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RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 20 संसद, लोकसभा एवं राज्यसभा

August 7, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 19 संसद, लोकसभा एवं राज्यसभा

संसद:

  • किसी भी लोकतांत्रिक शासन में सरकार के तीन अंग होते हैं-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका।
  • प्रत्येक देश में व्यवस्थापिका को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उदाहरण के रूप में, ब्रिटेन में पार्लियामेन्ट, संयुक्त राज्य अमेरिका में कांग्रेस, जापान में डायट, अफगानिस्तान में सूरा, इराक में मजलिस एवं जर्मनी में बुण्डेस्टांग तथा भारत में संसद आदि।
  • राष्ट्रपति भारतीय संघ की कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होने के साथ ही संघ की व्यवस्थापिका अर्थात् संसद का भी अभिन्न अंग होता है।
  • ऋग्वेद के अंतर्गत ‘सभा’ और ‘समिति’ नामक दो संस्थाओं का उल्लेख आता है, वहीं से आधुनिक संसद की शुरूआत मानी जा सकती है।
  • प्रतिनिधि निकाय तथा लोकतांत्रिक स्वशासी संस्थाएँ भारत में प्राचीनकाल से ही मौजूद रही हैं।

पृष्ठभूमि:

  • ब्रिटिश शासन के दौरान विभिन्न अधिनियमों द्वारा भारत में संसदीय परंपराओं को सीमित एवं मुख्यत: अनुत्तरदायी रूप से लागू करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
  • भारत सरकार अधिनियम, 1919 के द्वारा केन्द्रीय स्तर पर एक सदनीय विधानपरिषद के स्थान पर द्विसदनीय विधानमण्डल बनाया गया।

संसद का गठन:

  • भारतीय संसद का गठन संविधान के अनुच्छेद 79 के तहत हुआ है। इस अनुच्छेद में कहा गया है कि भारतीय संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी जिनके नाम राज्यसभा और लोकसभा होंगे।

संसद सदस्य होने की योग्यताएँ एवं निर्योग्यताएँ:

  • लोकसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए तथा उसकी न्यूनतम उम्र 25 वर्ष होनी चाहिए।
  • राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति को भारतीय नागरिक होना चाहिए तथा उसकी न्यूनतम उम्र 30 वर्ष होनी चाहिए।
  • कोई विकृत चित्त व्यक्ति अथवा अनुन्मोचित दिवालिया व्यक्ति संसद का सदस्य नहीं हो सकता है।
  • कोई व्यक्ति एक समय में संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता।
  • कोई व्यक्ति अधिकतम दो स्थानों से लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है। यदि वह दोनों स्थानों से निर्वाचित होता है तब एक माह के भीतर उसे एक स्थान रिक्त करना होता है।
  • संविधान की 10 वीं अनुसूची के अनुसार किसी संसद सदस्य को दल-बदल का दोषी पाए जाने पर सदस्यता से बर्खास्त किया जा सकता है।

शपथ:

  • संसद के सभी सदस्यों को सांसद अथवा एम. पी.’ कहा जाता है।
  • संसद के सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पूर्व राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा इस कार्य के लिए नियुक्त व्यक्ति के समक्ष शपथ लेते हैं और उस पर अपने हस्ताक्षर करते हैं।

संसद के सत्र (अधिवेशन):

  • भारतीय संसद के प्रतिवर्ष तीन सत्र (अधिवेशन) होते हैं-बजट सत्र (फरवरी-मई), मानसून सत्र (जुलाई-सितम्बर) तथा शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर)।
  • संसद की कार्यवाही के दौरान सदनों को स्थगित करने का अधिकार पीठासीन अधिकारी (लोकसभा में लोकसभाध्यक्ष तथा राज्यसभा में सभापति) को होता है, लेकिन सत्रावसान करने का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त होता है।

गणपूर्ति/कोरम:

  • गणपूर्ति अथवा कोरम सदस्यों की वह न्यूनतम सदस्य संख्या है, जिनकी उपस्थिति से सदनों की कार्यवाही को वैधानिकता प्राप्त होती है।
  •  गणपूर्ति प्रत्येक सदन में पीठासीन अधिकारी सहित सदन की कुल सदस्य संख्या का दसवाँ भाग होता है।
  • लोकसभा की कार्यवाही का संचालन करने हेतु सदन में कम से कम 55 सदस्य (कुल सदस्य संख्या 545 का दसँघाँ भाग) एवं राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करने हेतु सदन में कम से कम 25 सदस्य (कुल सदस्य संख्या 245 का दसवाँ भाग) अवश्य होने चाहिए।

संसद में भाषा:

  • संविधान के अनुसार संसद के कार्य संचालन की भाषा हिंदी एवं अंग्रेजी है।
  • पीठासीन अधिकारी किसी ऐसे सदस्य को जो हिंदी या अंग्रेजी में अपनी बात को अभिव्यक्त नहीं कर सकता हो, अपनी मातृभाषा में बोलने की अनुमति दे सकता है।

मंत्रियों एवं महान्यायवादी के संसद में अधिकार:

  • संविधान के अनुच्छेद 88 में प्रत्येक मंत्री एवं भारत के महान्यायवादी को यह अधिकार होगा कि वह संसद के किसी भी सदन में बोलने एवं कार्यवाही में भाग लेने का अधिकारी होगा।
  • महान्यायवादी को संसद में मतदान का अधिकार नहीं होगा तथा मंत्री मतदान केवल उसी सदन में कर सकेगा, जिस सदन का वह सदस्य है।

राज्यसभा का गठन:

  • राज्यसभा को संसद का उच्च सदन, स्थायी सदन अथवा राज्यों के सदन के नाम से जाना जाता है।
  • राज्यसभा का गठन संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत होता है जिसके अनुसार इसकी कुल सदस्य संख्या 250 हो सकती है। इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं जो साहित्य, विज्ञान, कला, खेल अथवा समाजसेवा में विशेष ज्ञान अथवा व्यावहारिक अनुभव प्राप्त व्यक्ति होंगे।
  • राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत व्यक्तियों का प्रावधान आयरलैंड के संविधान से प्रेरित है।
  • शेष 238 सदस्य राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों से निर्वाचित होते हैं।
  • वर्तमान में राज्यसभा की कुल सदस्य संख्या 245 निश्चित है जिनमें से 229 सदस्य विभिन्न राज्यों से व 4 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों से निर्वाचित हैं जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं।
  • राज्यसभा में राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों को स्थानों का आवंटन संविधान की चौथी अनुसूची के द्वारा जनसंख्या के आधार पर किया गया है।
  • राजस्थान से राज्यसभा के 10 सदस्य निर्वाचित होते हैं जबकि संघ शासित राज्यों में केवल दिल्ली एवं पुडुचेरी को ही राज्यसभा में प्रतिनिधित्व प्राप्त है, शेष को नहीं ।
  • अमेरिकी कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट के समान सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व देने के स्थान पर भारत में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है।

राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन:

  • संविधान के अनुसार राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा किया जाता है।
  • राज्यसभा का निर्वाचन कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है।

राज्यसभा की अवधि:

  • राज्यसभा एक स्थायी सदन है जो कभी भंग नहीं होता है।
  • संविधान में राज्यसभा के सदस्यों की पदावधि निर्धारित नहीं की थी, इसे संसद पर छोड़ दिया गया था।
  • राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष निर्धारित किया गया है।

राज्यसभा के पदाधिकारी:

  • संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, यद्यपि वह राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है।
  • अनुच्छेद 89 के अनुसार सभापति के अतिरिक्त राज्यसभा का एक उपसभापति होता है, जिसका निर्वाचन राज्यसभा के सदस्य अपने में से ही किसी एक का करते हैं।
  • जब उपराष्ट्रपति भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है अथवा सदन से अनुपस्थित रहता है, उस समय उपसभापति राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।

