Rajasthan Board RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 नीत्युपदेशाः
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 पाठ्य-पुस्तकस्य अभ्यास-प्रणोत्तराणि
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 वस्तुनिष्ठ प्रश्ना
प्रश्न 1.
(क) पुरुष का समलङ्करोति? (पुरुष को क्या अलंकृत करता है?)
(अ) स्नानम्
(ब) केयूराणि
(स) वाणी
(द) भूषणम्
उत्तरम्:
(स) वाणी
(ख) श्रोत्रं केन विभाति? (कान किसके शोभा देते हैं?)
(अ) कुण्डलेन
(ब) कङ्कणेन
(स) परोपकारेण
(द) श्रुतेन
उत्तरम्:
(द) श्रुतेन
(ग) सन्ततीप्तायसि संस्थितस्य कस्य नामापि न ज्ञायते – (गर्म लोहे पर पड़ी किसका नाम ज्ञात नहीं होता-)
(अ) पयसः
(ब) मौक्तिकस्य
(स) नलिन्याः
(द) भूषणस्य
उत्तरम्:
(अ) पयसः
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत – (निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखिए)
(क) कीदृशी वाणी पुरुषं समलङ्करोति? (कैसी वाणी पुरुष को अलंकृत करती है ?)
उत्तरम्:
संस्कृता (परिष्कृत)
(ख) परं भूषणं किम्? (परम आभूषण क्या है?)
उत्तरम्:
शीलम् (सदाचार)
(ग) का दिक्षु कीर्तिं तनोति? (कौन दिशाओं में कीर्ति फैलाती है?)
उत्तरम्:
सत्सङ्गतिः (सत्संगति)
(घ) अधममध्यमोत्तमगुणाः कस्मात् जायते? (अधम, मध्यम, उत्तमगुण किससे पैदा होते हैं?)
उत्तरम्:
संसर्गतः (संगति से)
(ङ) महात्मनां व्यसनं कस्मिन् भवति ? (महापुरुषों की किसमें आसक्ति होती है?)
उत्तरम्:
श्रुतौ (शास्त्र ज्ञान सुनने में)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 लघूत्तरात्मक प्रश्ना
प्रश्न 3.
निम्नलिखितानां श्लोकानाम् भावार्थं लिखत – (निम्न श्लोकों का भावार्थ लिखिए।)
(क) क्षीयन्ते खलु भूषणानि। (निश्चित ही आभूषण क्षीण होते हैं।)
भावार्थ – आभूषणानि कालेगते क्षयं प्राप्नुवन्ति। केचन तु जीर्ण-शीर्णाः भवन्ति। धातूनाम् आभूषणानि अपि जीर्णा: भवन्ति परञ्च गुणाः ईदृशानि आभूषणानि यानि कदापि क्षयं न यान्ति।) (आभूषण समय बीतने पर क्षय को प्राप्त होते हैं। कुछ तो जीर्ण-शीर्ण हो जाते हैं। धातुओं के आभूषण भी जीर्ण-शीर्ण हो जाते हैं। लेकिन गुण रूपी आभूषण ऐसे होते हैं जो कभी क्षय को प्राप्त नहीं होते हैं।)
(ख) सर्वशास्त्रेष्वनुपहतविधिः श्रेयषामेष पन्थाः।
भावार्थ – सर्वेषु शास्त्रेषु ये अनुपहताः सन्ति तेषां श्रेयषामेष: मार्गः। (सभी शास्त्रों में जो अव्यहृत है, ऐसे लोगों के लिए यह श्रेय का मार्ग है।)
(ग) महतां नि:सीमानश्चरित्रविभूतयः।
भावार्थ – महापुरुषाणां चरित्रं उदारं भवति। तेषां चरित्रस्य सीमानम् कोऽपि न ज्ञातं शक्नोति। यतः ते गूढचरित्राः भवन्ति। यथासागर: सर्वेभ्यः शरणम् ददाति तथैव मह्मपुरुषाः अपि सर्वेभ्यः आश्रयं यच्छन्ति। (मह्मपुरुषों का चरित्र उदार होता है। उनके चरित्र को कोई जान नहीं सकता। जिस प्रकार सागर सभी को आश्रय देता है उसी प्रकार महापुरुष भी सभी को आश्रय देते हैं।)
(घ) प्रकृतिसिद्धमिदं हि मह्यत्मनाम्।
भावार्थ – महापुरुषाः आपदायां धैर्यशीलाः भवन्ति। ते उन्नता: सन्तः समृद्धिं च प्राप्य क्षमावन्तः भवन्ति। सभासु एव योग्यतां दर्शयन्ति। युद्धे पराक्रमं प्रदर्शयन्ति यतः एते गुणा महापुरुषेषु प्रकृत्या एव सिद्धाः भवन्ति। (महापुरुष आपत्ति में धैर्यशाली होते हैं। वे उन्नत हुए और समृद्धि को प्राप्त हुए क्षमाशील होते हैं। सभाओं में ही अपनी योग्यता दिखाते हैं। युद्ध में पराक्रम दिखाते हैं क्योंकि ये गुण महापुरुषों में स्वभाव से ही होते हैं।)
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 निबन्धात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 4.
अधोलिखितानां पद्यानां सप्रसंगव्याख्यां कुरुत – (निम्न पद्यों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए)
(क) केयूराणि न ……………… वाग्भूषणं भूषणम्।
उत्तरम्:
देखें श्लोक सं (1) की सप्रसंग संस्कृत व्याख्या।
(ख) सन्तप्तायसि संस्थितस्य ………………. संसर्गतो जायते।
उत्तरम्:
देखें श्लोक सं. (6) की सप्रसंग व्याख्या।
(ग) श्रोतं श्रुतेनैव …………….. तु चन्दनेन।
उत्तरम्:
देखें श्लोक सं. (9) की सप्रसंग संस्कृत व्याख्या।
प्रश्न 5.
‘पद्माकर …………. परहितेषु कृताभियोगा:’ अस्मिन् पद्ये किं छन्दः, तत् लक्षणं लिखित्वा उदाहरणे संगमयत् ।
उत्तरम्:
अस्मिन् पद्ये वसन्ततिलका छन्दः (इस पद्य में वसन्ततिलका छन्द है।) लक्षण-‘क्ता वसन्ततिलका तभजा जगौग:। (चार चरण वाले उस छुद को वसन्ततिलको कहते हैं जिसमें तगण, भगण, जगण, जगण, गुरु तथा गुरु के क्रम से 14 (चौदह) वर्ण हों।)
उदाहरण –
सङ्गति – उपर्युक्त पद्य में चार चरण हैं, प्रत्येक चरण में 14-14 वर्ण हैं। सभी चरणों में 14 वर्ण तगण (ऽऽ।) भगण (ऽ।।) जगण (।ऽ।) जगण (।ऽ।) गुरु (5) और गुरु (5) के क्रम से हैं। पहले और तीसरे चरण के अन्तिम लघु वर्ण को गुरु मान लिया गया है।
प्रश्न 6.
संसर्गस्य महत्वं प्रतिपादयत्। (संगति का महत्व प्रतिपादित कीजिए)
उत्तरम्:
सत्सङ्गति बुद्धेः जडतां हरति। वाचि सत्यं सिञ्चति। सम्मानं वर्धयति। पापं दूरी करोति। चित्तं प्रसन्नं करोति। यशः तनोति। एवं सत्सङ्गति मानवाय सर्वमेव करोति। (सत्संगति बुद्धि की जड़ता को हरण करती है। वाणी में सत्य का संचार करती है। सम्मान बढ़ाती है। पाप दूर करती है। चित्त को प्रसन्न करती है। यश को फैलाती है। इस प्रकार संगति मानव के लिए सब कुछ करती है।)
व्याकरणात्मक प्रश्नोत्तराणि –
प्रश्न 7.
(क) अधोलिखितानां पदानां सन्धि-विच्छेदं कृत्वा सन्धिनाम निर्देशं कुरुत (निम्न पदों का सन्धि विच्छेद करके संधि का नाम लिखिए)
उत्तरम्:
(ख) अधोलिखितानां पदानां संधि कुरुत – (निम्न पदों की सन्धि कीजिए)
उत्तरम्:
(ग) अधोलिखितेषु पदेषु धातु-लकार पुरुषवचनानां निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में धातु, लकार, पुरुष और वचन बताइये)
उत्तरम्:
(घ) अधोलिखितेषु पदेषु मूल शब्द, विभक्ति, लिङ्ग, वचनानां निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में मूल शब्द, विभक्ति, लिंग और वचन बताइये-)
उत्तरम्:
(ङ) अधोलिखितेषु पदेषु प्रकृतेः-प्रत्ययस्य च निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों में प्रकृति-प्रत्यय बताइये)
उत्तरम्:
(च) अधोलिखितानां पदानां समास-विग्रहं कृत्वा समासस्य नाम निर्देशं कुरुत – (निम्न पदों का समास विग्रह करके समास का नाम बताइए)
उत्तरम्:
RBSE Class 11 Sanskrit सत्प्रेरिका Chapter 11 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तराणि
प्रश्न 1.
