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RBSE 12th Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

April 6, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Political Science Model Papers Set 6 with Answers in Hindi Medium provided here.

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

समय : 2:45 घण्टे
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर:पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

खण्ड – (अ)

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में उत्तर:का सही विकल्प चयन कर उत्तर:पुस्तिका में लिखें [1]

(i) द्वितीय विश्वयुद्ध की समयावधि थी? .
(अ) 1914-1818.
(ब) 1939-1945
(स) 1945-1990
(द) 1990-1999
उत्तर:
(ब) 1939-1945

(ii) बर्लिन की दीवार कब खड़ी की गई? [1]
(अ) 1959
(ब) 1960
(स) 1961
(द) 1964
उत्तर:
(स) 1961

(iii) दक्षेस का निम्न में से कौन सदस्य नहीं है? [1]
(अ) नेपाल
(ब) मॉरीशस
(स) बांग्लादेश
(द). भूटान
उत्तर:
(ब) मॉरीशस

(iv) सिन्धु जल समझौते का सम्बन्ध है [1]
(अ) भारत-नेपाल से
(ब) भूटान-भारत से
(स) म्यामार-भारत से
(द) भारत-पाकिस्तान से
उत्तर:
(द) भारत-पाकिस्तान से

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

(v). प्रथम पृथ्वी सम्मेलन कहाँ आयोजित किया गया था? [1]
(अ) टोक्यो
(ब) जोहान्सबर्ग
(स) रियो-डी-जिनेरो
(द) पेरिस
उत्तर:
(स) रियो-डी-जिनेरो

(vi) भारत-पाक विभाजन के समय भारत में रजवाड़ों की कुल संख्या कितनी थी? [1]
(अ) 520
(ब) 565
(स) 590
(द) 532
उत्तर:
(ब) 565

(vii) प्रथम पंचवर्षीय योजना की प्राथमिकता का विषय था? [1]
(अ) कृषि
(ब) उद्योग
(स) पर्यटन
(द) संचार
उत्तर:
(अ) कृषि

(viii) किस वर्ष सूचना के अधिकार को राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी प्रदान की? [1]
(अ) 2005 में
(ब) 2006 में
(स) 2009 में
(द) 2011 में
उत्तर:
(अ) 2005 में

(ix) स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था? [1]
(अ) माउंट बेटन
(ब) वारेन हेस्टिंगज
(स) लार्ड कार्न वालिस
(द) सी राजगोपालाचारी
उत्तर:

(x) विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना कब हुयी थी? [1]
(अ) 1948
(ब) 1945
(स) 1946
(द) 1947
उत्तर:
(अ) 1948

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

(xi) आन्ध्रप्रदेश राज्य का गठन कब हुआ? [1]
(अ) 1948 में
(ब) 1950 में
(स) 1952 में
(द) 1954 में.
उत्तर:
(स) 1952 में

(xii) स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे? [1]
(अ) सरदार वल्लभ भाई पटेल
(स) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ब) महात्मा गाँधी
(द) बी. एन. राव उत्तर:
उत्तर:
(अ) सरदार वल्लभ भाई पटेल

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) एमनेस्टी इंटरनेशनल एक………… संगठन है। [1]
उत्तर:
स्वयंसेवी,

(ii) 1962 में ………………… ने ……………….. में परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी। [1]
उत्तर:
खुश्चेव, क्यूबा

(i) सोवियत संघ …………………. और ………… रूप से गतिरुद्ध हो चुका था। [1]
उत्तर:
प्रशासनिक, राजनीतिक,

(iv) 2001. में ………………… अधिनियम पारित हुआ। [1]
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण

(v) ………………….. दौर में सामाजिक आर्थिक मसलों पर भी विचार मंथन चला। [1]
उत्तर:
औपनिवेशिक

(vi) मीर बाकी मुगल शासक …………. का सिपहसलार था। [1]
उत्तर:
बाबर।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर:एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए [1]

(i) वारसा संधि को पूर्वी गठबंधन क्यों कहा गया? [1]
उत्तर:
क्योंकि इसमें शामिल अधिकांश देश पूर्वी यूरोप के थे।

(ii) बाल्टिक गणराज्य कौन-कौन से हैं? [1]
उत्तर:
एस्टोनिया, लैटविया, लिथुआनिया।

(iii) एन. पी. टी. का पूरा नाम क्या है? यह संधि किस वर्ष हुयी? [1]
उत्तर:
एन.पी.टी. का पूरा नाम न्यूक्लियर नॉन प्रोलिफेरेशन ट्रीटी है। यह संधि 1968 में हुयी थी।

(iv) इंस्टुमेंट ऑफ एक्सेशन से क्या अभिप्राय है? [1]
उत्तर:
विभिन्न रजवाड़ों व रियासतों के शासकों ने भारतीय संघ में विलय के एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस सहमति पत्र को ही इंस्ट्रमेंट ऑफ एक्सेशन कहा गया।

(v) नियोजित विकास से क्या आशय है? [1]
उत्तर:
नियोजित विकास का आशय कम से कम व्यय द्वारा उपलब्ध साधनों का उपयोग करते हुए पूर्व निश्चित लक्ष्य को प्राप्त करने से है।

(vi) किन संविधान संशोधनों में महिलाओं को स्थानीय राजनीतिक निकायों में आरक्षण दिया गया है? [1]
उत्तर:
73वें व 74वें संविधान संशोधन में।

(vii) टिकाऊ (सतत्) विकास का तरीका क्या है? [1]
उत्तर:
पर्यावरण को हानि पहुँचाये बिना होने वाले आर्थिक विकास को टिकाऊ (सतत्) विकास का तरीका कहा जाता है।

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

(viii) साम्यवादी गुट के देशों के नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
सोवियत संघ, रोमानिया, बुल्गारिया।

(ix) दूसरी दुनिया के पतन का एक परिणाम बताइये। [1]
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौर के संघर्ष की समाप्ति।

(x) चिपको आंदोलन की मुख्य माँग क्या थी? [1]
उत्तर:
चिपको आंदोलन की मुख्य माँग जंगल की कटाई का कोई भी ठेका बहारी व्यक्ति को नहीं देने तथा स्थानीय लोगों का जल, जमीन, जंगल जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर कारगर नियंत्रण होने को लेकर थी।
उत्तर:

(xi) बहुजन समाज पार्टी के प्रारम्भिक नेतृत्वकर्ता कौन थे? [1]
उत्तर:
कांशीराम।

(xii) आपरेशन फ्लड क्या है? [1]
उत्तर:
आपरेशन फ्लड एक ग्रामीण विकास कार्यक्रम था जिसके अन्तर्गत सहकारी दुग्ध उत्पादकों की उत्पादन व वितरण के एक राष्ट्रव्यापी तंत्र से जोड़ा गया।

खण्ड – (ब)

लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर:शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)

प्रश्न 4.
भारत के गुटनिरपेक्ष आंदोलन को किस प्रकार सक्रिय रखा ? उदाहरण देकर समझाइए। [2]
उत्तर:
(i) भारत ने गुटनिरपेक्ष आन्दोलन में सम्मिलित देशों को भी इस प्रकार के मध्यस्थता के कार्यों में संलग्न रखा।

(ii) भारत ने शीतयुद्ध के दौरान उन क्षेत्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों को भी सक्रिय बनाए रखने का प्रयास किया जो अमेरिका व सोवियत संघ के गुट से नहीं जुड़े थे। हमारे तत्कालीन प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने स्वतन्त्र एवं परस्पर सहयोगी राष्ट्रों के एक सच्चे ‘राष्ट्रकुल’ के ऊपर गहरा विश्वास जताया ताकि वह शीतयुद्ध को समाप्त करने के प्रयास में एक सकारात्मक भूमिका का निर्वाह कर सके।

प्रश्न 5.
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन को तीसरी दुनिया के देशों ने तीसरे विकल्प के रूप में समझा। जब शीतयुद्ध अपने शिखर पर था तब इस विकल्प ने तीसरी दुनिया के देशों के विकास में कैसे मदद पहुँचाई? 2
उत्तर:
शीतयुद्ध की वजह से विश्व दो प्रतिद्वन्द्वी गुटों में बँटा हुआ था। इसी सन्दर्भ में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने एशिया, अफ्रीका और लातिनी अमेरिका के उन नव-स्वतन्त्र देशों को एक तीसरा विकल्प दिया। यह विकल्प था-दोनों महाशक्तियों के गुटों से अलग रहने का अर्थात् गुटनिरपेक्षता का। महाशक्तियों के गुटों से अलग रहने की इस नीति का अभिप्राय यह नहीं था कि इस आन्दोलन से जुड़े देश अपने को अन्तर्राष्ट्रीय मामलों से अलग-थलग रखते थे अथवा तटस्थता का पालन करते थे। गुटनिरपेक्षता का अर्थ-पृथकतावाद नहीं बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में सक्रिय रहने का आन्दोलन है। तीसरी दुनिया के देशों के विकास में गुटनिरपेक्ष आन्दोलन ने विशेष भूमिका निभायी है।

प्रश्न 6.
सोवियत प्रणाली की चार सकारात्मक विशेषताएँ बताइए। [2]
उत्तर:
सोवियत व्यवस्था की सकारात्मक विशेषताएँ-समाजवादी सोवियत गणराज्य रूस में हुई सन् 1917 की समाजवादी क्रान्ति के पश्चात् अस्तित्व में आया, सोवियत प्रणाली की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(i) सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा नियन्त्रण था।
(ii) सोवियत आर्थिक प्रणाली योजनाबद्ध एवं राज्य के नियन्त्रण में थी।
(iii) सोवियत संघ में सम्पत्ति पर राज्य का स्वामित्व एवं नियंत्रण था।
(iv) सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत उन्नत थी। इसके दूर-दराज के क्षेत्र भी आवागमन की सुव्यवस्थित एवं विशाल प्रणाली के कारण आपस में जुड़े हुए थे।

प्रश्न 7.
शॉक थेरेपी ने अर्थव्यवस्था को किस प्रकार तहस-नहस कर दिया? [2]
अर्थव्यवस्था का तहस-नहस होना-सन् 1990 में अपनायी गयी शॉक थेरेपी जनता को उपभोग के उस आनन्द लोक तक नहीं ले गई, जिसका उसने वादा किया था। शॉक थेरेपी से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गयी और जनता को बरबादी की मार झेलनी पड़ी। रूस में पूरा राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा उठा। लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों अथवा कम्पनियों को बेच दिया गया। आर्थिक ढाँचे का यह पुनर्निर्माण चूँकि सरकार द्वारा नियन्त्रित औद्योगीकरण नीति की अपेक्षा बाजार की शक्तियाँ कर रही थी। इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को नष्ट करने वाला सिद्ध हुआ।

प्रश्न 8.
सन् 1975 में बांग्लादेश में सेना ने शेख मुजीबुर्रहमान के खिलाफ बगावत क्यों की ? संक्षेप में बताइए। [2]
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् बांग्लादेश ने अपना संविधान बनाकर उसमें अपने देश को एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं समाजवादी देश घोषित किया, लेकिन सन् 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान ने संविधान में संशोधन कराया तथा शासन की संसदीय प्रणाली के स्थान पर अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को मान्यता प्रदान की गयी। शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी पार्टी अवामी लीग को छोड़कर अन्य सभी पार्टियों को समाप्त कर दिया। इससे तनाव और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गयी। अगस्त, 1975 में सेना ने शेख मुजीबुर्रहमान ने शासन के खिलाफ विद्रोह कर दिया और इस नाटकीय व त्रासद घटनाक्रम में शेख मुजीबुर्रहमान सेना के हार्थों मारे गये।

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 9.
आतंकवादी असैनिक स्थानों को अपना लक्ष्य क्यों चुनते हैं ? [2]
उत्तर:
आतंकवादी निम्न कारणों की वजह से असैनिक स्थानों को अपना लक्ष्य बनाते हैं
(i) आतंकवाद अपरम्परागत श्रेणी के अन्तर्गत आता है। आतंकवाद का तात्पर्य राजनीतिक कत्लेआम है, जो जानबूझकर बिना किसी पर दयाभाव रखे नागरिकों को अपना शिकार बनाता है। एक से अधिक देशों में व्याप्त अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के निशाने पर कई देशों के निर्दोष नागरिक हैं।

(ii) आतंकवादियों का मुख्य उद्देश्य ही आतंक फैलाना है, अतः वे असैनिक स्थानों अर्थात् जनसाधारण को अपनी दहशतगर्दी का निशाना बनाते हैं। इससे जहाँ एक तरफ वे आतंक कायम करके लोगों तथा विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींचने में सफल होते हैं तो वहीं दूसरी ओर उन्हें प्रतिरोध का सामना भी नहीं करना पड़ता। नागरिक सरलतापूर्वक उनके शिकार बन जाते हैं।

प्रश्न 10.
सुरक्षा के तीन पारम्परिक तरीकों को स्पष्ट कीजिए। [2]
उत्तर:
(1) निःशस्त्रीकरण-देशों के मध्य सहयोग में सुरक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका है-निःशस्त्रीकरण। निःशस्त्रीकरण की माँग होती है कि समस्त राज्य चाहे उनका आकार, शक्ति एवं प्रभाव कुछ भी हो, कुछ विशेष किस्म के हथियारों का त्याग करें।

(ii) अस्त्र-नियन्त्रण-अस्त्र नियन्त्रण के अन्तर्गत परमाणु हथियारों को विकसित करने अथवा उनको प्राप्त करने के सम्बन्ध में कुछ नियम-कानूनों का पालन करना पड़ता है।

(iii) विश्वास बहाली के उपाय-विश्वास बहाली के उपायों से देशों के मध्य हिंसाचार कम किया जा सकता है। विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव एवं प्रतिद्वन्द्विता वाले देश सूचनाओं एवं विचारों के नियमित आदान-प्रदान का फैसला करते हैं।

प्रश्न 11.
भारत में चुनाव सफलतापूर्वक नहीं कराए जा सकेंगे ? आलोचक ऐसा क्यों मानते थे? [2]
उत्तर:
भारत में चुनाव सफलतापूर्वक सम्पन्न नहीं कराए जाने के पीछे निम्न दो कारण प्रमुख थे
(i) भारत जनसंख्या व क्षेत्रफल की दृष्टि से एक बहुत बड़ा देश है। इतने बड़े क्षेत्र व इतनी जनसंख्या के लिए समुचित चुनाव व्यवस्था करना एक कठिन कार्य था।
(ii) भारत के अधिकांश मतदाता अशिक्षित थे, जिनसे स्वतंत्र व समझदारी से मताधिकार का प्रयोग किस प्रकार से हो सकेगा, यह एक बड़ी चुनौती थी।

