Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 बाल्यावस्था में पोषण
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) 1 वर्ष से लेकर 10-12 वर्ष की आयु तक के बच्चे आते हैं –
(अ) युवावस्था
(ब) शैशवावस्था
(स) बाल्यावस्था
(द) किशोरावस्था।
उत्तर:
(स) बाल्यावस्था
(ii) प्रारम्भिक बाल्यावस्था को कहते हैं –
(अ) शालीय अवस्था
(ब) पूर्वशालीय अवस्था
(स) किशोरावस्था
(द) शैशवावस्था।
उत्तर:
(ब) पूर्वशालीय अवस्था
(iii) अस्थायी दाँतों में दंत क्षय की समस्या सर्वाधिक…………….बालकों में पाई जाती है –
(अ) 4-5 वर्ष के
(ब) 5-6 वर्ष के
(स) 9-10 वर्ष के
(द) 6-8 वर्ष के।
उत्तर:
(द) 6-8 वर्ष के।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. ………………..वर्ष का होते-होते शिशु स्वयं चलना-फिरना तथा अपने शरीर पर नियन्त्रण करना सीख लेता है।
2. पूर्वशालीय बालक बहुत ही……………….एवं…………………प्रवृत्ति के होते हैं।।
3. उत्तर बाल्यावस्था के बालकों में ……………एवं………………. बढ़ जाती है।
4. बच्चों को दिनभर में………………गिलास जल एवं तरेल पेय पीने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
उत्तर:
1. दो
2. जिज्ञासु, नटखट
3. क्रियाशीलता, आत्मनिर्भरता
4. 6 – 8.
प्रश्न 3.
पाइका किसे कहते हैं?
उत्तर:
उत्तर-पूर्व बाल्यावस्था में कई बालक बड़ों से छिपकर विविध अखाद्य पदार्थ; जैसे-मिट्टी, चूना, पेन्ट, कागज, मोम, बर्फ, साबुन आदि उठा-उठाकर खाने लगते हैं। इन अखाद्य पदार्थों की खाने की तीव्र उत्कंठा एवं चेष्टा को पाइका (Pica) कहते हैं।
प्रश्न 4.
उत्तर – बाल्यावस्था क्या है?
उत्तर:
6 वर्ष से लेकर किशोरावस्था प्रारम्भ होने तक के बालक इस समूह के अन्तर्गत आते हैं। इस अवस्था के बालक नियमित रूप से 6-7 घण्टे के लिए विद्यालय जाकर औपचारिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। अत: इसे विद्यालयी अथवा शालीय बालक की अवस्था भी कहते हैं। इस अवस्था का अन्त लिंग एवं व्यक्तिगत भिन्नता के आधार पर अलग-अलग होता है। बौद्धिक व सामाजिक विकास के साथ-साथ बालक अनुशासन एवं नैतिकता के महत्त्व को समझने लगते हैं।
प्रश्न 5.
बढ़ते बच्चों के लिए प्रोटीन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
बढ़ते बच्चों के लिए प्रोटीन की आवश्यकता अधिक होती है, क्योंकि प्रोटीन ही शरीर-निर्माण का कार्य करती है। प्रोटीन प्रतिदिन होने वाली शारीरिक तंतुओं की टूट – फूट की मरम्मत के साथ-साथ नये तन्तुओं का भी निर्माण करती है। उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के लिए भोजन में पूर्ण प्रोटीन युक्त भोज्य जैसे दूध व दूध से बने पदार्थ आदि का समावेश करें।
प्रश्न 6.
