Students must start practicing the questions from RBSE 12th Political Science Model Papers Set 5 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 5 with Answers in Hindi
समय : 2:45 घण्टे
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर:पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में उत्तर: का सही विकल्प चयन कर उत्तर: पुस्तिका में लिखें
(i) अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम कब गिराया था? [1]
(अ) अगस्त 1914 में
(ब) अगस्त 1945 में
(स) अक्टूबर 1918 में
(द) अगस्त 1947 में
उत्तर:
(ब) अगस्त 1945 में
(ii) पूँजीवादी दुनिया व साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी? [1]
(अ) बर्लिन की दीवार
(ब) चीन की दीवार
(स) शॉक थेरेपी
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) बर्लिन की दीवार
(iii) शिमला समझौता कब हुआ था? [1]
(अ) 1970
(ब) 1972
(स) 1974
(द) 1976
उत्तर:
(ब) 1972
(iv) पंचशील की घोषणा कब हुयी थी? [1]
(अ) 1932 में
(ब) 1948 में
(स) 1954 में
(द) 1962 में
उत्तर:
(स) 1954 में
(v) किस दशक में पर्यावरण के मसले ने जोर पकड़ा था? [1]
(अ) 1960
(ब) 1970
(स) 1980
(द) 2000
उत्तर:
(अ) 1960
(vi) स्वतंत्रता के पश्चात देश के समक्ष प्रस्तुत चुनौती थी? [1]
(अ) लोकतंत्र को कायम रखने की
(ब) राष्ट्र निर्माण की
(सं) सामाजिक विकास की
(द) औद्योगिक विकास की
उत्तर:
(ब) राष्ट्र निर्माण की
(vii) नीति आयोग है [1]
(अ) एक स्टाफ अभिकरण
(ब) एक सूत्र अभिकरण
(स) एक सहायक अभिकरण
(द) न तो स्टाफ व न ही सूत्र अभिकरण
उत्तर:
(अ) एक स्टाफ अभिकरण
(viii) सूचना अधिकार अधिनियम मुख्यतः किस उद्देश्य की सहायता करता है? [1]
(अ) कानूनी सुधार
(ब) राजनैतिक सुधार
(स) सामाजिक अखण्डता
(द) पारदर्शी प्रशासन
उत्तर:
(द) पारदर्शी प्रशासन
(ix) भारतीय संविधान कब अंगीकृत किया गया? [1]
(अ) नवम्बर 1948 में
(ब) अक्टूबर 1949 में
(स) 26 नवम्बर 1949
(द) 26 जनवरी 1950 में
उत्तर:
(स) 26 नवम्बर 1949
(x) निम्न में से कौन संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेन्सी नहीं है [1]
(अ) डब्ल्यू. एच. ओ.
(ब) आई.एम.एफ.
(स) एफ.ए.ओ.
(द) ओपेक
उत्तर:
(द) ओपेक
(xi) नागालैण्ड राज्य का गठन हुआ था? [1]
(अ) 1953 में .
(ब) 1958 में
(स) 1963 में
(द) 1968 में
उत्तर:
(स) 1963 में
(xii) किसने सुबह-ए-आजादी नामक कविता लिखी? [1]
(अ) साहिर लुधियानवी
(ब) फैज अहमद फैज
(स) मुहम्मद इकबाल
(द) मौलाना अबुल कलाम आजाद
उत्तर:
(ब) फैज अहमद फैज
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) …………. संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है। [1]
उत्तर:
ह्यूमन राइट वाच
(ii) सामूहिक फार्म को …………………… फार्म में बदला गया। [1]
उत्तर:
निजी
(iii) एमनेस्टी इंटरनेशनल एक ……. संगठन है। [1]
उत्तर:
अपरोध
(iv) ………….. सदी के अधिकांश समय में विश्व की अर्थव्यवस्था ……………….. पर निर्भर रही। [1]
उत्तर:
20वीं, खेल
(v) भारतीय संविधान में …… ……………….. की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है। [1]
उत्तर:
छुआछूत
(vi) सभी ………… समुदाय किसी भी पार्टी में शामिल होने के लिए ………………. है। [1]
उत्तर:
धार्मिक,
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर: एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए
(i) एन.पी.टी. का पूरा नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
परमाणु अप्रसार संधि (Treaty on the non prolifedrationof Nuclear)
(ii) थैरेपी का क्या अर्थ है? [1]
उत्तर:
थैरेपी का अर्थ है- आघात पहुँचाकर उपचार करना।
(iii) निशस्त्रीकरण से क्या अभिप्राय है? [1]
उत्तर:
निशस्त्रीकरण से तात्पर्य विश्व शांति के लिए कुछ खास किस्म के हथियारों पर रोक लगाने से है।
(iv) राष्ट्रीय आंदोलन के नेता एक पंथ निरपेक्ष राज्य के पक्षधर क्यों थे? [1]
उत्तर:
क्योंकि किसी धर्म विशेष को राज्य का संरक्षण दिया जाना भारत के विभिन्न धर्मावलम्बियों के मूलाधिकारों का हनन करता।
(v) आपरेशन फ्लड कब प्रारम्भ किया गया था? [1]
उत्तर:
सन् 1970 में।
(vi) जन आंदोलन से क्या तात्पर्य है? [1]
उत्तर:
ऐसे आंदोलन जो दलगत राजनीति से दूर एवं जन सामान्य के हित में चलाये जाते हैं उन्हें जन आंदोलन कहा जाता है।
(vii) साझी सम्पदा के चार उदाहरण लिखिए। [1]
उत्तर:
(i) संयुक्त परिवार का चूल्हा
(ii) चारागाह
(iii) मैदान
(iv) नदी।
(viii) गुट निरपेक्ष के सदस्य देशों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
भारत, इंडोनेशिया, मिस्र, युगोस्लाविया।.
