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RBSE Class 12 Physics Model Paper Set 9 with Answers in Hindi
समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 56
सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों के आंतरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड-(अ)
प्रश्न 1.
बहुविकल्पीय प्रश्न-निम्न प्रश्नों के उत्तर का सही विकल्प चयन कर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –
(i) दो बिन्दु आवेश + 9e तथा + e परस्पर 16 cm दूर स्थित हैं। इनके मध्य एक अन्य आवेश q कहाँ रखें कि वह साम्यावस्था में रहे? [1]
(अ) + 9e आवेश से 24 सेमी दूर
(ब) + 9e आवेश से 12 सेमी दूर
(स) + e आवेश से 24 सेमी दूर
(द) + e आवेश से 12 सेमी दूर
उत्तर:
(ब) + 9e आवेश से 12 सेमी दूर
(ii) दिये गये चित्र में संयोजित संधारित्रों के लिये बिन्दु A तथा B के मध्य तुल्य धारिता का मान होगा- [1]
(अ) 5µF
(ब) 2.5µF
(स) 10µF
(द) 20µF
उत्तर:
(ब) 2.5µF
(iii) किरचॉफ के प्रथम एवं द्वितीय नियम आधारित हैं- [1]
(अ) आवेश तथा ऊर्जा संरक्षण नियमों पर
(ब) धारा तथा ऊर्जा संरक्षण नियमों पर
(स) द्रव्यमान तथा आवेश संरक्षण नियमों पर
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) आवेश तथा ऊर्जा संरक्षण नियमों पर
(iv) एक वृत्ताकार धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान B0 है। इसी कण्डली के अक्षीय बिन्दु पर, इसकी त्रिज्या के बराबर दूरी पर चुम्बकीय क्षेत्र B है, तो B/B0 का मान होगा- [1]
(अ) 1: \(\sqrt{2} \)
(ब) 1:2\(\sqrt{2} \)
(स) 2\(\sqrt{2} \) :1
(द) \(\sqrt{2} \) : 1
उत्तर:
(ब) 1:2\(\sqrt{2} \)
(v) चुम्बकीय क्षेत्र B में एक चालक तार दायीं ओर चल रहा है उसमें प्रेरित विद्युत धारा की दिशा चित्रानुसार हो तो चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होगी – [1]
(अ) कागज के तल में बायीं ओर
(ब) कागज के तल में दायीं ओर
(स) कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर
(द) कागज के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर
उत्तर:
(स) कागज के तल के लम्बवत् नीचे की ओर
(vi) 40 eV ऊर्जा का एक फोटॉन धातु के पृष्ठ पर आपतित होता है इसके कारण 37.5 eV गतिज ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन होता है। धातु के पृष्ठ का कार्यफलन होगा – [1]
(अ) 2.5 ev
(ब) 57.5 ev
(स) 5.0 ev
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) 2.5 ev
(vii) 22Ne नाभिक ऊर्जा अवशोषित करने के बाद दो a कणों एवं एक अज्ञात नाभिक में क्षय हो जाता है। अज्ञात नाभिक है – [1]
(अ) ऑक्सीजन
(ब) बोरान
(स) सिलिकॉन
(द) कार्बन
उत्तर:
(द) कार्बन
(viii) जर्मेनियम में वर्जित ऊर्जा अन्तराल लगभग 0.7 ev है। वह तरंगदैर्ध्य जिसका अवशोषण जर्मेनियम प्रारम्भ । करता है, लगभग है – [1]
(अ) 35000 A
(ब) 17700 A
(स) 25000 A
(द) 51600 A
उत्तर:
(ब) 17700 A
(ix) अर्द्धचालक में विद्युत चालकता का कारण है – [1]
(अ) केवल इलेक्ट्रॉन
(ब) केवल होल
(स) इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों
(द) केवल प्रोटॉन
उत्तर:
(स) इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) जो पदार्थ आसानी से ध्रुवित हो जाते हैं उनकी विद्युत प्रवृत्ति ……… होती है। [1]
उत्तर:
उच्च
(ii) ताप बढ़ाने से विशिष्ट प्रतिरोध …………….. जाता है। [1]
उत्तर:
बढ़
(iii) प्रेरण भट्टी …………… धाराओं के कारण ऊष्मा उत्पन्न करती है। [1]
उत्तर:
भंवर
(iv) प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलने की क्रिया …………….. कहलाती है। [1]
उत्तर:
दिष्टकारी
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर एक पंक्ति में दीजिए –
(i) V वोल्ट की किसी बैटरी से किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र को आवेशित किया गया है। इस बैटरी को हटाकर पट्टिकाओं के बीच पृथकन को आधा कर दिया जाता है। इस संधारित्र के सिरों पर नया विभवान्तर क्या होगा? [1]
उत्तर:
पृथकन आधा होने पर विभावन्तर भी आधा हो जाएगा
(ii) किसी धारावाही कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण किन-किन कारकों पर निर्भर करता है? [1]
उत्तर:
कुण्डली में फेरों की संख्या, कुण्डली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल व कुण्डली में प्रेरित धारा।
(iii) चित्र में वर्णित स्थिति के लिए प्रेरित धारा की दिशा की प्रागुक्ति कीजिए। [1]
उत्तर:
चुम्बक का दक्षिणी ध्रुव कुण्डली के पास आ रहा है, अत: लेन्ज के नियमानुसार कुण्डली का q सिरा दक्षिणी ध्रुव बनेगा जिसके लिए प्रेरित धारा की दिशा qr p q होगी।
(iv) क्या द्रव्य तरंगें विद्युत चुम्बकीय होती हैं? डी-ब्रॉग्ली तरंग समीकरण लिखिए। [1]
उत्तर:
नहीं, द्रव्य तरंगों की प्रकृति विद्युत चुम्बकीय नहीं होती है। डी-ब्रॉग्ली तरंग समीकरण λ = \(\frac{\mathrm{h}}{\mathrm{mV}}\).
