These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 7 Notes जीवों में विविधता
→ जीवों में विभिन्नता-सभी जीवधारी एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में भिन्न होते हैं। इस विभिन्नता को विकसित होने में लाखों वर्ष का समय लगा है। अतः जीवों के अध्ययन के लिए विभिन्नता का आधार न लेकर उनमें पाई जाने वाली समानता का आधार अधिक सुविधाजनक होगा। समानता के आधार पर सजीवों को विभिन्न वर्गों में विभाजित करके उनके वर्गों व समूहों का अध्ययन कर सकते हैं।
→ वर्गीकरण का आधार –
(i) यूनानी विचारक अरस्तू ने जीवों का वर्गीकरण उनके स्थल, जल एवं वायु में रहने के आधार पर किया था किन्तु यह मान्य नहीं हो सका।
(ii) आजकल जीवों के वर्गीकरण के लिए कोशिका की प्रकृति से प्रारम्भ करके विभिन्न परस्पर सम्बन्धित अभिलक्षणों को दृष्टिगत रखते हैं। इसके मुख्य बिन्दु निम्न प्रकार हैं
(a) कोशिका की. संरचना व कार्यों को वर्गीकरण का मूल आधार माना है।
(b) कोशिकाएँ सामान्यतया समूह में रहकर विशिष्टीकृत हो जाती हैं, इससे जीवों की शारीरिक संरचना में विभिन्नता आ जाती है। यही कारण है एक एककोशिक जीव अमीबा एक कृमि से भिन्न है।
(c) स्वपोषी तथा परपोषी सजीवों की शारीरिक संरचना में विभिन्नता पाई जाती है।
(d) प्रकाश-संश्लेषण करने वाले सजीव पौधे होते हैं। इनका शारीरिक संगठन जन्तुओं से अलग होता है। उपर्युक्त बिन्दुओं से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि अपना भोजन स्वयं बनाने वाले सजीवों का समूह अलग है तथा जन्तु जो बाहर से भोजन ग्रहण करते हैं, उनका समूह अलग होता है।
→ वर्गीकरण और जैव विकास-सभी जीवधारियों की पहचान उनकी शारीरिक संरचना व कार्य के आधार पर की जाती है तथा इसी से वर्गीकरण करते हैं। शरीर की बनावट के दौरान जो लक्षण पहले दिखाई पड़ते हैं, उन्हें मूल लक्षण कहते हैं। जैव विकास में भी जीवों में मूल लक्षणों में निरन्तर परिवर्तन उनके अच्छे जीवन-यापन के लिए होता रहता है। डार्विन के अनुसार आज भी हमें दोनों प्रकार के जीव देखने को मिलते हैं-एक वे, जिनमें आज तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जैसे-आदिम अथवा निम्न जीव जबकि दूसरे प्रकार के जीवों में निरन्तर परिवर्तन से उन्नत जीवों का विकास हुआ है।
→ वर्गीकरण समूहों की पदानुक्रमित संरचना-वैज्ञानिक व्हिटेकर ने समस्त जीवों को निम्न पाँच जगत में विभाजित किया
- मोनेरा जगत-इस जगत में प्रोकेरियोटिक कोशिका वाले सजीवों को रखा जाता है। जैसे सायनोबैक्टेरिया, माइकोप्लाज्मा तथा हरे शैवाल आदि।
- प्रोटिस्टा जगत-इसमें एककोशिकीय यूकेरियोटिक कोशिका वाले सजीवों को रखा गया है। उदाहरण-प्रोटोजोआ के सदस्य।
- फन्जाई अर्थात् कवक जगत-इस जगत में विभिन्न प्रकार की फफूंदों को रखा गया है। इनमें हरित लवक अनुपस्थित होता है। इसी वजह से इनमें प्रकाश-संश्लेषण की क्षमता नहीं होती है। जैसे-यीस्ट, मशरूम।
- प्लांटी (पादपं जगत)-इस जगत में बहुकोशिकीय पादपों को रखा गया है। इसमें अनेक प्रकार के लवक मिलते हैं। अत: ये प्रकाश-संश्लेषण द्वारा कार्बोहाइड्रेट्स का संश्लेषण करते हैं। जैसे-टेरीडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म, ब्रायोफाइटा तथा एन्जियोस्पर्म के सदस्य हैं।
- एनिमेलिया (जन्तु जगत)-इस जगत में बहुकोशिकीय जन्तु होते हैं। इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती है तथा इनमें हरित लवक भी अनुपस्थित रहते हैं; जैसे-हाइड्रा, स्पंज, केंचुआ, मनुष्य, तिलचट्टा आदि।
→ पादप जगत (प्लांटी)-शरीर संरचना के आधार पर इनको पुनः पाँच भागों में बाँटा जाता है
- थैलोफाइटा-इनकी शरीर संरचना में विभेदीकरण नहीं होता है, जैसे-यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा।
- ब्रायोफाइटा-ये उभयचरी पादप हैं, जैसे-मॉस, मार्केशिया।
- टेरिडोफाइटा-इनका शरीर जड़, तना, पत्ती में विभेदित होता है, जैसे-फर्न।
- जिम्नोस्पर्म-ये नग्नबीजी पादप हैं, जैसे-साइकस, पाइनस।
- एन्जियोस्पर्म-इनके बीजों पर आवरण होता है। ये एक बीजपत्री तथा द्विबीजपत्री में विभाजित किये जा सकते हैं।
→ एनिमेलिया-इनमें यूकैरियोटी, बहुकोशिक और विषमपोषी जीवों को रखा गया है। शारीरिक संरचना व विभेदीकरण के आधार पर इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया गया है
- पोरीफेरा-उदाहरण-साइकॉन, यूप्लेक्टेला
- सीलेन्ट्रेटा (नीडेरिया)-उदाहरण-हाइड्रा, ओबेलिया, ऑरेलिया
- प्लेटीहेल्मिन्थीज-उदाहरण-फीताकृमि, लिवर फ्लूक, प्लेनेरिया
- ऐस्केहेल्मिन्थीज-(निमेटोडा) उदाहरण-एस्केरिस, वुचेरेरिया
- एनीलिडा-उदाहरण-केंचुआ, जोंक, नेरीस
- आर्थोपोडा-उदाहरण-मक्खी, मच्छर, तिलचट्टा, तितली, केकड़ा, बिच्छू, मकड़ी आदि।
- मॉलस्का-उदाहरण-घोंघा, सीप, शंख, ऑक्टोपस, सीपिया।
- इकाइनोडर्मेटा-उदाहरण-तारा मछली, समुद्री अर्चिन, समुद्री लिली।
- प्रोटोकॉर्डेटा-उदाहरण-बैलेनाग्लोसस, हर्डमेनिया।
- वर्टीब्रेटा (कशेरुकी)
(i) सायक्लोस्टोमेटा उदाहरण-पेट्रोमाइजॉन (लैम्प्रे), मिक्जीन (हैग मछली)
(ii) पीसीज (मत्स्य) उदाहरण-विद्युत मछली, लेबियो कुत्ता मछली।
(iii) एम्फिबिया (जलस्थलचर) उदाहरण-सैलामेन्डर, मेंढ़क
(iv) रेप्टीलिया (सरीसृप) उदाहरण-सर्प, छिपकली
(v) एवीज (पक्षी) उदाहरण-कबूतर, हंस, मोर
(vi) मैमेलिया (स्तनपायी) उदाहरण-मानव, चमगादड़।
→ नाम पद्धति-वैज्ञानिक केरोलस लीनियस ने सजीवों का नाम जीनस एवं स्पीशीज के आधार पर रखा था।
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