These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 1 हमारे आस-पास के पदार्थ will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 1 Notes हमारे आस-पास के पदार्थ
→ पदार्थ-हमारे चारों ओर फैली हुई वस्तुएं जिस सामग्री से बनी होती हैं, उसे पदार्थ कहते हैं। पदार्थ में मुख्यतः दो गुण होते हैं – (i) इनमें द्रव्यमान होता है। (ii) प्रत्येक पदार्थ कुछ स्थान (आयतन) घेरता है। पदार्थ को पाँच मूल तत्वों में वर्गीकृत किया गया है, जिसे पंचतत्व कहते हैं। ये पंचतत्व हैं-वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल तथा आकाश। सभी पदार्थों को भौतिक एवं रासायनिक गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
→ पदार्थ का भौतिक स्वरूप-
- पदार्थ अनेक कणों से मिलकर बना होता है।
- ये कण हमारी कल्पना से भी छोटे (सूक्ष्म) होते हैं।
→ पदार्थ के कणों के गुण-
- पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
- पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं अर्थात् उनमें गतिज ऊर्जा होती है। तापमान बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है क्योंकि गतिज ऊर्जा बढ़जाती है।
- पदार्थ के कण एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
→ विसरण-दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वतः मिलना विसरण कहलाता है।
→ पदार्थ की अवस्थाएं-पदार्थ सामान्यतया तीन अवस्थाओं ठोस, द्रव एवं गैस में पाए जाते हैं।
- ठोस-ठोसों का आकार व आयतन निश्चित होता है।
- द्रव-इनका आकार अनिश्चित किन्तु आयतन निश्चित होता है।
- गैस-इनका आकार व आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं।
→ हमारे घरों में खाना बनाने में द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) तथा वाहनों में ईंधन के रूप में संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) का उपयोग होता है।
→ दाब-बर्तन की दीवार पर गैस के कणों द्वारा प्रति इकाई क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
→ पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है-कुछ बाहरी प्रभावों से पदार्थ की अवस्था बदल सकती है। जैसे जल तीन अवस्थाओं में रह सकता है। इसमें ठोस अवस्था बर्फ के रूप में, द्रव अवस्था जल के रूप में तथा गैस अवस्था जलवाष्प के रूप में पाई जाती है। निम्न कारकों में परिवर्तन द्वारा पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन होता
(i) तापमान परिवर्तन का प्रभाव
(a) गलनांक-तापमान बढ़ाने पर ठोस पदार्थ, द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं। वह न्यूनतम तापमान जिस पर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह इसका गलनांक कहलाता है। किसी ठोस के गलने की प्रक्रिया में तापमान स्थिर रहता है।
(b) संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा-वायुमंडलीय दाब पर 1 Kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जितनी ऊष्मीय ऊर्जा आवश्यक होती है वह संगलन की प्रसुप्त (गुप्त) ऊष्मा कहलाती है।
(c) क्वथनांक-वायुमण्डलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है उसे उसका क्वथनांक कहते हैं। इस तापमान पर द्रव गैस में बदलने लगता है।
(d) वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा-वायुमंडलीय दाब पर 1 Kg द्रव को उसके क्वथनांक पर वाष्प में बदलने के लिए आवश्यक ऊष्मा वाष्पीकरण की गुप्त ऊष्मा कहलाती है।
(ii) दाब परिवर्तन का प्रभाव-दाब के बढ़ने तथा तापमान के कम होने पर गैस द्रव में बदल सकती है।
→ वाष्पीकरण-यह एक सतही परिघटना है। क्वथनांक से कम तापमान पर द्रव के वाष्प में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं।
→ वाष्पीकरण को प्रभावित करने वाले कारक
- सतही क्षेत्रफल बढ़ने से वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
- तापमान वृद्धि भी वाष्पीकरण को बढ़ाती है।
- आर्द्रता बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर घट जाती है।
- वायु की गति बढ़ने पर वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
→ वाष्पीकरण के कारण शीतलता-खुले हुए बर्तन में रखे द्रव में निरंतर वाष्पीकरण होता रहता है। इससे कम हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के लिए द्रव के कण अपने आसपास से ऊष्मीय ऊर्जा अवशोषित कर लेते हैं। इस तरह आसपास से ऊर्जा अवशोषित होने के कारण शीतलता का अनुभव होता है।
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