पूर्वशालीय बालकों की आहार – व्यवस्था करते समय किन – किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
शैशवावस्था में बालक का मुख्य आहार दूध होता है। पूर्वशालीय अवस्था आते-आते बालक दूध के साथ-साथ घर में पकाये जाने वाले अनाज, दाल, फल व सब्जियाँ युक्त विविध भोज्य पदार्थ खाने लगता है। अतः पूर्वशालीय बालकों की आहार – व्यवस्था करते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान रखना चाहिए –
- बालकों को भोजन एक निश्चित समय पर भूख लगने पर ही देना चाहिए।
- बच्चों की उनकी रुचि वाले ही आहार देना चाहिए।
- बच्चों को सादा एवं कम मिर्च -मसाले का भोजन देना चाहिए।
- खाद्य पदार्थों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर देना चाहिए, ताकि वे गले में न अटकें तथा आसानी से निगल लें।
- भोज्य पदार्थ थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल में (3-4 घण्टे पर) 5-6 बार में देना चाहिए।
- छोटे बच्चों को भूख कम होती है इसलिए उन्हें थोड़ी मात्रा में भोजन देना चाहिए जिससे वे जूठन न छोड़े।
- छोटे बालक की निगलने की क्षमता कम होती है। अत: खाद्य पदार्थों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर देना चाहिए।
- अधिक मीठे तथा दाँतों में चिपकने वाले भोजन बालकों को नहीं देने चाहिए।
- यदि बच्चे को दूध पसन्द न हो तो दूध में कोई फल; जैसे-आम, केला, चीकू अथवा शर्बत आदि मिलाकर देना चाहिए।
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ व दालें बालकों को भरवाँ पराठों, कचौड़ी, लड्डू आदि के रूप में भी दी जा सकती हैं।
- बालक को सभी भोज्य पदार्थ एक बार में नहीं दिए जा सकते। अत: मिश्रित भोज्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।
- नाश्ते में प्रोटीनयुक्त भोजन जैसे-दूध, अण्डा व दाल से बने व्यंजन को सम्मिलित करें।
- बच्चों को शीतल पेय पदार्थों के स्थान पर सूप, फलों का रस, छाछ आदि देनी चाहिए।
- एक ही प्रकार का भोजन बार-बार देने के स्थान पर भोजन बदल-बदलकर दें।
- भोजन के रूप व स्वाद में परिवर्तन करते रहें।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक से छः वर्ष की आयु के बालक किस समूह में आते हैं ?
(अ) शैशवावस्था में
(ब) पूर्व बाल्यावस्था में
(स) उत्तरबाल्यावस्था में
(द) किशोरावस्था में
उत्तर:
(ब) पूर्व बाल्यावस्था में
प्रश्न 2.
लड़कियों में किशोरावस्था शीघ्र प्रारम्भ होने के कारण बाल्यावस्था समाप्त हो जाती है.
(अ) 9 -10 वर्ष के दौरान
(ब) 11 – 12 वर्ष के दौरान
(स) 6 – 8 वर्ष के दौरान
(द) 13 -15 वर्ष के दौरान
उत्तर:
(अ) 9-10 वर्ष के दौरान
प्रश्न 3.
किशोरावस्था में लम्बाई में वृद्धि की दर होती है
(अ) 5 से 6.5 सेमी
(ब) 6 – 7.5 सेमी
(स) 4 से 5 सेमी
(द) 8 – 10 सेमी
उत्तर:
(अ) 5 से 6.5 सेमी
प्रश्न 4.
10 से 12 वर्ष की बालिका को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है ?
(अ) 1870 कैलोरी
(ब) 1970 कैलोरी
(स) 1670 कैलोरी
(द) 1770 कैलोरी
उत्तर:
(ब) 1970 कैलोरी
प्रश्न 5.
7 से 9 वर्ष के बालक को संतुलित आहार के आधार पर कितने अनाज की आवश्यकता होगी ?
(अ) 170 ग्राम
(ब) 270 ग्राम
(स) 400 ग्राम
(द) 200 ग्राम
उत्तर:
(ब) 270 ग्राम
प्रश्न 6.
बच्चों को भोजन थोड़े-थोड़े समय के अन्तराल (3-4 घंटों) पर कितनी बार देना चाहिए?
(अ) 2 – 3 बार
(ब) 4 – 5 बार
(स) 5 – 6 बार
(द) 3 – 4 बार
उत्तर:
(ब) 4 – 5 बार
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. दो वर्ष का होते – होते …….. स्वयं चलना-फिरना सीख जाता है।
2. अखाद्य पदार्थों को खाने से बालकों की …………. कम हो जाती है।
3. भोजन में अनाज का समावेश ………… की आपूर्ति के साथ-साथ भूख को भी शान्त रखता है।
4. शैशवावस्था में ………. का मुख्य आहार दूध होता है।
5. बालकों को भोजन ……….. समय पर देना चाहिए।
6. छोटे बच्चों को अपने आप भोजन करने के लिए ………… करना चाहिए।
उत्तर:
1. शिशु
2. भूख
3. ऊर्जा
4. बालक
5. नियत
6. प्रेरित
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 अति लघूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
शैशवावस्था के समाप्त होने से लेकर किशोरावस्था प्रारम्भ होने तक का समय बाल्यावस्था | कहलाता है अर्थात् 1 वर्ष से 10-12 वर्ष तक की आयु के बच्चे बाल्यावस्था में आते हैं।
प्रश्न 2.