(ix) शीतयुद्ध के अन्त का क्या प्रभाव पड़ा? [1]
उत्तर:
शीतयुद्ध के अन्त के बाद विश्व में एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय हुआ।
(x) भारतीय किसान यूनियन द्वारा उठाये गए प्रमुख मुद्दे कौन-से थे? [1]
उत्तर:
(i) बिजली की दरों में वृद्धि का विरोध करना।
(ii) नगदी फसलों के सरकारी खरीद मूल्यों में वृद्धि की माँग करना।
(xi) गठबंधन सरकार के विपक्ष में दो तर्क दीजिए। [1]
उत्तर:
(i) राजनीति अस्थिरता
(ii) नीतियों में दृढ़ता का अभाव।
(xii) केन्द्रीकृत नियोजन क्या है? [1]
उत्तर:
एक ही केन्द्र से योजना लागू करना केन्द्रीकृत नियोजन कहलाता है।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
गुटनिरपेक्ष आंदोलन की वर्तमान में क्या प्रासंगिकता है? [2]
उत्तर:
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की वर्तमान में
प्रासंगिकता:
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की वर्तमान प्रासंगिकता को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
(1)गुटनिरपेक्षता इस बात की पहचान पर टिकी है कि उपनिवेश की स्थिति से स्वतन्त्र हुए देशों के बीच ऐतिहासिक जुड़ाव है और यदि ये देश साथ आ जाएँ तो एक सशक्त ताकत बन सकते हैं।
(2) गुटनिरपेक्षता की नीति के कारण किसी भी गरीब और छोटे देश को किसी महाशक्ति का अनुसरण करने की जरूरत नहीं है।
(3) कोई भी देश अपनी स्वतन्त्र विदेश नीति अपना सकता है।
(4) गुटनिरपेक्ष देशों को आज भी परस्पर सहयोग की आवश्यकता है, इसके लिए इस मंच की उन्हें अति आवश्यकता है।
प्रश्न 5.
भारत रूस सम्बन्धों से रूस को क्या लाभ प्राप्त हुए हैं? [2]
उत्तर:
रूस को लाभ-भारत-रूस के गहरे सम्बन्धों से रूस भी लाभान्वित हुआ है; जिसे निम्न बिन्दुओं द्वारा सरलतापूर्वक स्पष्ट किया जा सकता है
(i) भारत-रूस के लिए युद्ध के हथियारों के मामले में दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। हमारे देश भारत को सैन्य सामग्री तथा तेल का निर्यात करके रूस को पर्याप्त आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
(ii) क्रायोजेनिक राकेट जैसे अन्तरिक्ष अनुसन्धान के उपयोगी साधनों का भारत को निर्यात करके रूस को फायदा पहुँचता है। इसी तरह दोनों देशों के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से अनेक महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं में कार्य करके नवीन अनुसन्धान करते रहते हैं। इससे दोनों ही देशों को अत्यधिक लाभ पहुँचता है।
(iii) भारत ने रूस की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया है।
प्रश्न 6.
शॉक थेरेपी के क्या परिणाम रहे हैं? [2]
उत्तर:
शॉक थेरेपी के परिणाम-शॉक थेरेपी के निम्नलिखित परिणाम हैं
(1) शॉक थेरेपी से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गयी और जनता को बरबादी की मार झेलनी पड़ी। रूस में पूरा राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा उठा।
(2) इससे मद्रास्फीति बढ़ी। रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में नाटकीय ढंग से गिरावट आयी। मुद्रास्फीति इतनी अधिक बढ़ी कि जमा पूँजी जाती रही।
(3)निजीकरण ने नई विषमताओं को जन्म दिया। पूर्व सोवियत संघ में शामिल रहे गणराज्यों और विशेषकर रूस में अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई तैयार हो गयी।
(4) आर्थिक परिवर्तन को बड़ी प्राथमिकता दी गयी और उसे पर्याप्त स्थान भी दिया गया, लेकिन लोकतान्त्रिक संस्थाओं के निर्यात का कार्य ऐसी प्राथमिकताओं के साथ नहीं हो सका।
प्रश्न 7.
गुटनिरपेक्ष आंदोलन के कोई चार उद्देश्य बताइए। [2]
उत्तर:
गठबंधन युग के कुछ उदाहरण निम्नलिखित गुटनिरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्य निम्नानुसार
(i) सदस्य देशों को महाशक्तियों के गुटोंसे अलग रखना।
(ii) सदस्य देशों में आपसी सामाजिक व आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।
(iii) विकासशील देशों के समान व प्रतिष्ठा बढ़ाना।
(iv) सम्पूर्ण विश्व से उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद को समाप्त करना।
प्रश्न 8.
परम्परागत सुरक्षा के किन्हीं चार तत्वों का उल्लेख कीजिए। [2]
उत्तर:
(i) परम्परागत खतरे-इसका स्रोत कोई दूसरा अन्य देश होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर किसी देश की सम्प्रभुता, स्वतन्त्रता तथा क्षेत्रीय अखण्डता को प्रभावित कस्ता है।
(ii) युद्ध-किसी युद्ध में सिर्फ सैनिक ही घायल अथवा मारे नहीं जाते, बल्कि जनसामान्य को भी इससे भारी नुकसान पहुंचता है।
(iii) शक्ति सन्तुलन-कोई भी देश अपने पड़ोसी देशों की शक्ति का सही-सही आकलन करके भविष्य की नीति तैयार करता है।
(iv) गठबन्धन करना-इसमें विभिन्न देश सम्मिलित होते हैं तथा सैनिक हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए मिलजुल कर कदम उठाते हैं।
प्रश्न 9.
निम्न को सुमेलित कीजिए
(अ) राष्ट्रीय मोर्चा | (i) कांग्रेस व क्षेत्रीय दल |
(ब) संयुक्त मोर्चा | (ii) भाजपा व क्षेत्रीय दल |
(स) राजग | (iii) कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा |
(द) संप्रग | (iv) जनता दल व क्षेत्रीय दल |
उत्तर:
(अ) राष्ट्रीय मोर्चा | (iv) जनता दल व क्षेत्रीय दल |
(ब) संयुक्त मोर्चा | (i) कांग्रेस व क्षेत्रीय दल |
(स) राजग | (ii) भाजपा व क्षेत्रीय दल |
(द) संप्रग | (iii) कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा |
प्रश्न 10.
भारतीय जनसंघ व स्वतंत्र पार्टी में अन्तर बताइये। [2]
उत्तर:
भारतीय जनसंघ | स्वतंत्र पार्टी |
1. भारतीय जनसंघ भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप अर्थव्यवस्था चाहती थी। यह देश में जींदारी उन्मूलन तो चाहती थी, परन्तु यह स्वैच्छिक सहकारी कृषि प्रणाली की विरोधी नहीं थी। | 1. स्वतंत्र पार्टी सरकार की अर्थव्यवस्था में कम-से-कम हस्तक्षेप रखने में विश्वास करती थी। उसका विश्वास था कि देश की समृद्धि स्वतंत्रता के तरीके के माध्यम से आ सकती है। |
2. भारतीय जनसंघ सम्पूर्ण देश में एक भाषा, एक संस्कृति के विचार की समर्थक थी और धारा 370 का विरोध करती थी। | 2. स्वतंत्र पार्टी ने एक भाषा, एक संस्कृति की बात नहीं की और न ही धारा 370 का विरोध किया। |
3. यह पार्टी सभी तरह के उद्योगों के राष्ट्रीयकरण की विरोधी थी परन्तु देश की प्रतिरक्षा और मौलिक उद्योगों में सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी की विरोधी भी नहीं थी। | 3. स्वतंत्र पार्टी राज्य के हस्तक्षेप, केन्द्रीयकृत नियोजन, राष्ट्रीयकरण तथा अर्थव्यवस्था के अन्दर सार्वजनिक क्षेत्र की उपस्थिति को पसंद नहीं करती थी। |
प्रश्न 11.
भूमि सुधारों में कौन-कौन सी क्रियाएँ शामिल हैं? [2]
उत्तर:
भूमि सुधारों में निम्नलिखित को शामिल किया गया है
(i) जींदारी प्रथा को समाप्त करना।
(ii) भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों को एक साथ (चकबंदी) करके खेती के कार्य को अधिक सुविधाजनक बनाना।
(iii) अधिकतम भूमि रखने की सीमा निर्धारित करना।
(iv) बेकार व बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने की व्यवस्था करना।
(v) सिंचाई के साधनों का विकास करना।
(vi) उन्नत बीज व खाद की व्यवस्था करना।
(vii) कृषि हेतु ऋण व अनुदान की व्यवस्था करना।
(viii) कृषकों को उनकी उपज की उचित कीमत दिलाने का प्रयास करना
(ix) कृषकों की समस्याओं के समाधान हेतु कृषि सेवा केन्द्रों की व्यवस्था करना।
प्रश्न 12.
दक्षिण एशिया में भारत का दबदबा समझने के लिए कौनसे कारण जिम्मेदार हैं? [2]
उत्तर:
(i) भारत का आकार अन्य दक्षिण एशिया के देशों से अधिक विशाल है।
(ii) भारत इन छोटे देशों में अत्यधिक शक्तिशाली व प्रभावपूर्ण है।
(iii) भारत नहीं चाहता कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी स्थिति में बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी, जबकि छोटे देश सोचते हैं कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा स्थापित करना चाहता है।
(iv) दक्षिण एशिया का भूगोल ही ऐसा है कि भारत इसके मध्य में स्थित है तथा शेष देश भारत की सीमा के आस-पास पड़ते हैं।
प्रश्न 13.
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते आतंकवाद के पीछे क्या कारण हैं ? [2]
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहे आतंकवाद के पीछे निम्नलिखित कारण हैं
(i) तकनीक तथा सूचना प्रौद्योगिकी में तेजी से हुई प्रगति ने आतंकवादियों के दुस्साहस में अभिवृद्धि की है। यह एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से आतंकवाद आज सम्पूर्ण विश्व में अपने पैर जमा चुका है।
(ii) तस्करी, जमाखोरी, वायुयानों के अपहरण तथा पानी के जहाजों को बन्धक बनाने जैसी घटनाओं के पीछे विश्व अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण है। आतंकवादियों द्वारा किसी भी देश की मुद्रा का अन्तरण करना सरल हो गया है।
(iii) अत्याधुनिक हथियारों को नवीन प्रौद्योगिकी द्वारा निर्मित करके उन्हें बेचने की प्रतिस्पर्धा शीतयुद्ध दौर की शैली है। व्यापक स्तर पर उन्माद जाग्रत करके आतंकवाद की खूनी होली खेलने के हथियारों को बनाने वाली कम्पनियाँ सरकार तथा व्यापारी समान रूप से उत्तरदायी हैं।
(iv) यातायात के सुगम साधनों तथा स्वतः चलित यानों ने भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद को प्रोत्साहन दिया है।
प्रश्न 14.
एक प्रभुत्व वाली दल प्रणाली के लाभों का वर्णन कीजिए। [2]
उत्तर:
(i) एक प्रभुत्व वाली दल प्रणाली के लाभ-इस प्रणाली के लाभ. निम्नांकित हैं सत्ताधारी दल की स्थिति सुदृढ़ होती है तथा वह स्वतंत्र रूप से शासन का संचालन कर सकता है।
(ii) शासन प्रणाली में स्थायित्व रहता है तथा राष्ट्रीय नीतियों में अधिक परिवर्तन नहीं होता। उनमें निरन्तरता बनी रहती है।
(iii) कानून व्यवस्था की स्थिति समाज में सुदृढ़ रहती है तथा शासन का संचालन सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए सरलतापूर्वक किया जा सकता है।
(iv) यह प्रणाली आपातकाल का मुकाबला आसानी से कर सकती है।
प्रश्न 15.
भारतीय नियोजन की प्रमुख कठिनाइयाँ बताइए। [2]
उत्तर:
(i) भारत जैसी पिछड़ी अर्थव्यवस्था में कृषि व उद्योग के बीच किसमें अधिक संसाधन लगाए जाने चाहिए ताकि सही दिशा में विकास हो सके।
(ii) ‘नियोजन से शहरी व औद्योगिक वर्ग समृद्ध हो रहे है तथा इसकी कीमत किसानों व ग्रामीण जनता को चुकानी पड़ रही थी।
(iii) जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की गति मंद रही है। .
प्रश्न 16.
