• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 28 भारत की विदेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ एवं गुटनिरपेक्षता

August 8, 2019 by Prasanna Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 28 भारत की विदेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ एवं गुटनिरपेक्षता

भारत की विदेश नीति:

  • भारत की विदेश नीति सदैव शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की समर्थक रही है।
  • शांति और सह-अस्तित्व भारतीय संस्कृति के मूलमंत्र “जीओ और जीने दो” के आगामी चरण हैं, जो आज की राष्ट्र की आंतरिक और विदेश नीति को एक महत्त्वपूर्ण दिशा देते हैं।
  • द्वितीय महायुद्ध के बाद विशेष तौर पर स्वतंत्रता के बाद भारत ने उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का कड़ा विरोध किया है।
  • विश्व में नस्ल तथा मनुष्य के रंग के आधार पर भेदभाव का विरोध करना भारत की विदेश नीति की एक प्रमुख विशेषता रही है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता का दावा व अंतर्राष्ट्रीय मंचों का समर्थन भारत की विदेश नीति की सफलता का द्योतक है।
  • आचरण के 5 सिद्धान्तों पर आधारित पंचशील की भारत की विदेश नीति प्रारम्भ में पड़ोसी चीन के साथ तथा कालांतर में अन्य राष्ट्रों के साथ ही रही है।
  • रंगभेदी दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का विच्छेद भारत की विदेश नीति को इंगित करता है।

भारत की विदेश नीति में गुट-निरपेक्षता की नीति:

  • हमारी विदेश नीति का गुट-निरपेक्षता के सिद्धांत से विशेष संबंध रहा है।
  • गुट-निरपेक्षता का अर्थ है कि विश्व के किसी भी शक्ति गुट के साथ न जुड़कर स्वतंत्र रीति-नीति का अनुसरण करना एवं सत्य का साथ देना है।
  • गुट-निरपेक्षता आंदोलन के प्रमुख भारत के पं. जवाहर लाल नेहरू, यूगोस्लाविया के जोसेफ ब्रॉज टीटो और मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर थे।
  • 17 वें गट-निरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन का आयोजन 17 सितम्बर से 18 सितम्बर 2016 के बीच वेनेजुएला के मारगरीता’ शहर में सम्पन्न हुआ है।
  • राजनीति वैज्ञानिकों का मत है कि गुट-निरपेक्षता की नीति का जन्म शीतयुद्ध के समय विश्व के दो शक्ति-केन्द्रों में विभाजन के कारण हुआ था, जिसमें एक का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था, तो दूसरे का नेतृत्व पूर्व सोवियत संघ।
  • गुट-निरपेक्षता की नीति वह नीति है जो विश्व राजनीति में स्वतंत्र नीति के अनुगमन पर बल देती है।
  • गुट-निरपेक्षता की नीति सभी गंभीर अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं पर निरपेक्ष, पूर्वाग्रह रहित, स्वतंत्र व वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाने की वकालत करती है।
  • यह नीति तटस्थता की नीति नहीं है बल्कि विश्व राजनीति की जटिल गुटीय प्रभावशीलता से मुक्त एक स्वतंत्र नीति है।
  • यह नीति अंतर्राष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्वक व अहिंसक समाधान की पक्षधर है।
  • यह नीति अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का गुण-दोष के आधार पर आंकलन कर वस्तुनिष्ठ निर्णय करने की पक्षधर रही है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की जटिलताओं से पृथक् रहने की नीति नहीं है बल्कि विश्व राजनीति में सार्थक योगदान देने वाली नीति है।
  • गुट-निरपेक्षता की नीति विरोधी गुटों के मध्य संतुलन बनाए रखने पर बल देती है।
  • भारत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में स्वतंत्र नीति (जो अन्य शक्ति के प्रभाव से मुक्त हो) के अनुसरण को अपने लिए अधिक उपयोगी मानता है।

वर्तमान संदर्भ में गुट-निरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिकता:

  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन ने अपने 50 वर्षों से अधिक के कार्यकाल में अनेक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसकी मुख्य उपलब्धि उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद की समाप्ति है जिसके परिणामस्वरूप एशिया व अफ्रीका के अनेक देश स्वतंत्रता प्राप्त कर सके।
  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन ने नवोदित राष्ट्रों के मध्य एकता व सहयोग बढ़ाने व विश्व-मंच पर उनके दृष्टिकोण को प्रस्तुत करने, गुटों से दूर रहकर संघर्ष के क्षेत्र को कम करने तथा विश्व-शांति को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है।
  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन ने अफ्रीका, एशिया व लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों के मध्य सहयोग व एकता . के मंच के रूप में कार्य किया है।
  • विकासशील देशों के मध्य आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सहयोग की आवश्यकता है तथा इस सहयोग को ‘दक्षिण सहयोग’ के नाम से जाना जाता है।
  • गुट-निरपेक्ष देशों के वर्तमान तक 17 शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।
  • 17वाँ शिखर सम्मेलन हाल ही में वेनेजुएला के मारगरीता शहर में 17 और 18 सितम्बर, 2016 को आयोजित हुआ। इसमें विकास के लिए शांति, संप्रभुता व समरसता” को इस सम्मेलन का मुख्य विषय रखा गया।
  • आज की विश्व की मुख्य चुनौतियों का सामना करने के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन प्रभावशाली है।
  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन एक ऐसा मंच है जो विश्व के विकासशील देशों को एक समान भागीदारी प्रदान करता है तथा जो विश्व की प्रमुख चुनौतियों; जैसे-सुरक्षा, पर्यावरण-प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याएँ आदि का प्रभावी ढंग से सामना कर सके।
  • विश्व की विभिन्न संस्थाओं में विकासशील देशों को अधिक प्रभावी प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता है।
  • यह आंदोलन विश्व के विभिन्न देशों के मध्य सांस्कृतिक, सामाजिक व राजनीतिक मूल्यों के परस्पर आदान-प्रदान के लिए भी उपयोगी है।

गुट-निरपेक्षता और वर्तमान सरकार:

  • गुट-निरपेक्ष आंदोलन के प्रमुख संस्थापक देशों में भारत भी शामिल था एवं सिंगापुर से लेकर क्यूबा तक के विभिन्न पृष्ठभूमि के देशों का इसका सदस्य होना इसे और भी अधिक प्रासंगिक बनाता है।
  • भारत आतंकवाद पीड़ित देशों में सर्वाधिक प्रभावित देश है और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने के लिए गुट-निरपेक्ष आंदोलन एक उचित मंच प्रदान करता है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनने के लिए कई वर्षों से प्रयत्नरत है और इसमें गुट-निरपेक्ष देशों के समर्थन की आवश्यकता निरंतर बनी हुई है।
  • भारत जिस तरह की विदेश नीति का अनुसरण कर रहा है उसको देखते हुए गुट-निरपेक्ष नीति का आज भी उतना ही महत्व है जितना कि इस संगठन के स्थापना के समय था।

भारतीय विदेश नीति के नवीन आयाम:

  • भारतीय विदेश नीति के मुख्य आधार आर्थिक क्षेत्र में उदारवादी सुधार हैं।
  • भारत विश्व में एक तीव्र गति से उभरती हई अर्थव्यवस्था है।
  • विदेश नीति की एक विशेषता निरंतरता है और इसमें किसी भी समय पर आमूलचूल परिवर्तन देखने को नहीं मिलते हैं।
  • भारत की विदेश नीति इतनी व्यापक है कि इसमें सरकार के बदलने या सरकार की रूपरेखा आदि में कोई भी बदलाव नहीं आता है।
  • भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य एक सुरक्षित और स्थिर क्षेत्रीय पर्यावरण की स्थापना करना है ताकि भारत का आर्थिक विकास अनवरत जारी रहे।
  • नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ सरकार “वसुधैव कुटुम्बकम्” की परम्परा के अनुरूप विदेश नीति के अनुगमन पर बल देती है।
  • मोदी सरकार एशिया व विश्व में बढ़ती हुई चीन की शक्ति से सचेष्ट है वह भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए अर्थव्यवस्था से भ्रष्टाचार, लालफीताशाही और अवसंरचनात्मक सुधार पर विशेष बल देना चाहती है।

नवीन विदेश नीति का सूत्रपात:

  • मोदी शासन में तीन अहम् बिंदु जुड़े हैं-व्यापार, संस्कृति और सम्पर्क।
  • विमुद्रीकरण’ भारत की विदेश नीति की दिशा तय करने में मददगार साबित होगा क्योंकि यह भारत की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने की ओर एक नई पहल है।

पाँच मूल सिद्धांत:

  • आर्थिक समृद्धि को प्रोत्साहन, भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान में वृद्धि, राष्ट्रीय सुरक्षा का समर्थन तथा भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता की मान्यताओं को प्रोत्साहन, ऐसे पाँच मूल सिद्धान्त हैं जो हमारी सरकार की विदेश नीति को प्रेरित करते हैं।

पड़ोस पहल की नीति:

  • प्रधानमंत्री बनने के पश्चात भारत की विदेश नीति को नवीन दिशा प्रदान करने के लिए पड़ोस पहले की नीति अपनाते हुए नरेन्द्र मोदी ने सभी पड़ोसी देशों की यात्रा कर भारतीय विदेश नीति में एक नए अध्याय का सूत्रपात किया।
  • मारीशस सहित सभी सार्क देशों के नेताओं को सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाकर भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ घनिष्ठ संपर्क स्थापित करने का एक अभूतपूर्व उदाहरण प्रस्तुत किया है।
  • नेपाल के साथ पनबिजली परियोजनाओं के समझौते पर हस्ताक्षर हुए, भारत-भूटानी 600 मेगावॉट खोलोंगचु पनबिजली परियोजना की आधारशिला रखी गई।
  • अफगानिस्तान में भारत की प्रमुख परियोजनाओं को निश्चित समयावधि में पूरा किया गया व 24 वर्ष बाद कोलम्बो-जाफना रेल संपर्क को पुनः भारतीय सहयोग से खोला गया।
  • जब मालद्वीप गंभीर संकट से घिर गया था, तब ‘आपरेशन नीर’ के तहत पानी के जहाज और हवाई जहाज के जरिए वहाँ जल पहुँचाने वाला भारत पहला देश था।
  • नेपाल में भूकम्प आने पर भारत अपने संसाधनों और मशीनरी के साथ संकटग्रस्त मित्र के कष्ट का निवारण करने वाला पहला देश था।
  • पहले जिस नीति को ‘Look East’ के नाम से जाना जाता था, उसे अब मोदी शासन काल में ‘Act East’ नीति के रूप में जाना जाता है।
  • प्रधानमंत्री ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर व चीन की यात्रा की जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिंगापुर, वियतनाम, चीन व इंडोनेशिया आदि देशों की यात्रा की।

भारत का मध्य पूर्व:

  • धर्मान्धता व इस्लामिक कट्टरवाद भी मध्यपूर्व के इस्लामिक देशों से अफगानिस्तान व पाकिस्तान के माध्यम से भारत में प्रसारित हुआ है।
  • वैश्वीकरण के प्रौद्योगिकी प्रधान यग में मध्यपर्व में अभी भी मध्यकालीन इस्लामी अवधारणा का बोलबाला है जो मुस्लिमों को शक्तिशाली व समृद्ध बनने के लिए मध्यकालीन मॉडल पर चलने को उद्धत करता है।
  • मध्यपूर्व के मुस्लिम प्रभाव वाले देशों में एक ओर सऊदी अरब और इराक आदि देशों में सुन्नी विचारधारा का वर्चस्व है वहीं ईरान में शिया विचारधारा का वर्चस्व है।
  • खाड़ी के लगभग सभी देश खनिज तेल का उत्पादन करते हैं और इसी कारण उनकी अर्थव्यवस्था खनिज तेल के कारण मजबूत है।
  • इस्लामी कट्टरवाद की धारा को भारत में आयातित करने में भारत के उन 70 लाख कामगारों में से कुछ की अप्रत्यक्ष भूमिका अवश्य रही जो लंबे समय तक अरब देशों में इस्लामी प्रभाव में रहे हैं।
  • भारत में परंपरागत रूप से जो उदारवादी मुस्लिम आबादी रहती है उसको कट्टरवाद की ओर ले जाने में मध्यपूर्व के कट्टरवाद की अवधारणा जिम्मेदार है।
  • भारत ने ईरान के चाबाहर बंदरगाह में भारी निवेश किया है।
  • भारत की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति मध्यपूर्व के देशों पर निर्भर है, जिनमें ईरान सबसे महत्त्वपूर्ण है।
  • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और वह तेल की आवश्यकता पूर्ति के लिए खाड़ी देशों पर आश्रित है।
  • भारत ने इजराइल से लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत का सैन्य हार्डवेयर खरीदा है।

भारत, रूस, यूरोपीय देश एवं संयुक्त राज्य अमेरिका:

  • भारत और रूस परम्परागत मित्र रहे हैं। भारत रूस से बहुत सैन्य सामग्री खरीदता है।
  • बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में भारत के लिए जर्मनी एवं फ्रांस जैसे अन्य यूरोपीय देशों एवं संयुक्त राज्य अमेरिका से निकट सम्बन्ध स्थापित करना आवश्यक हो गया है।

अध्याय में दी गई महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ:

1955 ई. — गुट-निरपेक्ष आंदोलन इस वर्ष बाडुंग सम्मेलन में अस्तित्व में आया था।
1956 ई. — स्वेज नहर पर संकट की स्थिति उत्पन्न हुई थी। इस वर्ष (1956) मिस्र पर हमला हुआ था, खाड़ी में अमेरिका का हस्तक्षेप भी इसमें शामिल है, साथ ही भारत ने महाशक्तियों की प्रसारवादी नीति का विरोध किया था।
1960 ई. — इस वर्ष सिंधु जल समझौता सम्पन्न हुआ था।
1961 ई. — गुट-निरपेक्ष आंदोलन के सम्बन्ध में 25 विकासशील देशों के नेताओं ने बेलग्रेड सम्मेलन में मुलाकात की।
1962 ई. — भारत का चीन के साथ संघर्ष हुआ।
1965 ई. — इस वर्ष भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ था।
1967 ई.— इस वर्ष अरब-इजराइल युद्ध हुआ था।
1971-72 ई. — इस वर्ष बांग्लादेश का निर्माण तथा साथ ही पाकिस्तान का टकराव भारत के साथ हुआ।
1988 ई. — भारत गुट-निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्यों में से एक है और इसने 1988 में नई दिल्ली में आयोजित सातवें गुट-निरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी।
1990 ई. — सोवियत संघ के नेतृत्व वाले साम्यवादी गुट के 1990 ई. में विघटन के बाद विश्व में अमेरिका केन्द्रित एक ध्रुवीय व्यवस्था स्थापित हो गई है।
1991 ई. — 1991 में सोवियत संघ के विघटन एवं शीत युद्ध की समाप्ति के उपरांत गुटनिरपेक्ष आंदोलन के औचित्य पर प्रश्नचिह्न लगने लगे थे। 1991 में भारत द्वारा समाजवादी अर्थव्यवस्था के स्थान पर बाजारोन्मुखी वैश्वीकरण की अर्थव्यवस्था को अपनाने से भारत और रूस के परंपरागत सम्बन्धों में पुरानी प्रगाढ़ता में कमी आयी थी।
2012 ई. — गुट-निरपेक्ष आन्दोलन का 16वां शिखर सम्मेलन अगस्त 2012 को ईरान की राजधानी तेहरान में सम्पन्न हुआ था।
2016 ई. — 8 नवम्बर को भारत के द्वारा लिए गए विमुद्रीकरण के ऐतिहासिक निर्णय की देश के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत सराहना की गयी।

RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 28 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  • विदेश नीति — विदेश नीति से आशय उस नीति से है जो एक देश के द्वारा अन्य देशों के प्रति अपनायी जाती है। इस प्रकार दूसरे राष्ट्रों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए जिन नीतियों का प्रयोग व अनुसरण किया जाता है उन नीतियों को उस देश की विदेश नीति कहा जाता है।
  • शांतिपूर्ण सह — अस्तित्व-इसका अर्थ है-बिना किसी मनमुटाव या द्वेष-भावना के मैत्रीपूर्ण ढंग से एक देश का दूसरे देश के साथ रहना। यदि विभिन्न राष्ट्र एक-दूसरे के साथ पड़ोसियों के समान नहीं रहेंगे तो विश्व में शांति की स्थापना नहीं हो सकती है। इस कारण शांतिपूर्ण तरीके से सबके अस्तित्व को स्वीकार करने की विधि को ही शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व कहा जाता है।
  • उपनिवेशवाद — एक राज्य अथवा राष्ट्र द्वारा दूसरे देशों पर शासन और शोषण। वास्तव में उपनिवेशवाद वह नीति है जिसके द्वारा कोई विदेशी शक्ति अन्य देशों पर अपना राजनीतिक आधिपत्य स्थापित कर अपनी अधिक उन्नति के लिए उसके संसाधनों का शोषण करती है।
  • साम्राज्यवाद — एक देश द्वारा अपने हितों की पूर्ति के लिए अन्य देशों पर प्रभुत्व स्थापित करना एवं बाद में साम्राज्य स्थापित कर लेना।
  • रंग-भेद — रंग के आधार पर मानव द्वारा आपस में भेदभाव करना। 6. संस्कृति-अतीत से उत्तराधिकार में प्राप्त महान परम्पराएँ संस्कृति कहलाती है।
  • पंचशील सिद्धान्त — पंचशील का अर्थ है-आचरण के पाँच सिद्धान्त। ये सिद्धान्त भारत की विदेश नीति को एक अहम् आधार प्रदान करते हैं। इन सिद्धान्तों के लिए ‘पंचशील’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले 24 अप्रैल, 1954 को किया गया था। पंचशील के ये पाँच सिद्धान्त विश्व में शांति स्थापित करने के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।
  • गुट — निरपेक्षता-गुट-निरपेक्षता से आशय सैन्य गुटों से पृथक रहना।
  • एक ध्रुवीय व्यवस्था — इसका तात्पर्य ऐसी व्यवस्था से है। जिसमें किसी एक देश की अगुवाई में शक्तियों का संचालन होता है।
  • शीतयुद्ध — इसका आशय ऐसी अवस्था से है जब दो अथवा दो से अधिक देशों के मध्य वातावरण उत्तेजित एवं तनावपूर्ण हो लेकिन वास्तविक रूप से कोई युद्ध न लड़ा जाये। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व में दो महाशक्तियाँ रह गयीं-सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका। युद्ध के पश्चात् इन दोनों देशों में तीव्र मतभेद उत्पन्न हो गए। इसी संघर्ष को शीत युद्ध की संज्ञा दी गयी। यह विचारधाराओं का युद्ध था जो सोवियत संघ के विघटन के साथ ही समाप्त हो गया।
  • सभ्यता — यह कला और विज्ञान की उन्नत अवस्था है जिसमें मानवीय व्यवहार पर नियंत्रण करने वाली प्रविधियां सम्मिलित हैं।
  • सम्प्रभुता — यह राज्य की सर्वोच्च शक्ति होती है। यह आंतरिक और बाहरी दोनों हो सकती है। इस पर सैद्धांतिक दृष्टि से कोई रुकावट नही लगायी जा सकती है।
  • स्वतंत्र नीति — वह नीति जो अन्य शक्तियों के प्रभावों से मुक्त हो उसे स्वतंत्र नीति कहते हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ — 24 अक्टूबर 1945 को स्थापित इस संगठन का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग एवं शांति बनाए रखना है। इस संगठन के
  • प्रमुख अंग है। इसका सचिवालय न्यूयार्क में स्थापित है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष — 27 दिसम्बर, 1945 को वाशिंगटन (संयुक्त राज्य अमेरिका) में स्थापित इस संगठन का मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग की स्थापना करना है। इसने वास्तविक रूप से 1 मार्च 1947 को कार्य प्रारम्भ किया। इसका मुख्यालय वाशिंगटन में है तथा इसके कार्यालय पेरिस व जेनेवा में है।
  • पर्यावरण प्रदूषण — पर्यावरण का वह कोई भी परिवर्तन जो पर्यावरण की गिरावट में योगदान देता है, पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।
  • आतंकवाद — इसका आशय राजनीतिक हिंसा से है जिसका निशाना निर्दोष नागरिक होते हैं ताकि समाज में दहशत उत्पन्न की जा सके। आतंकवाद के उदाहरण हैं-विमान अपहरण, भीड़ भरे स्थानों पर बम विस्फोट करना आदि।
  • आतंकवाद के प्रति शून्य सहृदयता (जीरो टोलरेन्स) — भारत सरकार की वर्तमान विदेश नीति आतंकवाद के प्रति शून्य सहृदयता की नीति का अनुसरण कर रही है। इसका तात्पर्य है कि भारत आतंकवाद के पूर्णतः खिलाफ है और वह इसके प्रति कोई सहानुभूति नहीं रखता है। वह आतंकवाद को समाप्त करने के लिए कृत संकल्पित है।
  • वसुधैव कुटुम्बकम — इसका आशय विभिन्न धर्मों एवं सामाजिक व्यवस्थाओं वाले देशों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखना है।
  • अर्थव्यवस्था — एक ऐसी प्रणाली अथवा व्यवस्था जिसके द्वारा लोग अपना जीविकोपार्जन करते हैं, अर्थव्यवस्था कहलाती है। विश्व में प्रमुख रूप से तीन अर्थव्यवस्थाएं हैं-पूँजीवादी, समाजवादी और मिश्रित अर्थव्यवस्था।
  • लालफीताशाही — स्थिति विशेष की आवश्यकताओं पर बिना सोचे-विचारे प्रशासनिक प्रक्रिया नियमों का मशीन की तरह पालन, नियम, कानूनों और औपचारिकताओं के पूरी तरह पालन न करने की आवश्यकता के बहाने निर्णय लेने का उत्तरदायित्व एक-दूसरे के ऊपर टालते रहना, अनावश्यक और लंबे-लंबे नोट लिखना और इन सब सरकारी प्रक्रिया में प्रशासन के तथा जनता की आवश्यकताओं के मामलों में देरी करना लालफीताशाही कहलाता है।
  • विमुद्रीकरण — जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए विमुद्रीकरण की विधि अपनायी जाती है। इसके अन्तर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा चालू कर देती है। जिनके पास काला धन होता है वह उसके बदले में नई मुद्रा लेने का साहस नहीं जुटा पाते और कालाधन स्वयं ही नष्ट हो जाता है। भारत सरकार ने 8 नवम्बर 2016 को विमुद्रीकरण का निर्णय लिया था जिसके द्वारा 500 व 1000 रुपये की मुद्रा चलन से बाहर की गयी।
  • कटनीति — राष्ट्रों के मध्य पारस्परिक व्यवहार में दाँव-पेंच की नीति की चाल, छिपी हई चाल कटनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में, संधि-वार्ता के कौशलपूर्ण प्रयोग द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों की व्यवस्था और निर्वाह कूटनीति/राजनय कहलाती है।
  • भूकम्प — विस्थापित चट्टानों में एकत्रित ऊर्जा के एकाएक मुक्त होने से पृथ्वी काँप उठती है। पृथ्वी के इसी कम्पन को भूकम्प कहते हैं।
  • लुक ईस्ट की नीति — भारत सरकार द्वारा 1991 से अपनायी गयी नीति । इसके तहत पूर्वी एशिया के देशों से भारत के आर्थिक संबंधों में वृद्धि हुई।
  • एक्ट ईस्ट की नीति — प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लुक ईस्ट नीति के स्थान पर संचालित इस नीति के द्वारा भारत का अपने पड़ोसी देशों से आर्थिक रूप से गतिशील क्षेत्रों में अधिक घनिष्ठ संपर्क हुआ है।
  • वैश्वीकरण — अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना वैश्वीकरण कहलाता है।
  • आई.एस.आई.एस. — इसका पूरा नाम इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक और सीरिया है। यह एक आतंकवादी संगठन है जो ईराक व सीरिया में सक्रिय है। इसकी बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों से भारत चिंतित है।
  • ऑपरेशन नीर — इस कार्यक्रम के तहत मालदीव पर संकट के समय भारत ने पानी के जहाज व हवाई जहाज से वहाँ पेयजल पहुँचाया था।
  • खाड़ी देश — महत्वपूर्ण देशों को खाड़ी देश के नाम से जाना जाता है। इसमें सऊदी अरब, इराक, ईरान आदि प्रमुख हैं। इन देशों से भारत को खनिज तेल की बड़ी मात्रा में आपूर्ति होती है।
  • पं. जवाहरलाल नेहरू — भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे। इन्हें गुट-निरपेक्ष आंदोलन का जनक माना जाता है।
  • टीटो — यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति रहे। इन्होंने गुट-निरपेक्षता को एक आंदोलन का रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
  • नासिर — मिस्र के राष्ट्रपति रहे। गुट-निरपेक्षता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
  • सुषमा स्वराज — भारत की विदेश मंत्री। इन्होंने भारत के पड़ोसी देशों, यथा- सिंगापुर, वियतनाम, म्यामार, दक्षिण कोरिया, चीन और इण्डोनेशिया की यात्रा की।
  • नरेन्द्र मोदी — भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री। इनकी स्वतंत्र रूपान्तरकारी कूटनीति की शुरुआत पड़ोसी देशों के साथ संपर्क से हुई। इन्होंने अपने सभी पड़ोसी देशों की यात्रा कर भारतीय विदेश नीति में एक नये अध्याय का सूत्रपात किया।

RBSE Class 12 Political Science Notes

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 12

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 4 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 4 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 4 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions