• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

April 13, 2022 by Fazal Leave a Comment

These comprehensive RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 10 Science Chapter 8 Notes जीव जनन कैसे करते है

→ हमें विभिन्न जीव इसीलिए दृष्टिगोचर होते हैं क्योंकि वे जनन करते हैं। यदि वह जीव एकल होता है तथा कोई भी जनन द्वारा अपने सदृश व्यष्टि नहीं करता, तो सम्भव है कि हमें उनके अस्तित्व का पता भी नहीं चलता। किसी स्पीशीज में पाए जाने वाले जीवों की विशाल संख्या ही हमें उसके अस्तित्व का ज्ञान कराती है।

→ जनन में एक कोशिका द्वारा ही डी.एन.ए. प्रतिकृति का निर्माण तथा अतिरिक्त कोशिकीय संगठन का सृजन होता है। कोशिका के केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है।

→ जनन की मूल घटना DNA की प्रतिकृति बनाना है।

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ जनन के दौरान डी.एन.ए. प्रतिकृति का अविरोध जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। अतः किसी प्रजाति (स्पीशीज) की स सम्बन्ध जनन से है।

→ विभिन्न जीवों द्वारा अपनाए जाने वाली जनन की प्रणाली उनके शराीरिक अभिकल्प पर निर्भर करती है।

→ विखण्डन-एक कोशिक जीवों में कोशिका विभाजन अथवा विखण्डन द्वारा नए जीवों की उत्पत्ति होती है। अमीबा (प्रोटोजोआ) जैसे जीवों में कोशिका विभाजन किसी भी तल में हो सकता है। परन्तु लेस्यानिया जैसे जीवों में द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है।

→ बहखण्डन-मलेरिया परजीवी प्लैज्मोडियम जैसे अन्य एक कोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जिसे बहुखण्डन कहते हैं।

→ पुनरुद्भवन-यदि किसी कारणवश पूर्णरूपेण विभेदित जीव क्षत-विक्षत हो जाता है अथवा कुछ टुकड़ों में टूट जाता है तो इसके अनेक टुकड़े वृद्धि कर नये जीव में विकसित हो जाते हैं । इस क्रिया को पुनरुद्भवन कहते हैं। उदाहरण-हाइड्रा एवं प्लेनेरिया।

→ मुकुलन-इस प्रकार के जनन में वयस्क के शरीर पर एक कलिका उत्पन्न होती है उसे मुकुल कहते हैं। मकल जनन इकाई का कार्य करता है। यह कलिका पूर्ण वृद्धि करके पैतक शरीर से पृथक स्वतन्त्र जीव बन जाता है। उदाहरण-हाइड्रा।

→ कायिक जनन-वह जनन जिसमें पौधे के किसी भी कायिक भाग से जैसे पत्ती, स्तम्भ अथवा जड़ से नया पौधा बन जाता है, कायिक जनन कहलाता है। ब्रायोफिलम की पत्तियों की कोर पर कुछ कलिकाएँ विकसित होकर मृदा में गिर जाती हैं तथा नए पौधे में विकसित हो जाती हैं।

→ प्राकृतिक रूप से बीज नहीं बनने वाले पादपों जैसे केला, सन्तरा, अंगूर की बीजरहित किस्में तथा गुलाब आदि पौधों की किस्मों को बनाये रखने के लिए कायिक जनन ही एकमात्र विधि है।

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ ऊतक संवर्धन-ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा किसी एकल पौधे से अनेक पौधे संक्रमण-मुक्त परिस्थितियों में उत्पन्न किए जा सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग सामान्यतः सजावटी पौधों के संवर्धन में किया जाता है।

→ बीजाणु समासंघ-राइजोपस कवक के ऊर्ध्व तन्तुओं पर गोल रचना पाई जाती है जिसे बीजाणुधानी कहते हैं, जो जनन में भाग लेती है। बीजाणुधानी में बीजाणुओं (spores) का निर्माण होता है। परिपक्व बीजाणुधानी फट जाती है एवं बीजाणु बाहर निकल आते हैं। यह अनुकूल परिस्थितियों में नम सतह के सम्पर्क में आने पर वृद्धि करने लगते हैं।

→ लैंगिक जनन-लैंगिक जनन वह जनन है जिसमें शुक्राणु तथा अण्डाणु का संलयन होता है तथा युग्मनज का निर्माण होता है। इस प्रकार का प्रजनन करने वाले जन्तुओं में कुछ विशेष प्रकार के अंग (वृषण तथा अण्डाशय) पाये जाते हैं जो शुक्राणु व अण्डाणु का निर्माण करते हैं।

→ लैंगिक जनन के आधारीय लक्षण लैंगिक जनन में संतति उत्पादन हेतु दो जीव भाग लेते हैं

  • संतान का उत्पादन अण्डे तथा शुक्राणु के संलयन (fusion) से होता है। ये संरचनाएँ लैंगिक कोशिकाएँ अथवा युग्मक होती हैं।
  • निषेचन होने पर नर और मादा युग्मक समेकित होकर एक युग्मनज (zygote) बनाते हैं जो परिवर्धित होकर एक परिपक्व जीव बन जाता है।
  • इसके परिणामस्वरूप दो जनकों का आनुवंशिक पदार्थ संयोजित हो जाता है।

→ डी.एन.ए. प्रतिकृति की तकनीक से विभिन्नता उत्पन्न होती है जो स्पीशीज के अस्तित्व के लिए लाभप्रद है। लैंगिक जनन द्वारा अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं।

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ पुष्प के विभिन्न भाग एवं कार्य

  • पुष्प वृन्त-पुष्प को पौधे से जोड़ता है।
  • पुष्पासन-पुष्प के अन्य भागों को आधार प्रदान करता है।
  • बाह्यदलपुंज-पुष्प की कलिका अवस्था में आन्तरिक अंगों की रक्षा करता है।
  • दलपुंज-परागण हेतु कीटों व पक्षियों को आकर्षित करते हैं।
  • पुंकेसर-परागकोषों में परागकणों का निर्माण करना।
  • स्त्रीकेसर-अण्डाशय से फल एवं बीजाण्ड से बीज का निर्माण करना।

→ एकलिंगी पुष्प-जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो पुष्प एकलिंगी कहलाते हैं। उदाहरण-पपीता एवं तरबूज।

→ उभयलिंगी पुष्प-जब पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो उसे उभयलिंगी पुष्प हैं। उदाहरण-गुड़हल एवं सरसों।

→ मादा जननांग (स्त्रीकेसर) के तीन भाग होते हैं जिन्हें क्रमशः वर्तिकाग्र, वर्तिका एवं अण्डाशय कहते हैं। अण्डाशय में बीजाण्ड होते हैं। प्रत्येक बीजाण्ड में एक अण्डकोशिका होती है। परागकण द्वारा उत्पादित नर युग्मक अण्डाशय की अंडकोशिका (मादा युग्मक) से संलयित हो जाता है। जनन कोशिकाओं के इस युग्मन अथवा निषेचन से युग्मनज बनता है जिसमें नये पौधे का निर्माण होता है।

→ परागण – परागण वह प्रक्रिया है जिसमें परागकोश से निकले परागण किसी फूल के वर्तिकान पर पहुँचते हैं। यह दो प्रकार का होता है

(i) स्वपरागण-यदि परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होता है तो यह स्वपरागण कहलाता है।
(ii) परपरागण-एक पुष्प के परागकण दूसरे पुष्प पर स्थानान्तरित होते हैं तो उसे परपरागण कहते हैं। यह वायु, जल या किंसी प्राणी द्वारा होता है।

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ निषेचन के बाद पुष्प में निम्न परिवर्तन आते हैं

  • बीजाण्ड में भ्रूण विकसित होता है तथा बीजाण्ड बीज में बदल जाता है।
  • अण्डाशय की भित्ति फल भित्ति में बदल जाती है तथा अण्डाशय फल का निर्माण करता है।
  • बाह्यदल, दल, पुंकेसर, वर्तिका. एवं वर्तिकाग्र झड़ जाते हैं। बीज उपयुक्त परिस्थिति में अंकुरित होकर नये पादप का निर्माण करते हैं।

→ यौवनारम्भ – मानव (नर एवं मादा) में अपरिपक्व जनन अंगों का परिपक्वन होकर जनन क्षमता का विकास होना. यौवनारम्भ कहलाता है। नर की अपेक्षा मादा में यौवनारम्भ पहले प्रारम्भ होता है।

→ यौवनारंभ में शरीर में अनेक परिवर्तन आते हैं, उदाहरण के लिए लड़कियों में स्तन का विकास तथा लड़कों के चेहरे पर नए बालों का आना, लैंगिक परिपक्वता के चिन्ह हैं।

→ नर जनन तन्त्र – जनन कोशिका उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान पहुँचाने वाले अंग संयुक्त रूप से नर जनन तन्त्र बनाते हैं। ये अंग निम्न हैं

  • वृषण
  • शुक्रवाहिनियाँ
  • मूत्रमार्ग
  • शिश्न
  • शुक्राशय
  • प्रोस्टेट ग्रन्थि।

→ मादा जनन तन्त्र-मादा (स्त्रियों) में निम्न जननांग पाये जाते हैं

  • अण्डाशय
  • अण्डवाहिनी
  • गर्भाशय
  • योनि।

RBSE Class 10 Science Notes Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है

→ मैथुन के समय शुक्राणु योनि मार्ग में स्थापित होते हैं जहाँ से ऊपर की ओर यात्रा करके वे अंडवाहिका ते हैं, जहाँ अंडकोशिका से मिल सकते हैं। निषेचित अंडा विभाजित होकर कोशिकाओं की गेंद जैसी संरचना या भ्रूण बनता है।

→ प्लैसेन्टा – भ्रूण को माँ के रुधिर से ही पोषण मिलता है, इसके लिए एक विशेष संरचना होती है जिसे प्लैसेन्टा कहते हैं। यह एक तश्तरीनुमा संरचना होती है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है। प्लैसेन्टा भ्रूण को पोषण, श्वसन एवं अन्य कार्यिकी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

→ रजोधर्म अथवा ऋतु स्राव – निषेचन की क्रिया फैलोपियन नलिका (अण्डवाहिनी) में होती है। निषेचन। न होने पर गर्भाशय की आन्तरिक मोटी भित्ति रक्तवाहिनियों के साथ टूटकर रक्त स्राव के रूप में बाहर निकलती। है, इसे रजोधर्म कहते हैं। इसकी अवधि 2 से 8 दिन तक होती है तथा प्रत्येक 28-30 दिन के अन्तराल पर रजोधर्म होता है। इस प्रकार इसे ऋतु स्राव चक्र कहते हैं।

→ यौन संचारित रोग – लैंगिक सम्पर्क से होने वाले रोगों को यौन संचारित रोग (STD) कहते हैं। यौन संचारित रोग निम्न हैं-गोनेरिया, सिफलिस, मस्सा एवं एड्स।

→ गर्भनिरोधी युक्तियाँ – गर्भनिरोधी युक्तियाँ अपनाकर गर्भाधारण रोका जा सकता है। कंडोम, गर्भनिरोधी गोलियाँ, कॉपर टी या लूप तथा अन्य युक्तियाँ इसके उदाहरण हैं।

→ वैसेक्टोमी – नर में शुक्रवाहिनी को धागे से बाँध दिया जाता है अथवा काट दिया जाता है। इस क्रिया को वैसेक्टोमी कहते हैं।

→ ट्यूबेक्टोमी – मादा में अण्डवाहिनी को धागे से बाँध दिया जाता है अथवा काट दिया जाता है। इस क्रिया को ट्यूबेक्टोमी कहते हैं।

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: RBSE Notes

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions