Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 भोजन परिरक्षण
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें-
(i) निम्न में से अर्द्धविकारी भोज्य पदार्थ है –
(अ) दूध
(ब) अनाज
(स) आलू
(द) दालें
उत्तर:
(स) आलू .
(ii) भोज्य पदार्थों के परिरक्षण में, प्रशीतन विधि का उचित तापक्रम होता है –
(अ) 4°-10°C
(ब) 15°-20°C
(स) 20°-25°C
(द) 1°-4°C
उत्तर:
(अ) 4°-10°
(iii) भोज्य पदार्थों को विषाक्त बनाने वाले सूक्ष्म जीव हैं –
(अ) जीवाणु
(ब) विषाणु
(स) खमीर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
(iv) भोज्य पदार्थों को अति उच्च-ताप से रक्षित करने के लिए उचित तापक्रम है –
(अ)100°C
(ब) 100° – 150°C
(स) 100° – 170°C
(द) 200°C
उत्तर:
(अ) 100°C
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पर्ति कीजिए
1. निर्जलीकरण की मुख्य विधियां ………… एवं ………… हैं।
2. कटे हुए सेब का भूरा रंग ………… परिवर्तन द्वारा होता है।
3. भोज्य पदार्थों के रंग, आकार, गंध में अवांछनीय परिवर्तनों को ………… कहते हैं।
4. खाद्य पदार्थों का संग्रहण एयर टाइट बैग में करना ………… कहलाता है।
5. माँस को वसा की परत से सील बंद करने की प्रक्रिया ………… कहलाती है।
उत्तर:
1. कृत्रिम, प्राकृतिक
2. जैव-रासायनिक
3. भोजन संदूषण
4. निर्वात पैकिंग
5. पोटिंग।
प्रश्न 3.
ब्लान्चिंग को परिभाषित कीजिए
उत्तर:
ब्लान्चिंग (Blanching):
फलों एवं सब्जियों को संरक्षित करने से पूर्व 100°C तापक्रम पर 1-3 मिनट तक उबाला जाता है, तत्पश्चात तुरंत ही ठंडा कर दिया जाता है, इसे ब्लान्चिंग कहते हैं।
प्रश्न 4.
भोजन परिरक्षण को समझाइए।
उत्तर:
भोजन परिरक्षण (Food Preservation):
भोजन परिरक्षण से तात्पर्य खाद्य पदार्थों को सूक्ष्म जीवों, फफूंद, विषाणुओं, कीड़े-मकोड़ों से बचाकर एवं भोजन की पौष्टिकता को बनाए रखकर, लम्बे समय तक सुरक्षित रूप में संरक्षित करके रखना भोजन का परिरक्षण कहलाता है।
प्रश्न 5.
रसाकर्षण प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
रसाकर्षण (Osmosis):
भोज्य पदार्थों में पर्याप्त नमक मिलाने से नमक भोजन पदार्थ में उपस्थित नमी को अपने अन्दर बाँध लेता है। इस कारण मुक्त रूप से नमी उपस्थित नहीं रहती है, जिसमें कि सूक्ष्म जीव वृद्धि कर सकें। जीवाणुओं के कोषों में विद्यमान तरल पदार्थों की सान्द्रता को बराबर (भोजन के बराबर) बनाने के लिए जीवाणुओं के कोषों में उपस्थित तरल पदार्थ बाहर आ जाते हैं। यह प्रक्रिया ‘रसाकर्षण’ (Osmosis) कहलाती है।
प्रश्न 6.
भोजन परिरक्षण के सिद्धान्तों का संक्षिप्त में वर्णन करें।
उत्तर;
भोजन परिरक्षण के सिद्धान्त (Principles of Food Preservation):
- भोज्य पदार्थों की स्वतः होने वाली क्षति को रोकना कभी-कभी भोज्य पदार्थ में उपस्थित जैव उत्प्रेरकों की प्रक्रिया से एवं खाद्य तेल में उपस्थित मुक्त वसीय अम्ल के ऑक्सीकरण से खराब हो जाते हैं। इन्हें अग्र दो तरीकों से रोक सकते हैं –
- जैव उत्प्रेरकों के विनाश या निष्क्रियकरण द्वारा।
- विशुद्ध रासायनिक क्रियाओं के बचाव या स्थगन द्वारा।
- भोज्य पदार्थों में होने वाली यांत्रिक एवं भौतिक क्षति को रोककर।
- खाद्य पदार्थों को खराब करने वाले कीड़े-मकोड़ों, कीट-पतंगों एवं चूहों से बचाव करके।
प्रश्न 7.
