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RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Papers

April 11, 2022 by Prasanna Leave a Comment

Students must start practicing the questions from RBSE 12th Hindi Model Papers E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Papers provided here.

RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Papers in Hindi

समय : 2 घण्टे 45 मिनट
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश:

  • परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
  • सभी प्रश्न करने अनिवार्य हैं।
  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
  • जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड हैं उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।

RBSE Solutions

RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Paper 1

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए – (6 x 1 = 6)

वाणी एक अनमोल वरदान है। कोयल अपनी मीठी वाणी से सबका मन हर लेती है, जबकि कौए की काँव-काँव किसी को अच्छी नहीं लगती। वाणी के बिना सब कुछ सूना है। मीठी वाणी का प्रभाव बहुत व्यापक होता है। मीठी वाणी से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मधुर बोलने वाले का समाज में बहुत आदर होता है। मधुरभाषी के मुख से निकला एक-एक शब्द सुनने वाले के मन को लुभाता है। उसके सम्पर्क में आने वाला व्यक्ति उसके वश में हो जाता है। मीठी वाणी केवल सुनने वाले को ही आनंदित नहीं करती वरन् बोलने वाले को भी आनन्द पहुँचाती है। तुलसी ने कहा है-‘मीठे वचन तें सुख उपजत चहुँ ओर’। मृदुभाषी समाज में सद्भावना का प्रसार करता है। कटु भाषा बोलने वाले को अनेक प्रकार की हानियाँ उठानी पड़ती हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए ही कहा गया है-‘खीरे का मुँह काट कै, मलियत नौन लगाय। रहिमन कड़वे मुखन कौ, चहियत यही सजाय।’ कटु भाषा का प्रयोग काम को बिगाड़ देता है। जहाँ मधुर वाणी अमृत है, वहीं कटु वाणी विष है। कहा भी गया है-‘मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर’।

(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक बताइए (1)
(अ) अनमोल वरदान
(ब) मृदुभाषी
(स) मधुर वाणी
(द) बहुभाषी

(ii) ‘नौन’ देशज शब्द है, इसका तत्सम रूप होगा (1)
(अ) लवण
(ब) नमक
(स) नमकीन
(द) खारी।

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(iii) मृदु बोलने वाले से समाज में बढ़ती है (1)
(अ) एकता
(ब) अनेकता
(स) सद्भावना
(द) दुर्भावना

(iv) सभी कार्य वाणी से हो जाते हैं (1)
(अ) विफल
(ब) सफल
(स) सफल-विफल
(द) कोई नहीं

(v) कोयल और कौए में अन्तर का आधार है (1)
(अ) उनका रंग
(ब) उनका कर्म
(स) उनकी वाणी
(द) उनका व्यवहार

(vi) मधुर शब्द का विपरीतार्थक गद्यांश में है (1)
(अं) मीठा
(ब) मीठी
(स) मधुरता
(द) कटु

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निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए (6 x 1 = 6)

सामने कुहरा घना है
और मैं सूरज नहीं हूँ
क्या इसी अहसास में जिऊँ
या जैसा भी हूँ नन्हा-सा
इक दीया तो हूँ
क्यों न उसी की उजास में जिऊँ ?
हर आने वाला क्षण
कम-से-कम मैं उनमें तो नहीं
जो चाँद दिल के बुझाए बैठे हैं
हर रात को अमावस बनाए बैठे हैं
मुझे यही कहता है
अरे भई, तुम सूरज तो नहीं हो
और मैं कहत न
सही सूरज एक नन्हा दीया तो हूँ
जितनी भी है लौ मुझ में
उसे लेकर जिया तो हूँ।
उड़ते फिर रहे थे जो जुगनू आँगन में
उन्हें भी मुट्ठियों में दबाए बैठे हैं।

(i) ‘सामने कुहरा घना है’ रेखांकित शब्द से तात्पर्य है (1)
(अ) धुंध
(ब) अन्धेरा
(स) अंधकार
(द) हताशा-निराशा।

(ii) काव्यांश में छिपे सन्देश को स्पष्ट कीजिए (1)
(अ) दीपक की सूरज को चुनौती
(ब) दीपक का जलना
(स) प्रकाश फैलाना
(द) शक्ति भर जीवन जीने का।

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(iii) दीपक और अमावस यहाँ प्रतीक हैं (1)
(अ) दिये और अमावस्या के
(ब) अँधेरे और प्रकाश के।
(स) वस्तु और तिथि के
(द) आशा और गहन निराशा के।

(iv) ‘हर रात अमावस बनाए बैठे हैं’, रेखांकित शब्द तद्भव शब्द है, इसका तत्सम रूप होगा (1)
(अ) मावस
(ब) अमावस्या
(स) पूर्णिमा
(द) गहन अंधेरी रात।

(v) उपर्युक्त काव्यांश का उचित शीर्षक निम्न विकल्पों से चुनिए (1)
(अ) घना कुहरा
(ब) सर्व शक्ति सम्पन्नता
(स) निराशा
(द) दीपक की जिजीविषा।

(vi) पूर्णिमा का विपरीतार्थक शब्द है- (1)
(अ) चतुर्थी
(ब) पूर्णता
(स) अमावस
(द) एकादशी

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प्रश्न 2.
दिए गए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (6 x 1 = 6)

(i) ………………………………….. गुण के कारण रचना में मधुरता उत्पन्न होती है। (1)
(i) काव्य की रसानुभूति में बाधक तत्वों को ………………………………….. कहा जाता है। (1)
(ii) छंद के किसी चरण में उसको पढ़ते समय जहाँ विराम की आवश्यकता होती है। उसको ………………………………….. कहते हैं। (1)
(iv) कुण्डलियाँ छन्द के प्रत्येक चरण में ………………………………….. मात्राएँ होती हैं। (1)
(v) “मनहुँ कठिन आँगन चली ताते राते पाँय।” काव्य पंक्ति में ………………………………….. अलंकार है। (1)
(vi) “साल वृक्ष दो अति विशाल थे, मानो प्रहरी हों वन के।” पंक्तियों में उपमेय में ………………………………….. की संभावना व्यक्त की है। अतः ………………………………….. अलंकार है। (1)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)

(i) अन्योक्ति अलंकार से युक्त कोई एक मौलिक उदाहरण लिखिए। (1)
(ii) समासोक्ति अलंकार की परिभाषा लिखिए। (1)
(iii) पत्र-पत्रिकाओं में खेलों के बारे में लिखने वालों के लिए क्या आवश्यक है? (1)
(iv) अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में किसी विशेष विषय पर लेख या स्तंभ लिखने वाले पत्रकार कैसे होते हैं? (1)
(v) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में क्या विवरण होता है? (1)
(vi) वैदिक काल में हिन्दुओं में पत्नी चुनने के लिए क्या प्रयोग किए जाते थे? (1)
(vii) शुक्ल जी के समवयस्क मित्रों की हिन्दी प्रेमी मंडली का नाम लोगों ने क्या रख दिया था? (1)
(viii) ‘धनुरेख गई न तरी।’ पंक्ति में धनुरेख से क्या आशय है? (1)
(ix) माता कौशल्या राम को क्या कहकर बला रही है? (1)
(x) कविता में बिंब विधान का महत्व बताइए। (1)
(vi) साहित्य की अन्य विधाओं और नाटक विधा में मूलभूत अंतर बताइए। (1)
(xii) कहानी कहने या लिखते समय मनुष्य का मूल भाव क्या होता है? (1)

