Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi व्याकरण उपसर्ग
उपसर्ग वे लघुतम शब्दांश या अव्यय होते हैं जो शब्द के पूर्व लगाए जाने पर उसके अर्थ को बदल देते हैं या विशेषता उत्पन्न कर देते हैं, जैसे –
वि + योग = वियोग, प्र + योग = प्रयोग, सम + योग = संयोग, उप + योग = उपयोग।
हिन्दी में प्रायः तीन प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है –
- तत्सम (संस्कृत) उपसर्ग
- तद्भव (हिन्दी) उपसर्ग
- आगत (विदेशी भाषा) उपसर्ग
- उपसर्ग की तरह प्रयुक्त कुछ संस्कृत शब्द या अव्यय
1. तत्सम उपसर्ग
तत्सम उपसर्ग वे उपसर्ग हैं जो संस्कृत से लिए गए हैं। इनका प्रयोग प्रायः तत्सम,शब्दों के साथ होता है। तत्सम उपसर्ग निम्नलिखित हैं –
अति – इसका प्रयोग ‘बहुत अधिक’ का भाव उत्पन्न करने के लिए किया जाता है, जैसे – अतिक्रम = अति + क्रम, अत्युग्र = अति + उग्र, अत्याचार=अति + आचार, अत्यधिक = अति + अधिक।
अधि – इसका प्रयोग प्रायः ऊँचे या श्रेष्ठ’ के लिए होता है, जैसे – अधिकार = अधि + कार, अध्ययन = अधि + अयन, अधिनायक = अधि + नायक, अध्यक्ष = अधि + अक्षः।
अनु – इसका प्रयोग प्रायः ‘पीछे’, ‘बाद में’ या ‘गौण’ के लिए होता है, जैसे – अनुगामी = अनु + गामी, अनुसार = अनु + सार, अनुरोध = अनु + रोध, अनुभव = अनु + भव।
अप – इसका प्रयोग प्रायः अनुचित या बुरे के अर्थ में होता है, जैसे – अपराध = अप + राध, अपकीर्ति = अप + कीर्ति, अपमान = अप + मान, अपयश = अप + यश।
अभि – इसका प्रयोग प्रायः सामने या विशेषता दिखाने के लिए होता है, जैसे – अभिमान = अभि + मान, अभीष्ट = अभि + इष्ट, अभ्यास = अभि + आसे, अभिभाषण = अभि + भाषण।
अव – इसका प्रयोग बुरा, हीन या उप के लिए होता है, जैसे- अवसान = अव + सान, अवतरण = अव + तरण, अवनति = अव + नति, अवशेष = अव + शेष।
आ – इसका प्रयोग ‘तक’ और ‘समेत’, ‘पर्यन्त’ आदि अर्थों के लिए होता है, जैसे – आवरण = आ + वरण, आक्रमण = आ + क्रमण, आकर्षण = आ + कर्षण, आचरण = आ + चरण।
उत् (उछु) – इसका प्रयोग ऊँ, श्रेष्ठ या ऊपर के अर्थ में होता है, जैसे – उत्कर्ष = उत् + कर्ष, उद्धार = उत् + हार, उत्तम = उत् + तम, उच्छवास = उत् + श्वास
उप – इसका प्रयोग निकट, समान या गौण के लिए होता है, जैसे – उपहार = उप + हार, उपग्रह = उप + ग्रह, उपचार = उप + चार, उपनाम = उप + नाम
दुस् – इसका प्रयोग कठिन, बुरा आदि अर्थों के लिए होता है, जैसे – दुष्कर्म = दुस् + कर्म, दुस्साध्य = दुस + साध्य, दुस्साहस = दुस् + साहस, दुष्कर = दुस् + कर।
दुर् – इसका प्रयोग भी कठिन या बुरा अर्थ के लिए होता है, जैसे – दुर्दशा = दुर् + दशा, दुर्भाग्य = दुर् + भाग्य, दुर्दान्त = दुर् + दान्त, दुराशा = दुर् + आशा।
निस्, निर् – इनका प्रयोग ‘रहित’ और ‘नहीं’ अर्थों के लिए होता है, जैसे – निष्काम = निस् + काम, निष्पाप = निस् + पाप, निस्सार = निस् + सार, निस्संकोच = निस् + संकोच।
नि – इसका प्रयोग समूह, आदेश, पटुता, बंध, समीपता आदि अर्थों के लिए होता है, जैसे – निकर = नि + कर, निबंध = नि + बंध, नियम = नि + यम, निरोध = नि + रोध।
परा – इसका प्रयोग विपरीत, नांश आदि के अर्थ के लिए होता है, जैसे – पराजय = परा + जय, पराकाष्ठा = परा + काष्ठा, परामर्श = परा + मर्श, पराक्रम = परा + क्रम।
परि – इसका प्रयोग चारों ओर, पूर्णतः, बुराई, क्रम आदि के अर्थ के लिए होता है, जैसे – परिक्रमा = परि + क्रम + (आ), परिणय = परि + नय, परिवर्तन = परि + वर्तन, परिधि = परि + धि।
प्र – इसका प्रयोग आगे, सामने, अत्यधिक, उत्तमता, अभिलाषा, सम्मान आदि अर्थों के लिए होता है, जैसे – प्रस्थान = प्र + स्थान, प्रचार = प्र + चार, प्रमाण = प्र + मान, प्रवेश = प्र + वेश।
प्रति – इसका प्रयोग हर एक’, ‘विरुद्ध’ या ‘सामने’ के लिए होता है, जैसे – प्रत्येक = प्रति + एक, प्रतिहिंसा = प्रति + हिंसा, प्रतिरक्षण = प्रति + रक्षण, प्रतिध्वनि = प्रति + ध्वनि।
वि – इसका प्रयोग विशेषता, भिन्नता या अभाव को दिखाने के लिए होता है, जैसे – विपक्ष = वि + पक्ष, विलक्षण = वि + लक्षण, विभाग = वि + भाग, विज्ञान = वि + ज्ञान।
सम् (सं) – इसका प्रयोग अच्छा/संयोग/सहित के अर्थ में होता है, जैसे – संतुलन = सम् + तुलन, सम्मान = सम् + मान, सन्यासी = सम् + न्यासी, संयोग = सम् + योग।
सु – इसका प्रयोग शुभ या सहज के लिए होता है, जैसे – सुव्यवस्थित = सु + व्यवस्थित, सुपात्र = सु + पात्र, सुशील = सु + शील, सुशिक्षित = सु + शिक्षित।
कुछ संस्कृत शब्द या अव्यय जो उपसर्ग के रूप में प्रयुक्त हो रहे हैं।
अ – इसका प्रयोग अभाव के अर्थ में किया जाता है, जैसेअसुर = अ + सुर, अशुद्ध = अ + शुद्ध, अकाल = अ + काल; अन्याय = अ + न्याय।
अन् – इसका प्रयोग अभाव के अर्थ में होता है, जैसे – अनुचित = अन् + उचित, अनेक = अन् + एक, अनभिज्ञ = अन् + भिज्ञ, अनुपम = अन् + उपम।
अधः- इसका प्रयोग नीचे के अर्थ में होता है, जैसेअध:पतन = अधः + पतन, अधोमुखी = अधः + मुखी, अधोलिखित = अधः + लिखित, अधोगति = अधः + गति।
अन्तः- इसका प्रयोग भीतर के अर्थ में होता है, जैसे – अन्तरात्मा = अन्तः + आत्मा, अंतर्राष्ट्रीय = अन्तः + राष्ट्रीय, अन्तर्जातीय = अन्तः + जातीय, अन्त:करण=अन्तः+ करण।
कु – इसका प्रयोग बुरे के अर्थ में होता है, जैसे – कुविचार = कु + विचार, कुयोग = कु + योग, कुपुत्र = कु + पुत्र, कुकर्म = कु + कर्म।
चिर – इसका प्रयोग बहुत समय के अर्थ में होता है, जैसे – चिरस्थायी = चिर + स्थायी, चिरजीवी = चिर + जीवी, चिरपरिचित = चिर + परिचित, चिरकाल = चिर + काल।
सम – इसका प्रयोग साथ के अर्थ में होता है, जैसे – सहपाठी = सह + पाठी, सहकारी = सह + कारी, सहयोग = सह + योग, सगान = सह + गान।
पर – इसका प्रयोग अन्य के अर्थ में होता है, जैसेपराधीन = पर + अधीन, परलोक = पर + लोक, परदेश = पर + देश, परपुरुष = पर + पुरुष। सम- इसका प्रयोग समान के अर्थ में होता है, जैसे – समकालीन = सम् + कालीन, समकोण = सम् + कोण, समदर्शी = सम् + दर्शी, समवयस्क = सम् + वयस्क।
पुनर् – इसका प्रयोग पुनः या फिर के अर्थ में होता है, जैसे- पुनर्जन्म = पुनर् + जन्म, पुनरुत्थान = पुनर् + उत्थान, पुनर्मिलन = पुनर् + मिलन, पुनर्विवाह = पुनर् + विवाह।
स्व – इसका प्रयोग अपने के अर्थ में होता है, जैसे – स्वदेश = स्व + देश, स्वराज्य = स्व + राज्य, स्वपक्ष = स्व + पक्ष, स्वभाव = स्व + भाव।
2. तद्भव उपसर्ग
अ – इसका प्रयोग ‘अभाव’ या ‘नहीं’ के अर्थ में होता है, जैसे- अपढ़ = अ + पढ़, अजान = अ + जान, अछूत = अ + छूत, अथाह = अ + थाह।
अन – इसका प्रयोग अभाव, निषेध के अर्थ में होता है,
जैसे – अनजान = अन + जान, अनहोनी = अन + होनी, अनबूझ = अन + बूझ, अनगढ़ = अन + गढ़।
क/कु – इसका प्रयोग बुरे के अर्थ में होता है, जैसे – कुढंग = कु + ढंग, कुविचार = कु + विचार, कुसंग = कु + संग, कपूत = क + पूत।
अध – इसका प्रयोग आधा के अर्थ में होता है, जैसे – अध पका = अध + पका, अधकचरा = अध + कचरा, अध मरा = अध + मरा, अधखिला = अध + खिला।
चौ – इसका प्रयोग चार के अर्थ में होता है, जैसे – चौराहा = चौ + राहा, चौमुखा = चौ + मुखा, चौपाटी = चौ + पाटी, चौतरफा = चौ + तरफा।
बिन/बिना – इसका प्रयोग रहित, नहीं के अर्थ में होता है, जैसे- बिनपूछे = बिन + पूछे, बिनमाँगे = बिन + माँगे, बिनब्याहा = बिन + ब्याहा, बिनाबात = बिना + बात।
भर – इसका प्रयोग पूरा, भरा के अर्थ में होता है, जैसे – भरपेट = भर + पेट, भरमार = भर + मारे, भरसक = भर + सक, भरपूर = भर + पूर।
एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग
कुछ शब्द एक से अधिक उपसर्गों के प्रयोग से बने होते हैं, जैसे – परोपकार = पर + उप + कार, स्वावलम्बन = स्व + अव + लम्बन, समालोचना = सम् + आ + लोचना, समाचार = सम् + आ + चार, अव्यवस्था = अ + वि + अव + स्था, दुर्व्यवहार = दुर् + वि + अव + हार।
3. आगत उपसर्ग
(उर्दू, अरबी, फारसी, अँग्रेजी) एन ठीक एनवक्त, एनमौका, एनसिरपर अल निश्चित, इसलिए अलबत्ता, अलगरज
परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर वस्तुनिष्ठ प्रश्न सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखिए
प्रश्न 1.
‘अभि’ उपसर्ग प्रकट करता है
(क) श्रेष्ठता
(ख) अपूर्णता
(ग) विरोध
(घ) पूर्णता
उत्तर:
(क) श्रेष्ठता
प्रश्न 2.
‘प्रत्पुकार’ शब्द में उपसर्ग है
(क) प्रति
(ख) उप
(ग) प्रति+उप
(घ) प्र
उत्तर:
(ग) प्रति+उप
प्रश्न 3.
‘नि’ उपसर्ग वाला शब्द है
(क) निर्भय
(ख) निबन्ध
(ग) निष्क्रिय
(घ) निष्कपट
उत्तर:
(ख) निबन्ध
प्रश्न 4.
‘बदकिस्मत’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग है
(क) ब
(ख) वर
(ग) बाद
(घ) बद
उत्तर:
(घ) बद
प्रश्न 5.
अलग उपसर्ग और शब्द हैं
(क) अविक्त
(ख) उत्तम
(ग) निराकरण
(घ) अभिउदय
उत्तर:
(घ) अभिउदय
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
‘सु’ उपसर्ग लगाकर चार शब्द बनाइए।
उत्तर:
सु + आगत = स्वागत, सु + कर्म = सुकर्म, सु + पुत्र = सुपुत्र, सु + मंत्र = सुमंत्र।
प्रश्न 2.
‘दुर’ उपसर्ग का प्रयोग करके ऐसा शब्द बनाइए। जिसको अर्थ ‘जहाँ जाना कठिन हो’ हो जाए।
उत्तर:
दुर्ग म=दुर्गम।
प्रश्न 3.
प्रत्येक उपसर्ग से दो-दो शब्द बनाइए-अनु, उप, अ, अभि।
उत्तर:
अनु – अनुशासन, अनुदेश। उप – उपकार, उपयोग। अ – अपूर्ण, अक्रोध। अभि – अभिवादन, अभिमान।
प्रश्न 4.
‘योग’ शब्द में ऐसे प्रत्यय जोड़िए कि उनसे बनने वाले शब्द परस्पर विलोम शब्द हों।
उत्तर:
- सम्भ्योग = संयोग।
- वि + योग = वियोग।
प्रश्न 5.
हिन्दी में कितने प्रकार के उपसर्ग का प्रयोग होता
उत्तर:
हिन्दी में दस प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है।
प्रश्न 6.
संस्कृत उपसर्गों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
संस्कृत उपसर्गों की संख्या 19 है।
प्रश्न 7.
दुष्कर्म, अधपका, खुशखबरी, अध्यक्ष, सुस्मित शब्दों में शब्द और उपसर्ग अलग करके लिखिए।
उत्तर:
दुस् + कर्म, अध + पका, खुशखबरी, अधि + अक्ष, सु + स्मित।
प्रश्न 8.
उपसर्ग किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी शब्द से पहले आकर उसके अर्थ को प्रभावित करने वाले शब्द या शब्दांश को उपसर्ग कहते हैं।
प्रश्न 9.
ऐसे तीन शब्द लिखिए जिनमें एक से अधिक उपसर्गों का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर:
प्रत्युपकार, दुर्व्यवहार, परोपकार।
प्रश्न 10.
बन्धु, अन्त, कुमार, भीत, सिद्ध शब्दों में उपसर्ग जोड़कर नवीन शब्द बनाइए।
उत्तर:
सु + बन्धु = सुबन्धु।
दुर् + अन्त = दुरन्त।
सु + कुमार = सुकुमार।
अ + भीत = अभीत। प्रसिद्ध = प्रसिद्ध।
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