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Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit व्याकरण वर्ण-विचारः
वर्ण- उस मूल ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके टुकड़े न हो सकें, जैसे- क् ख् ग् घ् आदि। इन्हें अक्षर भी कहते हैं। अतः वर्ण या अक्षर भाषा की मूल ध्वनियों को कहते हैं, जैसे- ‘घट;’ पद में घ् अ अ और : (विसर्ग) ये मूल ध्वनियाँ हैं, जिन्हें वर्ण या अक्षर कहते हैं।
वर्ण के भेद
वर्ण दो प्रकार के होते हैं-
- स्वर
- व्यञ्जन।।
(1) स्वर (अच्)- जिन वर्गों का उच्चारण करने के लिए अन्य किसी वर्ण की सहायता नहीं लेनी पड़ती, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों की संख्या 13 है : अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लु ए ऐ ओ औ।
स्वरों का वर्गीकरण- उच्चारण काल अथवा मात्रा के आधार पर स्वर निम्न तीन प्रकार के माने गये हैं-
(i) ह्रस्व स्वर
(ii) दीर्घ स्वर
(iii) प्लुत स्वर।
(i) ह्रस्व स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगे अर्थात् कम से कम समय लगे उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं, जैसे- अ, इ, उ, ऋ, लू। इनकी संख्या 5 है।
(ii) दीर्घ स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण काल में मूल स्वरों की अपेक्षा दुगुना समय, अर्थात् दो मात्राओं का समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं।
जैसे- आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। इनकी संख्या 8 है।
नोट- ए, ओ, ऐ, औ ये दीर्घ स्वर हैं। ये दो स्वरों के मेल से बनते हैं। इन्हें मिश्रित स्वर कहते हैं।
जैसे-
अ + इ = ए। अ + ए = ऐ।
अ + उ = ओ। अ + ऊ = औ।
(iii) प्लुत स्वर- जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है वे प्लुत स्वर कहलाते हैं। इनमें तीन मात्राओं का उच्चारण काल होता है। प्लुत का ज्ञान कराने के लिए ३ का अंक स्वर के आगे लगाते हैंजैसे- अ ३, इ ३, उ ३, ऋ ३, लु ३, ए ३, ऐ ३, ओ ३, औ ३ !!
नोट- ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत स्वरों की कुल संख्या 22 है, जिनमें ह्रस्व 5, दीर्घ 8 और प्लुत 9 हैं।।
(2) व्यंजन (हल्)- व्यञ्जन उन्हें कहते हैं जिनका उच्चारण बिना स्वर की सहायता के नहीं होता। व्यञ्जन का उच्चारण काल अर्द्धमात्रा काल है। जिस व्यञ्जन में स्वर का योग नहीं होता, उसमें हलन्त का चिह्न (,) लगाते हैं।
जैसे- क् ख् ग् घ् आदि। संस्कृत में इनकी संख्या 33 है।
(‘) अनुस्वार (*) अनुनासिक (:) विसर्ग। व्याकरण में व्यञ्जन का अभिप्राय स्वर रहित वर्ण से ही होता है।।
व्यञ्जन के साथ स्वरों का संयोग
नोट- इसी प्रकार सभी व्यंजन वर्गों में सभी स्वरों का संयोग (जोड़) होता है।
संयुक्त वर्ण- दो व्यञ्जन मिलकर संयुक्त वर्ण बनाते हैं
हलन्त- जिस शब्द के अंत में हलु हो, उसे हलन्त कहते हैं, यथा- देवम् शब्द हलन्त है। इसका चिह्न () तिरछी रेखा के रूप में वर्ण के नीचे लगाया जाता है। शुद्ध अथवा हल् व्यञ्जनों के नीचे ही हलन्त लगाया जाता है, जैसे- ख् प् ग्। इसके उच्चारण में बहुत कम समय लगता है तथा वर्गों में स्वर मिलने के बाद इसका लोप हो जाता है।
यथा- ख् या छु + अ = ख
वर्ण विन्यास- शब्द जिन अक्षरों से बना हों उन सबको अलग-अलग कर देना ही वर्ण-विन्यास अथवा
वर्ण-विच्छेद कहलाता है, उदाहरण-
वर्ण संयोजनम्- शब्द जिन अक्षरों से बना होता है उन सभी वर्गों को मिलाकर एक शब्द के रूप में लिखना ही वर्ण संयोजन कहलाता है।
वर्गों के उच्चारण स्थान- वर्गों के उच्चारण करते समय जिस वर्ण को मुख के जिस अवयव की सहायता से बोला जाता है, उसे उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख में अनेक अवयव होते हैं, जैसे कण्ठ, तालु, मुर्धा, दन्त, नासिका,
ओष्ठ आदि। इनके आधार पर वर्षों के उच्चारण स्थानों का विभाजन निम्न रूप से किया गया है-
- अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह तथा (:) विसर्ग उच्चारण स्थान- कण्ठ।
- इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य, श उच्चारण स्थान-तालु।
- ऋ, ऋ, ट, ठ, ड, ढ, ण, र, घ उच्चारण स्थान- मूर्धा
- लु, त, थ, द, ध, न, ल, स उच्चारण स्थान- दन्त
- उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म उच्चारण स्थान- ओष्ठ
- ए, ऐ उच्चारण स्थान- कण्ठ एवं तालु
- ओं, औ उच्चारण स्थान- कण्ठ एवं ओष्ठ
- व उच्चारण स्थान- दन्त एवं ओष्ठ
- अ, म, ङ, ण, न उच्चारण स्थान- नासिका
- (-) अनुस्वार उच्चारण स्थान- नासिका
- जिह्वामूलीय (x क x ख) उच्चारण स्थान- जिह्वा का मूल।
ध्यातव्यम्-
- स्वर जुड़ने के बाद व्यञ्जनों से हलन्त हट जाता है। इसी प्रकार स्वर से अलग होने पर पुनः व्यञ्जन में हलन्त जुड़ जाता हैं।
- एक ही ध्वनि से अनेक शब्द शुरू हो सकते हैं।
- ‘ऋ’, ‘लू’ स्वर हैं।
- प्रत्येक ध्वनि के उच्चारण के लिए हमारे मुख के विशेष अंग प्रयास करते हैं।
- शुद्ध व्यञ्जनों के उच्चारण के लिए ध्वनि पर अधिक बल दिया जाता है।
- संयोग होने पर शुद्ध व्यञ्जनों को ऊपर (अर्थात् पहले) तथा सस्वर व्यंजन को नीचे (अर्थात् बाद में) स्थान दिया जाता है।
- ‘ध’ तथा ‘घ’ लू तथा ल, व तथा ब इत्यादि एक जैसे लगने वाले वर्षों को ध्यान से बोलें व लिखें।
- शब्द के अन्तिमाक्षर का उच्चारण ध्यान से करें।
- ह्रस्व ‘अ’ से युक्त वर्गों के उच्चारण का भी विशेष ध्यान रखें, क्योंकि ‘अ’ की कोई मात्रा वर्गों के साथ नहीं लगती।
अभ्यास-1
प्रश्न 1.
‘ई’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) तालु
(ब) कण्ठ
(स) मूर्धा
(द) ओष्ठ।
उत्तर:
(अ) तालु
प्रश्न 2.
‘ह’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) ओष्ठ
(ब) कण्ठ
(स) मूर्धा
(द) तालु।
उत्तर:
(ब) कण्ठ
प्रश्न 3.
‘अ’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) नासिका
(ब) मूर्धा
(स) कण्ठ
(द) ओष्ठ।
उत्तर:
(स) कण्ठ
प्रश्न 4.
‘य’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) ओष्ठ
(ब) कण्ठ
(स) नासिका
(द) तालु।
उत्तर:
(द) तालु।
प्रश्न 5.
‘ऋ’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) मूर्धा
(ब) ओष्ठ
(स) नासिका
(द) दन्त।
उत्तर:
(अ) मूर्धा
प्रश्न 6.
‘घ’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) दन्त
(ब) मूर्धा
(स) नासिका
(द) ओष्ठ।
उत्तर:
(ब) मूर्धा
प्रश्न 7.
‘द’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) ओष्ठ
(ब) मूर्धा
(स) दन्त
(द) नासिका।
उत्तर:
(स) दन्त
प्रश्न 8.
‘उ’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) मूर्धा
(ब) दन्त
(स) नासिका
(द) ओष्ठ।
उत्तर:
(द) ओष्ठ।
प्रश्न 9.
‘ऐ’ वर्णस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) तालु
(ब) ओष्ठ
(स) दन्त
(द) मूर्धा।
उत्तर:
(अ) तालु
प्रश्न 10.
वकारस्य उच्चारण स्थानं किमस्ति
(अ) तालु
(ब) दन्तोष्ठ
(स) मूर्धा
(द) नासिका।
उत्तर:
(ब) दन्तोष्ठ
अभ्यास-2
प्रश्न 1.
अधोलिखितेषु व्यञ्जनेषु स्वराणाम् संयोगम् कुरुत- (नीचे लिखे व्यञ्जनों में स्वरों को जोड़िए-)
1. क् + अ, 2. ख् + अ, 3. ग् + उ, 4. घ् + ई, 5. च् + इ, 6. छ् + ओ, 7. ज् + ऋ, 8. झ् + आ, 9. + ३, 10. + ऐ, 11. + ३, 12. ६ + ओ, 13. त् + अ, 14. थ् + ए, 15. ६ + ऑ, 16. ध् + ऊ, 17. न् + ऋ, 18. प्र + ई, 19, फ् + ओ, 20. ब् + आ।
उत्तर:
1. क 2. ख ३. गु 4. घी 5. चि 6. छो 7. जू 8. झा 9. टु 10. वै 11. ङि 12. ढो 13. ते 14. थे 15. दौ 16. धू 17 18. पी 19. फो 20. बा।
प्रश्न 2,
अधोलिखितेषु वर्णेषु स्वरं चित्वा लिखत(नीचे लिखे वर्गों में से स्वरों को अलग करके लिखिए-) 1. पी, 2. दि, 3. ज, 4. च, 5. गु, 6. रू, 7. यी, 8. दी, 9. म, 10. नि, 11. थी, 12. लु, 13. व, 14. धु, 15. ती, 16. तें, 17. के, 18. यौ, 19. रा, 20. टो।
उत्तर:
1. ई 2. ई 3. अ 4. ॐ 5. उ6. ऊ 7. ई 8. ई 9. अ 10. इ 11. ई 12. ऋ 13. अ 14. उ 15. ई 16. ऐ 17. ए 18. औं 19. आ 20. ओ।
प्रश्न 3.
अधोलिखितेषु संयुक्तवर्णेषु के द्वे वर्णे स्तः लिखत- (नीचे लिखे संयुक्त वर्ण किन दो व्यञ्जनों से मिलकर बने हैं, लिखिए)
1. द् = …. + …. + अ
2. ज्ञ = …. + …. + अ
3. ही = …. + …. + अ
4. द्ध = …. + …. + अ
5. च्च = …. + …. + अ
6. ध्य = …. + …. + अ
उत्तर:
1. द् + व् 2. ज् + ञ् 3. क् + ष् 4. द् + ध्5. ६- य् 6. ध् + य्।
प्रश्न 4.
अधोलिखितानां वर्णानां संयोजन कृत्वा पदानि रचयन्त- (नीचे लिखे वर्षों का संयोजन करके पद बनाइए-)
1. म् + आ + म्
2. ब् + आ + ल् + अः
3. ल् + अ + त् + आ
4. अ + सु + त् + इ।
5. क् + अ + म् + अ + ल् + अ + म्।
6. प् + इ + त् + आ
7. क् + इ + म्।
8. क् + अ + + ओ + त् + इ।
9. भ् + अ + व् + अ + त् + इ।
10. क् + अ + प् + आ + त् + अ + :
उत्तर:
1. माम्
2. बाल:
3. लता
4. अस्ति
5. कमलम्
6. पिता
7. किम्
8. करोति
9. भवति
10. कपोतः।
प्रश्न 5.
अधोलिखितशब्दानाम्वर्ण विश्लेषणम् कुरुत(नीचे लिखे शब्दों का वर्ण-विन्यास कीजिए-)
1. विद्यालय:,
2. पाठशाला,
3. चक्रम्,
4. रासभः,
5. गर्दभः,
उत्तर:
1. व् + इ + ६ + य् + आ + ल् + अ + य् + अ + : 2. प् + आ + इ + अ + श् + आ + ल् + आ, ३. च् + अ + क् + र् + अ + म्, 4. र् + आ + स् + अ + भ् + अ +:, 5. गू + अ + इ + द् + अ + भ् + अ + :
प्रश्न 6,
अधोलिखित प्रश्नानामुत्तराणि लिखत(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-).
(i) क वर्गस्य वर्णान् लिखते
(ii) प वर्गस्य वर्णान् लिखत
(iii) ट वर्गस्य वर्णान् लिखत
(iv) च वर्गस्य वर्णान् लिखत
(v) त वर्गस्य वर्णान् लिखत
(vi) अन्त:स्थ वर्णान् लिखत
(vii) ऊष्म वर्णान् लिखत
(viii) दीर्घ स्वरान् लिखत
(ix) पञ्च संयुक्त व्यञ्जनान् लिखत
(X) लघु स्वरान् लिखत
उत्तर:
(i) क्, ख्, ग, घ, ङ्,
(ii) पू, फु, बु, भू, म्,
(iii) , द्र, , ठ्, ड्, द्र, ण,
(iv) च्, छ्, ज्, झ, ञ,
(v) तु, थ्, द्र, ध्, न्,
(vi) व्, र, लु, वे,
(vii) श्, ष्, सु, ह्,
(viii) आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ,
(ix) छ्, त्रु, जु, श्रु, ६,
(x) अ, इ, उ, ऋ, लू।
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