Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 बुद्धि और अभिक्षमता
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 अभ्यास प्रश्न
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एक बालक की तैथिक आयु 10 वर्ष है तथा मानसिक आयु 12 वर्ष हैं उसकी बुद्धि-लब्धि होगी?
(अ) 80
(ब) 100
(स) 120
(द) 1.2
उत्तर:
(स) 120
प्रश्न 2.
स्पीयरमेन सिद्धान्त में बुद्धि के कितने कारक बताए गए हैं?
(अ) 1
(ब) 2
(स)3
(द) 4
उत्तर:
(ब) 2
प्रश्न 3.
कौन-सा पद गिलफोर्ड के सिद्धान्त से सम्बन्धित नहीं हैं?
(अ) संक्रिया
(ब) लाभ
(स) विषय-वस्तु
(द) उत्पादन
उत्तर:
(ब) लाभ
प्रश्न 4.
किन मनोवैज्ञानिक ने सांवेगिक बुद्धि का प्रतिपादन किया?
(अ) सैलोबी एवं मेयर
(ब) गिलफोर्ड एवं स्पीयरमेन
(स) सीमेन व बिनेट
(द) कैटल एवं गार्डनर
उत्तर:
(अ) सैलोबी एवं मेयर
प्रश्न 5.
DAT में किसका मापन होता है?
(अ) बुद्धि
(ब) सांवेगिक बुद्धि
(स) अभिवृत्ति
(द) अभिक्षमता
उत्तर:
(द) अभिक्षमता
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बुद्धि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य आज बुद्धि के कारण ही श्रेष्ठतम प्राणी समझा जाता है। यद्यपि बुद्धि बहुत कुछ वंशानुक्रम पर आधारित होती है। फिर भी इसके विकास के लिए उपयुक्त वातावरण की भी आवश्यकता होती है। बुद्धि एक गुण नहीं है बल्कि अनेक गुणों का समुच्चय है। बुद्धि एक परिकल्पनात्मक शक्ति होती है जिसे देखा नहीं जा सकता है। प्रायः व्यक्ति बुद्धि का उपयोग विभिन्न समस्याओं को समझने और उनके समाधान में करता है। व्यक्ति बुद्धि का उपयोग दैनिक जीवन की छोटी-से-छोटी बातों से लेकर बड़ी-से-बड़ी को समझने और अनुक्रिया करने में भी करता है।
बकिंघम के अनुसार, “बुद्धि सीखने की योग्यता है।”
अतः संक्षेप में यह स्पष्ट है कि बुद्धि व्यक्ति की जन्मजात शक्ति है और उसकी सभी मानसिक योग्यताओं का योग एवं अभिन्न अंग है। मनोविज्ञान में इसी अर्थ को स्वीकार किया गया है।
प्रश्न 2.
बुद्धि-लब्धि का सूत्र बताइए।
उत्तर:
बुद्धि-लब्धि (Intelligence Quotient अर्थात् I.Q.):
जर्मन मनोवैज्ञानिक ‘विलियम स्टर्न’ ने सबसे पहले इसका प्रयोग किया था तथा बाद में टरमैन ने भी इसका प्रयोग किया। स्टर्न ने अनुभव किया कि यदि 6 वर्ष की आयु का बच्चा 8 वर्ष की आयु के बच्चे के समान कार्य करता है तो वह अपनी आयु के औसत बच्चों से 8/6 अर्थात् 1:33 दर्जे अधिक बुद्धिमान होगा अर्थात् व्यक्ति के मानसिक विकास को मापने के लिए उसने मानसिक आयु/वास्तविक आयु अनुपात बनाया और उसे बुद्धि-लब्धि (I.Q.) की संज्ञा प्रदान की। दशमलव-अनुपात को दूर करने के लिए उसने अनुपात को 100 गुणा करने का नियम बनाया और इस प्रकार I.Q. निकालने का अग्र सूत्र बन गया।
प्रश्न 3.
