Students must start practicing the questions from RBSE 12th Political Science Model Papers Set 8 with Answers in Hindi Medium provided here.
RBSE Class 12 Political Science Model Paper Set 8 with Answers in Hindi
समय : 2:45 घण्टे
पूर्णांक : 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर:पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
खण्ड – (अ)
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों में उत्तर: का सही विकल्प चयन कर उत्तर: पुस्तिका में लिखें । [1]
(i) बर्लिन की दीवार को कब गिराया गया था?
(अ) 1989 में
(ब) 1990 में
(स) 1991 में
(द) 1993 में
उत्तर:
(अ) 1989 में
(ii) सोवियत खेमे से सम्बन्धित राष्ट्र नहीं है, वह है? [1]
(अ) सोवियत संघ
(ब) हंगरी
(स) रोमानिया
(द) इटली
उत्तर:
(द) इटली
(iii) नेपाल के द्वारा नया संविधान कब अपनाया गया? [1]
(अ) 1994 में
(ब) 2005 में
(स) 2015 में
(द) 2019 में
उत्तर:
(स) 2015 में
(iv) कौन-सा देश भारत की पूरब चलो नीति का हिस्सा है? । [1]
(अ) नेपाल
(ब) बांग्लादेश
(स) भूटान
(द) श्रीलंका
उत्तर:
(ब) बांग्लादेश
(v) रियो पृथ्वी सम्मेलन में कितने देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया? [1]
(अ) 50
(ब) 120
(स) 170
(द) 192
उत्तर:
(स) 170
(vi) प्रथम भारतीय गर्वनर जनरल थे [1]
(अ) राजेन्द्र प्रसाद
(ब) राधाकृष्णन
(स) सी. राजगोपालाचारी
(द) मावलेकर
उत्तर:
(स) सी. राजगोपालाचारी
(vii) हरित क्रांति के जन्मदाता हैं- [1]
(अ) वर्गीज कुरीयन
(ब) नौरमन ई. बोरलाग
(स) एच.एल.बैक लैड
(द) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(ब) नौरमन ई. बोरलाग
(viii) सूचना की स्वतंत्रता नामक विधेयक कब पारित हुआ? [1]
(अ) 1996 में
(ब) 1998 में
(स) 2000 में
(द) 2002 में
उत्तर:
(द) 2002 में
(ix) EVM का पूरा नाम है [1]
(अ) Electronic Voting Machine
(ब) Electronic Vote Mechanics
(स) Electric Vote Machine
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) Electronic Voting Machine
(x) कितने राष्ट्रों ने 1945 में संयुक्त राष्ट्र के मूल चार्टर पर हस्ताक्षर किये [1]
(अ) 45
(ब) 60
(स) 51
(द) 56
उत्तर:
(स) 51
(xi) हरियाणा व हिमाचल प्रदेश नामक राज्यों का गठन कब हुआ था? [1]
(अ) 1960 में
(ब) 1963 में
(स) 1966 में.
(द) 1972 में
उत्तर:
(स) 1966 में.
(xii) जूनागढ़ रियासत का सम्बन्ध किस राज्य से है? [1]
(अ) राजस्थान
(ब) गुजरात
(स) कर्नाटक
(द) आन्ध्रप्रदेश
उत्तर:
(ब) गुजरात
प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी की स्थापना सन् ………….. में हुई थी। [1]
उत्तर:
1957
(ii) जापान पर गिराये गये बमों को …………….. और …………… के गुप्तनाम दिये गए। [1]
उत्तर:
लिटिल ब्वॉय, फैटमैन,
(iii) हथियारों की होड़ में ……………… ने समय-समय पर …………….. ……… को बराबर की टक्कर दी। [1]
उत्तर:
सोवियत संघ अमरीका,
(iv) पूरी औद्योगिक दुनिया ………………………. के बूते पर टिकी है। [1]
उत्तर:
पेट्रोलियम,
(v) नब्बे के दशक में राजनीतिक मुकाबला ……… और …………………. के बीच चला। [1]
उत्तर:
भाजपा नीत गठबंधन, कांग्रेस नीत गठबंधन
(vi) सक्रिय भागीदारी के नए रूपों के प्रयोग ने भारतीय लोकतंत्र के ……………………. को बढ़ाया है। [1]
उत्तर:
जनाधार।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्न प्रश्नों के उत्तर: एक शब्द अथवा एक पंक्ति में दीजिए
(i) सीटो (CEATO) का विस्तृत रूप क्या है? [1]
उत्तर:
दक्षिण-पूर्व एशियाई संधि संगठन
(South-east Asian Treaty Organisation)
(ii) सोवियत संघ के विघटन के पश्चात उसका उत्तर:ाधिकारी गणराज्य कौन-सा बना? [1]
उत्तर:
रूस।
(iii) बी. डब्ल्यू. सी (BWC) का पूरा नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
बॉयोलॉजिकल वीपन्स कन्वेंशन (जैविक हथियार संधि)।
(iv) भारत का लौह पुरुष किसे कहा जाता है? [1]
उत्तर:
सरदार वल्लभ भाई पटेल को।
(v) केरल मॉडल क्या है? [1]
उत्तर:
केरल में विकास व नियोजन के लिए जो रास्ता चुना गया उसे केरल मॉडल कहते
(vi) दल आधारित आंदोलन से क्या तात्पर्य है? [1]
उत्तर:
ऐसे आंदोलन जो किसी राजनीतिक दल के सहयोग से प्रारम्भ किये जाते हैं उन्हें दल आधारित आंदोलन कहते हैं।
(vii) यू.एन.एफ.सी.सी.सी. का पूरा नाम लिखिए। [1]
उत्तर:
यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज।
(viii) साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए अमेरिका ने क्या कदम उठाये। [1]
उत्तर:
अमेरिका ने ट्रमैन सिद्धान्त, मार्शल योजना व आइजन हॉवर सिद्धान्त बनाए।
(ix) सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी क्या थी? [1]
उत्तर:
सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
(x) वर्गीज कुरियन किससे संबंधित थे? [1]
उत्तर:
श्वेत क्रांति से।
(xi) बाबरी ढाँचे के विध्वंस के क्या परिणाम हुए? [1]
उत्तर:
बाबरी ढाँचे के विध्वंस के कारण भारतीय राष्ट्रवाद व धर्मनिरपेक्षता पर बहस तेज हो गयी तथा भाजपा को उदय के लिए आधार प्राप्त हुआ।
(xii) समाज में वंचना का भाव क्यों प्रबल हुआ? [1]
उत्तर:
जाति व लिंग पर आधारित सामाजिक असमानताओं ने गरीबी के मसले को और ज्यादा जटिल बना दिया, शहरी व औद्योगिक तथा ग्रामीण कृषि क्षेत्र के बीच एक न पाटी जा सकने वाली फाँक पैदा हुयी, जिससे समाज में वंचना की भावना प्रबल हुयी।
खण्ड – (ब)
लघूत्तरात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 50 शब्द)
प्रश्न 4.
परमाणु अप्रसार संधि से आप क्या समझते हैं? [2]
उत्तर:
यह संधि 5 मार्च 1970 से प्रभावी हुयी। यह संधि सिर्फ परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों को एटमी हथियार रखने की अनुमति देती है तथा शेष विश्व को ऐसे हथियार रखने से रोकती है। इस संधि के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ (वर्तमान रूप) ब्रिटेन, फ्रांस व चीन को परमाणु शक्ति सम्पन्न माना गया है।
प्रश्न 5.
बर्लिन की दीवार क्या थी? [2]
उत्तर:
बर्लिन की दीवार पूँजीवादी व साम्यवादी विश्व के मध्य विभाजन का प्रतीक थी। इसे सन् 1961 में निर्मित किया गया। यह 150 किमी. से भी अधिक लम्बी थी, जो पश्चिमी तथा पूर्वी बर्लिन को अलग-अलग करती थी। सन् 1989 में बर्लिन की दीवार ढह गयी। यहीं से सम्पूर्ण विश्व में सोवियत संघ का प्रभाव भी समाप्त हो गया तथा दो ध्रुवीयता का अन्त भी हो गया।
प्रश्न 6.
सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-II से आप क्या समझते हैं? [2]
उत्तर:
नवम्बर 1972 में प्रारम्भ वार्ता के इस दूसरे चरण के अन्तर्गत सोवियत नेता ब्रेझनेव ने अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर के साथ वियना में 18 जून 1979 को सामरिक रूप से घातक हथियारों के परिसीमन से सम्बन्धित संधि पर हस्ताक्षर किये। इसे ही सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-II कहा जाता है।
प्रश्न 7.
आर्थिक उदारीकरण ने भारत को किस प्रकार लाभ पहुँचाया है? [2]
उत्तर:
(i) इसने पोर्टफोलिया निवेश तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में विदेशी पूँजी प्रवाह को बढ़ावा दिया है।
(ii) भारतीय अर्थव्यवस्था की अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से विकसित देशों के साथ प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए लाभ प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 8.
कोलम्बो योजना से आप क्या समझते हैं? [2]
उत्तर:
सन् 1962 की सैनिक भिड़न्त के कुछ समय बाद ही सीमा विवाद के समाधान हेतु छः एफ्रो-एशियाई देशों ने जो योजना प्रस्तुत की थी, उसे ही कोलम्बो योजना के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 9.
मानवाधिकार की प्रमुख कोटियाँ कौनसी हैं? [2]
उत्तर:
मानवाधिकार की तीन प्रमुख कोटियाँ हैं
(i) राजनीतिक अधिकारों की प्राप्तिइसमें सभी लोगों को समान रूप से अभिव्यक्ति । व सभा करने की आजादी प्रदान करने को शामिल किया गया है।
(ii) आर्थिक व सामाजिक अधिकारों की प्राप्ति-इसमें रोजगार, सेवा के अवसरों की समानता व सामाजिक समानता रूपी दशाओं को शामिल किया गया है।
(iii) तीसरी कोटि में उपनिवेशीकृत जनता अथवा जातीय व मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार शामिल किये जाते हैं।
प्रश्न 10.
नाटो संगठन के प्रमुख उद्देश्यों को लिखिए। [2]
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप में सोवितय गुट के साम्यवादी प्रभाव को रोकना।
(1) धारा 5 के अनुसार नाटो के एक सदस्य पर आक्रमण सभी सदस्यों पर आक्रमण समझा जायेगा। अतः सभी सदस्य सामूहिक सैन्य प्रयास करेंगे।
(2) सदस्यों में आत्म सहायता तथा पारस्परिक सहायता का विकास करना, जिससे वे सशस्त्र आक्रमण के विरोध की क्षमता का विकास कर सकें।
(3) नाटो के अन्य उद्देश्य-सदस्यों में आर्थिक सहयोग को बढ़ाना तथा उनके विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान करना।
प्रश्न 11.
भारतीय जनसंघ की विचारधारा को समझाइए। [2]
उत्तर:
भारतीय जनसंघ की स्थापना सन् 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा की गई।
(i) जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को एक करके ‘अखंड भारत’ के निर्माण की बात कही।
(ii) जनसंघ ने ‘एक देश एक संस्कृति और एक राष्ट्र’ के विचार पर बल दिया। इसका मानना था कि देश भारतीय संस्कृति व परंपरा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील व शक्तिशाली बन सकता है।
प्रश्न 12.
भारत में दलीय व्यवस्था की कोई दो विशेषताएँ लिखिए। [2]
उत्तर:
भारत में दलीय व्यवस्था की दो प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) भारत में बहुदलीय व्यवस्था है तथा राजनैतिक दल विभिन्न हित समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
(ii) भारत में राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ क्षेत्रीय दल भी पाये जाते हैं।
प्रश्न 13.
जोनिंग या इलाकाबंदी से आप क्या समझते हैं? [2]
उत्तर:
जोनिंग या इलाकाबंदी-बिहार में खाद्यान्न संकट सबसे अधिक विकराल था। बिहार में उत्तर भारत के अन्य राज्यों की तुलना में खाद्यान्न की कीमतें काफी बढ़ी। अपेक्षाकृत समृद्ध पंजाब की तुलना में गेहूँ और चावल बिहार में दोगुने दामों में बिक रहे थे। सरकार ने उस वक्त जोनिंग या इलाकाबंदी की नीति अपना रखी थी। इसकी वजह से विभिन्न राज्यों के बीच खाद्यान्न का व्यापार नहीं हो पा रहा था।
प्रश्न 14.
भारत में कृषि बनाम उद्योग विवाद के प्रमुख तर्कों को लिखिए। [2]
उत्तर:
(1) स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत जैसे पिछड़ी अर्थव्यवस्था के देश में यह विवाद उत्पन्न हुआ कि उद्योग व कृषि में से किस क्षेत्र में अधिक संसाधन लगाये जायें।।
(2) अनेक लोगों का मानना था कि दूसरी पंचवर्षीय योजना में कृषि के विकास की रणनीति का अभाव था तथा इस योजना के दौरान उद्योगों पर अधिक बल देने के कारण कृषि व ग्रामीण क्षेत्रों को चोट पहुँची।
(3) जे. सी. कुमारप्पा जैसे गाँधीवादी अर्थशास्त्रियों ने एक वैकल्पिक योजना की रूपरेखा प्रस्तुत की थी, जिसमें ग्रामीण
औद्योगीकरण पर अधिक जोर दिया गया था।
(4) चौधरी चरण सिंह ने कहा कि नियोजन. से नगरीय व औद्योगिक वर्ग समृद्ध हो रहे हैं तथा इसकी कीमत किसानों तथा ग्रामीण जनता को चुकानी पड़ रही है।
(5) कई अन्य लोगों का विचार था कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर को तीव्र किए बिना गरीबी से छुटकारा नहीं मिल सकता।
प्रश्न 15.
