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RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 

April 6, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Physics Model Papers Set 5 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

पूर्णांक : 56
समय : 2 घण्टे 45 मिनट

सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों के आंतरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए-

(i) यदि दो आवेशों के मध्य काँच की प्लेट रख दी जाये तब उनके मध्य कार्यरत् विद्युत बल पूर्व की तुलना में हो जायेगा- [1]
(अ) अधिक
(ब) कम
(स) शून्य
(द) अनन्त
उत्तर:
(ब) कम

(ii) दिये गये चित्र में बिन्दु A तथा B के मध्य तुल्य धारिता का मान होगा- [1]
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 1
(अ) 2µF
(ब) 4µF
(स) 25µF
(द) 3µF
उत्तर:
(ब) 4µF

(iii) दो समान आकार के तारों, जिसकी प्रतिरोधकता ρ1 एवं ρ2 हैं, को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। संयोजन की तुल्य प्रतिरोधकता होगी- [1]
(अ) \(\sqrt{\rho_{1} \rho_{2}}\)
(ब) 2(ρ1 + ρ2)
(स) \(\frac{\rho_{1}+\rho_{2}}{2}\)
(द) ρ1 + ρ2
उत्तर:
(स) \(\frac{\rho_{1}+\rho_{2}}{2}\)

(iv) एक लम्बे तथा सीधे धारावाही चालक तार से दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B है। यदि तार में प्रवाहित धारा का मान नियत रखें तो r/2 दूरी पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा- [1]
(अ) 2B
(ब) B/2
(स) B
(द) B/4
उत्तर:
(अ) 2B

(v) चुम्बकीय फ्लक्स और प्रतिरोध के अनुपात का मात्रक निम्न में से किस राशि के मात्रक के समान होगा- [1]
(अ) आवेश
(ब) विभवान्तर
(स) धारा
(द) चुम्बकीय क्षेत्र
उत्तर:
(अ) आवेश

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

(vi) एक धातु से हरे रंग के प्रकाश के आपतन पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन प्रारम्भ होता है। निम्न रंगों के समूह में से किस समूह के प्रकाश के कारण इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन सम्भव होगा- [1]
(अ) पीला, नीला, लाल
(ब) बैंगनी, लाल, पीला
(स) बैंगनी, नीला, पीला
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी
उत्तर:
(द) बैंगनी, नीला, आसमानी

(vii), द्रव्यमान संख्या में वृद्धि होने पर नाभिक से संबंधित कौन-सी राशि परिवर्तित नहीं होती है- [1]
(अ) द्रव्यमान
(ब) आयतन
(स) बंधन ऊर्जा
(द) घनत्व
उत्तर:
(द) घनत्व

(viii) नैज सिलिकॉन में कक्ष ताप पर आवेश वाहकों की प्रति एकांक आयतन संख्या 1.6 × 1016/m3 है। यदि इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता संख्या 1.6 × 1016/m3 है। यदि इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता 0.15 m2V-1s-1 तथा होल गतिशीलता 0.05 m2V-1s-1 है तब सिलिकॉन की चालकता (Ω-1 m-1 में) है- [1]
(अ) 1.28 × 10-4
(ब) 3.84 × 10-4
(स) 5.12 × 10-4
(द) 2.14 × 10-4
उत्तर:
(स) 5.12 × 10-4

(ix) चालन बैण्ड अंशतः रिक्त होते हैं-
(अ) अचालकों में
(ब) अर्द्धचालकों में
(स) धातुओं में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) धातुओं में

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) विद्युत बल रेखाएँ उच्च विभव से निम्न ……………………………. की ओर चलती हैं। [1]
(ii) अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता का ताप के परिवर्तन …………………….. वक्र द्वारा प्रदर्शित होता है। [1]
(iii) जब तल को अभिलम्ब क्षेत्र की दिशा के विपरीत खींचा जाता है तो फ्लक्स …………………. होता है। [1]
(iv) एंथासिन …………………………… अर्द्धचालक है। [1]
उत्तर:
(i) विभव
(ii) चरघातांकी
(iii) ऋणात्मक
(iv) कार्बनिक

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए-

(i) मीटर सेतु में सन्तुलन बिन्दु प्रायः मध्य भाग में क्यों प्राप्त करते हैं? [1]
उत्तर:
शून्य विक्षेप की स्थिति तार के मध्य में होने पर मीटर सेतु की सुग्राहिता अधिकतम होती है।

(ii) धारामापी की सुग्राहिता कैसे बढ़ाई जा सकती है? [1]
उत्तर:
(i) फेरों की संख्या बढ़ाकर
(ii) कुण्डली के क्षेत्रफल बढ़ाकर
(iii) नरम लोहे का क्रोड लेकर धारामापी की सुग्राहिता बढ़ाई जा सकती है।

(iii) चित्र में वर्णित स्थिति के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति कीजिए। [1]
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 2
उत्तर:
इंगित दिशा में धारा नियंत्रक का समंजन बदलने पर परिपथ का प्रतिरोध घटेगा जिससे मूल धारा बढ़ेगी, अतः समीपस्थ कुंडली में विपरीत दिशा में धारा प्रेरित होगी। इसलिए प्रेरित धारा zyxz मार्ग का अनुसरण करेगा।

(iv) विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के क्वांटा को क्या कहते हैं? [1]
उत्तर:
फोटॉन

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

(v) कण की स्थिति एवं संबंधित संवेग में अनिश्चितताओं के लिए हाइजेनबर्ग का संबंध लिखिए। [1]
उत्तर:
Δx. ΔPx ≥ \(\frac{h}{2 \pi}\)

(vi) प्रकाश विद्युत उत्सर्जन से प्राप्त इलेक्ट्रॉनों तथा β-कणों में क्या अन्तर है? [1]
उत्तर:
प्रकाश विद्युत उत्सर्जन से प्राप्त इलेक्ट्रॉन परमाणु की बाहरी इलेक्ट्रॉन-कक्षाओं से आते हैं तथा उनका वेग कम होता है। β-कण, जोकि इलेक्ट्रॉन ही है, परमाणु के नाभिक से उत्सर्जित होते हैं तथा इनका वेग प्रकाश के वेग का 1% से 99% तक होता है।

(vii) नाभिकीय रिएक्टर में मन्दक का क्या कार्य है? [1]
उत्तर:
मन्दक का कार्य न्यूट्रॉनों की गति को कम करना है ताकि 92U235 के नाभिक द्वारा अवशोषित होकर उसे विखण्डित कर सकें।

(viii) निम्नलिखित आरेख में, क्या संधि डायोड अग्रदिशिक बायसित है अथवा पश्चदिशिक बायसित? [1]
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 3
उत्तर:
पश्चदिशिक बायसित

खण्ड – (ब)

प्रश्न 4.
धारिता C के किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र को किसी बैटरी द्वारा ‘V’ वोल्ट तक आवेशित किया गया है। कुछ समय पश्चात् बैटरी को हटा लिया जाता है और पट्टिकाओं के बीच की दूरी दोगुनी कर दी जाती है। जब इस पट्टिकाओं के बीच के रिक्त स्थान में परावैद्युतांक 1 < K < 2 का कोई गुटका रख दिया जाता है तो इसका निम्नलिखित पर क्या प्रभाव होगा?
(i) संधारित्र की पटिकाओं के बीच विद्युत-क्षेत्र
(ii) संधारित्र में संचित ऊर्जा। [3/4 + 3/4 – 1½]
उत्तर:
(i) संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच विद्युत क्षेत्र \(\frac{\mathrm{E}_{0}}{\mathrm{~K}}\) हो जाएगा अर्थात् विद्युत क्षेत्र का मान घट जाएगा।
(ii) संधारित्र की नई धारिता C = \(\frac{\varepsilon_{0} \varepsilon_{\mathrm{r}} \mathrm{A}}{2 \mathrm{~d}}\)
εr का मान 2 से कम हैं अतः धारिता C घट जाएगी जबकि विभवान्तर V नियत है तब संचित ऊर्जा का मान कम हो जाता है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 5.
b भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर 4 आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केन्द्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए। [1 + ½ = 1½]]
उत्तर:
(a) घन के विकर्ण की लम्बाई
= \(\sqrt{b^{2}+b^{2}+b^{2}}=b \sqrt{3}\)
∵ घन के सभी विकर्ण कटान बिन्दु (घन का केन्द्र) पर एक-दूसरे को समद्विभाजित करते
अतः घन के केन्द्र से प्रत्येक शीर्ष की दरी,
r = \(\frac{b \sqrt{3}}{2}\)
घन में आठ शीर्ष होते हैं और प्रत्येक शीर्ष पर समान आवेश (q) रखा है, अतः सभी शीर्षस्थ आवेश केन्द्र पर समान विभव उत्पन्न करेंगे। .:. ∴ घन के केन्द्र पर उत्पन्न कुल विद्युत् विभव
V = 8V1, जहाँ
V = एक शीर्ष पर आवेश के कारण विभव
= 8 × \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r}\) = \(\)
∴ V = \(\frac{8 q}{4 \pi \varepsilon_{0} \frac{\sqrt{3}}{2} b}\)