सांवेगिक बुद्धि को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
“सैलोबी और मेयर” ने सांवेगिक बुद्धि पद का प्रतिपादन किया तथा इसका तात्पर्य जीवन के सांवेगिक पहलू से सम्बन्ध क्षमताओं के एकीकरण से होता है। व्यक्ति को अपने जीवन में सफल होने के लिए सांवेगिक बुद्धि की आवश्यकता होती है। इसकी सहायता से व्यक्ति दूसरों के भावों को समझ सकता है, अन्य व्यक्तियों के बीच विभेदन कर पाता है, प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपने चिन्तन और क्रियाओं को निर्देशित करता है, दूसरों के संवेगों से तर्कणा एवं प्रबन्धन करता है, व्यक्तियों को सफलता दिलाने में अधिक महत्वपूर्ण होता है।
गोलमैन के अनुसार, “सांवेगिक बुद्धि वह क्षमता है, जिसमें इन्सान दूसरों एवं स्वयं के भावों को पहचानता है, अपने आप को अभिप्रेरित करता है तथा अपने सम्बन्धों में संवेग को प्रबन्धित कर पाता है।” अत: उपर्युक्त बिन्दुओं से यह स्पष्ट होता है कि सांवेगिक बुद्धि का स्वरूप काफी जटिल है, जिसमें अनेक तरह के तथ्यों का समावेश होता है।
प्रश्न 4.
अभिक्षमता को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विशेष योग्यताएँ व्यक्ति में अन्तर्निहित वे योग्यताएँ अथवा क्षमताएँ हैं, जिन्हें प्रशिक्षित किए जाने पर व्यक्ति की मौलिकता प्रकट होने लगती है। अभिक्षमता मानव क्षमता का एक प्रमुख अंश है। अभिक्षमता किसी क्षेत्र में विशेष कौशल या ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता को अभिक्षमता या अभियोग्यता कहा जाता है।
अभिक्षमता से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य –
- किसी विशेष क्षेत्र में निपुणता ज्ञात करने से व्यक्ति में अभिक्षमता उत्पन्न होती है।
- अन्तः शक्ति जो अभिक्षमता में पायी जाती है, वह जन्मजात भी हो सकती है या अर्जित भी हो सकती है।
- इसके माध्यम से भविष्य में व्यक्ति के निष्पादन का पता या अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रश्न 5.
बुद्धि मापन हेतु किन्हीं चार परीक्षणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अलग-अलग बुद्धि परीक्षणों से बुद्धि को मापा जाता है, जिनमें कुछ परीक्षणों का स्वरूप शाब्दिक होता है, अर्थात् जिनके एकांशों, निर्देश में लिखित भाषा का प्रयोग होता है तथा कुछ ऐसे भी हैं, जिनमें लिखित भाषा का प्रयोग नहीं होता है। इसके अन्तर्गत दिए गए वस्तुओं को परिचालित करके कुछ विशेष डिजाइन बनाए जाते हैं, जिसके आधार पर व्यक्ति की बुद्धि की पहचान होती है।
बुद्धि मापने में अधिकतर उपयोग किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण चार परीक्षण निम्नलिखित हैं –
- बिने परीक्षण।
- रैबेन प्रोग्रेसिव मैट्रीसेज।
- कैटेल संस्कृति मुक्त परीक्षण।
- बच्चों के लिए निर्मित कॉफमेन मूल्यांकन परीक्षणमाला।
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बुद्धि की प्रकृति बताते हुए बुद्धिमान व्यक्तियों के गुणों को लिखिए।
उत्तर:
बुद्धि की प्रकृति:
- बुद्धि की सहायता से व्यक्ति वातावरण में उचित ढंग से समायोजन एवं अनुकूलन करना सीखता है।
- बुद्धि की मदद से व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण कार्य करता है।
- बुद्धि में अनेक क्षमताओं का योग होता है।
- बुद्धि विभिन्न योग्यताओं का समूह है।
- बुद्धि किसी समस्या को समझने का प्रयत्न करती है तथा समझकर मस्तिष्क को निर्णय करने के लिए प्रेरित करती है।
- किशोरावस्था तक लगभग बालकों की बुद्धि का पूर्ण विकास हो जाता है।
- बुद्धि एक सीखने की क्षमता है।
बुद्धिमान व्यक्ति के गुण:
- बुद्धिमान व्यक्ति किसी भी समस्या के समाधान के लिए सूझ का सहारा लेता है एवं इसी के साथ वह बुद्धि की सहायता से गत अनुभूतियों का लाभ ले पाता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति विवेकपूर्ण, तर्कपूर्ण एवं युक्तिसंगत होता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति की प्रवृत्ति सहनशील होती है।
- बुद्धिमान व्यक्ति अपनी किसी भी गतिविधियों का संचालन नीतियों के आधार पर ही क्रियान्वित करता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति का एक प्रभावी सम्प्रेषण होता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति कठोर परिश्रम के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।
- बुद्धिमान व्यक्ति में मूल्यांकन एवं विश्लेषण की क्षमता भी पायी जाती है।
प्रश्न 2.
बुद्धि के आकलन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बुद्धि का आकलन-बुद्धि के आकलन के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति की आयु को मनोवैज्ञानिकों ने दो भागों में विभाजित कर उसका अध्ययन किया है:
1. तैथिक आयु (ChronologicalAge):
व्यक्ति के जन्म से लेकर आज तक के समय को तैथिक आयु कहा जाता है। इसे व्यक्ति की वास्तविक आयु भी कहा जाता है, जो जन्म के दिन से प्रारम्भ हो जाती है।
2. मानसिक आयु (Mental Age):
मानसिक आयु दूसरे प्रकार की आयु है, जिसके सन्दर्भ में टुकमैन ने कहा है कि इसका निर्धारण अपने ही उम्र या अपने से कम या अधिक उम्र के औसत निष्पादन के साथ तुलना करके प्राप्त किया जाता है।
यदि मानसिक आयु वास्तविक आयु से कम है तो व्यक्ति की बुद्धि को मन्द समझा जाता है। जब व्यक्ति की आयु तैथिक आयु से अधिक होती है, तो व्यक्ति की बुद्धि तीव्र मानी जाती है और जब मानसिक और वास्तविक आयु समान होती है तो व्यक्ति की बुद्धि सामान्य समझी जाती है। इसी के आधार पर व्यक्ति की मानसिक आयु का आकलन किया जा सकता है।
बुद्धि-लब्धि को प्राप्त करने के लिए मानसिक आयु तथा तैथिक आयु के अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है। सूत्र के रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जाता है
या
IQ. = (M.A. /C.A.)× 100
इसी सन्दर्भ में एक और अन्य अवधारणा बुद्धि-लब्धि की निरन्तरता को लेकर भी है। यह स्पष्ट करती है कि व्यक्ति की बुद्धि-लब्धि साधारण स्थितियों में दुर्घटना या बीमारी को छोड़कर सारे जीवन एक ही रहती है या कम-से-कम उतने वर्षों तक एक ही रहती है, जितने वर्षों के लिए बुद्धि-परीक्षण स्केल बनाया गया हो।
प्रश्न 3.
बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का विवेचन:
1. स्पीयरमैन का द्विकारक सिद्धान्त:
इस सिद्धान्त के प्रतिपादक “स्पीयरमैन” हैं। इनके अनुसार, बुद्धि दो प्रकार की शक्ति या योग्यताओं का योग है –
A. सामान्य योग्यता/तत्त्व:
- यह तत्त्व जन्मजात होता है।
- यह तत्त्व सभी में पाया जाता है।
- यह तत्त्व सदैव एक समान रहता है।
B. विशिष्ट योग्यता/तत्त्व:
- यह तत्त्व अर्जित होता है।
- अलग-अलग प्रकार की क्रियाओं के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के विशिष्ट तत्त्व निश्चित होते हैं।
2. गिलफोर्ड का बहुकारक सिद्धान्त:
गिलफोर्ड के अनुसार बुद्धि के सभी तत्त्वों को तीन विमाओं में बाँटा गया है, जो इस प्रकार है –
- संक्रिया (Operation)
- विषय-वस्तु (Content)
- उत्पादन (Products)।
इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि की व्याख्या तीन विमाओं के आधार पर की गई है, तथा हर विमा के कई कारक हैं। संक्रिया विमा के 6 कारक, विषय-वस्तु विमा के 5 कारक एवं उत्पादन विमा के 6 कारक दिए गए हैं तथा इसी तरह कुल 6 x 5 x 6 = 180 कारक होते हैं।
3. कैटेल का सिद्धान्त:
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन कैटेल ने 1963 एवं 1987 में किया, जिसमें उन्होंने दो महत्वपूर्ण तत्त्व बताए:
A. तरल बुद्धि:
कैटेल ने तरल बुद्धि को स्पीयरमैन के ‘x’ कारक के समान माना है तथा उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि तरल बुद्धि वंशानुगत कारकों से निर्धारित होती है। इस बुद्धि का विकास किशोरावस्था में होता है।
B. ठोस बुद्धि:
यह बुद्धि व्यक्ति के अर्जित तथ्यात्मक ज्ञान पर निर्धारित होती है। ठोस बुद्धि का विकास वयस्कावस्था में भी होता रहता है।
4. गार्डनर का बहुबुद्धि का सिद्धान्त:
इनके अनुसार बुद्धि एकाकी न होकर बहुकारकीय स्वरूप की होती है तथा सामान्य बुद्धि में सात क्षमताएँ होती हैं जो कि एक-दूसरे से स्वतंत्र होती है – भाषायी बुद्धि, तार्किक-गणितीय बुद्धि, स्थानिक बुद्धि, शारीरिक गतिक बुद्धि, संगीतिक, बुद्धि तथा व्यक्तिगत आत्मन बुद्धि तथा व्यक्तिगत अन्य बुद्धि। अतः सातों बुद्धि आपस में अन्तक्रिया करती रहती है।
प्रश्न 4.
सांवेगिक बुद्धि के अर्थ पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय में इसकी महत्ता को रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
सांवेगिक बुद्धि का अर्थ “बार-ऑन” के अनुसार-संवेगात्मक बुद्धि द्वारा वह क्षमता परिवर्तित होती है जिसके माध्यम से दिन-प्रतिदिन के पर्यावरणी चुनौतियों के साथ निपटा जाता है तथा जो व्यक्ति की जिन्दगी में, जिसमें पेशेवर तथा व्यक्तिगत धन्धा भी सम्मिलित है, सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
सांवेगिक बुद्धि का महत्व:
1. जीवन में सफल होने के लिए:
सांवेगिक बुद्धि की सहायता से व्यक्ति अपने जीवन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने सफल होता है जिससे उसे उसके जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
2. दूसरों के भावों को समझने में सहायक:
सांवेगिक बुद्धि की सहायता से व्यक्ति दूसरों के भावों को समझने में सहायक सिद्ध होता है जिससे अन्य व्यक्तियों को जानने या पहचानने में कम कठिनाई होती है।
3. विभेदन करने में सहायक:
सांवेगिक बुद्धि की सहायता से व्यक्ति समाज में रहने वाले समस्त व्यक्तियों के मध्य विभेदन कर सकता है।
4. क्रियाओं को निर्देशित करने में सहायक:
सांवेगिक बुद्धि की सहायता से व्यक्ति अपने जीवन में संचालित समस्त क्रियाओं व गतिविधियों को निर्देशित करने में सक्षम है।
5 चिन्तन को प्रभावी बनाना:
व्यक्ति सांवेगिक बुद्धि की सहायता से एवं प्राप्त सूचनाओं के आधार पर अपने चिन्तन को प्रभावी बना सकता है।
6. तर्क करने में कारगर:
सांवेगिक बुद्धि की सहायता से व्यक्ति में तर्क शक्ति का विकास होता है जिससे वे किसी भी तथ्य को तर्क के आधार पर ही स्वीकार करते हैं।
7. अनेक तथ्यों का समावेश:
सांवेगिक बुद्धि के द्वारा व्यक्ति के जीवन में अनेक तथ्यों का समावेश होता है जिसे उसे समझने में सहायता होती है।
प्रश्न 5.
