Rajasthan Board RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Essays Chapter 5 On the Conduct of Life
RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Essays Chapter 5 Textual Activities
Choose the correct option :
Question 1.
Which of the following was not Hazlitt’s reason for giving advice to his son?
(a) Hazlitt felt that he was not going to live long.
(b) He wished to be remembered by his son.
(c) He wanted his son to publish his advice.
(d) He wished to caution his son against his own errors.
Answer:
(c) He wanted his son to publish his advice.
Question 2.
Where, according to Hazlitt, might one have maximum freedom?
(a) At the school
(b) In the father’s house
(c) In the world
(d) None of the above.
Answer:
(b) In the father’s house
Answer the following questions in 15-20 words each :
Question 1.
Whom does Hazlitt address as “MY DEAR LITTLE FELLOW”?
हेजलिट किसे ‘मेरे प्रिय छोटे साथी’ सम्बोधित करता है?
Answer:
Hazlitt addresses his school going son as “MY DEAR LITTLE FELLOW”.
हेजलिट अपने विद्यालय जाने वाले पुत्र को ‘मेरे प्रिय छोटे साथी’ के रूप में सम्बोधित करता है।
Question 2.
What did Hazlitt’s son think of the people at the school?
हेजलिट का पुत्र विद्यालय के लोगों के बारे में क्या सोचता था?
Answer:
Hazlitt’s son thought that the people at the school were a set of stupid, disagreeable people.
हेजलिट का पुत्र विद्यालय के लोगों को असहमत और मूर्ख लोगों का समूह मानता था।
Question 3.
How does Hazlitt like his son to behave with his school mates?
हेजलिट अपने पुत्र से अपने विद्यालय के साथियों के साथ कैसा व्यवहार करने को कहता है?
Answer:
Hazlitt likes his son to put up with them as well as he can.
हेजलिट अपने पुत्र से चाहता है कि वह उनके साथ जितना सम्भव हो सहन करने का प्रयास करे।
Question 4.
What, according to Hazlitt, is true wisdom?
हेजलिट के अनुसार सच्ची बुद्धिमानी क्या है?
Answer:
According to Hazlitt the true wisdom is that never despise anyone at all. True equality is the only true morality.
हेजलिट के अनुसार सच्ची बुद्धिमानी है, कभी भी किसी से घृणा मत करो। सच्ची समानता सच्ची बुद्धिमानी है।
Question 5.
How does Hazlitt wish his son to settle differences with his competitors?
हेजलिट अपने पुत्र से प्रतिस्पर्धियों से किस प्रकार से भिन्नता को व्यवस्थित करना चाहता था?
Answer:
Hazlitt wishes his son to settle differences with his competitors by considering himself one among others and never mistake his place in the society.
हेजलिट की इच्छा है कि उसका पुत्र अपने प्रतिस्पर्धियों से भिन्नता अपने आपको दूसरों में एक मानकर और समाज में अपना एक स्थान न मानकर चलने से व्यवस्थित कर सकता है।
Answer the following questions in 30-40 words each :
Question 1.
What advice does Hazlitt give about prejudice against others?
हेजलिट दूसरों के खिलाफ नापसन्दगी हेतु क्या सलाह देता है?
Answer:
Hazlitt advises about prejudice against others never to be duped. He should not try to find out the pleasure in others pains.
हेजलिट दूसरों के खिलाफ नापसन्दगी हेतु यह कहता है कि कभी भी झाँसे में मत आओ। वह दूसरों की तकलीफ में आनन्द खोजने का प्रयास नहीं करे।
Question 2.
Why does Hazlitt prefer to advise his son never to “despise anyone at all”?
हेजलिट पुत्र को यह सलाह देना क्यों चाहता है कि कभी भी किसी से घृणा मत करो?
Answer:
Hazlitt prefers to advise his son never to despise at all and one should not feel happy in others’ pains. And one cannot help in others’ pains so it is better to accept them.
हेजलिट अपने पुत्र को यह सलाह देना अच्छा समझता है कि किसी से भी घृणा नहीं की जानी चाहिए और किसी को भी दूसरों के दुःखों पर प्रसन्न नहीं होना चाहिए और कोई किसी को कष्टों में सहायता कर भी नहीं सकता इसलिए अच्छा है कि उन्हें स्वीकार कर ले।
Question 3.
What reason does Hazlitt give for sending his son to school?
हेजलिट अपने पुत्र को विद्यालय भेजने हेतु क्या तर्क देता है?
Answer:
Hazlitt says that his health is so indifferent and he may not live long. His son is entering into a new world when he is sending him to school.
हेजलिट कहता है कि उसका स्वास्थ्य खराब है और वह ज्यादा समय तक नहीं जीएँ। उसका पुत्र नवीन संसार में प्रवेश कर रहा है जब वह उसे स्कूल भेज रहा है।
Question 4.
What first lesson does Hazlitt wish his son to learn?
हेजलिट अपने पुत्र को प्रथम पाठ क्या सिखाना चाहता है?
Answer:
Hazlitt wishes his son never to prejudice against others. There are other people also in this world. ।
हैजलिट की इच्छा है कि उसका पुत्र यह सीखे कि कभी दूसरों के प्रति दुर्भावना नहीं रखे। इस संसार में दूसरे लोग भी हैं।
Answer the following questions in about 150 words each :
Question 1.
Summaries in your own words Hazlitt’s advice to his son.
हेजलिट की अपने पुत्र को दी गई सलाह का सार अपने स्वयं के शब्दों में लिखिए।
Answer:
Hazlitt advises his son never to blame others. He also tells him that he should try to put in with them. He also tells them never anticipate evil against others. He says never to conceive a prejudice against others, because one does not know about them. He tells that one should not hate others. We cannot help those fellows so why should one hate them. It is better to accept them.
His son complains him that other people do not pay much attention to him. He advises that according to the time he should settle himself. He should not give a chance to laugh at him. Every one is equal, he should develop the sense of equality. It is the true wisdom. He should try to reconcile with the people at school.
हेजलिट अपने पुत्र से कहता है कि वह कभी किसी दूसरे पर दोष नहीं लगावे। वह उससे कहता है। कि वह उनके साथ अपने आपको व्यवस्थित करे। वह कहता है कि कभी किसी के खिलाफ दुर्भावना मत रखिए। वह उसे कभी भी गलत पक्षपात नहीं करने के लिए कहता है। क्योंकि वह उनके बारे में नहीं जानता है। वह कहता है कि कोई किसी दूसरे से घृणा नहीं करे। हम उन साथियों के लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं तो हम क्यों उनसे घृणा करें, अच्छा हो हम उन्हें स्वीकार करें।
उसका पुत्र उससे शिकायत करता है कि दूसरे लोग उस पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं। वह उसे कहता है कि वह अपने आप को समय के अनुसार व्यवस्थित कर ले। वह दूसरों को उस पर हँसने का मौका नहीं दे। प्रत्येक व्यक्ति समान है, वह समानता की समझ विकसित करे । यह एक सच्ची बुद्धिमानी है। वह विद्यालय में लोगों के साथ समझौता करने का प्रयास करे।
Question 2.
If you were the author’s son, how would you respond to his letter?
यदि आप लेखक के पुत्र होते तो इस पत्र का आप कैसे जवाब देते?
Answer:
I would respond him as a son of the writer that I would learn a lot from your mistakes. I shall not repeat them all. I promise to settle myself at the school well. I shall put up with them all in spite of the differences. I shall always be good to others. I shall be amicable to every student at the school. I will not develop any kind of prejudice in me. If anyone is going to behave ill against me, I shall talk to him and will tell him not to do so. I shall try to find happiness in others’ happiness and in their pain I shall be their soothing friend. I shall equally respect my competitors and will be their good friend.
मैं लेखक का पुत्र होने के नाते उनसे कहता कि मैं आपकी गलतियों से बहुत कुछ सीखेंगा। मैं उन्हें नहीं दोहराऊँगा। मैं विद्यालय में अपने आपको सही तरीके से व्यवस्थित करने का वादा करता हूँ। मैं भिन्नताओं के बावजूद भी उन्हें सहन करूंगा। मैं हमेशा दूसरों के प्रति अच्छा रहूँगा। मैं विद्यालय में प्रत्येक छात्र के साथ मित्रतापूर्वक रहूँगा। मैं अपने आप में किसी प्रकार का पक्षपात विकसित नहीं होने दूंगा। यदि कोई मेरे साथ दुर्व्यवहार करेगा तो मैं उससे बात करूंगा और उसे ऐसा करने से रोकेंगा। मैं दूसरों की प्रसन्नता में प्रसन्नता खोजने का प्रयास करूंगा और दूसरों की तकलीफ में उनका सहानुभूति वाला दोस्त बनूंगा। मैं मेरे प्रतियोगियों से समान व्यवहार करूंगा और उनका अच्छा मित्र बनूंगा।
RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Essays Chapter 5 Additional Questions
Answer the following questions in 60 words each :
Question 1.
Why did the writer write the letter to his son?
लेखक ने अपने पुत्र को पत्र क्यों लिखा था?
Answer:
The writer wrote the letter to his son because he wanted to advise him. He wanted to tell him how should he behave in his future life. The writer advised him because he was not feeling well. Due to his illness he thought that he may not live long with him. His end was near. He wanted to teach his son about his behaviour. The writer wrote with this purpose to his son.
लेखक ने अपने पुत्र को पत्र लिखा क्योंकि वह उसे सलाह देना चाहता था। वह उसे यह बताना चाहता था कि वह भावी जीवन में कैसे व्यवहार करे। लेखक ने उसे सलाह दी क्योंकि वह अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। अपनी बीमारी के कारण वह उसके साथ ज्यादा समय तक नहीं रह पाए। उसका अन्त नजदीक था। वह अपने पुत्र को उसके व्यवहार के बारे में सिखाना चाहता था। लेखक ने इस उद्देश्य के साथ अपने पुत्र को लिखा था।
Question 2.
How did his son behave at school?
उसके पुत्र ने स्कूल में कैसा व्यवहार किया?
Answer:
His son wanted to draw the attention of others at school. The students at school did not notice him. He was angry over it. He took them all as his enemy. He set himself against them all. The other students were all unaware of this fact. The author knew it. His behaviour at school was not good.
उसका पुत्र विद्यालय में दूसरों से चाहता था कि वे उसकी ओर ध्यान आकर्षित करें। विद्यालय में छात्रों ने इस पर ध्यान नहीं दिया था। वह इस पर गुस्सा हो गया था। उसने उन सबको अपना दुश्मन समझ लिया। वह उन सबके खिलाफ हो गया था। दूसरे अन्य छात्र इस बात से अनभिज्ञ थे। लेखक इसे जानता था। उसका व्यवहार स्कूल में अच्छा नहीं था।
Question 3.
How can one disarm the hostility of others?
किसी की शत्रुता को कोई किस प्रकार से कम कर सकता है?
Answer:
There are some people who become angry with others without any reason. They try to harm others. The reason is not known to both sides. Due to this hostility the others feel hurt. If one wants to disarm the hostility of others, the best way is to avoid the faults committed by him. It is better not to take them seriously. In this way he could avoid their anger and hostility.
कुछ लोग हैं जो दूसरों के साथ बिना किसी कारण से गुस्सा हो जाते हैं। वे दूसरों को नुकसान पहुँचाने का प्रयास करते हैं। दोनों ओर से कारण का पता नहीं होता है। इस आक्रामकता के कारण दूसरों को चोट पहुँचती है। यदि कोई किसी की आक्रामकता को कम करना चाहता है तो उसके द्वारा की गई गलतियों की ओर वह ध्यान नहीं देवे। यह अच्छा हो कि वह उन्हें गम्भीरता से नहीं लेवे। इस प्रकार से वह दूसरों के गुस्से और आक्रामकता को नजरअन्दाज कर सकता है।
Question 4.
What are the reasons of not mixing up (adjusted) in the society?
समाज में घुल-मिल नहीं पाने के क्या कारण हो सकते हैं?
Answer:
There are some people who think themselves above the other persons of society. They consider this low to be mixed up with them. There are some other persons who set themselves against others without any reason. There are some persons who think of their importance in the society. These types of people cannot adjust themselves in the society. These are the reasons the people live thwarted in the society.
समाज में कुछ इस प्रकार के लोग हैं जो अपने आपको समाज से ऊपर मानते हैं। वे दूसरों के साथ मिलनेजुलने को हल्का समझते हैं। कुछ इस प्रकार के लोग भी होते हैं जो बिना किसी कारण के अपने आपको दूसरों के विरुद्ध कर लेते हैं। समाज में इस प्रकार के लोग होते हैं जो अपनी महत्ता को अधिक मानते हैं। इस प्रकार के लोग अपने आपको समाज में व्यवस्थित नहीं कर पाते हैं। इन कारणों के कारण लोग समाज में अलग-थलग रहते हैं।
Question 5.
What is the difference between a royal and a common student?
एक शाही और एक सामान्य छात्र के बीच क्या फर्क होता है?
Answer:
The writer tells us that a king’s son comes into this world with a silver spoon in his mouth. He has all the facilities with him. He can do whatever he likes to do. On the other hand a common man’s son is meek and lenient fellow. There are many problems with him. He has to face all those hardships at any cost. The difference can also be found in their behaviours.
लेखक कहता है कि राजा का पुत्र इस संसार में मुँह में चाँदी की चम्मच लेकर जन्म लेता है। उसके पास सारी सुविधाएँ होती हैं। वह जो चाहे वह कर सकता है। दूसरी ओर साधारण आदमी का पुत्र विनम्र और सौम्य होता है। उसके साथ कई समस्याएँ होती हैं। उसे हर कीमत पर समस्त समस्याओं का सामना करना होता है। उनके व्यवहार में भी भिन्नताएँ पाई जा सकती हैं।
Answer the following questions in 80 words each :
Question 1.
What are the chief reasons of writing letter?
पत्र लिखने के मुख्य कारण क्या हैं?
Answer:
The author wanted to make his son to adjust himself in school. He tells us that his son was very spoiled. He had lived in his own way. He was a leader among his childhood friends. The child has now become a boy. He has to settle himself in this world. He would face some unavoidable rubs and uncertain reception in this world. The writer wanted to teach him how he should live a good life. With this purpose in his mind he wrote this letter to his son who was a little fellow for him.
लेखक चाहता था कि उसका पुत्र स्कूल में अपने आपको व्यवस्थित कर ले। वह हमें कहता है कि उसका पुत्र एक खराब बच्चा रहा है। वह अपने तरीके से जीया है। वह अपने बचपन के दोस्तों में नेता रहा है। वह बच्चा अब एक बालक बन गया है। उसे अपने आपको संसार में व्यवस्थित करना है। वह कुछ न बचने वाली रगड़ और अनिश्चित स्वागत का संसार में सामना करेगा। लेखक उसे सिखाना चाहता है कि वह अच्छा जीवन कैसे जीए। अपने मन में इस उद्देश्य के साथ वह ऐसे पत्र लिखता है जो कि उसका छोटा साथी था।
Question 2.
What is the first lesson the boy has to learn at school?
स्कूल में लड़के को कौनसा पहला पाठ सीखना है?
Answer:
The boy has remained at his home up to now. He is alone at his home. He can do whatever he likes. Now the boy has gone to school. There are many other boys also. They have different ideology and way of life. There are different types of boys equals, bigger and younger. He has to adjust among them. He has to attend them as well as honoring his own whims and fancies. Sometimes there may be irritation but he has to learn to be calm and think of others problems. He needs to learn sacrifice, avoid others’ faults so that he can live peacefully at school.
लड़का अभी तक अपने घर पर रहा है। वह अपने घर पर अकेला रहा है। वह जैसे चाहे वैसे कर सकता है। अब यह लड़का स्कूल चला गया है। वहाँ दूसरे लड़के भी हैं। उनकी भिन्न विचारधारा और जीवन शैली है। वहाँ पर समान, बड़े और छोटे भिन्न प्रकार के लड़के हैं। उसे उन सबके मध्य व्यवस्थित होना है। उसे उनका ध्यान भी रखना है और अपनी स्वयं की कल्पनाओं और आदतों का भी ध्यान रखना है। कभीकभी उसे चिड़चिड़ाहट हो सकती है परन्तु उसे शांत रहना और दूसरों के बारे में सोचना होगा। उसे बलिदान करना, दूसरों की गलतियों पर ध्यान न देना सीखना होगा जिससे कि वह स्कूल में शांति से रह सके।
Question 3.
What do you understand by ‘true equality is true morality’?
आप ‘सच्ची समानता ही सच्ची नैतिकता है’ से क्या समझते हैं?
Answer:
Morality is a must for human life. It makes man polite and enables him to think in broader sense. Equality is also related with morality. There should not be any differences among the human being. When one thinks above others he feels thwarted and people laugh at him. So one has to use his wisdom in order to live in society. We have to win among the competitors and prove ourselves.
मानव जीवन के लिए नैतिकता आवश्यक है। यह व्यक्ति को विनम्र बनाती है और उसे विशाल स्तर पर सोचने के योग्य बनाती है। समानता नैतिकता के साथ जुड़ी है। मानव जीव में किसी प्रकार की भिन्नताएँ नहीं होनी चाहिए। जब कोई दूसरों से अपने आपको ऊपर मानता है तो वह अलग-थलग हो जाता है और लोग उस पर हँसते हैं। इसलिए समाज में रहने के लिए बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। हमें प्रतियोगियों के बीच रहकर अपने आपको जीतकर साबित करना है।