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RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 

April 5, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Physics Model Papers Set 2 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

पूर्णांक : 56
समय : 2 घण्टे 45 मिनट

सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों के आंतरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए-

(i) किसी वर्ग के चारों कोनों पर समान परिमाण के सजातीय आवेश स्थित हैं। यदि किसी एक आवेश के कारण वर्ग के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E हो तो वर्ग के केन्द्र पर परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता होगी- [1]
(अ) शून्य
(ब) E
(स) E/4
(द) 4E
उत्तर:
(अ) शून्य

(ii) r1 तथा r2 त्रिज्या के दो आवेशित चालक गोले समान विभव पर हैं तब उनके पृष्ठ आवेश घनत्वों का
अनुपात होगा- [1]
(अ) \(\frac{\mathrm{r}_{2}}{\mathrm{r}_{1}}\)
(ब) \(\frac{\mathrm{r}_{1}}{\mathrm{r}_{2}}\)
(स) \(\frac{\mathrm{r}_{2}^{2}}{\mathrm{r}_{\mathrm{I}}^{2}}\)
(द) \(\frac{\mathrm{r}_{1}^{2}}{\mathrm{r}_{2}^{2}}\)
उत्तर:
(अ) \(\frac{\mathrm{r}_{2}}{\mathrm{r}_{1}}\)

(iii) एक नगर से विद्युत शक्ति को 150 किमी दूर स्थित एक अन्य नगर तक ताँबे के तारों से भेजा जाता है। प्रति किलोमीटर विभवताप 8 वोल्ट है तथा प्रति किलोमीटर औसत प्रतिरोध 0.5Ω है, तो तार में शक्ति क्षय है- [1]
(अ) 19.2 वाट
(ब) 19.2 किलोवाट
(स) 19.2 वाट
(द) 12.2 किलोवाट
उत्तर:
(ब) 19.2 किलोवाट

(iv) समान वेग से समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत् प्रक्षेपित, निम्न में से किस कण पर सर्वाधिक बल लगेगा? [1]
(अ) -1e0
(ब) 1H1
(स) 2He4
(द) 3Li
उत्तर:
(द) 3Li

(v) लेंज का नियम देता है- [1]
(अ) प्रेरित धारा का परिमाण
(ब) प्रेरित वि. बा. बल का परिमाण
(स) प्रेरित धारा की दिशा
(द) प्रेरित धार का परिमाण और दिशा दोनों
उत्तर:
(स) प्रेरित धारा की दिशा

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

(vi) यदि किसी अनापेक्षकीय मुक्त इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा दोगुनी कर दी जाती है तो इससे सम्बद्ध द्रव्य तरंग की आवृत्ति किस गुणक से परिवर्तित होती है? [1]
(अ) 1/√2
(ब) 1/2
(स) √2
(द) 2
उत्तर:
(द) 2

(vii) निम्नलिखित में से सर्वाधिक बंधन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन का नाभिक है- [1]
(अ) \({ }_{92}^{238} \mathrm{U}\)
(ब) \({ }_{2}^{4} \mathrm{He}\)
(स) \({ }_{4}^{16} \mathrm{O}\)
(द) \({ }_{26}^{56} \mathrm{Fe}\)
उत्तर:
(द) \({ }_{26}^{56} \mathrm{Fe}\)

(viii) चित्र में प्रदर्शित दो NAND द्वारों से प्राप्त तर्क द्वार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 1
(अ) AND द्वार
(ब) OR द्वार
(स) XOR द्वार
(द) NOR द्वार
उत्तर:
(अ) AND द्वार

(ix) C तथा Si दोनों की जालक संरचना समान हैं, प्रत्येक में 4 आवश्यक इलेक्ट्रॉन होते हैं। परन्तु C एक विसंवाहक (रोधी) तथा Si एक अर्ध-चालक है, क्योंकि
(अ) C में परम शून्य ताप पर संयोजयकता बैंड पूरा भरा नहीं होता है
(ब) C में परम शून्य ताप पर भी चालक बैंड आंशिक रूप से भरा होता है
(स) C में चार बन्धक इलेक्ट्रॉन द्वितीय कक्षा में हैं, जबकि Si में तृतीय कक्षा में होते हैं
(द) C में बन्धक इलेक्ट्रॉन तृतीय कक्षा में होते हैं, जबकि Si में चतुर्थ कक्षा में होते हैं
उत्तर:
(स) C में चार बन्धक इलेक्ट्रॉन द्वितीय कक्षा में हैं, जबकि Si में तृतीय कक्षा में होते हैं

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) चालक के अन्दर विद्युत क्षेत्र ……………….. होता है। [1]
(ii) विभवमापी को …………………….. वोल्टमीटर कहते हैं। [1]
(iii) ………………….. ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुकूल है। [1]
(iv) इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता होल की गतिशीलता से ……………….. होती है। [1]
उत्तर:
(i) शून्य
(ii) आदर्श
(iii) लेन्ज का नियम
(iv) अधिक

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-

(i) विभवमापी के तार में लम्बे समय तक विद्युत धारा क्यों नहीं प्रवाहित की जानी चाहिए? [1]
उत्तर:
क्योंकि अधिक समय तक धारा प्रवाहित करने पर जूल के तापन नियम के अनुसार ताप बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ जाता है जिससे विभव प्रवणता प्रभावित हो जाती है।

(ii) चुम्बकीय क्षेत्र की विमाएँ एवं मात्रक लिखिए। [1]
उत्तर:
विमाएँ – [M1LoT-2A-1]
मात्रक – टेसला (T)

(iii) जब किसी कुण्डली में से गुजरने वाली चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तो क्या सदैव प्रेरित वि.वा. बल प्रेरित धारा उत्पन्न होती है? [1]
उत्तर:
प्रेरित वि. वा. बल तो सदैव उत्पन्न होता है, लेकिन प्रेरित धारा तभी उत्पन्न होगी जब कुण्डली का परिपथ बन्द होगा।

(iv) जस्ते के पृष्ठ से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के लिए सूक्ष्म तरंगें, अवरक्त किरणें तथा पराबैंगनी विकिरण में से कौन-सा सबसे अधिक प्रभावी होगा? और क्यों? [1]
उत्तर:
पराबैंगनी विकिरण, क्योंकि दिये गये तीनों विकिरणों में से पराबैंगनी विकिरण के फोटॉन की ऊर्जा सबसे अधिक होती है।

(v) दो धातुओं A व B के कार्य फलन क्रमश: 2 eV तथा 5 ev हैं। इनमें से किसकी देहली तरंगदैर्ध्य कम है? [1]
उत्तर:
कार्यफलन W = \(\frac{\mathrm{hc}}{\lambda_{\mathrm{o}}}\) अर्थात् λO \(\frac{1}{w}\), अतः धातु B की देहली तरंगदैर्ध्य कम होगी।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

(vi) हीलियम-परमाणु तथा अल्फा कण में क्या अन्तर है? [1]
उत्तर:
हीलियम परमाणु एक अनावेशित कण है जबकि α-कण धनावेशित कण है।

(vii) यदि किसी नाभिकीय अभिक्रिया में न्यूट्रॉनों व प्रोटॉनों की कुल संख्या अपरिवर्तित रहती है, तो फिर अभिक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण कैसे होता है? [1]
उत्तर:
नाभिकीय अभिक्रिया के फलस्वरूप नाभिकों की बंधन ऊर्जा बदल जाती है जिससे ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण होता है।

(viii) प्रकाश उत्सर्जक डायोड (LED) बनाने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले किसी एक अपमिश्रित अर्द्धचालक का नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
गैलियम आर्सेनिक फॉस्फाइड (GaAsP)

खण्ड – (ब)

प्रश्न 4.
संक्षेप में व्याख्या कीजिए कि जब समान्तर पट्टिका संधारित्र को किसी de स्रोत से संयोजित किया जाता है, तो वह संधारित्र किस प्रकार आवेशित हो जाता है? [1½]
उत्तर:
जब समान्तर पट्टिका संधारित्र की प्लेट P, को किसी dc स्रोत से Q आवेश प्रदान किया जाता है तो प्लेट P2 का बाध्य पृष्ठ भूसम्पर्कित होने के कारण इस पर स्थित मुक्त आवेश पृथ्वी में चला जाता है। परन्तु अन्तः पृष्ठ पर विपरीत प्रकृति का -Q आवेश प्लेट P1 पर + Q आवेश से बद्ध होने के कारण वहीं बना रहता है। इस प्रकार इन प्लेटों पर समान परन्तु विपरीत प्रकृति के आवेश होते हैं। यदि प्लेटों के मध्य दूरी अल्प है तो इस प्रभाग में एक समान विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।

इस घटना को चित्र के माध्यम से इस प्रकार समझ सकते हैं।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 2

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 5.
a और b त्रिज्याओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गये हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विद्युत् क्षेत्रों में क्या अनुपात है? [1½]
उत्तर:
दोनों गोले तार द्वारा जुड़े हैं।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 3
दोनों का विभव (V) समान होगा, अतः
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 4

प्रश्न 6.
किरचॉफ का संधि नियम एवं लूप नियम लिखिए। [1½]
उत्तर:
किरचॉफ का संधि नियम-किसी वैद्युत परिपथ में किसी संधि पर मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता है। अर्थात्
Σi = 0
किरचॉफ का लूप नियम-किसी बन्द परिपथ में परिपथ का परिणामी विद्युत वाहक बल परिपथ के विभिन्न अवयवों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों के योग के बराबर होता है।
Σε = Σv – ΣiR

प्रश्न 7.
विभवमापी से किसी सेल का आंतरिक प्रतिरोध कैसे ज्ञात करोगे? आवश्यक परिपथ बनाइए। [1½]
उत्तर:
विभवमापी से किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करने का आवश्यक परिपथ आरेख इस प्रकार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 5
कार्यविधि-प्रारम्भ में कुंजी K2 को खुला रख कर सेल E के वि. वा. बल के लिए जो J को विभवमापी के तार खिसका कर अविक्षेप स्थिति प्राप्त कर संतुलित लम्बाई l1, ज्ञात कर लेते हैं। तार ‘ की विभव प्रवणता x व सेल का वि. वा. बल E है तो
E = xl1 ……………. (i)
अब प्रतिरोध बॉक्स से एक ज्ञात प्रतिरोध R निकाल कर कुंजी K2 को लगा देते हैं। इस परिपथ में सेल E से प्रतिरोध R में धारा प्रवाहित होती है। धारा का मान I हो तथा प्रतिरोध R के सिरों पर विभवान्तर V हो तो
V = IR ………………(ii)
अब पुनः J को विभवमापी के तार AB पर खिसका कर अविक्षेप की स्थिति में संतुलित लम्बाई l2 ज्ञात करते हैं। अब सेल के सिरों पर विभवान्तर V हो तो
V = xl2 ……………….(iii)
∴ आन्तरिक प्रतिरोधा = (\(\frac{E-V}{V}\)) R …………….. (iv)
समी. (i) व (iii) से E व V का मान समी. (iv) में रखने पर
(\(\frac{x l_{1}-x l_{2}}{x l_{2}}\)) R ⇒ r = (\(\frac{l_{1}-l_{2}}{l_{2}}\)) R ……………….(v)
अतः सेल के खुले व बन्द परिपथ में सन्तुलन लम्बाई क्रमशः l1 व l2 ज्ञात होने पर समी. (v) से सेल का आन्तरिक प्रतिरोध r ज्ञात करते हैं।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 8.
भंवर धाराएँ किसे कहते हैं? इनके दो उपयोग लिखो। [1½]
उत्तर:
भंवर धाराएँ-जब किसी चालक से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो उस चालक में चक्करदार प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं, जिन्हें भवर धाराएँ कहते हैं।
भंवर धाराओं के उपयोग-

  1. भंवर धाराओं का उपयोग प्रेरण भट्टी में धातुओं को पिघलाने में किया जाता है।
  2. भंवर धाराओं का उपयोग विद्युत ट्रेनों को रोकने के लिए विद्युत ब्रेक के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 9.
निकटवर्ती कुण्डलियों के एक युग्म का अन्योन्य प्रेरकत्व 1.5 R है। यदि एक कुण्डली में धारा 0.5 s में 0 A से 20 A तक परिवर्तित होती है तो दूसरी कुण्डली से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में कितना परिवर्तन होगा? [1½]
उत्तर:
दिया है :M= 1.5 H;ΔI = 20 – 0 = 20 A
दूसरी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन
ΔΦ2 = MΔI1 सूत्र .. .
ΔΦ2 = 1.5 × 20 = 30 वेबर

प्रश्न 10.
क्रांतिक कोण किसे कहते हैं? प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की आवश्यक शर्त लिखिए। [1½]
उत्तर:
क्रान्तिक कोण-सघन माध्यम में वह आपतन कोण जिसके संगत विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है, क्रांतिक कोण कहलाता है।
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्त-आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए तथा प्रकाश का सधन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करना चाहिए।

प्रश्न 11.
वर्ण विक्षेपण क्या है? विक्षेपण का कारण लिखिए। [1½]
उत्तर:
वर्ण विक्षेपण–जब श्वेत प्रकाश किरण प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठ पर आपतित होती है तो प्रिज्म द्वारा उसका विक्षेपण हो जाता है अर्थात् वह अपने अवयवी रंगों में विभक्त हो जाती है। यह क्रिया वर्ण विक्षेपण कहलाती है।

वर्ण विक्षेपण का कारण-जब श्वेत प्रकाश किरण प्रिज्म से अपवर्तित होती है तो विभिन्न रंगों के लिए विचलन कोण भिन्न-भिन्न होने के कारण विभिन्न रंगों के मार्ग भिन्न हो जाते हैं अर्थात् प्रकाश किरण अपने अवयवी घटकों में वियोजित हो जाती है। वर्ण विक्षेपण का यही कारण है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 12.
दर्पण सूत्र का प्रयोग करते हुए व्याख्या कीजिए उत्तल दर्पण सदैव ही बिम्ब का आभासी प्रतिबिम्ब क्यों बनाते हैं? [1½]
उत्तर:
दर्पण सूत्र के अनुसार \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\) v = \(\frac{u f}{u-f}\)
और जैसा कि हम जानते हैं कि उत्तल दर्पण के लिए फोकस दूरी f धनात्मक तथा बिम्ब की दूरी u ऋणात्मक होती है।

इसलिए v का मान हमेशा धनात्मक होगा। इसका अर्थ है कि उत्तल दर्पण से हमेशा आभासी प्रतिबिम्ब बनता है।

प्रश्न 13.
एक दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता 8 है। जब इसे समान्तर किरणों के लिए समंजित करते हैं जब नेत्रिका और अभिदृश्यक लेंस के बीच की दूरी 18 सेमी है। दोनों लेंसों की फोकस दूरियाँ ज्ञात कीजिए। [1½]
उत्तर:
प्रश्नानुसार, दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता (m) 8 तथा नेत्रिका तथा अभिदृश्यक के बीच दूरी l 18 सेमी.
अतः m = –\(\frac{f_{0}}{f_{e}}\) = -8 .
f0 = 8fe ………….. (i)
नेत्रिका तथा अभिदृश्यक के बीच दूरी
l = f0 + fe ⇒ 18 = f0 + fe
18 = 8fe + fe = 9fe (समी. (i) से)
fe = 2 सेमी समी (i)
से f0 = 8fe = 2 × 8 = 16 सेमी

प्रश्न 14.
नाभिकीय भट्टी में होने वाली प्रक्रिया को एक स्वच्छ व नामांकित चित्र देते हुए समझाइए। [1½]
उत्तर:
नाभिकीय भट्टी का नामांकित चित्र इस प्रकार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 6

  • जब रिएक्टर बन्द होता है तो कैडमियम की छड़ें ब्लॉक में पूर्णतः अन्दर होती हैं।
  • जब रिएक्टर चलाना होता है तो कैडमियम की छड़ों को बाहर खींच लिया जाता है जिससे रिएक्टर में पहले से ही विद्यमान न्यूट्रॉन विखण्डन क्रिया आरम्भ कर देते हैं।
  • क्रिया को बढ़ाने अथवा घटाने के लिए कैडमियम की छड़ों को आवश्यकतानुसार बाहर या अन्दर की ओर खिसकाना पड़ता है।
  • रिएक्टर में उपस्थित न्यूट्रॉन U235 के नाभिकों का विखण्डन करने लगते हैं।
  • विखण्डन के फलस्वरूप तीव्रगामी न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं, ये तीव्रगामी न्यूट्रॉन बार-बार मन्दक से टकराते हैं जिससे इनकी गति मन्द पड़ जाती है। तब ये भी U235 के नाभिकों का विखण्डन करने लगते हैं।
  • इस प्रकार विखण्डन की शृंखलाअभिक्रिया प्रारम्भ हो जाती है।
  • जब रियेक्टर बन्द करना होता है तो कैडमियम की छड़ों को पूर्णतः ब्लॉक में अन्दर की ओर खिसका देते हैं।
    यहाँ एक बात ध्यान रखने योग्य है कि अभिक्रिया को चलाने के लिए यूरेनियम की छड़ों का आकार क्रान्तिक आकार से बड़ा होना चाहिए।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 15.
β-क्षय के लिए ट्राइटियम की अर्द्धआयु 12.5 वर्ष है। 25 वर्ष के बाद कितना भाग शेष बचेगा? [1½]
उत्तर:
T = 12.5 वर्ष; \(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{N}_{0}}\) = ?, t = 25 वर्ष
∴ n = \(\frac{t}{\mathrm{~T}}=\frac{25}{12 \cdot 5}\) = 2
∴ \(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{N}_{0}}\) = (\(\frac{1}{2}\))2 = \(\frac{1}{4}\)
अतः \(\frac{1}{4}\) भाग शेष बचेगा। .

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
टोरॉइड की संरचना कैसे होती है? किसी टोरॉइड के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए, यदि टोराइड में r औसत त्रिज्या के N फेरे हैं और उनमें धारा प्रवाहित हो रही है। दर्शाइए किटोराइड के भीतर खुले क्षेत्र में तथा टोराइड के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है। [½ + 2 + ½ = 3]
अथवा
साइक्लोट्रॉन की क्रिया विधि लिखिए। दोनों डीज में त्वरित आवेशित कणों (आयनों) के पथ को प्रदर्शित करता साइक्लोट्रॉन का व्यवस्था आरेख बनाइये। साइक्लोट्रॉन के निम्न प्राचलों की व्युत्पत्ति कीजिए-
(i) साइक्लोट्रॉन की आवृत्ति
(ii) साइक्लोट्रॉन में आयनों की गतिज ऊर्जा [½ + ½ + 2 = 3]
उत्तर:
एक लम्बी परिनालिका को मोड़कर जब वृत्ताकार रूप दे दिया जाता है तो उसे टोरॉइड कहते हैं।

टोरॉइड की क्रोड के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र-
माना टोरॉइड की, प्रति एकांक लम्बाई में n फेरे हैं तथा इसमें प्रवाहित धारा I है। धारा बहने के कारण टोरॉइड के फेरों के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। टोरॉइड के भीतर चुम्बकीय बल रेखाएँ संकेन्द्री वृत्तों के रूप में होती हैं।

माना r त्रिज्या का एक वृत्ताकार पथ है जो टोरॉइड के फेरों के बीच के क्षेत्र में स्थित है। इस वृत्तीय पथ पर ऐम्पीयर के परिपथीय नियम से,
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d l}\) = μ0 × (बन्द परिपथ में बहने वाली कुल धारा) …………… (1)
बन्द परिपथ में बहने वाली कुल धारा
= टोरॉइड में एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या × प्रवाहित धारा
= n × 2πr × I = 2πrnI
हम जानते हैं कि
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} \cdot \overrightarrow{d l}\) = μ0 × 2πrnI
∵ \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) वो \(\overrightarrow{d l}\) एक ही दिशा में हैं, अतः
\(\oint \text { B. } d l \cdot \cos 0^{\circ}\) = μ02πrnI
⇒ \(\mathrm{B} \oint d l\) = μ02πrnI
⇒ B = μ0.nI [∵ \(\oint d l\) = 2πr]
यदि टोरॉइड में कुल फेरों की संख्या N हो,
तो
⇒ N = n × 2 πr ⇒ n = \(\frac{\mathrm{N}}{2 \pi r}\)
∴ B = μ0\(\frac{\mathrm{NI}}{2 \pi r}\)

यही अभीष्ट व्यंजक है।

(case-1) टोरॉइड द्वारा घेरे गये रिक्त स्थान में-माना r1 त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जो टोरॉइड में प्रवाहित धारा से घिरे रिक्त स्थान में है तथा टोरॉइड के संकेन्द्रीय है। जब r1 का मान r से छोटा है तो धारा शून्य होगी।

(case-2) टोरॉइड के बाहर रिक्त स्थान में
माना r2 त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जो टोरॉइड द्वारा घेरे गये क्षेत्र के बाहर रिक्त स्थान में है। इस बन्द वृत्त से भी परिबद्ध नेट धारा शून्य होगी क्योंकि टोरॉइड का प्रत्येक फेरा r2 त्रिज्या के वृत्त से परिबद्ध क्षेत्र से होकर दो बार गुजरता है, जबकि विद्युत धारा का मान समान परन्तु दिशाएँ विपरीत होती हैं।
∴ ऐम्पीयर के परिपथीय नियम से,
\(\oint \overrightarrow{\mathrm{B}} d \vec{l}\) = μ0 × पथ द्वारा परिबद्ध नैट धारा
= μ0 × 0 = 0
⇒ \(\oint \mathrm{B} d l \cos 0^{\circ}\) = 0 ⇒ \(\mathrm{B} \oint d l\) = 0
⇒ B2πr2 = 0 ⇒ B = 0
इस प्रकार टोरॉइड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र टोरॉइड के भीतर तथा बाहर शून्य होगा।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 17.
अपवर्ती दूरदर्शी द्वारा किसी दूरस्थ बिम्ब का प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख खींचिए। उपयोग किए गए लेंसों की फोकस दूरी के पदों में कोणीय आवर्धन के लिए व्यंजक लिखिए। अधिक विभेदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
[1 + 1½ + ½ = 3
अथवा
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की बनावट का वर्णन कीजिए। इसकी कुल आवर्धन क्षमता का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए। संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा प्रतिबिम्ब बनने का किरण आरेख बनाइए। [1 + 1 + 1 = 3]
उत्तर:
अपवर्ती दूरदर्शी द्वारा प्रतिबिम्ब बनना दर्शाने के लिए किरण आरेख इस प्रकार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 7
अनन्त पर रखी किसी वस्तु AB से आने वाली समान्तर किरणें अभिदृश्यक से अपवर्तित होकर इसके फोकस FO पर वस्तु का उल्टा, छोटा एवं वास्तविक प्रतिबिम्ब A’B’ बनाती हैं। नेत्रिका को इतना आगे या पीछे खिसकाते हैं कि यह प्रतिबिम्ब उसके प्रथम फोकस F’ के अन्दर आ जाये। इस स्थिति में A’B’ का सीधा, बड़ा एवं काल्पनिक प्रतिबिम्ब A”B” बनता है। यही अन्तिम प्रतिबिम्ब होता है।

कोणीय आवर्धन के लिए व्यंजक इस प्रकार हैं-दूरदर्शी की कोणीय आवर्धन क्षमता (m) की परिभाषानुसार –
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 8
(i) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने-अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (D) पर बनता है तो
ve = -D
∴ अभिनेत्र लेन्स के लिए लेन्स सूत्र से,
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 9
इस अवस्था में दूरदर्शी को निकट बिन्दु समायोजन की स्थिति में कहा जाता है।

अधिक विभेदन प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्त

  1. अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनना चाहिए।
  2. यथासम्भव FO का मान अधिकतम तथा Fe का मान न्यूनतम होना चाहिए।
  3. अभिदृश्यक का द्वारक यथासम्भव बड़ा होना चाहिए।

प्रश्न 18.
आइंस्टीन प्रकाश विद्युत समीकरण व्युत्पन्न कीजिए। आपतित प्रकाश की तीव्रता का फोटॉनों की संख्या तथा ऊर्जा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है? [2 + 1 = 3]
अथवा
(i) फोटॉन क्या है दिखाइए कि इसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है।
(ii) एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा समान है। किससे सम्बद्ध डी-ब्राग्ली तरंगदैर्ध्य का मान कम होगा? इसका कारण लिखिए।
(iii) क्या प्रकाश तरंगों एवं द्रव्य तरंगों में अंतर है? [1 + 1 + 1 = 3]
उत्तर:
आइन्स्टीन के अनुसार “जब hv ऊर्जा का कोई फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित होता है तो यह अपनी समस्त ऊर्जा धातु में स्थित किसी एक इलेक्ट्रॉन को दे देता है।” इलेक्ट्रॉन को प्राप्त यह ऊर्जा निम्न दो रूपों में व्यय होती है-
(i) इलेक्ट्रॉन को धातु के अन्दर से मुक्त करके सतह तक लाने में कार्य-फलन (Φ0) के रूप में और
(ii) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा प्रदान करने में व्यय होता है। अतः
hv = Kmax + Φ0
चूँकि Φ0 का मान किसी पृष्ठ के लिए निश्चित होता है अतः आवृत्ति v बढ़ाने पर उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा बढ़ेगी और v का मान घटाने पर गतिज ऊर्जा घटेगी।
जब v = v0 तो Kmax = 0
अतः समी. (1) से,
hv0 = Φ0
Φ0 = h v0 …………….. (2)
यदि देहली आवृत्ति v0 ज्ञात हो तो कार्य-फलन Φ0 का मान इस समीकरण से ज्ञात किया जा सकता है
समी. (1) से,
hv = Kmax + hv0
Kmax = hv – hv0
Kmax = h (v – v0) ………………. (3)
यदि निरोधी विभव V0 हो तो
Kmax = V0.e = \(\frac{1}{2} m v_{\max }^{2}\) …………….. (4)
यहाँ m, इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।
अतः समी. (3) से,
eV0 = \(\frac{1}{2} m v_{\max }^{2}\) = h (v – v0) ……………… (5)
इस समीकरण को आइन्स्टीन का प्रकाशवैद्युत् समीकरण कहते हैं।
आपतित प्रकाश की तीव्रता का प्रभाव-

  1. आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर पृष्ठ पर आपतित फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी अर्थात् पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर (rate of emission of electrons) आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होगी।
  2. आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी लेकिन फोटॉनों की ऊर्जा नहीं बढ़ेगी। अतः प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की
    अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करेगी।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता से आप क्या समझते हो? गाउस प्रमेय का उपयोग करके पृष्ठीय आवेश घनत्व की किसी एकसमान आवेशित अनन्त विस्तार की आवेशित परत के कारण विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए। [1 + 3 = 4]
अथवा
(i) गाउस के नियम का कथन लिखिए।
(ii) किसी अनन्त लम्बे पतले सीधे तार का एकसमान रैखिक आवेश घनत्व λ है। गाउस के नियम का उपयोग करके इस तार से x दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र (E) के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए। [1 + 3 = 4]
उत्तर:
वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता-वैद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर एकांक धनावेश पर कार्य करने वाला बल ही उस बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता के बराबर होता है, अतः
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) = \(\frac{\overrightarrow{\mathrm{F}}}{q_{0}}\) NC-1
जहाँ \(\overrightarrow{\mathrm{F}}\), धन परीक्षण आवेश (+ q0) पर लगने वाला बल है।
अनन्त विस्तार की आवेशित चालक परत के कारण वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता-जब अनन्त विस्तार की चालक परत को आवेश दिया जाता है तो आवेश पट्टिका के बाहरी पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जाता है जिससे चालक के अन्दर विद्युत् क्षेत्र शून्य हो जाता है। चालक के पृष्ठ पर तथा उसके निकट बाह्य बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र परत के पृष्ठ के लम्बवत् होता है।

माना परत पर आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है। इस परत के कारण लम्बवत् दूरी r पर स्थित किसी बिन्दु P पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 10
अब एक बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ की कल्पना – करते हैं जिसका एक सूक्ष्म पृष्ठ S1 बिन्दु P पर तथा दूसरा सूक्ष्म पृष्ठ S2 परत के अन्दर स्थित है। इस गाउसीय पृष्ठ का अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल s है अतः बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ द्वारा परिबद्ध आवेश
q = σ.S …………….. (1)
अब फ्लक्स की परिभाषानुसार,
ΦE = \(\oint_{\mathrm{S}} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot \overrightarrow{d \mathrm{~S}}=\oint_{\mathrm{S}} \mathrm{E} \cdot d \mathrm{~S} \cdot \cos \theta\) …………….. (2)
समी. (2) को हल करने के लिए हम गाउसीय पृष्ठ को तीन भागों में बाँट सकते हैं-
(i) प्लेट के पृष्ठ के बाहर सूक्ष्म पृष्ठ S1, जहाँ θ = 0 ∴ cos θ° = 1
(ii) चालक प्लेट के अन्दर सूक्ष्म पृष्ठ S2, जहाँ E = 0 तथा
(iii) बेलनाकार पृष्ठ S3 जहाँ θ = 90°, अत: cos 90° = 0
∴ समीकरण (2) से,
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 11
= \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}=\frac{\sigma \mathrm{S}}{\varepsilon_{0}}\) (∵ q = σS) …………… (4)
समी. (3) व (4) की तुलना करने पर
E.S = \(\frac{\sigma \mathrm{S}}{\varepsilon_{0}}\) ⇒ E = \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)
यह अभीष्ट व्यंजक है।
इस प्रकार अनन्त विस्तार की आवेशित प्लेट के निकट किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता परत के क्षेत्रफल एवं परत से उस बिन्दु की दूरी पर निर्भर नहीं करती है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi

प्रश्न 20.
दिष्टकारी से क्या तात्पर्य है? एक अर्धतरंग दिष्टकारी का नामांकित चित्र दीजिए एवं इसकी कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए। पूर्ण तरंग दिष्टकारी इस दिष्टकारी से श्रेष्ठ क्यों होता है? [1 +1 + 1 + 1 = 4]
अथवा
p-n सन्धि डायोड का निर्माण किस प्रकार करते हैं? संधि डायोड की उत्क्रम अभिनति की परिपथ व्यवस्था का नामांकित परिपथ बनाकर समझाइए। अग्र एवं उत्क्रम अभिनति में अभिनति वोल्टता एवं धारा के मध्य संबंध दीजिए। [1 + 1 + 2 = 4]
उत्तर:
दिष्टकारी-प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलने के लिए प्रयुक्त उपकरण दिष्टकारी कहलाता है।
अर्द्ध-तरंग दिष्टकारी-जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह दिष्टकारी प्रत्यावर्ती वोल्टता की केवल आधी तरंग को ही दिष्ट वोल्टता में बदलता है। आवश्यक परिपथ व्यवस्था इस प्रकार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 2 with Answers in Hindi 12
कार्य प्रणाली-निवेशी एवं निर्गत वोल्टताओं का आरेख इस प्रकार है-
निवेशी वोल्टता के प्रथम अर्द्ध-चक्र में जब ट्रान्सफॉर्मर की द्वितीयक AB का A सिरा धनात्मक विभव पर एवं B सिरा ऋणात्मक विभव पर होता है तो सन्धि डायोड अग्र अभिनत होता है और इससे होकर धारा बहती है जिसकी दिशा लोड प्रतिरोध R1 में C से D की ओर होती है। निवेशी वोल्टता के द्वितीय अर्द्ध-चक्र में ट्रान्सफॉर्मर की द्वितीयक AB के सिरों की वोल्टता बदलती है अर्थात् A सिरा ऋणात्मक विभव पर और B सिरा धनात्मक विभव पर हो जाता है और सन्धि डायोड उत्क्रम अभिनत हो जाता है तथा इससे होकर कोई धारा नहीं बहती है। यही क्रिया प्रत्यावर्ती वोल्टता (निवेशी) के प्रत्येक चक्र में दोहरायी जाती है। इस प्रकार प्रत्यावर्ती अर्थात् निवेशी वोल्टता की केवल आधी तरंग ही दिष्ट वोल्टता में बदलती है।

पूर्ण तरंग दिष्टकारी- इस (अर्द्धतरंग) दिष्टकारी से श्रेष्ठ है क्योंकि-

  1. पूर्ण तरंग दिष्टकारी में निर्गत आवृत्ति निवेशी आवृत्ति की दोगुनी है जबकि अर्द्ध-तरंग दिष्टकारी में निवेशी तथा निर्गत वोल्टताओं की आवृत्तियाँ समान होती हैं।
  2. पूर्ण तरंग दिष्टकारी में परिवर्तनशील निर्गत वोल्टता लगातार एक ही दिशा में मिलती है जबकि अर्द्धतरंग दिष्टकारी में निश्चित समयान्तरालों के बाद रुक-रुक के मिलती है।

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