अभिक्षमता मापन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अभिक्षमता का मापन विभिन्न तरह के अभिक्षमता परीक्षणों द्वारा अभिक्षमता का मापन किया जाता है, जिन्हें मुख्यत: दो भागों में बाँटा गया है:
1. बहु अभिवृत्ति परीक्षणमाला (Multi – Aptitute batteries):
जिन परीक्षणों द्वारा एक साथ अनेक क्षेत्रों में अन्त:र्निहित क्षमताओं को मापा जा सकता है, उन परीक्षणों को बहुअभिक्षमता परीक्षणमाला कहते हैं कुछ बहुअभिवृत्ति परीक्षणमाला निम्नलिखित है:
A. विभेदी अभिक्षमता परीक्षण (Differential Aptitude Test or DAT):
बिनेट, सीशोर एवं वैसमेन सबसे पहले इस परीक्षण का निर्माण किया।
B. सामान्य अभिक्षमता परीक्षणमाला (General Aptitude Test Battery or GATB):
1962 में अमेरिकन नियोजन सेवा ने इस परीक्षण को बनाया ताकि इसका उपयोग सैन्य सेवाओं में किया जा सके।
C. फ्लैनेगन अभिवृत्ति परीक्षण (Flanagan Aptitude Classification on Test or FACT):
फ्लैनेगन ने इस परीक्षणमाला को निर्मित किया जो 21 व्यावसायिक अभिवृत्ति को मापती है।
2. विशिष्ट अभिवृत्ति परीक्षण:
विशिष्ट अभिवृत्ति परीक्षण (Specific Aptitude Test) से तात्पर्य ऐसे परीक्षण से है जो विशिष्ट अभिवृत्ति को मापने के लिए प्रयोग होता है। व्यक्ति के भीतर किसी विशेष तरह की अन्तः शक्ति होती है, उसे ही विशिष्ट अभिवृत्ति कहा जाता है।
- लिपिकीय अभिक्षमता परीक्षण (Clerical Aptitude Test)
- यांत्रिक अभिवृत्ति परीक्षण (Mechanical Aptitude Test)। इसके विभिन्न परीक्षण निम्नलिखित हैं –
- यांत्रिक अभिवृत्ति परीक्षण।
- सूचना परीक्षण।
- यांत्रिक तर्कणा परीक्षण।
- दक्षता परीक्षण।
- स्थानिक सम्बन्ध परीक्षण।
- संगीतिक एवं कलात्मक अभिवृत्ति परीक्षण (Musical of Artistic Aptitude Test)।
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
बुद्धि में अनेक …………. का योग होता है –
(अ) क्षमताओं
(ब) चिन्तन
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(अ) क्षमताओं
प्रश्न 2.
थर्स्टन ने बुद्धि की कुल कितनी क्षमताएँ बतायी हैं?
(अ) 8
(ब) 7
(स) 6
(द) 5.
उत्तर:
(ब) 7
प्रश्न 3.
गिलफोर्ड ने बुद्धि की कुल क्षमताएँ बतायी हैं –
(अ) 148
(ब) 149
(स) 150
(द) 160
उत्तर:
(स) 150
प्रश्न 4.
भारतीय परम्परा में बुद्धि को कहा जाता है –
(अ) सांवेगिक बुद्धि
(ब) संज्ञानात्मक बुद्धि
(स) मूर्त बुद्धि
(द) समाकलित बुद्धि
उत्तर:
(द) समाकलित बुद्धि
प्रश्न 5.
थॉर्नडाइक ने बुद्धि के प्रकार बताए हैं –
(अ) 3
(ब) 4
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(अ) 3
प्रश्न 6.
किस बुद्धि का प्रयोग व्यापार में किया जाता है –
(अ) सामाजिक बुद्धि
(ब) मूर्त बुद्धि
(स) अमूर्त बुद्धि
(द) सांवेगिक बुद्धि।
उत्तर:
(ब) मूर्त बुद्धि
प्रश्न 7.
स्पीयरमैन का द्विकारक सिद्धान्त प्रतिपादित हुआ –
(अ) 1902
(ब) 1903
(स) 1904
(द) 1905
उत्तर:
(स) 1904
प्रश्न 8.
संक्रिया के आधार पर मानसिक क्षमताओं के भाग है –
(अ) 3
(ब) 4
(स)5
(द) 6
उत्तर:
(द) 6
प्रश्न 9.
कैटेल ने दो तत्व बताएँ –
(अ) तरल व ठोस बुद्धि
(ब) सरल व जटिल बुद्धि
(स) मूर्त व अमूर्त बुद्धि
(द) सामाजिक व असामाजिक बुद्धि।
उत्तर:
(अ) तरल व ठोस बुद्धि
प्रश्न 10.
यदि मानसिक आयु वास्तविक आयु से कम है तो व्यक्ति की बुद्धि होगी –
(अ) तीव्र
(ब) मंद
(स) सहज
(द) काल्पनिक
उत्तर:
(ब) मंद
प्रश्न 11.
सामान्य व्यक्ति की बुद्धि-लब्धि होती है –
(अ) 10
(ब) 50
(स) 100
(द) 150
उत्तर:
(स) 100
प्रश्न 12.
बुद्धि को मापा जाता है –
(अ) स्वभाव
(ब) सहजता
(स) दोनों
(द) बुद्धि परीक्षण
उत्तर:
(द) बुद्धि परीक्षण
प्रश्न 13.
गोलमैन ने अपने मॉडल को कहा है –
(अ) Theory of performance
(ब) Theory of purity
(स) Theory of perfection
(द) कोई भी नहीं।
उत्तर:
(अ) Theory of performance
प्रश्न 14.
प्रो. जे. एम. ओझा ने DAT का अनुकूलन किस भाषा में किया हैं –
(अ) अंग्रेजी
(ब) हिन्दी
(स) मराठी
(द) तमिल।
उत्तर:
(ब) हिन्दी
प्रश्न 15.
फ्लैनेगन की परीक्षणमाला मापती है-व्यावसायिक अभिवृति को –
(अ) 19
(ब) 20
(स) 21
(द) 24
उत्तर:
(स) 21
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बुद्धि की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
बुद्धि की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- बुद्धि एक सार्वभौमिक योग्यता है।
- बुद्धि के द्वारा व्यक्ति के कार्यों में निरीक्षण की सामर्थ्यता आ जाती है।
- किशोरावस्था तक लगभग बालकों की बुद्धि का पूर्ण विकास हो जाता है।
- लिंग-भेद के अनुसार बुद्धि में किसी प्रकार का अन्तर नहीं होता है।
- बुद्धि अतीत के अनुभवों से लाभ उठाने की योग्यता है।
- बुद्धि में आत्म-निरीक्षण की शक्ति होती है।
- बुद्धि सीखने की योग्यता या क्षमता है।
प्रश्न 2.