भारत में अधिकांश राजनीतिक दलों के मध्य एक उभरती सहमति के कोई चार बिन्दु लिखिए। [2]
उत्तर:
(i) नई आर्थिक नीति पर अधिकांश दलों ने सहमति प्रदान की है उनका मत है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा।
(ii) पिछड़ी जातियों के राजनीतिक एवं सामाजिक दावे को राजनीति दलों ने स्वीकृति प्रदान की है।
(iii) अधिकांश राजनीतिक दलों ने शासन में प्रान्तीय दलों की भूमिका को स्वीकृति प्रदान की है।
(iv) गठबंधन की राजनीति, के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अंतर के स्थान पर सत्ता में हिस्सेदारी की बातों पर बल दे रहे हैं।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरदीय प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
भारत व पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हए हैं? [3]
अथवा
भारत बांग्लादेश के बीच सहयोग व विवाद के दो-दो मसलों का उल्लेख कीजिए। [3]
उत्तर:
दोनों ही देश भारत और पाकिस्तान के मध्य स्वतन्त्रता से लेकर अब तक निरन्तर तनाव की स्थिति बनी रही है। सन् 1960 में विश्व बैंक की मदद से भारत और पाकिस्तान ने ‘सिन्धु जल सन्धि’ पर हस्ताक्षर किये और यह सन्धि भारत-पाक के बीच कई सैन्य संघर्षों के बावजूद अब भी कायम है। विगत वर्षों के दौरान दोनों देशों के पंजाब वाले हिस्से के बीच कई बस मार्ग खुले हैं। सन् 1999 में भारत के तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान की बस यात्रा की और लाहौर गये तथा शान्ति के एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। इसके बावजूद जुलाई 1999 में भारत और पाकिस्तान के मध्य कारगिल युद्ध हुआ।
जुलाई, 2001 को आगरा में हुई शिखर वार्ता में भारत के प्रधानमन्त्री अटलबिहारी वाजपेयी और पाक राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने भाग लिया। पर यह शिखर वार्ता भी किसी निष्कर्ष पर न पहुँच सकी। दोनों देशों के मध्य 20 जनवरी, 2006 को तीसरा सड़क मार्ग अमृतसर व लार के बीच बस सेवा शुरू हुई। मार्च 2006 में ननकाना और अमृतसर के बीच बस सेवा शुरू हुई। 2018 में पाकिस्तान सरकार ने ‘करतारपुर कॉरिडोर’ का शिलान्यास किया जिसका भारत ने भी समर्थन किया। नवम्बर 2019 में इस कॉरिडोर को खोला गया।
प्रश्न 18.
रियो सम्मेलन के क्या परिणाम हुए? [3]
अथवा
भारत से उदाहरण लेकर साझा सम्पदा संसाधन की धारणा को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
रियो सम्मेलन (पृथ्वी सम्मेलन) के निम्न परिणाम हुए
(i) इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप विश्व राजनीति के दायरे में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरोकारों को एक ठोस रूप मिला।
(ii) रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता और वानिकी के सम्बन्ध में कुछ नियमाचार निर्धारित किए गए।
(iii) भविष्य के विकास के लिए ‘एजेंडा-21’ प्रस्तावित किया गया जिसमें विकास के कुछ तौर-तरीके भी सुझाए गए। इसमें टिकाऊ विकास (Sustainable Development) की धारणा को विकास रणनीति के रूप में समर्थन प्राप्त हुआ।
(iv) इस सम्मेलन में पर्यावरण रक्षा के बारे में धनी व गरीब देशों अथवा उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के दृष्टिकोण में मतभेद उभकर सामने आए। भारत व चीन तथा ब्राजील जैसे विकासशील देशों का तर्क था कि चूँकि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन विकसित देशों ने अधिक किया है, अतः वे पर्यावरण प्रदूषण क्षरण के लिए अधिक उत्तरदायी हैं। अत: उन्हें पर्यावरण रक्षा हेतु 20 अधिक संसाधन व प्रौद्योगिकी आदि उपलब्ध कराना चाहिए। कई धनी देश इस तर्क से सहमत नहीं थे।
(v) अन्ततः रियो सम्मेलन ने यह स्वीकार किया कि अन्तर्राष्ट्रीय पर्यावरण कानून के निर्माण, प्रयोग और व्याख्या में विकासशील देशों की विशिष्ट जरूरतों का लेकिन अलग-अलग भूमिका का सिद्धान्त स्वीकृत किया गया। संक्षेप में, रियो सम्मेलन के बाद पर्यावरण का प्रश्न विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण विषय के रूप में उभरा।
प्रश्न 19.
सूचना का अधिकार आंदोलन क्या है ? विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
नर्मदा बचाओ आंदोलन का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। [3]
उत्तर:
सूचना का अधिकार आन्दोलन-सूचना का अधिकार आन्दोलन जन-आन्दोलनों की सफलता का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। यह आन्दोलन सरकार से एक बड़ी माँग को पूरा कराने में सफल रहा है। इस आन्दोलन की शुरुआत सन् 1990 में हुई तथा इसका नेतृत्व मजदूर किसान शक्ति संगठन (एम.के.एस. एस) ने किया। राजस्थान में काम कर रहे इस संगठन ने सरकार के सामने यह माँग रखी कि अकाल राहत कार्य व मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी के अभिलेख का सार्वजनिक खुलासा किया जाए। यह माँग राजस्थान के एक बेहद पिछड़े इलाके भीम तहसील में सबसे पहले उठाई गयी थी।
इस आन्दोलन के अन्तर्गत ग्रामीणों ने प्रशासन से अपने वेतन व भुगतान के बिल उपलब्ध कराने को कहा। असल में, इन लोगों को यह लग रहा था कि विद्यालयों, अस्पतालों, छोटे बाँधों व सामुदायिक केन्द्रों के निर्माण कार्य के दौरान उन्हें दी गयी मजदूरी में भारी हेरा-फेरी की गई। केवल कहने के लिए तो ये विकास परियोजनाएं पूरी हो गयी थीं परन्तु लोगों का मानना था कि सभी कार्यों में धन का घोटाला हुआ है। पहले सन् 1994 व उसके बाद सन् 1996 में मजदूर किसान शक्ति संगठन ने जन-सुनवाई का आयोजन किया तथा प्रशासन को इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा।
प्रश्न 20.
भारतीय राजनीति में 1989 से हुई प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका महत्व को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका-भारत एक विशाल राष्ट्र है, इसके विभिन्न क्षेत्रों की कठिनाइयाँ भिन्न-भिन्न हैं, इसलिए क्षेत्रीय समस्याओं को सुलझाने हेतु राजनीतिक दलों का गठन हो जाता है। सामान्यतः लोगों के हृदयों में राष्ट्रीय हित के मुकाबले क्षेत्रीय हितों को महत्त्व देने की भावना अधिक प्रबल होती है। इसी कारण भारत में अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का निर्माण हुआ है। तमिलनाडु में डी.एम.के. उड़ीसा (ओडिशा) में बीजू जनता दल, पंजाब में अकाली दल, जम्मू एवं कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस एवं आन्ध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम् आदि प्रमुख हैं।
क्षेत्रीय दलों का महत्त्व-क्षेत्रीय दलों का महत्त्व निम्नांकित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
(1) क्षेत्रीय दल किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की समस्याओं से सम्बन्ध रखते हैं। अतः वे अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सुलझाने में सफल होते हैं।
(2) सामान्यतः क्षेत्रीय दल मुख्य विरोधी दल को अधिक मजबूत करते हैं तथा सरकार को स्वेच्छाचारी बनने से रोकने का कार्य करते हैं।
(3) क्षेत्रीय दलों के जो सदस्य सांसद चुने जाते हैं, वे अपनी स्थानीय समस्याओं की ओर सम्पूर्ण देश का ध्यान आकर्षित करते।
(4) अब क्षेत्रीय दलों का दृष्टिकोण राष्ट्रीय बनता जा रहा है। उन्होंने पहले एन.डी.ए के काल में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में लगभग छः वर्षों से अधिक समय के लिए संघीय सरकार चलाने में अमूल्य योगदान दिया और बाद के वर्षों में यू.पी.ए. में हिस्सेदारी करके देश का शासन चलाया है। वर्तमान मोदी सरकार में भी क्षेत्रीय दलों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र संघ को अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए किये गये प्रयासों व अपने सुझावों को स्पष्ट कीजिए। [4]
अथवा
विश्व व्यापार संगठन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ को अधिक प्रासंगिक बनाने ५७ के लिए किये गये प्रयास सन् 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ की 70वीं वर्षगाँठ पर इसको अधिक प्रासंगिक बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं
(i) शान्ति संस्थापक आयोग के गठन पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त की।
(ii) यदि कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अत्याचारों से बचाने में असफल रहता है तो विश्व समुदाय उसका उत्तरदायित्व ग्रहण करेगा।
(iii) संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य राष्ट्रों ने सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स) को प्राप्त करने पर सहमति प्रदान की।
(iv) मानवाधिकार सम्बन्धी दशाओं में और सुधार करने पर बल दिया गया।
(v) सभी सदस्य राष्ट्रों द्वारा प्रत्येक प्रकार के आतंकवाद की निन्दा की एवं इसकी समाप्ति हेतु कठोर कदम उठाये जाने पर बल दिया।
(vi) एक लोकतन्त्र कोष का गठन करने का भी निर्णय किया गया। संयुक्त राष्ट्र संघ को सशक्त बनाने हेतु आवश्यक सुझावबदलते हुए परिवेश में संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रासंगिक तथा सशक्त बनाने हेतु उसमें सुधारों की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए निम्न सुधारात्मक कदम उठाए जाने जरूरी हैं
- विश्व के जो देश अभी तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं, उन्हें सदस्यता हेतु सहमत किया जाना चाहिए।
- समस्त सदस्यों को एक मत देने की शक्ति होनी चाहिए तथा वह व्यक्तिगत रूप से गुप्त मतदान के रूप में प्रयुक्त किया
- जाना चाहिए। सभी निर्णय अर्थात् फैसले महासभा द्वारा बहुमत के आधार पर लिए जाने चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् में पाँच के स्थान पर पन्द्रह स्थायी सदस्य हों तथा वीटो का अधिकार समाप्त कर दिया जाए।
- परिवर्तित विश्व में भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका को स्थायी सदस्यता प्रदान की जानी चाहिए।
- पर्यावरण, जनसंख्या तथा आतंकवाद जैसी समस्याओं और परमाणु हथियारों को नष्ट करने में भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि की जानी चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कोष में अभिवृद्धि की जानी चाहिए जिससे वह विकास एवं वृद्धि के और अधिकाधिक कार्यक्रमों को संचालित कर सके।
प्रश्न 22.
भारत को एक राष्ट्र मानने की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
हैदराबाद रियासत के भारत में विलय की प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन कीजिए। [4]
उत्तर:
सामान्यतः राष्ट्र स्थायी नागरिकों, स्थायी सीमाओं में सीमित भू-भाग और बहुसंख्यक लोगों के द्वारा मान्यता प्राप्त भौगोलिक क्षेत्र होता है। उपर्युक्त तत्वों के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि वहाँ के नागरिक एक सर्वमान्य विश्वास रखें कि यह उन सभी का राष्ट्र है। सामान्य विश्वास के साथ-साथ इतिहास राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों, प्रान्तों वाले लोगों को परस्पर जोड़ता है। उनकी राजनीतिक आकांक्षाएँ स्वतंत्रता, समानता, कानून व्यवस्था में विश्वास रखने वाली हों तथा जो जनता की भलाई विशेषतः कमजोर, पिछड़े और दीन-दुःखियों के लिए कार्य करे। इसी प्रकार की कल्पनाएँ लोगों को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करती हैं। ऐसी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि भारत एक राष्ट्र है
(i) भारत सीमाओं की दृष्टि से कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा गुजरात से लेकर असम तक एक स्वतंत्र भौगोलिक इकाई से घिरा है। भारत जैसे विशाल देश में विभिन्न जन समुदाय निवास करते हैं जो कि प्राचीन काल से ही इस देश में अपने पूर्वजों के सर्वमान्य विश्वासों, परम्पराओं में थोड़ा-बहुत परिवर्तन करते रहते हैं। इसके साथ ही भारत में भौगोलिक, जातीय, भाषाई तथा धार्मिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं, जैसे-यदि देश का कोई भाग उपजाऊ है, तो कोई पथरीला और पहाड़ी भाग भी है।
(ii) भारत की सांस्कृतिक विरासत व इतिहास भारत को एक राष्ट्र बनाते हैं। यह विभिन्नताओं में एकता लिए हुए है। विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक विभिन्नता से परिपूर्ण राष्ट्र को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘महामानव समुद्र’ कहा है। भारतीय संस्कृति की अपनी एक अलग पहचान है इसी कारण भारत को ‘विश्व गुरु’ कहा जाता है। साम्प्रदायिक सद्भावना, सहनशीलता, त्याग, परोपकार, पारस्परिक प्रेम, वैवाहिक बंधन, रीति-रिवाज, ग्रामीण जीवन का आकर्षक वातावरण, भारत की एकता व अखण्डता को अक्षुण्ण रखने में सहायक रहे हैं।
(iii) भारत का अपना राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक इतिहास रहा है। इस इतिहास का अध्ययन सभी करते हैं तथा इस ऐतिहासिक विरासत को अगली पीढ़ियों तक स्थानान्तरित करने का कार्य व प्रयास समय-समय पर विभिन्न समाज-सुधारकों, धर्म-प्रवर्तकों, भक्तों तथा सूफी-संतों ने किया है। उन्होंने समाज में व देश में एकता को सुदृढ़ करने तथा विकास करने हेतु रूढ़ियों व अंधविश्वासों का पुरजोर विरोध किया है।
(iv) स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया गया। इसके अन्तर्गत एक संविधान, इकहरी नागरिकता, इकहरी न्यायप्रणाली, सम्प्रभुता, लोकतांत्रिक गणराज्य, संसदीय शासन प्रणाली, सरकार का संघीय ढाँचा, सत्ता सम्बन्धी विषयों का तीन सूचियों में विभाजन, धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी व लोक कल्याणकारी राज्य, मौलिक अधिकारों व मौलिक कर्त्तव्यों की व्यवस्था लागू की गयी है, जिसका एकमात्र उद्देश्य लोगों की राजनैतिक आकांक्षाओं, कल्पनाओं तथा सर्वमान्य सुदृढ़ विश्वासों को ठोस धसतल प्रदान करना है। राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ बनाने के लिए हमारे संविधान में हिन्दी को देवनागरी लिपि में भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया है।
(v) भारत की राष्ट्रीय एकता की भावना को सुदृढ़ करने के लिए साहित्यकार, लेखक, फिल्म निर्माता-निर्देशक, जनसंचार माध्यम, इलैक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया भी भारत को एक राष्ट्र बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रहे हैं। देश में फैलता हुआ सड़कों, रेलों, वायुयानों, जलयानों जैसे यातायात के साधनों का जाल तथा इसके साथ-साथ उन्नत संचार व्यवस्था सुसंगठित व सुदृढ़ आधार प्रदान कर रहे हैं।
प्रश्न 23.
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने की सहायक परिस्थितियों व इंदिरा गाँधी की लोकप्रियता के कारणों को स्पष्ट कीजिए। [4]
अथवा
गैर कांग्रेसवाद से क्या तात्पर्य था? इसकी नीतियों को स्पष्ट करते हुए गठबंधन की राजनीति को समझाइए। [4]
उत्तर:
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात्, इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में सहायक परिस्थितियाँ- 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री का अकस्मात देहांत हो गया। शास्त्री जी की मृत्यु के पश्चात् कांग्रेस के समक्ष एक बार फिर राजनीतिक उत्तराधिकारी का सवाल खड़ा हो गया। उत्तराधिकारी के सवाल पर मोरारजी देसाई तथा इंदिरा गांधी के बीच कड़ा मुकाबला था। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इंदिरा गांधी को समर्थन देने का फैसला किया। कांग्रेस के सांसदों द्वारा गुप्त मतदान किया गया। इंदिरा गांधी को दो-तिहाई से अधिक सांसदों ने अपना मत दिया। यह भी अनुमान किया जाता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इंदिरा गांधी का यह सोचकर . समर्थन किया होगा कि उन्हें राजनीतिक तथा प्रशासनिक विषयों का कोई विशेष अनुभव नहीं था जिसके कारण दिशा-निर्देशन तथा राजनैतिक समर्थन के लिए इंदिरा गाँधी उन वरिष्ठ नेताओं पर निर्भर रहेंगी। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में लोकप्रियता प्रदान करने वाली चार उपलब्धियाँ
(i) इंदिरा गांधी ने बड़ी साहसिक रणनीति अपनायी। उन्होंने एक साधारण से सत्ता-संघर्ष को विचारात्मक संघर्ष में बदल दिया। उन्होंने सरकार की नीतियों को वामपंथी रंग देने के लिए कई कदम उठाए। 1967 की मई में कांग्रेस कार्यसमिति ने उनके प्रभाव से दस-सूत्री कार्यक्रम अपनाया। इस कार्यक्रम में बैंकों का सामाजिक नियंत्रण, आम बैंकों के राष्ट्रीयकरण, शहरी संपदा और आय के परिसीमन, खाद्यान्न का सरकारी वितरण, भूमि सुधार तथा ग्रामीण गरीबों को आवासीय भूखण्ड देने के प्रावधान शामिल थे। हालांकि सिंडिकेट के नेताओं ने औपचारिक तौर पर वामपंथी खेमे के इस कार्यक्रम को स्वीकृति दे दी, लेकिन इसे लेकर उसके मन में गहरे संदेह थे।
(ii) इंदिरा गाँधी ने चौदह अग्रणी बैंकों के राष्ट्रीयकरण और भूतपूर्व राजा-महाराजाओं को प्राप्त विशेषाधिकार यानी ‘प्रिवीपर्स’ को समाप्त करने जैसी कुछ बड़ी और जनप्रिय नौतियों की घोषणा भी की।
(iii) सिंडिकेट और इंदिरा गाँधी के बीच की गुटबाजी 1969 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के समय खुलकर सामने आ गई। तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण
उस साल राष्ट्रपति का पद खाली था। इंदिरा गाँधी की असहमति के बावजूद उस साल सिंडिकेट ने तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष एन. संजीव रेड्डी को कांग्रेस पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करवाने में सफलता पाई। जबकि इंदिरा गाँधी ने तत्कालीन उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरि को बढ़ावा दिया। आखिरकार राष्ट्रपति पद के चुनाव में वी.वी. गिरि ही विजयी हुए। वे स्वतंत्र उम्मीदवार थे, जबकि एन. संजीव रेड्डी कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवारं थे।
(iv) कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार की हार से पार्टी का टूटना तय हो गया। हांग्रेस अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी से निष्कासित कर दिया। पार्टी से निष्कासित प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा कि उनकी पार्टी ही असली कांग्रेस है।
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