Students must start practicing the questions from RBSE 12th Political Science Model Papers Set 4 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 4 with Answers in Hindi
समय : 2:45 घण्टे
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर:पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्नप्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में उत्तर: का सही विकल्प चयन कर उत्तर: पुस्तिका में लिखें
(i) क्यूबा मिसाइल संकट उत्पन्न हुआ था? [1]
(अ) 1945-1990 तक
(ब) 1960-1961 तक
(स) 1958-1962 तक
(द) अक्टूबर 1962 से नवम्बर 1962 तक
उत्तर:
(द) अक्टूबर 1962 से नवम्बर 1962 तक
(ii) सोवियत संघ के किस नेता ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की नीति शुरू की थी? [1]
(अ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ब) एन. खुश्चेव
(स) एल. ब्रेझनेव
(द) जॉसेफ स्टालिन
उत्तर:
(ब) एन. खुश्चेव
(iii) सार्क (दक्षेस) सचिवालय कहाँ स्थित है? [1]
(अ) नई दिल्ली
(ब) काठमांडू
(स) ढाका
(द) इस्लामाबाद
उत्तर:
(ब) काठमांडू
(iv) 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का परिणाम हुआ ? [1]
(अ) भारत-पाकिस्तान विरोध
(ब) बांग्लादेश का उदय
(स) शरणार्थियों की वापसी
(द) कश्मीर समस्या का उदय
उत्तर:
(ब) बांग्लादेश का उदय
(v) अन्टार्कटिका संधि किस वर्ष हुयी थी? [1]
(अ) 1987
(ब) 1959
(स) 1991
(द) 1992
उत्तर:
(ब) 1959
(vi) सीमांत गाँधी के नाम से किसे जाना जाता है? [1]
(अ) खान अब्दुल गफ्फार खान
(ब) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(स) श्यामा प्रसाद मुखर्जी
(द) पोट्टी श्रीरामुलु
उत्तर:
(अ) खान अब्दुल गफ्फार खान
(vii) गरीबी पर आधारित फिल्म पाथेर पांचाली के निर्देशक थे? [1]
(अ) कानू बनर्जी
(ब) सुबीर बनर्जी
(स) सत्यजीत रे
(द) विभूति भूषण बंदोपाध्याय
उत्तर:
(स) सत्यजीत रे
(viii) चिपको आंदोलन के प्रणेता थे?. [1]
(अ) बाबा आम्टे
(ब) सुन्दरलाल बहुगुणा
(स) मेधा पाटेकर
(द) अन्ना हजारे
उत्तर:
(ब) सुन्दरलाल बहुगुणा
(ix) प्रथम आम चुनाव में कौन-सी पार्टी दूसरे स्थान पर रही? [1]
(अं) स्वतंत्र पार्टी
(ब) सोशलिस्ट पार्टी
(स) ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ
(द) कम्युनिस्ट पार्टी
उत्तर:
(द) कम्युनिस्ट पार्टी
(x) संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग हैं? [1]
(अ) 2
(ब) 3
(स) 6
(द) 8
उत्तर:
(स) 6
(xi) ‘ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी’ नामक भाषण किसने दिया था? [1]
(अ) महात्मा गाँधी
(ब) जवाहरलाल नेहरू
(स) राजेन्द्र प्रसाद
(द) सरदार वल्लभ भाई पटेल
उत्तर:
(ब) जवाहरलाल नेहरू
(xii) स्वतंत्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री कौन थे? [1]
(अ) महात्मा गाँधी
(ब) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(स) राजेन्द्र प्रसाद
(द) पं. नेहरू
उत्तर:
(ब) सरदार वल्लभ भाई पटेल
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) विश्व बैंक की स्थापना सन् …… में हुई थी। [1]
उत्तर:
47 1944
(ii) भारत ने 2 अक्टूबर 2016 को …………….. जलवायु समझौते को अनुमोदित किया। [1]
उत्तर:
पेरिस
(iii) पारम्परिक ……………… की स्थिति ने युद्ध नहीं होने दिया। [1]
उत्तर:
अपरोध
(iv) मध्य एशियाई गणराज्यों में ……………………… संसाधनों का विशाल भंडार है। [1]
उत्तर:
पेट्रोलियम
(v) महाराष्ट्र में ……………. में दलित युवाओं का एक संगठन …….. बना। [1]
उत्तर:
1972, दलित पैंथर्स
(vi) हिन्दुत्व अथवा हिंदूपन शब्द को ……………………. ने गढ़ा था। [1]
उत्तर:
वी.डी. सावरकर।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर: एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए
(i) नाटो का पूरा नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organisation)
(ii) सोवियत संघ के विघटन में केन्द्रीय भूमिका किसने निभायी थी? [1]
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन ने।
(iii) विश्व रक्षा किसे कहा जाता है? [1]
उत्तर:
सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा को मानवता की सुरक्षा अथवा विश्व रक्षा कहा जाता है।
(iv) सन् 2000 में किन-किन राज्यों का निर्माण किया गया? [1]
उत्तर:
झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल (उत्तराखंड) का।
(v) द्वितीय पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य बताइए। [1]