बुद्धि के बहु-कारक सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस सिद्धान्त के प्रवर्तक अमेरिका के प्रसिद्ध मनोविज्ञानिक थार्नडाइक हैं। उनके अनुसार “बुद्धि कई प्रकार की शक्तियों का एक समूह है तथा इन विभिन्न प्रकार की शक्तियों में किसी प्रकार की समानता आवश्यक नहीं है।”
थार्नडाइक बुद्धि के समान तत्व को नहीं मानते। उनके विचार से सभी मनुष्यों की बुद्धि विशेष होती है। यदि किसी में एक विषय की योग्यता है तो उससे दूसरे विषय की योग्यता का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के कार्यों के अनुसार बुद्धि को तीन भागों में बाँटा है –
- सामाजिक बुद्धि।
- मूर्त बुद्धि।
- अमूर्त बुद्धि।
प्रश्न 3.
बुद्धि-परीक्षणों की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बुद्धि-परीक्षणों की आवश्यकता –
- छात्रों को विषयों के चयन में परामर्श प्रदान करने हेतु।
- छात्रों को किसी भी व्यवसाय की तैयारी करने में निर्देशन प्रदान करने के लिए।
- विशिष्ट वर्ग के छात्रों की पहचान करने के लिए।
- छात्रों में सन्तुलित विकास को स्थायी बनाने हेतु, जिससे छात्र अपनी क्षमता एवं कमजोरियों से परिचित हो सकें।
- छात्रों की मानसिक योग्यताओं के अनुसार शिक्षण प्रदान करने में, जिससे शिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सके।
- छात्रों में वैयक्तिक विभिन्नताओं को ज्ञात करने के लिए।
प्रश्न 4.
व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षणों की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
वैयक्तिक/व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षणों की विशेषताएँ निम्नलिखित है –
- इन परीक्षणों के अन्तर्गत घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्धों के फलस्वरूप बौद्धिक व्यवहार का व्यापक अध्ययन सम्भव है।
- इन परीक्षणों से परीक्षार्थी को धोखा देने के अवसर प्राप्त नहीं होते हैं।
- प्रशिक्षित मनोविज्ञानिकों द्वारा प्रशासित किए जाने से इनकी विश्वसनीयता एवं वैधता में वृद्धि हो जाती है।
- अवलोकन के आधार पर, व्यक्ति की अनेक अनुक्रियाओं को ज्ञात किया जा सकता है, जैसे-हाव-भाव, मुद्राएँ, संवेग, प्रतिक्रियाएँ आदि।
- शैक्षिक निर्देशन, व्यवसाय चयन, मानसिक मंदता की पहचान तथा अन्य क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रयोग किए जा सकते हैं।
प्रश्न 5.
वैयक्तिक बुद्धि-परीक्षणों की सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वैयक्तिक बुद्धि-परीक्षणों की सीमाएँ –
- इन परीक्षणों के मानक तैयार करना कठिन कार्य है।
- इस प्रकार के परीक्षण मानकीकरण तथा प्रशासन दोनों ही दृष्टि से जटिल होते हैं।
- इन परीक्षणों के परिणामों की सफलता व्यक्तिगत सम्पर्क पर निर्भर करती है।
- व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षणों के लिए परीक्षणकर्ता को पूर्व प्रशिक्षण लेना आवश्यक है।
- इन परीक्षणों को एक बार में एक ही व्यक्ति पर प्रशासित किया जाता है, अतः परीक्षणकर्ता के समय, धन एवं ऊर्जा की हानि होती है।
प्रश्न 6.
