Rajasthan Board RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Poems Chapter 7 You Cannot Call This True Devotion
RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Poems Chapter 7 Textual Activities
Comprehension
(A) Tick the correct alternative :
Question 1.
“And I keep on giving them food.” Whom does “them” refer to here?
(a) Cats
(b) The greedy senses
(c) The sense-objects.
(d) The impurities of the heart
Answer:
(b) The greedy senses
Question 2.
Whose slave does Mira call herself?
(a) Cruel cur desire.
(b) Lord Krishna
(c) The world
(d) The greedy senses
Answer:
(b) Lord Krishna
Answer the following questions in 15-20 words each :
Question 1.
What, according to Mira, is not true devotion?
मीरा के अनुसार सच्ची भक्ति/श्रद्धा क्या नहीं है?
Answer:
According to Mira cleansing external body is not true devotion without removing impurities of the heart.
मीरा के अनुसार दिल की अशुद्धता को मिटाए बिना शरीर को बाहरी तौर पर साफ करना सच्ची भक्ति/ श्रद्धा नहीं है।
Question 2.
How does Mirra describe anger?
मीरा क्रोध को कैसे वर्णित करती है?
Answer:
Mira describes anger as the butcher which kills all the emotions of love and devotion in the heart and mind of the men.
मीरा क्रोध को कसाई बताती है जो कि मानव दिल और दिमाग में उठने वाली प्रेम तथा भक्ति की भावनाओं को मार देता है।
Question 3.
To whom does Mira compare the greedy senses?
मीरा लालची इन्द्रियों की तुलना किससे करती है?
Answer:
Mira compares greedy senses with a cat because they create emotions of greed and selfishness.
मीरा लालची इन्द्रियों की तुलना बिल्ली से करती है क्योंकि ये लालच और स्वार्थ की भावनाएँ पैदा करती हैं।
Question 4.
What, according to Mira, is the obstacle to true devotion?
मीरा के अनुसार सच्चे समर्पण में क्या बाधा है?
Answer:
According to Mira greed, cruel desires, spiritual impurities, anger and ignorance are the main obstacles to true devotion.
मीरा के अनुसार लालच, क्रूर इच्छाएँ, आत्मीय अशुद्धता, क्रोध तथा अज्ञानता सच्चे समर्पण में मुख्य बाधाएँ हैं।
Question 5.
For whom does Mira use the expression “the compassionate Lord”?
मीरा “दयालु ईश्वर’ अभिव्यक्ति किसके लिए प्रयोग करती है?
Answer:
Mira uses the expression “the compassionate Lord” for Lord Krishna.
मीरा दयालु ईश्वर” अभिव्यक्ति भगवान श्रीकृष्ण के लिए प्रयोग करती है।
Answer the following questions in 30-40 words each :
Question 1.
Which impurities of the heart does Mirra refer to in this poem?
इस कविता में मीरा दिल की कौनसी अपवित्रताओं के बारे में बताती है?
Answer:
In this poem Mira refers several impurities of the heart such as greed, selfishness, anger, cruel desires as well as external show. These are the main obstacles which develop distrust in the heart of men about the existence of God.
इस कविता में मीरा दिल की अनेक अशुद्धताओं के बारे में बताती है, जैसे कि लालच, स्वार्थ, क्रोध, क्रूर इच्छाएँ इसी तरह बाहरी दिखावा। ये सब मुख्य बाधाएँ हैं जो कि मनुष्य के दिल में ईश्वर के अस्तित्व के विरुद्ध अविश्वास पैदा करती हैं।
Question 2.
Point out the logical connection between the first three lines and the last line of the poem.
कविता की प्रथम तीन पंक्तियों में तथा अन्तिम पंक्ति के बीच में क्या सैद्धान्तिक सम्बन्ध है?
Answer:
There is a great connection between the first three lines and last line. The poetess says that we can find perfect detachment from God by removing impurities of heart and external show. The speaker says that simplicity is the true way of devotion to God.
प्रथम तीन तथा अन्तिम पंक्ति में गहरा सम्बन्ध है। कवयित्री कहती है कि हम दिल की अशुद्धता को तथा बाहरी दिखावे को समाप्त करके ईश्वर से पूर्ण संलिप्तता को प्राप्त कर सकते हैं। वक्ता कहता है कि सादगी ईश्वर के समर्पण का सच्चा और सीधा रास्ता है।
Question 3.
Explain whether the strictures Mira presents in the poem apply to herself or to others?
समझाइवे कि इस कविता में मीरा द्वारा आलोचना व व्यवहार स्वयं के लिए है अथवा दूसरों के लिए?
Answer:
Mira presents strictures in this poem for others. She desires that the people should change their behaviour and make their heart and mind pure and perfect in order to achieve love and devotion from his creator in this mortal world.
मीरा इस कविता में आलोचना एवं व्यवहार दूसरों के लिए प्रस्तुत करती है। वह चाहती है कि लोगों को ईश्वर का प्रेम प्राप्त करने तथा अपने निर्माता में इस नश्वर संसार में पूर्ण समर्पण करने के लिए अपना व्यवहार बदलना चाहिए तथा अपने दिल व दिमाग को शुद्ध करना चाहिए।
Question 4.
What is Mira’s attitude to the world?
मीरा का संसार के प्रति क्या दृष्टिकोण है?
Answer:
According to Mira’s attitude this world is full of pride and ignorance which means the people of this world are involved in the sense of greed, selfishness, anger and cruel desires which make them hostile of God.
मीरा के रवैये के अनुसार यह संसार पूर्ण रूप से घमण्ड व अज्ञानता से भरा हुआ है अर्थात् इस संसार के लोग लालच, स्वार्थ, क्रोध एवं क्रूर भावनाओं से भरे हुए हैं जो कि उन्हें ईश्वर का शत्रु बनाता है।
Answer the following questions in about 150 words each :
Question 1.
What is Mira’s message through the poem?
इस कविता में मीरा का क्या सन्देश है?
Answer:
On behalf of this poem the poetess delivers an important message to human being that there must be perfect faith in God in order to achieve the blessings of our creator. She says that the men should remove all the impurities of their heart and there must be perfect control on their desires. The poetess says that bathing forehead and applying tilak is the external show and it does not make the men pure and perfect.
She says if we like to become the associates of God, we shall have to remove all the expectations of storing materials and deceiving others because we all are equal and our approach is to the same end. She clears that the men must remove their self existence in order to achieve the presence of God in this mortal world. She says that repeating the name of God by lips is not enough. It ought to be inserted in the depth of our heart.
इस कविता के माध्यम से कवयित्री मानव को महत्त्वपूर्ण संदेश प्रदान करती है कि ईश्वर की दुआएँ प्राप्त करने के लिए उसमें पक्का विश्वास होना चाहिए। वह कहती है कि मनुष्य को अपने दिल की सारी अशुद्धियाँ निकाल देनी चाहिए तथा अपनी इच्छाओं पर पूर्ण नियन्त्रण होना चाहिए। कवयित्री कहती है कि स्नान करना व मस्तक पर तिलक़ लगाना बाहरी दिखावा है तथा यह मनुष्य को पवित्र नहीं बनाता है।
वह कहती है कि यदि हम ईश्वर के साथी बनना चाहते हैं तो हमें सारी आशाएँ, संग्रह प्रवृत्ति तथा दूसरों को धोखा देने की प्रवृत्ति त्यागनी होगी क्योंकि हम सब समान हैं तथा हमारा एक ही अन्त है। वह कहती है कि ईश्वर की उपस्थिति को देखने के लिए मनुष्य को अपना अस्तित्व समाप्त करना होगा। वह कहती है कि इस नश्वर संसार में होठों से ईश्वर का नाम लेना पर्याप्त नहीं है। इसे दिल की गहराई तक ले जाना अनिवार्य है।
Question 2.
Comment on the use of figures of speech in the poem.
इस कविता में प्रयुक्त अलंकारों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए।
Answer:
In this poem the poetess uses several figures of speech in order to develop appropriate views and perfect sense and suitable environment to explain proper meaning of the theme of the poem. The poetess uses brilliant metaphor and presents the desires of men cruel cur of the street which always develops the sense of greed. In the same way the poetess calls those greedy sense a cat which always desires to get more and more. The cat and the dog both are perfect use of metaphor. The expectations of men are as greedy as the dog which never feel satisfied and desire more and more.
The poetess uses wonderful personification and presents lord Krishna in living form and she shows her love and regards Giridhar as her husband and devotes herself in the service of her lover and becomes his slave and advises the human being to be worshipper of God. We find perfect combination of simile in the poem and the language is direct and simple and full of illustrations.
इस कविता में कवयित्री अनेक काव्य अलंकार प्रयोग करती है जिससे कि उपयुक्त विचार एवं उचित भाव और पर्यावरण पेश किया जा सके तथा कविता का मूल स्वरूप प्रकट हो सके। कवयित्री बहुत ही अच्छा मेटाफर पेश करती है तथा मानव की इच्छाओं को एक निर्दयी कुत्ता कहती है जो कि हमेशा लालच का भाव पेश करती हैं। इसी तरह कवयित्री लालच को बिल्ली भी कहती है जो अधिकाधिक पाने की इच्छा रखती है। ये दोनों ही मेटाफर के उत्तम उदाहरण हैं।
मानव की अपेक्षाएँ उतनी ही लालची होती हैं जैसे कि कुत्ता जो कभी सन्तुष्ट नहीं होता है तथा हमेशा अधिक की कामना करता है। इसी तरह कवयित्री अद्भुत मानवीकरण पेश करती है तथा भगवान श्रीकृष्ण को जीवन्त स्वरूप में पेश करती है। वह उन्हें अपना प्रेमी कहती है और उन्हें अपना पति प्रस्तुत करती है। वह स्वयं को ईश्वर की दासी के रूप में पेश करती है तथा मानव को भगवान का भक्त बनने की सलाह देती है। हमें कविता में सिमिली अर्थात् उपमा को उचित संयोग देखने को मिलता है। इस कविता की भाषा सीधी है और आसान है व उदाहरणों से भरी हुई है।
RBSE Class 11 English The Magic of The Muse Poems Chapter 7 Additional Questions
Answer the following questions in about 60-80 words each :
Question 1.
What way does the poetess show to achieve God in this mortal world?
कवयित्री इस नश्वर संसार में ईश्वर प्राप्ति का कौनसा मार्ग दर्शाती है?
Answer:
The poetess shows easy and simple way to achieve God. She says that the men ought to remove all the sense of proud and selfishness and greed from the heart and mind as well as losing his own identity in order to achieve our creator who is the lord Krishna. He can be found with true sense of devotion in his service.
कवयित्री ईश्वर प्राप्ति का आसान व साधारण मार्ग बताती है। वह कहती है कि मनुष्य को घमण्ड, स्वार्थ तथा लालच को अपने दिल व दिमाग से निकाल देना चाहिए तथा ईश्वर जो कि भगवान श्रीकृष्ण हैं को पाने के लिए स्वयं के अस्तित्व को त्याग देना चाहिए। उन्हें सच्चे समर्पण की भावना से तथा उनकी निस्वार्थ सेवा से प्राप्त किया जा सकता है।
Question 2.
Why does man not devote himself to God in true sense?
मनुष्य स्वयं को सच्चे अर्थों में भगवान को समर्पित क्यों नहीं करता है?
Answer:
The man does not devote himself in the service of God because he is full of evils such as the sense of greed and selfishness and attachment of objects as well as anger and proud. These are the main obligation which distract the man from God and due to ignorance he cannot create true devotion to God.’
मनुष्य स्वयं को भगवान की सेवा में समर्पित नहीं करता है क्योंकि वह बुराइयों से भरा हुआ है जैसे कि लालच, स्वार्थ, भौतिक वस्तुओं से लगाव, क्रोध तथा घमण्ड। ये ऐसी मुख्य बाधाएँ हैं जो मनुष्य को ईश्वर से दूर करती हैं। अत: अज्ञानता के कारण मनुष्य ईश्वर के प्रति सच्चा समर्पण नहीं कर पाता है।
Question 3.
Whom does the man worship instead of God?
मनुष्य भगवान की बजाय किसकी पूजा करता है?
Answer:
The man worships himself instead of God because the man considers himself powerful and creator of this world. He realises that God depends on the service of man and he offers Him to eat. Even the man does not believe the existence of God and always demands proof of the existence of God.
मनुष्य भगवान के अतिरिक्त स्वयं की पूजा करता है क्योंकि मनुष्य स्वयं को शक्तिशाली समझता है तथा इस संसार का निर्माता मानता है। वह महसूस करता है कि भगवान मनुष्य पर निर्भर है तथा वह उसे खाने को देता है। मानव भगवान के अस्तित्व पर भी भरोसा नहीं करता है तथा सदैव भगवान के अस्तित्व का सबूत माँगता है।
Question 4.
Why does God not listen to the call of man easily?
भगवान मनुष्य की पुकार को आसानी से क्यों नहीं सुनता है?
Answer:
God does not listen to the call of man easily because the man repeats his name on his lips and does not let it go inside the depth of his heart. He means to say that he does not have perfect faith in God in his heart and mind that is why the man remains away from the blessings of God.
भगवान मनुष्य की पुकार को आसानी से नहीं सुनता है क्योंकि मनुष्य उसका नाम होठों से लेता है तथा इसे अपने दिल की गहराई में नहीं जाने देता है। अर्थात् मानव दिल में ईश्वर के प्रति पूर्ण विश्वास नहीं है। यही कारण है कि मनुष्य भगवान की दुआओं से परे रहता है।
Question 5.
What does the poetess expect from the human being?
कवयित्री मानव से क्या आशा करती है?
Answer:
The poetess expects from the human being that he ought to develop perfect faith in God and remove his own existence in order to achieve His grace. There must not be any sense of fear and distrust of losing anything and the sense of selfishness, greed and proud must be given up. In this way the man can achieve the target of his life of seeking immortality in this mortal world.
कवयित्री मानव से आशी करती है कि वह मानव भगवान में पूर्ण आस्था विकसित करे तथा स्वयं के अस्तित्व को समाप्त करे ईश्वर की संगति प्राप्त करने के लिए। किसी भी चीज को खोने का डर व अविश्वास की भावना नहीं होनी चाहिए तथा स्वार्थ, लालच व घमण्ड को त्याग देना चाहिए। इस तरह मानव अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है जो कि इस नश्वर संसार में अमरता को प्राप्त करना है।
Question 6.
Why does the name of Hari not enter in the heart of man? Explain.
मानव के दिल में ईश्वर का नाम क्यों नहीं प्रवेश करता है? समझाइये।
Answer:
The name of Hari does not enter the heart of man because the man is full of proud and ignorance. He always tries to cheat God and never develops perfect trust in God. He tries to show of becoming his worshipper and repeats his name on lips and involves in useless practice of collecting materials and presumes his permanent existence on this earth and forgets that he is mortal and will depart from this world one day.
मानव दिल में भगवान का नाम प्रवेश नहीं करता है क्योंकि मनुष्य घमण्ड व अज्ञानता से भरा हुआ है। वह सदैव ईश्वर को धोखा देने की सोचता है तथा कभी भी भगवान में पूर्ण आस्था उत्पन्न नहीं करता है। वह उसका सेवक बनने का दिखावा करता है तथा उसका नाम होठों से लेता है तथा अनावश्यक भौतिक वस्तुओं के संग्रह में लग जाता है तथा स्वयं को इस संसार में स्थाई समझता है तथा यह भूल जाता है कि वह नश्वर है और एक दिन इस संसार से चला जायेगा।