Rajasthan Board RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 प्रारम्भिक लेखा-जर्नल एवं सहायक बहियाँ
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 पाठ्यपुस्तक के प्रश्न
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नांकित में से कौन-सा सही है ?
(क) सम्पत्तियाँ = पूँजी – दायित्व
(ख) सम्पत्तियाँ = दायित्व – पूँजी
(ग) सम्पत्तियाँ = दायित्व + पूँजी
(घ) दायित्व = सम्पत्ति + पूँजी
उत्तर-
(ग) सम्पत्तियाँ = दायित्व + पूँजी
प्रश्न 2.
भारत की सम्पत्ति Rs 15,000 तथा दायित्व Rs 6,000 है। उसकी पूँजी होगी
(क)Rs 21,000
(ख)Rs 15,000
(ग)Rs 9,000
(घ)Rs 6,000.
उत्तर-
(ग)Rs 9,000
प्रश्न 3.
प्रारम्भिक पूँजी Rs 60,000, अन्तिम पूँजी Rs 30,000, वर्ष के दौरान हानिर Rs 16,000, आहरण Rs 14,000, अतिरिक्त लगाई गई पूँजी होगी-
(क) शून्य
(ख)Rs 16,000
(ग)Rs 32,000
(घ)Rs 46,000.
उत्तर-
(क) शून्य
प्रश्न 4.
माल के नकद लेन-देन पर प्रयोग किया जाने वाला प्रलेख निम्नलिखित में से कौन-सा है ?
(क) बीजक
(ख) नाम पत्र
(ग) रोकड़ मीमो.
(घ) जमा पत्र।
उत्तर-
(ग) रोकड़ मीमो.
प्रश्न 5.
निम्नांकित में से कौन-सा जर्नल का मुख्य उद्देश्य है ?
(क) आर्थिक स्थिति की जानकारी
(ख) लाभ-हानि की जानकारी
(ग) सभी व्यवहारों का लेखा
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) सभी व्यवहारों का लेखा
प्रश्न 6.
निम्नांकित में से कौन-सा उधार व्यवहार है ?
(क) माल बेचा
(ख) नकद माल बेचा
(ग) राम को नकद माल बेचा।
(घ) राम को माल बेचा।
उत्तर-
(घ) राम को माल बेचा।
प्रश्न 7.
आहरण खाता है
(क) व्यक्तिगत
(ख) वस्तुगत
(ग) अवास्तविक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) व्यक्तिगत
प्रश्न 8.
मधुसूदन को नकद माल बेचा Rs 5,000
(क) मधुसूदन का खाता नाम करेंगे
(ख) मधुसूदन का खाता जमा करेंगे
(ग) रोकड़ खाता नाम करेंगे।
(घ) रोकड़ खाता जमा करेंगे।
उत्तर-
(ग) रोकड़ खाता नाम करेंगे।
प्रश्न 9.
माल दान में देने की प्रविष्टि किस पुस्तक में लिखी जायेगी ?
(क) क्रय बही
(ख) मुख्य जर्नल
(ग) विक्रय बही
(घ) रोकड़ बही।
उत्तर-
(ख) मुख्य जर्नल
प्रश्न 10.
नाम पत्र कौन तैयार करता है ?
(क) क्रेता
(ख) विक्रेता
(ग) दलाल
(घ) मैनेजर
उत्तर-
(क) क्रेता
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखांकन समीकरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
दोहरा लेखा सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक लेन-देन का लेखा दो खातों में होता है। एक खाता डेबिट होता है तो दूसरा क्रेडिट होता है। इसी तथ्य को जब समीकरण के रूप में व्यक्त किया जाता है तो यह लेखांकन समीकरण कहलाता है।
प्रश्न 2.
वर्ष के दौरान कमाये गए लाभ की गणना का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
साथ की गणना का सूत्र-
लाभ = अन्तिम पूँजी Profit = Closing Capital + आहरण – अतिरिक्त पूँजी Drawings – Additional Capital – प्रारम्भिक पूँजी Opening Capital
प्रश्न 3.
किसी व्यापार की सम्पत्तियाँ Rs 5,00,000 तथा दायित्व Rs 3,50,000 हैं। व्यापार की पूँजी ज्ञात कीजिए।
उत्तर-
सूत्र –
पूँजी = सम्पत्तियाँ – दायित्व
= 5,00,000 – 3,50,000
पूँजी = Rs 1,50,000
प्रश्न 4.
स्रोत प्रमाणक का अर्थ समझाइए।
उत्तर-
लेन-देन को प्रमाणित करने हेतु तैयार किया गया लिखित प्रलेख स्रोत प्रमाणक कहलाता है । जैसे—बीजक (Invoice), रसीद (Receipt) ।
प्रश्न 5.
नाम प्रमाणक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
नकद भुगतान को प्रमाणित करने हेतु तैयार किया गया प्रमाणक ही नाम प्रमाणक कहलाता है । जैसे—माल का क्रय, बैंक में जमा आदि को प्रमाणित करने वाले प्रमाणक।
प्रश्न 6.
जर्नल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
Journal” शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के ‘Jour” शब्द से हुई है जिसका अर्थ है ‘दिन’। इस प्रकार जर्नल से अभिप्राय दैनिक रूप से लेखी करने से है । जर्नल प्रारम्भिक लेखे की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है।
प्रश्न 7.
व्यक्तिगत खाता क्या है ?
उत्तर-
किसी व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी, निगम आदि के नाम के खाते तथा अदत्त एवं पूर्वदत्त मदों से सम्बन्धित खाते व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं, जैसे-ईश्वर सिंह का खाता, अदत्त वेतन खाता आदि ।
प्रश्न 8.
वास्तविक खातों के प्रकार बताइए।
उत्तर-
वास्तविक खाते दो प्रकार के होते हैं
- मूर्त वास्तविक खाते (Tangible Real Accounts)
- अमूर्त वास्तविक खाते (Intangible Real Accounts)
प्रश्न 9.
अग्नि से Rs 1,000 का माल जल गया, बीमा कम्पनी द्वारा Rs 800 का दावा स्वीकार किया गया। मिश्रित प्रविष्टि करो। (मा. शि. बोर्ड, 1982)
उत्तर-
Insurance Co.’s A/C Dr. 800 :
Loss by Fire A/c Dr. 200
To Purchase A/C 1,000
(Being goods worth Rs 1,000 destroyed by fire and insurance company admitted claim Rs 800)
प्रश्न 10.
आहरण किस प्रकार का ख़ाता है ? (मा. शि. बोर्ड, 1986)
उत्तर-
आहरण प्राकृतिक व्यक्तिगत खाता है ।
प्रश्न 11.
विक्रेता की बहियों में व्यापारिक बड़े की क्या प्रविष्टि की जाती है ? (मा. शि. बोर्ड, 1987)
उत्तर-
विक्रेता की बहियों में व्यापारिक बट्टे की कोई प्रविष्टि नहीं की जाती है।
प्रश्न 12.
B/F (Drought Forward) क्या है ?
उत्तर-
जर्नल में जब एक पृष्ठ पर लेखे समाप्त नहीं होते हैं तो अगले पृष्ठ पर शेष को लाने के लिए विवरण वाले खाने में B/F लिखकर पिछले पृष्ठ के जोड़ को आगे लाया जाता है। अतः ‘Brought Forward’ का शाब्दिक अर्थ योग पीछे से लाया गया होता
प्रश्न 13.
माल खाते के विभिन्न नामों को बताइए।
उत्तर-
माल खाते के विभिन्न नाम निम्नलिखित हैं
- क्रय खाता (Purchase A/c)
- क्रय वापसी खाता (Purchase Return A/c)
- विक्रय खाता (Sales A/C)
- विक्रय वापसी खाता (Sales Return A/C)
- रतिया खाता (Stock A/c)
प्रश्न 14.
डूबत ऋण क्या है ?
उत्तर-
देनदार के दिवालिया होने, मर जाने या अन्य कारण से देनदार से राशि नहीं मिलती है तो प्राप्त न होने वाली यह राशि डूबत ऋण कहलाती है।
प्रश्न 15.
प्रविष्टि सही कीजिए।
Samir’s A/C Dr. 5,000
Dr. To Cash A/C 5,000
(Being salary paid Samir)
उत्तर-
सही प्रविष्टि निम्न प्रकार होगी
Salary A/c Dr. 5,000
To Cash A/C 5,000
(Being salary paid to Sameer)
प्रश्न 16.
नाम पत्र क्या है ?
उत्तर-
जब किसी पक्षकार को भूल सुधार या अन्य किसी कारण से अपने खातों में नाम (Debit) करने की सूचना देने के लिए पत्र लिखा जाता है तो उसे नाम पत्र (Debit Note) कहते हैं।
प्रश्न 17.
क्रय वापसी बही का प्रारूप बनाइए।
उत्तर-
क्रय वापसी बही का प्रारूप
(Format of Purchase Return Book)
प्रश्न 18.
मुख्य जर्नल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
ऐसे व्यवहार जिनका लेखा अन्य सहायक बहियों में नहीं किया जा सकता, उनका लेखा जिस पुस्तक में किया जाता है। उसे मुख्य जर्नल (Journal Proper) कहते हैं।
प्रश्न 19.
माल दान में दिया, प्रविष्टि कीजिए।
उत्तर-
Charity A/c
To Purchases A/C
(Being goods given away as charity)
प्रश्न 20.
प्रारम्भिक प्रविष्टि से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
गत वर्ष के चिट्टे से लिए गए सम्पत्तियों एवं दायित्वों के शेष को नये लेखांकन वर्ष के प्रारम्भ में लिखने के लिए जो प्रविष्टि की जाती है उसे प्रारम्भिक प्रविष्टि कहते हैं।
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखांकन समीकरण पर आधारित खातों के वर्गीकरण को समझाइये।
उत्तर-
लेखांकन समीकरण पर आधारित खातों का वर्गीकरण (Classification of Accounts Based on Accounting Equation)
लेखांकन समीकरण पर आधारित खातों को निम्नलिखित शीर्षकों में बाँट सकते हैं
(i) सम्पत्ति खाते (Assets Accounts) – ऐसे खाते जिनका सम्बन्ध मूर्त एवं अमूर्त सम्पत्तियों से होता है उन्हें सम्पत्ति खाता कहते हैं। जैसे—मशीनरी, देनदार, ख्याति आदि।
(ii) दायित्व खाते (Liabilities Accounts) – व्यवसाय के स्वामी के. अतिरिक्त सम्पत्तियों हेतु वित्त एवं साख सुविधा उपलब्ध करवाने वाले बाह्य व्यक्तियों एवं संस्थानों के खातों को दायित्व खातों के अन्तर्गत रखा जाता है। जैसे—लेनदार, बैंक अधिविकर्ष आदि।
(iii) पूँजी खाता (Capital Account) – व्यवसाय के स्वामी से सम्बन्धित खाते इसके अन्तर्गत रखे जाते हैं; जैसे—पूँजी खाता तथा आहरण खाता ।
(iv) आय एवं लाभ खाते (Income and Profit Accounts) – ऐसे खाते जो माल बेचने, सेवाएँ देने या व्यावसायिक संसाधनों का उपयोग करने देने से प्राप्त राशि से सम्बन्धित होते हैं उन्हें आय एवं लाभ खाते कहते हैं। जैसे—विक्रय खाता, प्राप्त बट्टा खाता आदि।
(v) व्यय एवं हानि खाते (Expenses and Losses Accounts) – ऐसे खाते जो आय कमाने हेतु किए गए व्यय एवं आय कमाने की प्रक्रिया में हुई हानि से सम्बन्धित होते हैं उन्हें व्यय एवं हानि खाते कहते हैं। जैसे—क्रय खाता, डूबत ऋण खाता आदि ।
प्रश्न 2.
सम्पत्ति खाते सम्बन्धी नियम को लिखिए।
उत्तर-
सम्पत्ति खाते से सम्बन्धित नियम–सम्पत्ति के मूल्य में वृद्धि को नाम पक्ष में लिखें तथा कमी को जमा पक्ष में लिखें ।
(Debit the increase in assets and credit the decrease in assets)
प्रश्न 3.
रामेश्वर ने Rs 3,00,000 से व्यापार प्रारम्भ किया। बैंक से Rs 1,00,000 का ऋण लिया। वर्ष के अन्त में उसकी सम्पत्तियाँ Rs 6,00,000 तथा लेनदार Rs 20,000 (बैंक ऋण के अतिरिक्त) थे। वर्ष के अन्त में रामेश्वर की पूँजी तथा वर्ष के दौरान कमाए गए लाभ की गणना कीजिए।
उत्तर-
अन्तिम पूँजी = अन्तिम सम्पत्तियाँ – अन्तिम दायित्व
(Closing Capital = Closing Assets – Closing Liabilities)
अन्तिम पूँजी = 6,00,000 – (1,00,000 + 20,000)
= Rs 4,80,000
लाभ = अन्तिम पूँजी – प्रारम्भिक पूँजी
(Profit = Closing Capital – Opening Capital)
लाभ = Rs 4,80,000 – Rs 3,00,000
= Rs 1,80,000
प्रश्न 4.
“सम्पत्तियों का योग सदैव पूँजी एवं दायित्वों के योग के बराबर होता है। क्यों ?
उत्तर-
सम्पत्तियों का योग सदैव पूँजी एवं दायित्वों के योग के बराबर होता है क्योंकि व्यवसाय में जितनी भी सम्पत्तियाँ होती हैं वे या तो व्यवसाय के स्वामी द्वारा लायी गयी पूँजी से क्रय की जाती हैं या अन्य पक्षों से लिये गये धन से क्रय की जाती हैं। अर्थात् व्यवसायी द्वारा लायी गई पूँजी या अन्य पक्षों से लाये गये धन के अतिरिक्त सम्पत्ति व्यवसाय में आ ही नहीं सकती है। यही कारण है। कि चिट्टे के दोनों पक्षों का योग हमेशा समान होता है। इसे लेखांकन समीकरण या चिट्ठा समीकरण भी कहते हैं।
प्रश्न 5.
व्यक्तिगत तथा अव्यक्तिगत खातों में प्रविष्टि करने के नियम लिखिए।
उत्तर-
व्यक्तिगत खाते में प्रविष्टि का नियम
पाने वाले का खाता नाम करो (Debit the receiver)
देने वाले का खाता जमा करो (Credit the giver)
अव्यक्तिगत खाते दो प्रकार के होते हैं-
- वास्तविक खाते,
- अवास्तविक खाते
(1) वास्तविक खाते में प्रविष्टि के नियम-
आने वाली वस्तु या सम्पत्ति करो खाता नाम करो (Debit what comes in)
जाने वाली वस्तु या सम्पत्ति का खाता जमा करो (Credit what goes out)
(2) अवास्तविक खाते में प्रविष्टि के नियम
सभी व्यय एवं हानियों को नाम करो (Debit all expenses and losses)
सभी आय एवं लाभों को जमा करो (Credit all incomes and profits)
प्रश्न 6.
मिश्रित प्रविष्टियों से आपको क्या आशय है ? एक काल्पनिक उदाहरण से मिश्रित प्रविष्टि लिखिए।
उत्तर-
मिश्रित प्रविष्टियाँ (Compound Entries)-जब दो या दो से अधिक लेन-देन एक ही तिथि को हों तथा उनका सम्बन्ध एक ही खाते से हो तो ऐसे व्यवहारों को अलग-अलग लेखा न करके एक ही प्रविष्टि कर दी जाती है। इन्हीं को मिश्रित प्रविष्टि कहा जाता है।
उदाहरण-रमेश ने 1 दिसम्बर, 2016 को Rs 25,000 नकद Rs 10,000 का माल तथा Rs 5,000 का फर्नीचर लगाकर व्यापार आरम्भ किया। इसकी मिश्रित प्रविष्टि निम्नांकित होगी
2016
Dec. 1 . Cash A/c Dr. 25,000
Stock A/C Dr. 10,000
Furniture A/c Dr. 5,000
To Capital A/C 40,000
(Being business started with cash, goods and furniture)
प्रश्न 7.
व्यापारिक एवं नकद छूट में अन्तर को समझाइये।
उत्तर-
व्यापारिक छूट तथा नकद छूट में अन्तर (Difference between Trade Discount and Cash Discount)
आधार (Base) | व्यापारिक छूट (Trade Discount) | नकद छूट (Cash Discount) |
उद्देश्य | इस छूट का उद्देश्य बिक्री में वृद्धि करना होता है। | इसका उद्देश्य शीघ्र भुगतान प्राप्त करना होता है। |
पुस्तकों में लेखा। | इस प्रकार की छूट का पुस्तकों में कोई लेखा नहीं किया जाता है। | इसका लेखा पुस्तकों में किया जाता है। |
बीजक में दर्शाना | इसे बीजक में सूची मूल्य में से घटाकर दर्शाया जाता है। | इसे बीजक में नहीं दर्शाया जाता है। |
प्रश्न 8.
जर्नल के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जर्नल के लाभ (Advantages of Journal)-
जर्नल के लाभों का वर्णन निम्न बिन्दुओं में किया जा सकता है
- व्यवसाय में मतभेद होने पर रोजनामचा में लिखे गये लेन-देनों को प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- रोजनामचा में सभी लेखे तिथिवार एवं क्रमानुसार किये जाते हैं जिससे आवश्यकता होने पर भविष्य में उनको आसानी से हूँढ़ा जा सके।
- इसमें प्रत्येक प्रविष्टि के नीचे लेन-देन से सम्बन्धित संक्षिप्त विवरण (Narration) दिया जाता है।
- जर्नल से खाताबही आसानी से तैयार की जा सकती है।
- जर्नल में व्यवहार का लेखा करते समय एक खाते को नाम (Debit) तथा दूसरे खाते को जमा (Credit) किया जाता है। अतः इससे लेखांकन सिद्धान्त के व्यावहारिक पक्ष की जानकारी हो जाती है।
प्रश्न 9.
जर्नल के प्रारूप को स्पष्टीकरण लिखिए।
उत्तर-
जर्नल के प्रारूप को स्पष्टीकरण निम्नलिखित है
(i) दिनांक (Date) – रोजनामचे (Journal) में सबसे पहला कॉलम दिनांक का होता है। इसमें लेन-देन होने की दिनांक लिखी जाती है।
(ii) विवरण (Particulars) – दूसरा कॉलम विवरण का होता है। इसमें पहली पंक्ति में उस खाते का नाम लिखा जाता है जो नियमानुसार ऋणी (Debit) होता है तथा थोड़ा स्थान छोड़कर इसी पंक्ति में ऋणी (Dr.) लिखा जाता है। दूसरी पंक्ति में कुछ स्थान छोड़कर सबसे पहले ‘To’ लिखा जाता है, तत्पश्चात् उस खाते का नाम लिखा जाता है जिसे धनी (Credit) किया जाता है। इसी कॉलम की तीसरी पंक्ति में लेन-देन से सम्बन्धित संक्षिप्त विवरण (Narration) कोष्ठक में लिखा जाता है । इसके बाद नीचे एक लाइन खींच देते हैं जो यह प्रदर्शित करती है कि प्रविष्टि पूर्ण हो चुकी है।
(iii) खाता पृष्ठ संख्या (Ledger Folio Number) – इस कॉलम में खाताबही के उस पृष्ठ की संख्या लिखी जाती है जिसे पर वह खाता खुला हुआ है । यह खाना छोटा होता है तथा प्रविष्टि करते समय खालीं रहता है। जब रोजनामचे से खाताबही में सम्बन्धित खाता खतियाया (Posting) जाता है तब इस खाते में खाताबही की पृष्ठ संख्या लिख दी जाती है।
(iv) ऋणी धनराशि (Debit Amount) – ऋणी किये गये खाते की लाइन में तथा ऋणी धनराशि (Dr. Amount) वाले खाने में उस खाते से सम्बन्धित धनराशि लिखी जाती है।
(v) धनी धनराशि (Credit Amount)-धनी किये गये खाते की लाइन में तथा धनी धनराशि (Cr. Amount) वाले खाने में धनी किये गये खाते से सम्बन्धित धनराशि लिखी जाती है।
प्रश्न 10.
निम्नांकित खातों की प्रकृति बताइये।
(i) पूँजी खाती,
(ii) बैंक खाता,
(iii) किराया खाता,
(iv) क्रय खाता,
(v) एकस्व खाता,
(vi) भवन खाता,
(vii) ब्याज प्राप्ति खाता,
(viii) बकाया वेतन खाता,
(ix) रोकड़ खाता,
(x) जीवन बीमा निगम का खाता ।।
उत्तर-
प्रश्न 11.
बिक्री कर के सम्बन्ध में कौन-कौन-सी प्रविष्टियाँ की जाती हैं ?
उत्तर-
बिक्री कर के सम्बन्ध में निम्नांकित प्रविष्टियाँ की जाती हैं
(i) विक्रय पर (On Sale)
Cash A/c Dr.
To Sales A/C
To Sales Tax A/C
(Being goods sold for cash and collected sales tax)
(ii) बिक्री कर की राशि सरकारी खाते में जमा करने पर
(To Deposit Sales Tax Amount in Government Account)
Sales Tax A/C Dr.
To Cash A/C
(Being sales tax deposited to government Account)
प्रश्न 12.
सहायक बहियाँ कितने प्रकार की होती हैं ? नाम लिखिए।
उत्तर-
सहायक बहियाँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
- रोकड़ बही (Cash Book)
- क्रय बही (Purchase Book)
- क्रय वापसी बही (Purchase Return Book)।
- विक्रय बही (Sales Book)
- विक्रय वापसी बही (Sales. Return Book)
- प्राप्य बिल बही (Bills Receivable Book)
- देय बिल बही (Bills Payable Book)
- मुख्य जर्नल/रोजनामचा विशेष (Journal Proper)
प्रश्न 13.
क्रय बहीं तथा क्रय खाते में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
क्रय बही एवं क्रय खाते में अंन्तर (Difference between Purchase Book and Purchase Account)
- क्रय बही प्रारम्भिक लेखे की एक पुस्तक है, जबकि क्रय ख़ाता, खाताबही में खोले जाने वाला एक खाता है ।।
- क्रय बही में केवल उधार क्रय का लेखा किया जाता है, जबकि क्रय खाते में माल के उधार तथा नकद दोनों प्रकार के क्रय का लेखा किया जाता है।
- क्रय बही एकपक्षीय बही है, जबकि क्रय खाते में डेबिट तथा क्रेडिट दो पक्ष होते हैं।
- क्रय बही का केवल योग किया जाता है, जबकि क्रय खाते का शेष निकाला जाता है।
प्रश्न 14.
खरीदे गये माल को लौटाने के कारणों को लिखिए।
उत्तर-
खरीदे गये माल को लौटाने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं
- माल का दोषपूर्ण या घटिया किस्म का होना ।।
- माल दिखाये गये नमूने के अनुसार न होना ।।
- माल नियत अवधि में न भेजा गया हो अर्थात् देरी से भेजा गया हो।
- माल आदेशानुसार न भेजा गया हो।
- माल रास्ते में खराब हो गया हो।
प्रश्न 15.
जमा पत्र से आपको क्या तात्पर्य है ? जमा पत्र का नमूना दीजिए।
उत्तर-
जमा पत्र (Credit Note)
जब किसी पक्षकार को भूल सुधार या अन्य किसी कारण से अपने खातों में किसी राशि के जमा करने की सूचना देने के लिए पत्र लिखा जाता है तो उसे जमा पत्र कहते हैं। इसका नमूना निम्न प्रकार है-
जमा पत्र (Credit Note)
प्रश्न 16.
विक्रय वापसी बही का प्रारूप दीजिए।
उत्तर-
विक्रय वापसी बही का प्रारूप (Format of Sales Return Book)
प्रश्न 17.
क्रय बही तथा विक्रय बही के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
क्रय बही तथा विक्रय बही में अन्तर (Difference between Purchase Book and Sales Book)
क्रय बही (Purchase Book) | विक्रय बही (Sales Book) |
(i) इसमें उधार क्रय किये गये माल का लेखा किया जाता है। | इसमें उधार विक्रय किये गये माल का लेखा किया जाता है। |
(ii) इसमें विक्रेता द्वारा माल के साथ भेजे गये बीजक (Invoice) की सहायता से लेखा किया जाता है। | इसमें क्रेता को भेजे गये बीजक (Invoice) की कार्यालय प्रति से लेखा किया जाता है। |
(iii) निर्धारित अवधि के अन्त में Purchase A/c Dr. लिखकर इस बही को बन्द किया जाता है। | निर्धारित अवधि के अन्त में Sales A/c Cr. लिखकर इस बही को बन्द किया जाता है। |
प्रश्न 18.
मुख्य जर्नल में किन व्यवहारों का लेखा किया जाता है ?
उत्तर-
ऐसे व्यवहार जिनको लेखा अन्य सहायक बहियों में नहीं किया जा सकता है उनका लेखा मुख्य जर्नल में किया जाता है। मुख्य जर्नल में निम्नांकित प्रविष्टियाँ की जाती हैं
- प्रारम्भिक प्रविष्टि (Opening entry)
- अशुद्धि सुधार प्रविष्टियाँ (Rectification entries)
- हस्तान्तरण प्रविष्टियाँ (Transfer entries)
- समायोजन प्रविष्टियाँ (Adjustment entries)
- अन्तिम प्रविष्टियाँ (Closing entries)
- विविध प्रविष्टियाँ (Miscellaneous entries)
प्रश्न 19.
डूबत ऋण तथा डूबत ऋण प्राप्ति से सम्बन्धित प्रविष्टियों को एक काल्पनिक उदाहरण की सहायता से समझाइये।
उत्तर-
उदाहरण (i)-दीनानाथ जो व्यवसाय का Rs 10,000 का ऋणी था दिवालिया हो गया तथा उससे कोई भी राशि प्राप्त नहीं हुई लेखा कीजिए।
हले : Bad Debts Ac Dr. 10,000 To
Deenanth’s A/c 1,000
(Being amount due written off as bad debts)
उदाहरण 2. दीनानाथ जो दिवालिया हो गया था उससे डूबत ऋण की राशि में से Rs 5,000 प्राप्त हुए, लेखा कीजिए।
हुल: Cash A/c Dr. 5,000
To Bad Debts Recovered A/C 5,000
(Being debts recovered)
प्रश्न 20.
सहायक बहियों के कोई चार लाभ समझाइए।
उत्तर-
सहायक बहियों के लाभ (Advantages of Subsidiary Books)
(i) योग्यतानुसार कार्य विभाजन (Division of Work According to Ability) – अनेक सहायक बहियाँ होने से विभिन्न कर्मचारियों में उनकी योग्यतानुसार कार्य का बँटवारा किया जा सकता है तथा कार्य शीघ्रतापूर्वक किया जा सकता है।
(ii) उत्तरदायित्व का निर्धारण (Fixation of Responsibility) – प्रत्येक कर्मचारी का एक विशेष सहायक बही से सम्बन्ध होने के कारण उसमें त्रुटि होने पर उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
(iii) जाँच में सुविधा (Facility in Checking) – यदि किसी अशुद्धि के कारण तलपट का योग नहीं मिलता है तो सम्बन्धित सहायक बही की सहायता से अशुद्धि की जाँच आसानी से की जा सकती है।
(iv) खतौनी में सुविधा (Easiness in Posting) – एक सहायक बही एक ही प्रकार के लेन-देनों से सम्बन्धित होती है इसलिए उसकी खतौनी बार-बार न करके एक ही बार में कर दी जाती है।
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखांकन समीकरण से आपको क्या तात्पर्य है ? लेखांकन समीकरण पर आधारित विभिन्न खातों में नाम तथा जमा करने के नियम उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation)
लेखांकन समीकरण दोहरा लेखा सिद्धान्त पर आधारित है। इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक लेन-देन का लेखा दो खातों में होता है। एक खाता डेबिट होता है तो दूसरा क्रेडिट होता है। यही कारण है कि आर्थिक चिट्टे (Balance Sheet) के दोनों पक्षों का योग सदैव बराबर रहता है। इसी तथ्य को जब समीकरण के रूप में व्यक्त किया जाता है तो यह लेखांकन समीकरण कहलाता है, इसे चिट्ठा समीकरण भी कहते हैं। इस समीकरण के अनुसार, सम्पत्तियों की राशि हमेशा दायित्वों तथा पूँजी के योग के बराबर होती है। प्रत्येक लेन-देन से व्यवसाय की सम्पत्तियों, दायित्व तथा पूँजी में परिवर्तन होता है। अर्थात् यदि सम्पत्तियों में वृद्धि होती है तो दायित्वों या पूँजी में भी वृद्धि होगी और यदि सम्पत्तियों में कमी होती है तो दायित्वों या पूँजी में भी कमी होती है। लेखांकन समीकरण के विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं
सम्पत्तियाँ (Assets) = दायित्व (Liabilities) + पूँजी (Capital)
अथवा
दायित्व (Liabilities) = सम्पत्तियाँ (Assets) – पूँजी (Capital)
अथवा
पूँजी (Capital) = सम्पत्तियाँ (Assets) – दायित्व (Liabilities)
लेखांकन समीकरण के आधार पर नाम तथा जमा करने के नियम (Rules of Debit and Credit Based on Accounting Equation)
लेखांकन समीकरण के आधार पर खातों को पाँच भागों में बाँटा जाता है। इनमें नाम तथा जमा करने के नियम निम्नलिखित हैं
(i) सम्पत्ति खाते (Assets Accounts) का नियम
सम्पत्ति के मूल्य में वृद्धि को नाम करो तथा कमी को जमा करो,
(Debit the increase in assets and credit the decrease in assets)
उदाहरण- मशीन क्रय की Rs 10,000
Machine A/c Dr. 10,000
To Cash A/C 10,000
(Being machinery purchased)
(ii) दायित्व खाते (Liabilities Accounts) का नियम
दायित्वों में वृद्धि को जमा करो तथा कमी को नाम करो
(Credit the increase in liabilities and debit the decrease in liabilities)
उदाहरण- अदत्त किराया Rs 2,000
Rent A/c Dr. 2,000
To Outstanding Rent A/c 2,000
(Being rent outstanding)
(iii) पूँजी खाता (Capital Account)
का नियम पूँजी में वृद्धि को जमा करो तथा कमी को नाम करो
(Credit the increase in capital and debit the decrease in capital)
उदाहरण- व्यापार आरम्भ किया Rs 50,000
Cash A/C Dr. 50,000
To Capital A/c 50,000
(Being business started)
(iv) आय एवं लाभ खाते (Income and Profit Accounts) का नियम
आय एवं लाभ में वृद्धि को जमा करो तथा आय एवं लाभ में कमी को नाम करो
(Credit the increase in income and profit and debit the decrease in income and profit)
उदाहरण- किराया प्राप्त हुआ Rs 500
Cash A/C Dr. 500
To Rent A/C
(Being rent received)
(v) व्यय एवं हानि खाते (Expenses and Losses Accounts) का नियम
व्यय एवं हानि में वृद्धि को नाम करो तथा व्यय एवं हानि में कमी को जमा करो
(Debit the increase in expenses and losses and credit the decrease in expenses and losses)
उदाहरण- मजदूरी दी Rs 300
Wages A/C Dr. 300
To Cash A/c
(Being wages paid)
प्रश्न 2.
खातों के वर्गीकरण को विस्तारपूर्वक समझाइये। विभिन्न खातों से सम्बन्धित प्रविष्टि करने के नियम उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर-
उपरोक्त का विस्तार से वर्णन निम्न प्रकार है
(i) व्यक्तिगत खाते (Personal Accounts)
किसी व्यक्ति, संस्था, फर्म, कम्पनी, निगम आदि के नाम के खाते तथा अदत्त एवं पूर्वदत्त मदों से सम्बन्धित खाते व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। जैसे ईश्वर सिंह का खाता, हिन्दुस्तान यूनीलीवर लि. का खाता, अदत्त वेतन खाता, पूर्वदत्त ब्याज खाती, अनार्जित बीमा खाता, अग्निम प्राप्त कमीशन खाता आदि । पूँजी तथा आहरण खातों को भी व्यक्तिगत खाते माना जाता है क्योंकि इनमें स्वामी तथा व्यवसाय के मध्य हुए लेन-देनों को लिखा जाता है।
नियम–पाने वाले व्यक्ति या संस्था का खाता ऋणी (Debit the receiver)
देने वाले व्यक्ति या संस्था का खाता धनी (Credit the giver) व्यक्तिगत खातों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है
(a) प्राकृतिक व्यक्तिगत खाते (Natural Personal Accounts)-ऐसे खाते जिनका सम्बन्ध प्राकृतिक व्यक्तियों से होता है। वे प्राकृतिक व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं, जैसे ईश्वर सिंह का खाता, पूंजी खाता आदि।
(b) कृत्रिम व्यक्तिगत खाते (Artificial Personal Accounts)-विभिन्न कानूनों के अनुसार माने गये कृत्रिम व्यक्तियों से सम्बन्धित खाते, कृत्रिम व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। जैसे-कोटा विश्वविद्यालय का खाता, हिन्दुस्तान यूनीलीवर का खाता आदि ।
(c) प्रतिनिधित्व व्यक्तिगत खाते (Representative Personal Accounts)-ऐसे-खाते जो किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं वे प्रतिनिधित्व व्यक्तिगत खाते कहलाते हैं। जैसे—पूर्वदत्त बीमा खाता, अनुपार्जित ब्याज खाता आदि ।
(ii) अव्यक्तिगत खाते (Impersonal Accounts)
व्यवसाय से सम्बन्धित ऐसे खाते जो व्यक्तिगत खातों के अन्तर्गत नहीं आते हैं उन्हें अव्यक्तिगत खाते कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं वास्तविक खाते तथा अवास्तविक खाते ।।
(a) वास्तविक खाते (Real Accounts)—वस्तुओं तथा सम्पत्तियों से सम्बन्धित खाते वास्तविक खाते कहलाते हैं। इन्हें वस्तुगत खाते तथा सम्पत्ति खातों के नाम से भी जाना जाता है। उदाहरण-रोकड़ खाता, भवन खाता, ख्याति खाता, ट्रेडमार्क खाता आदि ।
नियम-आने वाली वस्तु या सम्पत्ति का खाता ऋणी (Debit what comes into the business)
जाने वाली वस्तु या सम्पत्ति का खाता धनी (Credit what goes out from the business)
वास्तविक खातों को दो भागों में अग्र वर्गीकृत किया जा सकता हैं-
• मूर्त वास्तविक खाते (Tangible Real Accounts)-जिन वस्तु या सम्पत्तियों का भौतिक अस्तित्व होता है तथा जिन्हें छुआ एवं देखा जा सकता है उनसे सम्बन्धित खाते मूर्त वास्तविक खाते कहलाते हैं। जैसे-भवन खाता,मशीनरी खाता आदि।
• अमूर्त वास्तविक खाते (Intangible Real Accounts)-जिन वस्तु या सम्पत्तियों का भौतिक अस्तित्व नहीं होता और न ही उन्हें छुआ एवं देखा जा सकता है लेकिन उन्हें अनुभव किया जा सकता है तथा उनका क्रय-विक्रय किया जा सकता है उनसे सम्बन्धित खाते अमूर्त वास्तविक खाते कहलाते हैं। जैसे—ख्याति खाता, एकस्व खाता आदि ।
(b) अवास्तविक खाते (Nominal Accounts)-आय-व्यय तथा लाभ-हानि से सम्बन्धित खाते अवास्तविक या नाममात्र के खाते कहलाते हैं, जैसे किराया खाती, ब्याज खाता, वेतन खाता आदि ।।
नियम सभी हानियों तथा व्ययों को ऋणी करो (Debit all expenses and losses)
सभी लाभों तथा आयों को धनी करो (Credit all incomes and gains)
उपर्युक्त खातों से सम्बन्धित नियमों को निम्नलिखित लेन-देनों के उदाहरण से स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है
ध्यान देने योग्य बातें रोजनामचा में लेखा करने से पूर्व निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है
- सर्वप्रथम प्रत्येक लेन-देन में यह देखना चाहिए कि कौन-से दो पक्ष प्रभावित हो रहे हैं।
- फिर दोनों पक्षों में यह देखना चाहिए कि वे किस खाते के अन्तर्गत (व्यक्तिगत, वास्तविक या नाममात्र) आते हैं।
- तत्पश्चात् सम्बन्धित पक्ष का, उसके खाते के नियमानुसार नाम या जमा का निर्धारण करते हैं।
- किसी भी लेन-देन के दोनों पक्ष कभी भी नाम या जमा नहीं होंगे। हमेशा एक पक्ष नाम और दूसरा पक्ष जमा होगा।
प्रश्न 3.
लेखांकन के मूल प्रलेख किसे कहते हैं ? विभिन्न प्रकार के मूल प्रलेखों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मूल स्रोत प्रलेख (Source Document)
जो प्रलेख पुस्तकों में व्यवहारों के अभिलेखन का आधार बनते हैं उन्हें लेखांकन के मूल प्रलेख कहा जाता है। पुस्तकों में लिखे व्यवहारों की सत्यता को प्रमाणित करने के लिए इन प्रलेखों का उपयोग किया जाता है । प्रमुख स्रोत प्रलेख निम्नलिखित हैं
(i) बीजक तथा बिल (Invoice and Bill) – उधार माल क्रय करने पर विक्रेता, क्रेता को माल के विवरण का एक प्रलेख बनाकर देता है उसे विक्रय बीजक कहते हैं तथा व्यापारी द्वारा उधार माल खरीदने पर जो प्रलेख प्राप्त होता है उसे बिल (Bill) कहते हैं। अतः बीजक एवं बिल दोनों समान अर्थों में प्रयुक्त होते हैं अन्तर केवल स्थिति का है।
(ii) नकद पत्रक (Cash Memo) – नकद पत्रक में बेचे गये माल की मात्रा, दर, कुल मूल्य, सौदे की तारीख, क्रमांक तथा सौदे से सम्बन्धित शर्तों का उल्लेख होता है। यह विक्रेता द्वारा ग्राहक को नकद माल खरीदने पर दिया जाता है। यह क्रेता के लिए माल के क्रय को तथा विक्रेता के लिए विक्रय को प्रमाणित करता है।
(iii) रसीद (Receipt) – रसीद पर उसका नम्बर, तारीख, भुगतान करने वाले को नाम, धनराशि, भुगतान का प्रकार, भुगतान प्राप्त करने वाले के हस्ताक्षर तथा पदनाम का उल्लेख होता है। यह नकद धनराशि प्राप्त होने पर ग्राहक को प्रमाण के लिए दी जाती है।
(iv) जमा की पर्ची (Pay-in-Slip) – बैंक में रुपया या चेक जमा करने के लिए प्रयोग की जाने वाली पर्ची जमा की पर्ची कहलाती है। यह बैंक द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाती है । जमा की पर्ची के दो भाग होते हैं—पर्ण तथा प्रतिपर्ण । पर्ण बैंक में धन के साथ जमा हो जाता है तथा प्रतिपर्ण को रोकड़िया अपने हस्ताक्षर करके ग्राहक को लौटा देता है जिसे जमा के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाता है।
(v) चेक (Cheque) – चेक एक शर्तरहित, लिखित आज्ञापत्र होता है जो एक खाताधारक द्वारा अपने बैंक को लिखा जाता है। चैक बैंक द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं।
(vi) नाम पत्र (Debit Note) – जब किसी पक्षकार को माल लौटाने, विक्रेता द्वारा मूल्य अधिक लगाने, कम छूट देने या अन्य किसी भूल, सुधार की जानकारी देने के लिए जो चिट्ठी भेजी जाती है उसे नाम पत्र कहते हैं। क्रेता द्वारा विक्रेता को नाम पत्र भेजने के बाद अपनी पुस्तकों में विक्रेता के खाते को नाम कर लिया जाता है। नाम पत्र की मूल प्रति विक्रेता के पास भेज दी जाती है तथा उसकी प्रतिलिपि कार्यालय में रखी जाती है। नाम पत्र का प्रारूप निम्नांकित है
(vii) जमा पत्र (Credit Note) – जब क्रेता द्वारा उधार क्रय किये गये माल को विशिष्ट कारणों से वापस लौटा दिया जाता है। तो विक्रेता,क्रेता को माल प्राप्ति की सूचना जमा पत्र (Credit Note) भेजकर देता है तथा अपनी पुस्तकों में क्रेता के खाते को जमा कर देता है। जमा पत्र भी दो प्रतियों में तैयार किया जाता है । इसका प्रारूप निम्नांकित हैं
प्रश्न 4.
माल खाते का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है ? माल से सम्बन्धित विशिष्ट व्यवहारों की प्रविष्टियाँ दीजिए।
उत्तर-
माल खाता (Goods Account)-जिन वस्तुओं को एक निर्धारित लाभ पर विक्रय करने के उद्देश्य से क्रय किया जाता है उन्हें माल की श्रेणी में रखा जाता है । लेखा पुस्तकों में माल से सम्बन्धित लेखा करने के लिए माल खाते को निम्नलिखित पाँच भागों में बाँटा जाता है
- क्रय खाता (Purchase Ac)
- क्रय वापसी खाता (Purchase Return A/c)
- विक्रय खाता (Sales A/c)
- विक्रय वापसी खाता (Sales Return A/c) तथा
- रहतिया खाता (Stock A/c)
माल से सम्बन्धित विशिष्ट व्यवहारों की प्रविष्टियाँ (Journal Entries of Special Transactions Relating to Goods)
(i) स्वामी द्वारा निजी प्रयोग हेतु माल का आहरण (Goods Withdrawn by Proprietor for Personal Use)
Drawings A/C Dr.
To Purchase A/c
(Being goods withdrawn for personal use)
(ii) नमूने के रूप में माल का मुफ्त वितरण (Distribution of Goods as Free Sample)
Free Sample A/C Dr.
To Purchase A/C
(Being goods distributed as free sample)
(iii) दान में माल देना (Goods Given away as Charity)
Charity A/c Dr.
To Purchase A/C
(Being goods distributed as charity)
(iv) चोरी, आगे अथवा अन्य कारणों से माल की हानि (Loss of Goods by Theft, Fire or Other Reasons)
Loss by Theft/Fire/Earthquake/Flood A/c . Dr.
To Purchase A/C
(Being goods lost)
यदि हानि हुए माल का बीमा है तो निम्नांकित प्रविष्टि होगी
Insurance Co.’s A/c Dr.
To Loss by Theft/Fire/Earthquake/Flood A/C
(Being Insurance claimed)
यदि आंशिक दावा स्वीकार होता है तो निम्नांकित प्रविष्टि होगी
Cash A/c Dr. (Amount Received)
Profit & Loss A/C Dr. (Loss)
To Insurance Co.’s A/C (Total Amount)
(Being insurance received claim partly)
प्रश्न 5.
जर्नल की सीमाओं का उल्लेख करते हुए सहायक बहियों के लाभों का वर्णन कीजिए। यह भी बताइये कि सहायक बहियों में किन व्यवहारों का लेखा किया जाता है ?
उत्तर-
जर्नल की सीमाएँ (Limitations of Journal)
जर्नल की सीमाएँ निम्नलिखित हैं
- जर्नल से रोकड़ शेषे की जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है।
- सभी व्यवहारों का लेखा जर्नल में ही करने से यह अत्यधिक भारी एवं बड़ा हो जाता है।
- जर्नल में एक ही व्यक्ति द्वारा लेखा किये जाने के कारण गलती एवं गबन की सम्भावना बढ़ जाती है।
- प्रत्येक व्यवहार पर एक खाते के नाम को बार-बार लिखने तथा खतौनी में डेबिट-क्रेडिट करने से समय का अपव्यय होता है तथा लागत भी बढ़ जाती है।
सहायक बहियों के लाभ (Advantages of Subsidiary Books)-
- योग्यतानुसार कार्य विभाजन (Division of Work According to Ability) – अनेक सहायक बहियाँ होने से विभिन्न कर्मचारियों में उनकी योग्यतानुसार कार्य का बँटवारा किया जा सकता है तथा कार्य शीघ्रतापूर्वक किया जा सकता है।
- उत्तरदायित्व का निर्धारण (Fixation of Responsibility) – प्रत्येक कर्मचारी का एक विशेष सहायक बही से सम्बन्ध होने के कारण उसमें त्रुटि होने पर उसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
- जाँच में सुविधा (Facility in Checking) – यदि किसी अशुद्धि के कारण तलपट का योग नहीं मिलता है तो सम्बन्धित सहायक बही की सहायता से अशुद्धि की जाँच आसानी से की जा सकती है।
- खतौनी में सुविधा (Easiness in Posting) – एक सहायक बही एक ही प्रकार के लेन-देनों से सम्बन्धित होती है इसलिए उसकी खतौनी बार-बार न करके एक ही बार में कर दी जाती है।
- लोचशीलता (Flexibility) – सभी प्रकार की सहायक बहियाँ रखना आवश्यक नहीं होता है इनकी संख्या व्यवसाय की आवश्यकतानुसार कम या अधिक की जा सकती है।
- एक ही स्थान पर पूर्ण विवरण (Full Information at One Place) – सहायक बहियाँ रखने से प्रबन्धकों को एक प्रकार के सभी लेन-देनों की जानकारी एक ही बही से प्राप्त हो जाती है।
- कपट से बचाव (Protection from Fraud) – लेखा पुस्तकों में लेखा करने का कार्य अनेक व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिससे कपट की सम्भावना कम हो जाती है।
सहायक बहियों में सभी प्रकार के व्यवहारों का लेखा किया जाता है लेकिन एक प्रकार के व्यवहारों का लेखा एक विशिष्ट बही में ही किया जाता है। जैसे नकद लेन-देनों का लेखा रोकड़ बहीं में,उधार क्रय का लेखा क्रय बही में,उधार क्रय की वापसी का लेखा क्रय वापसी बही में,उधार विक्रय का लेखा विक्रय बही में,उधार विक्रय की वापसी का लेखा विक्रय वापसी बही में किया जाता है तथा जिस लेन-देन का लेखा किसी बही में नहीं किया जा सकता है उसका लेखा करने के लिए मुख्य जर्नल भी रखा जाता है।
RBSE Class 11 Accountancy Chapter 3 आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित व्यवहारों से लेखांकन समीकरण दर्शाइये।
(Show the Accounting Equation from the following transactions)
उत्तर:
Accounting Equation
प्रश्न 2.
निम्नांकित व्यवहारों के आधार पर लेखांकन समीकरण दर्शाइये तथा अन्तिम नये समीकरण शेष से चिट्ठा प्रस्तुत कीजिए।
(Show the Accounting Equation on the basis of following transactions and present a Balance Sheet on the basis of last new equation balance)
(i) रोकड़ Rs 40,000, माल Rs 1,00,000 तथा फर्नीचर Rs 60,000 से व्यापार प्रारम्भ किया ।
(Business started with cash Rs 40,000, Goods Rs 1,00,000 and furniture Rs 60,000)
(ii) रघुवीर से उधार माल खरीदा Rs 80,000
(Goods purchased from Raghuveer on credit Rs 80,000).
(iii) कार्यालय प्रयोग हेतु नकद फर्नीचर खरीदा Rs 20,000
(Furniture purchased for office use for cash Rs 20,000)
(iv) नकद माल बेचा Rs 80,000 (लागत Rs 60,000)
(Goods sold for cash Rs 80,000 (Costing Rs 60,000)
(v) Rs 10,000 की लागत का माल निजी प्रयोग हेतु निकाला।
(Goods withdraw for personal use costing Rs 10,000)
(vi) स्वामी ने निजी प्रयोग हेतु कम्प्यूटर खरीदा Rs 40,000
(Computer purchased for personal use of the proprietor Rs 40,000)
(vii) कृष्ण कुमार को उधार माल बेचा Rs 1,30,000 (लागत मूल्य Rs 1,00,000)
(Goods sold to Krishna Kumar on credit Rs 1,30,000) (Costing Rs 1,00,000)
(viii) अतिरिक्त पूँजी लगाई Rs 80,000
(Additional introduced capital Rs 80,000)
(x) रघुवीर को चुकाये Rs 60,000
(Paid to Raghuveer Rs 60,000)
(x) स्टेशनरी के चुकाये Rs 1,000 तथा कमीशन प्राप्त किया Rs 2,400
(Paid for stationery Rs 1,000 and commission received Rs 2,400.)
उत्तर:
Accounting Equation
प्रश्न 3.
प्रश्न में दिए गए व्यवहारों के आधार पर जर्नल प्रविष्टियाँ दीजिए।
(Pass Journal Entries on the basis of transactions given in question)
उत्तर:
प्रश्न 4.
प्रश्न में दिए गए व्यवहारों के आधार पर जर्नल प्रविष्टियाँ दीजिए।
(Pass Journal Entries on the basis of transactions given in question)
(i) रोकड़ Rs 40,000, माल Rs 1,00,000 तथा फर्नीचर Rs 60,000 से व्यापार प्रारम्भ किया ।
(Business started with cash Rs 40,000, Goods Rs 1,00,000 and furniture Rs 60,000)
(ii) रघुवीर से उधार माल खरीदा Rs 80,000
(Goods purchased from Raghuveer on credit Rs 80,000).
(iii) कार्यालय प्रयोग हेतु नकद फर्नीचर खरीदा Rs 20,000
(Furniture purchased for office use for cash Rs 20,000)
(iv) नकद माल बेचा Rs 80,000 (लागत Rs 60,000)
(Goods sold for cash Rs 80,000 (Costing Rs 60,000)
(v) Rs 10,000 की लागत का माल निजी प्रयोग हेतु निकाला।
(Goods withdraw for personal use costing Rs 10,000)
(vi) स्वामी ने निजी प्रयोग हेतु कम्प्यूटर खरीदा Rs 40,000
(Computer purchased for personal use of the proprietor Rs 40,000)
(vii) कृष्ण कुमार को उधार माल बेचा Rs 1,30,000 (लागत मूल्य Rs 1,00,000)
(Goods sold to Krishna Kumar on credit Rs 1,30,000) (Costing Rs 1,00,000)
(viii) अतिरिक्त पूँजी लगाई Rs 80,000
(Additional introduced capital Rs 80,000)
(x) रघुवीर को चुकाये Rs 60,000
(Paid to Raghuveer Rs 60,000)
(x) स्टेशनरी के चुकाये Rs 1,000 तथा कमीशन प्राप्त किया Rs 2,400
(Paid for stationery Rs 1,000 and commission received Rs 2,400.)
उत्तर:
In the Books of ……….
Journal Entries
प्रश्न 5.
कमल कुमार के रोजनामचे में निम्नांकित लेन-देनों की प्रविष्टियाँ कीजिए।
(Pass the Journal entries for the following transactions in the journal of Kamal Kumar) 2016
July 1 कमल कुमार ने रोकड़ Rs 1,50,000, फर्नीचर Rs 10,000 तथा माल Rs 60,000 लगाकर व्यापार प्रारम्भ किया
(Kamal Kumar started business with cash Rs 1,50,000, furniture Rs 10,000 and goods Rs 60.000)
July 5 विकास को 10% व्यापारिक छूट पर Rs 20,000 सूची मूल्य का माल बेचा
(Goods sold to Vikas of the list price of Rs 20,000 at trade discount of 10%)
July 7 विकास ने Rs 2,000 सूची मूल्य का माल वापिस किया।
(Vikas returned goods of list price of Rs 2,000)
July 9 , विकास से उसके हिसाब के पूर्ण भुगतान में Rs 16,000 प्राप्त हुए।
(Received from Vikas Rs 16,000 in full settlement of his account)
July 11 Rs 12,000 का फर्नीचर क्रय किया नरेन्द्र से 12% व्यापारिक छूट पर Rs 50,000 सूची मूल्य का माल खरीदा
(Furniture purchased for Rs 12,000 and goods purchased from Narendra of the list price of Rs 50,000)
नरेन्द्र को Rs 4,000 सूची मूल्य का माल वापस किया
(Goods returned to Narendra of the list price of Rs 4,000)
July 16 नरेन्द्र को 5% छूट पर नकद भुगतान करके हिसाब चुकता कर दिया
(Clear the account of Narendra by paying cash at a discount of 5%)
July 18 अमित को Rs 20,000 का तथा सुमित को Rs 32,000 का माल बेचा।
(Goods sold to Amit Rs 20,000 and Sumit Rs 32,000)
July 21 अमित से पूर्ण भुगतान में Rs 19,600 प्राप्त हुए तथा Rs 1,500 बीमा प्रीमियम के चुकाये
(Cash Received from Amit Rs 19,600 in full settlement of his account and insurance premium paid Rs 1,500)
July 23 Rs 2,400 व्यापार के स्वामी के जीवन बीमा प्रीमियम हेतु दिए
(Paid Rs 2,400 for insurance premium for business proprietor.)
July 25 10% व्यापारिक कटौती तथा 2% नकद कटौती पर Rs 16,000 सूची मूल्य का माल क्रय किया
(Goods purchased for Rs 16,000 for cash at a trade discount of 10% and cash discount of 2%)
July 28 सुमित से 5% नकद छूट पर सम्पूर्ण भुगतान प्राप्त किया
(Cash Received from Sumit at a discount of 5% in full settlement of his account)
July 30 विज्ञापन Rs 2000, वेतन Rs 8,000 तथा किराये के Rs 1,600 चुकाये ।
(Advertisement Paid Rs 2,000, salaries paid Rs 8,000 and rent paid Rs 1,600)
July 31 कमीशन के Rs 1,000 प्राप्त किए
(Commission Received Rs 1,000)
उत्तर:
Journal of Kamal Kumar
प्रश्न 6.
निम्नांकित व्यवहारों को प्रकाश के जर्नल में लिखिए।
(Journalise the following transactions in the books of Prakash)
(i) पंजाब नेशनल बैंक में चालू खाता खोला Rs 1,00,000
(Opened a current account in Punjab National Bank Rs 1,00,000)
(ii) एक ग्राहक को Rs 20,000 का नकद माल बेचा तथा 10% बिक्री कर वसूल किया ।
(Goods sold for cash Rs 20,000 to a customer and collected 10% sales tax on it)
(ii) चन्द्रदेव से Rs 12,900 का चैक प्राप्त हुआ तथा उसे Rs 300 की छूट दी गई तथा चैक उसी दिन बैंक में जमा करा दिया गया
(Cheque received Rs 12,900 from Chandradev and allowed discount Rs 300 and deposited into bank)
(iv) Rs 1,00,000 की मशीनरी खरीदी, चैक से भुगतान किया तथा उसकी स्थापना पर किए गए व्यय Rs 6,000 नकद चुकाये गये।
(Machinery purchased for Rs 1,00,000, payment made by cheque and installation charges of machinery Rs 6,000 paid in cash)
(v) व्यापार हेतु एक घोड़ा खरीदा Rs 20,000
(Horse purchased for business for Rs 20,000)
(vi) गोकुल को सूची मूल्य Rs 4,000 का माल बेचा तथा व्यापारिक बट्टा 10% एवं नकद बट्टा 5% दिया एवं उसने उसी दिन नकद भुगतान कर नकद बट्टा प्राप्त किया
(Goods sold to Gokul at a list price of Rs 4,000 and trade discount 10% and cash discount 5% he paid the amount on the same day and availed the cash discount)
(vii) Rs 10,000 का माल खरीदा तथा इस पर माल भाड़ा Rs 400
(Goods purchased for Rs 10,000 and paid Rs 400 for carriage on these goods)
(viii) स्वामी द्वारा अतिरिक्त रोकड़ व्यापार ने लगाई गई Rs 40,000
(Additional cash introduced by the proprietor Rs 40,000)
(ix) स्टेशनरी Rs 800 तथा डाक टिकट Rs 100 खरीदे
(Stationery Rs 800 and postal stamps Rs 100 purchased)
(x) बैंक के निकाले Rs 20,000
(Withdrawn from bank Rs 20,000)
(xi) मनु से Rs 40,000 का मालपूर्ति का आदेश मिला तथा आदेश के साथ Rs 10,000 अग्रिम भी प्राप्त हुए।
(Received an order of Rs 40,000 from Manu for supply of goods and received Rs 10,000 as an advance together with the order)
(xii) नकद Rs 10,000 तथा माल Rs 4,000 चोरी हो गये।
(Cash Rs 10,000 and goods worth Rs 4,000 were stolen)
(xiii) देवेन्द्र से Rs 40,000 का माल खरीदा तथा चैक से भुगतान किया
(Goods purchased from Devendra for Rs 40,000 and the payment was made by cheque)
(xiv) उपरोक्त माल ने से 1/4 हिस्सा 25% लाभ पर विक्रय किया।
(1/4th of the above goods sold at a profit of 25% on cash)
उत्तर:
In the Books of Prakash
Journal Entries
प्रश्न 7.
संक्षिप्त कथन के आधार पर जर्नल प्रविष्टियाँ दीजिए।
(Give Journal Entries corresponding to the narration given below)
In the Books of.. Journal Entries
उत्तर:
Journal Entries
प्रश्न 8.
निम्नांकित व्यवहारों से श्री सुरेश की क्रय बही तैयार कीजिए।
(Prepare the Purchase Book of Shri Suresh from the following transactions) 2017
Jn, 14 मैसर्स राम प्रसाद से उधार माल खरीदा
(Goods purchased from M/S Ram Prasad on credit)
200 मेज दर Rs 300 प्रत्येक (200 Tables @ Rs 300 each)
100 कुर्सियाँ दर Rs 500 प्रत्येक (100 Chairs @ Rs 500 each)
व्यापारिक बट्टा 5% बीजक सं.32 (Trade Discount @ 5% Invoice No. 32)
Jan. 21 शिवप्रकाश कम्प्यूटर्स से एक कम्प्यूटर उधार खरीदा Rs 35,000
(Computer purchased from Shiv Prakash computers on credit Rs 35,000)
Jan. 29 मुरलीधर एण्ड सन्स से नकद माल खरीदा
(Goods purchased from Muralidhar & Sons for cash)
300 मेज दर Rs 250 प्रत्येक (300 tables @ Rs 250 each)।
200 कुर्सियाँ दर Rs 400 प्रत्येक बीजक सं.74 (200 chairs @ Rs 400 each)
(Invoice No. 74)
उत्तर:
Purchase Book of Shri Suresh
नोट-21 जन, एक कम्प्यूटर खरीदने का लेखा रकम बही में न होकर मुख्य जर्नल में होगा क्योंकि यह एक सम्पत्ति का क्रय है।
प्रश्न 9.
निम्नांकित व्यवहारों से गुप्त बुक हाउस की क्रय वापसी बही तैयार कीजिए।
(Prepare the purchase returns Book of Gupta Book House from the following transactions) 2016
July 11 राजेश ब्रदर्स को माल लौटाया ।
(Goods returned to Rajesh Bros.)
10 पुस्तकें लेखाशास्त्र दर Rs 200 प्रति पुस्तक
(10 books of Accountancy @ Rs 200 each book)
6 पुस्तकें सांख्यिकी दर Rs 180 प्रति पुस्तक
(6 books of Statistics @ Rs 180 each book)
व्यापारिक बट्टा दर 10% क्रेडिट नोट सं.25
(Trade discount @ 10%) (credit Note No. 25)
July 24 चाण्डक बुक डिपो को माल लौटाया (Goods returned to Chandak Book Depot)
10 पुस्तकें व्यवसाय प्रशासन दर Rs 150 प्रति पुस्तक (डेबिट नोट सं. 11)
(10 books of Business Administration @ Rs 150 each book) (Debit Note No. 11)
उत्तर:
Purchase Return Book of Gupta Book House
प्रश्न 10.
निम्नांकित व्यवहारों से आनन्द एण्ड सन्स की विक्रय बही तैयार कीजिए।
(Prepare Sales Book of Anand & Sons from the following transactions)
2016
Sep. 8 शर्मा ब्रदर्स को उधार माल बेचा (Goods sold to Sharma Bros. on credit)
50 थैले गेहूँ दर Rs 4,000 प्रति थैला (50 bags of wheat @ Rs 4,000 per bag)
100 थैले चना दर Rs 5,000 प्रति थैला (100 bags of gram @ Rs 5,000 per bag)
व्यापारिक बट्टा दर 10% बीजक सं.55 (Trade discount @ 10%) (Invoice No. 55)
Sep. 19 फर्नीचर हाउस को पुराना फर्नीचर उधार बेचा Rs 2,000
(Old furniture sold to Furniture House on credit Rs 2,000)
Sep. 28 सुजीत एण्ड कं. को नकद माल बेचा (Goods sold to Sujeet & Co. for cash)
18 थैले गेहूँ दर Rs 4,300 प्रति थैला (18 bags of wheat @ Rs 4,300 per bag)
25 थैले चना दर Rs 5,200 प्रति थैला (25 bags of gram @ Rs 5,200 per bag)
उत्तर:
Sales Book of Anand & Sons
नोट –
(i) सितम्बर 19 को पुराना फर्नीचर बेचा है, अतः यह माल का विक्रय न होने के कारण विक्रय बही में नहीं लिखा जायेगा।
(ii) सितम्बर 28 नकद माल बेचा है, अतः इसका लेखा विक्रय बही में नहीं होगा।
प्रश्न 11.
निम्नांकित व्यवहारों से हरिलाल एण्ड कं, की पुस्तकों में विक्रय वापसी बही तैयार कीजिए।
(Prepare the Sales Return Book in the books of Harilal & Sons from the following transactions) 2016
Oct. 12 बृजेन्द्र एण्ड कं. द्वारा माल वापस किया गया (Goods returned by Brijendra & Co.)
4 टेबल फैन दरर 700 प्रत्येक (4 Table Fans @ Rs 700 each)
व्यापारिक बट्टा 15% (Trade discount 15%)
Oct. 20 बीजक में त्रुटि होने के कारण हीरालाल ब्रदर्स को Rs 300 की छूट दी।
(Allowance allowed to Heeralal Bros. on mistake in invoice Rs 300)
उत्तर:
Sales Return Book of Harilal & Sons
प्रश्न 12.
निम्नांकित व्यवहारों से मुख्य जर्नल तैयार कीजिए
(Prepare Journal Proper from the following transactions) 2016
Nov. 4 व्यापार के स्वामी ने निजी प्रयोग हेतु Rs 20,000 का माल लिया
(Goods withdrew worth RS 20,000 for personal use of proprietor)
Nov. 7 अनिल से Rs 45,000 प्राप्त हुए तथा गलती से सुनील के खाते में जमा किए गए।
(Received Rs 45,000 from Anil, wrongly credited to Sunil Account)
Nov. 10 संजू से Rs 30,000 का फर्नीचर उधार खरीदा
(Goods Purchased from Sanju Rs 30,000 on credit)
Nov. 17 Rs 6,000 का माल आग से नष्ट हो गया ।
(Goods worth Rs 6,000 destroyed by fire)
Nov. 19 . बीमा कम्पनी ने दावा स्वीकार किया ।
(Insurance Company accepted the Claim)
Nov. 27 अखिल दिवालिया घोषित हो गया तथा उससे Rs 75,000 प्राप्त नहीं हुए।
(Akhil has been declared insolvent and Rs 75,000 could not be realized from him)
नवम्बर 29 पूँजी पर ब्याज Rs 8,000 (Interest on Capital Rs 8,000.)
नवम्बर 30 राजीव को नकद माल बेचा Rs 5,000 (Goods sold to Rajeev for cash Rs 5,000)
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्नांकित व्यवहारों से आशुतोष ब्रदर्स को पुस्तकों में क्रय बही क्रय वापसी बही, विक्रय बही, विक्रय वापसी बही तथा मुख्य जर्नल तैयार कीजिए
(Prepares Purchase Book, Purchase Return Book, Sales Book, Sales Return Book and Journal Proper in the books of Ashutosh Bros, from the following transactions) :
Dec. 2 मैसर्स दयानन्द से माल उधार खरीदा Rs 21,000।
(Purchased goods from M/s Dayachand on credit Rs 21,000)
Dec. 5 अनीस ब्रदर्स को माल उधार बेचा Rs 33,000
(Goods sold to Anis Bros. on credit Rs 33,000)
Dec. 8 मैंसर्स दयाचन्द को माल लौटाया Rs 4,500
(goods returned to M/s Dayachand Rs 4,500)
Dec. 10 अनीस ब्रदर्स ने माल लौटाया Rs 3,600
(Good returned by Anis Bros. Rs 3,600)
दिसम्बर 14 अशुल को पुराना फर्नीचर उधार बेचा Rs 10,000
(Old furniture sold to Anshul on credit Rs 10,000)
दिसम्बर 18 करूणेश एण्ड कं, से माल उधार खरीदा Rs 45,000 तथा व्यापारिक बट्टा 10%
(Goods purchased from Karunesh & Co. on credit Rs 45,000 and trade discount 10%)
दिसम्बर 21 निजी प्रयोग हेतु माल लिया Rs 7,500
(Goods withdrawn for personal use Rs 7,500)
दिसम्बर 24 करूणेश एण्ड कं.को माल लौटाया Rs 6.000
(Goods returned to Karunesh & Co. Rs 6,000)
दिसम्बर 25 प्रेम प्रकाश एण्ड कं. को उधार माल बेचा Rs 45,000 तथा व्यापारिक बट्टा 5%
(Goods sold to Prem Prakash & Co. on credit Rs 45,000 and trade discount 5%).
दिसम्बर 27 प्रेम प्रकाश एण्ड कं. ने माल लौटाया Rs 9,000
(Goods returned by Prem Prakash & Co. Rs 9,000)
दिसम्बर 27 हंसराज को माल नकद बेचा Rs 10,000
(Goods sold to Hansraj for cash Rs 10,000)
उत्तर:
Purchase Book of Ashutosh Bros.
नोट-27 दिसम्बर से सम्बन्धित व्यवहार का लेखा रोकड़ बही में किया जायेगा क्योंकि यह नकद व्यवहार है।