उत्तर:
तीव्र गति से संरचनात्मक विकास करना।
(vi) शेतकारी संगठन ने किसान आंदोलनों को किसकी संज्ञा दी? [1]
उत्तर:
इण्डिया की ताकतों (शहरी औद्योगिक क्षेत्र) के खिलाफ भारत (ग्रामीण कृषि क्षेत्र) का संग्राम।
(vii) मूलवासी कहाँ रहते हैं? [1]
उत्तर:
मूलवासी मुख्यतः आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, मध्य व दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका व दक्षिणी-पूर्वी एशिया में रहते हैं।
(viii) पूँजीवादी गुट के सदस्य देशों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
(vii) संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस।
(ix) मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ में सुधार हेतु क्या-क्या प्रयत्न किये? [1]
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव ने देश के अन्दर आर्थिक, राजनीतिक सुधारों एवं लोकतंत्रीकरण की नीति को संचालित किया।
(x) सूचना के अधिकार आंदोलन की शुरुआत कब हुयी? इसका नेतृत्व किसने किया? [1]
उत्तर:
1990, नेतृत्व मजदूर किसान शक्ति संगठन ने किया।
(xi) मंडल मुद्दे से आप क्या समझते हैं? [1]
उत्तर:
अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के समर्थक व विरोधियों के बीच चले विवाद को मंडल मुद्दा कहा जाता है।
(xii) भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था क्यों कहा गया है? [1]
उत्तर:
भारत ने पूँजीवादी मॉडल व समाजवादी मॉडल की मुख्य बातों को अपने देश में मिले-जुले रूप में लागू किया। इसी कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
सोवियत प्रणाली के प्रमुख दोषों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2]
उत्तर:
(i) सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का पूर्ण नियन्त्रण था। सोवियत प्रणाली सत्तावादी होती चली गयी तथा जनसाधारण का जीवन लगातार कठिन होता चला गया।
(ii) सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का एक दलीय कठोर शासन था। साम्यवादी दल का देश की समस्त संस्थाओं पर कड़ा नियन्त्रण था तथा यह दल जनसाधारण के प्रति उत्तरदायी भी नहीं था।
(iii) सोवियत संघ के पन्द्रह गणराज्यों में रूस का अत्यधिक वर्चस्व था तथा शेष चौदह गणराज्यों के लोग स्वयं को उपेक्षित तथा दबा हुआ समझते थे।
(iv) सोवियत प्रणाली प्रौद्योगिकी तथा आधारभूत ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में विफल रहने के साथ ही पाश्चात्य देशों से काफी पिछड़ गई।
प्रश्न 5.
शीतयुद्ध के सकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
1. शीतयुद्ध के सकारात्मक प्रभावशीतयुद्ध के सकारात्मक प्रभावों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
(i) गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की उत्पत्तिदीनों महाशक्तियों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ में शीतयुद्ध के कारण सम्पूर्ण विश्व दो प्रतिद्वंद्वी गुटों में बँट रहा था। गुटों में सम्मिलित होने से बचने के लिए गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का जन्म एवं विकास हुआ, जिसके तहत तीसरी दुनिया के देश अपनी स्वतन्त्र विदेश नीति का पालन कर सके।
(ii) शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व को प्रोत्साहनदोनों महाशक्तियों के मध्य शीतयुद्ध की भयावहता के कारण सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न देशों के मध्य शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व को भी प्रोत्साहन मिला।
(iii) नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की धारणा का जन्म-गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में ‘ सम्मिलित अधिकांश देशों को अल्पविकसित देश का दर्जा प्राप्त था। इन देशों के समक्ष मुख्य चुनौती अपने देश का आर्थिक विकास करना था।
प्रश्न 6.
मानवता, शान्ति एवं अहिंसा के मित्र क्या दो माँग कर रहे हैं ? [2]
उत्तर:
मानवता, शान्ति एवं अहिंसा के मित्र निम्न दो माँगें कर रहे हैं
(1) वह धन की माँग करते हैं जिससे शान्ति, मानव कल्याण तथा मानवाधिकारों की समर्थक संस्थाओं का सहयोग किया जा सके।
(2) वे लोग शान्ति तथा अहिंसा के पक्ष में कानून पारित किये जाने की माँग करते हैं, जिससे देश में आन्तरिक रूप से खतरा पैदा करने वाली अथवा बाहरी खतरनाक शक्तियों से मुकाबला किया जा सके।
प्रश्न 7.