पूर्व – बाल्यावस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक से छः वर्ष की अवस्था को पूर्व-बाल्यावस्था अथवा पूर्वशालीय अवस्था कहते हैं, क्योंकि इस अवस्था में बालक या तो स्कूल जाते नहीं हैं या अल्प समय के लिए जाते हैं।
प्रश्न 3.
अनौपचारिक शिक्षा किस प्रकार दी जाती है?
उत्तर:
अनौपचारिक शिक्षा नर्सरी, किंडरगार्टन आदि में खेल-खेल में दी जाती है।
प्रश्न 4.
पूर्व – बाल्यावस्था में बच्चे के मस्तिष्क का विकास कितने प्रतिशत हो चुका होता है?
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था में बच्चे के मस्तिष्क का विकास 90 प्रतिशत हो चुका होता है।
प्रश्न 5.
उत्तर – बाल्यावस्था कौन-सी होती है?
उत्तर:
उत्तर-बाल्यावस्था छः वर्ष से किशोरावस्था आरम्भ होने तक होती है।
प्रश्न 6.
उत्तर – बाल्यावस्था वाले बालक को विद्यालयी बालक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
उत्तर – बाल्यावस्था में बालक नियमित रूप से विद्यालय जाकर औपचारिक शिक्षा ग्रहण करते हैं इसलिए इस अवस्था के बालक को विद्यालयी बालक कहते हैं।
प्रश्न 7.
उत्तर – बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि वविकास दर किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
उत्तर-बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि व विकास दर कुछ धीमी, स्थिर एवं रेखिक (Steady and Linear) होती है।
प्रश्न 8.
यदि बालक को कोई व्यंजन पसन्द न आये तो क्या करना चाहिए?
उत्तर:
यदि बालक को कोई व्यंजन पसन्द न आये तो उसकी बनाने की विधि में परिवर्तन कर देना चाहिए।
प्रश्न 9.
बच्चों को वक्त – बेवक्त भोजन क्यों नहीं देना चाहिए?
उत्तर:
बच्चों को वक्त – बेवक्त भोजन नहीं देना चाहिए, क्योंकि इससे उनकी भूख मर जाती है।
प्रश्न 10.
उत्तर – बाल्यावस्था की एक समस्या बताइए।
उत्तर:
उत्तर – बाल्यावस्था में बालक खेलों में अपनी रुचि अधिक दिखाता है तथा भोजन के प्रति लापरवाह हो जाता है।
प्रश्न 11.
बच्चों को दिनभर में कितने गिलास जल – पीना चाहिए ?
उत्तर:
बच्चों को दिनभर में पर्याप्त जल 6-8 गिलास तक पीना चाहिए।
प्रश्न 12.
बाल्यावस्था को कितने भागों में बाँटा गया
उत्तर:
बाल्यावस्था को दो भागों में बाँटा गया है –
- प्रारंभिक बाल्यावस्था
- उत्तर-बाल्यावस्था।
प्रश्न 13.
लड़कियों के वजन में वृद्धि किस कारण से होती है?
उत्तर:
लड़कियों के वजन में वृद्धि वसीय ऊतकों में बढ़ोत्तरी के कारण होती है।
प्रश्न 14.
1- 3 वर्ष के बच्चे को प्रतिदिन कितनी प्रोटीन की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
1 – 3 वर्ष तक के बच्चे को प्रतिदिन 22 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 लघु उत्तरीय प्रश्न (SA-I)
प्रश्न 1.
पूर्वशालीय अवस्था में होने वाले परिवर्तनों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
पूर्वशालीय अवस्था में होने वाले परिवर्तन (Changes During Pre – school – going Age)
तंत्रिका तंत्र व मांसपेशियों का विकास (Nervous System and Muscular Development):
मस्तिष्क तथा । नाड़ियों का 90 प्रतिशत विकास बाल्यावस्था के आरम्भिक काल में ही पूर्ण हो जाता है। दो वर्ष की आयु का होने तक बालक स्वयं चलना तथा शारीरिक नियंत्रण रखना सीख जाता है।
शारीरिक वृद्धि एवं विकास (Physical Growth and Development):
पूर्वशालीय अवस्था में वंजन, लम्बाई, सिर व छाती का घेरा, वसीय परत आदि की वृद्धि शैशवावस्था की तुलना में कम होती है। 2 – 3 वर्ष के मध्य 20 अस्थायी दाँत निकल आते हैं।
प्रश्न 2.