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खण्ड – (ब)

निर्देश-प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
उल्टा पिरामिड शैली का विकास किस प्रकार हुआ? (2)

प्रश्न 5.
फीचर क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए। (2)

प्रश्न 6.
निर्मल वर्मा ने आधुनिक भारत में नए शरणार्थी किन्हें कहा है और क्यों? स्पष्ट कीजिए। (2)

प्रश्न 7.
सत्य क्या पुकारने से मिल सकता है? युधिष्ठिर विदुर को क्यों पुकार रहे हैं महाभारत के प्रसंग से सत्य के अर्थ खोलें। (2)

प्रश्न 8.
केशवदास व जयशंकर प्रसाद में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

प्रश्न 9.
“मैं तो केवल निमित्त मात्र था। अरुण के पीछे सूर्य था।” व्यास जी के इस कथन का आशय क्या है ? इससे उनके चरित्र की किस विशेषता का परिचय मिलता है ? (2)

प्रश्न 10.
भरत के आत्म-परिताप में तुलसीदास ने उसके चरित्र की किन विशेषताओं को प्रकट किया है? अपने शब्दों में लिखिए। (2)

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प्रश्न 11.
‘रामचन्द्र शुक्ल’ अथवा ‘ममता कालिया’ में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

प्रश्न 12.
सूरदास जगधर से अपनी आर्थिक हानि को गुप्त क्यों रखना चाहता था ? (2)

प्रश्न 13.
‘आरोहण’ कहानी के आधार पर उन जीवन-मूल्यों पर प्रकाश डालिए जो हमें भूपसिंह के जीवन से प्राप्त होते हैं। (2)

प्रश्न 14.
लेखक को क्यों लगता है कि ‘हम जिसे विकास की औद्योगिक सभ्यता कहते हैं वह उजाड़ की अपसभ्यता है?’ आप क्या मानते हैं ? (2)

प्रश्न 15.
हमारे आज के इंजीनियर ऐसा क्यों समझते हैं कि वे पानी का प्रबन्ध जानते हैं और पहले जमाने के लोग कुछ नहीं जानते थे ? (2)

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
जनता राज्य की स्थिति की ओर से आँखें बंद कर ले तो उसका राज्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? स्पष्ट कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
‘संवदिया’ कहानी में हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है? क्यों? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 17.
“मैंने निज दुर्बल होड़ लगाई” इन पंक्तियों में ‘दुर्बल पद-बल’ और ‘हारी-होड़’ में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

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प्रश्न 18.
‘यह फूस की राख न थी, उसकी अभिलाषाओं की राख थी।’ सूरदास की क्या-क्या अभिलाषाएँ थीं और उनकी राख किसने की? (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)
अथवा
‘नदी का सदानीरा रहना जीवन के स्रोत का सदा जीवित रहना है।’ इस कथन से मानव सभ्यता के लिए नदियों के महत्व पर क्या प्रकाश पड़ता है ? (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

छलछल थे संध्या के श्रमकण,
देखा विवाह आमूल नवल,
आँसू-से गिरते थे प्रतिक्षण।
तुझ पर शुभ पड़ा कलश का जल।
मेरी यात्रा पर लेती थी
देखती मुझे तू हँसी मंद,
नीरवता अनंत अंगड़ाई
अथवा
होठों में बिजली फँसी स्पंद
श्रमित स्वप्न की मधुमाया में,
उर में भर झूली छबि सुन्दर
गहन-विपिन की तरु-छाया में,
प्रिय की अशब्द शृंगार-मुखर
पथिक उनींदी श्रुति में किसने
तू खुली एक-उच्छ्वास-संग,
यह विहाग की तान उठाई।
विश्वास-स्तब्ध बैंध अंग-अंग
नत नयनों से आलोक
उतर काँपा अधरों पर थर-थर-थर।
देखा मैंने, वह मूर्ति-धीति
मेरे वसंत की प्रथम गीति

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प्रश्न 20.
निम्नलिखित मद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

मेरे पिताजी फारसी के अच्छे ज्ञाता और पुरानी हिन्दी कविता के बड़े प्रेमी थे। फारसी कवियों की उक्तियों को हिन्दी कवियों की उक्तियों के साथ मिलाने में उन्हें बड़ा आनंद आता था। वे रात को प्रायः रामचरितमानस और रामचंद्रिका, घर के सब लोगों को एकत्र करके बड़े चित्ताकर्षक ढंग से पढ़ा करते थे। आधुनिक हिन्दी-साहित्य में भारतेंदु जी के नाटक उन्हें बहुत प्रिय थे। उन्हें भी वे कभी-कभी सुनाया करते थे। जब उनकी बदली हमीरपुर जिले की राठ तहसील से मिर्जापुर हुई तब मेरी अवस्था आठ वर्ष की थी।
अथवा
बालक कुछ सोचने लगा। पिता और अध्यापक इस चिंता में लगे कि देखें यह पढ़ाई का पुतला कौन-सी पुस्तक माँगता है। बालक के मुख पर विलक्षण रंगों का परिवर्तन हो रहा था, हृदय में कृत्रिम और स्वाभाविक भावों की लड़ाई की झलक आँखों में दीख रही थी। कुछ खाँसकर, गला साफ कर नकली परदे के हट जाने पर स्वयं विस्मित होकर बालक ने धीरे से कहा, ‘लड्डू’। पिता और अध्यापक निराश – हो गए। इतने समय तक मेरा श्वास घुट रहा था। अब मैंने सुख से साँस भरी। उन सबने बालक की प्रवृत्तियों का गला घोंटने में कुछ उठा नहीं रखा था। पर बालक बच गया।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए (6)
(अ) पर्यावरण संरक्षण और विकास में आदर्श संबंध
(ब) ऊर्जा की बढ़ती माँगः समस्या और समाधान
(स) सोशल मीडियाः एक सशक्त माध्यम
(द) भारत में नगरों की ओर पलायन : एक समस्या
(य) साइबर अपराध

RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Paper 2

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –

भारत की एक मूल शक्ति या सामर्थ्य उसकी प्राकृतिक साधन-रूपी बुनियाद है। यद्यपि भारत के पास सब मूल्यवान धातुओं और कच्ची धातुओं का एक-सी गुणवत्ता वाला भण्डार नहीं है, तो भी उनमें से धातुएँ और कच्ची धातुएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। जैसे-जैसे हम अपने भू-साधनों का अधिकाधिक उपयोग करना आरम्भ करेंगे, वैसे-वैसे वे भविष्य के लिए हमारी शक्तियाँ बन जाएँगे। अपने समुद्रों के तल में छिपे साधनों की खोज अभी होनी शेष है। इन सबके अतिरिक्त, हमारे पास जीवित साधनों का भी उत्तम आधार है। हमारा जैव-वैविध्य बहुत समृद्ध है और प्रचुर धूप, वैविध्यपूर्ण कृषि-योग्य जलवायु, एक सम्पूर्ण-विश्व, जिसमें ध्रुव देश जैसी ठण्ड, उष्णकटिबन्ध मण्डल की हरियाली, रेगिस्तानी इलाका और काफी वर्षा सभी कुछ है, हालाँकि हम उसका पूरा उपयोग नहीं करते। इसके लिए एक उदाहरण पर्याप्त होगा। सारे भारत में होने वाली वार्षिक वर्षा की मात्रा को यदि बराबर-बराबर सारे देश में छितरा दिया जाए, तो पानी एक मीटर की गहराई तक दिखाई देगा। काश! हम इस प्राकृतिक उपहार को काम में ला सकते! भारत की प्रौद्योगिकीय परिकल्पना उसके प्राकृतिक साधन, उसके मानव-संसाधन और राष्ट्र की मूल सामर्थ्य के आधार पर ही प्रतिष्ठित है।

