Students must start practicing the questions from RBSE 12th History Model Papers Set 7 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 History Model Paper Set 7 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – अ
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर उत्तर पुस्तिका में लिखिए।
(i) निम्न में से सिंधु सभ्यता के किस स्थल से मिट्टी से बने हल के प्रतिरूप मिले हैं? [1]
(अ) बनावली
(ब) मोहनजोदड़ो
(स) धौलावीरा
(द) हड़प्पा।
उत्तर:
(अ) बनावली
(ii) हड़प्पा लिपि को रहस्यमय क्यों कहा गया है?
निम्नलिखित विकल्पों में से सही कारण का चयन कीजिए- [1]
(अ) यह मिस्र की चित्रात्मक लिपि से मेल खाती है।
(ब) इसमें चिह्नों की संख्या कहीं अधिक है, 100 से 1000 के बीच
(स) यह बाईं से दाईं ओर लिखी गई थी।
(द) इसकी लिखाई आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
उत्तर:
(द) इसकी लिखाई आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
(iii) अर्थशास्त्र के लेखक हैं- [1]
(अ) चाणक्य
(ब) चन्द्रगुप्त
(स) हर्षवर्धन
(द) मयूर
उत्तर:
(अ) चाणक्य
(iv) धम्म महामात्य नामक विशेष अधिकारियों की नियुक्ति किसने की? [1]
(अ) चन्द्रगुप्त मौर्य
(ब) अशोक
(स) हर्षवर्धन
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) अशोक
(v) निम्न में से किस राजवंश में राजाओं के नाम से पूर्व माताओं का नाम लिखा जाता था? [1]
(अ) सातवाहन
(ब) मुगल
(स) कुषाण
(द) मौर्य
उत्तर:
(अ) सातवाहन
(vi) इब्न बतूता ने भारतीय शहरों को व्यापक सुअवसरों से भरपूर पाया। निम्नलिखित विकल्पों में से उपयुक्त कारण की पहचान कीजिए- [1]
(अ) विशाल जनसंख्या, बाजार और सक्षम संचार व्यवस्था।
(ब) भूमि पर राजकीय स्वामित्व।
(स) स्वायत्त और समतावादी ग्रामीण नियंत्रण।
(द) व्यापारी सोना और चाँदी निर्यात करते थे।
उत्तर:
(अ) विशाल जनसंख्या, बाजार और सक्षम संचार व्यवस्था।
(vii) अमीर खुसरो किसका शिष्य था? [1]
(अ) शेख मुइनुद्दीन चिश्ती का
(ब) शेख फरीद का
(स) शेख निजामुद्दीन औलिया का
(द) इनमें से किसी का नहीं।
उत्तर:
(स) शेख निजामुद्दीन औलिया का
(viii) निम्नलिखित मन्दिरों में से कौन-सा मन्दिर था, जिसका उपयोग केवल विजयनगर के शासकों और उनके परिवार द्वारा किया जाता था? [1]
(अ) विट्ठल मन्दिर
(ब) विरूपाक्ष मन्दिर
(स) हजार राम मन्दिर
(द) लोटस मन्दिर
उत्तर:
(स) हजार राम मन्दिर
(ix) दक्कन आयोग की रिपोर्ट ब्रिटिश संसद में कब प्रस्तुत की गई थी? [1]
(अ) सन् 1801 में
(ब) सन् 1808 में
(स) सन् 1878 में
(द) सन् 1857 में।
उत्तर:
(स) सन् 1878 में
(x) निम्नलिखित यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों में से कौन-सी एक बेमेल है? [1]
(अ) पुर्तगालियों ने पणजी में
(ब) अंग्रेजों ने मद्रास में
(स) फ्रांसीसियों ने पांडिचेरी में
(द) डचों ने बम्बई में।
उत्तर:
(द) डचों ने बम्बई में।
(xi) महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए। [1]
(अ) 1915 में
(ब) 1916 में
(स) 1917 में
(द) 1918 में।
उत्तर:
(अ) 1915 में
(xii) निम्न में से किस शहर की सैनिक छावनी से 1857 ई. के विद्रोह का प्रारम्भ हुआ? [1]
(अ) दिल्ली
(ब) आगरा
(स) मेरठ
(द) नसीराबाद।
उत्तर:
(स) मेरठ
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए-
(i) अलवार मत का प्रचलन छठी शताब्दी ई. में दक्षिण भारत विशेषकर ……………. में आरम्भ हुआ। [1]
(ii) बंगाल के धनी किसानों को ……………. के नाम से जाना जाता था? [1]
(iii) मद्रास में फोर्ट सेंट जॉर्ज ……………. का केन्द्र बन गया जहाँ अधिकांशत यूरोपीय आबादी रहती थी। [1]
(iv) भारत छोड़ो आन्दोलन ……………. को महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्राप्त हुआ था। [1]
(v) …………… में पुत्र पिता की मृत्यु के पश्चात उसकी सम्पत्ति का उत्तराधिकारी होता था। [1]
(vi) सन् 1859 में अंग्रेजों के द्वारा एक ……………. कानून पारित किया गया जिसमें कहा गया कि ऋणदाता व किसानों के मध्य हस्ताक्षरित ऋण पत्र केवल तीन वर्षों के लिए मान्य होगा। [1]
उत्तर:
(i) तमिलनाडू,
(ii) जोतदार,
(iii) व्हाइट टाउन,
(iv) 9 अगस्त 1992,
(v) पितृवंशिकता,
(vi) परिसीमन कानून।
प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- निम्न प्रश्नों के उत्तर एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए।
(i) भारतीय पुरातत्व का जनक किसे माना जाता है? [1]
उत्तर:
सामान्यतः अलेक्जेंडर कनिंघम को भारतीय पुरातत्व का जनक माना जाता है।
(ii) विवाह में पिता का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य क्या माना गया है ? [1]
उत्तर:
कन्यादान अर्थात् विवाह में कन्या की भेंट।
(iii) नाटय शास्त्र ग्रन्थ किसने लिखा। [1]
उत्तर:
भरतमुनि ने।
(iv) अल बिरूनी का जन्म कब व कहाँ हुआ था? [1]
उत्तर:
अल बिरूनी का जन्म 973 ई. में ख्वारिज्म (उज्बेकिस्तान) में हुआ था।
(v) इब्न बतूता किस शासक के समय भारत आया था ? [1]
उत्तर:
इब्न बतूता मुहम्मद बिन तुगलक के समय भारत आया था।
(vi) बासवन्ना के अनुयायी क्या कहलाते थे ? [1]
उत्तर:
वीरशैव (शिव के वीर) एवं लिंगायत (लिंग धारण करने वाले)।
(vii) किन्हीं दो सूफी सिलसिलों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
- चिश्ती तथा
- कादरी।
(viii) बंगाल में बड़े जमींदारों की सम्पदाएँ नीलाम क्यों कर दी जाती थीं ? [1]
उत्तर:
क्योंकि बड़े जमींदार प्रायः पूरा राजस्व नहीं चुका पाते थे।
(ix) पहाड़िया लोग किस प्रकार की खेती करते थे? [1]
उत्तर:
पहाड़िया लोग झूम कृषि करते थे।
(x) अवध जैसे क्षेत्रों में 1857 के दौरान प्रतिरोध बेहद सफल एवं लम्बा चला? वहाँ लड़ाई का नेतृत्व किनके हाथों में था ? [1]
उत्तर:
ताल्लुकदारों एवं उनके किसानों के हाथों में।
(xi) लखनऊ में ब्रिटिश सज के ढहने की खबर पर लोगों ने किसे अपना नेता घोषित किया ? [1]
उत्तर:
नवाब वाजिद अली शाह के युवा पुत्र बिरजिस कद्र को।
(xii) ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा अपनी बस्तियों की किलेबन्दी करने का प्रमुख उद्देश्य क्या था ? [1]
उत्तर:
अपनी बस्तियों की सुरक्षा करना।
खण्ड – ब
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
मोहनजोदड़ो के कौन-से वास्तुकला सम्बन्धी लक्षण नियोजन की ओर संकेत करते हैं? [2]
उत्तर:
मोहनजोदड़ो के निम्नलिखित वास्तुकला सम्बन्धी लक्षण नियोजन की ओर संकेत करते हैं-
- नगरों का दो भागों में विभाजन।
- जल निकासी की समुचित व्यवस्था।
- सड़कों एवं गलियों का ग्रिड पद्धति में निर्माण किया जाना।
- आवासों का निश्चित योजना के अनुसार निर्माण किया जाना।
- समान आकार की ईंटों का प्रयोग करना।
प्रश्न 5.
दानात्मक अभिलेख क्या हैं? संक्षेप में बताइए। [2]
उत्तर:
दानात्मक अभिलेख दूसरी शताब्दी ई. के छोटे-छोटे अभिलेख हैं जो विभिन्न शहरों से प्राप्त हुए हैं जिनमें दान देने वाले के नाम के साथ-साथ उसके व्यवसाय का भी उल्लेख मिलता है। इनमें नगरों में रहने वाले धोबी, बुनकर, श्रमिक, बढ़ई, स्वर्णकार, कुम्हार, लोहार, धार्मिक गुरु, राजाओं आदि के बारे में विवरण प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 6.
महाभारत काल के दौरान वर्ण व्यवस्था का पालन करवाने के लिए ब्राह्मणों द्वारा अपनाई गई किन्हीं तीन रणनीतियों की व्याख्या कीजिए। [2]
उत्तर:
वर्ण व्यवस्था के नियमों का पालन करवाने के लिए ब्राह्मणों ने निम्नलिखित नीतियाँ अपनायीं-
- उन्होंने लोगों को बताया कि वर्ण व्यवस्था एक दैवीय व्यवस्था है।
- उन्होंने शासकों को यह उपदेश दिया कि वे अपने राज्य में इन नियमों का पालन करवाएँ।
- उन्होंने लोगों को यह विश्वास दिलाने का प्रयत्न किया कि उनकी प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है।
प्रश्न 7.
मुगल भारत में भूमि स्वामित्व के बारे में बर्नियर का विरोध क्यों था? परख कीजिए। [2]
उत्तर:
बर्नियर के अनुसार राज्य द्वारा भूमि के स्वामित्व को अपने अधिकार में लेना कृषि के विकास पर विनाशकारी प्रभाव डालता है। बर्नियर के अनुसार भारत की साधारण जनता की हीन स्थिति का कारण उनका भूमि पर अधिकार न होना था। भूमि पर खेती करने वाले लोग अपने पश्चात् भूमि अपने बच्चों को नहीं दे सकते थे, जिस कारण कृषक भूमि की उत्पादकता एवं उत्पादन को बढ़ाने में विशेष रुचि नहीं लेते थे। निजी भू-स्वामित्व न होने के कारण शासक वर्ग, अमीरों तथा सरदारों को छोड़कर शेष समाज के जीवन स्तर में लगातार पतन की स्थिति बनी रहती थी। बर्नियर का निजी भू-स्वामित्व पर दृढ़ विश्वास था क्योंकि राजकीय स्वामित्व अर्थव्यवस्था और समाज पर विनाशकारी प्रभाव डालता है।
प्रश्न 8.
अलवार और नयनार भक्ति परम्परा में स्त्री भक्तों का क्या योगदान था ? [2]
उत्तर:
अलवार और नयनार दोनों भक्ति परम्पराओं में स्त्रियों की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण विशिष्टता थी। अंडाल और करइक्काल अम्मइयार नामक स्त्रियों के भक्ति गीतों के गायन का प्रचलन आज भी तमिल क्षेत्रों में व्यापक रूप से पाया जाता है। अलवार समाज की अंडाल नामक स्त्री भक्त स्वयं को विष्णु की प्रेयसी मानती थी और अपने भक्तिपूर्ण गीतों में अपनी प्रेम भावना को छन्दों के द्वारा व्यक्त करती थी।
नयनार परम्परा में करइक्काल अम्मइयार अपने आराध्य देव शिव की आराधना तप मार्ग के द्वारा करती थी। करइक्काल अम्मइयार ने कठिन तपस्या का मार्ग अपने साध्य हेतु चुना। अपने सामाजिक कर्तव्यों का परित्याग कर इन स्त्री भक्तों ने भक्ति मार्ग पर आगे बढ़कर पुरुष सत्तात्मक आदर्शों को एक चुनौती दी।
प्रश्न 9.
नायकों ने विजयनगर के शासकों की भवन निर्माण परम्पराओं को जारी क्यों रखा ? [2]
उत्तर:
विजयनगर शहर पर आक्रमण के पश्चात् विजयनगर की कई संरचनाएँ विनष्ट हो गई र्थी, परन्तु नायकों ने महलनुमा संरचनाओं के निर्माण की परम्परा को जारी रखा जिनमें से कई भवन आज भी अस्तित्व में हैं। विजयनगर राज्य के सेना प्रमुख (नायकों) ने अपनी शक्ति, प्रतिष्ठा एवं गौरव का प्रदर्शन करने के लिए अनेक भव्य भवनों का निर्माण कर इस परम्परा को जारी रखा।
प्रश्न 10.
आनुष्ठानिक स्थापत्य की पूर्ववर्ती परम्पराओं को विजयनगर के शासकों ने कैसे और क्यों अपनाया? [2]
उत्तर:
विजयनगर के शासकों ने आनुष्ठानिक स्थापत्य की पूर्ववर्ती परम्पराओं को मन्दिर निर्माण के रूप में अपनाया क्योंकि इसके जरिए वे स्वयं को ईश्वर से जोड़ते थे। इन शासकों ने पूर्ववर्ती परम्पराओं में नवीनता लाते हुए उन्हें आगे बढ़ाया। इस समय में राजकीय प्रतिकृति मूर्तियाँ मन्दिरों में प्रदर्शित की जाने लगी तथा राजा की मन्दिरों की यात्राएँ महत्वपूर्ण राजकीय अवसर माने जाने लगी। इस दौरान साम्राज्य के महत्वपूर्ण नायक भी राजा के साथ होते थे।
प्रश्न 11.
रैयतवाड़ी व्यवस्था किसे कहा जाता था ? [2]
उत्तर:
औपनिवेशिक सरकार द्वारा बम्बई दक्कन में लागू की गयी राजस्व प्रणाली को रैयतवाड़ी व्यवस्था कहा जाता था जिसके अन्तर्गत राजस्व की राशि सीधे रैयत के साथ तय की जाती थी।
प्रश्न 12.
अवध अधिग्रहण में ब्रिटिश शासन की रुचि के क्या कारण थे ? [2]
उत्तर:
- अवध की भूमि नील व कपास की खेती के लिए अति उत्तम है।
- अवध प्रदेश को उत्तरी भारत के एक बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता है।
- 1850 के दशक तक अंग्रेज देश के अधिकांश भाग पर नियन्त्रण स्थापित कर चुके थे। लगभग एक शताब्दी पूर्व प्रारम्भ हुई क्षेत्रीय विस्तार की यह प्रक्रिया 1856 ई. में अवध के अधिग्रहण के साथ पूर्ण होने वाली थी।
अतः उपरोक्त कारणों से अंग्रेजों की अवध के अधिग्रहण में रुचि बढ़ी।
प्रश्न 13.
राष्ट्रीय आन्दोलन के अध्ययन के लिए अखबार महत्वपूर्ण स्रोत क्यों हैं? [2]
उत्तर:
अखबार जनमत निर्माण तथा अभिव्यक्ति का प्रतीक हैं। यह सरकार, सरकारी अधिकारियों एवं व्यक्तियों के विचारों, समस्या के विषय में जानकारी, प्रगति के कार्यों, उपेक्षित कार्यों तथा विभिन्न क्षेत्रों की सूचनायें प्रदान करते हैं। सामान्यतः राष्ट्रीय आन्दोलन के समय जिन व्यक्तियों द्वारा अखबार पढ़े जाते थे, वे देश में होने वाले कार्यों, नेताओं के विचारों तथा घटनाओं की जानकारी प्राप्त करते थे, इसके साथ ही जो अखबार नहीं पढ़ पाते थे उन्हें बुद्धिजीवी अथवा अखबार पढ़ने वाले सूचनायें प्रदान करते थे। इस प्रकार अखबार जनमत तथा राष्ट्र निर्माण का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण घटक था।
प्रश्न 14.
1857 ई. की क्रान्ति के दौरान राजनीतिक असन्तोष के कोई दो कारण बताइए ? [2]
उत्तर:
1857 ई. की क्रान्ति के दौरान राजनीतिक असन्तोष के निम्नलिखित कारण थे-
- मुगल बादशाह का अपमान-अंग्रेजों के भारत आगमन के पश्चात् मुगल साम्राज्य पतन की ओर अग्रसर था तथा अन्तिम मुगल बादशाह बहादुरशाह का शासन केवल लाल किले तक ही सीमित था। अंग्रेज उन्हें लाल किले से हटाकर अपना कब्जा करना चाहते थे।
- नाना साहिब व रानी लक्ष्मीबाई से अनुचित व्यवहार- लॉर्ड डलहौजी ने दत्तक प्रथा पर रोक लगाकर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र को शासक मानने से इन्कार कर दिया तथा झाँसी को हड़पने की नीति अपनाई जिससे झाँसी की रानी अंग्रेजों के विरुद्ध हो गयी। नाना साहिब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। अंग्रेजों ने उनकी पेंशन बन्द कर दी।
प्रश्न 15.
आपके विचार में बर्नियर जैसे विद्वानों ने भारत की यूरोप से तुलना क्यों की? [2]
उत्तर:
फ्रांसीसी यात्री बर्नियर 17वीं शताब्दी में भारत में आया था। 17वीं शताब्दी में यूरोप में सुधार तथा पुनर्जागरण के कारण अत्यधिक उन्नति हुई, जबकि उस समय भारत अपनी परम्परागत अवस्था में था। यूरोप की अपेक्षा भारत की इस विरोधाभासी स्थिति के कारण बर्नियर ने भारत की यूरोप से तुलना की।
प्रश्न 16.
1857 के विद्रोह के बाद औपनिवेशिक शहरों में लाए गए किन्हीं तीन परिवर्तनों की परख कीजिए। [2]
उत्तर:
- पुराने कस्बों के चारों ओर चरागाहों तथा खेतों को साफ कर दिया गया।
- ‘सिविल लाइन्स’ के नाम से नए शहरी इलाके विकसित कर इनमें केवल गोरों को बसाया गया।
- छावनियों को भी सुरक्षित स्थलों के रूप में विकसित किया गया।
खण्ड – स
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
सिंधु सभ्यता के लोगों के निर्वाह के प्रमुख साधन कौन-कौन से थे? बताइए। [3]
अथवा
पुरातत्वविदों तथा इतिहासकारों ने सिन्धु सभ्यता की लिपि को रहस्यमयी क्यों माना है? कारण स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के लोगों के निर्वाह के प्रमुख साधन (तौर-तरीके) निम्नलिखित हैं-
- सिंधु सभ्यता के लोग शाकाहार एवं मांसाहार दोनों पर आश्रित थे। ये लोग कई प्रकार की वनस्पतियों तथा जानवरों से आहार प्राप्त करते थे। मछली उनका प्रमुख आहार थी।
- अनाजों के रूप में हड़प्पा सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, चना, दाल, तिल आदि का प्रयोग करते थे । हड़प्पा स्थलों में कई स्थानों से इनके अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- बाजरा और चावल के आहार के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। बाजरे के दाने गुजरात के हड़प्पा स्थलों से प्राप्त हुए हैं, चावल के दानों के अवशेष लोथल से अल्प मात्रा में प्राप्त हुए हैं जिससे अनुमान लगाया जाता है कि चावल का आहार के रूप में प्रयोग अल्प मात्रा में ही होता था।
- भैंस, भेड़, बकरी तथा सूअर से भी हड़प्पा संस्कृति के लोग आहार प्राप्त करते थे। संभवतः वह पशुपालन का कार्य करते थे।
- आहार के रूप में हिरण व घड़ियाल के मांस के प्रयोग के भी साक्ष्य मिलते हैं परन्तु इनकी शिकारी प्रवृत्ति के बारे में अनिश्चितता है कि यह शिकार स्वयं करते थे या अन्य शिकारी समुदायों से प्राप्त करते थे। पक्षियों के मांस को आहार के रूप में प्रयोग करने के भी साक्ष्य मिले हैं।
प्रश्न 18.
रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से कौन-सी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं? [3]
अथवा
अशोक द्वारा अपने अधिकारियों और प्रजा को दिए गए संदेशों की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता सिद्ध कीजिए। [3]
उत्तर:
शक शासक रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से सुदर्शन झील के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। संस्कृत में लिखित इस अभिलेख के अनुसार जलद्वारों व तटबंधों वाली इस झील का निर्माण मौर्य काल में एक स्थानीय राज्यपाल ने करवाया था, लेकिन एक भीषण तूफान की वजह से इसके तटबंध टूट गए और इसका सारा पानी बह गया। तत्कालीन शासक रुद्रदामन ने अपने खर्चे से इसकी मरम्मत करवायी थी। तत्पश्चात् गुप्त वंश के शासक ने पुनः इस झील की मरम्मत करवायी थी। इस अभिलेख से यह भी स्पष्ट होता है कि रुद्रदामन ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
प्रश्न 19.
विजयनगर साम्राज्य के व्यापार के विकास को स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
विजयनगर साम्राज्य में प्रारम्भ की गई अमर नायक प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए। [3]
उत्तर:
14वीं से 16वीं सदी के इस काल में सामरिक दृष्टिकोण से घोड़ों का महत्व बहुत अधिक था। अश्वसेना की युद्ध में निर्णायक भूमिका होती थी। प्रारंभिक चरणों में अरब व्यापारियों द्वारा अरब तथा मध्य एशिया से घोडों के व्यापार को नियन्त्रित किया जाता था। ‘कुदिरई चेट्टी’ नामक स्थानीय व्यापारी भी इस कार्य को करते थे। पुर्तगालियों ने 1498 ई. में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर व्यापारिक और सामरिक केन्द्र स्थापित करने के प्रयास आरम्भ कर दिए। पुर्तगाली बन्दूक के प्रयोग में कुशल थे, इसलिए वे समकालीन राजनीति में शक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए। विजयनगर की समृद्धि इसकी व्यापारिक प्रतिष्ठा की सूचक थी। मसालों, रत्नाभूषणों एवं उत्कृष्ट वस्त्रों के लिए विजयनगर के बाजार दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। व्यापार यहाँ की प्रतिष्ठा का मानक था। यहाँ की समृद्ध और सम्पन्न प्रजा के कारण बहुमूल्य विदेशी वस्तुओं की मांग भी अत्यधिक थी। इस प्रकार आयात तथा निर्यात द्वारा राज्य को उच्च राजस्व की प्राप्ति होती थी।
प्रश्न 20.
बम्बई का वाणिज्यिक शहर के रूप में किस प्रकार विकास हुआ ? संक्षेप में टिप्पणी लिखिए। [3]
अथवा
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियों में मुगलों द्वारा भारत में बनाए गए शहरों के किन्हीं दो चारित्रिक लक्षणों का उल्लेख कीजिए। [3]
उत्तर:
19वीं शताब्दी के अन्त तक भारत का आधा आयात तथा निर्यात वाणिज्यिक शहर बम्बई से होता था। उस समय व्यापार की मुख्य वस्तु अफीम तथा नील थी। यहाँ से ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन को अफीम का निर्यात किया करती थी जिसमें भारतीय व्यापारी तथा बिचौलिये हिस्सेदारी लेते थे। इस व्यापार से शुद्ध भारतीय पूँजीपति वर्ग का निर्माण हुआ।
पारसी, मारवाड़ी, कोंकणी, मुसलमान, गुजराती, ईरानी, आर्मेनियाई, यहूदी, बोहरे, बनिये इत्यादि यहाँ के मुख्य व्यापारी वर्ग से सम्बन्धित थे। 1869 ई. में स्वेज नहर को व्यापार के लिए खोला गया जिससे बम्बई के व्यापारिक सम्बन्ध शेष विश्व के साथ अत्यधिक मजबूत हुए। बम्बई सरकार तथा पूँजीपति भारतीयों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए बम्बई को भारत का सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक शहर घोषित कर दिया। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक बम्बई में भारतीय व्यापारी कॉटन मिल जैसे नवीन उद्योगों में अत्यधिक धन का निवेश कर रहे थे। इसके अतिरिक्त वे इससे सम्बन्धित सभी गतिविधियों का संचालन कर रहे थे।
खण्ड – द
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
ग्यारहवीं से सोलहवीं शताब्दी के बीच सूफी सन्तों और राज्यों के मध्य सम्बन्धों की पहचान कीजिए। [4]
अथवा
उदाहरण सहित विश्लेषण कीजिए कि क्यों भक्ति और सूफी चिन्तकों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए विभिन्न भाषाओं को अपनाया? [4]
उत्तर:
नयनार तथा अलवार भक्ति आन्दोलन जिस समय दक्षिण भारत में गतिमान थे; उस समय वहाँ चोल शासन विद्यमान था। शक्तिशाली चोल सम्राटों ने ब्राह्मण तथा भक्ति, दोनों ही परम्पराओं को समर्थन प्रदान किया। चोल शासक वैष्णव तथा शैव, दोनों ही मतों को मानने वाले थे तथा दोनों ही मतों के समर्थकों को भूमि अनुदान प्रदान किए। तंजावूर, चिदम्बरम् तथा गंगैकोंडचोलपुरम् के विशाल शिव मन्दिर चोल सम्राटों की सहायता से ही निर्मित हुए थे। दक्षिण भारत में इस समय सर्वप्रथम नयनारों की प्रेरणा से काँसे की नटराज प्रतिमा बनी। इस नटराज को भगवान शिव ही माना जाता था।
चोल तथा अन्य सम्राटों के साथ-साथ भक्ति सन्त वेल्लाल कृषकों द्वारा सम्मानित होते थे। अतः शासकों द्वारा इन सन्तों का समर्थन पाना आवश्यक था, इसलिए चोल सम्राटों ने दैवीय समर्थन पाने का दावा किया और सुन्दर मन्दिरों का निर्माण कराया तथा इनमें पत्थर और धातु से बनी अलवार और नयनार सन्तों की मूर्तियाँ स्थापित की।
तत्कालीन चोल सम्राटों ने तमिल भाषा में शैव भजनों का गायन मन्दिरों में प्रचलित किया। उन्होंने ऐसे भजनों का संग्रह एक ग्रन्थ ‘तवरम्’ के रूप में भी कराया। परान्तक प्रथम के एक अभिलेख से ज्ञात होता है कि इसने सन्त संबंदर, कवि अप्पार तथा सुन्दरार की धातु की प्रतिमाएँ एक शिव मन्दिर में स्थापित की। वस्तुतः ये तीनों ही सन्त शैव थे।
तत्कालीन समाज में सूफी तथा भक्ति सन्तों का उच्च स्थान था। अतः राज्य भी सन्तों का समर्थन पाने का प्रयास करते थे। इसके अतिरिक्त सुल्तानों ने खानकाहों को करमुक्त भूमि भी अनुदान में दी तथा दान सम्बन्धी विभाग भी स्थापित किया। सामान्यतः सूफी जो दान स्वीकार करते थे, वे उसको सुरक्षित रखने के स्थान पर उसे विभिन्न अनुष्ठानों; जैसे-समा की महफिल पर ही व्यय कर देते थे।
सूफी सन्तों की धर्मनिष्ठा, विद्वत्ता तथा व्यक्तियों द्वारा उनकी चमत्कारी शक्ति में विश्वास उनकी प्रसिद्धि के मुख्य कारण थे। इन्हीं कारणों से शासक वर्ग भी उनका समर्थन प्राप्त करना चाहता था। निःसन्देह सुल्तान जानते थे कि उनकी अधिकांश प्रजा हिन्दू धर्म से सम्बन्धित है, अतः उन्होंने ऐसे सूफी सन्तों का सहारा लिया जो अपनी आध्यात्मिक सत्ता के लिए हिन्दुओं में समान रूप से उच्च स्थान रखते थे। अजमेर स्थित शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर आने वाला पहला सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक था, परन्तु शेख की मजार पर सबसे पहली इमारत का निर्माण मालवा के सुल्तान गियासुद्दीन खिलजी द्वारा 15वीं शताब्दी में करवाया गया। 16वीं शताब्दी तक अजमेर दरगाह की प्रसिद्धि बहुत बढ़ गई थी। अकबर ने अजमेर की दरगाह की 14 बार ज़ियारत की। अकबर ने 1558 में तीर्थयात्रियों के लिए खाना पकाने हेतु एक विशाल देग दरगाह को भेंटस्वरूप प्रदान की और एक मस्जिद का भी निर्माण करवाया।
प्रश्न 22.
महात्मा गाँधी ने राष्ट्रीय आन्दोलन के स्वरूप को किस तरह बदल डाला? [4]
अथवा
अपनी दृष्टि में दांडी यात्रा क्यों उल्लेखनीय थी? विस्तार से उल्लेख कीजिए। [4]
उत्तर:
गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में व्यापक जन-आन्दोलन किए। उन्होंने मानववाद, समानता आदि के लिए प्रयास किये तथा रंग भेद, जाति भेद के विरुद्ध सत्याग्रह किया तथा विश्व स्तर पर प्रसिद्धि प्राप्त की। जब गाँधीजी 1915 ई. में भारत लौटे तो उस समय कांग्रेस पार्टी वास्तव में मध्यवर्गीय शिक्षित लोगों की पार्टी थी और उसका प्रभाव कुछ ही शहरों व कस्बों तक सीमित था। गाँधीजी ने कांग्रेस का जनाधार बढ़ाया तथा जन-आन्दोलन आरम्भ किए जिससे भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन की तस्वीर ही बदल गयी। इसे हम निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं-
- राष्ट्रीय आन्दोलन गाँधीजी के नेतृत्व में मात्र व्यवसायियों तथा बुद्धिजीवियों का ही आन्दोलन नहीं रह गया था।
- गाँधीजी के आगमन से स्वतंत्रता आन्दोलन समाज के सभी वर्गों का आन्दोलन बन गया।
- गाँधीजी की वेशभूषा बिल्कुल साधारण थी इसलिए सामान्यजन गाँधीजी के अत्यधिक समीप आये।
- गाँधीजी स्वयं तो चरखा चलाते ही थे और जनसामान्य को भी चरखा चलाने को प्रेरित करते थे, इससे जनसामान्य में श्रम की महत्ता स्थापित हुई।
- गाँधीजी जो बोलते थे वह स्वयं पर भी लागू करते थे। अतः व्यक्ति उन्हें अपना आदर्श मानने लगे।
- गाँधीजी के आन्दोलन अहिंसात्मक थे जिस कारण उनमें अधिक से अधिक जन-भागीदारी होती गई।
- महात्मा गाँधी के चमत्कारों के विषय में फैली अफवाहों ने उनकी लोकप्रियता को जन-जन तक पहुँचा दिया।
- महात्मा गाँधी ने किसानों तथा निर्धन व्यक्तियों के कष्टों को दूर करने का सदैव प्रयास किया।
- गाँधीजी ने अपने भाषण जनसामान्य की भाषा में दिये जिससे अधिक व्यक्तियों तक उनका संदेश पहुँचा।
- उनके नेतृत्व में देश के विभिन्न भागों में कांग्रेस की अनेक शाखाएँ खुलीं।
- विभिन्न रियासतों में भी राष्ट्रवादी सिद्धान्तों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रजा मण्डलों की स्थापना की गयी।
- गाँधीजी ने सदैव अपने प्रयासों में हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया।
- गाँधीजी ने इस बात पर बल दिया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये संगठित समाज का होना आवश्यक है।
- गाँधीजी के आन्दोलनों में अत्यधिक जनसहभागिता होती थी जिसको रोक पाना अंग्रेजों के लिये अत्यधिक कठिन था। इस कारण उन्हें जनता के समक्ष झुकना पड़ता था।
- गाँधीजी नारी सशक्तिकरण के समर्थक थे तथा स्त्री और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं करते थे। उन्होंने नारियों को राष्ट्रीय आन्दोलन में सम्मिलित होने, चरखा कातने, खादी का प्रचार-प्रसार करने एवं शराब का विरोध करने को प्रेरित किया।
- गाँधीजी ने अपने पत्र ‘हरिजन’ के माध्यम से अस्पृश्यता का विरोध किया।
- जब देश में धार्मिक घृणा एवं उन्माद फैला तो उन्होंने कई बार आमरण अनशन किया तथा दंगाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर शान्ति स्थापना की।
इस प्रकार महात्मा गाँधी ने अपनी गतिविधियों व कार्यकलापों के माध्यम से राष्ट्रीय आन्दोलन का स्वरूप बदल दिया।
प्रश्न 23.
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) काशी
(ब) बैराठ
(स) फतेहपुर सीकरी
(द) गोरखपुर
अथवा
भारत के मानचित्र में निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थलों को अंकित कीजिए- [4]
(अ) पटना
(ब) अहमदाबाद
(स) अजमेर
(द) ब्रह्मगिरि
उत्तर:
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