(v) 100 V विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन से संबद्ध तरंग की डी-ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए। [1]
उत्तर:
दिया है V = 150 वोल्ट
λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}} Å=\frac{12.27}{\sqrt{10^{4}}}=\frac{12.27}{100}\)
λe = 0.123 Å
(vi) रेडियोएक्टिव पदार्थ की सक्रियता को परिभाषित कीजिए। इसका SI मात्रक लिखिए। [1]
उत्तर:
रेडियोएक्टिव प्रतिदर्श की कुल क्षय दर प्रतिदर्श की रेडियोएक्टिवता कहलाती है। इसका SI मात्रक बेकुरल (Bq) है।
(vii) किसी नाभिक का द्रव्यमान सदैव उसके घटकों (न्यूट्रॉनों व प्रोटॉनों) के द्रव्यमानों के योग से कम क्यों होता है?
उत्तर:
क्योंकि जब प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन संयुक्त होकर नाभिक की संरचना करते हैं, तो इस प्रक्रिया में कुछ ऊर्जा विमुक्त हो जाती है और इस ऊर्जा के संगत द्रव्यमान लुप्त हो जाता है।
(viii) संपाती परिपथ किसे कहते हैं? [1]
उत्तर:
AND गेट को संपाती परिपथ कहते हैं।
खण्ड-(ब)
प्रश्न 4.
समविभव पृष्ठों के दो महत्वपूर्ण विशेषताएँ लिखिए। [1½]
उत्तर:
समविभव पृष्ठ की विशेषताएँ:
- समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत विभव समान होता है।
- समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिन्दुओं के मध्य परीक्षण आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है।
प्रश्न 5.
किसी समान्तर पट्टिका संधारित्र को विभवान्तर V तक आवेशित किया गया है। इसे स्रोत से वियोजित करके समान धारिता के किसी अन्य अनावेशित संधारित्र के साथ संयोजित किया गया। इस संयोजन में संचित ऊर्जा और आरम्भ में एकल संधारित्र में संचित ऊर्जा का अनुपात परिकलित कीजिए। [1½]
उत्तर:
एकल संधारित्र में संचित ऊर्जा
U1 = \(\frac{1}{2}\).C.V2
अनावेशित संधारित्र V = 0 के संधारित्र से जोड़ने पर उभयनिष्ठ विभव,
V = \(\frac{C_{1} V_{1}+C_{2} V_{2}}{C_{1}+C_{2}}=\frac{C V+0}{C+C}=\frac{V}{2}\)
संयोजन की तुल्य ऊर्जा
U2 = \(\frac{1}{2} C_{1}\left(V^{\prime}\right)^{2}+\frac{1}{2} C_{2}\left(V^{\prime}\right)^{2}\)
= \(\frac{1}{2} \mathrm{C}\left(\frac{\mathrm{V}}{2}\right)^{2}+\frac{1}{2} \mathrm{C}\left(\frac{\mathrm{V}}{2}\right)^{2}\)
= \(\frac{1}{2} \mathrm{C}\left[\frac{\mathrm{V}^{2}}{4}+\frac{\mathrm{V}^{2}}{4}\right]=\frac{1}{2}\left[\frac{1}{2} \mathrm{CV}^{2}\right]\)
अतः \(\frac{\mathrm{U}_{1}}{\mathrm{U}_{2}}=\frac{\frac{1}{2} \mathrm{CV}^{2}}{\frac{1}{2}\left[\frac{1}{2} \mathrm{CV}^{2}\right]}=\frac{2}{1}\)
अतः U1:U2 = 2 : 1
यही अभीष्ट अनुपात है।
प्रश्न 6.
तीन प्रतिरोधकों R1, R2 व R3 के समान्तर क्रम संयोजन के लिए तुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [1½]
उत्तर:
प्रतिरोधों का समान्तर क्रम संयोजन इस संयोजन में सभी प्रतिरोधों का एक सिरा एक संधि पर और दूसरे सिरे दूसरी संधि पर जोड़ दिये जाते हैं।
चित्र (अ) में तीन प्रतिरोधों का समान्तर क्रम संयोजन दिखाया गया है। संधि A पर परिणामी धारा
i= i1 +i2 +i3 ………………………. (1)
सभी प्रतिरोध A व B के मध्य जुड़े हैं, अत: सभी प्रतिरोधों के सिरों के मध्य विभवान्तर (V) समान होगा।
∴V=i1R2 = i2R2 = i3R3
∴ i1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}\) ,
i2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}\),
i3 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
परिणामी प्रतिरोध = R
यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R मान लें तो तुल्य परिपथ निम्न चित्र (ब) के अनुसार होगा। इस परिपथ से,
V = iR
⇒ i = \(\frac{V}{R}\)
अब समीकरण (1) में मान रखने पर,
\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
⇒ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}} \)
इसी प्रकार n प्रतिरोधों को जोड़ा जा सकता है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\cdots \cdots+\frac{1}{R_{n}}\) ………………… (5)
यही अभीष्ट व्यंजक है।
प्रश्न 7.
E1 व E2 विद्युत वाहक बलों वाले दो प्राथमिक सेल विभवमापी तार AB से चित्र की भाँति जुड़े हैं। दो भिन्न संयोजनों की संतुलन लम्बाइयाँ 250 सेमी व 400 सेमी हैं। E1 व E2 का अनुपात ज्ञात कीजिए। [1½]
उत्तर:
यदि तार AB की विभव प्रवणता K वोल्ट/सेमी हो तो
E1-E2=K × 250 ………………….(i)
और
E1+ E2 =K × 400 ………………………….. (ii)
समी (i) व (ii) को जोड़ने पर
2E1 =650K
E1 =325K
समी. (ii) में से (i) को घटाने पर
E2 = 75K
\(\frac{E_{1}}{E_{2}}=\frac{325}{75}=\frac{13}{7}\)
अतः E1 : E2 = 13 : 7
यही अभीष्ट अनुपात है।
प्रश्न 8.
किसी N फेरों व त्रिज्या वाली धारावाही परिनालिका के स्वप्रेरकत्व का व्यंजक प्राप्त कीजिए। [1½]
उत्तर:
धारावाही परिनालिका का स्वप्रेरकत्व माना एक लम्बी वायु परिनालिका में फेरों की संख्या N, इसका अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल A तथा इसकी लम्बाई l है।
∴परिनालिका की एकांक लम्बाई में फेरों की संख्या
n = \(\frac{\mathrm{N}}{\mathrm{l}}\)
अतः परिनालिका में i धारा बहने पर उसके अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
B = µ0.ni = µ0\(\left(\frac{\mathrm{N}}{l}\right) i\)
अतः परिनालिका से सम्बद्ध कुल चुम्बकीय फ्लक्स
Φ1 =NΦB
जहाँ ΦB = परिनालिका के प्रति फेरे के साथ सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
B = \(\frac{\mu_{0}}{2} \frac{\mathrm{N} i}{r}\)
यदि इस क्षेत्र को कुण्डली के सम्पूर्ण तल में एक समान मानें, तो कुण्डली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स
NΦB = N(BA)=N.B.πr²= N\(\frac{\mu_{0} N i}{2 r} \pi r^{2}\)
⇒ NΦB = \(\frac{\mu_{0} \pi N^{2} i}{2} r\) ………………………. (1)
यदि कुण्डली का स्वप्रेरकत्व (inductance) L हो, तो
L = \(\frac{\mathrm{N} \phi_{\mathrm{B}}}{i}\) …………………………. (2)
समी. (2) में Npg का मान समी. (1) से रखने पर,
L = \(\frac{\mu_{0} \pi N^{2}}{2} r\) हेनरी …………………………………….(3)
अतः यही अभीष्ट समीकरण है। किसी कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कुण्डली के अन्दर रखे क्रोड के पदार्थ पर भी निर्भर करता है। यदि कुण्डली के अन्दर किसी लौह-चुम्बकीय पदार्थ; जैसे-लोहा, निकल या कोबाल्ट की छड़ रख दी जाये तो स्वप्रेरण गुणांक L का मान बहुत अधिक हो जाता है।
प्रश्न 9.
एक 20 सेमी लम्बाई का एक चालक तार 5 x 10-4Wb/m2 के चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत रखा है तथा यह चुम्बकीय क्षेत्र और तार की लम्बाई के लम्बवत गतिशील है। यदि चालक तार 1 मीटर दूरी 4 सेकण्ड में तय करता है तो चालक तार के सिरों पर उत्पन्न प्रेरित वि. वा. बल ज्ञात करो। [1½]
उत्तर:
प्रश्नानुसार, चालक तार की लम्बाई l = 20 सेमी = 0.2 मी
चुम्बकीय क्षेत्र B= 5 × 10-4Wb/मी2
समय t = 45 में चालक द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र में चली दूरी
S = 1 मी
∴चालक का वेग v = \(\frac{S}{t}=\frac{1}{4}\) = 0.25 मी/से
चालक तार में प्रेरित वि. वा. बल
ε = B vl
ε = 5 × 10-4 × 0.25 × 0.20
ε = 2.5 × 10-5 वोल्ट
प्रश्न 10.
किसी अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष पर एक मोबाइल फोन रखा है। उचित किरण आरेख द्वारा प्रतिबिम्ब की रचना दर्शाइए। व्याख्या कीजिए कि आवर्धन एक समान क्यों नहीं है ? क्या प्रतिबिम्ब विकृति दर्पण के सापेक्ष फोन की स्थिति पर निर्भर करती है ? [1½]
उत्तर:
चित्र में दर्पण द्वारा मोबाइल का प्रतिबिम्ब बनने का किरण-आरेख प्रदर्शित है।
मुख्य अक्ष के लम्बवत् समतल में स्थित भाग का प्रतिबिम्ब उसी समतल में होगा और उसी साइज का होगा अर्थात् BC = B’C मोबाइल का वह भाग जो C व F के मध्य है, C के पीछे बड़ा प्रतिबिम्ब बनायेगा जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। चूंकि मोबाइल के विभिन्न भागों की स्थिति दर्पण से भिन्न-भिन्न है, अतः विभिन्न भागों के आवर्धन भिन्न-भिन्न होंगे। इसीलिए प्रतिबिम्ब में विकृति उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 11.
प्रकाश के अपवर्तन के नियम लिखिए। प्रकाश के अपवर्तन का कारण बताइए। [1½]
उत्तर:
अपवर्तन के नियम –
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अंतरापृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब, एक ही समतल में होते हैं।
(ii) किन्हीं दो माध्यमों के युगलों के लिए, आपतन कोण की ज्या (sin i) तथा अपर्वतन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात एक स्थिरांक होता है।
अर्थात् \(\frac{{Sin} i}{{Sin} r}\) = n21
यहाँ n21 पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं। इसी को स्नैल का नियम भी कहते हैं।
(iii) अपवर्तित किरण की आवृत्ति एवं रंग आपतित किरण के समान ही रहता है लेकिन उसका वेग बदल जाता है।
कारण-प्रकाश के अपवर्तन का कारण है प्रकाश की चाल विभिन्न माध्यमों में भिन्न-भिन्न होती है।
प्रश्न 12.
सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता के सूत्र का निगमन कीजिए जब प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है। [1½]
उत्तर:
आवर्धन क्षमता-सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता की परिभाषा निम्न प्रकार की जाती है-
⇒ m = \(\frac{\tan \beta}{\tan \alpha}\) , यदि α व β छोटे हैं।
= \(\frac{\mathrm{AB} / \mathrm{AO}}{\mathrm{A}^{\prime} \mathrm{A}^{\prime \prime} / \mathrm{OA}}=\frac{\mathrm{AB} / \mathrm{AO}}{\mathrm{AB} /-\mathrm{D}}\)
[∵ A’A” = AB]
क्योंकि अन्तिम प्रतिबिम्ब A’B’ व वस्तु AB द्वारा आँख पर समान कोण बनते हैं।
m = \(-\frac{\mathrm{D}}{\mathrm{AO}}=\frac{-\mathrm{D}}{-u}\)
⇒ m = \(\frac{\mathrm{D}}{u}\) ……………………….(1)
यदि अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है तो
u =f
∴ समी. (1) से,
m = \(\frac{\mathrm{D}}{f}\)
यह अभीष्ट सूत्र है।
प्रश्न 13.
1.56 अपवर्तनांक वाले एक द्विउत्तल लेन्स के दोनों पृष्ठों की वक्रता त्रिज्याएँ 20 सेमी हैं। यदि कोई वस्तु इस लेन्स से 10 सेमी दूर रखी जाती है तो प्रतिबिम्ब की स्थिति ज्ञात कीजिए। [1½]
उत्तर:
दिया है: n=1:56, R1 =R2 = 20 सेमी,u =-10 सेमी,v= ?
∵ द्विउत्तल लेन्स के लिए,
\(\frac{1}{f}=(n-1)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\right)\)
∴ \(\frac{1}{f}=(1.56-1)\left(\frac{1}{20}+\frac{1}{20}\right) \)
= \(0.56 \times \frac{2}{20}=\frac{0.56}{10}=0.056\) सेमी =
∴ f= \(\frac{1}{0.056}=\frac{1000}{56}\) = 17.86 सेमी
⇒ f = 17.86 सेमी
अब लेन्स-सूत्र से,
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
∴ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{-10}=\frac{1}{17 \cdot 86}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{1-1.786}{17.86}=-\frac{0.786}{17.86}\)
∴ v = \(\frac{-17 \cdot 86}{0.786}\) = -22.72 सेमी
प्रश्न 14.