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(i) उपर्युक्त गद्यांश का समुचित शीर्षक हो सकता है (1)
(अ) भारत के संसाधन
(ब) भारतीय सम्पन्नता
(स) भारतीय औद्योगिक विकास
(द) भारत का भावी औद्योगिक विकास।

(ii) भारत की मूल शक्ति क्या है? (1)
(अ) अनाज
(ब) सैन्य शक्ति
(स) संगठनात्मक शक्ति
(द) खनिज पदार्थ।

(iii) भारत की औद्योगिक परिकल्पना का आधार क्या है? (1)
(अ) प्राकृतिक संसाधन
(ब) नागरिकों का अदम्य उत्साह
(स) कर्मठ जनसंख्या
(द) अथाह धन-सम्पत्ति।

(iv) हमारे पास क्या-क्या हैं? (1)
(अ) विविध प्रकार के जीव
(ब) कृषि योग्यं जलवायु व अच्छी वर्षा
(स) उष्ण कटिबन्धीय हरियाली
(द) उपर्युक्त सभी कुछ।

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(v) ‘संसाधन’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग बताइए (1)
(अ) सन्
(ब) सन
(स) सम्
(द) सम।

(vi) भारत का जैव-जैविध्य कैसा है? (1)
(अ) बहुत समृद्ध
(ब) नगण्य
(स) बहुत कम
(द) अपर्याप्त

निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए (6 x 1 = 6)

“हाँ, संकोच-सा था कुछ, था न मैं नया नया,
कार्य भी नया था, अब परिचित हो गया।
देखता हूँ, कितने अभावों से भरी मही।”
“पहला निदेश क्यों न हूँ मैं इष्ट-वृष्टि का,
जीवन का मूल जल ही है सब सृष्टि का।
मेघ जल मात्र नहीं, बरसावें रत्न भी,
और करें आवश्यक छाया का प्रयत्न भी।
देवों के नहीं तो मानवों के ही लिये सही,
समझी मैं, पृथ्वी पर धान्य-धन वृद्धि हो,
और सुरलोक की-सी उसकी समृद्धि हो,
किन्तु अमरत्व क्या इसी से नर पा लेंगे?
उलटी मनुष्यता भी अपनी गँवा-देंगे।
पायेंगे प्रयास बिना लोग खाने-पीने को,
फिर क्यों बहायेंगे वे श्रम के पसीने को!
होंगे अकर्मण्य, उन्हें क्या-क्या नहीं सूझेगा!
कोई कुछ मानेगा न जानेगा न बूझेगा!

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(i) उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए (1)
(अ) पृथ्वी पर दैवीय सुख
(ब) मानवता
(स) अकर्मण्यता
(द) स्वर्ग में मानव।

(ii) इन्द्र ने पृथ्वीवासियों की समृद्धि के लिए आदेश दिया (1)
(अ) जल-वर्षा करने का
(ब) शीतल-मन्द वायु चलने का
(स) जल के साथ रत्न वर्षा का
(द) दुष्टों के वध का।

(ii) पृथ्वी पर धन-धान्य की समृद्धि होने से पृथ्वीवासी (1)
(अ) मानवता गँवाकर अकर्मण्य हो जाएँगे
(ब) सुखी हो जाएँगे
(स) सम्पन्न हो जाएंगे
(द) परिश्रमी हो जाएँगे

(iv) ‘जीवन का मूल जल ही है सब सृष्टि का’ पंक्ति का भावार्थ है (1)
(अ) संसार के सभी प्राणियों का मूल आधार जल ही है
(ब) पूरी सृष्टि का जीवन जल से उत्पन्न हुआ है
(स) जल से जीवन बना है और जल से ही सृष्टि उत्पन्न हुई है
(द) बादल जल बरसाते हैं तभी सृष्टि का जीवन चलता है।

(v) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार से युक्त पंक्ति निम्नलिखित में से कौन-सी है? (1)
(अ) मेघ जल मात्र नहीं बरसावें रत्न भी
(ब) करें आवश्यक छाया का प्रयत्न भी
(स) उलटी मनुष्यता भी अपनी गँवा देंगे
(द) हाँ, संकोच-सा था कुछ, था न मैं नया-नया।

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(vi) ‘कर्मण्य’ का विपरीतार्थक काव्यांश में से छूटकर लिखिए (1)
(अ) अमरत्व
(ब) मनुष्यता
(स) श्रम
(द) अकर्मण्य

प्रश्न 2.
दिए गए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए (6 x 1 = 6)

(i) माधुर्य, ओज तथा प्रसाद गुणों का संबंध मनुष्य की ………………………………….. से है। (1)
(ii) वाह रे अकबर, तेरे जे ठाठ। नीचे दरी और ऊपर खाट। पंक्तियों में ………………………………….. दोष है। (1)
(ii) कुण्डलियाँ छन्द के पहले दो चरणों में ………………………………….. मात्राएँ होती हैं। (1)
(iv) जिन छंदों के प्रत्येक चरण में मात्राएँ अथवा वर्ण समान हों, उनको ………………………………….. छन्द कहते हैं। (1)
(v) “विमलाम्बरा रजनी वधू, अभिसारिका सी जा रही।” काव्य पंक्ति में ………………………………….. अलंकार है। (1)
(vi) “बलिहारी नृप कूप की गुन बिन बूंद न देइ।” पंक्ति में गुन शब्द के ………………………………….. अर्थ हैं। अतः यहाँ ………………………………….. अलंकार है। (1)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)

(i) विभावना अलंकार से युक्त कोई एक मौलिक उदाहरण दीजिए। (1)
(ii) विशेषोक्ति अलंकार की परिभाषा लिखिए। (1)
(iii) व्यापार-कारोबार से संबंधित रिपोर्टिंग की भाषा कैसी होनी चाहिए ? (1)
(iv) व्यापार व अर्थजगत के समाचारों को लिखने के लिए किस शैली का प्रयोग किया जाएगा? (1)
(v) खेल कैसा क्षेत्र है ? (1)
(vi) अमरौली प्रोजेक्ट के तहत क्या हुआ? (1)
(vii) “मैं तो केवल निमित मात्र था। अरुण के पीछे सूर्य था।” किसका कथन है? (1)
(viii) पंचवटी की तुलना किससे की गई है? (1)
(ix) देवसेना ने अपने जीवन का अंतिम समय कहाँ व्यतीत किया? (1)
(x) कविता की सृष्टि कैसे होती है? लिखिए। (1)
(xi) नाटक की संपूर्णता किन तत्वों पर निर्भर करती है? लिखिए। (1)
(xii) कहानी का इतिहास कितना पुराना है? लिखिए। (1)

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खण्ड – (ब)

निर्देश-प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
‘संपादक के नाम पत्र’ में क्या लिखा होता है ? (2)

प्रश्न 5.
समाचार लेखन की आवश्यक शर्ते लिखिए। (2)

प्रश्न 6.
संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं? वह बड़ी बहुरिया का संवाद क्यों नहीं सुना सका? (2)

प्रश्न 7.
‘मैंने देखा एक बूंद’ कविता के माध्यम से कवि अज्ञेय ने बूंद एवं सागर के सन्दर्भ में कौन से दर्शन का प्रतिपादन किया है? (2)

प्रश्न 8.
विद्यापति अथवा सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला (2)

प्रश्न 9.
जन्मभर के साथी का चुनाव मिट्टी के ढेले पर छोड़ना बुद्धिमानी नहीं है। इसलिए बेटी का शिक्षित होना अनिवार्य है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के संदर्भ में विचार कीजिए। (2)

प्रश्न 10.
1947 से लोग अनेक तरीके से मालामाल हुए किन्तु विमुद्रीकरण होने से उन स्थितियों में बदलाव आया या नहीं? (2)

प्रश्न 11.
‘निर्मल वर्मा’ अथवा ‘पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी’ में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

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प्रश्न 12.
‘आरोहण’ पहाड़ी लोगों की जीवनचर्या का भाग है, किन्तु वही आरोहण किसी को नौकरी भी दिला सकता है। पाठ के आधार पर बताइए। (2)

प्रश्न 13.
“तो हम भी सौ लाख बार बनाएँगे” सरदास के इस कथन के आलोक में जीवन-मूल्य के रूप में सकारात्मक दृष्टिकोण के महत्व पर अपने विचार व्यक्त कीजिए। (2)

प्रश्न 14.
मालवा में जब सब जगह बरसात की झड़ी लगी रहती है तब मालवा के जनजीवन पर इसका क्या असर पड़ता है ? (2)

प्रश्न 15.
‘आरोहण’ पाठ में पहाड़ी जीवन की किन कठिनाइयों का वर्णन किया गया है ? (2)

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
चौधरी बदरीनारायण की वाग्विदग्धता की विलक्षण वक्रता एवं वचन-भंगिमा पर प्रकाश डालने हेतु पाठ में आए किसी प्रसंग को उद्धृत कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
‘आज का कबूतर अच्छा है कल के मोर से, आज का पैसा अच्छा है कल की मोहर से। आँखों देखा ढेला अच्छा ही होना चाहिए लाखों कोस के तेज पिंड से।’ कथन का आशय ‘सुमिरिनी के मनके’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

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प्रश्न 17.
कविता के आधार पर बनारस में वसन्त के आगमन और उसके प्रभाव का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
“यह दीप अकेला’ कविता में व्यष्टि एवं समष्टि के संतुलन को आवश्यक माना गया है” स्पष्ट करें। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 18.
‘सच्चे खिलाड़ी कभी रोते नहीं, बाजी पर बाजी हारते हैं, चोट पर चोट खाते हैं। पर मैदान में डटे रहते हैं।’ इस कथन के आधार पर सूरदास की मनः स्थिति में आए बदलाव को स्पष्ट कीजिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)
अथवा
पर्वतारोहण पर्वतीय प्रदेशों की दिनचर्या है, वही दिनचर्या आज जीविका का माध्यम बन गई है। उसके गुण-दोष का विवेचन कीजिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

यह दीप अकेला स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो। यह जन है-गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा? पनडुब्बा-ये मोती सच्चे फिर कौन कृती लाएगा? यह समिधा-ऐसी आग हठीला बिरला सुलगाएगा। यह अद्वितीय यह मेरा यह मैं स्वयं विसर्जित यह दीप, अकेला, स्नेह भरा है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।
अथवा
हिमालय किधर है ? मैंने उस बच्चे से पूछा जो स्कूल के बाहर पतंग उड़ा रहा था उधर-उधर-उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी। मैं स्वीकार करूँ मैंने पहली बार जाना हिमालय किधर है!

प्रश्न 20.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

उपाध्याय जी नागरी को भाषा मानते थे और बराबर नागरी भाषा लिखा करते थे। उनका कहना था कि, “नागर अपभ्रंश से जो शिष्ट लोगों को भाषा विकसित हुई, वही नागरी कहलाई।” इसी प्रकार वे मिर्जापुर न लिखकर मीरजापुर लिखा करते थे, जिसका अर्थ वे करते थे-लक्ष्मीपुर-मीर त्र समुद्र जा त्र पुत्री पुर।
अथवा
खाते-खाते संभव को याद आया, आशीर्वचन की दुर्घटना तो बाद में घटी थी। वह कौर हाथ में लिए बैठा रह गया। उसकी आँखों के बीच आगे कुछ घण्टे पहले का सारा दृश्य घूम गया। पुजारी का वह मंत्रोच्चार जैसा पवित्र उद्गार ‘सुखी रहो, फूलो-फलो, सारे मनोरथ पूरे हों। जब भी आओ साथ ही आना।’ लड़की की का चिहकना, छिटककर दर खड़े होना, घबराहट में चप्पल भी ठीक से न पहन पाना और आगे बढ़ जाना।

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प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए। (6)
(अ) न्यू इंडिया की संकल्पना : चुनौतियों और संभावनाएँ
(ब) विज्ञान की नवीनतम उपलब्धियाँ
(स) प्लास्टिक प्रदूषण समाप्ति के उपाय
(द) मातृभाषा और शिक्षा
(य) जनतंत्र में जनता

RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Paper 3

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए

भारत की एक विशेषता जो दूसरे देशों में नहीं पाई जाती, वह है उसका अनेकरूपी होना। यहाँ एक ही आदमी एक ही साथ कई तरह की चीजों में विश्वास करता है। उदाहरण के रूप में यहाँ आदमी बीमार पड़ने पर होम्योपैथी का इलाज भी करवाता है, जुकाम में ऐलोपैथी और आवश्यकता पड़ने पर आयुर्वेदिक और यूनानी नुस्खे भी आजमा लेता है। एक भारतीय जो अपने आपको बहुत आधुनिक मानता है वह कभी-कभी परेशानी की दशा में निस्संकोच भाव से टोना-टोटका भी करवा लेता है और लगे हाथ ज्योतिषी को भी दिखा लेता है। हम देखते हैं कि लोग बड़े श्रद्धाभाव से मजार पर माथा टेकते हैं और शिव की प्रतिमा के सामने भी सिर झका लेते हैं। एक ही व्यक्ति एक साथ घोर पुरातन पंथी हो सकता है और अत्याधुनिक भी। विश्वासों और मान्यताओं का घालमेल भारतीयता का विशिष्ट बुनियादी तत्व है। हमारे लिए गर्व की बात यह है कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ अपनेपन के सम्बन्ध अभी पूरी तरह पैसों के सम्बन्धों में परिवर्तित नहीं हो पाए हैं। निश्छल पारिवारिक स्नेह, पड़ोसियों का आत्मीय व्यवहार भारत में ही दिखाई देता है।

(i) अपने आपको बहुत आधुनिक मानने वाले भारतीय की विशेषता है कि वह (1)
(अ) पुरातनपंथी भी है और अत्याधुनिक भी
(ब) आधुनिक सभ्यता में विश्वास करता है
(स) नई जीवन शैली को अपनाता है।
(द) भावनात्मक सम्बन्धों को महत्त्वहीन मानता है।।

(ii) विश्वासों और मान्यताओं के घालमेल का तात्पर्य है, एक ही व्यक्ति का (1)
(अ) आस्तिक भी होना और नास्तिक भी
(ब) अत्याधुनिक और पुरातनपंथी होना
(स) हिंसावादी और अहिंसावादी होना
(द) विविधतापूर्ण दृष्टिकोण होना।

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(iii) भारत के लिए गौरव की बात है (1)
(अ) आर्थिक रूप से प्रगति करना
(ब) कई शताब्दियों का जीवन साथ जीना
(स) अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियाँ
(द) परिवार और पड़ोसी में अपनेपन के सम्बन्ध।

(iv) ‘निश्छल’ शब्द दो शब्दों के मेल से बना है, प्रयुक्त सन्धि का सही नाम है- (1)
(अ) व्यंजन सन्धि
(ब) दीर्घ सन्धि
(स) विसर्ग सन्धि
(द) स्वर सन्धि।

(v) गद्यांश का उचित शीर्षक है (1)
(अ) भारतवर्ष
(ब) भारतीयता
(स) अनेकरूपी होना
(द) भारत की विशेषता-अनेकता में एकता।

(vi) निश्छल पारिवारिक स्नेह, पड़ोसियों का आत्मीय व्यवहार दिखाई देता है- (1)
(अ) अमेरिका में
(ब) इंग्लैण्ड में
(स) भारत में
(द) चीन में

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निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए (6 x 1 = 6)

मैं न बँधा हूँ देश-काल की जंग लगी जंजीर में,
मैं न खड़ा हूँ जाति-पाँति की ऊँची-नीची भीड़ में,
मेरा धर्म न कुछ स्याही-शब्दों का एक गुलाम है,
मैं बस कहता हूँ कि प्यार है तो घट-घट में राम है,
मुझसे तुम न कहो मन्दिर-मस्जिद पर मैं सर टेक हूँ,
मेरा तो आराध्य आदमी देवालय हर द्वार है।
कहीं रहे कैसे भी, मुझको प्यारा यह इन्सान है,
मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है,
मझे मिली है प्यास विषमता का विष पीने के लिये
मैं जन्मा हूँ नहीं स्वयं-हित, जग-हित जीने के लिये
मैं सिखलाता हूँ कि जियो और जीने दो संसार को,
जितना ज्यादा बाँट सको तुम बाँटो अपने प्यार को,
हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी,
चलो इस तरह, कुचल न जाये पग से कोई शूल भी,
सुख न तुम्हारा सुख केवल जग में भी उसका भाग है,
फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का श्रृंगार है।
कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार है।

(i) कवि का आराध्य और देवालय क्या है? (1)
(अ) महादेव, मन्दिर
(ब) अल्लाह, मस्जिद
(स) मानव, घर
(द) ईसा और चर्च।

(ii) “हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी।” पंक्ति का भावार्थ है (1)
(अ) तुम्हारे हैंसने के साथ धूल भी हँसे
(ब) जहाँ धूल उड़ रही हो वहाँ हैंसना चाहिए
(स) अपनी प्रसन्नता-खुशी में दलित वर्ग का भी साथ है
(द) दलित धूल तुम्हारे साथ ही हँसती है।

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(iii) “कोई नहीं पराया, मेरा घर सारा संसार”, पद्यांश का अन्तिम पंक्ति किस आर्ष वचन की पुष्टि करती है (1)
(अ) सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय
(ब) वसुधैव कुटुंबकम्
(स) आप भला तो जग भला
(द) सबकी उन्नति में अपनी उन्नति है।

(iv) मुझे मिली है प्यास विषमता का विष पीने के लिए। रेखांकित अंश में निहित अलंकार है (1)
(अ) अनुप्रास
(ब) यमक
(स) श्लेष
(द) उत्प्रेक्षा

(v) उपर्युक्त पद्यांश का उचित शीर्षक निम्नलिखित विकल्पों में से चुनिए- (1)
(अ) इन्सान का प्यार
(ब) जीने दो संसार को
(स) मानवता पर गर्व
(द) मनुष्यता

(vi) कवि संसार को क्या सिखाना चाहता है (1)
(अ) पैसा कमाना
(ब) धन कमाना
(स) स्वास्थ्य लाभ
(द) जियो और जीने दो

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) प्रसाद गुण में ………………………………….. पदावली का प्रयोग होता है।
(ii) मुख्यार्थ में बाधा पहुँचाने वाले कारकों को ………………………………….. कहते हैं।
(iii) कवित्त छन्द के प्रत्येक चरण का अन्तिम वर्ण ………………………………….. होता है।
(iv) मनहरण कवित्त छन्द में ………………………………….. वर्ण होते हैं।
(v) “नित्य ही नहाता क्षीरसिन्धु में कलाधर है, सुन्दर तवानन की समता इच्छा से।” काव्य पंक्ति में ………………………………….. अलंकार है।।
(vi) “हलधर के प्रिय हैं सदा केशव और किसान। पंक्ति में हलधर शब्द ………………………………….. अर्थ व्यक्त करता है। अतः यहाँ ………………………………….. अलंकार है।।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)

(i) प्रतीप अलंकार से युक्त कोई एक मौलिक उदाहरण लिखिए। (1)
(ii) मानवीकरण अलंकार परिभाषा लिखिए। (1)
(ii) समाचार जगत में विशेषज्ञ होने की विशेषता कैसे हासिल की जाती है? (1)
(iv) पत्र-पत्रिकाओं में खेल के बारे में लिखने के लिए क्या जरूरी है ? (1)
(v) खेल-समाचार की प्रस्तुति किस प्रकार की होनी चाहिए ? (1)
(vi) मजदूरों के हाथ चार नहीं होने पर मिल मालिक को क्या एहसास हुआ? (1)
(vii) विरोध के कौन-से स्वरूप का इस्तेमाल अमझर गाँव वालों ने किया? (1)
(viii) युधिष्ठिर के पुकारने पर भी विदुर कहाँ चले गए थे? (1)
(ix) हृदय की वेदना को भूलने के लिए कवि निराला क्या करना चाहते हैं? (1)
(x) कविता की शैली विधा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। (1)
(xi) नाटक का वर्तमान काल, भूतकाल और भविष्यकाल से क्या सम्बन्ध है? (1)
(xii) कथानक में द्वन्द्व का अधिक महत्व है? स्पष्ट कीजिए। (1)

खण्ड – (ब)