उत्तर – बाल्यावस्था में पोषण सम्बन्धी समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उत्तर-बाल्यावस्था में पोषण सम्बन्धी समस्याएँ निम्न प्रकार हैं –
1. क्रियाशीलता एवं आत्मनिर्भरता में वृद्धि होती है।
2. खेलों के प्रति अधिक अभिरुचि।
3. भोजन के प्रति अधिक अरुचि।
4. दन्त क्षय की समस्या।
5. कक्षा में प्रतिस्पर्धा की भावना एवं सहपाठियों के समायोजन के कारण बालक तनाव की स्थिति में रहते हैं।
प्रश्न 3.
बाल्यावस्था में ऊर्जा की आवश्यकता को समझाइये।
उत्तर:
बाल्यावस्था में शारीरिक वृद्धि एवं विकास और क्रियाशीलता को बनाये रखने के लिए बालकों को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। तीव्र शारीरिक वृद्धि करने वाले या अतिसक्रिय या ठंडे प्रदेशों में रहने वाले बालकों में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इनमें ऊर्जा का उपापचय अधिक होता है। ऊर्जा की आवश्यकताएँ भरपूर मात्रा में कार्बोज युक्त भोज्य; जैसे – अनाज, गुड़, शक्कर व वसा के समावेश से पूरी होती हैं। भोजन में अनाज का उपयुक्त समावेश ऊर्जा की आपूर्ति के साथ-साथ भूख भी शांत करता है। भोजन में कार्बोज के पर्याप्त समावेश से प्रोटीन की बचत होती है।
प्रश्न 4.
पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों की पोषण सम्बन्धी समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पूर्व-बाल्यावस्था के बालकों में शारीरिक तीव्र वृद्धि के कारण भोजन सम्बन्धी आवश्यकताएँ अधिक होती हैं। परन्तु इस आयु के बालकों की अनेक पोषण सम्बन्धी समस्याएँ भी होती हैं। बच्चों में अक्सर चीजों को मुंह में रखने की आदत होती है जिसके चलते ये अखाद्य वस्तुओं जैसे – चूना, मिट्टी, कागज, साबुन आदि को खाने की चेष्टा करते हैं, इसे पाइका (Pica) की समस्या कहते हैं। इन वस्तुओं को खाने के कारण बच्चों की भूख में कमी होती है तथा पाचन संस्थान गड़बड़ा जाता है।
इस प्रकार की वस्तुओं को खाने की चेष्टा का कारण उनके भोजन में पौष्टिकता, गुणवत्ता एवं स्वाद में कमी होना है। ऐसी स्थिति में बालकों में प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण, रक्ताल्पता, रतौंधी, रिकेट्स, स्कर्वी, बेरी-बेरी, एराइबोफ्लेविनोसिस व पैलाग्रा आदि रोग होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।
प्रश्न 5.
विद्यालयी अवस्था के बालकों में होने वाले परिवर्तन समझाइए।
उत्तर:
उत्तर – बाल्यावस्था आते – आते बालक के विविध शरीरिक मापों में वृद्धि की दर पुनः कुछ हद तक बढ़ जाती है, किन्तु अभी भी यह किशोरावस्था में होने वाली तीव्र वृद्धि एवं विकास से कम होती है। विद्यालयी बालकों में निम्न प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होते हैं –
- वजन में वृद्धि की दर लगभग 2 किग्रा/वर्ष से बढ़कर 4 किग्रा/वर्ष तक हो जाती है।
- लम्बाई में वृद्धि की दर से 5 से 6.5 सेमी/वर्ष पायी जाती है, जो बालकों की अपेक्षा बालिकाओं में अधिक होती है।
- बच्चों के अस्थाई दाँतों का स्थान, स्थाई दाँत लेने लगते हैं।
- किशोरावस्था में तीव्र गति की अपेक्षा शारीरिक विकास की गति धीमी होती है।
- छ: वर्ष की अवस्था में जो बालिकाएँ बालकों के वजन से हल्की एवं कद में ठिगनी थीं दस वर्ष की उम्र होते-होते वे बालकों की अपेक्षा वजन में भारी एवं अधिक लम्बी हो जाती हैं।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
बाल्यावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकता का उल्लेख करते हुए आठ वर्षीय बालक की एक दिन की आहार-तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
बाल्यावस्था में पोषण संबंधी आवश्यकताएँ (Needs of Nutrition During Childhood):
बाल्यावस्था में पौषणिक आवश्यकताएँ बच्चों की क्रियाशीलता, जलवायु एवं स्वास्थ्य के अनुसार बदलती रहती हैं।
बाल्यावस्था में एक दिन के लिए पोषक तत्वों की प्रस्तावित मात्रा तालिका
बाल्यावस्था में बच्चों को सर्वाधिक आवश्यकता प्रोटीन की होती है। उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीनयुक्त भोज्य पदार्थ; जैसे – दूध, दही, छेना, अण्डा, माँस, मछली आदि उपयुक्त मात्रा में देना चाहिए। हड्डियों तथा दाँतों की वृद्धि एवं विकास हेतु खनिज लवणों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
विद्यालयी बालक की आहार व्यवस्था करते समय किन – किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
यदि प्रारम्भिक बाल्यावस्था में भोजन सम्बन्धी स्वच्छ एवं स्वस्थ आदतों की नींव रखी जा चुकी है तो वे उत्तर बाल्यावस्था में आकर परिपक्व एवं पुष्ट हो जाती हैं अत: विद्यालयी बालक के लिए आहार व्यवस्था करते समय निम्न बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए –
- बालकों का भोजन निश्चित समय पर शांत एवं स्नेहिल वातावरण में पारिवारिक सदस्यों के साथ ही देना चाहिए।
- सुबह का नाश्ता पौष्टिक होना चाहिए। साथ ही यह ऐसा हो जिसे खाने में कम समय लगे। जैसे – पराठा या सैण्डविच दूध के साथ।
- बच्चों को स्कूल जाते समय टिफिन अवश्य देना चाहिए और इसमें पौष्टिक, सुपाच्य, स्वादिष्ट एवं रुचिकर भोज्य पदार्थ रखे जाने चाहिए।
- बालकों को भोजन सादा व कम मिर्च – मसाले वाला तथा आकर्षक ढंग से देना चाहिए। 5. आहार में प्रतिदिन नया व रुचिकर व्यंजन सम्मिलित करनी चाहिए।
- बालकों द्वारा कोई व्यंजन अस्वीकृत कर दिये जाने पर डाँटे-डपटे या परेशान हुए बिना उसके रूप, रंग व पकाने की विधि में परिवर्तन करना चाहिए। उदाहरण के लिए, पालक, मेथी की सब्जी नापसंद हो तो आटे में गूंथकर पराठे बनाकर खिलाया जा सकता है।
- बालकों को डाँट – डपटकर भोजन कभी नहीं कराना चाहिए। इससे बालक मन से भोजन नहीं खा पाएगा तथा असन्तुष्ट रहेगा।
- बच्चों को पैसे देकर विद्यालय नहीं भेजना चाहिए। पैसे होने पर वे विद्यालय परिसर या आस-पास मिलने वाले गंदे व संक्रमण युक्त पदार्थों का सेवन करेंगे। इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 12 प्रायोगिक कार्य
प्रश्न 1.
बाल्यावस्था में बालकों की वृद्धि एवं विकास के अनुसार दैनिक संतुलित आहार-तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
बाल्यावस्था के दौरान वृद्धि एवं विकास के लिए दैनिक संतुलित आहार-तालिका
नोट – माँसाहारी बालक को 30 ग्राम दाल के बदले 50 ग्राम अंडा / माँस / मछली दे सकते हैं।
प्रश्न 2.
बाल्यावस्था के लिए संतुलित आहार भोज्य तालिका का निर्माण कीजिए।
उत्तर:
बाल्यावस्था के लिए संतुलित आहार भोज्य तालिका
नोट-माँसाहारी बालकों को दाल की एक इकाई (30 ग्राम) के बदले में अंडा / माँस / मछली की एक इकाई (50 ग्राम) दे सकते हैं।
प्रश्न 3.
तीन वर्षीय पूर्व – विद्यालयी बालक के लिए एक दिन का आहार – आयोजन आप किस प्रकार करेंगी?
उत्तर:
तीन वर्षीय पूर्व विद्यालयी बालक के लिए एक दिन की । आहार – आयोजन तालिका
प्रश्न 4.
तीन वर्षीय बालक के एक दिन के भोजन की भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं उनके कुल योग की तालिका का निर्माण करिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
एक नौ वर्षीय विद्यालयी बालक के लिए एक दिन का आहार-आयोजन आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
नौ वर्षीय विद्यालयी बालक की एक दिन की आहार-आयोजन तालिका
प्रश्न 6.
नौ वर्षीय बालक के एक दिन के भोजन की भोज्य इकाइयों का विभाजन एवं उनके कुल योग की तालिका का निर्माण करिए।
उत्तर: