Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 29 संयुक्त राष्ट्र संघ-संगठन एवं विश्व शांति में योगदान
संयुक्त राष्ट्र संघ:
- संयुक्त राष्ट्र संघ को वर्तमान विश्व का प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय मंच कहा जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वितीय महासचिव रहे ‘डेग हेमरसोल्ड’ के अनुसार-‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का गठन मानवता की स्वर्ग तक पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि उसे नर्क से बचाने के लिए हुआ है।
- द्वितीय विश्व युद्ध के भीषण नरसंहार ने यह स्पष्ट कर दिया था, कि राष्ट्र संघ एक अधूरा प्रयास था, जो द्वितीय विश्व युद्ध को रोक नहीं सका था।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व के पाँच प्रमुख राष्ट्र रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन तथा संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा समर्थन करने के बाद 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी।
- 24 अक्टूबर, 1945 के दिवस को स्थायी रूप से ‘संयुक्त राष्ट्र दिवस’ कहा जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र की महासभा की पहली बैठक 10 जून, 1946 को लंदन में हुई थी।
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में 111 अनुच्छेद हैं, जिनमें इसके संगठन, शक्तियाँ तथा कार्यों का उल्लेख किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के लक्ष्य:
संयुक्त राष्ट्र की प्रस्तावना में उल्लेख संयुक्त राष्ट्र संघ के लक्ष्य हैं-
- विश्व को युद्ध की विभीषिका से बचाना।
- मानव के मूल अधिकारों को सभी के लिए समान रूप से एकत्रित करना।
- सभी की सामाजिक उन्नति व लोगों का बेहतर जीवन स्तर प्रदान करना।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य:
संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में इसके निम्नलिखित उद्देश्य बताए गए हैं-
- अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखना,
- समस्त प्रकार की अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को सुलझाना,
- समान अधिकारों के लिए आदर व मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित करना।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धान्त:
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख सिद्धांत हैं-
- सभी सदस्यों देशों की प्रभुसत्ता का सम्मान करना,
- सदस्यो देशों के मध्य झगड़ों का शांतिपूर्ण ढंग से निपटारा करना,
- संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किसी भी देश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप न करना।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता:
- वे सभी शांतिप्रिय देश जो वर्तमान चार्टर में दिए गए दायित्वों तथा नैतिक बंधनों को मानते हैं-संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हो सकते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी देश की सदस्यता सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा प्रदान की जाती हैं।
- यदि कोई राज्य संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों का बार-बार उल्लंघन करता है तो उसे सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा निकाला भी जा सकता है।
- वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के कुल 193वाँ सदस्य देश है। सन् 2006 में ‘मॉन्टेनेग्रो’ अंतिम सदस्य देश बना है।
संयुक्त राष्ट्र की महासभा:
- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की वह संस्था है जिसे ‘सारे विश्व की नगर बैठक’ का नाम दिया जा सकता है।
- महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी छोटे-बड़े सदस्यों के विचारों को सुना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य महासभा के सदस्य होते हैं।
- कोई भी सदस्य देश महासभा में 5 से अधिक प्रतिनिधि नहीं भेज सकता और प्रत्येक देश का महासभा में केवल एक ही मत होता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा कोई भी समस्या रखने तथा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाला एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है।
- महासभा संयुक्त राष्ट्र संघ की शीर्ष संस्था है तथा इसके अपने ही नियम तथा प्रक्रियाएँ हैं।
- महासभा एक वर्ष के लिए अपना सभापति चुनती है। वह अपनी व्यक्तिगत योग्यता के आधार पर चुना जाता है। उसे गोपनीय मत द्वारा चुना जाता है।
- बेल्जियम के मि.पॉल स्पूक महासभा के प्रथम सभापति थे तथा उन्होंने 10 जनवरी, 1946 को.महासभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की थी।
- महासभा का अध्यक्ष किसी छोटे देश से ही लिया जाता है। अध्यक्ष की सहायता के लिए महासभा में चीफ डि-केबिनट होता है। यह व्यक्ति महासभा के अधिकारियों का अवर सचिव होता है।
- महासभा के 17 उपाध्यक्ष होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- महासभा में 17 उपाध्यक्ष तथा 7 स्थायी समितियों के सभापतियों को मिलाकर एक महासमिति बनी होती है।
- महासभा की बैठक प्रतिवर्ष सिंतबर के तीसरे मंगलवार को नियमित रूप से होती है।
- सुरक्षा परिषद् के महासभा या संयुक्त राष्ट्र के बहुमत सदस्यों की प्रार्थना पर इसका विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है।
- महासभा का सभापति यद्यपि एक वर्ष के लिए चुना जाता है किंतु यदि विशेष सत्र बुलाया गया है तो फिर प्रत्येक . सत्र के लिए यह अपना अध्यक्ष चुनती है।
- सन् 1950 में स्थापित एक विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत यदि सुरक्षा परिषद् में वीटो (निषेधाधिकार) के प्रयोग से शांति की पुनर्स्थापना में रुकावट पैदा होती है तब 24 घंटे में महासभा की विशेष बैठक हो सकती है तथा विश्व शांति के लिए उपयुक्त निर्णय ले सकती है, जिसे सुरक्षा परिषद् भी मानने के लिए बाध्य होती है।
- सन् 1950 में पारित शांति के लिए संगठन का प्रस्ताव को अपनाने के बाद महासभा की शक्तियाँ एवं भूमिका में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए हैं।
- शांति के लिए संगठित प्रस्ताव, ने महासभा को संयुक्त राष्ट्र की सामूहिक सुरक्षा का संरक्षक बना दिया है।
सुरक्षा परिषद्:
- सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यकारिणी समिति है इस पर अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा को बनाए रखने का उत्तरदायित्व है।
- सुरक्षा परिषद् पर ही संयुक्त राष्ट्र की सफलता एवं असफलता का अंतिम उत्तरदायित्व है क्योंकि यह ही महासभा के निर्णयों को तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर को लागू करने से सम्बन्ध रखती है।
- यदि महासभा निर्देशी अंग है तो सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ का निर्णय क्रियान्वयन विभाग है।
- सुरक्षा परिषद् में संयुक्त राष्ट्र संघ के 15 सदस्य हैं-चीन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इंग्लैण्ड पाँच स्थायी सदस्यों के रूप में तथा 10
- महासभा द्वारा दो वर्ष के लिए चुने गए अस्थायी सदस्य हैं।
- सुरक्षा समिति के सदस्य चुनते समय महासभा की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखना पड़ता है।
- सुरक्षा परिषद् में सदस्यता प्रदान करते समय महासभा अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सुरक्षा में उस राष्ट्र के योगदान को भी ध्यान में रखती है।
- संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् विश्व शांति एवं सुरक्षा की सर्वोच्च संरक्षक है।
- सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र के सिद्धान्तों एवं उद्देश्यों से भी बंधी है, इसलिए यह अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकती है।
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय:
- चार्टर के अनुच्छेद 92 में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का मुख्य अंग है, जिसका मुख्यालय ‘हेग’ में है।
- यह संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को पूरी स्वतंत्रता प्रदान करता है कि वे अपने झगड़ों का निपटारा न्यायालय के अतिरिक्त दूसरी अदालतों में कर सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के उन विषय पर निर्णयों को, जिनमें वे स्वयं भी शामिल होते हैं, मानने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य वस्तुतः न्यायालय के भी सदस्य होते हैं।
- सुरक्षा समिति की सिफारिशों पर कार्यरत महासभा द्वारा प्रत्येक विषय पर निर्धारित शर्तों के अनुसार वे राज्य भी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के संविधान में शामिल हो सकते हैं जो इसके सदस्य नहीं होते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में 22 न्यायाधीश होते हैं।
- महासभा तथा सुरक्षा परिषद् एक-दूसरे से बिल्कुल स्वतंत्र न्यायालय के सदस्य बनने के लिए आवश्यक उम्मीदवारों की नियुक्ति करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में वे व्यक्ति जो सुरक्षा तथा महासभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लेते हैं, निर्वाचित घोषित कर दिए जाते हैं।
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है तथा प्रत्येक 3 वर्ष के बाद 5 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाते हैं, वे पुनः न्यायाधीश का चुनाव लड़ सकते हैं।
- सदस्य देशों की सरकारें न्यायाधीशों को मनोनीत करने तथा उनके चुनाव में भाग लेती हैं, परन्तु न्यायाधीश न तो अपने देश के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं, न ही अपनी सरकार के निर्देशों के अनुसार।
- भारत के जस्टिस दलवीर भंडारी वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास देशों के मुकदमों के सम्बन्ध में ऐच्छिक क्षेत्राधिकार है। इसका अर्थ है कि ऐसे मुकदमे देश किसी समझौते के अंतर्गत इसमें लाते हैं। किसी भी देश पर यह प्रतिबंध नहीं है कि वह अपने मुकदमे इसी न्यायालय में लाए।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के पास महासभा, सुरक्षा समिति तथा महासभा द्वारा स्थापित की गई दूसरी विशिष्ट एजेन्सियों को कानूनी प्रश्नों पर परामर्श देने की भी शक्ति प्राप्त है।
न्याय परिषद:
- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद-7 में न्याय परिषद का उल्लेख है।
- यह महासभा के सहायक अंग के रूप में असामरिक ट्रस्ट भू क्षेत्रों के प्रशासन का निरीक्षण एवं सामरिक क्षेत्रों . के मामले में सुरक्षा समिति के सहायक अंग के रूप में कार्य करती है।
आर्थिक तथा सामाजिक परिषद:
- संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक तथा सामाजिक परिषद देशों के आर्थिक एवं सामाजिक कल्याण की ओर ध्यान देती है।
सचिवालय तथा महाशक्ति:
- सचिवालय संयुक्त राष्ट्र के मुख्य अंगों में से एक है। यह संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय है जो संयुक्त राष्ट्र के अन्य संगठनों या एजेन्सियों द्वारा बनाए गए कार्यक्रमों तथा नीतियों को प्रशासित एवं समन्वित करता है।
- सचिवालय का प्रभारी होने के नाते महासचिव का मुख्य कार्य संयुक्त राष्ट्र के अभिलेख रखना तथा उन कार्यों को करना है जिनको चार्टर द्वारा प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप में किसी भी अंग को न दिए गए हों।
- सचिवालय का स्टाफ महासभा द्वारा स्थापित नियमों के आधार पर महासचिव द्वारा नियुक्त किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित विशेष एजेन्सियाँ:
- संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित विशेष एजेन्सियों में यूनेस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व व्यापार संगठन, यूनिसेफ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि प्रमुख हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता एवं विश्व शांति:
- राज्यों ने विश्व शांति और सुरक्षा की रक्षा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना को एक आवश्यक और उत्तम उपकरण माना तथा 24 अक्टूबर, 1945 के दिन संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की है।
- शीत युद्ध काल में लगभग 100 प्रमुख विवाद हुए जिनमें लगभग 2 करोड़ लोग मारे गए।
- संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में 279 बार स्थायी सदस्यों ने वीटो शक्ति का प्रयोग कर संयुक्त राष्ट्र को कार्य करने से रोका।
- संयुक्त राष्ट्र संघ आज 193 देशों का संगठन है।
- अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप भी लगभग 10 वर्ष तक बना रहा था।
- ईरान-इराक युद्ध भी दस वर्ष तक चलता रहा था।
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व शांति की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित समस्याओं को हल करने के प्रयास किए गए है-
- ईरान समस्या,
- यूनान विवाद,
- कश्मीर विवाद,
- इण्डोनेशिया विवाद,
- कांगो संकट,
- दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद समाप्त करना आदि।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत सहित कई विकासशील देशों को प्रतिनिधित्व दिए जाने की आवश्यकता है।
अध्याय में दी गई महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं संबंधित घटनाएँ:
1945 ई. — संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व के पांच प्रमुख राष्ट्र-रूस, चीन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका व ब्रिटेन द्वारा समर्थन करने के पश्चात् 24अक्टूबर को हुई थी। 24 अक्टूबर को स्थायी रूप से संयुक्त राष्ट्र दिवस’ कहा जाता है।
1946 ई. — संयुक्त राष्ट्र की महासभा की पहली बैठक 10 जून को लंदन में हुई, जहाँ केवल तीन माह पहले राष्ट्र संघ को समाप्त करने के लिए राष्ट्र संघकी असेम्बली की अंतिम बैठक हुई थी। 10 जनवरी को बेल्जियम के मि. पॉल स्पूक ने संयुक्त राज्य महासभा की प्रथम वीक की अध्यक्षता की।
1950 ई. — इस वर्ष स्थापित एक विशेष प्रक्रिया के अंतर्गत यदि सुरक्षा परिषद में वीटो के प्रयोग से शांति की पुनर्स्थापना में रुकावट पैदा होती है तब 24 घंटे में महासभा की विशेष बैठक हो सकती है तथा विश्व शांति के लिए उपयुक्त निर्णय ले सकती है, जिसे सुरक्षा परिषद् भी मानने के लिए बाध्य होती है। इस वर्ष में पारित शांति के लिए संगठन का प्रस्ताव को अपनाने के बाद महासभा की शक्तियों एवं भूमिका में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए हैं।
2006 ई. — संयुक्त राष्ट्र का 193वाँ सदस्य देश 2006 में ‘मॉन्टेनेग्रो’ बना।
RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 29 प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
- संयुक्त राष्ट्र संघ — 24 अक्टूबर 1945 को स्थापित एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जिसका मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना एवं राष्ट्रों के मध्य सहयोग की राह दिखाना है।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठन —अंतर्राष्ट्रीय संगठन सम्प्रभुता प्राप्त राज्यों का ऐसा समूह है, जो राष्ट्रों की स्वेच्छा से निर्मित होता है। इस संगठनों का मुख्य उद्देश्य विश्व शांति स्थापित करना होता है।
- राष्ट्र संघ —1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ तथा पेरिस में शांति सम्मेलन बुलाया गया। 26 धाराओं वाली वर्साय की संधि 28 अप्रैल, 1919 को स्वीकार हुई तथा वर्साय की संधि के तहत् ही राष्ट्र संघ का प्रारूप तैयार हुआ। 10 जनवरी, 1920 को औपचारिक रूप से राष्ट्र संघ की स्थापना हुई। राष्ट्र संघ की प्रसंविदा एक छोटी-सी प्रसंविदा है। इसमें लगभग 4000 शब्द हैं तथा प्रस्तावना के अलावा इसमें 26 अनुच्छेद थे।
- चार्टर —संयुक्त राष्ट्र संघ का अपना संविधान है, जिसे चार्टर कहा जाता है। यह चार्टर सेनफ्रांसिस्को सम्मेलन में तैयार किया गया था। इसका अपना अलग ही महत्व है, जिसका पालन हर सदस्य को करना होता है।
- महासभा — यह संयुक्त राष्ट्र संघ की व्यवस्थापिका सभा है। इसमें सभी सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं। प्रत्येक सदस्य राष्ट्र इसमें अधिकतम पाँच प्रतिनिधि भेज सकता है किन्तु प्रत्येक सदस्य राष्ट्र को एक ही वोट देने का अधिकार होता है। यह अन्तर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा से संबंधित मामलों पर विचार-विमर्श करता है। .
- सुरक्षा परिषद — यह संयुक्त राष्ट्र की कार्यकारिणी समिति है। इसमें पाँच स्थायी और 10 अस्थाई सदस्य हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य है। यह विश्वशांति व सुरक्षा की सर्वोच्च संरक्षक है। ,,
- अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय — यह संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रधान न्यायिक अंग है। इसमें 12 न्यायाधीश होते हैं। इनका कार्यकाल 9 वर्ष का होता है। इसका मुख्यालय हेग (नीदरलैण्ड) में है। इसमें सदस्य राष्ट्रों के मध्य विवादों का निपटारा न्यायाधीशों के बहुमत के आधार पर होता है।
- सचिवालय — संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिदिन के कार्यो को करने के लिए एक सचिवालय है। इसका सबसे बड़ा अधिकारी महासचिव होता है। महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद के अभिप्रस्ताव कर महासभा द्वारा 5 वर्ष के लिए होती है। प्रधान कार्यालय न्यूयार्क में है।
- यूनेस्को (य.एन.ई.एस.सी.ओ.) — इसका पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ का विशिष्ट अभिकरण है। 14 नवम्बर, 1946 ई. को स्थापना हुई। इसका उद्देश्य राष्ट्रों के बीच शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना है जिसमें शांति और सुरक्षा की शक्तियों को बल मिले। इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में है।
- निःशस्त्रीकरण — इसका अर्थ है सभी प्रकार के शस्त्रों को न बनाना, उन्हें क्रय करना तथा नियत्रंण करने पर जोरदेना।
- साम्राज्यवाद — जब कोई देश अपनी सीमाओं के बाहर के क्षेत्रों के लोगों के आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर अपना अधिपत्य स्थापित करता है तो ऐसी स्थिति को साम्राज्यवाद कहते हैं।
- उपनिवेशवाद — एक राज्य अथवा राष्ट्र द्वारा दूसरे देशों पर शासन और शोषण । वास्तव में उपनिवेशवाद वह नीति है जिसके द्वारा कोई विदेशी शक्ति अन्य प्रदेशों पर अपना राजनीतिक आधिपत्य स्थापित कर अपनी आर्थिक उन्नति के लिए उसके संसाधनों का शोषण करती है।
- शीतयुद्ध — इसका अभिप्राय ऐसी अवस्था से है-जब दो अथवा दो से अधिक देशों के मध्य वातावरण उत्तेजित एवं तनावपूर्ण है लेकिन वास्तविक रूप में कोई युद्ध न लड़ा जाए।
- वीटो शक्ति — वीटो का शाब्दिक अर्थ है-‘मैं मना करता हूँ।’ संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का कोई स्थायी संयुक्त राष्ट्र संघ-संगठन एवं विश्व शांति में योगदान सदस्य यदि किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर अपनी असहमति प्रकट करता है तो उसे अस्वीकृत कर दिया जाता है। वर्तमान में सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका है।
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद — यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक प्रमुख अंग है। इसमें 57 सदस्य होते हैं जो महासभा द्वारा 3 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। यह आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं मानवतावादी समस्याओं के लिए किए गए कार्यों की सूचना महासभा को देती है। यह सदस्य राष्ट्रों के कल्याण की ओर भी ध्यान देती है।
- न्यास परिषद — यह संयुक्त राष्ट्र संघं का एक प्रमुख अंग है। यह महासभा के एक सहायक अंग के रूप में असामरिक ट्रस्ट भू क्षेत्रों के प्रशासन का निरीक्षण एवं सामरिक क्षेत्र के मामले में सुरक्षा समिति के सहायक अंग के रूप में कार्य करती है।
- डब्ल्यू. एच. ओ — इसका पूरा नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन है। 7 अप्रैल, 1948 को इसकी स्थापना हुई। इसका मुख्य उद्देश्य है-विश्व की समस्त जातियों के लोगों के स्वास्थ्य का स्तर उच्चतम बनाना। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में है।
- डब्ल्यू.आई.पी.ओ. — इसका पूरा नाम विश्व बौद्धिक संपदा संगठन है। इसकी स्थापना 1967 में हुई। इसका मुख्यालय जेनेवा में है। इसका उद्देश्य बौद्धिक सम्पदाओं का आकलन एवं उनसे सम्बन्धित समझौतों को सम्पन्न करना है।
- यू.पी.यू. — इसका पूरा नाम विश्व डाक संघ है। इसकी स्थापना 9 अक्टूबर, 1974 ई. को हुई। इसका मुख्य उद्देश्य संघ में सम्मिलित देशों में दान संबंधी सुविधाओं का विकास करना है। इसका मुख्यालय बर्न (स्विट्जरलैण्ड) में है।
- आई.टी.यू. — इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ है। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में है। इसका उद्देश्य तार, टेलीफोन और रेडियो की सेवाओं के उत्तरोत्तर प्रसार एवं विकास तथा सामान्य जनता को न्यूनतम दर पर इसकी सुलभ सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय नियम बनाना आदि है।
- एफ.ए.ओ. — इसका पूरा नाम खाद्य और कृषि संगठन है। इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1945 को की गई। इसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय कृषि में प्रगति के लिए फसलों की नए-नए किस्म के बीज तैयार करने हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान करना है तथा कृषि उत्पादन व वितरण में सुधार करना है। इसका मुख्यालय रोम (इटली) में है।
- आई.सी.ए.ओ. — इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन है। इसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1947 को हुई। इसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय वायु परिवहन से संबंध समस्याओं का समाधान करना है। इसका मुख्यालय मांट्रियल:क्यूबेक (कनाडा) में है।
- यू.एन.आई.डी.ओ. — संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन है। यह 1985 ई. में संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण के रूप में सम्मिलित हुआ। इस संगठन का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र संघ के आर्थिक एवं औद्योगिक विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों में समन्वय स्थापित करना है। इसका मुख्यालय वियना (आस्ट्रिया) में है।
- आई.एम.ओ. — इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन है। इसकी स्थापना 1948 ई. में हुई। इसका उद्देश्य विभिन्न सरकारों द्वारा जलपोतों को लाने-ले जाने वेह संबंध में निर्धारित नियमों पर विचार करना, जलपोत संबंधी प्राविधिक समस्याओं के समाधान एवं अनुचित प्रतिबन्धों को हटाकर विभिन्न सरकारों के बीच परस्पर सहयोग बढ़ाना है। इसका प्रधान कार्यालय लंदन में है।
- डब्ल्यू.टी.ओ. — इसका पूरा नाम विश्व व्यापार संगठन है। इसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 को हुई। यह विश्व व्यापार पर नजर रखने वाली प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है। भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
- आई.ए.ई.ए. — इसका पूरा नाम अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण है। इसकी स्थापना 29 जुलाई, 1957 को हुई। इसका उद्देश्य है विश्व में परमाणु शक्ति का प्रयोग शांति, सुरक्षा एवं निर्माण की दिशा में हो। यह संस्था आणविक शक्ति के विकास और रचनात्मक कार्यों में प्रयोग करने के लिए परामर्श व प्राविधिक सहायता देती है। इसका मुख्यालय विएना (ऑस्ट्रिया) में है।
- हेग हेमरसोल्ड — संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वितीय महासचिव। इन्होंने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन मानवता को स्वर्ग तक पहुँचाने के लिए नहीं बल्कि उसे नरक से बचाने के लिए हुआ है।
- चर्चिल — ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री। यह विश्व स्तर पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापना के पक्षधर थे जिसके माध्यम से आपस में देश बातचीत कर सकें।
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