निर्देश-प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
विशेष रिपोर्ट को किस शैली में लिखा जाता है? बताइये। (2)

प्रश्न 5.
फीचर लेखन के फार्मूला पर टिप्पणी लिखिए। (2)

प्रश्न 6.
बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी ? (2)

प्रश्न 7.
कोयल और भौंरों के कलरव का नायिका पर क्या प्रभाव पड़ता है? (2)

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प्रश्न 8.
तुलसीदास अथवा सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय में से किसी एक का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

प्रश्न 9.
‘भारतेंदु जी के मकान के नीचे का यह हृदय-परिचय बहुत शीघ्र गहरी मैत्री में परिणत हो गया।’ कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)

प्रश्न 10.
‘महीं सकल अनरथ कर मूला’ पंक्ति द्वारा भरत के विचारों-भावों का स्पष्टीकरण कीजिए। (2)

प्रश्न 11.
‘असगर वजाहत’ अथवा ‘ब्रजमोहन व्यास’ में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

प्रश्न 12.
‘मालवा में विक्रमादित्य और भोज और मुंज, रिनेसां के बहुत पहले हो गए।’ पानी के रखरखाव के लिए उन्होंने क्या प्रबन्ध किए ? (2)

प्रश्न 13.
शैला और भूप ने मिलकर किस तरह पहाड़ पर अपनी मेहनत से नयी जिंदगी की कहानी लिखी? (2)

प्रश्न 14.
सूरदास के व्यक्तित्व की किन्हीं तीन विशेषताओं पर सोदाहरण प्रकाश डालिए। (2)

प्रश्न 15.
बूढ़े तिरलोक सिंह को पहाड़ पर चढ़ना जैसी नौकरी की बात सुनकर अजीब क्यों लगा? (2)

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खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
‘शेर’ कहानी के आधार पर हमारी सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
दीक्षित साहब कौन थे? उन्होंने व्यास जी को अर्द्ध-सरकारी पत्र किस सिलसिले में लिखा था ? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 17.
‘मैं जानउँ निज नाथ सुभाऊ’ इन पंक्तियों के माध्यम से राम की किन विशेषताओं का उल्लेख किया गया है? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
बनारस में धीरे-धीरे क्या-क्या होता है ? ‘धीरे-धीरे’ से कवि इस शहर के बारे में क्या कहना चाहता है ? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 18.
‘सूरदास की झोंपड़ी’ कहानी से उभरने वाले जीवन-मूल्यों का उल्लेख करते हुए आज के संदर्भ में उनकी उपयोगिता पर लगभग 150 शब्दों में प्रकाश डालिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)
अथवा
‘आरोहण’ कहानी का नायक आप किसे मानते हैं ? उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का चित्रण कीजिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)

खण्ड – (द)

प्रश्न 19.
निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

जननी निरखति बान धनुहियाँ।
बार बार उर नैननि लावति प्रभुजू की ललित पनहियाँ।।
कबहुँ प्रथम ज्यों जाइ जगावति कहि प्रिय बचन सवारे।
“उठहु तात ! बलि मातु बदन पर, अनुज सखा सब द्वारे”।।
कबहुँ कहति यों “बड़ी बार भइ जाहु भूप पह, भैया।
बंधु बोलि जेंइय जो भावै गई निछावरि मैया।।”
कबहुँ समुझि वनगमन राम को रहि चकि चित्रलिखी सी।
तुलसीदास वह समय कहे तें लागति प्रीति सिखी सी।।
अथवा
माँ की कुल शिक्षा मैंने दी,
पुष्प-सेज तेरी स्वयं रची,
सोचा मन में, “वह शकुन्तला,
पर पाठ अन्य यह, अन्य कला।”
कुछ दिन रह गृह तू फिर समोद,
बैठी नानी की स्नेह-गोद।
मामा-मामी का रहा प्यार,
भर जलद धरा को ज्यों अपार,
वे ही सुख-दुख में रहे न्यस्त,
तेरे हित सदा समस्त, व्यस्त,
वह लता वहीं की, जहाँ कली
तू खिली, स्नेह से हिली, पली,
अन्त भी उसी गोद में शरण
ल दि दृग वर महामरण!

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प्रश्न 20.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

जन्मभर के साथी की चुनावट मट्टी के ढेलों पर छोड़ना कैसी बुद्धिमानी है! अपनी आँखों से जगह देखकर, अपने हाथ से चुने हुए मट्टी के डगलों पर भरोसा करना क्यों बुरा है और लाखों-करोड़ों कोस दूर बैठे बड़े-बड़े मट्टी और आग के ढेलों मंगल और शनैश्चर और बृहस्पति की कल्पित चाल के कल्पित हिसाब का भरोसा करना क्यों अच्छा है, यह मैं क्या कह सकता हूँ ? बकौल वात्स्यायन के, आज का कबूतर अच्छा है कल के मोर से, आज का पैसा अच्छा है कल के मोहर से। आँखों देखा ढेला अच्छा ही होना चाहिए लाखों कोस की तेज पिण्ड से।
अथवा
मैं कहीं जाता हूँ तो डूंछे हाथ नहीं लौटता। यहाँ कोई विशेष महत्त्व की चीज तो नहीं मिली पर गाँव के भीतर कुछ बढ़िया मृणमूर्तियाँ, सिक्के और मनके मिल गए। इक्के पर कौशाम्बी लौटा एक-दूसरे रास्ते से। एक छोटे से गाँव के निकट पत्थरों के ढेर के बीच, पेड़ के नीचे एक चतुर्मुख शिव की मूर्ति देखी। वह वैसे ही पेड़ के सहारे रखी थी जैसे उठाने के लिए मुझे ललचा रही हो। अब आप ही बताइए, मैं करता ही क्या? यदि चांद्रायण व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाए तो बेचारी को अपना कर्त्तव्य पालन करना ही पड़ता है।

इक्के से उतरकर इधर-उधर देखते हुए उसे चुपचाप इक्के पर रख लिया।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए। (6)
(अ) राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों का कर्तव्य
(ब) गाँवों का देश भारत
(स) जीवन में परिश्रम का महत्व
(द) पर्यावरण संरक्षण : प्रदूषण नियंत्रण
(य) कामकाजी महिला और राष्ट्र निर्माण

RBSE Class 12 E-Hindi Sahitya Self Evaluation Test Paper 4

खण्ड – (अ)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए –

जीवन का दूसरा नाम संग्राम है। यह संग्राम जन्म से आरम्भ होकर जीवन-पर्यन्त जारी रहता है। इस संग्राम का केन्द्र मानव मन, अच्छी और बुरी प्रवृत्ति दो पक्ष तथा सारा वातावरण ही इसके कारण हैं। जैसे-जैसे मानव साकार रूप देने का प्रयास आरम्भ कर देता है। इस प्रयत्न में वह निम्नतम स्तर स्वार्थ सिद्धि ही उसका एकमात्र उद्देश्य बन जाता है। उसके जीवन का केन्द्र स्वार्थ और तृप्ति में ही निहित हो जाता है। ऐसा व्यक्ति कभी नौतिक मल्यों पर विचार की कल्पना भी नहीं कर सकता है। यही कारण है कि वह हर समय अशान्त और तनावग्रस्त रहता है। इच्छा-त्याग से ही शान्ति का अनुभव होता है। आसुरी शक्ति के समक्ष जों ने घुटने टेकने के स्थान पर उसका दृढ़ता से सामना करना पसन्द किया। इसके लिये उन्होंने विभीषण के सामने अपने बन्धु रावण के अन्याय को स्वीकार करने के स्थान पर उसका दृढ़ता से विरोध करने का प्रस्ताव किाय। ‘सत्यमेव जयते’ में विश्वास प्रकट करते हुए, असत्य और अन्याय का विरोध किया। अन्याय करना और सहना कायरता की निशानी है। अतः अन्याय सहने वाला भी अन्याय का समर्थक माना जाता है। आज धर्म और नैतिकता लुप्त हो रही है। भौतिकता के प्रति प्रेमाधिक्य के कारण जीवन में संवेदना का अभाव हो गया है।

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(i) जीवन का दूसरा नाम ‘संग्राम है, क्योंकि (1)
(अ) मनुष्य को जीवन-भर युद्ध लड़ने पड़ते हैं।
(ब) मानव-जीवन युद्धों के लिए बना है
(स) वास्तव में युद्ध और मानव-जीवन एक ही हैं
(द) मानव को जीने के लिए निरन्तर संघर्ष करना पड़ता है

(ii) मनुष्य अशान्त और तनावग्रस्त रहता है (1)
(अ) वह अपने स्वार्थ सिद्ध करना चाहता है
(ब) वह परोपकार करना चाहता है।
(स) स्वार्थपूर्ति तथा तृप्ति न होने के कारण
(द) वह बुरे कार्य करना चाहता है

(iii) अन्त में जीत किसकी होती है। (1)
(अ) बल और ताकत की
(ब) भौतिकता की
(स) सत्य और न्याय की
(द) असत्य और अन्याय की

(iv) ‘साकार’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द है (1)
(अ) आकार
(ब) निराकार
(स) सहकार
(द) साकारिता

(v) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है (1)
(अ) सत्यमेव जयते
(ब) मानव जीवन
(स) जीवन-संग्राम
(द) मानव-संवेदना

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(vi) हमारे पूर्वजों ने अपना विश्वास प्रकट किया था (1)
(अ) ईश्वर पर
(ब) सत्यमेव जयते पर
(स) अपने बल पर
(द) इनमें से कोई नहीं

निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर पुस्तिका में कोष्ठक में लिखिए (6 x 1 = 6)

कातरता, चुप्पी या चीखें
तो क्या इन टटकी बन्दूकों से डर जाऊँगा ?
या हारे हुओं की खोज
तुम मुझको दोषी ठहराओ
जहाँ भी मिलेगी
मैंने तुम्हारे सुनसान का गला घोंटा है
उन्हें प्यार से सितार पर बजाऊँगा।
पर मैं गाऊँगा
जीवन ने कई बार उकसाकर
चाहे इस प्रार्थना सभा में
मुझे अनलंध्य सागरों में फेंका है
तुम सब मुझ पर गोलियाँ चलाओ अगन-भट्टियों में झोंका है
मैं मर जाऊँगा मैंने वहाँ भी
लेकिन मैं कल फिर जन्म लूँगा
ज्योति की मशाल प्राप्त करने के यत्न किये
कल फिर आऊँगा। बचने के नहीं,

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(i) कवि ने किस महापुरुषों के भावों का उल्लेख किया है ? (1)
(अ) महात्मा बुद्ध
(ब) महावीर स्वामी
(स) महात्मा गाँधी
(द) दयानन्द सरस्वती।

(ii) मैं मर जाऊँगा
लेकिन मैं कल फिर जन्म लँगा कल फिर आऊँगा। पद्यांश की उक्त अन्तिम तीन पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहता है ? (1)
(अ) मैं मरने के बाद कल फिर जन्म लूंगा
(ब) कवि बार-बार मरना और जन्म लेना चाहता है
(स) देश-सेवा करने वाले बार-बार जन्म लेते हैं और मरते हैं
(द) मानवता के रक्षक हर जन्म में मानवता की सेवा की चाह रखते हैं।

(iii) ‘सुनसान का गला घोंटा है’ का तात्पर्य बताइए (1)
(अ) सुनसान रूपी व्यक्ति की गर्दन दबा दी
(ब) सुनसान में ले जाकर व्यक्ति का गला घोंट दिया
(स) सूने मानव-मन में आशा की उमंगें भर दी
(द) सुनसान-स्थल पर सुन्दर गीत गाया।

(iv) किसी रचना को लिखने की कई शैलियाँ होती हैं। शैली भेद के अनुसार उपर्युक्त पद्यांश की लेखन शैली है (1)
(अ) आत्मकथा शैली
(ब) वर्णनात्मक शैली
(स) संवाद शैली
(द) प्रश्न शैली।

(v) उपर्युक्त पद्यांश का उपयुक्त शीर्षक नीचे लिखे विकल्पों से छटिए (1)
(अ) ज्योति की मशाल
(ब) अग्रदूत
(स) मानवता के मसीहा महात्मा गाँधी
(द) महावीर स्वामी।

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(vi) ‘अनलंघ्य’ शब्द का विपरीतार्थक शब्द है (1)
(अ) दुर्लध्य
(ब) लंध्य
(स) अलंध्य
(द) सुलंघ्य

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(i) माधुर्य गुण में ………………………………….. वर्ण का अभाव रहता है। (1)
(ii) जहाँ वाक्य में शब्दों का क्रम ठीक नहीं होता वहाँ ………………………………….. दोष होता है। (1)
(ii) सामान्यतः प्रत्येक छन्द में चार पंक्तियाँ होती हैं, इनको ………………………………….. या पाद कहा जाता है। (1)
(iv) जिन छंदों में वर्गों की संख्या तथा क्रम निश्चित होता है, उन्हें ………………………………….. छंद कहते हैं। (1)
(v) छोरटी है गोरटी या चोरटी अहीर की। काव्य पंक्ति में ………………………………….. अलंकार है। (1)
(vi) तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये। पंक्ति में वर्ण की ………………………………….. होने से यहाँ ………………………………….. अलंकार है। (1)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द-सीमा 20 शब्द है। (12 x 1 = 12)
(i) मानवीकरण अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए। (1)
(ii) समासोक्ति एवं अन्योक्ति अलंकार का उदाहरण सहित अंतर स्पष्ट कीजिए। (1)
(iii) कारोबार और व्यापार से जुड़ी खबरों की विशेष शब्दावली बताइए। (1)
(iv) मीडिया की भाषा में ‘डेस्क’ किसे कहते हैं ? (1)
(v) खबरों के विशेषीकृत क्षेत्र कौन-कौन से होते हैं ? (1)
(vi) ‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ पाठ के लेखक कौन हैं? (1)
(vii) हरगोबिन संवाद लेकर कहाँ गया था? (1)
(viii) कवि ने माता कौशल्या के दुःख की तुलना किससे की है? (1)
(ix) वसन्त के अकस्मात् आने से लहरतारा या मडुवाडीह मौहल्ले से क्या चलती हैं? (1)
(x) सुंदर कविता की रचना किस प्रकार होती है? (1)
(xi) ‘संवाद नाटक के प्राण होते हैं?” सिद्ध कीजिए। (1)
(xii) देशकाल और पात्र कहानी के विकास में क्या योगदान देते हैं? लिखिए। (1)

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खण्ड- (ब)

निर्देश-प्रश्न सं 04 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम शब्द सीमा 40 शब्द है।

प्रश्न 4.
विशेष रिपोर्ट किस शैली में लिखी जाती है ? (2)

प्रश्न 5.
समाचार लेखन में किन छह ककारों की जानकारी दी जाती है ? (2)

प्रश्न 6.
‘जहाँ कोई वापसी नहीं’ लेख में लेखक ने आधुनिक भारत के नए शरणार्थी किन्हें कहा है और क्यों? (2)

प्रश्न 7.
‘जनम अबधि हम रूप निहारल नयन न तिरपित भेल’ उक्त काव्य पंक्ति के आधार पर विद्यापति की नायिका की मनोदशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। (2)

प्रश्न 8.
केदारनाथ सिंह अथवा विष्णु खरे में से किसी एक का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

प्रश्न 9.
उपाध्याय बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ की पहली झलक लेखक ने किस प्रकार देखी ? (2)

प्रश्न 10.
दीप अकेला’ के प्रतीकार्थ को स्पष्ट करते हुए यह बताइए कि उसे कवि ने स्नेह भरा, गर्व भरा एवं मदमाता क्यों कहा है ? (2)

प्रश्न 11.
‘फणीश्वरनाथ रेणु’ अथवा ‘रामचन्द्रशुक्ल’ में से किसी एक साहित्यकार का साहित्यिक परिचय लिखिए। (2)

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प्रश्न 12.
‘आरोहण’ कहानी लेखन में निहित कहानीकार का चिंतन क्या रहा है? स्पष्ट कीजिए। (2)

प्रश्न 13.
हमारी आज की सभ्यता इन नदियों को अपने गंदे पानी के नाले बना रही है। क्यों और कैसे ? ‘अपना मालवा खाऊ उजाड़ सभ्यता में’ पाठ के आधार पर समझाइए। (2)

प्रश्न 14.
भैरों को प्राप्त सूरदास के पाँच सौ रुपयों को देखकर जगधर की जो मन:स्थिति हुई, उसका वर्णन कीजिए। (2)

प्रश्न 15.
हिमांग पर्वत के धंसने से हुई तबाही के बारे में भूपसिंह ने अपने भाई रूप को क्या बताया ? (2)

खण्ड – (स)

प्रश्न 16.
‘बालक बच गया’ लघु कथा में लेखक ने किस मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त के बारे में बताया है ? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
“चौधरी बदरीनारायण दृढ़ मान्यताओं वाले व्यक्ति थे” इस कथन को पुष्ट करने के लिए पाठ में आए प्रसंग तर्क सहित प्रस्तुत कीजिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 17.
‘देवता प्रसिद्ध सिद्ध रिषिराज तपबृद्ध कहि-कहि हारे सब कहि न काहू लई’ पंक्ति के काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)
अथवा
‘मैं ने देखा, एक बूंद’ कविता में बूंद को देखकर कवि के मन में क्या विचार आते हैं ? (उत्तर-सीमा 60 शब्द) (3)

प्रश्न 18.
हासे का होना क्या मायने रखता है इन पहाड़ों में, इसे तो कोई पहाड़ी ही समझ सकता है। रिश्ते तक धुंधला जाते हैं’। ‘आरोहण’ कहानी में रूप के इस कथन में उसके जीवन की व्यथा-कथा झलक रही है तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)
अथवा
धरती का वातावरण गरम क्यों हो रहा है ? इसमें योरोप और अमेरिका की क्या भूमिका है ? टिप्पणी कीजिए। (उत्तर-सीमा 80 शब्द) (4)

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खण्ड – (द)

निम्नलिखित पठित काव्यांशों में से किसी एक की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

जैसे शमी वृक्ष के तने से टिककर
न पहचानने में पहचानते हुए विदुर ने धर्मराज को
निर्निमेष देखा था अन्तिम बार
और उनमें से उनका आलोक धीरे-धीरे आगे बढ़कर
मिल गया था युधिष्ठिर में
सिर झुकाए निराश लौटते हैं हम
कि सत्य अन्त तक हमसे कुछ नहीं बोला
हाँ हमने उसके आकार से निकलता वह प्रकाश-पुंज देखा था
हम तक आता हुआ
वह हममें विलीन हुआ या हमसे होता हुआ आगे बढ़ गया।
अथवा
यह मधु है-स्वयं काल की मौना का युग-संचय,
यह गोरस-जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय,
यह अंकुर-फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय,
यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुतः इसको भी शक्ति को दे दो।
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर इसको भी पंक्ति को दे दो।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए (1 + 4 = 5)

लोग अपने गाँवों से विस्थापित होकर कैसी अनाथ, उन्मूलित जिन्दगी बिताते हैं, यह मैंने हिन्दुस्तानी शहरों के बीच बसी मजदूरों की गंदी, दम घुटती, भयावह बस्तियों और स्लम्स में कई बार देखा था, किन्तु विस्थापन से पूर्व वे कैसे परिवेश में रहते होंगे, किस तरह की जिंदगी बिताते होंगे, इसका दृश्य अपने स्वच्छ, पवित्र खुलेपन में पहली बार अमझर गाँव में देखने को मिला। पेड़ों के घने झुरमुट, साफ-सुथरे खप्पर लगे मिट्टी के झोंपड़े और पानी। चारों तरफ पानी। अगर मोटर-रोड की भागती बस की खिड़की से देखो, तो लगेगा जैसे समूची जमीन एक झील है, एक अंतहीन सरोवर जिसमें पेड़, झोंपड़े, आदमी, ढोर-डाँगर आधे पानी में, आधे ऊपर तिरते दिखाई देते हैं, मानो किसी बाढ़ में सब कुछ डूब गया हो, पानी में धंस गया हो।
अथवा
उसके थोड़े ही दिन बाद गाँववालों को पता चल गया कि चतुर्मुख शिव वहाँ से अंतर्धान हो गए। जिस प्रकार भरतपुर राज्य की सीमा पर डकैती होने से पुलिस का ध्यान मानसिंह अथवा उसके सुपुत्र तहसीलदार पर सहसा जाता है, कुछ उसी प्रकार कौशाम्बी मंडल से कोई मूर्ति स्थानांतरित होने पर गाँववालों का संदेह मुझ पर होता था। और कैसे न हो? ‘अपना सोना खोटा तो परखवैया का कौन दोस? मैं इस संबंध में इतना प्रख्यात हो चुका था कि संदेह होना स्वाभाविक ही था, क्योंकि 95 प्रतिशत उनका संदेह सही निकलता था।

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प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 400 शब्दों में सारगर्भित निबंध लिखिए। (6)

(अ) भारतीय समाज और अंधविश्वास
(ब) भारत की सांस्कृतिक विशेषताएँ
(स) साहित्य और समाज का संबंध
(द) विद्यार्थी और अनुशासन
(य) योग, व्यायाम और स्वास्थ्य

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