता शहर के भारतीय हिस्से को साफ-सुथरा बनाने के लिए कमेटी ने बहुत-सी झोंपड़ियों को साफ कर दिया एवं गरीब मजदूरों को वहाँ से बाहर निकालकर कलकत्ता के बाहरी किनारे पर निवास हेतु जगह दी गई।
खण्ड – द
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
भारत में इस्लाम का प्रवेश कैसे हुआ? इस्लामी शासकों द्वारा प्रजा के प्रति अपनाई गई नीतियों की व्याख्या कीजिए। [4]
अथवा
“आज भी भारत में चिश्ती सिलसिला सबसे अधिक प्रभावशाली है। “चिश्ती सूफी संतों के खानकाह जीवन व उपासना पद्धति के आधार पर उक्त कथन की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए। [4]
उत्तर:
अरब व्यापारी व्यापारिक कार्यों हेतु सामुद्रिक मार्ग से प्रथम सहस्राब्दि ई. से ही पश्चिमी भारत के बंदरगाहों पर आते रहते थे। भारत के उत्तर पश्चिमी प्रान्तों में मध्य एशिया के लोग काफी संख्या में बस चुके थे। 7वीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद यह प्रदेश इस्लामी जगत का एक भाग बन गया।
इस्लामी सत्ता की स्थापना- एक अरब सेनापति मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ईस्वी में सिंध पर विजय प्राप्त करके उसे खलीफा के राज्य में मिला लिया। कुछ समय उपरान्त (लगभग 13वीं शताब्दी) तुर्कों द्वारा दिल्ली सल्तनत की नींव रखी गई। तुर्कों ने धीरे-धीरे अपने साम्राज्य का विस्तार दक्षिणी क्षेत्रों तक कर लिया। शनैः-शनैः बहुत से क्षेत्रों पर इस्लामी शासकों का अधिकार हो गया। मुगल शासन की स्थापना (16वीं शताब्दी) तक यह स्थिति बनी रही। इसके बाद 18वीं शताब्दी में कुछ नए क्षेत्रीय राज्य अस्तित्व में आए पर इनमें से भी अधिकांश राज्यों के शासक इस्लाम धर्म के अनुयायी थे।
इस्लामी सत्ता और प्रजा के बीच समन्वय- मुसलमान शासकों को अपने राज्य संचालन की नीतियाँ उलमाओं द्वारा प्रदत्त मार्गदर्शन के अनुसार निर्धारित करनी होती र्थी। उलमाओं का यह दायित्व था कि वे शासकों को शरिया के निर्देशों का पालन करवाने हेतु बाध्य करें और शासकों से यह अपेक्षा की जाती थी कि वे उलमाओं द्वारा बताए गए आदर्शों का पालन करें तथा ‘शरिया’, जो कि कुरान शरीफ और हदीस पर आधारित कानून है, का अनुसरण जनसाधारण में सुनिश्चित करवाएँ, लेकिन इसमें एक कठिनाई यह थी कि भारतीय उपमहाद्वीप का एक बहुत बड़ा भाग इस्लाम धर्म का अनुयायी नहीं था।
शासकों ने इस सम्बन्ध में ज़िम्मी’ अर्थात् संरक्षित श्रेणी की नीति अपनाई। संरक्षित श्रेणी के इन लोगों जैसे यहूदी और ईसाइयों को ज़िम्मी कहा जाता था, मुसलमान शासक इनसे जज़िया नामक कर लेते थे और बदले में इन्हें संरक्षण प्रदान करते थे। भारत में हिन्दुओं को भी इसी श्रेणी में रखा गया। इस व्यवस्था के बाद मुगल शासक अपने आपको सभी समुदायों का शासक मानते थे।
इस्लामी शासकों की उदार और लचीली नीति- इस्लामी शासकों ने बहुसंख्यक प्रजा को ध्यान में रखकर शासन की नीति काफी उदार और लचीली रखी। अनेक शासकों द्वारा हिन्दू, जैन, पारसी, यहूदी, ईसाई आदि के धार्मिक संगठनों को भूमि अनुदान तथा करों में व्यापक छूट प्रदान की गई। इस्लामी शासकों ने अन्य धर्मों के प्रति श्रद्धा का भाव भी प्रकट किया। औरंगजेब, अकबर इत्यादि शासकों द्वारा ऐसे कई अनुदान अन्य धर्मों की संस्थाओं को प्रदान किये गये। अकबर द्वारा खम्बात में ईसाइयों के द्वारा गिरजाघर के निर्माण के समय जारी किया गया हुक्मनामा उसकी इस उदारता का परिचायक है। इसी प्रकार औरंगजेब द्वारा एक योगी गुरु आनन्दनाथ को श्रद्धापूरित पत्र द्वारा भेंट और आर्थिक सहायता भेजना भी उसकी उदारता का उदाहरण है।
प्रश्न 22.
गोलमेज सम्मेलन में हुई वार्ता से कोई नतीजा क्यों नहीं निकल पाया ? [4]
अथवा
खिलाफत आन्दोलन क्या था? गाँधीजी ने इसे असहयोग आन्दोलन का अंग क्यों बनाया? विस्तार से बताइए। [4]
उत्तर:
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 1930 ई. में लन्दन में हुआ जिसमें कांग्रेस सहित देश के शीर्ष नेताओं ने भाग नहीं लिया जिसके परिणामस्वरूप इस सम्मेलन का परिणाम शून्य रहा।
नवम्बर 1931 ई. में लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें गाँधीजी ने काँग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। यहाँ गाँधीजी का कहना था कि काँग्रेस ही सम्पूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व करती है। गाँधीजी के इस दावे को तीन पार्टियों ने चुनौती दी-
(i) मुस्लिम लीग का इस विषय में कहना था कि वह भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हितों के लिए कार्य करती है।
(ii) भारत के राजे-रजवाड़ों का कहना था कि काँग्रेस का उनके आधिपत्य वाले भागों पर कोई अधिकार नहीं है।
(iii) तीसरी चुनौती प्रमुख विचारक एवं वकील डॉ. भीमराव अम्बेडकर की तरफ से भी थी, जिनका मत था कि महात्मा गाँधी एवं कांग्रेस पार्टी निचली जातियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। डॉ. अम्बेडकर ने इस आन्दोलन में निम्न जातियों के लिए पृथक निर्वाचिका की माँग की जिसका महात्मा गाँधी ने विरोध किया क्योंकि उनका मानना था कि ऐसा करने पर समाज की मुख्य धारा में उनका एकीकरण नहीं हो पायेगा तथा वे सवर्ण हिन्दुओं से हमेशा के लिए अलग रह जाएँगे।
इसका परिणाम यह रहा कि इस सम्मेलन में प्रत्येक दल व नेता अपना-अपना पक्ष एवं माँगें रखते रहे जिस कारण यह सम्मेलन किसी भी नतीजे पर नहीं पहुँच सका। गाँधीजी लन्दन से खाली हाथ लौट आये तथा भारत लौटने पर उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर दिया। भारत में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान लन्दन में तीसरा गोलमेज सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें महात्मा गाँधी सहित कांग्रेस के किसी भी नेता ने भाग नहीं लिया।
निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि ब्रिटिश सरकार द्वारा कांग्रेस पार्टी व उसके नेताओं को महत्व नहीं दिये जाने के कारण तथा अन्य भारतीय दलों व उनके नेताओं के कांग्रेस विरोधी रवैये के कारण तीनों गोलमेज सम्मेलनों में हुई वार्ताओं का कोई नतीजा नहीं निकला।
प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) रंगपुर
(ब) मगध
(स) झाँसी
(द) साबरमती
अथवा
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) बनारस
(ब) इलाहाबाद
(स) नादिया
(द) लोथल
उत्तर:
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