गठबंधन युग के कुछ उदाहरण बताइए। [2]
उत्तर:
गठबंधन युग के कुछ उदाहरण निम्नलिखित
(i) सन् 1989 के चुनावों में कांग्रेस की पराजय। संयुक्त मोर्चा का जनता दल तथा कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों को मिलाकर बनाया जाना और दो राजनैतिक समूहों (वाम मोर्चा) तथा भाजपा के समर्थन से वी.पी.सिंह द्वारा सरकार का गठन।
(ii) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार दो बार सन् 1998 से लेकर सन् 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में रही।
(iii) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सन् 2004 से 2014 तक रही।
प्रश्न 8.
प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस को भारी सफलता प्राप्त होने के कारणों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
(i) कांग्रेस दल ने प्रथम आम चुनाव में लोकसभा की कुल 489 सीटों में 364 सीटें जीर्ती और इस प्रकार वह किसी भी प्रतिद्वंद्वी से चुनावी दौड़ में आगे निकल गई।
(ii) लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ विधानसभा के चुनाव भी कराए गए थे। विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को बड़ी जीत प्राप्त हुई।
(iii) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रचलित नाम कांग्रेस पार्टी था और इस पार्टी को स्वाधीनता संग्राम की विरासत प्राप्त थी। उस समय एकमात्र यही पार्टी थी, जिसका संगठन सम्पूर्ण देश में था।
(iv) कांग्रेस पार्टी में स्वयं जवाहरलाल नेहरू ने, जो भारतीय राजनीति के सबसे लोकप्रिय नेता थे, कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया और पूरे देश का दौरा किया। जब चुनाव परिणामों की घोषणा हुई तो कांग्रेस पार्टी की बहुत बड़ी जीत से सभी को आश्चर्य हुआ।
प्रश्न 9.
आजादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया ? [2]
उत्तर:
(1) विकास का अर्थ समाज के प्रत्येक वर्ग हेतु अलग-अलग होता है। कुछ अर्थशास्त्री तथा रक्षा व पर्यावरण विशेषज्ञों का मत था कि पश्चिमी देशों की तरह पूँजीवाद व उदारवाद को महत्त्व दिया जाए जबकि अन्य लोग विकास के सोवियत मॉडल का समर्थन कर रहे थे।
(2) विकास के क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि हो तथा सामाजिक न्याय भी मिले- इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन-सी भूमिका निभाए ? इस सवाल पर मतभेद थे।
(3) कुछ लोग औद्योगीकरण को विकास का सही रास्ता मानते थे जबकि कुछ अन्य लोग यह मानते थे कि कृषि का विकास करके ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी दूर करना ही विकास का प्रमुख मानदण्ड होना चाहिए।
प्रश्न 10.
1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यापार व विकास से सम्बन्धित सम्मेलन में अल्पविकसित देशों के लिए किन । सुधारों की चर्चा की गयी? [2]
उत्तर:
(i) अल्प-विकसित देशों को अपने उन प्राकृतिक संसाधनों पर नियन्त्रण प्राप्त होगा जिनका दोहन पश्चिम के विकसित देश करते
(ii) अल्प-विकसित देशों की पहुँच पश्चिमी देशों के बाजारों तक होगी, वे अपना सामान बेच सकेंगे और इस तरह गरीब देशों के लिए यह व्यापार फायदेमन्द होगा।
(iii) पश्चिमी देशों से मँगाई जा रही प्रौद्योगिकी ‘की लागत कम होगी।
(iv) अल्प-विकसित देशों की अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं में भूमिका बढ़ेगी।
प्रश्न 11.
सोवियत संघ को एक महाशक्ति बनाने में सहायक कारक कौन-से रहे? [2]
उत्तर:
(i) सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत अधिक उन्नत अवस्था में था। यहाँ पिन से लेकर कार तक समस्त वस्तुओं का उत्पादन होता था। यद्यपि सोवियत संघ के उपभोक्ता उद्योग में निर्मित होने वाली वस्तुएँ गुणवत्ता के दृष्टिकोण से पश्चिमी देशों के स्तर के समकक्ष नहीं थीं।
(ii) सोवियत संघ की सरकार ने अपने देश के समस्त नागरिकों को बुनियादी सुविधाएँ प्रदान कर रखी थीं; जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, बच्चों की देखभाल एवं यातायात सुविधाएँ आदि प्रमुख थीं।
(iii) सोवियत संघ में बेरोजगारी नहीं थी।
(iv) सोवियत संघ में भूमि, सम्पत्ति एवं अन्य उत्पादक संस्थाओं पर राज्य का स्वामित्व एवं नियन्त्रण था।
(v) सोवियत संघ के पास परमाणु हथियारों के साथ-साथ आधुनिक हथियार भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे।
प्रश्न 12.
