These comprehensive RBSE Class 9 Science Notes Chapter 8 गति will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 9 Science Chapter 8 Notes गति
→ गति-निर्देश तन्त्र से वस्तु की स्थिति में समय के साथ अनवरत परिवर्तन को वस्तु की गति कहते हैं। गति अनेक प्रकार की होती है। जब वस्तु का गमन-पथ सीधी रेखा में होता है, तब गति ‘सरल रेखीय गति’ कहलाती है।
→ समान गति-यदि कोई वस्तु निश्चित समयान्तरालों में समान दूरियाँ तय करती है तो वस्तु की गति को समान गति कहते हैं। समान गति में दूरी-समय के मध्य खींचा गया आलेख सीधी रेखा प्राप्त होता है तथा आलेख का ढ़ाल चाल को प्रदर्शित करता है।
→ असमान गति-यदि कोई वस्तु निश्चित समयान्तरालों में असमान दूरियाँ तय करती है तो वस्तु की गति को असमान गति कहते हैं। असमान गति में दूरी-समय के मध्य खींचा गया ग्राफ वक्र रूप में प्राप्त होता है।
→ दूरी व विस्थापन-वस्तु द्वारा मार्ग पर तय की गई वास्तविक लम्बाई को दूरी कहते हैं। जब कोई वस्तु एक स्थिति से दूसरी स्थिति के मध्य गति करती है तब वस्तु की प्रारम्भिक स्थिति और अन्तिम स्थिति के मध्य दिशा का ध्यान रखते हुए तय की गई दूरी को विस्थापन कहते हैं। विस्थापन एक सदिश राशि है।
→ चाल-कोई वस्तु इकाई समय में जितनी दूरी तय करती है वह उसकी चाल कहलाती है। चाल का मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। यह एक अदिश राशि है।
यदि एक वस्तु समय में s दूरी तय करती है तो इसकी चाल
v = \(\frac{S}{t}\)
→ समरूप चाल-किसी वस्तु को समान चाल से गति में कहा जा सकता है, यदि वह समय के समान अन्तरालों में एक समान दूरी तय करे।
→ औसत चाल-किसी वस्तु द्वारा दिए गए समय अन्तराल में चालित कुल दूरी एवं समय अन्तराल के अनुपात को औसत चाल कहते हैं।
→ वेग-कोई वस्तु इकाई समय में किसी निश्चित दिशा में जितनी दूरी तय करती है वह उसका वेग कहलाता है। वेग का मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है। यह एक सदिश राशि है।
या v = \(\frac{s}{t}\)
→ चाल और वेग में अन्तर-चाल एक अदिश राशि है जबकि वेग एक सदिश राशि है। चाल केवल वस्तु की गति के परिमाण का बोध कराती है जबकि वेग वस्तु की गति के परिमाण एवं दिशा दोनों कराती है।
→ ऐसा यंत्र जो तय की गई दूरी को दर्शाता है, आडोमीटर कहलाता है।
→ ऐसा यंत्र जो किसी भी क्षण किसी गाड़ी को चाल को दर्शाता है, स्पीडोमीटर कहलाता है।
→ समरूप वेग-कोई वस्तु तब समरूप वेग से गतिशील कही जाती है जब वह खास दिशा में समय के समान अन्तरालों में समान दूरी तय करती है। जब कोई वस्तु एक समान वेग से गति करती है, तो इसका वेग हर समय समान होता है।
→ असमान वेग-वेग को तब असमान कहा जाता है जब (i) यह दिशा परिवर्तित करे या (ii) चाल बदले या (iii) दिशा और चाल दोनों ही बदले।
→ औसत वेग-यदि वस्तु का वेग समान रूप से परिवर्तित हो रहा है, तब दिये गये प्रारम्भिक वेग और अन्तिम वेग के अंकगणितीय माध्य के द्वारा औसत वेग प्राप्त किया जा सकता है।
vav = \(\frac{u+v}{2}\)
→ त्वरण-किसी भी वस्तु के वेग में परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसको a से लिखते हैं ।
वस्तु का त्वरण निम्न सूत्र से प्रदर्शित किया जाता है –
यदि वस्तु का वेग प्रारम्भिक वेग u से t समय में बदलकर v हो जाता है, तो त्वरण होगा –
a = \(\frac{v-u}{t}\)
त्वरण एक सदिश राशि है। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड 2 होता है।
यदि त्वरण वेग की दिशा में है तो इसे धनात्मक लिया जाता है तथा यदि यह वेग के विपरीत दिशा में है तो इसे ऋणात्मक लिया जाता है।
→ समान त्वरण-जब गतिमान वस्तु के वेग में परिवर्तन प्रति सेकण्ड एकसमान होता है तब वस्त समान त्वरण से गतिमान कही जाती है। ऐसी गति को समान त्वरित गति कहते हैं। इसके वेग समय में खींचा गया। ग्राफ सीधी रेखा में प्राप्त होता है।
→ असमान त्वरण-जब गतिमान वस्तु के वेग में परिवर्तन प्रति सेकण्ड एकसमान नहीं होता है तब वस्तु असमान त्वरण से गतिमान कही जाती है। ऐसी गति को असमान त्वरित गति कहते हैं। इसके वेग समय में खींचा गया ग्राफ वक्र रूप में प्राप्त होता है।
→ दूरी-समय ग्राफ-एक समान चाल के लिये, समय के साथ तय की गई दूरी का ग्राफ एक सरल रखा है।
→ वेग-समय ग्राफ-सभी एक समान त्वरित गतियों के लिये वेग-समय ग्राफ सीधी रेखा प्राप्त होती है। वेग-समय ग्राफ का क्षेत्रफल दिये गये समयांतराल में कार द्वारा तय की गई दूरी (विस्थापन के परिमाण) को बताता है। असमान त्वरित गति की स्थिति में वेग-समय ग्राफ किसी भी आकृति का हो सकता है।
→ समान त्वरित गति के समीकरण-गति के निम्न तीन समीकरण हैं –
1. v = u + at
2. s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
3. v2 = u2 + 2as
u – वस्तु का प्रारम्भिक वेग है।
v – वस्तु का अन्तिम वेग है।
s – वस्तु द्वारा 1 समय में तय की गयी दूरी।
a – वस्तु में उत्पन्न त्वरण है।
→ किसी वस्तु में उत्पन्न ऋणात्मक त्वरण को मंदन कहते हैं।
→ समरूप वृत्तीय गति या समान वर्तुल गति-यदि कोई वस्तु अचर चाल से किसी वृत्तीय पथ पर चलती है, तो इसे एकसमान वर्तुल गति कहा जाता है।
उदाहरण-वृत्ताकार पथ में साइकिल सवार की गति, धागे से बँधे पत्थर के किसी अक्ष के चारों ओर गति आदि वर्तुल गति के उदाहरण हैं।
→ वृत्तीय गति – एक वृत्तीय पथ के साथ-साथ किसी पिण्ड की गति को वृत्तीय गति कहते हैं।
→ यदि एक एथलीट r त्रिज्या वाले वृत्तीय पथ में चक्कर लगाने में 1 सेकण्ड समय लेता है तो वेग v होगा
v = \(\frac{2 \pi r}{t}\)
Leave a Reply