1971 में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के कारण बताइए। [2]
उत्तर:
1971 के लोकसभा चुनाव के बाद निम्नलिखित कारणों से कांग्रेस की पुनर्स्थापना हुई
(1) इंदिरा गाँधी का चमत्कारिक नेतृत्व1971 के चुनावों में कांग्रेस के पीछे इंदिरा गाँधी का चमत्कारी नेतृत्व था। उन्होंने मतदाताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क किया तथा कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया।
(ii) गरीबी हटाओ का नारा-गरीबी हटाओ के नारे से इंदिरा गाँधी ने आधार तैयार किया।
(iii) इंदिरा गाँधी की राजनीतिक हैसियत का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना-1971 के चुनाव में विजय के उपरान्त भारतीय राजनीति में इंदिरा गाँधी की अप्रत्याशित रूप से राजनीतिक हैसियत बढ़ गयी।
(iv) समाजवादी नीतियाँ-इन्दिरा गाँधी ने समाजवादी नीतियों को अपनाया। उन्होंने प्रत्येक चुनाव रैली में समाजवाद के विषय में बढ़-चढ़कर बातें की।
(v) कांग्रेस के पास एजेंडा एवं कार्यक्रम1971 के चुनावों में कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी थी जिसके पास देश के विकास हेतु एक निश्चित एजेंडा व कार्यक्रम था।
प्रश्न 16.
कांशीराम का जीवन-परिचय एवं दलित राजनीति में उनका योगदान बताइए। [2] .
उत्तर:
कांशीराम का जन्म सन् 1934 में हुआ। वे देश के दलित नेता तथा बहुजन समाज पार्टी . (बसपा) के संस्थापक थे। उन्होंने अपने समाज तथा पार्टी की सेवा करने हेतु सरकारी सेवा को त्याग दिया, जिससे वे सामाजिक एवं राजनैतिक कार्यों में अपना पूरा समय लगा सकें। इन्होंने सन् 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। कांशीराम एक कुशल रणनीतिकार थे। उन्होंने उत्तर भारत के राज्यों के दलित राजनीति के संगठनकर्ता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की।
खण्ड – (स)
दीर्घ उत्तरदीय प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 100 शब्द)
प्रश्न 17.
भारत के पड़ोसी देशों का दक्षिण एशिया के संदर्भ में संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [3]
अथवा
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षों व परिणामों को स्पष्ट कीजिए। [3]
उत्तर:
भारत-पाकिस्तान के बीच हुए प्रमुख संघर्ष
(i) 1947 का युद्ध-इसे प्रथम कश्मीर युद्ध भी कहा जाता है। यह अक्टूबर 1947 में प्रारम्भ हुआ था। पाकिस्तान की सेना के साथ हजारों की संख्या में जनजातीय लड़ाकों ने कश्मीर में प्रवेश कर राज्य के कुछ हिस्सों पर हमला कर उन पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद कश्मीर के इस भाग को मुक्त कराया गया।
(ii) सन् 1965 का युद्ध-यह युद्ध भारतपाकिस्तान के बीच ऑपरेशन जिब्राल्टर के साथ शुरू हुआ। पाकिस्तान कश्मीर में सेना भेजकर यहाँ विद्रोह करना चाहता था। भारत ने भी पाकिस्तान पर सैन्य हमले किये। यह युद्ध 17 दिन तक चला। आखिरकार सोवियत संघ व संयुक्त राज्य द्वारा राजनयिक हस्तक्षेप करने के बाद युद्ध विराम घोषित हुआ।
(iii) सन् 1971 का युद्ध-यह भारतपाकिस्तान के बीच तीसरा युद्ध था इसमें पाकिस्तान के 94000 से ज्यादा सैनिकों को बंदी बना लिया गया। इस युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी। पाकिस्तान विभाजन के पश्चात बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
(iv) कारगिल का युद्ध-यह सन् 1999 में हुआ। यह कारगिल नामक जगह पर हुआ था, इसी कारण इसे कारगिल का युद्ध कहते हैं। इस अत्यधिक ठंडे इलाके पर पाकिस्तान ने अपना कब्जा कर लिया था। भारत की सेना ने इसका पता चलने पर पाक सेना का मुँहतोड़ जवाब दिया और पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की।
प्रश्न 18.
सतत् विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता क्यों है? [3]
अथवा
विकास की धारणीयता के सन्दर्भ में हमारे लक्ष्य क्या होने चाहिए? समझाइए। [3]
उत्तर:
सतत् विकास को संपोषणीय विकास, धारणीय विकास, टिकारी विकास आदि नामों से जाना जाता है। यह वर्तमान आधुनिक विश्व की महती आवश्यकता बन गया है क्योंकि वर्तमान में तीव्र गति से बढ़ती हुयी जनसंख्या को पर्यापत मात्रा में संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करा पाना एक विकट समस्या बन चुकी हैं। आने वाली पीढ़ियों तक प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता को किस प्रकार सुनिश्चित किया जाये इसके लिए सतत् विकास एक आवश्यक प्रक्रिया बन गयी है जिसमें वर्तमान समय में संसाधनों का विवेकपूर्ण ढंग से प्रयोग करते उन्हें बचाकर रखने व आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने की प्रक्रिया शामिल है जो बिना पर्यावरण को नुकसान पहुँचाये सम्पन्न की जाये।
प्रश्न 19.
भारत में सम्पन्न हुए प्रमुख जन आंदोलनों के बारे में बताइए। [3]
अथवा
निम्न पर टिप्पणी लिखिए
(i) जन आंदोलन के लाभ-हानि
(ii) दलित पैंथर्स व प्रमुख मुद्दे
(iii) भारतीय किसान यूनियन की सफलताएँ
उत्तर:
भारत में समय-समय पर विभिन्न प्रकार के मुद्दों को लेकर जन आंदोलन होते रहे हैं जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नानुसार हैं’
(i) चिपको आंदोलन-यह भारत के उत्तराखंड के चमौली नामक स्थान पर प्रारम्भ हुआ जन आंदोलन था। जो पेड़ों की रक्षा के लिए सम्पन्न हुआ था। इस आंदोलन में महिलाओं ने अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया था। लोगों के विरोध के आगे झुककर अन्ततः हिमालयी क्षेत्रों में वनों की कटाई पर 15 वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया। यह आंदोलन सत्तर व अस्सी के दशक में जन आंदोलनों का प्रतीक बन गया था।
(ii) भारतीय किसान आंदोलन-यह आंदोलन कृषक संघर्ष का एक उदाहरण है। इसका उदय 1988 के जनवरी माह में उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में हुआ जहाँ लगभग 20 हजार लोग एकत्रित हुए थे। इन किसानों के द्वारा बिजली की बढ़ी हुयी दरों का विरोध किया जा रहा था। यह ग्रामीण शक्ति अथवा काश्तकारों की शक्ति का एक बड़ा प्रदर्शन था।
(iii) ताड़ी विरोधी आंदोलन-यह आंदोलन दक्षिणी भारतीय राज्य आन्ध्रप्रदेश में हुआ था। यह महिलाओं का एक स्वतः स्फूर्त आंदोलन था जिसमें महिलायें अपने समीप बिक्री रही मदिरा की बिक्री का विरोध कर रही थी। ग्रामीण महिलाओं ने शराब के खिलाफ लड़ाई छेड़ रखी थी। यह लड़ाई माफिया व सरकार दोनों के खिलाफ थी। इस मदिरा विरोधी आंदोलन की व्यापकता के आधार पर इसे ताड़ी विरोधी आंदोलन कहा गया था।
(iv) नर्मदा बचाओ आंदोलन-अस्सी के दशक में नर्मदा घाटी में विकास के लिए नर्मदा व उसकी सहायक नदियों पर 30 बड़े, 135 मझले व 300 छोटे बाँध बनाने का प्रस्ताव रखा गया। इन प्रस्तावित बाँधों के निर्माण से 245 गाँव डूब क्षेत्र में आ रहे थे, जिनके पुनर्वास की सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की थी। इसी मुद्दे को लेकर नर्मदा नदी के बचाव में नर्मदा आंदोलन चलाया गया
था।
प्रश्न 20.