आप इस कथन से कहाँ तक सहमत हैं कि लोकतन्त्र विश्व के धनी देशों में फल-फूल सकता है ? [2]
उत्तर:
(i) दक्षिण एशियाई देशों में लोकतन्त्र की ‘ लोकप्रियता की पुष्टि इस क्षेत्र के पाँच बड़े देशों में किए गए एक सर्वेक्षण से होती है। इस सर्वेक्षण में इन पाँचों देशों की जनता ने लोकतन्त्र के लिए व्यापक जन समर्थन प्रदान किया है।
(ii) दक्षिण एशिया के पाँच बड़े देशों में किए गए एक सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि इन देशों में लोकतन्त्र को व्यापक समर्थन मिलता है। इन देशों के लोग शासन की किसी अन्य प्रणाली की अपेक्षा लोकतन्त्र को वरीयता देते हैं। उनका मत है कि उनके देश के लिए लोकतन्त्र ही सही है।
(iii) मैं पूरी तरह इस बात से असहमत हूँ कि लोकतन्त्र केवल विश्व के धनी देशों में ही फल-फूल सकता है। इस बात की पुष्टि दक्षिण एशिया के देशों में हुए सर्वेक्षण से भी होती है। दक्षिण एशिया के देश विश्व में धनी देश नहीं माने जाते हैं। इसके बाद भी यहाँ जनता के बीच लोकतन्त्र की लोकप्रियता व्यापक है।
प्रश्न 13.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते आतंकवाद के पीछे क्या कारण हैं ? [2]
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहे आतंकवाद के पीछे निम्नलिखित कारण हैं
(i) तकनीक तथा सूचना प्रौद्योगिकी में तेजी से हुई प्रगति ने आतंकवादियों के दुस्साहस में अभिवृद्धि की है। यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से आतंकवाद आज सम्पूर्ण विश्व में अपने पैर जमा चुका है।
(ii) तस्करी, जमाखोरी, वायुयानों के अपहरण तथा पानी के जहाजों को बन्धक बनाने जैसी घटनाओं के पीछे विश्व अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण है। आतंकवादियों द्वारा किसी भी देश की मुद्रा का अन्तरण करना सरल हो गया है।
(iii) अत्याधुनिक हथियारों को नवीन प्रौद्योगिकी द्वारा निर्मित करके उन्हें बेचने की प्रतिस्पर्धा शीतयुद्ध दौर की शैली है। व्यापक स्तर पर उन्माद जाग्रत करके आतंकवाद की खूनी होली खेलने के हथियारों को बनाने वाली कम्पनियाँ सरकार तथा व्यापारी समान रूप से उत्तरदायी हैं।
(iv) यातायात के सुगम साधनों तथा स्वतः चलित यानों ने भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर
आतंकवाद को प्रोत्साहन दिया है।
प्रश्न 14.
भारत व मैक्सिको में पार्टी प्रभुत्व के बीच क्या अन्तर है? [2]
उत्तर:
(i) भारत और मैक्सिको में एकल पार्टी का प्रभुत्व सम्बन्धी अन्तर यह है कि भारत में कांग्रेस का प्रभुत्व एक साथ न रहा, जबकि मैक्सिको में पी. आर. आई. का शासन निरंतर 60 वर्षों तक चला।
(ii) भारत और मैक्सिको में क पार्टी के प्रभुत्व के मध्य एक बड़ा अन्तर यह है कि मैक्सिको में एक पार्टी का प्रभुत्व लोकतंत्र की कीमत पर कायम हुआ, जबकि भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। भारत में कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ प्रारंभ से ही अनेक पार्टियाँ चुनाव में राष्ट्रीय स्तर व क्षेत्रीय स्तर के रूप में भाग लेती रहीं जबकि मैक्सिको में ऐसा नहीं हुआ।
(iii) भारत में प्रजातांत्रिक संस्कृति व प्रजातांत्रिक प्रणाली के अन्तर्गत कांग्रेस का प्रभुत्व रहा जबकि मैक्सिको में शासक दल की तानाशाही के कारण इसका प्रभुत्व रहा।
प्रश्न 15.
अर्थव्यवस्था के मिश्रित मॉडल के पक्ष में तर्क दीजिए। [2]
उत्तर:
(1) निजी क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है। अतः इसके सभी निर्णय लाभ की मात्रा पर आधारित होते हैं।
(2) अर्जित सम्पत्ति पर व्यक्ति का स्वयं का अधिकार होता है। वह इसका प्रयोग करने हेतु स्वतंत्र होता है।
(3) राज्य का हस्तक्षेप न्यूनतम रहता है। सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु वह आर्थिक क्रियाओं में हस्तक्षेप करता है।
(4) प्रत्येक आर्थिक क्षेत्र में व्यक्ति को – स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
(5) कीमत यंत्र स्वतंत्रतापूर्वक कार्य करता है। व्यवसाय के क्षेत्र, जैसे-उत्पादन, उपभोग, वितरण में कीमत यंत्र ही मार्ग निर्देशित करता है।
(6) इस क्षेत्र हेतु उत्पादन तथा मूल्य निर्धारण में प्रतिस्पर्धा पायी जाती है। माँग और पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियाँ ही उत्पादन की मात्रा एवं मूल्य निर्धारित करती हैं।
प्रश्न 16.
सन् 1971 के चुनावों के परिणामस्वरूप बदली हुई कांग्रेस व्यवस्था की प्रकृति कैसी थी ? [2]
उत्तर:
(i) सन् 1971 के चुनाव के पश्चात् इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस को अपने सर्वोच्च नेता पर निर्भर रहने वाली पार्टी बना दिया। यहाँ से उनके आदेश सर्वोपरि बनने प्रारम्भ हुए। सिंडिकेट जैसे अनौपचारिक प्रभावशाली नेताओं का समूह राजनीतिक मंच से हट गया।
(ii) सन् 1971 के पश्चात् कांग्रेस का संगठन भिन्न-भिन्न विचारधाराओं वाले समूहों के समावेशी किस्म का नहीं रहा। अब यह अनन्य एकाधिकारिता वाला बन गया था।
(iii) इंदिरा की कांग्रेस को गरीबों, महिलाओं, दलित समूहों, जनजाति समूहों के लोगों ने जिताया था। यह धनी उद्योगपतियों, सौदागरों तथा राजनीतिज्ञों के समूह अथवा सिंडिकेट के हाथों की कठपुतली अब नहीं रही। वस्तुतः यह पहले की कांग्रेस पार्टी का पूर्णरूप से बदला हुआ स्वरूप था।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरदय प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
नेपाल में राजतंत्र से लोकतंत्र स्थापित होने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
बांग्लादेश में लोकतंत्र की स्थापना की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। [3]
उत्तर:
बांग्लादेश में लोकतन्त्र की स्थापना की प्रक्रिया
(i) संसदीय लोकतन्त्र की स्थापनास्वतन्त्रता के तुरन्त पश्चात् स्वतन्त्र बांग्लादेश की सरकार का गठन हुआ। बांग्लादेश ने अपना एक संविधान बनाया जिसमें इसे धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं समाजवादी देश घोषित किया गया।
(ii) संसदीय लोकतन्त्र के स्थान पर अध्यक्षीय लोकतन्त्र-सन् 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश के संविधान में संशोधन कराया, जिसमें संसदीय शासन के स्थान पर अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को मान्यता दी गयी। शेख मुजीब ने अपनी पार्टी अवामी लीग को छोड़कर अन्य समस्त पार्टियों को समाप्त कर दिया, जिससे बांग्लादेश में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस स्थिति में अगस्त 1975 में बांग्लादेशी सेना ने शेख मुजीब के विरुद्ध बगावत कर दी। सेना द्वारा शेख मुजीब की हत्या कर दी गयी।
(ii) सैनिक शासन की स्थापना-शेख मुजीब की हत्या के पश्चात् नये सैनिक शासक जियाउर्रहमान ने अपनी बांग्लादेश नेशनल पार्टी का निर्माण किया और सन् 1977 ई. के चुनाव में एच. एम. इरशाद के नेतृत्व में एक और सैनिक सरकार का गठन किया गया।
(iv)लोकतन्त्र स्थापना की माँग-सैनिक शासन की स्थापना के बावजूद बांग्लादेश में लोकतन्त्र की स्थापना की माँग निरन्तर उठती रही। लोकतन्त्र की स्थापना से सम्बन्धित आन्दोलन में छात्रों ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। लगातार विरोध को देखते हुए जनरल इरशाद ने बाध्य होकर राजनीतिक गतिविधियों की छूट दे दी। इसके स्थान पर जनरल इरशाद आगामी 5 वर्षों के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। सन् 1990 ई. में जनता के व्यापक विरोध के आगे झुकते हुए लेफ्टिनेंट जनरल इरशाद को राष्ट्रपति के पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
(v) पुनः लोकतन्त्र की स्थापना-सन् 1991 में बांग्लादेश में चुनाव हुए। इसके पश्चात् बांग्लादेश में बहुदलीय चुनावों पर आधारित प्रतिनिधिमूलक लोकतन्त्र आज तक स्थापित है।
प्रश्न 18.