एण्टी न्यूट्रिनो अवधारणा किस प्रकार β- क्षय में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन करता है? स्पष्ट कीजिए। [1½]
उत्तर:
एण्टी न्यूट्रिनो की अभिधारणा- जब एक न्यूट्रॉन, एक प्रोटॉन एवं इलेक्ट्रॉन में विघटित होता है तो एक अन्य उदासीन कण का उत्सर्जन होता है जिसका विराम द्रव्यमान शून्य होता है। यह उदासीन कण एण्टी-न्यूट्रिनों कहलाता है। इसे 7 से व्यक्त करते हैं। अतः न्यूट्रॉन के क्षय को निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं –
0nl → 1H1 + -1e0 + \(\overline{\mathrm{V}}\) (एण्टी-न्यूट्रिनों)
न्यूट्रिनों एक फोटॉन की तरह है जिसका आवेश शून्य एवं विराम द्रव्यमान भी शून्य होता
किसी नाभिक का β-क्षय निम्न प्रकार लिखा जाता है – zXA→ z+1YA + -1e0 + \(\overline{\mathrm{V}}\) +Qβ
इस प्रकार β-क्षय में नाभिक से जब एक इलेक्ट्रॉन व एण्टी न्यूट्रिनो निकलते हैं तो दोनों की ऊर्जाओं का योग अन्त बिन्दु ऊर्जा के बराबर होता है। इस प्रकार β-कण व एण्टी न्यूट्रिनो की कुल ऊर्जा नियत रहती है तथा अन्त बिन्दु ऊर्जा के बराबर होती है। इस प्रकार β-क्षय में ऊर्जा संरक्षण के नियम का पालन हो जाता है।
प्रश्न 15.
एक रेडियोएक्टिव प्रतिदर्श में सक्रिय नाभिकों की संख्या 6 घण्टे में अपने प्रारम्भिक मान की 6.25% रह जाती है। रेडियोएक्टिव प्रतिदर्श की अर्द्ध-आयु ज्ञात कीजिए। [1½]
उत्तर:
दिया है- t= 6 घंटे
\(\frac{N}{N_{0}}=\frac{6.25}{100}=\frac{1}{16}\)
सूत्र N = \(\mathrm{N}_{0}\left(\frac{1}{2}\right)^{n}\) से
\(\frac{N}{N_{0}}=\frac{1}{16}=\left(\frac{1}{2}\right)^{4}\)
अतः n=4
अतः अर्द्ध-आयु T1/2 =\(\frac{t}{n}=\frac{6}{4}\) = 1.5 घण्टे.
खण्ड-(स)
प्रश्न 16.
दोनों डीज में त्वरित आवेशित कणों (आयनों) के पथ को प्रदर्शित करता साइक्लोट्रॉन का व्यवस्था आरेख बनाइये। साइक्लोट्रॉन के निम्न प्राचलों की व्युत्पत्ति कीजिए।
(i) साइक्लोट्रॉन आवृत्ति (ii) साइक्लोट्रॉन में आयनों की गतिज ऊर्जा [1+1+1=3]
अथवा
(i) धारामापी का दक्षतांक किसे कहते हैं? इसके लिए सूत्र लिखिए।
(ii) किसी गैल्वेनोमीटर की आयताकार धारावाही कुण्डली पर कार्यरत बल-आघूर्ण के लिए व्यंजक व्युत्पन्न कीजिए। [½+½+2=3]
उत्तर:
(i) साइक्लोट्रॉन आवृत्ति-साइक्लोट्रॉन की आवृत्ति यदि n है तो
n = \(\frac{1}{T}\) = \(\frac{q \mathrm{~B}}{2 \pi m}\)
और साइक्लोट्रॉन की कोणीय आवृत्ति
ω = 2πn = 2π × \(\frac{q \mathrm{~B}}{2 \pi m}\) = \(\frac{q \mathrm{~B}}{2 \pi m}\)
(ii) प्राप्त ऊर्जा-धनावेशित कण द्वारा प्राप्त ऊर्जा
E = \(\frac{1}{2}\) mv2
∵v = \(\frac{q \mathrm{~B} r}{m}\)
∴ E = \(\frac{1}{2} m \times \frac{q^{2} \mathrm{~B}^{2} r^{2}}{m^{2}}\)
⇒ E = \(\frac{q^{2} \mathrm{~B}^{2} r^{2}}{m^{2}}\)
∴ धनांवेशित कण द्वारा प्राप्त की गई अधिकतम ऊर्जा
Emax = \(\left(\frac{q^{2} \mathrm{~B}^{2}}{2 m}\right) r_{\max }^{2}\)
अतः जब आवेशित कण अर्द्धचन्द्र की परिधि पर होगा (जहाँ त्रिज्या अधिकतम है) तो वह अधिकतम ऊर्जा ग्रहण कर चुका होगा |
यदि डीज के मध्य लगाया गया विभवान्तर (V) और दोनों डीज के मध्य माना N बार धनात्मक आयन अन्तराल को बाहर निकलने से पहले पार करता है।
∴Emax = N(Vq)
प्रश्न 17.
पतले लेंस के लिए लेंस मेकर सूत्र \(\frac{1}{f}=(\mathrm{n}-1)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\right)\) व्युत्पन्न कीजिए। [3]
अथवा
अपवर्ती दूरदर्शी से बने प्रतिबिम्ब के लिए किरण आरेख दर्शाइए। अपवर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता का सूत्र प्राप्त कीजिए जब प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता हो। [1½+1½=3]
उत्तर:
पतले लेंस के लिए सूत्र चित्र में एक पतला लेन्स दिखाया गया है जिसके दोनों ओर एक ही माध्यम वायु है। इसके दोनों पृष्ठों की वक्रता त्रिज्याएँ क्रमशः R1 व R2 हैं। लेन्स की अक्ष पर रखी एक बिन्दु वस्तु 0 का क्ष्य प्रतिबिम्ब पृष्ठ AP1B द्वारा ‘ बनता है और I’ का प्रतिबिम्ब पृष्ठ AP2B द्वारा I बनता है। इस प्रकार . पूरे लेन्स द्वारा 0 का प्रतिबिम्ब I बनता है।
अतः प्रथम पृष्ठ पर अपवर्तन के लिए,
\(\frac{n_{g a}}{v^{\prime}}-\frac{1}{u}=\frac{n_{g a}-1}{R_{1}}\) …………………………. (1)
के लिए आभासी वस्तु का कार्य करता है और अन्तिम प्रतिबिम्ब I बनता है, अतः दूसरे पृष्ठ पर अपवर्तन के लिए, :
\(\frac{n_{a g}}{v}-\frac{1}{\left(v^{\prime}-t\right)}=\frac{n_{a g}-1}{\mathrm{R}_{2}}\)
क्योंकि दूसरे पृष्ठ से I’ की दूरी = (v’ – t) जहाँ t पतले लेन्स की मोटाई है।
पतले लेन्स के लिए t का मान उपेक्षणीय होता है, अतः
\(\frac{n_{a g}}{v}-\frac{1}{v^{\prime}}=\frac{n_{a g}-1}{\mathbf{R}_{2}}\)
∵ nag = \(\frac{1}{n_{g a}}\)
∴ \(\frac{1}{n_{g a} \cdot v}-\frac{1}{v^{\prime}}=\frac{\frac{1}{n_{g a}}-1}{\mathrm{R}_{2}}=\frac{1-n_{g a}}{n_{g a} \cdot \mathrm{R}_{2}}\)
nga का समी. के दोनों ओर गुणा करने पर,
यदि लेन्स की फोकस दूरी f हो तो
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) ………………….(4)
समी (3) व (4) की तुलना करने पर
\(\frac{1}{f}=\left(n_{g a}-1\right)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}-\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\right)\) …………………….(5)
इसे लेन्स निर्माताओं का सूत्र कहते हैं। सामान्य रूप से उक्त सूत्र (5) को व्यापक रूप से निम्न प्रकार लिख सकते हैं – \(\frac{1}{f}=(n-1)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}-\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\right)\)
इसे लेन्स सूत्र कहते हैं।
प्रश्न 18.
(i) देहली आवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
(ii) भिन्न-भिन्न तीन धातुओं के लिए आवृत्ति के परिवर्तन के साथ उत्सर्जित फोटो इलेक्ट्रोनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा में परिवर्तन दर्शाने वाला ग्राफ खींचिए।
(iii) एक प्रकाश सुग्राहक धातु का कार्य-फलन 1.875 eV है। आपतित प्रकाश की उस तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए। जो प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का ठीक उत्सर्जन कर सके। [1+1+1=3]
अथवा
(i) हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत लिखिए।
(ii) प्रकाश वैद्युत प्रभाव के सम्बन्ध में हर्ट्स के प्रेक्षण के बारे में बताओ। यह किस कारण की व्याख्या नहीं कर सका? [1+1+1=3]
(iii) एक स्पेक्ट्रमी रेखा की तरंगदैर्ध्य 4000A है। आवृत्ति एवं ऊर्जा की गणना कीजिए।
उत्तर:
(i) आपतित प्रकाश की इस न्यूनतम आवृत्ति को, जो किसी पदार्थ से प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन कर सके, उस पदार्थ की ‘देहली आवृत्ति’ अथवा ‘संस्तब्ध आवृत्ति’ कहते हैं।
(ii)
(iii) दिया है Φ=1.875eV
λ0 =?
Φ0 = \(\frac{h c}{\lambda_{0}}\)
λ0 = \(\frac{h c}{\phi_{0}}=\frac{1242 m-e \mathrm{~V}}{1.875 \mathrm{eV}}\)
λ0 = 662 नैनोमीटर
खण्ड -(द)
प्रश्न 19.
गाउस प्रमेय का कथन दीजिए तथा इसका गणितीय रूप लिखिए। जब qआवेश बन्द पृष्ठ के अन्दर स्थित है तब गॉउस का गणितीय रूप प्राप्त कीजिए। [1+1+2=4]
अथवा
(i) कूलॉम के नियम का सदिश रूप का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
(ii) समरूपी वैद्युत क्षेत्र में स्थित विद्युत द्विध्रुव पर कार्यरत बलापूर्ण का व्यंजक लिखिए।
(iii) समान प्रकृति के दो आवेश (q) परस्पर d दूरी पर स्थित हैं, इनको मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर तीसरा आवेश Q कूलॉम रखा है।
Q के किस मान के लिए निकाय सन्तुलन में होगा? [1½+½+2=4]
उत्तर:
19. गाउस प्रमेय का कथन- गाउस प्रमेय के अनुसार, किसी बन्द पृष्ठ से गुजरने वाला वैद्युत फ्लक्स, उस पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल नेट \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) आवेश का – गुना होता है। गणितीय रूप में, विद्युत् क्षेत्र में बन्द लूप के लिए विद्युत् क्षेत्र का पृष्ठीय समाकलन विद्युत् फ्लक्स के बराबर होता है।
ΦE = \(\oint_{S} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{S}}=\frac{q}{\varepsilon_{0}}\) ………………..(1)
जहाँ εo = निर्वात् में विद्युतशीलता है।
यदि बन्द पृष्ठ द्वारा परिबद्ध कुल आवेश शून्य है (अथवा बन्द पृष्ठ के भीतर कोई आवेश न हो या आवेश बन्द पृष्ठ के बाहर हो) तो पृष्ठ से बाहर निकलने वाला कुल अभिलम्बवत् फ्लक्स शून्य होता है
अर्थात्
ΦE = \(\oint_{S} \overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{S}}\) =0 ……………………… (2)
उपपत्ति (Proof):
(i) जब आवेश बन्द पृष्ठ के अन्दर स्थित है- माना कि S क्षेत्रफल का एक बन्द पृष्ठ है जिसके अन्दर O बिन्दु पर एक बिन्दु आवेश q रखा है।
सम्पूर्ण पृष्ठ को अनन्त सूक्ष्म पृष्ठ अवयवों ds से मिलकर बना माना जा सकता है। पृष्ठ पर स्थित बिन्दु P पर एक सूक्ष्म पृष्ठ अवयव \(\overrightarrow{d \mathrm{~S}}\) पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता \(\overrightarrow{\mathrm{E}}\) है।
क्षेत्रफल वेक्टर \(\overrightarrow{d \mathrm{~S}}\) व विद्युत् क्षेत्र \(\vec{E}\) के मध्य कोण θ है। O से P की दूरी r है अतः
\(\overrightarrow{\mathrm{E}}=\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r^{2}} \cdot \hat{r}\)
जहाँ \(\hat{r}\) OP दिशा में एकांक वेक्टर है।
अब सूक्ष्म क्षेत्रफल ds के अभिलम्बवत् बाहर निकलने वाला कुल वैद्युत फ्लक्स
dΦE = \(\overrightarrow{\mathrm{E}} \cdot d \overrightarrow{\mathrm{S}}\) = Eds cos θ
= \(\frac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{q}{r^{2}} \cdot d \mathrm{~S} \cos \theta\)
= \(\frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0}} \frac{d \mathrm{~S} \cos \theta}{r^{2}}=\frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0}} d \omega\)
जहाँ dω = \(\frac{d \mathrm{~S} \cos \theta}{r^{2}}\) = सूक्ष्म क्षेत्रफल ds द्वारा O पर बना घन कोण अंतः सम्पूर्ण बन्द पृष्ठ से निर्गत वैद्युत फ्लक्स
ΦE = \(\oint_{S} \cdot d \phi=\oint_{S} \frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0}} d \omega\)
⇒ ΦE = \(\frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0}} \oint_{S} \cdot d \omega=\frac{q}{4 \pi \varepsilon_{0}} 4 \pi\)
(क्योंकि \(\oint_{S} \cdot d \omega=4 \pi\) )
⇒ ΦE = \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\) .q
यही गाउस प्रमेय का कथन है।
बाहर निकलने वाला कुल वैद्युत फ्लक्स यदि बन्द पृष्ठ के भीतर अनेक बिन्दु आवेश q1, q2, …., qn, हों तो प्रत्येक बिन्दु आवेश के
कारण पृष्ठ से वैद्युत फ्लक्स बाहर निकलेगा।
अतः कुल फ्लक्स इन सभी फ्लक्सों के योग के बराबर होगा अर्थात्
ΦE = Φ1+Φ2 ……………………….. + Φn
= \(\frac{q_{1}}{\varepsilon_{0}}+\frac{q_{2}}{\varepsilon_{0}}+\ldots \ldots+\frac{q_{n}}{\varepsilon_{0}}\)
= \(\frac{1}{\varepsilon_{0}}\left[q_{1}+q_{2}+\ldots \ldots \ldots+q_{n}\right]\)
⇒ ΦE = \(\frac{1}{\varepsilon_{0}} \cdot \Sigma q\)
जहाँ Σq बन्द पृष्ठ के अन्दर कुल आवेशों का बीजगणितीय योग है। यही अभीष्ट सूत्र है।
प्रश्न 20.
(i) P-N संधि डायोड के उत्क्रम बायस में ऐवलांशी भंजन तथा जेनर भंजन में विभेद कीजिए।
(ii) P-N संधि डायोड के स्थैतिक अभिलक्षणों के लिए धारा वोल्टेज I-V समीकरण दीजिए। [2+2=4]
अथवा
लॉजिक गेट एवं सत्यता सारणी को परिभाषित कीजिए। सार्वत्रिक द्वारों के नामोल्लेख करते हुए प्रतीक एवं सत्यता सारणी दीजिए। [1+1+1+1=4]
उत्तर:
(i)
जेनर भंजन तथा एवलांशी भंजन में अन्तर
ऐवलांशी भंजन | जेनर भंजन |
1. इसमें p-n सन्धि निर्माण में कम डोपिंग होती | | 1. इसमें p-n सन्धि निर्माण में अधिक डोपिंग होती है। |
2. इसमें संयोजी बैण्ड में सह-संयोजक बन्ध इलेक्ट्रॉन तथा होलों की संयोजी इलेक्ट्रॉन की टक्करों के कारण टूटते हैं। | 2. इसमें सहसंयोजक बन्ध स्वयं टूटते हैं। |
3. इसमें भंजन के लिए अधिक पश्च विभव आवश्यकता होती है। | 3. इसमें भंजन के लिए अल्प पश्च विभव की की आवश्यकता होती है। |
4. इसमें विद्युत् क्षेत्र के कारण ताप जनित इलेक्ट्रॉन अन्य परमाणुओं को आयनित कर इलेक्ट्रॉन मुक्त कराते हैं। | 4. इसमें उच्च पश्च विभव (≈ 20 V) के कारण सन्धि के निकट सह-संयोजक बन्ध टूट जाते हैं तथा इलेक्ट्रॉन मुक्त हो जाते हैं। |
(ii) p-n संधि डायोड के स्थैतिक अभिलक्षणों के लिए धारा वोल्टेज समीकरण:
p-n सन्धि डायोड का dc व्यवहार प्रदर्शित करने वाले अभिलक्षण स्थैतिक अभिलक्षण कहलाते हैं। ये अभिलक्षण बोल्ट्जमैन-डायोड I-V समीकरण से वर्णित किये जा सकते हैं। बोल्ट्जमैन-डायोड समीकरण निम्नलिखित हैं – I=I0 [eeV/nkT -1] …………………….(1)
जहाँ I0 = T K ताप पर उत्क्रम संतृप्त धारा
k= बोल्ट्ज मैन नियतांक = 1:38x 10-23 JK-1,
V= वोल्ट में विभवान्तर (अग्र-अभिनति में धनात्मक और उत्क्रम-अभिनति में ऋणात्मक),
η = 1 जर्मेनियम (Ge) के लिए और
η= 2 सिलिकॉन (Si) के लिए है।
उक्त समी. (1) भंजक वोल्टेज (जेनर वोल्टेज) तक लागू होती है।
अग्र-अभिनति में V धनात्मक एवं निम्न होता है अतः
[eeV/nkT – 1] >>1
∴ अधिक अग्र धारा के लिए IF= I0 [eeV/nkT – 1] …………………….. (2)
इस समीकरण द्वारा यह स्पष्ट है कि दिये गये ताप पर अग्र धारा (If), अग्र वोल्टेज (Vf) बढ़ाने पर चरघातांकी रूप से बढ़ती है।
पश्च अभिनति या उत्क्रम अभिनति में v ऋणात्मक एवं उच्च (high) होता है अतः
[eeV/nkT – 1] <<1
अतः उत्क्रम धारा
IR = I0[eeV/nkT – 1] …………………………….. (3)
से IR= – I0 …………………. (4)
इस समी. (4) से स्पष्ट है कि पश्च संतप्त धारा आरोपित वोल्टता (V) पर निर्भर नहीं करती है।
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