These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 11 Notes कार्य तथा ऊर्जा
→ कार्य-जब किसी वस्तु पर बल F लगाया जाये तथा इस बल से विस्थापन वस्तु में S हो तो बल द्वारा किया गया कार्य बल और बल की दिशा में विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
अतः कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (S)
W = FS
कार्य एक अदिश राशि है। कार्य का मात्रक M.K.S. पद्धति में जूल (J) है।
अतः एक न्यूटन बल लगाने पर यदि वस्तु का विस्थापन (बल की दिशा में) एक मीटर है तो बल द्वारा किया गया कार्य एक जूल होगा। अतः
1 जूल = 1 न्यूटन-मीटर
जब बल विस्थापन की दिशा के विपरीत दिशा में लगता है, तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है। परन्तु जब बल विस्थापन की दिशा में लगता है, तब किया गया कार्य धनात्मक होता है।
→ कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना-कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है
(i) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए तथा
(ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।
यदि इनमें से कोई भी दशा पूरी नहीं होती है तो कार्य नहीं किया गया-विज्ञान में हम कार्य को इसी दृष्टि से देखते हैं।
→ ऊर्जा-किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा का मात्रक जूल होता है। ऊर्जा एक अदिश राशि है।
जो वस्तु कार्य करती है, उसमें ऊर्जा की हानि होती है और जिस वस्तु पर कार्य किया जाता है, उसमें ऊर्जा की वृद्धि होती है। अतः किसी वस्तु में निहित ऊर्जा को उसकी कार्य करने की क्षमता के रूप में मापा जाता है।
1 जूल कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा 1 जूल होती है।
ऊजो का बड़ा मात्रक किलो जूल होता है।
1 kJ = 1000 J
→ ऊर्जा के रूप-ऊर्जा के विभिन्न रूप होते हैं, जैसे-गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा आदि।
→ गतिज ऊर्जा-किसी भी वस्तु में गति के कारण जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं। गतिज ऊर्जा का मात्रक जूल होता है। यदि m द्रव्यमान वाली वस्तु v वेग से गतिमान है तो वस्तु की गतिज ऊर्जा K निम्न सूत्र से दी जाती है –
Ek = \(\frac{1}{2}\) mv2
बहते हुए पानी में, बहती हुई हवा में, चलते हुए तीर में, चलती हुई कार आदि में गतिज ऊर्जा होती है।
→ स्थितिज ऊर्जा-किसी वस्तु द्वारा इसकी स्थिति अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण प्राप्त ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहते हैं।
→ गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा-किसी वस्तु को पृथ्वी सतह से ऊपर ले जाने पर जो ऊर्जा वस्तु में आ जाती है, उसे वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। इसको Ep से लिखते हैं। इसका मात्रक जूल है।
m द्रव्यमान वाली वस्तु को पृथ्वी सतह से ‘n’ ऊँचाई पर ले जाने पर वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा Ep निम्न सूत्र से दी जाती है
Ep = mgh यहाँ ‘g’ गुरुत्वीय त्वरण है। स्थितिज ऊर्जा एवं गतिज ऊर्जा दोनों ही यांत्रिक ऊर्जा कहलाती हैं।
→ ऊर्जा रूपान्तरण का सिद्धान्त-ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित होती है। जैसे-ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूर्य ऊर्जा विभिन्न ऊर्जा रूपों में रूपान्तरित होती है।
→ ऊर्जा संरक्षण का नियम- इस नियम के अनुसार ऊर्जा न तो उत्पन्न की जा सकती है, और न ही ऊर्जा को नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित किया जा सकता है
यांत्रिक ऊर्जा के लिए इस सिद्धान्त को निम्न सूत्र से व्यक्त करते हैं –
Ek + Ep = E स्थिरांक
mgh + \(\frac{1}{2}\)mv2 = अचर
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा का योग उसकी कुल यांत्रिक ऊर्जा है।
संरक्षी बलों की उपस्थिति में यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण के उदाहरण
(i) स्वतन्त्रतापूर्वक गिरता हुआ पिण्ड
(ii) सरल लोलक।
→ कार्य करने की दर (शक्ति)-कार्य करने की दर को शक्ति कहते हैं। माना कोई साधन 1 समय में W कार्य करता है, तो साधन की शक्ति P निम्न सूत्र से दी जाती है –
P = \(\frac{W}{t}\)
जूल/सेकण्ड या वाट शक्ति का मात्रक है। शक्ति का बड़ा मात्रक किलोवाट, मेगावाट होता है। यह एक अदिश राशि है। शक्ति का एक अन्य मात्रक जो व्यवहार में अब भी प्रचलित है, अश्वशक्ति है।
1 अश्वशक्ति = 746 वाट = 0.746 किलोवाट
→ किलोवाट घंटा-यह ऊर्जा का व्यावसायिक मात्रक है।
1 kWh = 3.6 × 106 J.
घरों में, उद्योगों में तथा व्यावसायिक संस्थानों में व्यय होने वाली ऊर्जा को प्रायः किलोवाट घंटा में ही व्यक्त करते हैं।
उदाहरण के लिए, एक महीने में उपयोग की गई विद्युत ऊर्जा को ‘यूनिट’ के रूप में व्यक्त करते हैं। 1 यूनिट का अर्थ है। 1 kWh।
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