एजेण्डा-21 से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख बिन्दुओं को स्पष्ट कीजिए। [3]
अथवा
भारत में साहित्यिक पावन वन प्रान्तर के महत्व को समझाइए। [3]
उत्तर:
एजेण्डा -21 का अभिप्राय-सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण एवं विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में हुआ था। इस सम्मेलन को पृथ्वी सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है। इस पृथ्वी सम्मेलन में 170 देशों के प्रतिनिधियों, हजारों स्वयंसेवी संगठनों तथा अनेक बहुराष्ट्रीय निगमों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन के दौरान विश्व राजनीति में पर्यावरण को एक ठोस स्वरूप मिला। इस अवसर पर 21वीं सदी के लिए एक विशाल कार्यक्रम अर्थात् एजेण्डा-21 पारित किया गया। सभी राज्यों से निवेदन किया गया कि वे प्राकृतिक सन्तुलन को बनाए रखें, पर्यावरण के प्रदूषण को रोकें तथा पोषणीय विकास का रास्ता अपनाएँ।
एजेण्डा: 21 के प्रमुख बिन्दु निम्नवत् थे
(1) पर्यावरण एवं विकास के मध्य सम्बन्ध के मुद्दों को समझा जाए।
(2) ऊर्जा का अधिक कुशल तरीके से प्रयोग किया जाए।
(3) किसान भाइयों को पर्यावरण सम्बन्धी जानकारी दी जाए।
(4) प्रदूषण फैलाने वालों पर भी अर्थदण्ड लगाए जाए, तथा
(5) इस दृष्टिकोण से राष्ट्रीय योजनाएँ बनाई एवं लागू की जाएँ।
प्रश्न 19.
नर्मदा बचाओ आंदोलन ने नर्मदा घाटी की बाँध परियोजनाओं का विरोध क्यों किया?[3]
अथवा
जन आंदोलन व दल आधारित आंदोलनों के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
गुजरात के सरदार सरोवर और मध्य प्रदेश के नर्मदा सागर बाँध के रूप में दो सबसे बड़ी और बहु-उद्देश्यीय परियोजनाओं का निर्धारण किया गया। नर्मदा नदी के बचाव में नर्मदा बचाओ आन्दोलन चला। इस आन्दोलन ने बाँधों के निर्माण का विरोध किया। नर्मदा बचाओ आन्दोलन इन बाँधों के निर्माण के साथ-साथ देश में चल रही विकास परियोजनाओं के औचित्य पर भी सवाल उठाता रहा है। नर्मदा आन्दोलन अपने गठन की शुरुआत से ही सरदार सरोवर परियोजना को विकास परियोजनाओं के मुद्दों से जोड़कर देखता रहा है। आन्दोलनकारियों द्वारा बाँध परियोजनाओं के निर्माण के विरोध में निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किए।
(i) बाँध से प्रकृति, नदियों, पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिस क्षेत्र में बाँध बनाए जाते हैं वहाँ रह रहे गरीबों के घर-बार, उनकी खेती योग्य भूमि, वर्षों से चले आ रहे कुटीर उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ; सरदार सरोवर परियोजना पूर्ण होने पर संबंधित राज्यों (गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र) के 245 गाँव डूब (जल-मग्न) के क्षेत्र में सम्मिलित हैं।
(ii) परियोजना पर किए जाने वाले खर्च में हेरा-फेरी के दोष उजागर करना भी परियोजना विरोधी स्वयंसेवकों का प्रमुख उद्देश्य था।
(iii) वे प्रभावित लोगों की आजीविका तथा उनकी संस्कृति के साथ-साथ पर्यावरण को भी बचाना चाहते थे। वे जल, जंगल तथा जमीन पर प्रभावित लोगों का नियंत्रण अथवा उन्हें उचित मुआवजा तथा उनका पुनर्वास चाहते थे।
(iv) आन्दोलन ने एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न यह भी उठाया कि लोकतंत्र में कुछ लोगों के लाभ के लिए अन्य लोगों को नुकसान क्यों उठाना चाहिए?
(v) ऐसी परियोजनाओं की निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों की भागीदारी होनी चाहिए।
प्रश्न 20.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं? [3]
अथवा
भारत में दलगत व्यवस्था की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-सी हैं? अयोध्या विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की? [3]
उत्तर:
सन् 1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे
(i) लोकसभा के आम चुनावों में कांग्रेस की भारी हार हुई। उसे केवल 197 सीटें ही मिली। अतः सरकारें अस्थिर रहीं तथा सन् 1991 में दुबारा मध्यावधि चुनाव हुआ। कांग्रेस की प्रमुखता समाप्त होने के कारण देश के राजनीतिक दलों में आपसी जुड़ाव बढ़ा। राष्ट्रीय मोर्चे की दो बार सरकारें बर्नी परन्तु कांग्रेस द्वारा समर्थन खींचने तथा विरोधी दलों में एकता की कमी के कारण देश में राजनैतिक अस्थिरता रही।
(ii) देश की राजनीति में मंडल मुद्दे का उदय हुआ। इसने सन् 1989 के पश्चात् की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। सभी दल वोटों की राजनीति करने लगे, अत: अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण दिए जाने के मामले में अधिकांश दलों में परस्पर जुड़ाव हुआ।
(iii) सन् 1990 के पश्चात् विभिन्न दलों की सरकारों ने जो आर्थिक नीतियाँ अपनाईं, वे बुनियादी तौर पर बदल चुकी थीं। आर्थिक सुधार व नवीन आर्थिक नीति के कारण देश के अनेक दक्षिणपंथी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों में आपसी जुड़ाव होने लगा। इस संदर्भ में दो प्रवृत्तियाँ उभरकर आईं। कुछ पार्टियाँ गैर कांग्रेसी गठबंधन और कुछ दल गैर भाजपा गठबंधन के समर्थक बने।
(iv) दिसम्बर 1992 में अयोध्या स्थित एक विवादित ढाँचा विध्वंस कर दिया गया। इस घटना के पश्चात् भारतीय राष्ट्रवाद एवं धर्मनिरपेक्षता पर बहस तेज हो गयी। इन परिवर्तनों का सम्बन्ध भाजपा के उदय तथा हिन्दुत्व की राजनीति से है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर टिप्पणी लिखिए। [4]
अथवा
विश्व बैंक के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष-यह एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। जो अपने सदस्य राष्ट्रों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर दृष्टि रखने का कार्य करता है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करने का कार्य करता है। यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का मुख्यालय वाशिंगटन डी. सी. में शीतयुद्ध के पश्चात् विश्व की अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में कुछ संगठनों ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया, जिनमें एक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष प्रमुख है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना ब्रेटनवुड्स समझौते के तहत सन् 1945 में हुई थी।
इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण व. विकास बैंक है। इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी.सी. (संयुक्त राज्य अमेरिका) में है। यह संगठन वैश्विक स्तर की वित्त व्यवस्था की देखरेख करता है तथा माँगे जाने पर वित्तीय एवं तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराता है। वैश्विक स्तर की वित्त व्यवस्था का आशय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली वित्तीय संस्थाओं व लागू होने वाले नियमों से है। 2016 में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के 189 देश सदस्य थे। लेकिन इसके प्रत्येक सदस्य देश की राय का समान मत नहीं है। संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, कनाडा, चीन, भारत व रूस (10 देश) के पास इसके लगभग 55 प्रतिशत मत हैं।
अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 16.52 प्रतिशत मत हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार व वित्त के लिए कुछ देशों की मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है जिसे एस. डी. आर. कहते हैं। एस. डी. आर. में यूरो पाउंड येन व डॉलर शामिल हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुरक्षित करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाना है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सदस्यता के लिए कोई भी देश आवेदन कर सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम इस आवेदन को आई. एम.एफ. (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, के कार्यपालक बोर्ड के पास विचाराधीन भेजा जाता है। इसके बाद कार्यकारी बोर्ड, बोर्ड ऑफ गर्वनेंस को उसकी संस्तुति के लिए भेजता है जहाँ प्रस्ताव स्वीकृत हो जाने पर सम्बन्धित राष्ट्र को सदस्यता मिल जाती है। सदस्य देशों की संख्या बढ़ने के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कार्य काफी बढ़ गया है।
प्रश्न 22.
भारत विभाजन में आयी कठिनाइयों की विवेचना कीजिए। [4]
अथवा
“आजाद हिन्दुस्तान का जन्म अत्यंत कठिन परिस्थितियों में हुआ” कथन को स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि भारत को एक धर्म निरपेक्ष राज्य बनाने में हमारे नेतागणों ने क्या-क्या प्रयास किए? [4]
उत्तर:
भारत विभाजन में आयी कठिनाइयाँ भारत विभाजन में निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
(i) भारत-पाकिस्तान में विभाजन का आधार धार्मिक बहुसंख्यक को बनाया जाना तय हुआ अर्थात् जिन क्षेत्रों में मुसलमान बहुसंख्यक थे, वे क्षेत्र पाकिस्तान के भू-भाग होंगे और शेष हिस्से भारत कहलायेंगे। इसमें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। ब्रिटिश भारत में कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं था जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक हों। ऐसे दो क्षेत्र थे जहाँ मुसलमानों की आबादी अधिक थी। एक क्षेत्र पश्चिम में व दूसरा पूर्व में। ऐसा कोई तरीका नहीं था कि इन दोनों क्षेत्रों को जोड़कर एक स्थान पर कर दिया जाए। इसे देखते हुए फैसला हुआ कि पाकिस्तान में दो क्षेत्र सम्मिलित होंगे अर्थात् पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान तथा इसके बीच में भारतीय भूमि का विस्तार रहेगा।
(ii) मुस्लिम बहुल प्रत्येक क्षेत्र पाकिस्तान में मिलने को सहमत नहीं था। खान अब्दुल गफ्फार खान पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त के निर्विवाद नेता थे। उन्होंने द्वि-राष्ट्रीय सिद्धान्त का विरोध किया लेकिन उनके विरोध को अनदेखा कर पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त को पाकिस्तान में सम्मिलित कर लिया गया।
(iii) ब्रिटिश भारत के मुस्लिम बहुल प्रान्त पंजाब व बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर मुस्लिम जनसंख्या वाले थे। ऐसे में फैसला हुआ कि दोनों प्रान्तों में भी बँटवारा धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर होगा और इसमें जिले अथवा उससे निचले स्तर के प्रशासनिक हलके को आधार माना जाएगा। 14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि तक यह फैसला नहीं हो पाया था। फलस्वरूप अनेक लोगों को यह पता नहीं था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।
(iv) भारत-पाकिस्तान सीमा के दोनों ओर अल्पसंख्यक थे। जो क्षेत्र पाकिस्तान में थे वहाँ लाखों की संख्या में हिन्दू-सिख आबादी थी। ठीक उसी प्रकार पंजाब व बंगाल के भारतीय भू-भाग में लाखों की संख्या में मुस्लिम आबादी थी। इन लोगों ने पाया कि वे तो अपने ही घर में विदेशी बन गये हैं। लोगों को देश के बँटवारे की जानकारी मिलते ही दोनों ओर अल्पसंख्यकों पर हमले होने लगे। हिंसा की घटनाएँ बढ़ गईं। दोनों ओर के अल्पसंख्यकों के पास एक ही रास्ता बचा था कि वे अपने-अपने घर-बार छोड़ दें।
प्रश्न 23.
निम्न में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए [4]
(i) इंदिरा बनाम सिंडिकेट
(ii) दल-बदल
(iii) प्रिवीपर्स
अथवा
1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के कारण बताइए। [4]
उत्तर:
(i) इंदिरा गाँधी बनाम सिंडिकेट-1960 के दशक में कांग्रेसी नेताओं के एक समूह को अनौपचारिक तौर पर ‘सिंडिके ‘ के नाम से पुकारा जाता था। सिंडिकेट कांग्र, के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था। इस समूह के नेताओं का पार्टी के संगठन पर नियंत्रण था। इंदिरा गाँधी इसी सिंडिकेट की सहायता से प्रधानमंत्री बनी।थीं। सिंडिकेट के नेताओं को उम्मीद थी कि इंदिरा गाँधी उनकी सलाहों का अनुसरण करेंगी। प्रारम्भ में इंदिरा गाँधी ने सिंडिकेट को महत्व प्रदान किया। लेकिन शीघ्र ही इंदिरा गाँधी ने सरकार और पार्टी के भीतर स्वयं को स्थापित करना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने अपने सलाहकारों और विश्वस्तों के समूह में पार्टी से बाहर के लोगों को रखा। धीरे-धीरे और बड़ी सावधानी से इंदिरा गाँधी ने सिंडिकेट को किनारे पर ला खड़ा किया। सिंडिकेट 1971 के बाद प्रभावहीन हो गयी।
(ii) प्रिवीपर्स का अर्थ-देशी रियासतों का विलय भारतीय संघ में करने से पूर्व सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी संपदा रखने का अधिकार होगा। साथ ही सरकार की ओर से उन्हें कुछ भत्ते भी दिए जाएंगे। ये दोनों (शासक की निजी संपदा और भत्ते) इस बात को आधार मानकर तय की जाएँगी कि जिस राज्य का विलय किया जाना है उसका विस्तार तथा राजस्व क्षमता कितनी है।
इस व्यवस्था को ‘प्रिवीपर्स’ कहा गया। ये वंशानुगत विशेषाधिकार भारतीय संविधान में वर्णित समानता तथा सामाजिकआर्थिक न्याय के सिद्धान्तों से मेल नहीं खाते थे। नेहरू ने कई बार इस व्यवस्था को लेकर असंतोष जताया था। प्रिवीपों की समाप्ति के विभिन्न प्रयाससन् 1967 के आम चुनावों के बाद इंदिरा गांधी ने ‘प्रिवीपर्स’ को खत्म करने की माँग का समर्थन किया। उनकी राय थी कि सरकार को ‘प्रिवीपर्स’ की व्यवस्था समाप्त कर देनी चाहिए। मोरारजी देसाई प्रिवीपर्स की समाप्ति को नैतिक रूप से गलत मानते थे।
प्रिवीपर्स की व्यवस्था को समाप्त करने के लिए सरकार ने सन् 1970 में संविधान संशोधन के , प्रयास किए, परन्तु राज्यसभा में यह मंजूरी नहीं पा सका। इसके बाद सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया, परन्तु इसे सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। इंदिरा गांधी ने इसे सन् 1971 के चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनाया तथा इस मुद्दे पर उन्हें पर्याप्त जन-समर्थन भी प्राप्त हुआ। सन् 1971 में मिली भारी विजय के पश्चात् संविधान संशोधन हुआ तथा इस प्रकार प्रिवीपर्स की समाप्ति के मार्ग में मौजूद कानूनी अड़चनें समाप्त हो गईं।
Leave a Reply