प्रश्न 12.
भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली को क्यों चुना है? [2]
उत्तर:
भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली को इसलिए चुना है क्योंकि इसके द्वारा 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके सभी नागरिक बिना किसी लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा, स्थिति के, भेदभाव के अपना प्रतिनिधि लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के लिए चुन सकते हैं जो केन्द्र व राज्य सरकारों का गठन करते हैं।

प्रश्न 13.
मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषता बताइए। [2]
उत्तर:
(i) सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र-मिश्रित अर्थव्यवस्था की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र दोनों विद्यमान रहते हैं। इन दोनों ही क्षेत्रों के बीच कार्यों का स्पष्ट विभाजन रहता है।

(ii) लोकतांत्रिक व्यवस्था-मिश्रित अर्थव्यवस्था में आर्थिक क्रियाओं का निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र में विभाजन, लक्ष्यों में निर्धारण, नीतियों का निर्धारण सभी बातों का निर्णय जन-प्रतिनिधियों के द्वारा लिया जाता

(iii) लाभ-उद्देश्य-मिश्रित अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र की प्रमुख भूमिका रहती है। निजी क्षेत्र द्वारा अपनी आर्थिक क्रियाओं का संचालन लाभ के उद्देश्य से किया जाता है। (iv) मूल्य-तंत्र पर नियंत्रण-मिश्रित अर्थव्यवस्था में ‘मूल्य तंत्र’ के संचालन को सरकार जन-कल्याण की दृष्टि से स्वयं की कीमत नीति द्वारा नियंत्रित करती है।

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 14.
सन् 1960 के दशक के अन्त में भारत के आर्थिक विकास में क्या बदलाव आए? वर्णन कीजिए। [2]
उत्तर:
(i) नेहरूजी की मृत्यु के बाद कांग्रेस-प्रणाली संकट से घिरने लगी।

(ii) इंदिरा गाँधी जन-नेता बनकर उभरीं। उन्होंने फैसला किया कि अर्थव्यवस्था के नियंत्रण और निर्देशन में राज्य और बड़ी भूमिका निभाएगा।

(iii) सन् 1967 के पश्चात् की अवधि में निजी क्षेत्र के उद्योगों पर और बाधाएँ आईं। 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

(iv) सरकार ने गरीबों की भलाई के लिए अनेक कार्यक्रमों की घोषणा की। इन परिवर्तनों

प्रश्न 15.
त्रिशंकु विधानसभा व गठबन्धन सरकारों के प्रारम्भिक दौर को समझाइए। [2]
उत्तर:
के साथ ही साथ सरकार का विचारधारात्मक रुझान समाजवादी नीतियों की ओर बढ़ा। फरवरी 1967 में चौथे आम चुनाव हुए थे। कांग्रेस पहली बार नेहरूजी के बिना मतदाताओं का सामना कर रही थी। कांग्रेस को जैसे-तैसे लोकसभा में बहुमत तो मिल गया था, लेकिन उसको प्राप्त मतों के प्रतिशत तथा सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई। सन् 1967 ई. के चुनावों से गठबंधन की परिघटना सामने आई। त्रिशंकु विधानसभा और गठबंधन सरकार की घटना उन दिनों नई थी, क्योंकि पहली बार किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, अतः अनेक गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने एकजुट होकर संयुक्त विधायक दल बनाया और गैर काँग्रेसी सरकारों को समर्थन दिया। इसी कारण इन सरकारों में संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया।

प्रश्न 16.
सन् 1996 से भाजपा की चुनावी उपलब्धियों को समझाइए। [2]
उत्तर:
(i) सन् 1996 में पहली बार भाजपा केन्द्र में सत्तारूढ़ हुई परन्तु अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री की सरकार केवल एक महीने ही अर्थात् मई 1996 से जून 1996 तक केन्द्र में टिक पाई।

(ii) पुन: अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री बने और इस बार उन्होंने केवल 20 महीने अर्थात् 19 मार्च 1998 से 13 अक्टूबर, 1999 तक सत्ता संभाली।

(iii) एक बार फिर से अटल जी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त हुए। 13 अक्टूबर, 1999 को उन्होंने दुबारा सत्ता को सँभाला तथा अप्रैल 2004 तक पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया।

(iv) सन् 2004 तथा 2009 के चुनावों में पार्टी को अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हुई।

(v) सन् 2014 व 2019 के चुनावों में यह पार्टी राजग गठबंधन के साथ सत्ता में जीती। वर्तमान में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इसकी सरकार संचालित है।

खण्ड – (स)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर:शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)

प्रश्न 17.
शीतयुद्ध के बाद के समय में दक्षिण एशिया के देशों की राजनीतिक प्रणाली का वर्णन करें। [3]
अथवा
पाकिस्तान में लोकतंत्र की कार्यप्रणाली का विश्लेषण कीजिए। [3]
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देशों की राजनीतिक प्रणाली-शीतयुद्ध के पश्चात् के समय में इस क्षेत्र के देशों में एवं यहाँ के लोगों में मुख्य प्रवृत्ति लोकतान्त्रिक राजनीतिक प्रणाली को अपनाने की रही है। यथा

(i) भारत व श्रीलंका -भारत व श्रीलंका के स्वतन्त्र होने के पश्चात् से आज तक लोकतान्त्रिक व्यवस्था सफलतापूर्वक कार्य कर रही है।

(ii) पाकिस्तान और बांग्लादेश-शीतयुद्ध के पश्चात् के समय में बांग्लादेश में लोकतन्त्र कायम रहा। पाकिस्तान में शीतयुद्ध के पश्चात् के समय में लगातार दो लोकतान्त्रिक सरकारों का गठन हुआ।

(iii) नेपाल-नेपाल में अप्रैल 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था, अप्रैल 2006 में एक सफल जनविद्रोह हुआ तथा सन् 2008 में राजतन्त्र के खात्मे के साथ लोकतन्त्र की बहाली हुई।

(iv) भूटान-भूटान भारत का एक पड़ोसी देश है। भूटान में राजतन्त्र व्यवस्था से शासन संचालित हो रहा था, लेकिन यहाँ के राजा ने भूटान में बहुदलीय लोकतन्त्र स्थापित करने की शुरुआत कर दी। मार्च 2008 में भूटान में निष्पक्ष चुनाव हुए और राजशाही का अन्त हो गया।

(v) मालदीव-मालदीव में सन् 1968 तक राजतन्त्रात्मक व्यवस्था कायम रही। सन् 1968 में ही मालदीव एक गणतन्त्रात्मक देश बना तथा यहाँ अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अपनायी गयी। जून 2005 में मालदीव की संसद ने बहुदलीय प्रणाली को अपनाने के पक्ष में मतदान किया। मालदीविपन डेमोक्रेटिक पार्टी (एम.डी.पी.) का मालदीव के राजनीतिक मामलों में दबदबा कायम है।

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प्रश्न 18.
अण्टार्कटिका महाद्वीपीय क्षेत्र की प्रमुख विशेषताओं, महत्त्व व अंटार्कटिका पर स्वामित्व सम्बन्धी विवाद को समझाइए। [3]
अथवा
पर्यावरण आंदोलन क्या है? विश्व में पर्यावरण आंदोलन की विविधता की विशेषताओं ६ वर्णन कीजिए। [3]
उत्तर:
अंटार्कटिका महाद्वीप की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं
(i) अंटार्कटिका महादेशीय क्षेत्र का विस्तार 1 करोड़ 40 लाख वर्ग करोड़ किमी. में है।
(ii) विश्व के निर्जन क्षेत्र का 26 प्रतिशत भाग इस महाद्वीप के अन्तर्गत आता है।
(iii) स्थलीय हिम का 90 प्रतिशत भाग एवं धरती के स्वच्छ जल का 70 प्रतिशत भाग इस महाद्वीप में मौजूद है।
(iv) इस महादेश का 3 करोड़ 60 लाख वर्ग किमी. तक अतिरिक्त विस्तार समुद्र में है।
(v) यह विश्व का सबसे सुदूर ठण्डा एवं झंझावाती प्रदेश है। अंटार्कटिका महाद्वीप का महत्त्वअंटार्कटिका महाद्वीप का महत्त्व निम्नलिखित

(i) अंटार्कटिका महाद्वीप विश्व की जलवायु को सन्तुलित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
(ii) इस महाद्वीपीय प्रदेश की आन्तरिक हिमानी परत ग्रीन हाउस गैस के जमाव का महत्त्वपूर्ण सूचना स्रोत है।
(iii) इस महाद्वीपीय प्रदेश में जमी बर्फ से लाखों वर्ष पूर्व के वायुमण्डलीय तापमान का पता लगाया जा सकता है।
(iv) इस महाद्वीपीय क्षेत्र में समुद्री पारिस्थितिकी तन्त्र अत्यन्त उर्वर पाया जाता ।
(v) यह क्षेत्र वैज्ञानिक अनुसन्धान, मत्स्य आखेट एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। अंटार्कटिका पर स्वामित्व-विश्व के सबसे सुदूर ठण्डे एवं झंझावाती महादेश अंटार्कटिका पर किसका स्वामित्व है ? इसके बारे में दो दावे किये जाते हैं। कुछ देश, जैसे-ब्रिटेन, अर्जेन्टीना, चिली, नार्वे, फ्रांस, आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड ने अंटार्कटिका क्षेत्र पर अपने अधिकार का दावा किया है, जबकि अन्य अधिकांश देशों का मत है कि अंटार्कटिका प्रदेश विश्व की साझी सम्पदा है और यह किसी भी राष्ट्र के क्षेत्राधिकार में नहीं आता ।

प्रश्न 19.
ताड़ी-विरोधी आन्दोलन महिला आन्दोलन का हिस्सा था। कारण बताइए।
अथवा
लोकप्रिय जन आंदोलनों से क्या अभिप्राय है? उन आंदोलनों से कौन-कौन से सबक सीखने को मिले हैं? [3]
उत्तर:
लोकप्रिय जन आन्दोलनों का अभिप्राय वह आन्दोलन जो जनहित या लोगों की किसी सामान्य समस्या या समस्याओं में प्रायः दलगत राजनीति से अलगरहरूकर चलाये जाते हैं, लोकप्रिय जन आन्दोलन कहे जाते हैं। उदाहरणार्थ-चिपको आन्दोलन, दलित पँथर्स आन्दोलन तथा भारतीय किसान यूनियन आन्दोलन आदि।

जन या सामाजिक आन्दोलनों द्वारा समस्याओं की अभिव्यक्ति या सामाजिक आन्दोलनों के सबक:
(i) जन आन्दोलन सामाजिक आन्दोलनों के रूप में जब उन्नति की सीढ़ियों पर चढ़ते हैं तो उनके द्वारा समाज के उन नए वर्गों की सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को अभिव्यक्ति मिलती है जो अपनी परेशानियों को चुनावी राजनीति के माध्यम से हल नहीं करा पाते।
(ii) समाज के गहरे तनावों तथा जनता के रोष को एक सार्थक दिशा देकर इन आन्दोलनों ने एक प्रकार से लोकतंत्र की रक्षा की है। सक्रिय भागीदारी के नए रूपों के प्रयोग में भारतीय लोकतंत्र के जनाधार को बढ़ाया है।
(iii) इन आन्दोलनों के आलोचक अक्सर यह तर्क देते हैं कि हड़ताल, धरना व रैली जैसी सामूहिक कार्यवाहियों से सरकार के कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उनके अनुसार इस तरह की गतिविधियों से सरकार की निर्णय प्रक्रिया बाधित होती है और प्रतिदिन की लोकतांत्रिक व्यवस्था भंग होती है।

प्रश्न 20.
गठबंधन सरकारों के उदय के लिए उत्तरदायी कारणों को समझाते हुए इसके प्रभावों को लिखिए। [3]
अथवा
अयोध्या विवाद क्या था? इसके कारण व प्रभाव रूपी घटनाक्रम का वर्णन कीजिए। [3]
उत्तर:
गठबंधन सरकार के उदय के कारण निम्नलिखित है

1. कांग्रेस के प्रभाव में कमी-आजादी के बाद से ही प्रमुख और शक्तिशाली कांग्रेस पार्टी का प्रभाव 1989 आते-आते कम होना शुरू हो गया। अतः अनेक राजनीतिक दलों वाले राजनीतिक वातावरण में गठबंधन का चलन शुरू हुआ।

2. क्षेत्रीय दलों का प्रभाव एवं संख्या1989 में क्षेत्रीय दलों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उनके प्रभाव में बढ़ोत्तरी को पहचाना जा सकता है। अपनी क्षेत्रीय प्रसार की सीमा के कारण ऐसे दलों का केन्द्रीय स्तर पर गठबंधन बनाना जरूरी हो जाता है।

3. दल बदली-1989 के बाद से ही दल बदली की प्रवृत्ति ने भारतीय राजनीति में अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। इस प्रवृत्ति ने भी गठबंधन सरकारों के चलन को बढ़ाया।
गठबंधन की राजनीति के प्रभाव-ऐसी राजनीति जिसमें चुनाव के पूर्व अथवा पश्चात् आवश्यकतानुसार दलों में सरकार के गठन अथवा अन्य मामले (जैसे राष्ट्रपति चुनाव) में आपसी सहमति बन जाए तथा वे सामान्यतः एक स्वीकृत न्यूनतम साझे कार्यक्रम के अनुसार राज्य में राजनीति चलाएँ तो इसे गठबंधन की राजनीति कहा जाता है। भारत में गठबंधन की राजनीति के प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं

(i) 1990 के दशक के पश्चात् कुछ ताकवर पार्टियों व आन्दोलनों का उदय हुआ। इन पार्टियों एवं आन्दोलनों ने दलित व पिछड़े वर्ग (अन्य पिछड़ा वर्ग) का नेतृत्व किया।
(ii) उभरी हुई पार्टियों में से अनेक ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं की भी दावेदारी प्रस्तुत की।
(ii) भारत में गठबंधन की राजनीति से अनेक क्षेत्रीय दलों ने राज्यों में सरकारें बनाईं तथा केन्द्र सरकार में भी भागीदारी की।

खण्ड – (द)

निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर:शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)

प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र संघ की संरचना को स्पष्ट कीजिए। [4]
अथवा
निम्न पर टिप्पणी लिखिए [4]
(i) अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी
(ii) ह्यूमन राइट्स वाच
उत्तर:
(i) अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी सन् 1954 में अमेरिकी प्रस्ताव को मंजूरी प्राप्त हुयी तथा 1956 में आण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (न्यूयार्क) में 70 देशों की सरकारों द्वारा आई.ए.ई.ए. (अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी) के विधान पर हस्ताक्षर किये गए। 27 जुलाई 1957 में यह अभिकरण प्रभावी हो गया। सन् 2013 के अंत तक इस अभिकरण के सदस्यों की संख्या 162 पर पहुँच चुकी थी। इसका मुख्यालय विएना में है। यह संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण न होकर संयुक्त राष्ट्र के तहत एक स्वायत्त अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी का मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण विश्व में शांति, स्वास्थ्य व समृद्धि के लिए आण्विक ऊर्जा के योगदान को विस्तारित एवं प्रोत्साहित करना है। यह संगठन यह भी सुनिश्चित करता है कि इस प्रकार की सहायता का उपयोग कर किसी प्रकार के सैन्य उद्देश्य की पूर्ति न हो।

अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख क्षेत्र
(i) स्वास्थ्य व सुरक्षा मानदंडों की स्थापना।
(ii) सुरक्षित कार्यक्रम ताकि आणविक खनिजों का सैनिक उपयोग न हो।
(iii) तकनीकी सहायता प्रदान करना।
(iv) नाभिकीय अनुसंधान एवं विकास में सहायता करना।

(ii) ह्यूमन राइट्स वाच-यह मानवाधिकारों की वकालत और उनसे सम्बन्धित अनुसंधान करने वाला एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है। यह समस्त विश्व की मीडिया का ध्यान मानवाधिकारों के उल्लंघन की ओर खींचता है। इस मानवाधिकारणलंगठन की स्थापना वर्ष 1978 में की गयी थी। यह एक गैर लाभकारी, गैर-सरकारी संगठन है। इसका कार्यालय एम्पायर स्टेट बिल्डिंग न्यूयार्क में है। इसका विशिष्ट ध्येय ह्यूमन राइट है तथा लक्ष्य एक न्याय की आवाज बनाना है। इस संगठन के द्वारा पूरी दुनिया में 90 से अधिक देशों में मानवाधिकारों की रक्षा व संवर्धन के लिए कार्य किया जाता है।

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 22.
निज पर टिप्पणी लिखिए [4]
(i) मणिपुर का भारत संघ में विलय
(ii) पोट्टी श्री रामुलु का आन्यप्रदेश के निर्माण में योगदान
अथवा
निम्न पर टिप्पणी लिखिए [4]
(i) देशी रियासतों के भारतीय संघ में विलय की कठिनाइयाँ
(ii) पंजाब व बंगाल का बँटवारा व उत्पन्न त्रासदी
उत्तर:
(i) भारत में मणिपुर का विलय-मणिपुर रियासत का भारत संघ में विलय का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर किया जा सकता है

(ii) भारत सरकार और मणिपुर के महाराजा में समझौता : स्वतंत्रता प्राप्ति के कुछ समय पूर्व मणिपुर के महाराजा बोधचन्द्र सिंह ने भारत सरकार के साथ भारतीय संघ में अपनी रियासत के विलय के सम्बन्ध में एक सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इसके फलस्वरूप उन्हें यह आश्वासन दिया गया था कि मणिपुर की आन्तरिक स्वायत्तता बरकरार रहेगी।

(iii) चुनाव कार्य : जनमत के दबाव में महाराजा ने जून 1948 में चुनाव सम्पन्न करवाया और मणिपुर रियासत में संवैधानिक राजतंत्र स्थापित हुआ। मणिपुर भारत का पहला राज्य है जहाँ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाकर चुनाव हुए।

(iv) राजनैतिक दलों में मतभेद : मणिपुर की विधानसभा में भारत में विलय पर गम्भीर मतभेद उत्पन्न हो गए थे। मणिपुर की कांग्रेस चाहती थी कि इस रियासत को भारत में सम्मिलित कर दिया जाए जबकि अन्य राजनीतिक पार्टियाँ इसके विरुद्ध थीं।

(v) अन्तिम समझौता व विलय : मणिपुर की निर्वाचित विधानसभा से परामर्श किए बिना भारत सरकार ने महाराजा पर दबाव डाला कि वे भारतीय संघ में सम्मिलित होने के समझौते पर हस्ताक्षर कर दें। भारत सरकार को इसमें सफलता भी प्राप्त हुई। मणिपुर में इस कदम को लेकर जनता में क्रोध और नाराजगी के भाव पैदा हुए। इसका प्रभाव अभी भी देखा जा सकता है।

(i) पोट्टी श्रीरामुलु का आन्धप्रदेश निर्माण में योगदान-पुराने मद्रास प्रान्त के अन्तर्गत आज के तमिलनाडु तथा आन्ध्र प्रदेश भी सम्मिलित थे। इसके कुछ भाग वर्तमान केरल व कर्नाटक में भी हैं। इस समय विशाल आन्ध्र आन्दोलन ने माँग की कि मद्रास प्रान्त के तेलुगुभाषी क्षेत्रों को अलग करके एक नया राज्य आन्ध्र प्रदेश बनाया जाये। तेलुगुभाषी क्षेत्र की लगभग सभी राजनीतिक शक्तियाँ मद्रास प्रान्त के पुनर्गठन के पक्ष में थीं। इसी समय कांग्रेस के नेता व प्रसिद्ध गाँधीवादी पोट्टी श्रीरामुलु अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन और व्यक्तिगत सत्याग्रह में भी भाग लिया था।

दलित वर्ग के लोगों का उन्हें व्यापक समर्थन प्राप्त था। नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में सन् 1920 में श्रीरामुल भी उपस्थित थे। इसमें कांग्रेस ने स्वतंत्रता के बाद भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन करने का वचन दिया था। श्रीरामुलु की 56 दिनों की भूख हड़ताल के बाद मृत्यु हो गयी। इससे मद्रास प्रांत में बहुत अव्यवस्था फैली, स्थान-स्थान पर हिंसक घटनाएँ होने लगी। मद्रास में अनेक विधायकों ने विरोध जताते हुए अपनी सीट से त्यागपत्र दे दिया। अंततः दिसम्बर 1952 में प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने आन्ध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा की।

RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 6 with Answers in Hindi

प्रश्न 23.
“1971 में केन्द्र तथा राज्य दोनों स्तरों पर लगातार चुनाव में विजय प्राप्त करने के पश्चात्, कांग्रेस पार्टी ने · अपने प्रभुत्व को पुनः स्थापित कर लिया।” कांग्रेस की बदली हुयी प्रकृति का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
सन् 1971 के आम चुनाव व देश की राजनीतिक में कांग्रेस के पुनर्स्थापन से जुड़ी राजनीतिक घटनाओं व परिणामों का विवेचन कीजिए।[4]
उत्तर:
1971 में पाँचवीं लोकसभा चुनाव कई पहलुओं से ऐतिहासिक माना जाता है इसी चुनाव में श्रीमती इंदिरा गांधी को अपनी लोकप्रियता को एक बार फिर से प्राप्त करनी थी तो कांग्रेस पार्टी की नीतियों के प्रति जनमत भी स्थापित करना था। 1971 के चुनाव में यह दोनों उद्देश्य सफल होते दिखाई देते हैं। लोकसभा की 518 सीटों में से 352 सीटें प्राप्त करके श्रीमती गाँधी लोगों के अभूतपूर्व समर्थन को प्रदर्शित किया। 1971 के चुनावों में बहुत बड़ी संख्या में सीट जिता कर लोगों ने श्रीमती गांधी को राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित कर दिया था। यह विजय श्रीमती गांधी की क्रांतिकारी विजय मानी जाती है। लोगों के बीच इंदिरा गांधी ‘गरीबी हटाओ’ का नारा लेकर गयी थी जबकि उनके ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा लेकर लोगों का समर्थन चाहते थे। चुनाव अभियानों से ज्ञात होता है कि आम जनता ने ‘गरीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसंद किया तथा श्रीमती गांधी को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। 1972 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व स्थापित हुआ। कई राज्यों में इंदिरा गांधी की पार्टी ही सरकार बनाने में सफल हुई। स्पष्ट है कि 1971 के चुनाव में इंदिरा के नेतृत्व में नयी कांग्रेस ने अपना प्रभुत्व स्थापित किया। तकनीकि अर्थों में पुरानी कांग्रेस का प्रभुत्व पुनर्स्थापित नहीं हुआ था। इस बात के पक्ष में तीन तर्क सामने आते हैं

(1) इंदिरा गांधी नेतृत्व में नई कांग्रेस अस्तित्व में आयी थी। पुरानी कांग्रेस ‘सिंडीकेट’ के पास रही जो चुनाव हार चुकी थी।
(2) इंदिरा के नेगव वाली नयो कांग्रेस कई आयामों में पुरानी कांग्रेस से अलग थी। नई कांग्रेस अपने नेता की लोकप्रियता पर निर्भर थी। पार्टी का पुरानी कांग्रेस की तरह मतबूत ढाँचा भी नहीं था।
(3) नयी कांग्रेस अपने आप को नये सिरे से प्रासंगिक और प्रभावी बनाने का प्रयास कर रही थी। सन् 1971 के चुनावों के परिणामस्वरूप बदली हुई कांग्रेस व्यवस्था की प्रकृति को निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता

(i) सन् 1971 के चुनाव के पश्चात् इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस को अपने सर्वोच्च नेता पर निर्भर रहने वाली पार्टी बना दिया। यहाँ से उनके आदेश सर्वोपरि बनने प्रारम्भ हुए। सिंडिकेट जैसे अनौपचारिक प्रभावशाली नेताओं का समूह राजनीतिक मंच से हट गया।

(ii) सन् 1971 के पश्चात् कांग्रेस का संगठन भिन्न-भिन्न विचारधाराओं वाले समूहों के समावेशी किस्म का नहीं रहा। अब यह अनन्य एकाधिकारिता वाला बन गया था।

(iii) इंदिरा की कांग्रेस को गरीबों, महिलाओं, दलित समूहों, जनजाति समूहों के लोगों ने जिताया था। यह धनी उद्योगपतियों, सौदागरों तथा राजनीतिज्ञों के समूह अथवा सिंडिकेट के हाथों की कठपुतली अब नहीं रही। वस्तुतः सह पहले की कांग्रेस पार्टी का पूर्णरूप से बदला हुआ स्वरूप था।

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