लोकसभा का गठन:

  • लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन अथवा लोकप्रिय सदन कहलाता है, जिसका गठन संविधान के अनुच्छेद 81 के अनुसार हुआ है।
  • वर्तमान में लोकसभा की कुल सदस्य संख्या 545 है, जिनमें से 530 विभिन्न राज्यों से एवं 13 सदस्य संघ राज्य क्षेत्रों से निर्वाचित हैं, जबकि दो सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं।
  • विभिन्न राज्यों को लोकसभा में स्थानों का आवंटन जनसंख्या के आधार पर होता है।

लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन:

  • सरदार बल्लभ भाई पटेल ने कठिन परिश्रम कर अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों को सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को समाप्त करने के लिए सहमत किया।
  • भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित तिथि को सम्बद्ध लोकसभा क्षेत्र के पंजीकृत मतदाता अपने मत का प्रयोग करते हैं तथा जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।
  • लोकसभा में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए स्थानों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए कुल 79 एवं अनुसूचित जनजाति के लिए 41 स्थान आरक्षित हैं।

लोकसभा का कार्यकाल:

  • संविधान के अनुच्छेद 83 के अनुसार लोकसभा का कार्यकाल अपनी प्रथम बैठक से पाँच वर्ष होगा। पाँच वर्ष की समाप्ति पर लोकसभा स्वत: ही भंग हो जाती है
  • अनुच्छेद 85 के अनुसार राष्ट्रपति कभी भी लोकसभा को भंग कर सकते हैं। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर ही लोकसभा को भंग करता है।
  • राष्ट्रपति आपातकाल की स्थिति में लोकसभा की अवधि को एक बार में एक वर्ष तक बढ़ा सकता है।

लोकसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष:

  • संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा अपने दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के रूप में चुनेगी।
  • लोकसभा का अध्यक्ष अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को तथा उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को सौंप सकता है। लोकसभा के तत्कालीन समस्त सदस्य बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अध्यक्ष (स्पीकर) एवं उपाध्यक्ष (डिप्टी स्पीकर) को अपने पद से हटा सकते हैं लेकिन ऐसा प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पूर्व संबंधित को सूचित करना आवश्यक है।
  • संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत अध्यक्ष को यह भी अधिकार प्राप्त है कि यदि यह प्रश्न उठता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर लोकसभा अध्यक्ष का फैसला अंतिम माना जाएगा।
  • स्वतंत्र भारत की पहली लोकसभा के अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर एवं उपाध्यक्ष अनंत शयनम अयंगर’ थे।

संसद के कार्य:

  • भारतीय संसद के प्रमुख कार्य हैं-
    • विधि निर्माण करना
    • धन विधेयक पारित करना।
    • संविधान संशोधन का कार्य
    • कार्यपालिका पर नियंत्रण स्थापित करना।
    • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन व उन्हें पद से हटाने का कार्य
  • अनुच्छेद 108 के तहत राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी विधेयक पर फैसला करने हेतु संयुक्त बैठक आमंत्रित करे।
  • संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। संयुक्त बैठक में निर्णय दोनों सदनों के उपस्थित और मतदान करने वाले कुल सदस्यों के बहुमत द्वारा किया जाता है। अब तक केवल तीन विधेयक ही संयुक्त बैठक में पारित किए गए हैं।
  • दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु प्रस्तुत किया जाता है, क्योंकि वह कार्यपालिका का संवैधानिक प्रमुख होने के साथ ही भारत की संसद का भी अभिन्न अंग होता है।
  • अनुच्छेद 111 के अनुसार राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने पर ही कोई विधेयक अधिनियम अर्थात् कानून बनता है।
  • राष्ट्रपति विधेयक को पुनर्विचार के लिए एक बार संसद को भेज सकता है, लेकिन यदि संसद संशोधनों सहित अथवा बिना किसी संशोधन के पुनः पारित कर विधेयक राष्ट्रपति के समक्ष भेजे तब राष्ट्रपति के लिए उस पर हस्ताक्षर करना आवश्यक हो जाता है।
  • अनुच्छेद 109 में धन विधेयक की प्रक्रिया का वर्णन है तथा अनुच्छेद 110 में इसे परिभाषित किया गया है।
  • धन विधेयक राज्यसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। वह राष्ट्रपति की सिफारिश पर केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • धन विधेयक अनिवार्य रूप से सरकारी विधेयक ही होता है, गैर-सरकारी विधेयक नहीं।
  • संशोधन प्रक्रिया के आधार पर संविधान लचीला व कठोर दो प्रकार का होता है।
  • संविधान की अधिकांश धाराओं में परिवर्तन प्रत्येक सदन की कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों से कम से कम दो-तिहाई बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव से होता है।
  • संविधान संशोधन विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है किन्तु दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग पारित करना आवश्यक है अर्थात इसमें संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीं होता है।
  • दोनों सदनों द्वारा पारित संविधान संशोधन विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से पारित समझा जाता है। राष्ट्रपति इस | पर हस्ताक्षर करने से इंकार नहीं कर सकते हैं।
  • विधेयक तीन प्रकार के होते हैं-साधारण, धन एवं संविधान संशोधन विधेयक।
  • साधारण एवं धन विधेयक पर जहाँ लोकसभा को राज्यसभा पर प्रभुत्व प्राप्त होता है वहीं संविधान संशोधन विधेयक पर दोनों सदनों को समान शक्ति प्राप्त होती है, क्योंकि एक सदन इसे पारित करे एवं दूसरा सदन पारित नहीं करे तब संविधान संशोधन विधेयक समाप्त समझा जाएगा।
  • कार्यपालिका के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को नियंत्रित करने का कार्य जनता की प्रतिनिधि संस्था अर्थात् संसद को प्राप्त है।

अध्याय में दी गई महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ:

वर्ष — घटनाक्रम
सन् 1833 ई. — चार्टर अधिनियम बना। इसका निर्माण तत्कालीन विधायिका को सशक्त बनाने हेतु किया गया।
सन् 1892 ई. — भारत परिषद अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की विधान परिषद में अधिकतम सदस्यों की संख्या सोलह निर्धारित कर उनमें से चार सदस्यों को अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित करने की प्रक्रिया को सम्मिलित किया गया।
सन् 1909 ई. — 1909 ई. के अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की विधान परिषद् में अधिकतम सदस्य संख्या को 60 कर दिया गया एवं उनके अधिकारों में भी वृद्धि की गई ।
सन् 1919 ई. — भारत सरकार अधिनियम 1919 द्वारा केन्द्रीय स्तर पर एक सदनीय विधान परिषद के स्थान पर द्विसदनीय विधानमंडल बनाया गया, जिनके नाम थे

  • राज्य परिषद
  • विधान सभा। प्रत्येक सदन में अधिकांश सदस्य निर्वाचित होते थे।

सन् 1935 ई. — इस वर्ष भारत शासन अधिनियम बनाया गया, जिसमें संसदीय तत्वों के विकास को देखा गया। 1935 के अधिनियम के अंतर्गत द्विसदनीय विधानमंडल को बनाए रखा गया।
सन् 1951 ई. — संसद ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 द्वारा राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष तय किया।
सन् 1952 ई. — भारत में पहली लोकसभा का गठन अप्रैल, 1952 में हुआ था।
सन् 1956 ई. — 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के पश्चात् लोकसभा के सदस्यों की संख्या 520 एवं बाद में 525 निर्धारित की गई।
सन् 1974 ई. — 31 वें संविधान संशोधन, 1974 द्वारा लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 रखी गयी।
सन् 1976 — 77 ई. इस वर्ष लोकसभा का कार्यकाल बढ़ाया गया था।
सन् 2001 ई. — जनसंख्या नियंत्रण के उद्देश्य को पूरा करने के लिए 84 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2001 द्वारा यह प्रावधान किया गया किलो कसभा की कुल सदस्य संख्या 2026 तक यथावत् बनी रहेगी।
सन् 2014 ई. — मई 2014 में 16र्वी लोकसभा का गठन हुआ।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 19 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • संसद — भारत में व्यवस्थापिका को संसद कहा जाता है। संसद के दो सदन हैं-(i) लोकसभा (ii) राज्यसभा
  • व्यवस्थापिका/विधायिका — सरकार का एक महत्वपूर्ण अंगे। इसका मूल कार्य कानूनों का निर्माण करना है। कानून निर्माण के साथ-साथ ही यह कार्यपालिका व न्यायपालिका के नियत्रंण का भी कार्य करती है तथा राज्य के वित्त पर भी नियंत्रण रखती है।
  • कार्यपालिका — सरकार का यह अंग व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों का क्रियान्वयन करता है।
  • न्यायपालिका — सरकार का तीसरा एवं महत्वपूर्ण अंग। इसका मुख्य कार्य कानून के अनुसार न्याय करना है। इसके अतिरिक्त यह संविधान की व्याख्या व संरक्षण, मौलिक अधिकारों की रक्षा, संघ-राज्य विवादों का निपटारा, अपराधियों को दण्ड देना, राष्ट्रपति को परामर्श सम्बन्धी कार्य भी करती है।
  • पार्लियामेन्ट — ब्रिटेन में व्यवस्थापिका को पार्लियामेण्ट के नाम से जाना जाता है। इसके दो सदन है-(i) हाउस ऑफ कॉमन्स (निम्न सदन) (ii) हाउस ऑफ लार्डस् (उच्च सदन)
  • कांग्रेस — संयुक्त राज्य अमेरिका की व्यवस्थापिका को कांग्रेस के नाम से जाना जाता है। इसके दो सदन हैं
    • हाउस ऑफ रिप्रजेन्टेटिव (प्रथम सदन)
    • सीनेट (द्वितीय सदन)
  • डायट — जापान की व्यवस्थापिका को डायट कहा जाता है।
  • बुण्डेस्टांग — जर्मनी में व्यवस्थापिका को बुण्डेस्टांग के नाम से जाना जाता है।
  • सूरा — अफगानिस्तान में व्यवस्थापिका को सूरा नाम से जाना जाता है।
  • मजलिस — इराक में केन्द्रीय व्यवस्थापिका को मजलिस कहते हैं।
  • राज्यसभा — भारत की राष्ट्रीय व्यवस्थापिका (संसद) का उच्च सदन जिसके सदस्य अप्रत्यक्ष मतदान द्वारा 6 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। यह एक स्थाई सदन है।
  • लोकसभा — भारतीय राष्ट्रीय व्यवस्थापिका (संसद) का निम्न सदन, जिसके सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष मतदान द्वारा पाँच वर्ष के लिए चुने जाते हैं। इसे समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
  • एतरेय ब्राह्मण — प्रमुख ब्राह्मण ग्रन्थ । इसमें राज्याभिषेक के नियम एवं कुछ राज्याभिषेक किए गए राजाओं के नाम मिलते हैं।
  • ऋग्वेद — सबसे प्राचीन वेद। यह पद्य में लिखित है। अन्य वेद हैं-यजुर्वेद, सामवेद, एवं अथर्ववेद । 15. राष्ट्रपति-किसी राष्ट्र का राज्याध्यक्ष। यह राष्ट्र का संवैधानिक प्रधान होता है।
  • संसदीय शासन प्रणाली — शासन की वह प्रणाली जिसमें कार्यपालिका के अध्यक्ष की वास्तविक शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उसका मंत्रिमंडल करता है, उसे संसदीय शासन प्रणाली कहते हैं, जैसे- भारत।
  • सभा व समिति — ऋग्वेद में स्थापित जनतांत्रिक संस्थाएँ। आधुनिक संसद की शुरूआत यहीं से मानी जाती है। ये दो संस्थाएँ राजा पर नियंत्रण रखती थीं। |
  • वयस्क मताधिकार — 18 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के समस्त नागरिकों को मत देने का अधिकार जिसमें धर्म, नस्ल, जाति, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव न हो।
  • शिलालेख — पत्थरों पर खुदे हुए लेखों को शिलालेख कहते हैं। शिलालेखों में प्रायः उन लोगों की उपलब्धियाँ, क्रियाकलाप अथवा विचार लिखे जाते हैं, जो उन्हें बनवाते हैं। मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेख प्रसिद्ध हैं।
  • शपथ — सम्बन्धित पद पर विधिपूर्वक कार्य करने की कसम । सौगंध लेना अथवा प्रतिज्ञा करना।
  • गणपूर्ति — गणपूर्ति अथवा कोरम संसद सदस्यों की वह न्यूनतम संख्या है जिनकी उपस्थिति से सदनों (लोकसभा, राज्यसभा) की कार्यवाही को वैधानिकता प्राप्त होती है। यह प्रत्येक सदन में पीठासीन अधिकारी सहित सदन की कुल सदस्य संख्या का 10 वाँ भाग होता है।
  •  भाषा — बोलकर या लिखकर अपनी बात बताने के साधन को भाषा कहते हैं। भाषा मुख्यतः दो प्रकार की होती । है-
    • मौखिक भाषा
    • लिखित भाषा।
  • पीठासीन अधिकारी — संसद में बैठक की अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति को पीठासीन अधिकारी कहते हैं। लोकसभा में इसे लोकसभाध्यक्ष (स्पीकर) के नाम से एवं राज्यसभा में सभापति के नाम से जाना जाता है।
  •  महान्यायवादी — भारत सरकार का सर्वोच्च विधि अधिकारी। यह संसद के किसी भी सदन में बोलने एवं कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार रखता है लेकिन मतदान नहीं कर सकता। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।
  • एकल संक्रमणीय मत पद्धति — भारत में संसद तथा राज्यों और संघीय क्षेत्रों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष पद्धति से होता है जिसे एकल संक्रमणीय मत पद्धति कहते हैं।
  • उपराष्ट्रपति — भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 के अन्तर्गत स्थापित पद। यह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष होता है। यह राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उसके पद का भार ग्रहण करता है।
  • साम्प्रदायिक निर्वाचन प्रणाली — भारत में औपनिवेशिक शासन काल में अंग्रेजों द्वारा अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के नाम पर संचालित निर्वाचन प्रणाली। इसमें लोगों को धर्म व जाति के नाम पर विभाजित किया गया।
  • प्रधानमंत्री — लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल/समूह का नेता, जिसकी नियुक्ति इस पद पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। 29. राष्ट्रीय आपातकाल-देश पर संकट की स्थिति राष्ट्रीय आपातकाल कहलाती है।
  •  विधेयक — प्रस्तावित कानून के प्रारूप को विधेयक कहते हैं।
  • साधारण विधेयक — संसद में कानून बनाने के प्रस्ताव को साधारण विधेयक कहते हैं।
  • सरकारी विधेयक — जब कोई विधेयक मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य द्वारा संसद के किसी भी सदन में रखा जाता है तो उसे सरकारी विधेयक कहते हैं।
  • गैर सरकारी विधेयक — जब कोई विधेयक संसद सदस्य द्वारा संसद के किसी भी सदन में रखा जाता है तो उसे गैर सरकारी विधेयक कहते हैं।
  • प्रथम वाचन — विधेयक का प्रारूप तैयार कर उसकी संसद में प्रस्तुति प्रथम वाचन कहलाती है।
  • द्वितीय वाचन — विधेयक पर संसद की प्रवर समिति द्वारा व्यापक विचार विमर्श को द्वितीय वाचन कहते हैं।
  • तृतीय वाचन — संसद द्वारा विधेयक को पारित करना तृतीय वाचन कहलाता है।
  • प्रवर समिति —प्रवर समिति तदर्थ समितियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। इसका गठन किसी विशेष विधेयक पर विचार करने हेतु किया जाता है एवं इसमें विधेयक के विषय से सम्बन्धित कुछ विशेषज्ञ सदस्य अनिवार्य रूप से होते हैं। समिति द्वारा अन्य विशेषज्ञों को उनका विचार जानने हेतु आमन्त्रित किया जाता है।
  • स्थानीय स्वशासन — स्थानीय स्वशासन से आशय स्थानीय स्तर के उस शासन से है जिसमें शासन का संचालन उन सदस्यों द्वारा किया जाता है जो स्थानीय जनता द्वारा चुने जाते हैं तथा जिन्हें केन्द्रीय अथवा राज्य शासन के नियंत्रण में रहते हुए नागरिकों की स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकार एवं दायित्व प्राप्त होते हैं।
  • विपक्षी/विरोधी दल — विपक्षी दल या विरोधी दल से आशय सत्तारूढ़ दल के पश्चात् दूसरे मुख्य दल से है। यह अस्थायी रूप से ही अल्पमत में होता है। विपक्ष में कई दल सम्मिलित हो सकते हैं। यह/ये दल सत्तारूढ़ दल की जनविरोधी नीतियों के कार्यक्रमों की आलोचना करते हैं।
  • अध्यक्षात्मक प्रणाली — इस प्रणाली में शासन व्यवस्था के अंतर्गत अध्यक्ष अथवा राष्ट्रपति सर्वोच्च होता है।
  • राजतंत्र — ऐसी शासन व्यवस्था जिसके अंतर्गत राजा अथवा रानी का पद पैतृक होता है।
  • धन विधेयक — आय-व्यय से सम्बन्धित विधेयक धन विधेयक कहलाते हैं। यह सर्वप्रथम लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है।
  • कठोर संविधान — ऐसा संविधान जिसमें अनावश्यक परिवर्तनों के प्रति सख्त रवैया अपनाया जाए अर्थात् जिस संविधान का संशोधन करना बहुत कठिन होता है।
  • लचीला संविधान — ऐसा संविधान जिसमें परिवर्तन में खुली दृष्टि हो अर्थात् जिसमें सरलता से आवश्यकतानुसार संशोधन किया जा सके, लचीला संविधान कहलाता है।
  • विधानमंडल — राज्य की व्यवस्थापिका/विधायिका को विधानमंडल कहते हैं। इसके दो सदन होते हैं
    • विधानसभा
    • विधानपरिषद। भारत के कई राज्यों में द्विसदनीय व एक सदनीय विधानमंडल हैं।
  • संविधान संशोधन — इसका शाब्दिक अर्थ है-पुनः रचना करना। देश की बदलती हुई परिस्थितियों में तथा जनता की आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु संविधान में बदलाव की आवश्यकता होती है, जिसे संविधान संशोधन की संज्ञा दी जाती है। यदि संविधान में समय के अनुरूप संशोधन नहीं होगा, तो वह गतिहीन और अनुपयोगी बन जाएगा।
  • संविधान संशोधन विधेयक — संविधान संशोधन में संबंधित विधेयक। इस विधेयक को संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग पारित करना आवश्यक है। इस विधेयक पर दोनों सदनों को समान शक्ति प्राप्त होती है।
  • प्रश्नकाल — संसद में प्रतिदिन किसी भी सदन की कार्यवाही का प्रथम घण्टा (11 से 12 बजे) प्रश्नकाल कहलाता है। इस काल में प्रश्नों के माध्यम से राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय सभी बातों के सम्बन्ध में सदस्य सरकार से सूचना प्राप्त कर सकते हैं।
  • शून्यकाल — सामान्य तथा प्रश्नकाल के पश्चात् लगभग 1 घण्टे का समय शून्यकाल के लिए रखा जाता है। इस समय में विचार के लिए विषय पहले से निर्धारित नहीं होते। इस समय में पूर्व सूचना के माध्यम से सदस्य द्वारा सार्वजनिक हित का ऐसा कोई भी प्रश्न उठाया जा सकता है जिस पर तुरन्त विचार करना आवश्यक समझा जाए।
  • ध्यानाकर्षण प्रस्ताव — अध्यक्ष की अनुमति में जब कोई संसद सदस्य किसी मंत्री का ध्यान सार्वजनिक हित की दृष्टि में अत्यावश्यक विषय की ओर आकर्षित करता है तो उसे ध्यानाकर्षण प्रस्ताव कहते हैं।
  • काम रोको प्रस्ताव — जब कोई विशेष घटना घटित हो अथवा देश में कोई विशेष स्थिति उत्पन्न हो जाए तो संसद सदस्य प्रस्ताव ला सकते हैं कि सदन की वर्तमान कार्यवाही को स्थगित कर विशेष घटना, स्थिति या प्रश्न पर ही विचार किया जाना चाहिए। इसे ही काम रोको प्रस्ताव कहते हैं।
  • अविश्वास प्रस्ताव — यह प्रस्ताव सरकार के विरुद्ध लोकसभा में विपक्षी दल/दलों द्वारा लाया जाता है। यदि लोकसभा बहुमत में इस प्रस्ताव को पारित करे दे तो सम्पूर्ण मंत्रिमंडल को त्यागपत्र देना पड़ता है।
  • मंत्रिपरिषद — संसदीय शासन में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में निर्मित मंत्रियों के समूह को मंत्रिपरिषद कहते हैं। 91 वें संविधान संशोधन के अनुसार मंत्रिपरिषद की कुल सदस्य संख्या लोकसभा के कुल सदस्यों के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती।
  • कानून — संसद द्वारा पारित एवं राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत कोई भी विधेयक कानून कहलाता है।
  • विधानसभा — राज्य विधानमंडल का निम्न सदन विधानसभा कहलाता है। इसके सदस्य विधायक कहलाते हैं, जिनका चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर सम्बन्धित क्षेत्र के मतदाता करते हैं। इसका कार्यकाल 5 वर्ष है।
  • कौटिल्य — इन्हें चाणक्य या विष्णुगुप्त भी कहते हैं। इनके द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र’ शासन प्रबंध विषयक ग्रन्थ है। इन्हें महान कूटनीतिज्ञ माना जाता है।
  • पाणिनी — संस्कृत भाषा के महान विद्वान । इन्होंने अपने व्याकरण ग्रन्थ अष्टाध्यायी में 14 माहेश्वर सूत्रों के आधार पर एक व्यवस्थित व्याकरण की रचना की। इनका सम्बन्ध वैदिक काल से है।
  • सरदार पटेल — इनका पूरा नाम सरदार बल्लभ भाई पटेल था। यह स्वतंत्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री व गृहमंत्री बने। भैरत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया। इन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान प्रचलित साम्प्रदायिक निर्वाचन व प्रणाली को समाप्त करने के लिए अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों को सहमत किया।
  • गणेश वासुदेव मावलंकर — स्वतंत्र भारत की प्रथम लोकसभा के अध्यक्ष।
  • अनन्त शयनम अयंगर — स्वतंत्र भारत की प्रथम लोकसभा के उपाध्यक्ष
  • अशोक — प्रसिद्ध मौर्य सम्राट। इनके शिलालेखों के द्वारा भारत में कई गणराज्य होने की जानकारी मिलती है।
  • राजनीतिक दल — यह लोगों का ऐसा समूह होता है जो चुनाव लड़ने तथा सरकार में राजनीतिक शक्ति व सत्ता को प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है।
  • बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली — इस शासन व्यवस्था में देश में दो से अधिक राजनीतिक दल लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के अंतर्गत कार्यरत रहते हैं।

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