द्वि-दलीय प्रणाली लोकतंत्र के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है, परन्तु भारत में बहुदलीय प्रणाली है। भारत में बहुदलीय प्रणाली के लाभों का आकलन कीजिए। [3]
अथवा
भारत में एक दल की प्रधानता के कारण लिखें। [3]
उत्तर:
भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् एक दलीय व्यवस्था का स्वरूप लम्बे समय तक जारी रहा था। इसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी रहे थे
(i) कांग्रेस का सर्वमान्य पार्टी होनाभारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महत्वपूर्ण लोग कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। इसी कारण लोगों का कांग्रेस पार्टी के प्रति अधिक विश्वास था। उस समय कांग्रेस पार्टी का स्थान एक सर्वमान्य पार्टी के रूप में था, जिसके कारण इसकी लम्बे समय तक प्रभुसत्ता बनी रही।
(ii) आया-राम गया-राम की नीति-कांग्रेस की भूमिका कम होने पर जो नई पार्टियाँ बनी उनके लोग दल-बदल की प्रक्रिया अधिक करते थे। इसी कारण लोगों का कांग्रेस के प्रति अधिक विश्वास होना एक दलीय व्यवस्था के लिए उत्तरदायी सिद्ध हुआ था।
(iii) अधिकांश पार्टियों का कांग्रेस विभाजन से बनना-भारतीय स्वतंत्रता के बाद जिन नये दलों का उद्भव हुआ था उनमें से अधिकांश कांग्रेस से सम्बन्धित थे जिनके कारण लोग कांग्रेस को ही अधिक महत्व देते थे तथा नवीन पार्टियों का वोट प्राप्ति प्रतिशत बहुत कम था।
(iv) राजनीतिक एजेण्डों की समीपताअधिकांश नई पार्टियों का अपना कोई प्रभावशाली एजेण्डा नहीं था, जिसके कारण लोगों को नई पार्टियाँ अपनी ओर अधिक आकर्षित नहीं कर सकी और कांग्रेस के रूप में एक दलीय प्रभुत्व बना रहा।
(v) 1967 के पश्चात भी केन्द्र में काँग्रेस की प्रधानता का बने रहना।
(vi) राजनीतिक दलों के कार्यक्रमों में समानता का होना।
(vii) गठबंधन सरकारों की असफलता।
खण्ड – (द)
निबन्धात्मक प्रश्न (उत्तर: शब्द सीमा लगभग 250 शब्द)
प्रश्न 21.
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंगों का वर्णन करते हुए भारतीय भूमिका को स्पष्ट कीजिए। [4]
अथवा
संयुक्त राष्ट्र संघ की असफलता के कारणों का उल्लेख कीजिए। [4]
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग निम्नवत् हैं
(1) आमसभा: यह संयुक्त राष्ट्र संघ की सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था है। संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रत्येक राष्ट्र सदस्य होता है। प्रतिवर्ष इसका एक अधिवेशन होता है। आवश्यक होने पर विशेष अधिवेशन भी हो सकते हैं। नए सदस्यों को सदस्यता देना, सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों का चयन, संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की नियुक्ति तथा बजट पारित करना इत्यादि इसके प्रमुख कार्य हैं। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों की संख्या 193 है।
(2) सुरक्षा परिषद्: इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी कहा जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैण्ड), फ्रांस, रूस तथा चीन इसके स्थायी सदस्य हैं। इसके अलावा इसमें 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन महासभा प्रति दो वर्ष बाद करती है, इसका प्रमुख कार्य विश्व में शान्ति की स्थापना करके उसे बनाए रखना है।
(3) आर्थिक और सामाजिक परिषद्इसका गठन महासभा द्वारा निर्वाचित सदस्यों से होता है। यह विश्व में सामाजिक एवं आर्थिक कल्याण के कार्य करती है।
(4) न्यासिता परिषद्: यह परिषद् उन देशों के प्रबन्धन की देखभाल के लिए गठित की गई थी, जिन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् औपनिवेशिक देशों से मुक्ति मिली थी, लेकिन जो स्वयं अपना शासन चलाने में सक्षम नहीं थे।
(5) अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय: संयुक्त राष्ट्र संघ का यह अंग विश्व के देशों के बीच के विवादों का निर्णय अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार करता है। इसके न्यायाधीशों की नियुक्ति महासभा द्वारा की जाती है। इसका मुख्यालय हेग में है।
(6) सचिवालय: सचिवालय संयुक्त राष्ट्र संघ के विविध अंगों तथा उसके स्वयं के कार्यालय के रूप में कार्य करता है। महासचिव कार्यालय का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है
तथा उसका चयन सुरक्षा परिषद् की अनुशंसा पर आमसभा द्वारा किया जाता है। . संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का योगदान भारत संयुक्त राष्ट्र का प्रबल समर्थक है, अत: वह उसमें पूर्ण आस्था रखता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के योगदान अथवा भूमिका को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है
(1) संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेशों का परिपालन-भारत 30 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बना था। उसने प्रारम्भ से ही संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेशों का परिपालन किया है। उदाहरणार्थ-1948ए 1965 तथा 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश पर भारत ने युद्ध विराम किया था।
(2) अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान तथा विश्व शान्ति की स्थापना में सहायता- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर अनेक अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में निर्णायक भूमिका का निर्वहन किया है। उदाहरणार्थकोरिया, हिन्द-चीन, कांगो तथा मिस्र इत्यादि देशों की समस्या को हल करने में भारत का योगदान दुनिया से छिपा हुआ नहीं है।
(3) संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन में सहयोग-भारत ने शुरू से ही संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यप्रणाली तथा उसके संगठन में सहभागिता की है।
(4) संयुक्त राष्ट्र संघ को विश्वव्यापी संगठन बनाने का प्रयास-भारत ने सदैव यह प्रयास किये हैं कि विश्व के सभी देश संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य बनें। भारत चाहता है कि यह संगठन विश्वव्यापी बने जिससे यह दुनिया में शान्ति स्थापित करने में प्रभावी भूमिका का निर्वहन कर सके। एक समय था जब संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत रूस अन्य देशों को संघ का सदस्य बनने में रुकावट पैदा कर रहे थे। लेकिन भारत ने दोनों देशों को सहमत ‘करके 18 नए देशों को संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता दिलाई जिसमें जनवादी चीन भी सम्मिलित था। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्य संख्या 193 हो गई है तथा इसमें भारत का निश्चित रूप से महत्वपूर्ण योगदान ।
प्रश्न 22.
भारत में देशी रियासतों के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। [4]
अथवा
निम्न पर टिप्पणी लिखिए [4]
(i) पांडिचेरी व गोवा का भारत में विलय
(ii) देशी रियासतों के एकीकरण के चरण
उत्तर:
जूनागढ़ का विलय-गुजरात के काठियावाड़ के जूनागढ़ का राज्य एक मुसलमान नवाब के अर्थ था। स्थल मार्ग से पाकिस्तान के साथ उनका कोई सम्बन्ध नहीं था फिर भी जिन्ना ने उसे पाकिस्तान में मिलने के लिए मना लिया था। किन्तु नवाब, जिन्ना तथा माउण्टबेटन की चाल सफल नहीं हो सकी। जूनागढ़ और काठियावाड़ के लोगों को तत्काल विद्रोह का बिगुल बज उठा। एक अस्थायी सरकार की स्थापना की गई और जनमत संग्रह कराया गया। जनमत में लोगों ने भारत के साथ रहना मंजूर किया, नवाब भागकर पाकिस्तान चला गया।
(ii) कश्मीर का विलय-भारत में कश्मीर के विलय को लेकर महाराजा हरीसिंह पशोपेश में थे कि इसी बीच महाराजा की चुप्पी को देखकर पाकिस्तानी कबाइली एकाएक कश्मीर पर में घुस आये। पाकस्तानी आक्रमणकारियों को अंग्रेजों का समर्थन प्राप्त था। जब आक्रमणकारी श्रीनगर तक पहुँच गये तो हरीसिंह ने भारत विलय की घोषणा कर दी। 26 अक्टूबर, 1947 को विलय पत्र पर महाराजा के हस्ताक्षर करने के बाद भारत की सेना ने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को रोका तथा उन्हें खदेड़ दिया।
(iii) हैदराबाद का विलय-हैदराबाद भारत का दूसरा देशी राज्य था जो भारत के लिए काफी सिरदर्द का कारण बना। हैदराबाद का निजाम भी सीधे निर्णय न लेकर ब्रिटिश साम्राज्य के साथ साँठगाँठ कर एक स्वतन्त्र राष्ट्र का स्वप्न देख रहा था। जब माउण्टबेटन के भारत छोड़ने पर सी. राजगोपालाचारी 1948 ई. में गवर्नर बने तो 13 सितम्बर, 1948 को रजाकारों को खदेड़कर निजाम से विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवाये। अब अन्य राज्यों की तरह हैदराबाद का भी विलय भारत में हो गया।
(iv) भोपाल का विलय-एक और जटिल एवं संकटपूर्ण समस्या भोपाल के नवाब की थी। यहाँ का नवाब क्रिप्स मिशन घोषणा के बाद भारत के विरोधी गुट में शामिल हो गया था। इसके द्वारा हिन्दू तथा मुस्लिम नरेशों को फुसलाने का प्रयत्न किया गया जसका विरोध बीकानेर तथा पटियाला के महाराजा ने किया। जिन्ना तथा नवाब लीग के नेता लगातार इन नरेशों को लालच देकर पाकिस्तान में मिलने के लिए कहते रहे। सरदार पटेल ने यहाँ सख्ती से काम लिया और भोपाल का विलय भारत के साथ हो गया।
(v) राजपूत राज्यों का भारत में विलयहिन्दू राजाओं ने अधिक समस्या खड़ी नहीं की। उदयपुर, जोधपुर के महाराणा शुरू से भारत के समर्थक थे और वे भारत के साथ मिल गये। जोधपुर ओर जैसलमेर राज्यों ने अन्तिम रूप से भारत में मिलने की इच्छा व्यक्त की। जोधपुर नरेश हनुमन्त सिंह पाकिस्तान में मिलने के इच्छुक थे व अपने साथ जैसलमेर को भी लाना चाहते थे। जिन्ना और मुस्लिम लीग भी यही चाहते थे किन्तु वी. पी. मेनन ने ऐसा चक्कर चलाया कि जिन्ना की योजना धरी-की-धरी रह गई। राजा तुरन्त भारत विलय के लिए राजी हो गये। एक अन्य हिन्दू राजा त्रावणकोर ने स्वतन्त्र रहने की घोषणा कर दी। परन्तु कांग्रेस के भूमिगत नेताओं ने आन्दोलन छेड़ दिया। राजा ने तुरन्त विलय-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। इस तरह भारत संघ में राज्यों के सफल विलय का ऐतिहासिक महत्व है। इस कार्य को सफलता के सोपान तक पहुँचाने में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका निश्चित ही सराहनीय मानी जा सकती है।
प्रश्न 23.
निम्न में से किन्हीं दो पर टिप्पणी लिखिए-. [4]
(i) ग्रैंड अलायंस \
(ii) 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पुनर्स्थापना
अथवा
गैर कांग्रेसवाद से क्या तात्पर्य है? गैर कांग्रेसवाद की प्रमुख नीतियों का वर्णन करते हुए गठबंधन की राजनीति का उल्लेख कीजिए। [4]
उत्तर:
गैर-कांग्रेसवाद-स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही कुछ समाजवादी नेताओं ने देश में कांग्रेस विरोधी अथवा गैर-कांग्रेसवाद का राजनैतिक माहौल बनाने का प्रयत्न किया। देश में सारा राजनैतिक माहौल और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी हुई स्थिति देश की दलगत राजनीति से अलगथलग नहीं रह सकती थी। विपक्षी दल जनविरोध की अगुवाई कर रहे थे तथा सरकार पर दबाव डाल रहे थे। कांग्रेस की विरोधी पार्टियों ने अनुभव किया कि उनके वोट बैंट जाने के कारण ही कांग्रेस सत्तासीन है। गैर-कांग्रेसवाद की नीतियाँ-जो दल अपने कार्यक्रमों या विचारधाराओं के धरातल पर एक-दूसरे से एकदम अलग थे, वे सभी दल एकजुट हुए तथा उन्होंने कुछ राज्यों में एक कांग्रेस विरोधी मोर्चा बनाया और अन्य राज्यों में सीटों के मामले में चुनावी तालमेल किया।
इन दलों को लगा कि इंदिरा गांधी की अनुभवहीनता तथा कांग्रेस की अंदरूनी उठा-पटक से उन्हें कांग्रेस को सत्ता से हटाने का एक अवसर हाथ लगा है। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस रणनीति को ‘गैर-कांग्रेसवाद’ का नाम दिया। उन्होंने ‘गैर-कांग्रेसवाद’ के पक्ष में सैद्धांतिक तर्क देते हुए कहा कि कांग्रेस का शासन अलोकतांत्रिक तथा गरीब लोगों के हितों के विरुद्ध है। अतः गैर-कांग्रेसी दलों का एक साथ आना आवश्यक है, जिससे गरीबों के हक में लोकतंत्र को वापस लाया जा सके। गठबंधन की राजनीति-व्यापक जनअसंतोष तथा राजनीतिक दलों के ध्रुवीकरण के इसी माहौल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए फरवरी 1967 में चौथे आम चुनाव हुए।
कांग्रेस को सात राज्यों में बहुमत नहीं मिला। आठ राज्यों में विभिन्न गैर-कांग्रेसी दलों की गठबंधन सरकार बनी। इस प्रकार सन् 1967 ई. के चुनावों से गठबंधन की परिघटना सामने आई। चूँकि किसी पार्टी को बहुमत प्राप्त नहीं हुआ था। इसलिए अनेक गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने एकजुट होकर संयुक्त विधायक दल बनाया तथा गैर-कांग्रेसी सरकारों को समर्थन दिया। इसी कारण इन सरकारों को संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया। अधिकांश मामलों में ऐसी सरकार के घटक दल विचारधारा की दृष्टि से एकदूसरे से अलग थे।
उधरण के लिए; बिहार में बनी संयुक्त विधायक दल की सरकार में दो समाजवादी पार्टियाँ-एसएसपी तथा पीएसपी शामिल थीं। इसके साथ इस सरकार में वामपंथी सीपीआई तथा दक्षिणपंथी-जनसंघ भी शामिल थे। पंजाब में बनी संयुक्त विधायक दल की सरकार को ‘पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट’ की सरकार कहा गया। इसमें उस समय के दो परस्पर प्रतिस्पर्धी अकाली दल संत ग्रुप तथा मास्टर ग्रुप शामिल थे। इसके साथ सरकार में दोनों साम्यवादी दल सीपीआई तथा सीपीआई (एम), एसएसपी, रिपब्लिकन पार्टी तथा भारतीय जनसंघ भी सम्मिलित थे।
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