Students must start practicing the questions from RBSE 12th Physics Model Papers Set 3 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Physics Model Paper Set 3 with Answers in Hindi
पूर्णांक : 56
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों के आंतरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए-
(i) विद्युत क्षेत्र में द्विध्रुव पर बल आघूर्ण का मान अधिकतम होने के लिये \(\vec{p}\) तथा \(\vec{E}\) के मध्य कोण होना चाहिए- [1]
(अ) 0°
(ब) 180°
(स) 45°
(द) 90°
उत्तर:
(द) 90°
(ii) समान पृष्ठ आवेश घनत्व से आवेशित दो चालक गोलों की त्रिज्यायें r1 व r2 हैं। यदि उनके केन्द्र पर विभव क्रमश: V1 व V2 हो तब V1/V2 होगा- [1]
(अ) \(\frac{r_{1}}{r_{2}}\)
(ब) \(\frac{r_{2}}{r_{1}}\)
(स) \(\frac{r_{1}^{2}}{r_{2}^{2}}\)
(द) \(\frac{r_{2}^{2}}{r_{1}^{2}}\)
उत्तर:
(ब) \(\frac{r_{2}}{r_{1}}\)
(iii) एक चालक प्रतिरोध को बैटरी से जोड़ा गया है। शीतलन प्रक्रिया से चालक के ताप को कम किया जाए तो प्रवाहित धारा का मान- [1]
(अ) बढ़ेगा
(ब) घटेगा
(स) स्थिर रहेगा
(द) शून्य होगा
उत्तर:
(अ) बढ़ेगा
(iv) आदर्श वोल्टमीटर एवं आदर्श अमीटर के प्रतिरोध होने चाहिए- [1]
(अ) क्रमशः शून्य एवं अनन्त
(ब) क्रमशः अनन्त एवं शून्य
(स) दोनों अनन्त होने चाहिए
(द) दोनों शून्य होने चाहिए
उत्तर:
(ब) क्रमशः अनन्त एवं शून्य
(v) जब एक दण्ड चुम्बक को कुण्डली के अन्दर प्रविष्ट कराया जाता है तो कुण्डली में प्रेरित वि. वा. बल निम्न में से किस पर निर्भर नहीं करता- [1]
(अ) चुम्बक का वेग
(ब) कुण्डली में घेरों की संख्या
(स) चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण
(द) कुण्डली के तार का विशिष्ट प्रतिरोध
उत्तर:
(द) कुण्डली के तार का विशिष्ट प्रतिरोध
(vi) इलेक्ट्रॉनों का तरंगों से सम्बद्ध कौन-सा गुण डेविसन एवं जर्मर के प्रयोग द्वारा प्रदर्शित किया गया- [1]
(अ) अपवर्तन
(ब) ध्रुवण
(स) व्यतिकरण
(द) विवर्तन
उत्तर:
(द) विवर्तन
(vii) निम्नलिखित में से कौन-सी विद्युत चुम्बकीय तरंग है- [1]
(अ) α किरणें
(ब) β किरणें
(स) γ किरणें
(द) कैथोड किरणें
उत्तर:
(स) γ किरणें
(viii) संलग्न चित्र में दिये गये परिपथ के लिए बूलीय समीकरण होगा- [1]
(अ) Y = A + \(\overline{\mathrm{B}}\)
(ब) Y = \(\overline{\mathrm{A}+\mathrm{B}}\)
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
(द) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) . B
उत्तर:
(स) Y = \(\overline{\mathrm{A}}\) + B
(ix) एक उत्क्रम अभिनति p-n संधि डायोड की अवक्षय परत में होता है- [1]
(अ) विभव शून्य
(ब) विभव महत्तम
(स) विद्युत क्षेत्र महत्तम
(द) विद्युत क्षेत्र शून्य
उत्तर:
(अ) विभव शून्य
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) आवेशित चालक के पृष्ठ पर प्रत्येक बिन्दु पर स्थिर वैद्युत क्षेत्र ……………………….. होना चाहिए। [1]
(ii) प्रतिरोध के ………………… को चालकता कहते हैं। [1]
(iii) प्रेरित विद्युत वाहक बल का मान ……………………….. की दर से अनुक्रमानुपाती होता है। [1]
(iv) जब p-n संधि अग्र अभिनति होती है तो अवक्षय परत की चौड़ाई ………………………… जाती है। [1]
उत्तर:
(i) अभिलम्बवत
(ii) व्युत्क्रम
(iii) चुम्बकीय फ्लक्स
(iv) घट
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-
(i) धात्विक चालक की प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव दर्शाते हुए आलेख बनाइए। [1]
उत्तर:
(i) ρt = ρ0 (1 + αt)
(ii) किसी चल कुण्डली धारामापी की ‘धारा सुग्राहिता’ को परिभाषित कीजिए। [1]
उत्तर:
धारामापी में एकांक प्रबलता की धारा प्रवाहित
होने पर धारामापी में उत्पन्न विक्षेप धारा सुग्राहिता कहलाती है।
धारा सुग्राहितता Si = \(\frac{\phi}{I}\)
(iii) उच्च वोल्टेज पर धारा ले जाने वाले तार में धारा चालू करते ही उस पर बैठी चिड़िया उड़ जाती है, क्यों? [1]
उत्तर:
धारा चालू करने पर तार पर बैठी चिड़िया के शरीर में प्रेरित धारा प्रवाहित होती है। चिड़िया के दोनों पंख विपरीत धाराओं के कारण परस्पर प्रतिकर्षित होकर फैल जाते हैं जिससे चिड़िया उड़ जाती है।
(iv) ताँबे का कार्यफलन सोडियम के कार्यफलन से अधिक है। इनमें से कौन-सी धातु की देहली आवृत्ति अधिक होगी? [1]
उत्तर:
देहली आवृत्ति ताँबे की अधिक होगी।
(v) एक फोटो सेल में आपतित प्रकाश की आवृत्ति v सेल की देहली आवृत्ति vO से अधिक है। आवृत्ति v का मान बढ़ाने पर निरोधी विभव किस प्रकार बदलेगा? [1]
उत्तर:
आवृत्ति v बढ़ने के साथ निरोधी विभव vO का मान बढ़ता है।
(vi) नाभिकों पर बमबारी करके नाभिकीय अभिक्रिया कराने के लिये प्रोटॉनों अथवा α-कणों की अपेक्षा न्यूट्रॉन कण अधिक अच्छे क्यों हैं? [1]
उत्तर:
न्यूट्रॉन अनावेशित कण हैं, अतः नाभिक में सुगमता से प्रवेश कर जाते हैं। इसके विपरीत प्रोटॉन तथा α-कण नाभिक से प्रतिकर्षित
हो जाते हैं।
(vii) जब 92U238 एक α- कण उत्सर्जित करके थोरियम में बदलता है, तो इस रेडियोएक्टिव क्षय के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(viii) ग्राही अशुद्धि का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
बोरॉन (त्रिसंयोजी अशुद्धि)
खण्ड – (ब)
प्रश्न 4.
सिद्ध कीजिए कि किसी बिन्दु आवेश के चारों ओर परावैद्युत माध्यम होने पर उसके कारण विद्युत विभव निर्वात की तुलना में 1/ε3 गुना कम होता है। [1½]
उत्तर:
.यदि बिन्दु आवेश निर्वात में स्थित है तो +q आवेश r दूरी पर विद्युत विभव
V = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r}\)
यदि बिन्दु आवेश के चारों और εr परावैद्युतांक का परावैद्युत माध्यम है तो P पर विद्युत विभव
V = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} \varepsilon_{r}} \frac{q}{r}\)
V = \(\frac{1}{\varepsilon_{r}}\left[\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}-\frac{q}{r}\right]=\frac{\mathrm{V}}{\varepsilon_{r}}\)
प्रश्न 5.
दो समकेन्द्रीय गोलीय चालकों जिनको उपयुक्त विद्युत्रोधी आलम्बों से उनकी स्थिति में रोका गया है, से मिलकर एक गोलीय संधारित्र बना है। दर्शाइए कि गोलीय संधारित्र की धारिता C इस प्रकार व्यक्त की जाती है- [1½]
C = \(\frac{4 \pi \varepsilon_{0} K r_{1} r_{2}}{\left(r_{1}-r_{2}\right)}\)
उत्तर:
गोलाकार संधारित्र की रचना चित्र में दिखायी गई है। इसमें दो समकेन्द्रीय गोलीय प्लेटें A व B होती हैं। बाहरी प्लेट B को पृथ्वी से सम्बन्धित किया जाता है और भीतरी प्लेट A को + q आवेश दिया जाता है। बाहरी गोले पर प्रेरण द्वारा उत्पन्न धनात्मक आवेश पृथ्वी में चला जाता है और केवल ऋणात्मक आवेश रह जाता है। अतः
भीतरी गोले पर उत्पन्न विभव
V = V1 + V2
जहाँ V1 = भीतरी गोले के + q आवेश के कारण उत्पन्न विभव
= + \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{q}{r_{1}}\)
और V2 = बाहरी गोले के – q आवेश के कारण उत्पन्न विभव
चूंकि बाहरी गोला पृथ्वी से सम्बन्धित है अतः इसका विभव शून्य होगा।
∴ दोनों गोलों के मध्य विभवान्तर
= V – 0 = V
∴ संधारित्र की धारिता
C = \(\frac{q}{\mathrm{~V}}\) = \(\frac{q}{\frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0} K} \frac{\left(r_{2}-r_{1}\right)}{r_{1} r_{2}^{*}}}\)
C = \(\frac{4 \pi \varepsilon_{0} \mathrm{~K} r_{1} r_{2}}{\left(r_{2}-r_{1}\right)}\)
प्रश्न 6.
विभव प्रवणता से आप क्या समझते हैं? यह किन कारकों पर निर्भर करती है? [1½]
उत्तर:
तार की प्रति इकाई लम्बाई में विभव पतन को विभव प्रवणता कहते हैं। अतः तार में उत्पन्न
विभव प्रवणता
k = \(\frac{E}{L}\)
विभव प्रवणता प्राथमिक सेल में जुड़े सेल के विद्युत बल E व तार की लम्बाई L पर निर्भर करती है।
प्रश्न 7.
अधिकतम शक्ति प्रमेय लिखिए तथा उसे सिद्ध कीजिए। [1½]
उत्तर:
अधिकतम शक्ति प्रमेय-इस प्रमेय के अनुसार, “किसी विद्युत् वाहक बल के स्रोत द्वारा निर्गत शक्ति अधिकतम होगी यदि बाह्य प्रतिरोध, स्रोत के आन्तरिक प्रतिरोध के बराबर हो।”
माना किसी सेल जिसका विद्युत् वाहक बल E तथा आन्तरिक प्रतिरोध r है जो बाह्य प्रतिरोध R में शक्ति सप्लाई कर रहा है।
परिपथ में कुल प्रतिरोध = R + r
परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा
i = \(\frac{\mathrm{E}}{\mathrm{R}+r}\) ……………… (1)
बाह्य प्रतिरोध को दी गयी शक्ति
⇒ 1. (R + r)-2 + R x (-2) (R + r)-3 = 0
⇒ (R + r)-3 (R + r – 2R) = 0
⇒ (R + r)-3 (r – R) = 0
∵ (R + r)-3 ≠ 0
∴ (r – R) = 0
⇒ R = r
अधिकतम शक्ति के लिए यही सिद्ध करना होता है।
प्रश्न 8.
किसी कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स + समय पर निम्न रूप से निर्भर है : Φ = (2t2 – 4t + 5) वेबर जबकि कुण्डली का प्रतिरोध 2 ओम है। ज्ञात कीजिए-
(i) t = 1 सेकण्ड पर प्रेरित वोल्टता
(ii) t = 0 से t = 1 सेकण्ड के समयान्तराल में प्रेरित आवेश का मान [1½]
उत्तर:
बंद परिपथ में चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन से प्रेरित वि. वा. बल
ε = –\(\frac{d \phi}{d t}\) वोल्ट
Φ = (2 t2– 4 t + 5) वेबर
e = –\(\frac{d}{d t}\) = (2 t2 – 4 t + 5)
e = -(4 t – 4) = -4 t + 4
(i) t = 1 सेकण्ड पर e = -4 × 1 + 4 = 0 वोल्ट
(ii) t = 0 पर Φ1 = 2 t2 – 4 t + 5
= 2 × 0 – 4 × 0 + 5 = 5 वेबर
t = 1 पर Φ2 = 2 × (1)2 – 4 × 1 + 5
= 2 – 4 + 5 = 3 वेबर
प्रेरित आवेश q = \(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{R}}\) (Φ2 – Φ1)
= –\(\frac{1}{2}\)(3 – 5)
= 1 कूलॉम
प्रश्न 9.