नीत्युपदेशाः’ इति पाठः कुतः सङ्कलित:? (‘नीत्युपदेशा:’ पाठ कहाँ से संकलित है?)
उत्तरम्:
‘नीत्युपदेशाः पाठः नीतिशतकात् संकलितः। (‘नीत्युपदेशा:’ पाठ नीतिशतक से संकलित है।)
प्रश्न 2.
‘नीतिशतकम्’ केन रचितम्? (नीतिशतक की रचना किसने की ?)
उत्तर:
‘नीतिशतकम्’ महाकवि भर्तृहरिणा रचितम् अस्ति। (‘नीतिशतकम्’ महाकवि भर्तृहरि द्वारा रचा गया है।)
प्रश्न 3.
भर्तृहरिणा कति शतकानि लिखितानि? (भर्तृहरि ने कितने शतक लिखे?)
उत्तरम्:
भर्तृहरिणा त्रीणि शतकानि लिखितानि। (भर्तृहरि ने तीन शतक लिखे।)
प्रश्न 4.
भर्तृहरेः त्रयाणां शतकानां नामानि लिखत। (भर्तृहरि के तीन शतकों के नाम लिखिए।)
उत्तरम्:
भर्तृहरे: त्रीणि शतकानि सन्ति – (1) नीतिशतकम्, (2) वैराग्यशतकम्, (3) श्रृंगारशतकम्।
(भर्तृहरि के तीन शतक हैं – (1) नीतिशतक (2) वैराग्यशतक (3) श्रृंगारशतक।)
प्रश्न 5.
कानि सततं क्षीयन्ते? (निरन्तर कौन क्षीण हो जाते हैं?)
उत्तरम्:
भूषणानि सततं क्षीयन्ते। (आभूषण निरन्तर क्षीण होते रहते हैं।)
प्रश्न 6.
मानवाय कीदृशी वाणी अलङ्करोति? (मानव को कैसी वाणी शोभा देती है?)
उत्तरम्:
मानवाय संस्कृतावाणी अलङ्करोति (मानव को शुद्ध वाणी शोभित करती है।)
प्रश्न 7.
भर्तृहरेः शैली कीदृशी अस्ति? (भर्तृहरि की शैली कैसी है?)
उत्तरम्:
भर्तृहरे: शैली प्रसादगुणयुक्ता अस्ति। (भर्तृहरि की शैली प्रसाद गुण से युक्त है।)
प्रश्न 8.
किं भूषणं स्थायिरूपेण तिष्ठति? (कौन-सा आभूषण स्थायी रूप से ठहरता है?)
उत्तरम्:
वाग्भूषणं स्थायि भूषणम् अस्ति। (वाणीरूपी भूषण स्थायी भूषण है।)
प्रश्न 9.
ऐश्वर्यस्य भूषणं किम्? (ऐश्वर्य का आभूषण क्या है?)
उत्तरम्:
ऐश्वर्यस्य भूषणं सुजनता भवति। (ऐश्वर्य का आभूषण सज्जनता है।)
प्रश्न 10.
वाक् संयमः कस्य शोभा वर्धयति? (वाक् संयम किसकी शोभा को बढ़ाता है ?)
उत्तरम्:
वाक्यसंयम: शौर्यस्य शोभां वर्धयति। (वाक् संयम शूरवीरता की शोभा को बढ़ाता है।)
प्रश्न 11.
ज्ञानस्य शोभा केन भवति? (ज्ञान की शोभा किससे होती है?)
उत्तरम्:
ज्ञानस्य शोभा उपशमेन भवति। (ज्ञान की शोभा शान्ति से होती है।)
प्रश्न 12.
तपः केन शोभते। (तप किससे शोभा देता है।)
उत्तरम्:
तप: अक्रोधेन शोभते ? (तप की शोभा अक्रोध से होती है?)
प्रश्न 13.
प्रभवितुः भूषणं किम् ? (समर्थ व्यक्ति का आभूषण क्या है?)
उत्तरम्:
क्षमा प्रभवितुः भूषणम्। (क्षमा समर्थ व्यक्ति का आभूषण है।)
प्रश्न 14.
धर्मस्य शोभा केन भवति? (धर्म की शोभा किससे होती है?)
उत्तरम्:
धर्मस्य शोभा निव्र्याजतयो भवति। (धर्म की शोभा निष्कपटता से होती है।)
प्रश्न 15.
परं आभूषणं किम् उक्तम्? (परम आभूषण किसे कहा गया है ?)
उत्तरम्:
शीलं परं भूषणम्। (शील परम आभूषण है।)
प्रश्न 16.
सत्सङ्गति पुंसाम् किं किं करोति? (सत्संगति मनुष्यों को क्या-क्या करती है?)
उत्तरम्:
सत्सङ्गति बुद्धेः जाड्यं हरति, वाचि सत्यं सिंचति, मानोन्नति सम्पादयति पापं दूरी करोति, चेतः प्रसादयति दिक्षु कीर्ति तनोति च। (सत्संगति बुद्धि की जड़ता का हरण करती है, वाणी में सत्य का सञ्चार करती है, सम्मान बढ़ाती है, पाप को दूर करती है, चित्त को प्रसन्न करती है और दिशाओं में कीर्ति को फैलाती है।)
प्रश्न 17.
शेषः किं वहति? (शेषनाग क्या वहन करता है?)
उत्तरम्:
शेषः भुवनं श्रेणिं वहति। (शेषनाग भुवन समूह को वहन करता है।)
प्रश्न 18. सागरः निजक्रोडे किं धारयति? (सागर अपनी गोद में किसको धारण करता है?)
उत्तरम्:
सागर: निजक्रोडेकमठे, शेष भुवनत्रयं च धारयति। (सागर अपनी गोद में कछुआ, शेषनाग और तीनों भुवनों को धारण करता है।)
प्रश्न 19.
महतां चरित्रविभूतयः कीदृश्यः भवन्ति? (महापुरुषों के चरित्र-वैभव कैसे होते हैं?)
उत्तरम्:
महतां चरित्रविभूतयः नि:सीमानः भवन्ति। (महापुरुषों के चरित्र की विभूतियाँ असीम होती हैं।)
प्रश्न 20.
पयसो बिन्दु नलिनीपत्रे कथं शोभते? (पानी की बूंद कमलिनी के पत्ते पर कैसी शोभा देती है?)
उत्तरम्:
पयसो बिन्दु नलिनीपत्रे मुक्तकारतया राजते। (पानी की बूंद कमलिनी के पत्ते पर मोती के समान शोभा देती है।)
प्रश्न 21.
स्वात्यां शुक्तिमध्य पतितं जलं किं भवति? (स्वाति में सीप में पड़ा जल क्या होता है?)
उत्तरम्:
स्वात्यां शुक्तिमध्य पतितं जलं मौक्तिकं भवति। (स्वाति में सीप में पड़ा हुआ जल मोती बन जाता है।)
प्रश्न 22.
मह्यमानाम् मन:स्थिति विपदि कथं भवति? (महापुरुषों की मन:स्थिति विपत्ति में कैसे होती है?)
उत्तरम्:
महात्मानम् विपदि धैर्यं भवति। (महात्माओं में विपत्ति में धैर्य होता है।)
प्रश्न 23.
मह्मत्मानाम् प्रकृति सिद्धं किं भवति? (महापुरुषों के स्वभाव से ही सिद्ध क्या होता है?)
उत्तरम्:
विपदि धैर्यम् अभ्युदय क्षमा, सदसि वाक्पटुता, श्रुतौ व्यसनं, युधि पराक्रमः, यशसि च अभिरुचि महात्मानाम् प्रकृति सिद्धं भवति। (विपत्ति में धैर्य, उन्नति में क्षमा, सभा में वाक्पटुता, शास्त्रों में रुचि, युद्ध में पराक्रम, यश में रुचि ये सब वह महापुरुषों के स्वभाव से सिद्ध होती है।)
प्रश्न 24.
करुणापराणां कायः केन विभाति? (दयालु लोगों का शरीर किससे शोभा देता है?)
उत्तरम्:
करुणापराणां काय: परोपकारैः विभाति। (दयालु लोगों का शरीर परोपकारों से शोभा देता है।)
प्रश्न 25.
परहितेषु कृताभियोगा: के भवन्ति? (परहितों में मन से कौन रत रहते हैं?)
उत्तरम्:
परहितेषु सज्जनाः कृताभियोगा: भवन्ति। (सज्जन परहित में मनोयोग से लगे रहते हैं।)