भोजन परिरक्षण की विभिन्न विधियों का विस्तार में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भोजन परिरक्षण की विधियाँ – भोजन संरक्षण की विधियाँ निम्न प्रकार हैं –
1. उच्च जल-स्थैतिक दबाव, वनस्पति बैक्टीरिया, यीस्ट व मोल्ड की दबाव निष्क्रियता द्वारा।
2. सूक्ष्म जीवों को मारकर या तत्त्व विकिरण के लिए गर्म करना (उबालना)। भोज्य पदार्थों को संरक्षित रखने के लिए उन्हें अति उच्च ताप पर पानी में (100°C) डालकर 1-2 मिनट रखकर उबाला जाता है। जिससे भोज्य पदार्थों में उपस्थित जीवाणुओं, कीटाणुओं तथा लार्वाओं का नाश हो जाता है। जीवाणुओं के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं और भोज्य पदार्थों का जीवनकाल भी बढ़ जाता है।
3. निर्जलीकरण (सुखाना) – यह खाद्य पदार्थ को संरक्षित करने की सबसे पुरानी विधि है। जिसमें पानी की गतिविधि पर्याप्त मात्रा में कम हो जाती है तथा जीवाणुओं का गुणन बंद या धीमा हो जाता है।
निर्जलीकरण की मुख्य दो विधियाँ हैं –
- प्राकृतिक विधि-धूप में सुखाना, व्यापारिक स्तर पर निर्जलीकरण
- कृत्रिम विधि-सोलर ड्रायर में सुखाना।
4. कम तापमान निष्क्रियता (प्रशीतन):
प्रशीतन, व्यावसायिक व घरेलू रूप से सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है। भोजन में उपस्थित आर्द्रता एवं उष्णता दोनों ही भोजन को सड़ाने का कार्य करते हैं, क्योंकि सूक्ष्म जीव उचित तापक्रम व नमी पाकर ही तेजी से वृद्धि करते हैं। यदि भोजन में उपस्थित नमी को हटा दिया जाए तो भोजन को लम्बे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है। परन्तु कुछ भोज्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं, जिनमें आर्द्रता बनाए रखना आवश्यक होता है।
जैसे-दूध, दही, फल, अण्डा एवं सब्जियाँ। घरों में फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मांस, मछली, अण्डा, दूध, दही, पनीर, आदि भोज्य पदार्थों को संग्रहीत करने हेतु घरेलू रेफ्रिजरेटर का उपयोग किया जाता है। व्यापारिक स्तर पर कोल्ड स्टोरेज, चिलर-स्टोरेज आदि का उपयोग किया जाता है। प्रशीतन विधि में तापक्रम 4°C से 10°C तक रहता है।
5. निर्वात पैकिंग:
खाद्य पदार्थों का संग्रहण एयर-टाइट बैग या बोतल में करना चाहिए। निर्वात पैकिंग (वायु रहित) जीवाणुओं के जीवित रहने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन को रुद्ध कर देती है, जिससे जीवाणु भोज्य पदार्थों में वृद्धि नहीं कर पाते हैं और भोजन सुरक्षित रहता है। निर्वात पैकिंग का उपयोग प्राय: मवों के भण्डारण में किया जाता है।
6. नमक द्वारा:
नमक भोज्य पदार्थ में उपस्थित नमी को अपने अंदर बाँध लेता है। इस कारण मुक्त रूप से नमी उपस्थित नहीं रहती है, जिसमें कि सूक्ष्म जीव वृद्धि कर सकें। जीवाणुओं के कोषों में विद्यमान तरल पदार्थ की सान्द्रता को बराबर (भोजन के) बनाने के लिए जीवाणुओं के कोषों में उपस्थित तरल पदार्थ बाहर आ जाते हैं। यह प्रक्रिया ‘रसाकर्षण'(osmosis) कहलाती है।
7. चीनी द्वारा-चीनी:
शक्कर का उपयोग फलों को संरक्षित करने में किया जाता है। यदि फल-सब्जियों में चीनी शक्कर मिला दी जाए तो ये परासरण की क्रिया द्वारा सूक्ष्म जीवों, फफूंद आदि की सक्रियता को नष्ट कर देते हैं – और भोजन लम्बे समय तक परिरक्षित रहता है। उदाहरण-जैम, जैली, मुरब्बा, चटनी आदि। अचार द्वारा अचार बनाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों के खाद्य तेल में तथा सूक्ष्म जीव निवारक में संरक्षित किया जाता है जो सूक्ष्म जीवों एवं बैक्टीरिया को खाद्य पदार्थ में प्रवेश करने से रोकता है।
8. रासायनिक रूप से अचार में डाले जाने वाले परिरक्षक एजेण्ट:
काली मिर्च, सोडियम बेन्जोएट आदि हैं जिनसे भोज्य पदार्थों के जीवन काल को बढ़ाया जा सकता है।
9. पोटिंग:
मांस को संरक्षित करने का एक तरीका पोटिंग भी है। मांस को एक पॉट में रखकर उसे वसा की परत से सील बंद कर दिया जाता है।
10. जगिंग (जग में परिरक्षण):
मांस को जगिंग अर्थात् मिट्टी के किसी बर्तन, जग या कैसरॉल में रखकर स्ट्यूइंग की प्रक्रिया की जाती है और इसे परिरक्षित किया जाता है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन को खराब कर देते हैं –
(अ) जीवाणु
(ब) फफूंद
(स) विषाणु
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 2.
विकारी भोज्य पदार्थ है –
(अ) माँस
(ब) प्याज
(स) अरबी
(द) आलू
उत्तर:
(स) अरबी
प्रश्न 3.
अविकारी भोज्य पदार्थ है –
(अ) चावल
(ब) मक्का
(स) दालें
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 4.
भोजन के स्वतः खराब होने के लिए उत्तरदायी कारक है –
(अ) जीवाणु
(ब) बीजाणु
(स) एन्जाइम
(द) दूषक
उत्तर:
(अ) जीवाणु
प्रश्न 5.
खराब भोजन –
(अ) स्वाद रहित होता है।
(ब) महक छोड़ देता है
(स) पौष्टिकता खो देता है।
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
रिक्त स्थान भरिए
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए –
1. शरीर को हृष्ट-पुष्ट बनाए रखने के लिए हमें ………… का सेवन करना चाहिए।
2. भोजन को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की प्रक्रिया ……… कहलाती है।
3. फलों एवं सब्जियों में उपस्थित ………… इन्हें स्वतः ही सड़ा देते हैं।
4. ………… व्यावसायिक व घरेलू रूप से सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है।
5. भोज्य पदार्थ को ………… द्वारा अथवा ………… द्वारा सुखाकर भी परिरक्षित कर सकते हैं।
उत्तर:
1. संतुलित भोजन
2. परिरक्षण
3. एन्जाइम
4. प्रशीतन
5. धूप, सोलर ड्रायर।
सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B के शब्दों का मिलान कीजिए –
स्तम्भ A स्तम्भ B
1. जैव रासायनिक परिवर्तन (a) रेफ्रिजरेटर
2. निर्जलीकरण (b) रसाकर्षण
3. प्रशीतन (c) अचार
4. नमक, चीनी परिरक्षण (d) जैव उत्प्रेरक
5. परिरक्षक (e) सोलर ड्रायर
उत्तर:
1. (d) जैव उत्प्रेरक
2. (e) सोलर ड्रायर
3. (a) रेफ्रिजरेटर
4. (b) रसाकर्षण
5. (c) अचार
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संक्रमित भोजन के सेवन से क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
संक्रमित भोजन के सेवन से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
प्रश्न 2.
भोज्य पदार्थों के संरक्षण का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
भोज्य पदार्थों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखना ताकि उन्हें आने वाले समय में उपयोग किया जा सके।
प्रश्न 3.
भोज्य पदार्थों को समय के आधार पर वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
- विकारी भोज्य पदार्थ
- अर्द्ध विकारी भोज्य पदार्थ
- अविकारी भोज्य पदार्थ
प्रश्न 4.
विकारी भोज्य पदार्थों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
दूध, दही, मांस, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि।
प्रश्न 5.
भोज्य पदार्थों में रासायनिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कारक क्या है?
उत्तर:
भोज्य पदार्थों में उपस्थित जैव-उत्प्रेरक।
प्रश्न 6.
भोजन को खराब करने वाले दो जैविक कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- जीवाणु,
- फफूंद।
प्रश्न 7.
ब्लांचिंग के लिए उपयुक्त तापक्रम कितना होता है?
उत्तर:
100°C तापक्रम।
प्रश्न 8.
सिरका द्वारा किस पदार्थ का संरक्षण किया जाता है?
उत्तर:
अचार का।
प्रश्न 9.
चीनी द्वारा परिरक्षण किए जाने वाले दो भोज्य पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- जैम
- मुरब्बा।
प्रश्न 10.
पॉटिंग विधि द्वारा किस खाद्य का संरक्षण किया जाता है?
उत्तर:
मांस का।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संरक्षित भोजन से आपका क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर:
संरक्षित भोजन से तात्पर्य भोजन के जीवाणुओं, विषाणुओं से रहित होने के साथ-साथ मानव शरीर को ऊर्जा एवं ताकत प्रदान करने वाला होना चाहिए, जिससे व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में होने वाली विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं को सम्पन्न कर सके। इसलिए भोजन को संरक्षित करना अतिआवश्यक है।
प्रश्न 2.
भोज्य पदार्थों के खराब होने के कारकों को बताइए।
उत्तर:
- भोजन को स्वतः खराब करने वाले कारक-अधिक नमी, अधिक ताप एवं इनमें उपस्थित एन्जाइम।
- जैव-रासायनिक कारक-जैव-उत्प्रेरक।
- कीड़े-मकोड़े एवं पक्षी।
- सूक्ष्म जीव
प्रश्न 3.
उन सूक्ष्म जीवों के नाम लिखिए जो भोजन को खराब कर देते हैं।
उत्तर:
सूक्ष्मजीव, जो भोजन को खराब कर देते हैं, निम्नलिखित हैं –
- फफूंदी (Fungus/Molds)
- जीवाणु (Bacteria)
- विषाणु (Virus)
- खमीर (Yeast)
प्रश्न 4.
खराब भोजन की पहचान किन बिन्दुओं के आधार पर की जा सकती है?
उत्तर:
खराब भोजन की पहचान निम्न बिन्दुओं के आधार पर की जा सकती है –
- भोज्य पदार्थों के स्वाद, रंग में परिवर्तन आना।
- भोज्य पदार्थों की महक एवं पौष्टिकता कम हो जाना।
- भोज्य पदार्थों; जैसे-ब्रेड, अचार पर सफेद रूई के फोहे जैसी अभिवृद्धि हो जाना।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 17 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
खराब होने के समय के आधार पर भोज्य पदार्थों के प्रकारों को समझाइए।
अथवा
निम्नलिखित की व्याख्या कीजिए
1. विकारी भोज्य पदार्थ
2. अर्द्ध विकारी भोज्य पदार्थ
3. अविकारी भोज्य पदार्थ।
उत्तर:
खराब होने के समय के आधार पर भोज्य पदार्थों को अग्र तीन भागों में बाँटा गया है –
1. विकारी भोज्य पदार्थ (Perishable Food):
भोज्य पदार्थ; जैसे- दूध, दही, मांस, मछली, हरी सब्जी आदि सामान्य ताप पर अथवा बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं, क्योंकि इनमें पानी की मात्रा अत्यधिक होती है। ये विकारी भोज्य पदार्थ कहलाते हैं।
2. अर्द्ध विकारी भोज्य पदार्थ (Semi – Perishable Food):
अर्द्ध-विकारी भोज्य पदार्थों में पानी का अंश विकारी भोज्य पदार्थों की अपेक्षा कम होता है। ये जल्दी खराब न होकर 7-15 दिनों तक सुरक्षित रहते हैं। जैसे-आलू, गोभी, प्याज अरबी आदि।
3. अविकारी भोज्य पदार्थ (Non – Perishable Food):
ये भोज्य पदार्थ 1-2 साल तक सुरक्षित रखे जा सकते हैं। इनमें पानी की मात्रा अत्यंत कम होती है। उदाहरण के लिए अनाज; जैसे-गेहूँ, चावल, बाजरा, मक्का, दालें आदि।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
1. भोजन का स्वत: ही खराब हो जाना,
2. जैव-रासायनिक परिवर्तन,
3. भोजन का कीड़े-मकोड़ों एवं पक्षियों द्वारा नष्ट करना।
उत्तर:
1. भोजन का स्वतः ही खराब हो जाना:
भोज्य पदार्थों में उपस्थित एन्जाइम्स के कभी-कभी भोज्य पदार्थ स्वत: ही खराब हो जाते हैं। जैसे-फलों एवं सब्जियों में उपस्थित एन्जाइम्स, इन्हें सड़ा देते हैं। जब फल पक जाते हैं तो भी एन्जाइम्स की सक्रियता बनी रहती है। परिणामतः अधिक पके हुए फल भी अन्त में सड़ जाते हैं।
2. जैव रासायनिक परिवर्तन:
भोज्य पदार्थों जैसे ताजे फल व सब्जियों में सामान्य ताप पर भी समय के साथ कई परिवर्तन होते रहते हैं एवं इन परिवर्तनों के लिए भोज्य पदार्थों में उपस्थित जैव-उत्प्रेरक ही उत्तरदायी होते हैं। जैसे कि फल एवं सब्जियाँ अधिक पक जाते हैं, तो उनमें अरुचिकर गंध आने लगती है और कई फल और सब्जियों को काट कर रख देने पर उनके स्वाद एवं रंग में परिवर्तन आ जाता है। उदाहरण के लिए कटे हुए सेब का भूरा हो जाना, आलू व केले का काला हो जाना आदि। यह सब जैव-रासायनिक परिवर्तन द्वारा ही होता है।
3. भोजन को कीड़े:
मकोड़े एवं पक्षियों द्वारा नष्ट करना – कीड़े – मकोड़ों, कीट – पतंर्गी एवं पक्षियों द्वारा भोजन को हानि पहुँचती है। ये ज्यादातर सूखे मेवे, तिल, बीजों, अनाजों में लगते हैं, पक्षी जितना भोजन खाते हैं, उससे कहीं ज्यादा खराब कर देते हैं, साथ ही अपने अण्डों, अवशेषों; जैसे-मल-मूत्र, बाल आदि द्वारा बचे भोज्य पदार्थ को विषाक्त कर देते हैं।
प्रश्न 3.
सूक्ष्म जीव किस प्रकार भोज्य पदार्थों को हानि पहुँचाते हैं? समझाइए।
उत्तर:
फफूंद, जीवाणु, विषाणु, खमीर आदि सूक्ष्म जीव भोजन में प्रवेश करने के बाद तीव्र गति से वृद्धि करते हैं और अपनी वृद्धि हेतु भोज्य पदार्थों में उपस्थित पोषक तत्त्वों का उपयोग करते हैं। सूक्ष्म जीव बहुत छोटे-छोटे एक कोशिकीय या बहुकोशिकीय जीव हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते, परन्तु किसी सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा उनकी पहचान कर सकते हैं। ये सूक्ष्म जीव भोजन में अपना जहर छोड़ते हैं, और इस भोजन का सेवन करने पर व्यक्ति रोगग्रस्त हो जाता है, और उसकी मानसिक शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव होता है।
अनाजों को बर्बाद करने वाले सभी सूक्ष्म जीवों में फफूंद का महत्त्वपूर्ण स्थान है। फफूंद से भोज्य पदार्थों का तापमान बढ़ जाता है, एवं उनमें बदबू आने लगती है। भोजन की पॉष्टिकता एवं स्वादिष्टता कम हो जाती है। सूक्ष्म जीवों को वायु की आवश्यकता अनुसार वायवीय, अवायवीय एवं विकल्पी अवायवीय वर्गों में बाँटा जा सकता है। इसी प्रकार ऊष्मा प्रतिरोधक शक्ति के आधार पर इनहें शीतरागी, मध्यतापरागी एवं तापरागी श्रेणियों में बाँटा गया है।