दो कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? किन्हीं तीन की व्याख्या कीजिए। [1½]
उत्तर:
दो कुण्डलियों के मध्य अन्योन्य प्रेरकत्व विभिन्न कारकों पर निम्न प्रकार निर्भर करता है-
(i) क्रोड के पदार्थ का प्रभाव-
∵ M = \(\frac{\mu_{0} \mu_{r}}{2} \frac{\pi r_{2}^{2} \mathrm{~N}_{1} \mathrm{~N}_{2}}{r_{1}}\)
स्पष्ट है कि M ∝ μr
“कुण्डलियों के मध्य अधिक आपेक्षिक चुम्बकशीलता का क्रोड रख देने पर उनके मध्य प्रेरकत्व का मान μr, गुना हो जाता है।”
(ii) फेरों की संख्या पर-उक्त सूत्र से स्पष्ट है कि
M ∝ N1N2
“यदि फेरों की संख्या N1 व N2 बढ़ा दी जाये तो M का मान तद्नुरूप बढ़ जायेगा।”
(iii) दूरी का प्रभाव- कुण्डलियों के बीच दूरी बढ़ने पर फ्लक्सबद्धता घटती है जिसके परिणामस्वरूप अन्योन्य प्रेरकत्व घट जाता है।
प्रश्न 10.
लेंस की फोकस दूरी से क्या अभिप्राय है? किसी लेंस की फोकस दूरी किन-किन कारकों पर निर्भर करती है? [1½]
उत्तर:
फोकस दूरी (Focal length)-फोकस एवं प्रकाशिक केन्द्र के बीच की दूरी को लेन्स की फोकस दूरी कहते हैं। इसे f से व्यक्त करते हैं। प्रथम फोकस दूरी को f1 से एवं द्वितीय फोकस दूरी को f2 से व्यक्त करते हैं।
प्रकाशिक किरणों की आपतन दिशा के लिए द्वितीय फोकस प्रभावी होता है। अतः द्वितीय फोकस को मुख्य फोकस कहते हैं।
लेन्स की फोकस दूरी
\(\frac{1}{f}\) = (μ – 1) (\(\frac{1}{R_{1}}-\frac{1}{R_{2}}\))
अतः फोकस दूरी (f) का मान निम्न कारकों पर. निर्भर करता है-
(i) लेन्स की वक्रता त्रिज्याओं पर
(ii) लेन्स के पदार्थ के अपवर्तनांक पर
(iii) उस माध्यम के अपवर्तनांक पर जिसमें लेन्स रखा है।
प्रश्न 11.
इन्द्रधनुष दिखाई देने का क्या कारण है? द्वितीयक इन्द्रधनुष में रंगों का क्रम प्राथमिक की तुलना में उल्टा क्यों होता है? [1½]
उत्तर:
जल की बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश का विक्षेपण ही इन्द्रधनुष का कारण है। .
द्वितीयक इन्द्रधनुष तब बनता है जब प्रकाश किरण जल की बूंद में निचले भाग में प्रवेश करती है और उसका दो बार पूर्ण आन्तरिक परावर्तन होता है जबकि प्राथमिक इन्द्रधनुष बनने पर बूंद के ऊपरी भाग में प्रकाश प्रवेश करता है और इसका पूर्ण आन्तरिक परावर्तन एक बार होता है। इसीलिए द्वितीयक इन्द्रधनुष में रंगों का क्रम उल्टा होता है।
प्रश्न 12.
प्रकाश के प्रकीर्णन से आप क्या समझते हैं? प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता किस भौतिक राशि पर निर्भर करती है? [1½]
उत्तर:
जब प्रकाश किसी ऐसे अणु पर आपतित होता है जिसका आकार प्रकाश की तरंगदैर्ध्य (λ) की तुलना में बहुत छोटा होता है तो अणु प्रकाश को अवशोषित कर लेता है और अवशोषण के पश्चात् सभी दिशाओं में नवीन तरंगदैर्ध्य का प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह परिघटना प्रकीर्णन कहलाती है।
रैले के अनुसार प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता
I ∝ \(\frac{1}{\lambda^{4}}\)
अतः तीव्रता तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करती है।
प्रश्न 13.
एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के निर्माण के लिए 1.25 सेमी और 5 सेमी फोकस दूरियों के लेन्स प्रयुक्त किये गये हैं। यदि वांछित आवर्धन क्षमता 30 है, तो अभिदृश्यक और अभिनेत्रिका के मध्य दूरी ज्ञात करो। [1½]
उत्तर:
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की अधिकतम आवर्धन क्षमता
m = \(\frac{v_{0}}{u_{0}}\) [1 + \(\frac{D}{f_{e}}\)]
इसलिए m = 30 के लिए, दिया है f0 = 1.25 सेमी तथा fe = 5 सेमी
u0 = 1.5 सेमी
तथा v0 = 5 u0 = 5 x 1.5
v0 = 7.5 सेमी
अधिकतम आवर्धन के लिए नेत्रिका से अंतिम प्रतिबिम्ब की दूरी
ve = D = -25 सेमी
पुनः लेंस सूत्र से \(\frac{1}{f_{e}}=\frac{1}{v_{e}}-\frac{1}{u_{e}}\)
\(\frac{1}{5}=\frac{1}{-25}-\frac{1}{-u_{e}}\)
\(\frac{1}{u_{e}}=\frac{1}{5}+\frac{1}{25}=\frac{5+1}{25}\)
ue = \(\frac{25}{6}\) = 4.67 सेमी
∴ दोनों लेंसों के मध्य दूरी या नलिका की लम्बाई
L = V0 + ue
L = 7.5 सेमी + 4.67 सेमी
L = 11.67 सेमी
प्रश्न 14.
रेडियोएक्टिव क्षयता का नियम लिखिए। एक रेडियोएक्टिव नाभिक का क्षय निम्न प्रकार से होता है। अन्तिम उत्पाद की द्रव्यमान संख्या एवं परमाणु क्रमांक ज्ञात कीजिए जबकि प्रारंभिक नाभिक की द्रव्यमान संख्या A = 238 एवं परमाणु क्रमांक Z = 92 है। [1½]
उत्तर:
रेडियोएक्टिव क्षयता का नियम-
किसी क्षण रेडियोएक्टिव परमाणु के क्षय होने की दर उस क्षण उपस्थित अविघटित परमाणुओं की संख्या के अनुक्रमानुपाती होती है।
X4 नाभिक का परमाणु क्रमांक 89 तथा द्रव्यमान संख्या 230 होगी।
प्रश्न 15.
सोने के समस्थानिक 79Au197 तथा चाँदी के समस्थानिक 47Ag107 की त्रिज्याओं का सन्निकट अनुपात ज्ञात कीजिए। (log 1.8419 = 0.2651; Antilog 0.0884 = 1.226)
उत्तर:
दिया है :
A1 = 197; A2 = 107
\(\frac{\mathrm{R}_{\mathrm{Au}}}{\mathrm{R}_{\mathrm{Ag}}}=\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\) = ?
∵ नाभिक की त्रिज्या R = R0 (A)1/3
∴ \(\frac{R_{1}}{R_{2}}\) (\(\frac{A_{1}}{A_{2}}\))1/3
= (\(\frac{197}{107}\))1/3 (1.841)1/3
= log \(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\), = \(\frac{1}{3}\) log 1.841
= \(\frac{1}{3}\) × 0.2651 = 0.0884
∴ \(\frac{\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{2}}\) = Antilog 0.0884 = 1.226 = 1.23
= R1 : R2 = 1.23 : 1
खण्ड – (स)
प्रश्न 16.
हेल्महोल्टज कुण्डलियाँ किसे कहते हैं? सिद्ध कीजिए कि हेल्महोल्टज कुण्डली में प्राप्त एक समान चुम्बकीय क्षेत्र का मान प्रत्येक कुण्डली द्वारा इसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का 1.432 गुना होता है। आवश्यक आरेख भी बनाइए। [½ + 2 + ½ = 3]
अथवा
ऐम्पियर के परिपथीय नियम का उपयोग करते हुए अनन्त लम्बाई के धारावाही तार के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए। आवश्यक आरेख भी बनाइए। [2 + 1 = 3]
उत्तर:
हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियाँ
दो समाक्षीय तथा समान वृत्ताकार कुण्डलियाँ जिनमें समान परिमाण की विद्युत धारा समान दिशा में प्रवाहित हो रही हों तथा जिनके केन्द्रों के मध्य दूरी, उनकी त्रिज्या के समान हो, तो इस प्रकार के व्यवस्थित कुण्डलियों के युग्म को हेल्महोल्ट्ज कुण्डलियाँ कहते हैं।
कण्डलियों के मध्य भाग में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र-दोनों कुण्डलियों के मध्य भाग में चुम्बकीय क्षेत्र का परिणाम मान अलग-अलग दोनों कुण्डलियों द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रों का सदिश योग होता है। अतः दोनों कुण्डलियों के नति परिवर्तन बिन्दु के आस-पास भाग में एक समान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
यदि कुण्डलियों के मध्य भाग में एक कुण्डली के कारण उत्पन्न क्षेत्र B1 हो तो
B1 = \(\frac{4 \mu_{0} \mathrm{NI}}{5 \sqrt{5 \mathrm{R}}}\)
इसी प्रकार दूसरी कुण्डली द्वारा मध्य भाग में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B2 हो तो
B2 = \(\frac{4 \mu_{0} \mathrm{NI}}{5 \sqrt{5} \mathrm{R}}\)
तथा परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र
B = B1 + B2 = 2B1
∴ B = \(\frac{2 \times 4 \mu_{0} \mathrm{NI}}{5 \sqrt{5} \mathrm{R}}\)
B = \(\frac{8}{5 \sqrt{5}} \frac{\mu_{0} \mathrm{NI}}{\mathrm{R}}\) = 0.716 \(\frac{\mu_{0} \mathrm{NI}}{\mathrm{R}}\)
B = 1.432 \(\frac{\mu_{0} N I}{2 R}\)
⇒ B = 1.432 Bकेन्द्र
अर्थात् हेल्महोल्ट्ज कुण्डली से प्रा एक समान चुम्बकीय क्षेत्र का मान प्रत्येक कुण्डली द्वारा इसके केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र (अधिकतम चुम्बकीय क्षेत्र) का 1.432 गुना होता है।
प्रश्न 17.
न्यूनतम विचलन कोण को परिभाषित कीजिए। प्रिज्म से पदार्थ के अपवर्तनांक के लिए सूत्र का निगमन कीजिए। [1 + 2 = 3]
अथवा
(i) सरल सूक्ष्मदर्शी का सिद्धान्त लिखिए।
(ii) एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका की फोकस दूरियाँ क्रमश: 1.0 सेमी. तथा 5.0 सेमी हैं। एक वस्तु अभिदृश्यक के 1.1 सेमी. की दूरी पर स्थित हैं तथा अंतिम प्रतिबिम्ब (i) अनन्त पर (ii) स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है। दोनों स्थितियों में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता तथा सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई ज्ञात कीजिए। [1 + 2 = 3]
उत्तर:
न्यूनतम विचलन कोण-यदि प्रिज्म पर प्रकाश का आपतन कोण बदल-बदल कर संगत विचलन कोणों के मान ज्ञात करके उन्हें ग्राफ पर प्लॉट किया जाये तो प्राप्त वक्र चित्र की भाँति मिलता है। वक्र से स्पष्ट है कि आपतन कोण बढ़ने के साथ विचलन कोण का मान घटता है और एक न्यूनतम मान के बाद फिर बढ़ने लगता है। विचलन कोण के इसी न्यूनतम मान को न्यूनतम विचलन कोण कहते हैं और δm से व्यक्त करते हैं।
प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक के लिए सूत्र-न्यूनतम विचलन की दशा में प्रिज्म से किरण आरेख चित्र में दिखाया गया है।
स्नेल के नियम से प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक,
n = \(\frac{\sin i}{\sin r}\) ……………. (1)
ΔQOR में, ∠r + ∠r + ∠0 = 180°
⇒ 2r + ∠0 = 180° ……………. (2)
AQOR में अन्त:कोण
∠AQO = ∠ARO = 90°
∴ ∠A + ∠O = 180° …………….. (3)
(क्योंकि चतुर्भुज के चारों अन्तःकोणों का योग चार समकोण होता है।)
समी. (2) व (3) की तुलना करने पर,
2r + ∠0 = A + ∠O
⇒ 2r = A ………………. (4)
⇒ r = A/2
अब ΔO’QR में बहिष्कोण
δm = (i – r) + (i – r) = 2i – 2r
⇒ δm = 2i – A[समी. (4) से]
⇒ 2i = A + δm
⇒ i = \(\frac{\mathrm{A}+\delta_{m}}{2}\) ……………… 5)
समी. (4) व (5) से,
n = \(\frac{\sin \left(\frac{\mathrm{A}+\delta_{m}}{2}\right)}{\sin \left(\frac{\mathrm{A}}{2}\right)}\)
यही अभीष्ट सूत्र है। इसी को प्रिज्म सूत्र भी कहते हैं।
प्रश्न 18.
(i) कार्यफलन से आप क्या समझते हो?
(ii) आपतित प्रकाश की तीव्रता व प्रकाश विद्युत धारा में संबंध दर्शाते हुए आलेख दीजिए।
(iii) फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा 3 ev है। निरोधी विभव क्या है? [1 + 1 + 1 = 3]
अथवा
डेविसन तथा जर्मर प्रयोग का स्वच्छ नामांकित चित्र देकर इसकी क्रियाविधि समझाओ। [ 1 + 2 = 3]
उत्तर:
(i) कार्य-फलन-किसी इलेक्ट्रॉन को चालक से मुक्त करने के लिए जितनी न्यूनतम ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे उस धातु का कार्य-फलन कहते हैं।
(ii)
(iii) फोटो. इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा K = 3ev
अतःK = eV0
V0 = निरोधी विभव
3eV = eV0
अतः निरोधी विभव V0 = 3 वोल्ट
खण्ड – (द)
प्रश्न 19.
(i) वैद्युत द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के लिए सूत्र का निगमन कीजिए।
(ii) +10μC तथा -10μC के दो आवेशों को 2 सेमी. की दूरी पर रखा जाता है। इनकी अक्षीय रेखा एवं निरक्षीय रेखा पर द्विध्रुव के केन्द्र से 60 सेमी. की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की गणना करो। [1 + 2 + 1 = 4]
अथवा
(i) वैद्युत द्विध्रुव को परिभाषित कीजिए। आवश्यक चित्र भी दीजिए।
(ii) 2.4 मी व्यास के किसी एकसमान आवेशित चालक गोले का पृष्ठ आवेश घनत्व 80μ C/m2 है। गोले का आवेश एवं गोले के पृष्ठ से निर्गत् कुल विद्युत फ्लक्स ज्ञात कीजिए।
(iii) एक कप जल (250 ग्राम) में कितने धनावेश तथा ऋणावेश होते हैं? [1 + 2 + 1 = 4]
उत्तर:
(i) वैद्युत द्विध्रुव के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता-जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, AB एक वैद्युत द्विध्रुव है जिसकी अक्ष से θ कोण एवं मध्य-बिन्दु O से r दूरी पर स्थित बिन्दु P पर वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण \(\) को निम्न दो घटकों (components) में विभाजित किया जा सकता है-
(i) p cos θ, दिशा OP में
(ii) p sin θ, दिशा OP की लम्ब दिशा में।
p वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण वाले वैद्युत द्विध्रुव AB को दो द्विध्रुवों (i) p cos θ द्विध्रुव आघूर्ण वाले द्विध्रुव A1B1 और (ii) p sin θ द्विध्रुव आघूर्ण वाले द्विध्रुव A2B2 के संयोजन से मिलकर बना हुआ मान सकते हैं। ये दोनों द्विध्रुव परस्पर लम्बवत् हैं।
बिन्दु P द्विध्रुव A1B1 की अक्ष पर और A2B2 की निरक्षीय रेखा पर स्थित है अतः द्विध्रुव A1B1 के कारण P पर उत्पन्न विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का परिमाण
E1 = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{2 p \cos \theta}{r^{3}}\) (PK दिशा में) ……………. (1)
और द्विध्रुव A2B2 के कारण इसकी निरक्षीय स्थिति में विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का परिमाण
E2 = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{p \sin \theta}{r^{3}}\) …………..(2)
(PL दिशा में जो कि PK के लम्बवत् है) अतः P बिन्दु पर परिणामी विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\overrightarrow{\mathrm{E}_{1}}+\overrightarrow{\mathrm{E}_{2}}\) ∵ \(\overrightarrow{\mathrm{E}_{1}}\) ⊥ \(\overrightarrow{\mathrm{E}_{2}}\)
अतः \(\overrightarrow{\mathrm{E}_{1}}\) का परिमाण
(ii) दिया है,
q = 10μC = 10-5c
2l = 2 cm = 2 × 10-2 m
= 60 cm = 60 × 10-2 m
(a) अक्षीय रेखा पर विद्युत क्षेत्र
E = \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{2 p}{r^{3}}\) = \(\frac{2 \times q 2 l}{4 \pi \varepsilon_{0} r^{3}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 10^{-5} \times 2 \times 10^{-2}}{\left(60 \times 10^{-2}\right)^{3}}\)
= 1.67 × 104 N/C अक्षीय रेखा पर
(b) निरक्षीय रेखा पर विद्युत क्षेत्र
E = \(\frac{1}{4 \pi 60} \frac{q}{r^{3}}\) = \(\frac{q \times 2 l}{4 \pi 60 r^{3}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 10^{-5} \times 2 \times 10^{-2}}{\left(60 \times 10^{-2}\right)^{3}}\)
= 0.83 × 104 N/C निरक्षीय रेखा पर
प्रश्न 20.
(i) लॉजिक गेट से क्या अभिप्राय है?
(ii) OR गेट का प्रतीक व सत्यता सारणी दीजिए।
(iii) OR गेट को दो डायोड की सहायता से समझाइए। आवश्यक परिपथ आरेख दीजिए। [1 + 1 + 2 = 4]
अथवा
(i) प्रकाश उत्सर्जक डायोड को परिभाषित कीजिए।
(ii) इसका सिद्धान्त देते हुए रचना और कोई दो लाभ लिखिए। [1 + 2 + 1 = 4]
उत्तर:
(i) लॉजिक गेट-कोई लॉजिक गेट वह डिजिटल परिपथ होता है जिसमें निवेशी तथा निर्गत वोल्टेजों के बीच एक निश्चित तर्क-संगत सम्बन्ध होता है। लॉजिक गेट का विश्लेषण बूलियन बीजगणित की सहायता से किया जा सकता है।
(ii)
(iii) OR गेट को व्यवहार में प्राप्त करना-OR गेट को चित्र में प्रदर्शित परिपथ के अनुसार p-n सन्धि डायोडों की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
बैटरी E का ऋण सिरा भू-सम्पर्कित (earthed) है तथा 0 अवस्था के संगत है और धन सिरा (5 V) अवस्था 1 के संगत है। A व B दो निवेशी हैं तथा Y निर्गत है। D1 व D2 दो सन्धि डायोड हैं तथा R निर्गत प्रतिरोध है। A व B के संयोग के निम्न चार प्रकरण सम्भव है-
(i) जब A व B को 0 से सम्बन्धित किया जाता है तो डायोड D1 व D2 से होकर कोई धारा नहीं बहती है और इसलिए R के सिरों पर कोई वोल्टेज उत्पन्न नहीं होता है, अतः निर्गत Y = 0 होता है।
(ii) जब A को 0 से और B को 1 से सम्बन्धित किया जाता है तो डायोड D1 से होकर कोई धारा नहीं बहती है लेकिन D2 अग्र अभिनत होकर धारा देने लगता है अतः R के सिरों पर 5 V का वोल्टेज उत्पन्न हो जाता है जो अवस्था 1 के संगत है। इस न प्रकार निर्गत Y = 1 होता है। के
(iii) जब A को 1 से एवं B को 0 से सम्बन्धित त किया जाता है तो डायोड D1 से होकर धारा बहती है और D2 से नहीं। इस स्थिति में भी R के सिरों पर 5 V का वोल्टेज उत्पन्न हो जाता है जो अवस्था 1 के संगत है अत: Y = 1 होता है।
(iv) जब A व B दोनों को 1 से जोड़ा जाता है तो दोनों डायोड अग्र अभिनत होकर धारा प्रवाह को अनुमत करते हैं, अतः इस दशा में भी R के सिरों पर 5 V का वोल्टेज (क्योंकि R के सिरों पर 5 V से अधिक विभवान्तर उत्पन्न नहीं हो सकता है) उत्पन्न हो जाता है जो अवस्था 1 के संगत है। अतः निर्गत Y = 1 होता है।
इस प्रकार OR गेट की सत्यता सारणी सन्तुष्ट हो जाती है।
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