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RBSE Class 10 Science Model Paper 1

February 27, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Class 10 Science Model Paper 1 are part of RBSE Class 10 Science Board Model Papers. Here we have given Rajasthan RBSE Class 10 Science Sample Paper 1.

Board RBSE
Textbook SIERT, Rajasthan
Class Class 8
Subject Science
Paper Set Board Paper 2018
Category RBSE Model Papers

RBSE Class 10 Science Sample Paper 1

समय : 3.15 घंटे
पूर्णांक : 80

परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश

  1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  2. सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
  3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
  4. जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
  5. प्रश्न-पत्र के हिन्दी व अंग्रेजी रूपांतर में किसी प्रकार की त्रुटि/अंतर/विरोधाभास होने पर हिन्दी भाषा के प्रश्न को सही मानें।
  6. खण्ड प्रश्न संख्या अंक प्रत्येक प्रश्न
    RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 1
  7. प्रश्न क्रमांक 27 से 30 में आन्तरिक विकल्प हैं।

खण्ड (अ)

प्रश्न 1.
पैरों की हड्डियाँ मुड़ जाना एवं घुटने पासपास आ जाना, विटामिन की कमी से होने वाले किस रोग के लक्षण हैं? [1]

प्रश्न 2.
स्त्रियों के दो लिंग हार्मोनों के नाम लिखिए। [1]

प्रश्न 3.
एल्कीन श्रेणी का सामान्य सूत्र लिखिए। [1]

प्रश्न 4.
Rh कारक की खोज किस प्रजाति के बंदर में हुई ? [1]

प्रश्न 5.
विद्युत सेल एवं धारा नियंत्रक का प्रतीक चिह्न बनाइये। [1]

प्रश्न 6.
जब बल न्यूटन में एवं विस्थापन मीटर में हो तो कार्य का मात्रक लिखिए। [1]

प्रश्न 7.
दो नवीकरणीय संसाधनों के नाम लिखिए। [1]

प्रश्न 8.
डिप्थीरिया व टिटनेस के टीके किस प्रकार की प्रतिरक्षा के उदाहरण हैं? [1]

प्रश्न 9.
किसी मनुष्य के रुधिर का जीन प्रारूप ii है तो उसका रुधिर वर्ग लिखिए। [1]

प्रश्न 10.
मधुमक्खी-पालन के दो उत्पादों के नाम लिखिए। [1]

प्रश्न 11.
“जैव विविधता” की परिभाषा लिखिए। [1]

खण्ड (ब)

प्रश्न 12.
तम्बाकू, मदिरा व अफीम के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले कुप्रभावों को समझाइए।( प्रत्येक के दो दो) [3]

प्रश्न 13.
संयुग्मन, विस्थापन एवं अपघटनीय अभिक्रियाओं को दर्शाने वाली एक-एक रासायनिक समीकरण लिखिए। [3]

प्रश्न 14.
निम्न के I.U.P.A.C, नाम लिखिए [3]
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 2

प्रश्न 15.
(i) झूम खेती किस प्रकार वन उन्मूलन को बढ़ावा देती है ? समझाइए। [3]
(ii) विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन जिस पुस्तक में किया गया है, उसका नाम क्या है?

प्रश्न 16.
आप अपने ग्राम/मोहल्ले में अपशिष्ट प्रबंधन हेतु क्या-क्या उपाय करेंगे? कोई तीन। [3]

प्रश्न 17.
विवर्तनिक शक्तियाँ किन्हें कहते हैं ? किन्हीं दो आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों का वर्णन कीजिए। [3]

प्रश्न 18.
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के ‘बिगबैंग सिद्धान्त’ का संक्षेप में वर्णन कीजिए। [3]

प्रश्न 19.
(i) जून, 2016 में भारत ने एक साथ कितने उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े? [3]
(ii) एलियन क्या है?
(iii) भारत की अंतरिक्ष एजेन्सी का नाम लिखिए।

प्रश्न 20.
निम्न को सुमेलित कीजिए- [3]
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 3

प्रश्न 21.
(i) कानूनी रूप से 100 ml रक्त में एल्कोहॉल की अधिकतम कितनी मात्रा निर्धारित है? [3]
(ii) हैंडलाइट पर पीले रंग के पेपर या टेप को क्यों चिपकाया जाता है?
(iii) वाहनों की बैटरी में किस प्रकार की विद्युत धारा प्रवाहित होती है?

खण्ड (स)

प्रश्न 22.
(i) मैण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर का पौधा ही क्यों चुना? च्याख्या कीजिए। [4]
(ii) समयुग्मजी लम्बे (TT) एवं समयुग्मजी बौने (tt) में एक संकार संकरण कराने पर प्राप्त परिणामों पर आधारित आनुवंशिकता के नियमों में से किसी के नियम को समझाइए।

प्रश्न 23.
(अ) pH पैमाने को चित्र द्वारा समझाइए। [4]
(ब) (i) कीटों के इंक मारने पर त्वचा पर जलन क्यों होती है?
(ii) उदर में अम्लता बढ़ने पर राहत पाने के लिए दुर्बल क्षारकों का उपयोग क्यों किया जाता है?

प्रश्न 24.
निम्न परिपथों में A व B के मध्य तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करो [4]
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 4

प्रश्न 25.
सुरेश व रमेश दोनों एक पहाड़ी पर चढ़ते हैं। जिसकी ऊँचाई 15 मीटर है। रमेश व सुरेश दोनों का वज़न बराबर है जो कि 38 kg है। रमेश उस पहाड़ी के शीर्ष पर 19 सेकण्ड में पहुँचता है जबकि सुरेश 15 सेकण्ड में ही पहाड़ी के शीर्ष पर पहुँच जाता है। दोनों द्वारा पहाड़ी पर चढ़ने में व्यय की गयी शक्ति का पृथक्-पृथक् मान ज्ञात कीजिए। (g = 10 m/s2) [4]

प्रश्न 26.
किन्हीं चार औषधीय पादपों के सामान्य एवं वानस्पतिक नाम निखिए। [4]

प्रश्न 27.
जैव विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों की विवेचना कीजिए। [4]
अथवा
संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर किये गये दो-दो प्रयासों को समझाइए।

खण्ड (द)

प्रश्न 28.
(i) पाचन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए। [5]
(ii) जठर रस में उपस्थित एंजाइम के नाम एवं उनके कार्य लिखिए।
(iii) भोजन का सर्वाधिक पाचन एवं अवशोषण, पाचनतंत्र के जिस भाग में होता है, उसका नाम लिखिए।
अथवा
(i) उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइये।
(ii) मानव में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया समझाइये।
(iii) त्वचा द्वारा उत्सर्जित होने वाले दो उत्सर्जी पदार्थों के नाम लिखिए।

प्रश्न 29.
(i) मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी के तीन गुण एवं तीन दोष लिखिए। [5]
(ii) निम्न तत्वों को उनकी परमाणु त्रिज्या के बढ़ते क्रम में लिखिए|  F, C, Li, Be
अथवा
(A) (i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या करने वाले तीन बिन्दु लिखिए।
(ii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल को ‘सौर मण्डल को प्रतिरूप’ क्यों माना जाता है ?
(iii) रदरफोर्ड मॉडल की दो कमियाँ लिखिए।
(B) निम्न तत्वों को उनके धात्विक गुणों के बढ़ते क्रम में लिखिए Ni, Na, K, Fr.

प्रश्न 30.
(i) मानव नेत्र की संरचना का नामांकित चित्र बनाइये। [5]
(ii) निकट दृष्टि, दूरदृष्टि एवं जरादृष्टि दोष के कारण लिखिए एवं इन दोषों को दूर करने के उपाय लिखिए।
अथवा
(i) जब एक बिम्ब अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोकस के बीच में रखा जाता है तो किरण चित्र द्वारा प्रतिबिम्ब की स्थिति दर्शाइये।
(ii) प्रकाश के अपवर्तन की परिभाषा लिखिए।
(iii) अपवर्तन के नियम लिखिए।

उत्तर
खण्ड (अ)

उत्तर 1.
ये रिकेट्स रोग के लक्षण हैं।

उत्तर 2.
स्त्रियों के दो लिंग हार्मोन-निम्न हैं
(1) एस्ट्रोजन
(2) प्रोजेस्टेरोन।

उत्तर 3.
एल्कीन श्रेणी का सामान्य सूत्र – CnH2n.

उत्तर 4.
मकाका रीसस (Macaca Rhesus) में।

उत्तर 5.
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 5

उत्तर 6.
न्यूटन-मीटर या जूल।

उत्तर 7.
दो नवीकरणीय संसाधनों के नाम–निम्न हैं
(1) सौर ऊर्जा या सोलर ऊर्जा (Solar Energy)
(2) पवन ऊर्जा (Wind Energy)

उत्तर 8.
निष्क्रिय प्रतिरक्षा के।

उत्तर 9.
रुधिर वर्ग ‘O’

उत्तर 10.
मधुमक्खी-पालन के दो उत्पादों के नाम-निम्न
(1) शहद तथा
(2) मोम्

उत्तर 11.
“जीव-जन्तुओं” में पाए जाने वाली विभिन्नता, विषमता तथा पारिस्थितिकीय जटिलता ही जैव विविधता कहलाती है।

खण्ड (ब)

उत्तर 12.
तम्बाकू के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दो कुप्रभाव

  1. तम्बाकू के सेवन से मुँह, जीभ, गले व फेफड़ों आदि का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
  2. तम्बाकू में पाये जाने वाला निकोटिन धमनियों की दीवारों को मोटा कर देता है जिससे रक्तदाब (B.P.) व हृदय स्पंदन (Heart beat) की दर बढ़ जाती है।

मदिरा के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दो कुप्रभाव

  1. मदिरा के सेवन से व्यक्ति की स्मरण क्षमता में कमी आ जाती है एवं तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है।
  2. मदिरा के सेवन से व्यक्ति के शरीर का सामंजस्य एवं नियंत्रण कमजोर हो जाता है, जिससे कार्यक्षमता क्षीण हो जाती है, दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है।

अफीम के सेवन से मानव स्वास्थ्य पर होने वाले दो कुप्रभाव

  1. अफीम का सेवन व्यक्ति को उसका आदी बना देता है। जो कि मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
  2. इसके सेवन से व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है तथा व्यक्ति बार-बार बीमार रहने लगता है। अन्त में असामयिक मृत्यु हो जाती

उत्तर 13.
संयुग्मन अभिक्रियाएँ या योगात्मक अभिक्रियाएँ-वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें दो या दो से अधिक अभिकारक आपस में संयोग करके एक ही उत्पाद बनाते हैं, उन्हें संयुग्मन अभिक्रियाएँ कहते हैं। इन अभिक्रियाओं में अभिकारकों के मध्य नये बंधों का निर्माण होता है।
उदाहरण :
एथीन का हाइड्रोजनीकरण :
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 6
विस्थापन अभिक्रियाएँ :
वे रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक में उपस्थित परमाणु या परमाणु समूह दूसरे अभिकारक के परमाणु या परमाणु समूह से विस्थापन हो जाता है। जैसे
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 7
अपघटनीय अभिक्रियाएँ :
वे अभिक्रियाएँ जिनमें एक अभिकारक अपघटित होकर (टूटकर) दो या दो से अधिक उत्पाद बनाते हैं, उन्हें अपघटनीय अभिक्रियाएँ कहते हैं।
उदाहरण :
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 8

उत्तर 14.
(i) ब्यूटने (C4H10)
(ii) एथाइन (C2H2)
(iii) प्रोटीन (C3H6)

उत्तर 15.
(i) वनों के विनाश में झूम खेती का अहम् योगदान है। इस प्रकार की खेती आदिवासी करते हैं। झूम खेती के अन्तर्गत किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति को जलाकर राख कर दी जाती है, जिससे वहाँ की भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है तथा आदिवासी दोतीन वर्षों तक अच्छी फसल प्राप्त कर लेते हैं। उर्वरता कम होने पर उस स्थान को छोड़ देते हैं तथा यही विधि अन्य स्थान पर फिर से अपनाई जाती है। हमारे देश में नागालैण्ड, मिजोरम, मेघालय, अरुणाचल, त्रिपुरा तथा आसाम में आदिवासी झूम खेती को अपनाते
(ii) विलुप्ति के कगार पर पहुँच गई जातियों का संकलन लाल आँकड़ों की पुस्तक (Red Data Book) में किया गया है।

उत्तर 16.
मोहल्ला/गाँव स्तर पर अपशिष्ट प्रबन्धन
निम्नलिखित कार्यों द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य किया जा सकता

  1. गाँव या मोहल्ले की प्रत्येक इकाई (घर) से निकलने वाले अपशिष्ट के प्रकार एवं अनुमानित मात्रा की जानकारी प्राप्त करना।
  2. गाँव पंचायत या मोहल्ला समिति के पदाधिकारियों के साथ मिलकर अपशिष्ट प्रबंधन की ”मास्टर योजना” बनाना।
  3. गाँव, मोहल्ले के प्रत्येक व्यक्ति को अपशिष्ट प्रबन्धन की आवश्यकता से अवगत कराना। अपशिष्ट प्रबंधन के मूल मंत्रों “री-यूज, री-ड्यूस व री-साइकिल’ (Rcuse, Reduce and Recycle) से सबको अवगत कराना।
  4. इस हेतु प्रभात फेरी, स्लोगन, दीवारों पर लिखना, बैठक परिचर्चा, पम्पलेट आदि की मदद ली जा सकती है।
  5. स्थानीय अखबारों में इस सम्बन्ध में समाचार व लेख प्रकाशित कराये जा सकते हैं।
  6. घर में जैव निम्नीकरणीय व अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्टों के लिए अलग-अलग कूड़ादान रखना। (लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना)।

उत्तर 17.
विवर्तनिक शक्तियाँ : वे शक्तियाँ जो पृथ्वी की सतह को बदलने के लिए कार्यरत रहती हैं, विवर्तनिक शक्तियाँ कहलाती हैं। दो आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियाँ-निम्न हैं

(1) ज्वालामुखी :
आन्तरिक विवर्तनिक शक्तियों का एक प्रभाव ज्वालामुखी हैं। इसमें पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल के कारण धरती हिलने लगती है और भूपटल को फोड़कर धुआँ, राख, वाष्प और गैसें बाहर निकलने लगती हैं। दाब के कारण लावा एक नली के रूप में सतह की ओर ऊपर उठ जाता है और फिर बाहर निकल कर फैलने लगता है। ज्वालामुखी विवर्तनिक प्लेटों से संबंधित हैं, क्योंकि ये ज्यादातर, प्लेटों की सीमाओं के सहारे पाये जाते हैं।

ज्वालामुखी के प्रकार :
ज्वालामुखी को सक्रियता के आधार पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है

  1. सक्रिय ज्वालामुखी – वे ज्वालामुखी जो वर्तमान में फट रहे हों या जो फट सकते हों।
  2. मृत ज्वालामुखी – वे ज्वालामुखी जिनमें लावा व मैग्मा खत्म हो चुका है और जिनके फटने की कोई आशंका नहीं हैं।
  3. सुप्त ज्वालामुखी – ये ज्वालामुखी जिन्हें फटने के बाद अगला विस्फोट होने में लाखों साल गुजर जाते हैं।

(2) भूकम्प :
भूकम्प का अर्थ है- सतह का कम्पन। कम्पन का कारण भू-गर्भ में होने वाली हलचल होती है। जहाँ की हलचल से कंपन प्रारम्भ होते हैं, उसे कम्पन केन्द्र (एपीसेन्टर) कहते हैं। भूकम्प का महत्त्व उसकी तीव्रता पर निर्भर करता है। भूकम्प को भूकम्पमापी द्वारा मापा जाता है। भूकम्प की तीव्रता को रिएक्टर पैमाने पर व्यक्त किया जाता है। भूकम्प की उत्पत्ति का कारण पृथ्वी के अंदर बनावट में असंतुलन होता हैं।

यह असंतुलन प्रकृति या मनुष्य द्वारा बनाए जलाशयों के दाब या विस्फोट आदि से भी हो सकता है। पृथ्वी की सतह 29 प्लेटों में बँटी है। ये प्लेटें धीरे-धीरे गति करती हैं। सभी विवर्तनिक घटनाएँ इन प्लेटों के किनारे होती हैं। ये किनारे तीन प्रकार के होते हैं-रचनात्मक, विनाशी और संरक्षी। विनाशी किनारों पर अधिक परिमाण के भूकम्प आते हैं। ये विनाशक होते हैं।

उत्तर 18.
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का बिगबैंग सिद्धान्तबिगबैंग अवधारणा को सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है। इस अवधारणा के अनुसार, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति, 13.8 करोड़ वर्ष पहले एक सघन और बहुत ही गर्म पिण्ड़ से महाविस्फोट के कारण हुई है। माना जाता है कि इस विस्फोट के याद ब्रह्माण्ड के भाग अभी तक फैलते हुए दूर जा रहे हैं। कुछ प्रमाण भी मिले हैं जो इस अवधारणा के पक्ष में हैं ब्रह्माण्ड में हल्के तत्वों की अधिकता, अंतरिक्ष में सूक्ष्म विकिरणों की उपस्थिति, महाकाय संरचनाओं की उपस्थिति और हब्बल के नियम्। इस अवधारणा को इसलिए महत्त्व मिला हैं क्योंकि इससे भौतिकी के किसी भी ज्ञात नियम की अवहेलना नहीं होती है।

विस्फोट के बाद हुए विस्तार से सृष्टि ठंड़ी हुई होगी और उपपरमाण्त्रीय कणों की उत्पत्ति हुई होगी। उपपरमाण्वीय कणों से सरल परमाणु बने होंगे। परमाणुओं से प्रारम्भिक तत्व जैसे हाइड्रोजन, हीलियम और लीथियम बने। गुरुत्व बल की वजह से संघनित होकर बादलों ने तारों और आकाशगंगाओं को जन्म दिया। प्रारंभिक तत्वों से भारी तत्व की उत्पत्ति होने के बाद तारों और सुपरनोवाओं के जन्म होने का अनुमान है। इस अवधारणा को मानने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, केवल भौतिक साधनों की मदद से सृष्टि के सभी रहस्यों को जान लिया जायेगा जबकि भारतीय अवधारणा के अनुसार चेतना की भूमिका को स्वीकारे बिना पृथ्वी की समग्रता को नहीं जाना जा सकता है।

उत्तर 19.
(i) जून, 2016 में भारत ने एक साथ 20 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े।
(ii) एलियन – पृथ्वी के बाहर के जीव को एलियन कहते
(ii) भारत की अंतरिक्ष एजेन्सी ISRO (इसरो) अर्थात् भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद् है।

उत्तर 20.
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 9

उत्तर 21.
(i) 10 ml रक्त में 30 mg से कम एल्कोहॉल की सीमा निर्धारित हैं।
(ii) हैंडलाइट पर पीले रंग के पेपर या टेप को घने कोहरे में देखने के लिए चिपकाया जाता है।
(iii) वाहनों की बैटरी में दिष्ट विद्युत धारा (DC) होती है।

खण्ड (स)

उत्तर 22.
(i) मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे का चयन निम्न कारणों से किया :

  1. एकवर्षीय पादप होने के कारण कम समय में अनेक पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सकता है।
  2. द्विलिंगी पुष्प होने के कारण स्वपरागण के द्वारा समयुग्मजी पादप अथवा शुद्ध वंशक्रम सरल से प्राप्त किया जा सकता है।
  3. विपुंसन विधि द्वारा कृत्रिम परपरागण आसानी से किया जा सकता है।
  4. मटर के पौधे में विभिन्न लक्षणों के वैकल्पिक लक्षण मिलते हैं। जैसे लम्बे व बौने, गोल व झुर्रादार बीज आदि।

(ii) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation) :
इस नियम के अनुसार जब दो विपरीत लक्षणों वाले शुद्ध नस्ल के एक ही जाति के दो पौधों या जनकों के बीच संकरण कराया जाता है, तो उनकी F1 पीढ़ी में संकर पौधे प्राप्त होते हैं और सिर्फ प्रभावी लक्षण को ही प्रकट करते हैं। किन्तु इनकी दूसरी पीढ़ी (F2) के पौधों में परस्पर विपरीत लक्षणों का एक निश्चित अनुपात (1 : 2 : 1) में पृथक्करण हो जाता है, क्योंकि प्रथम पीढ़ी के साथ-साथ रहने पर भी गुणों का आपस में मिश्रण नहीं होता है और युग्मक निर्माण के समय गुण पृथक् हो जाते हैं और युग्मकों की शुद्धता बनी रहती है, इसलिए इसे युग्मकों की शुद्धता का नियम भी कहते हैं।

यह नियम एकसंकर संकरण के परिणामों पर आधारित है। इस शुद्धता के नियम को निम्न प्रकार से समझा सकते हैं। जब दो पौधों को क्रॉस कराया गया (TT x tt) तब F1 के लम्बे पौधों में दोनों के जीन उपस्थित थे, मरन्तु F2 में यह जोन या लक्षण पृथक् होकर पुन: लम्बे व बौने बनाते हैं।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 10

उत्तर 23.
(अ) pH पैमाना किसी विलयन में उपस्थित हाइड्रोजन आयन की सान्दता को मापता हैं। सन् 1909 में सोरेनसन ने pH स्केल दी तथा हाइड्रोजन आयनों को सान्द्रता के ऋणात्मक घातांक को pH कहा गया अर्थात्  हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता को ऋणात्मक लोगेरियम (लघुगणक) pH कहते हैं।
pH = – log10 [H+]
चूँकि विलयन में मुक्त H+ आयन नहीं होते हैं तथा जल से क्रिया करके ये [H3O+] हाइड्रोनियम आयन बनाते हैं। अतः pH को निम्न प्रकार भी दिया जाता है
pH = – log10 [HO+]
[H+] आयनों की सान्द्रता जितनी अधिक होगी, pH का मान उतना ही कम होगा। उदासीन विलयन के pH का मान 7 होता है। उदासीन जल के लिए [H+] तथा [H–] आयनों की सान्द्रता 1 x 10-7 मोललीटर होती है। अत: इसकी pH 7 होगी।
इस तरह
pH = 0 से 7 तक विलयन अम्लीय
pH = 7 विलयन उदासीन,
pH = 7 से 14 तक विलयन क्षारीय होता हैं।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 11
(ब) (i) कीट इंक मारने पर अम्ल स्रावित करते हैं। इस अम्ल के कारण त्वचा पर जलन व दर्द होता है।
(ii) दुर्बल क्षारकों का उपयोग अम्ल की अधिक मात्रा को उदासीन करने के लिए किया जाता है।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 12

उत्तर 24.
(i)
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 13
पथ – 1 का कुल प्रतिरोध
R = R1 + R1
R = 2 + 2 = 4Ω
पथ – 1 एवं 2 का तुल्य प्रतिरोध
\(\frac { 1 }{ { R }^{ 1 } } \) = \(\frac { 1 }{ R } \) + \(\frac { 1 }{ { R }^{ 3 } } \)
\(\frac { 1 }{ { R }^{ 1 } } \) = \(\frac { 1 }{ 4 } \) + \(\frac { 1 }{ 2 } \) = \(\frac { 3 }{ 4 } \)
R1 = \(\frac { 3 }{ 4 } \) Ω
(ii)
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 14

उत्तर 25.
सुरेश
h = 15 मीटर
m = 38 kg
t = 15 सेकण्ड
रमेश
h = 15 मीटर
m = 38 kg
t = 19 सेकण्ड
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 15

उत्तर 26.
चार औषधीय पादपों के सामान्य एवं वानस्पतिक नाम
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 16

उत्तर 27.
जैव विविधता का ह्रास :
वैसे प्रकृति में जीवों का विलुप्त होना व नई प्रजातियों का पैदा होना एक प्राकृतिक घटना हैं किन्तु अनेक ऐसे कारण हैं जिनसे वर्तमान में जैव विविधता पर संकट उत्पन्न हो गया है। आज लगभग 400 जन्तु प्रजातियाँ तथा 60,000 वनस्पति प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। वर्तमान में हम फसलों की 75 प्रतिशत आनुवंशिक विविधता खो चुके हैं। गत वर्षों में भारत से एशियाई चीता, जावाईन गैंडा, हिमालयन क्वेल, पिंक हैडेड डक पूर्ण रूप से विलुप्त हो चुके हैं।

जैव विविधता के ह्रास के लिए उत्तरदायी चार कारण निम्न हैं
(1) पर्यावरण प्रदूषण :
पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव प्राणियों व पौधों पर पड़ता है। औद्योगिक अपशिष्ट से प्रदूषित भूमि व जल में अनेक वनस्पति व जीव नष्ट हो जाते हैं। अत्यधिक वायु प्रदूषण के फलस्वरूप होने वाली तेजाबी वर्षा से भी अनेक सूक्ष्मजीव व वनस्पति नष्ट हो जाती है। इसी प्रकार कृषि पैदावार बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद व कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव विलुप्त हो रहे हैं। जिससे भूमि की उर्वरता भी प्रभावित हो रही है।

(2) प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित विदोन :
मानव ने व्यावसायिक लाभ हेतु वनस्पति व जीव-जन्तुओं का अत्यधिक व अनियंत्रित दोहन किया है जिसके कारण अनेक प्रजातियों का जीवन संकट में पड़ गया है। जैसे कि यूरोप व उत्तरी अमेरिका में मेंढ़क की टाँगों का उपयोग खाने में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। अनेक देशों ने मेंढक की टाँगों का निर्यात किया है, जिससे मेंढ़कों की संख्या कम हो गई है। वे कीट जिन्हें मेंढक खाते हैं, उनकी संख्या में वृद्धि की गई है। इस कारण भारत ने 1 अप्रैल, 1987 से मेंढ़कों के व्यवसाय पर रोक लगा दी।

(3) जलवायु परिवर्तन :
मानव क्रियाकलापों व प्रदूषण के कारण आज पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा काफी बढ़ती जा रही है, इस कारण पृथ्वी का तापक्रम निरंतर बढ़ता जा रहा है। बढ़ते तापमान के कारण ध्रुवों पर जमा बर्फ पिघलकर समुद्रों के जलस्तर को बढ़ा रहे हैं। इससे समुद्री जैव विविधता तथा समुद्र के आसपास की विविधता को नष्ट होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार यदि पृथ्वी का तापमान 3.5 डिग्री सेन्टीग्रेड बहता है तो विश्व की 70 प्रतिशत प्रजातियों पर विलुप्ता का खतरा हो जायेगा।

(4) प्राकृतिक आवास विखण्डन :
वन्य प्राणियों के लिए पूर्व में बड़े-बड़े अविभक्त क्षेत्र विस्तारित थे, परन्तु आज अनेक ऐसे कारण जैसे रेल-रोडमार्ग, गैस पाइप लाइन, नहर, विद्युत लाइन, बाँध, खेत, शहर आदि के का। इनके प्राकृतिक आवास विखंडित हो गये हैं। इससे उनके प्राकृतिक क्रियाकलाप बाधित होते हैं। अनेक प्राणी वाहनों की चपेट में ऑन से मर जाते हैं या मानव बस्ती में आ जाने पर मार दिये जाते हैं। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरने वाली रेलवे लाइन से प्रतिबंर्ष अनेक प्राणी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं।
अथवा
संकटग्रस्त प्रजातियों को बचाने के लिए अन्तराष्ट्रीय स्तर पर किये गये दो प्रयास–निम्न हैं।
(1) 1968 में एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था विश्व प्राकृतिक संरक्षण संघ (IUCN) का गठन हुआ। इस संस्था द्वारा एक पुस्तक का प्रकाशन किया गया जिसे ‘रेड डाटा बुक’ कहते हैं। इस पुस्तक में लुप्त हो रही जातियों, उनके आवास तथा वर्तमान में उनकी संख्या को सूचीबद्ध किया गया है।
(2) IUCN ने विश्व की जीव प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से निम्न 5 वर्गों में विभाजित किया हैं।

  • विलुप्त प्रजातियाँ
  • संकटग्रस्त प्रजातियाँ
  • अतिसंवेदनशील प्रजातियाँ
  • दुर्लभ प्रजातियाँ
  • अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजातियाँ।

राष्ट्रीय स्तर पर किये गये दो प्रयास-निम्न हैं।
(1) 2002 में जैव विविधता एक्ट 2002 बनाया गया जिसके तीन मुख्य उद्देश्य निम्न हैं।

  • जैव विविधता का संरक्षण
  • जैव विविधता का ऐसा उपयोग जिससे यह लम्बे समय तक उपलब्ध रहे।
  • देश के जैविक संसाधनों के उपयोग से होने वाले लाभों का समान वितरण ताकि यह ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके।

(2) भारत में पर्यावरण, वन, जल, वायु एवं जैव विविधता कानूनों को एक ही दायरे में लाने के लिए 2 जून, 2010 को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का गठन हुआ।

खण्ड (द)

उत्तर 28.
(i) मानव के पाचन तंत्र का नामांकित चित्र
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 17
(ii) जठर रस में पेप्सिन तथा रेनिन एन्जाइम उपस्थित रहते हैं। वयस्क मनुष्य में रेनिन का अभाव होता हैं। HCl की उपस्थिति के कारण जठर रस अम्लीय होता है। HCl निष्क्रिय पेप्सिनोजन को सक्रिय पेप्सिन में बदलता है। तथा भोजन के साथ आये जीवाणु एवं सूक्ष्म जीवों को मारता हैं। यह भोजन को सड़ने से रोकता हैं तथा भोजन के कठौर भागों को घोलता है। पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीन को प्रोटिओजेज तथा पेप्टोन्स में बदल देता है।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 18
जठर लाइपेज वसाओं का प्रोटिओजेज तथा पेप्टोन्स में बदल देता।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 19
रेनिन एन्जाइम प्रोरेनिन के रूप में स्रावित होता है। यह HCI के प्रभाव से सक्रिय रेनिन में बदल जाता है। रेनिन दूध की कैसीन प्रोटीन को अघुलनशील कैल्शियम पैरा कैसीनेट में बदलता
प्रोटीन → पेप्टाइड
केसीन → पैराकैसीन

(iii) छोटी आँत में भोजन का सर्वाधिक पाचन तथा अवशोषण होता हैं।
अथवा
(i) मानव उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 20
(ii) मानव में मूत्र निर्माण की प्रक्रिया : नेफ्रॉन का मुख्य कार्य मूत्र निर्माण करना है। मूत्र का निर्माण तीन चरणों में सम्पादित होता है

  1. छानना/परानिस्पंदन
  2. चयनात्मक पुन: अवशोषण
  3. स्रवण।

1. छानना/परानियंदन :
ग्लोमेरुलस में प्रवेश करने वाली अभिवाही धमनिका, उससे बाहर निकलने वाली अभिवाही धमनिका से अधिक चौड़ी होती है। इसलिए जितना रुधिर ग्लोमेरुलस में प्रवेश करता है, निश्चित समय में उतना रुधिर बाहर नहीं निकल पाता। इसलिए केशिका गुच्छ में रुधिर का दबाव बढ़ जाता है। इस दाब के कारण प्रोटीन के अलावा रुधिर प्लाज्मा में घुले सभी पदार्थ छनकर बोमेन संपुट में पहुँच जाते हैं। बोमेन संपुट में पहुँचने वाला यह द्रव नेफ़िक फिल्ट्रेट या वृक्क नियंद कहलाता है। रुधिर में घुले सभी लाभदायक एवं हानिकारक पदार्थ इस द्रव में होते हैं, इसलिए इसे प्रोटीन रहित छना हुआ प्लाज्मा भी कहते हैं।

2. चयनात्मक पुनः अवशोषण :
नैफ़िक फिल्ट्रेट इव योमेन सम्मुट में से होकर वृक्क नलिका के अग्र भाग में पहुँचता है। इस भाग में ग्लूकोस, विटामिन, हार्मोन तथा अमोनिया आदि को रुधिर में पुन: अवशोषित कर लिया जाता है। ये अवशोषित पदार्थ नलिका के चारों ओर फैली कोशिकाओं के रुधिर में पहुँचते हैं। इनके अवशोषण से नेफ़िक फिल्ट्रेट में पानी की सान्द्रता अधिक हो जाती है। अब जल भी परासरण विधि द्वारा रुधिर में पहुंच जाता हैं।

3. स्रवण :
जब रुधिर वृक्क नलिका पर फैले कोशिका जाल से गुजरता है, तब उसके प्लाज्मा में बचे हुए उत्सर्जी पदार्थ पुनः नेफ़िक फिल्ट्रेट में डाल दिए जाते हैं। इस अवशेष इव में केवल अपशिष्ट पदार्थ बचते हैं जो मूत्र कहलाता है। यह मूत्र मूत्राशय में संग्रहित होता है और आवश्यकता पड़ने पर मूत्राशय की पेशियों के संकुचन से मूत्र मार्ग द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है।
(iii) त्वचा द्वारा उत्सर्जित होने वाले उत्सर्जी पदार्थों के नाम-निम्न हैं

  1. नमक
  2. यूरिया
  3. लैक्टिक अम्ल
  4.  स्टेरोल।

उत्तर 29.
(i) मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी के गुण-तीन गुण निम्न हैं।

  1. मेंडेलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के क्रम में क्षैतिज पंक्तियों तथा ऊवधर ख़ानों में रखा गया है। इससे ये आवर्तिता गुण प्रदर्शित करते हैं।
  2. क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त तथा ऊर्ध्वाधर खानों को समूह कहते हैं।
  3. रासायनिक गुणों में समान तत्वों के परमाणु भार लगभग समान होते हैं। जैसे-आयरन ( 55.85), कोबाल्ट (58.94) तथा निकिल (58.69) अथवा उनमें नियमित वृद्धि होती हैं।

मेंडेलीफ की आवर्त सारणी के तीन दोष-निम्न हैं
1. हाइड्रोजन का स्थान :
मेंडेलीफ की आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान अनिश्चित है। हाइड्रोजन प्रथम समूह के क्षारीय धातु तथा सप्तम समूह के हैलोजन तत्वों से गुणों में समानता प्रदर्शित करता है। अत: यह निश्चित नहीं हो पाया कि हाइड्रोजन को प्रथम समूह में रखा जाए अथवा सप्तम समूह में।

2. समस्थानिकों का स्थान :
आवर्त सारणी में समस्थानिकों को कोई स्थान नहीं दिया गया है। परमाणु क्रमांक के आधार पर वर्गीकरण करने पर यह दोष दूर हो गया।

3. दुर्लभं मृदा तत्वों का स्थान :
आवर्त सारणी में समूह के एक आवर्त में एक ही तत्व को स्थान दिया गया है लेकिन तृतीय समूह के छठवें आवर्त में 14 दुर्लभ मृदा तत्वों (58Ce – 71Lu) को एक साथ रखा गया है। इन तत्वों के गुण आपस में अत्यधिक समान होते हैं।
(ii) तत्वों को उनकी परमाणु त्रिज्या के बढ़ते क्रम में लिखना
F < C < Be < Li
अथवा
(A)
(i) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की व्याख्या करने वाले तीन बिन्दु लिखिए।

  1. परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान (भार) उसके मध्य छोटे से भाग में स्थित होता है, उसे नाभिक कहते हैं।
  2. परमाणु का अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से गति करते हैं। इन वृत्ताकार पथों को कक्षा या कक्ष कहते हैं।
    RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 21
  3. परमाणु विद्युत उदासीन होता है, अतः परमाणु में जितने इलेक्ट्रॉन होते हैं, उतनी ही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन भी उपस्थित होते हैं।

(ii) रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल सौर मॉडल का प्रतिरूप भी माना जाता है। इसमें इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार घूमते हैं जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में घूमते हैं। इस प्रकार यह मॉडल परमाणु संरचना की व्याख्या करने का मूलभूत आधार बना।।
(iii) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडान में निम्न कमियाँ 

  1. यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर
  2. वह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
  3. मैक्सवेल के सिद्धांत के अनुसार वृत्ताकार कक्ष में गति करता हुआ इलेक्ट्रॉन विकिरण उत्सर्जित करेगा, जिससे उसकी ऊर्जा कम होती जाएगी। इस प्रकार वह नाभिक के चारों ओर सर्पिलाकार
    गति करता हुआ अंतत: उसमें जाकर गिर जायेगा, परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता हैं।
  4. यह मॉडर! परमाणु के स्पेक्ट्रम तथा एक कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या एवं उनकी व्यवस्था को स्पष्ट नहीं कर पाया।

(B) तत्वों को उनके धात्विक गुणों के बढ़ते क्रम में लिखना
Li < Na < K < Fr

उत्तर 30.
(i) मानव नेत्र की संरचना का नामांकित चित्र
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 22
(ii) (1) निकट दृष्टिदोष (Myopia or Shortsightedness) :
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख निकट कीं वस्तु को साफ देख सकती है, लेकिन दूर की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकती। इस दोष से पीड़ित आँख में बिम्ब दृष्टिपटल के पूर्व ही बन जाता है।
इस दोष के उत्पन्न होने के कारण निम्न हैं

  1. अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अत्यधिक होना अथवा
  2. नेत्र गोलक का लम्बा होना।

इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता हैं। अवतल लेंस अनन्त पर स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को इतना अपसारित करता है जिससे वे किरणें उस बिन्दु से आती हुई प्रतीत हों जो दोषयुक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने का दुर बिन्दु है। आजकल नेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।

(2) दूर दृष्टिदोष (Hypermetropia or Longsightedness) :
इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आँख दूर की वस्तु को स्पष्ट देख सकती है, लेकिन निकट की वस्तु को साफ नहीं देख सकती हैं। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिन्दु (25 cin) से वस्तुएँ धुंधली दिखती हैं, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 cin से दूर ले जाते हैं, वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दीर्घ दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिन्दु दूर हो जाता है। दीर्घ दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। यह लेस पास की वस्तु का आभासी प्रतिक्रिया उतना दूर बनाता है, जितना कि दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिन्दु हैं। इससे पुन: नेत्र की निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।

(3) जरा दृष्टिदोष (Presbyapia) :
आयु में वृद्धि के साथ नेत्र के लेंस का लचीलापन कम हो जाता है तथा नेत्र की समंजन क्षमता भी घटती जाती है। इस कारण से दूर एवं पास दोनों ही वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखाई देती हैं। इस दोष को जरा दृष्टिदोष कहते हैं। नेत्र के इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोकसी लेंस या वाइफोकल लेंस प्रयुक्त किए जाते हैं। सामान्य प्रकार के द्विफोकसी। लेसों में नीचे का भाग उत्तल लेंस (पास की वस्तुओं को देखने के लिए) एवं ऊपरी भाग अवतल लेस (दर की वस्तुओं को देखने के लिए) होता है।
अथवा
(i) जब बिम्ब अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या एवं फोस के बीच हो : प्रतिबिम्ब वास्तविक, वड़ा तथा उल्टा बनता है।
RBSE Class 10 Science Model Paper 1 image 23
(ii) प्रकाश का अपवर्तन :
जब प्रकाश किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले धरातल पर वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती हैं। प्रकाश की इस क्रिया को अपवर्तन कहते हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है। अपवर्तन का कारण-दोनों माध्यमों में प्रकाश का वेग अलग-अलग होने के कारण ही प्रकाश का अपवर्तन होता हैं।
(iii) अपवर्तन के नियम :
(1) प्रथम नियम:

आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होते हैं।

(2) द्वितीय नियम ( स्नेल का अपवर्तन नियम ) :
प्रकाश की किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sin i) एवं अपवर्तन कोण को ज्या (sin r) का अनुपात स्थिर रहता है।
\(\frac { \sin { i } }{ \sin { r } } \) = नियतांक
यह अपवर्तन का दूसरा नियम है, जिसे स्नेल का नियम कहते हैं। इसे माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक μ21 कहते हैं।
μ21 = \(\frac { \sin { i } }{ \sin { r } } \)

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