Rajasthan Board RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 प्रसूता एवं नवजात शिशु की देख-भाल
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों के सही उत्तर चुनें –
(i) शिशु जन्म के बाद उसकी देखभाल करते हैं –
(अ) चिकित्सक
(ब) नर्स
(स) प्रशिक्षित दाई
(द) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी।
(ii) सामान्य प्रसव में खाने को दिया जाता है –
(अ) गरिष्ठ भोजन
(ब) तला हुआ भोजन
(स) मसालेदार भोजन
(द) खिचड़ी, दलिया
उत्तर:
(द) खिचड़ी, दलिया।
(iii) माता के दूध के अतिरिक्त जो दूध शिशु को पोषण हेतु दिया जाता है, कहलाता है –
(अ) कोलस्ट्रम
(ब) फार्मूला
(स) पास्चुरीकृत दूध
(द) वसायुक्त दूध
उत्तर:
(ब) फार्मूला।
(iv) सफाई की दृष्टि से कौन-सी बोतल का उपयोग करना चाहिए?
(अ) पतले मुँह की
(ब) चौड़े मुँह की
(स) गोल मुँह की
(द) सँकरें मुँह की
उत्तर:
(ब) चौड़े मुँह की।
(v) शिशु के स्नान हेतु जल का तापमान होना चाहिए
(अ) अत्यधिक गर्म
(ब) अत्यधिक ठण्डा
(स) न गर्म न ठण्डा,
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
न गर्म न ठण्डा।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो
1. शिशु को नहलाने से पूर्व ……… की मालिश करनी चाहिए।
2. दूध पिलाने के पश्चात् तुरन्त ……… को धो लेना चाहिए।
3. गर्भावस्था में स्त्री के ……… अंगों में विशेष परिवर्तन होते हैं।
4. प्रसूता को कम से कम ……… दिन का विश्राम देना चाहिए।
उत्तरमाला:
1. तेल
2. निपल
3. गर्भ सम्बन्धी
4. 40 – 501
प्रश्न 3.
प्रसवोपरान्त प्रसूता को किस प्रकार की सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर:
प्रसवोपरान्त प्रसूता स्त्री की देखभाल की आवश्यकता होती है। उसे विभिन्न सावधानी रखना आवश्यक है। वह गहन प्रसव पीढ़ा से गुजरती है अत: उसे अधिक से अधिक आराम करना चाहिए। प्रसूता को पौष्टिक, सुपाच्य तथा हल्का भोजन ग्रहण करने चाहिए। उसे अपनी शरीरिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उसे स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। प्रसूता को भारी कार्य जैसे वजन उठाना, आदि नहीं करने चाहिए।
प्रश्न 4.
प्रसूता को दिये जाने वाले भोजन के बारे में बताइए।
उत्तर:
प्रसव क्रिया के पश्चात् प्रसूता महिला काफी कमजोर हो जाती है अत: उसे पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है। प्रसव के पश्चात् प्रसूता की पाचन शक्ति भी कमजोर हो जाती है, इसके लिए उसे प्रथम दिन खिचड़ी, दलिया, दूध, सब्जियों का सूप, दाल व अन्य ठोस भोज्य खाने को देते हैं। ये सभी भोज्य पदार्थ सभी प्रकार के विटामिन तथा खनिज लवणों से युक्त होते हैं।
सामान्य प्रसव में प्रसूता को अजवाइन, गुड़ का पानी, बादाम और खसखस का हलवा, गोंद के लड्डू, मेथी, मेवे के गुड़ व घी में बने लड्डू भी खाने को दिए जाते हैं। प्रसूता को मिर्च मसालेदार, तला-भुना, बासी, गरिष्ठ व खट्टा भोज्य पदार्थ खाने को नहीं देना चाहिए। इस समय प्रसूता को दिन में 5-6 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सुपाच्य भोजन देना चाहिए तथा कम से कम 40-50 दिन तक विश्राम भी कराना चाहिए।
प्रश्न 5.
शिशु के दूध पिलाने की बोतल की साफ-सफाई किस प्रकार की जानी चाहिए?
उत्तर:
बोतल की सफाई:
सफाई की दृष्टि से चौड़े मुँह वाली बोतल का उपयोग अच्छा रहता है। बोतल तथा निपल को स्वच्छ करके विसंक्रमित करना अत्यन्त आवश्यक है। बोतलों को साफ करने के लिए उन्हें सर्फ या साबुन के पानी से खूब अच्छी तरह ब्रुश से रगड़कर धो लेना चाहिए। इसके पश्चात् उन्हें खौलते पानी में 10 – 15 मिनट तक ढककर उबालना चाहिए ताकि बोतल का विसंक्रमण हो जाए। निपल की सफाई –
- दूध पिलाने के पश्चात् निपल को तुरन्त धो लेना चाहिए।
- उसे अन्दर व बाहर दोनों ओर से ब्रुश से रगड़ना चाहिए।
- निपल को खौलते पानी से न धोकर गर्म पानी से साफ करें।
- निपल को हमेशा ही चौड़े मुँह वाली बोतल, जार या प्लेट में ढककर रखना चाहिए ताकि इस पर मक्खियाँ बैठ कर दूषित न कर पाएँ।
प्रश्न 6.
शिशु को नहलाने की विधि समझाइए।
उत्तर:
शिशु को नहलाने की विधि:
शिशु को स्नान कराने से पूर्व की आवश्यक सामग्री; जैसे – नहाने का टब, बोरिक लोशन, तेल, तौलिया, शिशु के वस्त्र, पाउडर इत्यादि अपने पास रख लेने चाहिए तथा अन्य आवश्यक कार्य निबटा लेने चाहिए जिससे शिशु को नहलाते समय बीच में उठना न पड़े। शिशु को स्नान कराने से पूर्व जल की उष्णता का भी ध्यान रखना चाहिए। जल न तो अधिक गर्म हो और न ही बहुत अधिक ठण्डा! पानी के तापमान को थर्मामीटर या कुहनी से मापा जा सकता है।
शिशु को नहलाने से पूर्व तेल की मालिश करनी चाहिए। इसके पश्चात् नर्म कपड़े में साबुन लगाकर शरीर पर हल्के से हाथों से रगड़ें। यही क्रिया कानों के पीछे, गर्दन के चारों ओर, बगल-कुहनी, जांघों तथा पैरों में अच्छी तरह दोहराएँ। तत्पश्चात् शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ आदि पर भी इसी प्रकार साबुन लगाएँ। अब धीरे-धीरे दोनों हाथों के सहारे से उठाकर बच्चे को टब में लिटाएँ।
बाएँ हाथ के सहारे कन्धों को ऊँचा रखा तथा सिर को बायीं बाँह का सहारा दें। पीठ के नीचे दाहिने हाथ का सहारा दें। इसी स्थिति में दाहिने हाथ से रगड़कर शरीर का साबुन धो दें। तत्पश्चात् शिशु के शरीर को तौलिये से अच्छी तरह पौंछ कर, लोशन लगाकर शिशु को मौसम के अनुकूल वस्त्र पहना दें।
प्रश्न 7.
नवजात शिशु की देखभाल के बारे में विस्तार से बताइए।
उत्तर:
नवजात शिशु की देखभाल:
नवजात शिशु की देखभाल में काफी सावधानी व धैर्य बरतने की आवश्यकता है। नवजात शिशु के साथ अत्यंत कोमलता का व्यवहार करना होता है।
पोषण:
शिशु के लिए माँ का दूध सर्वश्रेष्ठ होता है। इसमें शिशु के लिए आवश्यक समस्त पौष्टिक तत्त्व उपस्थित होते हैं। शिशु को स्तनपान सदैवं बैठकर कराना चाहिए तथा उसके सिर को सहारा देकर ऊँचा रखना चाहिए। दूध पीने के पश्चात् शिशु को कन्धे से लगाकर पीठ पर थपथपाना चाहिए। माता के दूध के अतिरिक्त या उसके स्थान पर फार्मूला (Formula) दूध दिया जाता है। कभी-कभी गाय, भैंस या बकरी का दूध भी पिलाया जाता है।
स्वच्छता:
नवजात शिशु के लिए प्रयुक्त की जाने वाली बोतलों, निपल, नैपकिन आदि की स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। दूध पिलाने में प्रयुक्त बोतल एवं निपल को विसंक्रमित करना अति आवश्यक है। शिशु को नहलाना भी आवश्यक है। शिशु को नर्म साबुन से सावधानीपूर्वक नहलाया जाता है। उसको नहलाते समय कष्ट नहीं पहुँचे इस बात का उचित ध्यान रखा जाता है।
मल – मूत्र विसर्जन:
प्रारम्भिक अवस्था में शिशु के मल – मूत्र त्यागने का कोई समय नहीं होता है। प्राय: 6 माह पश्चात् शिशु को मल त्याग की नियमित आदत डाली जा सकती है। शिशु को मल त्याग पॉट पर बैठाकर मल त्याग की आदत डाली जानी चाहिए।
निद्रा:
नवजात शिशु अधिकांश समय सोता रहता है। शिशु के लिए निद्रा अति आवश्यक है। अच्छी नींद के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि शिशु का बिस्तर सूखा, सही आकार का तथा मुलायम हो। उसके सिर के नीचे राई से भरा तकिया लगाना चाहिए जिससे शिशु के सिर की आकृति सही रहे। उढ़ाने के लिए हल्का कम्बल या चादर होनी चाहिए।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प का चयन कीजिए –
प्रश्न 1.
सामान्य अवस्था में गर्भाश का भार होता हैं –
(अ) 10 – 20 ग्राम
(ब) 40 – 50 ग्राम
(स) 100 – 200 ग्राम
(द) 500 -1000 ग्राम
उत्तर:
(ब) 40 – 50 ग्राम
प्रश्न 2.
प्रसूता के भोजन में होना चाहिए –
(अ) विटामिन
(ब) खनिज लवण
(स) कार्बोज
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 3.
नवजात शिशु के लिए अमृत तुल्य दूध होता है –
(अ) माता का
(ब) गाय का
(स) बकरी का
(द) फार्मूला
उत्तर:
(अ) माता का
प्रश्न 4.
शिशु को वस्त्र पहनाने चाहिए –
(अ) सदैव गर्म
(ब) सदैव हल्के
(स) मौसम के अनुकूल
(द) सदैव कड़क
उत्तर:
(स) मौसम के अनुकूल
प्रश्न 5.
शिशु की नींद पूर्ण होने से पहले भंग होने का कारण है –
(अ) भूख लगना
(ब) प्यास लगना
(स) बिछौना गीला होना
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
रिक्त स्थान भरिये
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए –
1. नवजात की देखभाल में काफी ……… व ……… बरतने की आवश्यकता है।
2. शिशु के लिए माता का दूध ……… है।
3. पोषण एवं पाचन की दृष्टि से ……… का दूध शिशु के लिए उत्तम है।
4. ………स्वास्थ्य का लक्षण है।
5. ……… विसर्जन हेतु शिशु को अभ्यास की आवश्यकता होती है।
उत्तर:
1. सावधानी, धैर्य
2. अमृत तुल्य
3. गाय
4. निद्रा
5. मल मूत्र।
सुमेलन
स्तम्भ A तथा स्तम्भ B का मिलान कीजिएमा
स्तम्भ A स्तम्भ B
1. प्रसूता (a) जन्म लेने वाला शिशु
2. नवजात (b) जन्म – दात्री
3. फार्मूला (c) विसंक्रमण
4. उबालना (d) अतिरिक्त दूध
5. प्रसव (e) जन्म देने की क्रिया
उत्तर:
1. (b) जन्म – दात्री
2. (a) जन्म लेने वाला शिशु
3. (d) अतिरिक्त दूध
4. (c) विसंक्रमण
5. (e) जन्म देने की क्रिया
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रसव के तुरन्त बाद प्रसूता को नींद या बेहोशी का अहसास क्यों होता है?
उत्तर:
प्रसव की कठिन पीड़ा के कारण प्रसूता काफी सुस्त एवं शक्तिहीन हो जाती है। इसलिए उसे नींद या बेहोशी का अहसास होता है।
प्रश्न 2.
प्रसूता स्त्री को क्या करने की सलाह दी जाती है?
उत्तर:
पौष्टिक आहार लेने, वजन न उठाने तथा आराम करने की सलाह दी जाती है।
प्रश्न 3.
प्रसूता को प्रथम दिन खाने में क्या देते हैं?
उत्तर:
प्रसूता स्त्री को प्रथम दिन खाने में खिचड़ी, दलिया, दूध, सब्जियों का सूप, दाल व अन्य ठोस भोज्य पदार्थ देते हैं।
प्रश्न 4.
प्रसूता स्त्री को किस प्रकार का भोजन नहीं लेना चाहिए?
उत्तर:
मसालेदार, तला-भुना, बासी, गरिष्ठ एवं खट्टा भोजन नहीं लेना चाहिए।
प्रश्न 5.
नवजात शिशु क्या होता है?
उत्तर:
गर्भस्थ शिशु जो माँ के शरीर से जन्म लेता है, नवजात शिशु (Neonate) कहलाता है।
प्रश्न 6.
नवजात शिशु को जन्म के पश्चात् कठिनाई क्यों आती है?
उत्तर:
नवजात शिशु माँ के गर्भ के वातावरण से बाहरी वातावरण में प्रवेश करता है। जिससे उसे मुश्किलें आती हैं।
प्रश्न 7.
फार्मूला किसे कहते हैं?
उत्तर:
माता के दूध के अतिरिक्त या उसके स्थान पर जो भी दूध शिशु को पोषण हेतु दिया जाता है, उसे फार्मूला (Formula) कहते हैं।
प्रश्न 8.
शिशु को दूध पिलाने वाली बोतल को उबालना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
उबालने से बोतल विसंक्रमित हो जाती है, जिससे शिशु को किसी प्रकार के संक्रमण का भय नहीं रहता है।
प्रश्न 9.
शिशु को किस प्रकार के वस्त्र पहनाने चाहिए?
उत्तर:
शिशु को मौसम के अनुकूल वस्त्र पहनाने चाहिए।
प्रश्न 10.
किस माह के बाद शिशु को नियमित मल विसर्जन की आदत डाली जा सकती है?
उत्तर:
6 माह के बाद शिशु को नियमित मल विसर्जन की आदत डाली जा सकती है।
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रसव के तुरन्त पश्चात् प्रसूता की किस प्रकार देखभाल की जाती है?
उत्तर:
प्रसव के तुरन्त पश्चात् प्रसूता की देखभाल अत्यन्त आवश्यक होती है। प्रसव की कठिन पीड़ा के बाद प्रसूता स्त्री काफी सुस्त एवं शक्तिहीन हो जाती है। उसे नींद या बेहोशी का अहसास होता है अत: उसे गर्म दूध या चाय पीने को दी जाती है। इसके पश्चात् प्रसूता को निश्चिंत होकर सोने दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
प्रसूता स्त्री को अधिक से अधिक आराम की सलाह क्यों दी जाती हैं?
उत्तर:
गर्भावस्था में स्त्री के गर्भ सम्बन्धी अंगों में विशेष परिवर्तन होते हैं, जिसे पुन: सामान्य रूप में आने में काफी समय लगता है। अतः प्रसूता को काफी आराम की आवश्यकता होती है। इस समय गर्भाशय का भार एक किग्रा तक होता है जो सामान्य अवस्था (40 – 50 ग्राम) से अधिक होता है। इसे अपनी सामान्य अवस्था में आने में लगभग 40 दिन का समय लगता है। अत: प्रसूता को अधिक आराम की सलाह दी जाती है। इन दिनों रक्त स्राव भी अधिक होता है जो लगभग 20 – 30 दिनों तक रहता है।
प्रश्न 3.
प्रसव के समय के लिए आवश्यक तैयारी बताइए।
उत्तर:
प्रसव के समय के लिए आवश्यक तैयारी –
- उचित डॉक्टर का चुनाव
- प्रसव हेतु स्थान चयन
- प्रसव पश्चात् देखभाल हेतु दाई या नर्स का चुनाव
- प्रसूता के लिए वस्त्र एवं अन्य सामग्री तैयार करना
- घर पर प्रसव की स्थिति में प्रशिक्षित दाई का चुनाव करना
- नवजात शिशु के लिए उपयोगी वस्त्र व अन्य आवश्यक सामग्री एकत्रित करना।
प्रश्न 4.
जन्म के पश्चात् शिशु की शारीरिक क्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:
जन्म के पश्चात् शिशु की शारीरिक क्रियाएँ –
- फुफ्फुसीय श्वसन क्रिया
- पाचन क्रिया का प्रारम्भ
- रक्त परिसंचरण में परिवर्तनों की स्थापना
- ताप नियन्त्रण
- रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होना।
प्रश्न 5.
फार्मूला तैयार करने के मूलभूत सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
फार्मूला तैयार करने के मूलभूत सिद्धान्त –
- दूध साफ, स्वच्छ एवं जीवाणुरहित होना चाहिए।
- दूध का फार्मूला तैयार करते समय यह अवश्य ध्यान देना चाहिए कि इससे शिशु का वजन, शक्ति एवं ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति हो सके।
- वह शिशु के लिए सुपाच्य हो।
प्रश्न 6.
बोतल से दूध पिलाने की विधि लिखिए।
उत्तर:
बोतल से दूध पिलाने की विधि –
- शिशु को गोद में लेकर दूध पिलाना चाहिए, उसी प्रकार जैसे स्तनपान कराते हैं।
- शिशु को गोद में लेकर सिर को थोड़ा ऊँचा कर देना चाहिए।
- शिशु को तब तक दूध पिलाएँ जब तक वह स्वयं ही दूध पीना न छोड़ दे। एक बार भरपेट दूध पी लेने पर शिशु स्वयं ही दूध पीना छोड़ देगा।
- दूध पिलाने के पश्चात् शिशु का मुँह साफ कर उसे डकार दिलानी चाहिए। इसके लिए शिशु को कन्धे से लगाकर हल्के-हल्के हाथों से पीठ को 10-15 मिनट तक थपथपाना चाहिए।
प्रशन 7.
शिशु की गहरी निद्रा के लिए आवश्यक बातें बताइए।
उत्तर:
शिशु की गहरी निद्रा के लिए आवश्यक बातें –
RBSE Class 11 Home Science Chapter 5 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
माँ का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम क्यों होता है? स्तनपान की विधि लिखिए।
उत्तर:
शिशु के लिए माता का दूध अमृत:
तुल्य है। माता के दूध से बेहतर और श्रेयस्कर कोई भी दूध शिशु के पोषण के लिए श्रेष्ठ नहीं है। यह कीटाणु रहित, ताजा, सदा उपलब्ध रहने वाला, दुग्ध परिष्करण की कोई गुंजाइश नहीं, गुर्दीय विलेय (Renal solute) कम एवं सभी गुणों से भरपूर रहता है। इसलिए माँ का दूध सर्वोत्तम माना जाता है। स्तनपान कराते समय शिशु के सिर के नीचे हाथ रखें जिससे दूध पीते समय शिशु की गर्दन को सहारा मिल सके।
ध्यान रहे कि शिशु को सांस लेने में तकलीफ न हो इसके लिए उसकी नाक को दबाने से बचाएँ। दूध पीने के बाद शिशु को धीरे से कन्धे पर लेकर उसकी कमर पर हाथ फेरकर उसे डकार दिलाएँ जिससे शिशु की आहार नाल में उपस्थित वायु निकल जाएगी और दूध आसानी से पच जाएगा। दूध पिलाते समय माता को प्रेम, वात्सल्य व ममतापूर्वक प्रसन्नचित होकर शिशु को दूध पिलानी चाहिए।
प्रश्न 2.
शिश की मल-मूत्र विसर्जन की क्रिया का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शिशु द्वारा मल-मूत्र विसर्जन:
प्रारम्भिक अवस्था में शिशु के मल त्याग क्रिया करने के पूर्व अन्तड़ियों की माँसपेशियाँ असुविधा के कारण एकाएक संकुचित होती हैं। यह शौच क्रिया करने का पूर्व संकेत होता है। वह बिना प्रतीक्षा किए तुरन्त ही मल त्याग कर देता है। वह दिन में अनियमित रूप से कई बार मल त्यागने की क्रिया करता है। सामान्यत: 6 माह की आयु से पूर्व शिशु के मल त्याग का समय प्राय: अनियमित रहता है। लेकिन जब वह माता के दूध के अतिरिक्त अन्य ठोस पदार्थ एवं गाय आदि का दूध लेने लगता है तो उसके मल त्याग का समय नियमित हो जाता है।
माता को पहले माह से ही शिशु के शौच करने के समय का कुछ – कुछ ज्ञान हो जाता है। अब उसे चाहिए कि एक साफ ताम्रचीनी के पॉट या प्याले पर शिशु को मल तयाग के सम्भावित समय से पूर्व ही बिठा दें। कुछ दिनों के प्रयास से शिशु को पॉट में मल त्यागने का स्वयं ही अभ्यास हो जाएगा। शिशु स्वतन्त्र रूप से पॉट पर बैठाकर मल त्याग के लिए कभी अकेला छोड़ा जाना चाहिए, जब तक कि उसकी पीठ की माँसपेशियाँ पर्याप्त रूप से विकसित न हो जाएँ, उसमें शरीर का सन्तुलन बनाए रखने की क्षमता उत्पन्न हो जाए व उसमें गिरने के भय से सुरक्षित रहने की भावना समावेशित हो जाए।
प्रश्न 3.
शिशु के विश्राम व निद्रा, सोने के समय तथा बिस्तर लगाने को समझाइए।
उत्तर:
विश्राम व निद्रा:
बालक के मस्तिष्क एवं स्नायु संस्थान को विश्राम देने से उसकी कार्य क्षमता तथा कार्य कुशलता बढ़ती है। निद्रा स्वास्थ्य का लक्षण है। यदि शिशु को गहरी नींद नहीं आती है तो यह समझना चाहिए कि उसके शरीर में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न हो गया है।
सोने का समय:
एक स्वस्थ नवजात शिशु 24 घण्टे में लगभग 22 घण्टे तक सोता है। वह केवल उसी अवस्था में जागता है, जबकि उसे मल-मूत्र त्यागना हो या फिर उसे भूख लगी हो। शिशु की आयु ज्यों-ज्यों बढ़ती जाती है, त्यों – त्यों उसका निद्रा काल भी कम होता जाता है।
नींद पूर्ण होने से पहले भंग होने के कारण:
- भोजन ठीक से न पचने पर,
- मल-मूत्र से वस्त्र गीला होने पर,
- अधिक मात्रा में दूध पीने से पेट भारी होने पर,
- भूख या प्यास के कारण,
- अधिक ठण्ड या गर्मी लगने पर,
- पहने हुए वस्त्र अत्यधिक कसे हुए होने पर,
- अत्यधिक शोरगुल होने पर,
- शिशु के अस्वस्थ होने, उसे ज्वर, पेट दर्द या खांसी होने पर।
बिस्तर लगाना:
बालक के लिए अच्छी नींद अति आवश्यक है और गहरी व अच्छी नींद के लिए उपयुक्त बिस्तर का होना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यक है कि बिस्तर साफ-सुथरा एवं मुलायम हो। बिस्तर का आकार उचित होना चाहिए। बिस्तर लगाने से पूर्व ध्यान रखना चाहिए कि बिस्तर गीला न हो। शिशु के सिर को सही आकार में रखने के लिए राई से भरा तकिया उपयोग में लाना चाहिए। इसके अतिरिक्त शिशु को उढ़ाने वाले कम्बल या चादर अधिक भारी नहीं होने चाहिए।