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RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

April 5, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Home Science Model Papers Set 1 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – अ

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न (9 x 1 = 9)
(i) धार्मिक कार्यों में नि:शुल्क सेवाएँ देने वाला श्रमदान कहलाता है-
(अ) सेवा
(ब) कर्त्तव्य
(स) सामाजिक दायित्व
(द) कार सेवा
उत्तर:
(द) कार सेवा

(ii) बहुत सी चीजों/कार्यों के साथ-साथ करना कहलाता है-
(अ) बहकार्यता
(ब) बहधन्धा
(स) बहश्रमता
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) बहकार्यता

(iii) मछली में कौन से वसा अम्ल की अधिकता मिलती है?
(अ) ओमेगा-3
(ब) कैल्सियम की
(स) बीटा-केरोटीन की
(द) विटामिन सी की
उत्तर:
(अ) ओमेगा-3

(iv) भारत में बच्चों (5 वर्ष से कम आयु) की मृत्यु का प्रमुख कारण है-
(अ) अरक्तता
(ब) कुपोषण
(स) अतिपोषण
(द) मोटापा
उत्तर:
(ब) कुपोषण

(v) जो आकृतियाँ गणितीय रूप से बनायी जाती हैं उन्हें कहते हैं-
(अ) अमूर्त आकृतियाँ
(ब) ज्यामितीय आकृतियाँ
(स) प्राकृतिक आकृतियाँ
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) ज्यामितीय आकृतियाँ

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

(vi) फैशन चक्र प्रवेश से लेकर अप्रचलन तक कितने स्तरों पर गति करता है-
(अ) पाँच
(ब) तीन
(स) छः
(द) चार
उत्तर:
(अ) पाँच

(vii) मानव संसाधन प्रबंधन का कार्य कौन करता है?
(अ) सहकारिता विभाग
(ब) जनसंख्या विभाग
(स) मानव संसाधन विभाग।
(द) नीति आयोग
उत्तर:
(स) मानव संसाधन विभाग।

(viii) गलत तौल व माप एक प्रकार है-
(अ) उपभोक्ता संरक्षण का
(ब) उपभोक्ता अधिकार का
(स) उपभोक्ता दायित्व का
(द) उपभोक्ता समस्या का
उत्तर:
(द) उपभोक्ता समस्या का

(ix) ग्रामीण भारत में टिकाऊ पद्धति परियोजना (एस.ए.आर.आई) भारत में किस राज्य में प्रारम्भ हुई थी?
(अ) राजस्थान
(ब) उत्तर प्रदेश
(स) मध्य प्रदेश
(द) तमिलनाडु
उत्तर:
(द) तमिलनाडु

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (4 × 1 = 4)
(i) कार्य एक नौकरी और अनेक व्यक्तियों के लिए ……. का साधन है।
(ii) पाक क्रिया सम्बन्धी अपनी ……………… और ……………… का उपयोग करती है।
(iii) प्रत्येक मनुष्य एक …………………. उपभोक्ता है।
(iv) समारोह हमारे जीवन का ………………… हिस्सा है।
उत्तर:
(i) आजीविका,
(ii) रुचियों, कौशलों,
(iii) स्वाभाविक,
(iv) अभिन्न

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 3.
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- (8 × 1 = 8)
(i) गृहणियों के लिए किया गया कार्य क्या है?
उत्तर:
गृहणियों के लिए किया गया एक कर्त्तव्य और घर में दिया गया योगदान है।

(ii) 8-12 माह का छोटा बच्चा अपरिचित व्यक्ति के प्रति भय प्रदर्शित करता है यह भय प्रदर्शन क्या है?
उत्तर:
बच्चे का यह भय प्रदर्शन परिचित चेहरों को उसकी पहचानने की क्षमता को दर्शाता है।

(iii) यदि किसी विद्यार्थी में बौद्धिक अपंगता है तो शिक्षक को किस प्रकार पढ़ाना चाहिए?
उत्तर:
बच्चे में बौद्धिक अक्षमता की स्थिति में शिक्षक को पाठ को रोचक बनाकर, छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित करके धीमी गति से धैर्यपूर्वक पढ़ाना चाहिए।

(iv) रंगों को कितने रूपों में उल्लेखित किया जाता है?
उत्तर:
रंगों को तीन रूपों में उल्लेखित किया जाता है-रंग (ह्यू), मान तथा तीव्रता या क्रोमा।

(v) वस्त्रों की सफाई के दौरान कितने प्रकार के उपकरण काम में आते हैं?
उत्तर:
वस्त्रों की सफाई के दौरान तीन प्रकार के उपकरण काम में आते हैं-

  • धुलाई के उपकरण
  • सुखाने के उपकरण
  • इस्तरी/प्रेस करने के उपकरण।

(vi) ‘आउटसोर्सिंग’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
समारोह के आयोजन के लिये विशेषज्ञों की सेवाएँ किराए पर लेना ही आउटसोर्सिंग कहलाता है।

(vii) समारोह को लक्ष्य श्रोता तक संदेश विशेष पहुँचाने के अवसरों के रूप में किसने परिकल्पित किया?
उत्तर:
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री फिलिप कोटलर ने समारोह को लक्ष्य श्रोता तक किसी संदेश विशेष को पहुँचाने के अवसरों के रूप में परिकल्पित किया है।

(viii) मानव संसाधन प्रबंधन का आविर्भाव कहाँ से हुआ है?
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन का आविर्भाव संसाधन प्रबंधन से हुआ है।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

खण्ड – ब

लघूत्तरात्मक प्रश्न- (12 × 1.5 = 18)

प्रश्न 4.
जन स्वास्थ्य पोषण क्या है? समझाइए।
उत्तर:
जन स्वास्थ्य पोषण, अध्ययन का वह क्षेत्र है जो अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने से संबंधित है। इस उद्देश्य के लिए यह पोषण संबंधी रोगों/ समस्याओं का समाधान करने वाली सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों के जरिए लोगों के इन पोषक संबंधी रोगों/समस्याओं का समाधान करता है।

जन स्वास्थ्य आहार विशेषज्ञ/व्यावसीयक जनसंख्या को प्रभावित करने वाली समस्याओं के समाधान के लिए बड़े पैमाने पर सुनियोजित और बहुविषयक पद्धतियों का उपयोग करते हैं। अतः यह क्षेत्र बहुविषयक प्रकृति का है और जीवन विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान विषयों की बुनियाद पर टिका हुआ है। यह पोषण के अन्य क्षेत्रों जैसे – नैदानिक पोषण और आहारिकी से भिन्नता रखता है, क्योंकि इसके लिए समुदाय/जनता, विशेष रूप से अतिसंवेदनशील समूहों की समस्याओं के समाधान के लिए व्यावसायिक की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
विभिन्न प्रकार के भोजन की माँग क्यों बढ़ रही है?
उत्तर:
वर्तमान में बढ़ते प्रवसन, शहरीकरण, वैश्वीकरण, अन्तर्राष्ट्रीय यात्राओं, पर्यटन तथा विभिन्न प्रकार की पाक प्रणालियों व विज्ञापनों की जानकारी तथा स्थानीय लोगों की नए भोजन में बढ़ती रुचि के कारण विभिन्न प्रकार की पाक प्रणालियों व जातीय भोजनों की माँग बढ़ गयी है।

प्रश्न 6.
खाद्य जनित रोगाणु क्या है ? ये कितने प्रकार के खाद्य जनित रोग उत्पन्न करते हैं? बताइए।
उत्तर:
ऐसे सूक्ष्म जीव जो खाद्य से सम्बन्धित होते हैं, खाद्य जनित रोगाणु कहलाते हैं। सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं से दो प्रकार के खाद्य जनित रोग उत्पन्न होते हैं-संक्रमण और विषाक्तता। खाद्य संक्रमण रोगाणु जीवों के शरीर में प्रवेश से उत्पन्न होता है जो वहाँ पहुँच कर संख्या में बढ़ते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं। खाद्य पदार्थ से रोगाणुओं के नष्ट हो जाने पर भी कुछ जीवाणु रह जाते हैं ये हानिकारक विषाक्तता उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 7.
साल्मोनेला क्या है ? बताइए।
उत्तर:
साल्मोनेला खाद्य संक्रमण उत्पन्न करने वाला एक रोगाणु है। यह जीव-जंतुओं के आंत्र क्षेत्र में उपस्थित रहता है। कच्चा दूध एवं अंडे भी इसके स्रोत हैं। गर्म करने पर साल्मोनेला नष्ट हो जाता है, परन्तु अपर्याप्त पाक क्रिया से कुछ जीव बचे रहते हैं। अक्सर साल्मोनेला पारसंदूषण से फैलते हैं। यह ऐसे हो सकता है कि कोई रसोइया एक तख्ते पर कच्चा माँस/ मुर्गा-मुर्गी के टुकड़े काटे एवं बिना तख्ते को साफ किए उस पर ऐसे खाद्य पदार्थ के टुकड़े काटें जिन्हें पकाने की आवश्यकता नहीं होती जैसे -सलाद।

साल्मोनेला बहुत तेजी से अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं एवं प्रत्येक 20 मिनट में उनकी संख्या दुगुनी हो जाती है।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 8.
गंभीर कठिनाई वाले बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं चलाना क्यों आवश्यक होता है?
उत्तर:
कुछ बच्चे जिन्हें अपनी अपंगता के स्वरूप के कारण गंभीर कठिनाइयाँ होती हैं, यदि वे केवल उन्हीं के लिए बनाई गई कक्षाओं में पढ़ें तो उन्हें बहुत लाभ होता है। क्योंकि अपेक्षाकृत कम संख्या में विद्यार्थी समूह में एक साथ होते हैं, और वहाँ जहाँ शिक्षक विद्यार्थियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत करता है।

प्रश्न 9.
जब बच्चा 3 वर्ष का हो जाता है, तो सामान्यतः उसकी गतिविधियाँ और अनुभव किस प्रकार बढ़ने लगते हैं?
उत्तर:
तीन वर्ष का होने तक बच्चा चलना, दौड़ना चीजों को उलटना-पलटना और बोलना सीख लेता है तो वह परिवेश के साथ सक्रिय भागीदारी करने में सक्षम हो जाता है। जैसे-

  • अब वह अपने आस-पास के लोगों और चीजों के साथ परस्पर व्यवहार से समस्त जानकारी एकत्र करता है, जो वह कर सकता
  • इस उम्र में मातृभाषा में उसका शब्द ज्ञान तेजी से बढ़ता है और इसके साथ ही उसकी प्राकृतिक वस्तुओं, जैसे बालू, जल, पक्षी
    और अन्य सामग्रियों की समझ बढ़ती है।
  • अब बच्चे में और अधिक जानने की जिज्ञासा प्रबल हो जाती है कोई चीज देखने पर वह अक्सर बड़ों से पूछता है कि ऐसा क्यों हैं?

प्रश्न 10.
वृद्धावस्था में देखभाल के लिए चलाए जाने वाले कार्यक्रमों में से किसी एक का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
वृद्धावस्था सदन, विश्रामगृह तथा बहुसेवा केन्द्र-वृद्धजनों के लिए भोजन, देख-देख और आश्रय प्रदान करने के लिए वृद्धावस्था सदन खोले गए हैं। वृद्धावस्था सदनों में रहने वाले ऐसे बुजुर्गों के लिए विश्रामगृह, सतत् देखभाल गृह, जो गंभीर रूप से बीमार हों और जिन्हें सतत नर्सिंग, देखभाल और आराम की आवश्यक हो, कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त बुजुर्गों के लिए बहुसेवा केन्द्र भी संचालित हैं जो उन्हें दिन में देखभाल शिक्षा और मनोरंजन के अवसर, स्वास्थ्य देखभाल, और संगी-साथी प्रदान करते हैं।

प्रश्न 11.
क्रेच तथा डे केयर सेन्टर क्या होते हैं?
उत्तर:
शिशु केन्द्र (क्रेच)एक संस्थागत व्यवस्था को दिया गया नाम है जिसे विशेष रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों की घर में देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति में देखभाल के लिए बनाया गया है। दिवस देखभाल केन्द्र (डे केयर सेन्टर) भी ऐसी ही संस्थागत व्यवस्था होती है जिसमें दिन में देखभाल करने वाले केन्द्र, बच्चों की विद्यालय पूर्व वर्षों में देखभाल करते हैं, इसमें शिशु और विद्यालय पूर्व के बच्चे शामिल हो सकते हैं। और घर में प्रमुख देखभालकर्ता की अनुपस्थिति में इनकी देखभाल की जाती है।

प्रश्न 12.
वस्त्रों की देखभाल व रख-रखाव के दो पहलू क्या हैं?
उत्तर:
वस्त्रों की देखभाल व रख-रखाव के निम्न दो पहलू हैं-

  • सामग्री को भौतिक क्षति से मुक्त रखना और यदि उसका प्रयोग करते समय कोई क्षति पहुँची है तो उसमें सुधार करना।
  • धब्बों और धूल को हटाते हुए उसके रूप-रंग और चमक को बनाए रखना एवं उसकी बनावट तथा दृष्टिगोचर होने वाली विशेषताओं को बनाए रखना।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

प्रश्न 13.
धागे के दोषों से उत्पन्न कमियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धागे के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-

  • मोटा सिरा और पतला सिरा (भारी सिरा और कसा हुआ सिरा भी कहलाता है)कपड़े में सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले धागों के स्थान पर अधिक व्यास या कम व्यास वाले धागों का ताना।
  • रूआँ और रूएँ की गोलियाँ- रूआँ ढीला या उधड़ा हुआ रेशा होता है जो धागे से निकलता है। ये छोटी-छोटी गोलियाँ बना लेते हैं और कपड़े में बन जाते हैं।
  • बटा हुआ धागा- धागे में अचानक मोटा स्थान जो मुड़ने में नरम होता है और अधिकतर छोटा होता है।

प्रश्न 14.
मानव संसाधन परामर्श क्या है?
उत्तर:
मानव संसाधन परामर्श- यह एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जहाँ संगठन मानव संसाधन परामर्शदाताओं की सेवाओं को, संगठन के व्यक्तियों से संबंधित समस्याओं का हल ढूँढ़ने में काम में लेते हैं। उन संगठनों के लिए जिन्हें पुनः संरचना की आवश्यकता होती है, मानव संसाधन परामर्शदाता यह निश्चित करने में सहायता करते हैं कि किनकी सेवाएँ बनाए रखने/समाप्त करने/आगे जारी न रखने की या किसकी पदोन्नति की आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में जब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजनाएँ घोषित की जाती हैं, तो उस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए मानव संसाधन परामर्शदाताओं की सेवाएँ ली जाती हैं।

प्रश्न 15.
समारोह की योजना बनाने की अवधारणाओं के बारे में बताइए।
उत्तर:
समारोह की योजना बनाने हेतु छह ककारों की अवधारणा बताई गई है-

  • अपने उद्देश्यों को स्पष्ट करना,
  • अपने लक्षित बाजार का निर्धारण करना,
  • संसाधनों का प्रभावी उपयोग,
  • किसी बड़े विचार अर्थात् अचंभित करने वाले कारक के बारे में सोचा,
  • कम्पनी की नीति/उसके द्वारा प्रयुक्त युक्तियाँ,
  • मापनीय परिणामों का निर्धारण।

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खण्ड – स

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (3 × 3 = 9)

प्रश्न 16.
एक आहार विशेषज्ञ की क्या भूमिकाएँ होती हैं?
उत्तर:
आहार विशेषज्ञ की भूमिका- आहार विशेषज्ञ की रोगी या किसी व्यक्ति के आहार प्रारूप को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आहार विशेषज्ञ के द्वारा किये जाने वाले निम्न कार्य उसकी भूमिका को प्रदर्शित करते हैं-

  • आहार विशेषज्ञ रोगी या किसी व्यक्ति को आवश्यकतानुसार भोजन ग्रहण करने की सलाह देकर उसे स्वस्थ रहने में मदद करता है।
  • आहार विशेषज्ञ संतुलित आहार योजना के माध्यम से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाये रखने में मदद करता है।
  • उपचारात्मक या नैदानिक पोषण के माध्यम से रोगी का उपचार करने में सहायक होता है।
  • चिरकालिक रोगों की रोकथाम में अहम् भूमिका निभाता है।
  • भोजन परोसने व प्रबंधन के बारे में बताता है।
  • रोगियों को परामर्श देकर रोगी शरीर व मानस में परिवर्तन लाता है।
  • रोगी को शल्य क्रिया पूर्व व पश्चात भोजन सम्बन्धी प्रक्रियाओं की सलाह प्रदान करता है।

प्रश्न 17.
वस्त्र निर्माण के विभिन्न चरणों में रंग का अनुप्रयोग किस प्रकार से वस्त्र में डिजाइन को प्रभावित करता है?
उत्तर:
वस्तु निर्माण के विभिन्न चरणों में रंग का अनुप्रयोग निम्न प्रकार से वस्त्र में डिजाइन को प्रभावित करता है-
(i) यह बहुत महँगी प्रक्रिया होने के कारण रेशे के स्तर पर रँगाई बहुत कम होती है। फिर भी कुछ निर्मित रेशों के लिये इसका सहारा लेना पड़ता है। जैसे जो आसानी से रँगे नहीं जा सकते हैं अथवा डिजाइन की आवश्यकता ऐसे धागों की होती है, जिसमें बहुरंगी रेशे हों।

(ii) धागे के स्तर पर की गई रँगाई, बहुविधि डिजाइन की रचना में मदद करती है। बुनी हुई धारीदार पट्टियाँ, चौकदार कपड़ा, पटू इत्यादि बनाये जाने वाले सामान्य डिजाइन हैं। जरी और जैकार्ड पैटर्न रँगे हुये धागों को बुनकर तैयार किया जाता है। जब धागों की बँधाई-रँगाई की जाती है, तो सुन्दर पैटर्न प्राप्त होते हैं।

(iii) वस्त्र के स्तर पर रँगना एक सबसे अधिक प्रचलित विधि है। यह विधि एक सामान्य एकल रंग वाले वस्त्र प्राप्त करने के लिये और बँधाई तथा बाटिक प्रक्रिया द्वारा डिजाइन वाली सामग्री प्राप्त करने के लिये उपयोग में लाई जा सकती है।

(iv) वस्त्र के स्तर पर रँगाई, चित्रकारी, छपाई, कसीदाकारी और पैच अथवा गोटा-पट्टा द्वारा की जा सकती है। यहाँ रंग का अनुप्रयोग किसी भी आकार और रूप में हो सकता है।

प्रश्न 18.
संचार माध्यम के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए आवश्यक योग्यताएँ और कौशल बताइए।
उत्तर:
संचार माध्यम के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए निम्नलिखित आवश्यक योग्यताएँ और कौशल होने चाहिए-

  • जो भी व्यक्ति संचार माध्यम (मीडिया) के क्षेत्र में जीविका बनाने की इच्छा रखता हो उसे मेहनती आत्मविश्वासी, अभीष्ट कौशलों में निपुण और इन सबसे अधिक, उसके पास उत्तम संप्रेषण कौशल होना चाहिए।
  • केवल शैक्षिक क्षेत्र के अंकों अर्थात् परीक्षा के आधार पर ही नहीं, व्यक्ति तभी संचार माध्यमों में प्रवेश पाने योग्य हो सकता है, जो अपने आपको समूह चर्चा से लेकर साक्षात्कार मेज पर बैठकर कार्य करने और क्षेत्र में काम करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकता हो।
  • मीडिया व्यावसायिक को अपनी दृष्टि पाठकों, दर्शकों तथा उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं तथा उनकी समझ के स्तर पर रखकर मुद्रित/ इलेक्ट्रॉनिक/इंटरनेट अथवा वेब संचार माध्यमों के लिए स्पष्ट रूप से सोच और लिख सके। उनका लिखा आलेख उनके लक्षित श्रोताओं के लिए आसानी से समझ आने वाला और प्रभावी होना चाहिए।

RBSE 12th Home Science Model Paper Set 1 with Answers in Hindi

निबंधात्मक प्रश्न (2 × 4 = 8)

प्रश्न 19.
विशेष शिक्षक बनाने के लिए व्यक्ति में कौन-कौन से कौशल होने चाहिए?
अथवा
विशेष शिक्षा से आप क्या समझते हैं? विशेष शिक्षा और विशेष शिक्षा सेवा के कार्य-क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
विशेष शिक्षक बनने के लिए व्यक्ति में पाए जाने वाले कौशल-
(1) संवेदनशीलता विकसित करनाविशेष शिक्षकों से अपंग बच्चों के प्रति संवेदनशील होने की अपेक्षा की जाती है। वे ऐसे शब्दों और भाषा का प्रयोग करें जिनसे बच्चों के प्रति सम्मान दिखाई दे। शिक्षक इस धारणा के साथ काम करें कि वे बच्चे भी अन्य सभी बच्चों की भाँति सीख सकते हैं और विकास कर सकते हैं। शिक्षकों को अपंग बच्चों तथा उनके अभिभावकों में उम्मीद जगाने वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए। (अपंग बच्चे के प्रति असम्मान अथवा महज दया और सहानुभूति का भाव, उनके प्रति असंवेदनशीलता और सम्मान की कमी को दर्शाते हैं।

(2) अपंगता के बारे में जानकारी- चूँकि विशेष शिक्षक, विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चों के साथ काम पर ध्यान देते हैं, अतः उन्हें विभिन्न प्रकार की अपंगताओं की प्रकृति, इन अपंगताओं वाले बच्चों की विकासात्मक विशेषताओं और उससे संबंधित ऐसी कठिनाइयों अथवा विसंगतियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए प्रमस्तिष्क घात (सेरीब्रलपाल्सी) वाले बच्चों में कुछ हद तक बौद्धिक दोष भी हो सकते हैं, किन्तु फिर भी वे अन्य बहुत से काम कर सकते हैं।

(3) अंतर्वैयक्तिक कौशल- जो व्यक्ति वार्तालाप में कुशल व अच्छे होते हैं, वे विशेष शिक्षक के रूप में प्रभावी हो सकते हैं। इसके साथ-साथ ही वे प्रशिक्षण से बातचीत करने के कौशल विकसित कर सकते हैं। इनकी बच्चों के साथ व्यक्तिगत रूप से अथवा समूह में काम करने के लिए आवश्यकता होती है। अक्सर बच्चों के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को मार्गदर्शन और परामर्श सेवा की आवश्यकता होती हैं जिसके लिए अन्तर्वैयक्तिक कौशल अत्यधिक उपयोगी होता है।

(4) शिक्षण कौशल-विशेष शिक्षक के लिए विद्यार्थियों को पढ़ाने की कला और विज्ञान को जानने की आवश्यकता होती है, जिसे शिक्षाशास्त्र कहते हैं। इसका तात्पर्य है कि किसी विशेष विषय जैसे-विज्ञान, समाज विज्ञान अथवा गणित को पढ़ाने में सक्षम होना। शिक्षक को संकल्पनाओं और पाठों को हिस्सों में बाँट कर सरल करना आना चाहिए, जिससे विद्यार्थी सिद्धान्तों और उनके अर्थों को पूरी तरह समझ सकें।

प्रश्न 20.
विकास कार्यक्रम चक्र के सम्बन्ध में निम्न को स्पष्ट कीजिए-
(1) स्थिति अथवा विषय वस्तु का विश्लेषण करना।
(2) कार्य योजना की रूपरेखा बनाना।
अथवा
विकास कार्यक्रम श्रम क्या है? इसका रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर:
1. स्थिति अथवा विषय-वस्तु का विश्लेषण करना- विकास कार्यक्रम के इस चक्र में विकास समस्या को समझा और परिभाषित किया जाता है। समस्या को पूर्णरूप से समझने के लिए विकास समस्या से सम्बन्धि ति पूर्व अनुभवों तथा समुदाय व व्यक्तिगत ज्ञान और अभिवृतियों को समझना, प्रचलित मानदण्ड एवं कार्य व्यवहार तथा समाजअर्थशास्त्रीय एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य के बारे में अन्य सूचनाएँ जानने का प्रयास किया जाता है।

विकास कार्यक्रम के इस चरण का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू मुद्दों के बारे में आपसी संवाद से विभिन्न पणधारियों के मध्य आपसी समझ के लिए क्रियाविधि विकसित किया जाना है। इससे विषय की आवश्यकताओं, समस्याओं, जोखिमों और उसके संसाधनों के विषय में समझ के साथ-साथ प्रत्यक्ष ज्ञान के समाधान, मुद्दों की प्राथमिकताओं के बारे में सामंजस्य विकसित होगा और कार्यक्रम के जिन लक्ष्यों पर वे सहमत हैं उनके हलों को परिभाषित करने में सहायता प्राप्त होगी।

2. कार्ययोजना की रूपरेखा बनाना-इस चरण में विकास कार्यक्रम के लक्ष्यों या उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए जो कार्यनीति अपनायी जाएगी और जिन क्रियाकलापों को करना अति आवश्यक है, उन्हें निश्चित किया जाएगा योजना का सफलतापूर्वक अभिकल्पन उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने से प्रारम्भ होता है। उद्देश्यों को सुसाध्य और मापन योग्य विधि से परिभाषित करने के लिए पथ प्रदर्शक का कार्य करने के लिए सुस्पष्ट मापन-योग्य, प्राप्य, यथार्थवादी और समयोजित सूत्र को अपनाया जा सकता है।

इस चरण का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष ऐसे संबद्ध व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं की पहचान करना है, जिनके साथ उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए और स्थिति में सुधार के लिए सहभागिता की आवश्यकता है, क्योंकि कार्यक्रम के प्रति व्यक्तियों और समूहों का अभिप्रेरण तथा प्रतिबद्धता अलग-अलग हो सकती है। अतः भागीदारी विकसित करना, सक्रिय सहभागिता और सभी साझेदारों का सहयोग ऐसी चुनौतियाँ हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम की कार्यनीति विकसित करते समय इसकी अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना और उनके मूल्यांकन व मापन पर विचार करना आवश्यक है।

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