(b) सभी शीर्षों पर समान आवेश है और केन्द्र से प्रत्येक शीर्ष की दूरी समान है, अतः प्रत्येक विकर्ण के साथ जुड़े शीर्षों के विद्युत् क्षेत्र केन्द्र पर परिमाण में समान किन्तु दिशा में विपरीत होने के कारण एक-दूसरे को निरस्त कर देंगे।
अतः केन्द्र पर परिणामी विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता = 0 शून्य

प्रश्न 6.
किरचॉफ का द्वितीय नियम लिखिए। यह किस सिद्धान्त पर आधारित है? एक परिपथ आरेख लेकर इसका सूत्र ज्ञात कीजिए। [½ + ½ + ½ = 1½ ]
उत्तर:
किरचॉफ का द्वितीय नियम-“किसी बन्द परिपथ में परिपथ का परिणामी विद्युत वाहक बल परिपथ के विभिन्न अवयवों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तरों के योग के बराबर होता है।” किरचॉफ का यह नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत पर आधारित होता है अर्थात्
ΣE = ΣV = ΣiR उदाहरण के लिए, चित्र में किरचॉफ के नियम लगाते हैं-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 4
उपर्युक्त नियमों के आधार पर,
A से B की दिशा में E1 = –
B से A की दिशा में E1 = +
D से C की दिशा में E2 = –
C से D की दिशा में E2 = +
बन्द पाश ABCDA में,
ΣE = ΣiR बन्द पाश का मार्ग
A → B → C → D → A
-E1 + E2 = -i1R1 – i1R2 + i2R3
⇒ E2 – E1 = i2R3 – i1(R1 + R2)
बन्द पाश DCFED में,
बन्द पाश का मार्ग
D → C → F → E → D
ΣE = Σi.R
-E2 = -i2.R3 – (i1 + i2) R4
⇒ E2 = i2 – R3 + (i1 + i2)R4

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 7.
ओम का नियम क्या है? इस नियम की कोई दो सीमाएँ लिखिए। [½ + ½ + ½ = 1½ ]
उत्तर:
ओम का नियम-यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था (जैसे-ताप, लम्बाई, क्षेत्रफल आदि) न बदलें तो उसके सिरों पर लगाये गये विभवान्तर (V) एवं उसमें बहने वाली धारा (I) का अनुपात नियत (R) रहता है।
ओम के नियम की सीमाएँ

  1. धात्विक चालकों के लिए धारा के अल्प मान के लिए ही विभवान्तर और धारा के मध्य रैखिक संबंध रहता है।
  2. अर्द्धचालक युक्तियों जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर के लिए विभवान्तर के साथ धारा में परिवर्तन रैखिक नहीं रहता।

प्रश्न 8.
लेंज का नियम लिखिए। लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का पालन करता है। समझाइए। [½ + 1 = 1½]
उत्तर:
लेंज का नियम-इस नियम के अनुसार, “विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण की प्रत्येक अवस्था में प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार होती है कि वह उस कारण का विरोध कर सके जिस कारण से वह उत्पन्न होती है।”
इस प्रकार e = -N\(\frac{d \phi}{d t}\)

लेन्ज का नियम तथा ऊर्जा संरक्षण का सिद्धान्त-इस नियम के अनुसार, “ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न नष्ट किया जा सकता है उसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।” जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को किसी कुण्डली के पास लाया जाता है, तो कुण्डली के सामने वाला फलक उत्तरी ध्रुव बन जाता है जो चुम्बक के पास आने का विरोध करता है अर्थात् कुण्डली का तल चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को प्रतिकर्षित करता है। इसी प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को कुण्डली के पास लाने में जो कार्य करना पड़ता है वही कार्य विद्युत् ऊर्जा में बदलकर हमें प्रेरित धारा के रूप में मिलता है। इसी प्रकार जब चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाते हैं तो कुण्डली का वही फलक लेंज के नियमानुसार दक्षिणी ध्रुव बन जाता है, ताकि वह चुम्बक के दूर जाने का विरोध कर सके अर्थात् कुण्डली का दक्षिणी ध्रुव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव को आकर्षित करता है। इस आकर्षण बल के विरुद्ध चुम्बक को कुण्डली से दूर ले जाने में किया गया कार्य विद्युत् ऊर्जा में बदलकर प्रेरित धारा के रूप में मिल जाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण का पालन करता है।

प्रश्न 9.
एक जेट प्लेन पश्चिम की ओर 1800 km h-1 के वेग से गतिमान है। प्लेन के पंख 25 मीटर लम्बे हैं। इनके सिरों के बीच कितना विभवान्तर प्रेरित होगा? उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान 5 × 10-4 टेस्ला तथा नमन कोण 30° है। [1½]
उत्तर:
गतिमान प्लेन के पंखों से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक कटेगा जिससे उनके मध्य वि. वा. बल प्रेरित हो जायेगा जिसका मान
e = vBl = vVl
जहाँ v = पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक
प्रश्नानुसार
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र Be = 5 × 10-4 T;
नमन कोण θ = 30°
पंखों की नोकों के मध्य दूरी l = 25 m;
v = 1800 × \(\frac{5}{18}\) = 500 ms-1
∵ पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का ऊर्ध्व घटक
V = Be sin θ
= 5 × 10-4 × sin 30°
= 2.5 × 10-4T
∴ e = vVl = 500 × 2.5 × 10-4 × 25
= 312.5 × 10-2 = 3.1V

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण आवर्धक लेन्स द्वारा उत्पन्न आभासी प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण के बराबर होता है। तब फिर किन अर्थों में कोई आवर्धक लेन्स कोणीय आवर्धन प्रदान करता है ?
(ii) किसी आवर्धक लेन्स से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेन्स से अत्यधिक सटाकर रखता है। यदि प्रेक्षक अपने नेत्र को पीछे ले जाये तो क्या कोणीय आवर्धन परिवर्तित हो जायेगा ?
[3/4 + 3/4 = 1½]
उत्तर:
(i) बिना आवर्धक लेन्स के वस्तु को देखने के लिए वस्तु आँख के निकट बिन्दु (25 सेमी) से कम दूरी पर नहीं होनी चाहिए। लेकिन जब आवर्धक लेन्स से देखते हैं तो वस्तु को अपेक्षाकृत कम दूरी पर रखा जा सकता है जिससे अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनने लगता है। इस प्रकार कोणीय आकार में वृद्धि होने के कारण वस्तु हमें बड़ी दिखाई देती है। कोणीय आकार में वृद्धि वस्तु को निकट रखने के कारण होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि 25 सेमी से कम दूरी की वस्तु को देखने के लिए आवर्धक लेन्स, आवर्धक कोण प्रदान करता
है।

(ii) आवर्धक लेन्स से देखते समय प्रेक्षक . अपने नेत्र को लेन्स से अत्यधिक सटाकर रखता · है क्योंकि ऐसा करने से प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर
बना दर्शन कोण बढ़ जाता है और वस्तु बड़ी दिखाई देती है। आँख को लेन्स से दूर कर लेने पर आवर्धन परिवर्तित हो जायेगा क्योंकि ऐसा करने से प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बना दर्शन कोण उसके द्वारा लेन्स पर बने दर्शन कोण से कम हो जायेगा अतः आवर्धन कम हो जायेगा।

प्रश्न 11.
निकट दृष्टि दोष क्या है? इस दोष का कारण स्पष्ट कीजिए। [½ + 1 = 1½]
उत्तर:
निकट दृष्टि दोष-जब आँख में निकट दृष्टि दोष उत्पन्न होता है तो निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखायी देती हैं लेकिन दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखायी नहीं देती हैं।
दोष के कारण-यह दोष तब उत्पन्न होता है जब

  • नेत्र लेन्स एवं रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाती है अथवा
  • नेत्र लेन्स की फोकस दूरी कम हो जाती है। इनमें से कोई भी कारण होने पर दूर अर्थात् अनन्त से आने वाली किरणें रेटिना से पहले फोकस हो जाती हैं और वस्तु दृष्टिगोचर नहीं होती है। इस दोष से युक्त लेन्स का दूर बिन्दु (F) अनन्त पर न होकर लेन्स से कुछ दूरी (x) पर होता है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 5

प्रश्न 12.
(i) खगोलीय दूरदर्शी केसेग्रेनियन का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाओ।
(ii) परावर्ती दूरदर्शी के कोई दो लाभ लिखिए। [3/4 + 3/4 = 1½]
उत्तर:
(i) प्रस्तुत चित्र में एक केसेग्रेनियन प्रकार का दूरदर्शी प्रदर्शित किया गया है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 6
(ii) लाभ-परावर्ती दूरदर्शी के निम्नलिखित लाभ हैं-
(अ) चूँकि अभिदृश्यक एक दर्पण होता है, अतः वर्ण विपथन का दोष नहीं होता है।
(ब) अभिदृश्यक दर्पण परवलयाकार होता है। अतः गोलीय विपथन का दोष भी नहीं रहता

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 13.
एक खगोलीय दूरदर्शी के अभिदृश्यक एवं अभिनेत्र लेन्स की फोकस दूरियाँ क्रमश: 25 सेमी एवं 2.5 सेमी हैं। दूरदर्शी को अभिदृश्यक से 1.5 मी दूर स्थित वस्तु पर फोकस किया जाता है, तो अन्तिम प्रतिबिम्ब प्रेक्षक की आँख से 25 सेमी दूर बनता है। दूरदर्शी की लम्बाई की गणना कीजिए।
[1½]
उत्तर:
दिया है : fo = 25 सेमी, fe = 2.5 सेमी,
uo = -1.5 मी = – 150 सेमी, Ve = – 25 सेमी, L = ?
अभिदृश्यक के लिए लेन्स-सूत्र से, .
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 7
दूरदर्शी की लम्बाई L = \(\left|v_{o}\right|+\left|u_{e}\right|\)
= 30 + 2.27 = 32.27 सेमी

प्रश्न 14.
द्रव्यमान क्षति क्या है? नाभिक की बन्धन ऊर्जा को परिभाषित कर द्रव्यमान क्षति एवं नाभिकीय बंधन ऊर्जा में संबंध लिखिए।
[½ + ½ + ½ = 1½]
उत्तर:
द्रव्यमान क्षति-किसी नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान उसके न्यूक्लिऑनों से गणना द्वारा प्राप्त सम्भावित द्रव्यमान से सदैव कम होता है, द्रव्यमान के इसी अन्तर को द्रव्यमान क्षति कहते हैं। इस प्रकार,
द्रव्यमान क्षति = गणना द्वारा प्राप्त नाभिक का द्रव्यमान — नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान
⇒ Δm = mc – ma
∴ Δm = [प्रोटॉनों + न्यूट्रॉनों] का द्रव्यमान – नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान
⇒ Δm= [Z.mp +(A – Z)mn]-m ………….. (1)
जहाँ Z = परमाणु क्रमांक,A= द्रव्यमान क्रमांक, mp = प्रोटॉन का द्रव्यमान, mn = न्यूट्रॉन का द्रव्यमान. एवं m = नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान
नाभिक की बन्धन ऊर्जा- “किसी नाभिक की बन्धन ऊर्जा, ऊर्जा की वह मात्रा है जो नाभिक को दे देने पर उसके समस्त न्यूक्लिऑनों को बन्धन मुक्त कर दे।” अत: नाभिक की बन्धन ऊर्जा .
ΔE = Δm.c2
द्रव्यमान क्षति एवं बंधन ऊर्जा में सम्बन्ध
= [{Zmp + (A – Z) mn}-m]c2

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 15.
94Pu239 के विखण्डन गुण बहुत कुछ 92 U235 मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 Mev है। यदि 1 kg शुद्ध 94 Pu239 के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी Mev ऊर्जा विमुक्त होगी? [1½]
उत्तर:
यहाँ 94Pu239 के एक विखण्डन में मुक्त ऊर्जा = 180 Mev.
94Pu239 का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 239 g
239 g प्लूटोनियम में परमाणुओं की संख्या
= NA = 6.02 × 1023
∴ 1 kg अर्थात् 1000 g प्लूटोनियम में परमाणुओं की संख्या
N = \(\frac{\mathrm{N}_{\mathrm{A}} \times 1000}{239}\) = [lzatex]\frac{6.02 \times 10^{23} \times 1000}{239}[/latex]
= 2.52 × 1024
∵ 1 परमाणु के विखण्डन में मुक्त ऊर्जा = 180 Mev
∴ N अर्थात् 2.52 × 1024 परमाणुओं के विखण्डन से मुक्त कुल ऊर्जा = N × 180 MeV.
= 2.52 × 1024 × 180 Mev .
= 4.536 × 1026 Mev

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार धारावाही पाश पर आरोपित बल एवं बल आघूर्ण ज्ञात कीजिए। [2 + 1 = 3]
अथवा
नामांकित आरेख की सहायता से किसी चल कुण्डली धारामापी के कार्यकारी सिद्धांत तथा कार्यविधि को स्पष्ट कीजिए। इसमें (i) एकसमान अक्षीय (त्रिज्य) चुम्बकीय क्षेत्र (ii) नर्म लोहे क्रोड का क्या प्रकार्य है? [3]
उत्तर:
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार धारावाही पाश पर बल आघूर्ण
जब एक आयताकार लूप में नियत विद्युत धारा I प्रवाहित होती है तो समचुम्बकीय क्षेत्र में इस लूप पर बल आघूर्ण उत्पन्न होता है। परन्तु इस पर कुल बल आरोपित नहीं होता। यह व्यवहार एक समान विद्युत क्षेत्र में स्थित किसी विद्युत द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण के समरूपी होता है।

माना ABCD एक आयताकार धारावाही लूप है, जिसमें I परिमाण की विद्युत धारा वामावर्त दिशा में प्रवाहित हो रही है। लूप एक समान चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) में स्थित है एवं लूप का घूर्णन अक्ष \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लम्बवत् है। लूप की लम्बाई l तथा चौड़ाई b है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 8
क्षेत्रफल \(\overrightarrow{\mathrm{A}}\) चुम्बकीय क्षेत्र \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के साथ θ कोण बनाता है। लूप की चारों भुजाएं चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक की तरह व्यवहार करती हैं, अतः इन पर चुम्बकीय बल आरोपित होगा। हम लूप की सभी भुजाओं पर आरोपित चुम्बकीय बलों की गणना निम्न प्रकार से करते हैं-
(i) भुजा AB पर बल-भुजा AB की लम्बाई । है तथा यह भुजा चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है। अतः इस पर आरोपित बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\) = I(\(\vec{l} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\)) से
\(\left|\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\right|\) = IlB sin 90° = IlB
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\) की दिशा कागज के तल के लम्बवत् अन्दर की ओर होगी।

(ii) भुजा BC पर बल-भुजा BC की लम्बाई b है, अतः इस पर बल
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{2}}\) = I (\(\vec{b} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\))
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{2}}\)की दिशा दाहिने हाथ के पेंच के नियम से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर होगी।

(ii) भुजा CD पर बल-यह भुजा भी \(\overrightarrow{\mathrm{B}}\) के लम्बवत् है। अतः
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}\) = I/B
\(\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}\) की दिशा कागज के तल के लम्बवत् बाहर की ओर होगी।

(iv) भुजा DA पर बल-इस भुजा पर बल F4 = I(\(\vec{b} \times \overrightarrow{\mathrm{B}}\)) कार्य करेगा, जिसकी दिशा ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होगी।

इस प्रकार स्पष्ट है कि लूप पर कार्यरत् बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{2}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{4}}\) लूप की घूर्णन अक्ष के अनुदिश परन्तु एक-दूसरे को निरस्त कर देते हैं।

बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}\) भी परिमाण में समान एवं दिशा में विपरीत हैं। अतः इनका परिणामी बल भी शून्य होता है। परिणामस्वरूप लूप में न तो कोई ऊर्ध्वाधर विस्थापन होता हैं और न ही क्षैतिज विस्थापन। लेकिन \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\) व \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}\) बलों की क्रिया रेखा भिन्न हैं तथा ये बल परस्पर b दूरी पर कार्यरत् है, अतः ये मिलकर एक बल युग्म बनाते हैं जो लूप को वामावर्त दिशा में घूर्णन करने का प्रयास करता है।
इस प्रकार आयताकार लूप पर कार्यरत् सभी बलों का परिणामी बल शून्य है।
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}=\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}+\overrightarrow{\mathrm{F}_{2}}+\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}+\overrightarrow{\mathrm{F}_{4}}\) = 0
यही कारण है कि लूप में स्थानान्तरीय गति नहीं होती है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 9
बल \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{1}}\) तथा \(\overrightarrow{\mathrm{F}_{3}}\) परस्पर समान्तर एवं विपरीत है अतः चित्र से आयताकार लूप पर कार्यरत बल युग्म का आघूर्ण
τ = बलयुग्म के एक बल का परिमाण × बलों के मध्य लम्बवत् दूरी .
चित्र से स्पष्ट है कि बलों के मध्य लम्बवत् दूरी = b sin θ
τ = (IlB) (b sin θ) = I (lb)B sin θ
अतः τ = IAB sin θ
जहाँ A = lb लूप का क्षेत्रफल है।
यही अभीष्ट व्यंजक है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 17.
(i) मानव नेत्र का स्वच्छ नामांकित चित्र दीजिए।
(ii) नेत्र की समंजन क्षमता को सचित्र समझाओ। [3]
अथवा
गोलीय दर्पण की फोकस दूरी से क्या अभिप्राय है? अवतल दर्पण का उपयोग करते हुए दर्पण समीकरण \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\) का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [3]
उत्तर:
(i) मानव नेत्र का नामांकित चित्र इस प्रकार है-
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 10
(ii) समंजन क्षमता-किसी वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणें कॉर्निया पर आपतित होती हैं तथा अपवर्तित होकर जलीय द्रव से होती हुई पुतली में से नेत्रिका लेन्स में प्रवेश करती हैं। नेत्रिका लेन्स प्रकाश किरणों को रेटिना पर फोकसित करता है। इस प्रकार वस्तु का उल्टा, वास्तविक प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है।

जब वस्तु नेत्र से दूर होती है तो वस्तु से आने वाली समान्तर किरणें नेत्र लेन्स द्वारा रेटिना पर फोकस हो जाती है और वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है। इस स्थिति में नेत्र लेन्स पर माँसपेशियों द्वारा कोर्द दबाव नहीं डाला जाता है अर्थात् नेत्र श्रांत अवस्था में होता है।

परन्तु जब वस्तु नेत्र के निकट होती है तो उसका प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। प्रतिबिम्ब को रेटिना पर प्राप्त करने के लिए पक्ष्माभी माँसपेशियों द्वारा लेन्स पर दाब डाला जाता है जिससे लेन्स मोटा हो जाता है अर्थात् वक्रता बढ़ जाती है और फोकस दूरी कम होती है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 11
“नेत्र की इस प्रकार फोकस दूरी बदलने का क्षमता नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है”

प्रश्न 18.
(i) त्वरित इलेक्ट्रॉनों से सम्बद्ध डी-ब्राग्ली तरंगदैर्ध्य के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए। ___
(ii) किसी फोटॉन की तरंगदैर्ध्य λ तथा इलेक्ट्रॉन के साथ सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगों की तरंगदैर्ध्य एकसमान है। प्रदर्शित कीजिए कि फोटॉन की ऊर्जा इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा की \(\frac{2 \lambda m c}{h}\) गुनी होगी, जहाँ प्रतीक अपने सामान्य अर्थों में प्रयुक्त हैं। [1 + 2 = 3]
अथवा
(i) उस प्रयोग का नाम लिखिए जिससे द्रव्य तरंग सिद्धांत को सत्यापित किया गया था।
(ii) प्रयोग में प्रयुक्त उपकरण का नामांकित चित्र बनाते हुए इसमें निकिल क्रिस्टल और आयनन प्रकोष्ठ का कार्य बताइए। [1 + 1 + 1 = 3]
उत्तर:
(i) त्वरित इलेक्ट्रॉनों से सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य के लिए व्यंजक-p संवेग वाले इलेक्ट्रॉनों से सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगों की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{p}\)
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m एवं ऊर्जा Kmax हो तो संवेग
p = \(\sqrt{2 m \cdot K}\)
अतः λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m \mathrm{~K}}}\)
यदि q आवेश के M द्रव्यमान वाले कण को V विभवान्तर से त्वरित किया जाये तो कण की गतिज ऊर्जा
K = qV
अतः कण से सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 \mathrm{M} q \mathrm{~V}}}\)
इलेक्ट्रॉन के लिए q = e और M के स्थान पर m होगा।
∴ λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m e V}}\)
यही अभीष्ट व्यंजक है।

(ii) फोटॉन की ऊर्जा
Ep = hv = \(\frac{h c}{\lambda}\) …………… (1)
इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा
K = \(\frac{1}{2}\)mv2 = \(\frac{m^{2} v^{2}}{2 m}=\frac{(m v)^{2}}{2 m}\)
⇒ K = \(\frac{(m v)^{2}}{2 m}\) …………….. (2)
परन्तु इलेक्ट्रॉन के साथ सम्बद्ध डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
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RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
विद्युत फ्लक्स से क्या अभिप्राय है? गॉउस के नियम का उपयोग करते हुए अनन्त विस्तार की आवेशित परावैद्युत परत के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का व्यंजक स्थापित कीजिए। [1 + 3 = 4]
अथवा
विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण से क्या तात्पर्य है? समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव को घुमाने में कार्य के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए।
[1 + 3 = 4]
उत्तर:
वैद्युत फ्लक्स-“विद्युत् क्षेत्र में रखे किसी पृष्ठ के लम्बवत् गुजरने वाली वैद्युत क्षेत्र रेखाओं की संख्या को उस पृष्ठ से सम्बद्ध वैद्युत फ्लक्स कहते हैं।” इसे ΦE से व्यक्त करते हैं और यह एक अदिश राशि है।_

अनन्त विस्तार की आवेशित परावैद्युत परत के कारण वैद्युत क्षेत्र की तीव्रता-चित्र में पतली, अनन्त विस्तार की समान रूप से आवेशित परावैद्युत परंत प्रदर्शित की गयी है। जिस पर एकसमान आवेश का पृष्ठ घनत्व σ है। इस परत से r दूरी पर स्थित बिन्दु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 13
सममिति से, विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता परत से बाहर की ओर होगी। इसके अतिरिक्त परत से समान दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं P और P’ के लिए E का परिमाण समान पर दिशा में विपरीत होगा।

हम एक बेलनाकार गाउसीय पृष्ठ को चुनते हैं जिसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल S और लम्बाई 2r है, इसका अक्ष परत के लम्बवत् है।

चूँकि क्षेत्र रेखायें बेलन के वक्र पृष्ठ के समान्तर होंगी अतः वक्र पृष्ठ से निर्गत फ्लक्स शून्य होगा। बेलन के अन्त्यफलक S1 व S2 से निर्गत फ्लक्स
ΦE = ES + ES = 2ES
गाउसीय पृष्ठ से परिबद्ध आवेश
q = σs गाउस की प्रमेय से,
ΦE = \(\frac{q}{\varepsilon_{0}}\)
∴ 2EA = \(\frac{\sigma S}{\varepsilon_{0}}\) ⇒ E = \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
अत: E, r पर निर्भर नहीं है।
यही अभीष्ट व्यंजक है।

RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi

प्रश्न 20.
सौर सेल किसे कहते हैं? इसका संकेत दीजिए तथा इसकी संरचना देते हुए कार्यविधि का वर्णन कीजिए। इसको मुख्यतः कहाँ उपयोग किया जाता है? [½ + ½ + 1 + 1½ + ½ = 4]
अथवा
बैण्ड संरचना के आधार पर अर्द्धचालक में वैद्युत धारा चालन को समझाइए। ताप वृद्धि के साथ अर्द्धचालक की प्रतिरोधकता पर क्या प्रभाव होगा?
[2½ + 1½ = 4]
उत्तर:
सौर सेल-“सौर सेल एक प्रकाश वोल्टीय युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में व बदलती है।” यह एक p-n सन्धि युक्ति है जो सौर न ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में बदलती है। सौर सेल की र वास्तविक एवं सांकेतिक (सैद्धान्तिक) संरचना चित्र में प्रदर्शित है।
RBSE 12th Physics Model Paper Set 5 with Answers in Hindi 14
कार्यविधि-प्रकाश पड़ने पर सौर सेल द्वारा वि. वा. ब. उत्पन्न होना तीन क्रियाओं पर निर्भर करता है-
(a) जनन
(b) पृथक्कन
(c) संग्रह।
जब सूर्य का प्रकाश {hv> Eg (वर्जित ऊर्जा बैण्ड की चौड़ाई), पारदर्शी खिड़की के द्वारा p पृष्ठ पर आपतित होता है, यह p-क्षेत्र को पार करके p-n सन्धि तक पहुँच जाता है। प्रकाश ऊर्जा के फोटॉनों की ऊर्जा (hv > Eg) अर्द्धचालक के सहसंयोजक बन्ध तोड़ने के लिए पर्याप्त होती है अतः सन्धि के दोनों ओर इलेक्ट्रॉन-होल युग्म उत्पन्न होते हैं। ह्रासी क्षेत्र के विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉन व होलों का पृथक्कन होता है। प्रकाश जनित इलेक्ट्रॉन n-फलक की ओर तथा होल p-फलक की ओर चलते हैं। ये अल्पसंख्यक आवेश वाहक सन्धि को पार करके परस्पर विपरीत क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं। n-फलक पर पहुँचने वाले इलेक्ट्रॉन अग्र-सम्पर्क (धात्विक ग्रिड) द्वारा संग्रह किए जाते हैं। इस प्रकार p-फलक धनात्मक तथा n-फलक ऋणात्मक हो जाता है, जिसके फलस्वरूप फोटोवोल्टता प्राप्त होती है। जब कैथोड व ऐनोड के बीच बाहरी लोड जोड़ा जाता है, तो एक प्रकाश धारा IL बहती है। यह धारा अल्पसंख्यक आवेश वाहकों के कारण होती है और इसका मान प्रदीपन तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है तथा धारा प्रदीप्त किये गये खुले क्षेत्रफल पर भी निर्भर करती है।

सौर सेलों के लिए किसी बाहरी बैटरी की आवश्यकता नहीं है। सक्रिय सन्धि का क्षेत्रफल अधिक रखा जाता है ताकि अधिक शक्ति प्राप्त हो।
उपयोग-समस्त कृत्रिम उपग्रह तथा अन्तरिक्ष अन्वेषक यान मुख्यतः सौर सेल ऊर्जा पर ही निर्भर करते हैं।

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