बुद्धि-लब्धि का वितरण व तत्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘टरमन’ ने बुद्धि-लब्धि के प्रत्यय के व्यापक रूप में व्यावहारिक प्रयोग के लिए बुद्धि-लब्धि वितरण तालिका बनायी। इस प्रकार एक विशाल जन समूह में बुद्धि का वर्गीकरण निम्न प्रकार पाया जाता है –
बुद्धि-लब्धि | बुद्धि-वर्ग | प्रतिशत |
140 से अधिक | प्रतिभाशाली (Genius) | 1% |
121 – 140 | प्रखर बुद्धि (Superior) | 5% |
111 – 120 | तीव्र बुद्धि (Above Average) | 14% |
91 – 110 | सामान्य बुद्धि (Average) | 60% |
81 – 90 | मंद-बुद्धि (Feable Mindeel) | 14% |
71 – 80 | अल्प-बुद्धि (Dull) | 5% |
71 से कम | जड़ बुद्धि (Idiots/morons) | 1% |
बुद्धि-लब्धि के निर्धारण तत्व-वंशानुक्रम, प्रजाति, लिंग, समायोजन, जन्मक्रम, स्वास्थ्य एवं परिवार का आकार आदि।
प्रश्न 7.
अभिक्षमता की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अभिक्षमता की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- अभिक्षमता व्यक्ति की व्यावसायिक उपयुक्तता को प्रदर्शित करती है।
- अभिक्षमता व्यक्ति की रुचि, संवेग एवं प्रेरणा से सम्बन्धित एवं प्रभावित होती है।
- अभिक्षमता व्यक्ति में वर्तमान समय में उपस्थित गुणों का समुच्चय है।
- यह व्यक्ति की भविष्यगत क्षमताओं को प्रदर्शित करती है।
- यह वैयक्तिक विभिन्नताओं को जन्म देती है तथा असमान रूप में वितरित रहती है।
- अभिक्षमता अपेक्षाकृत स्थिर प्रकृति की होती है। इनमें जीवन की विभिन्न अवस्थाओं में केवल आंशिक परिवर्तन प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 8.
अभिक्षमता परीक्षणों का निर्देशन में महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विशेष योग्यताओं के विधिवत् परीक्षणों का निर्माण “थर्स्टन” के प्रचलित “प्राथमिक मानसिक योग्यताओं” (Primary Mental Abilities – PMA) के उद्घाटन का परिणाम है। सन् 1978 में इन PMA ने सम्पूर्ण अमेरिका में धूम मचा दी थी तथा व्यक्तियों का व्यवसायों हेतु चयन, विभिन्न कार्यों के सन्दर्भ में उपयुक्तता तथा शैक्षिक एवं प्रशिक्षात्मक निर्देशन प्रदान किए जाने लगे।
इन परीक्षणों की उच्च पूर्व कथनात्मक वैधता ने उस आन्दोलन को मजबूत करने में व्यापक योगदान दिया। इस आविष्कार के परिणामस्वरूप बुद्धि मापन के क्षेत्र के स्थान पर अभिक्षमता मापन को प्रमुखता दी जाने लगी। इसके परिणामस्वरूप अनेक विभेदक परीक्षणों की रचना की गई तथा उनका विशिष्ट व्यवसायों, उद्योगों, निरीक्षण तथा सफलता का पूर्वकथन करने वाले यंत्रों के रूप में प्रयोग किया जाने लगा।
RBSE Class 12 Psychology Chapter 1 निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
बुद्धि-परीक्षणों का निर्देशन में उपयोग को बताइए।
उत्तर:
बुद्धि-परीक्षणों के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं –
A. शैक्षिक निर्देशन में उपयोग –
- छात्रों के प्रवेश या विषय चयन हेतु।
- छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि ज्ञात करने हेतु।
- विशिष्ट बुद्धि बालकों के चयन हेतु।
- छात्र प्रतिभाओं को खोजने हेतु।
- छात्रों को कक्षा में उन्नति प्रदान करने हेतु।
- छात्रों को विषय सम्बन्धी उचित निर्देशन प्रदान करने हेतु।
- छात्रों को पुरस्कार, प्रलोभन या छात्रवृत्ति प्रदान करने हेतु।
- छात्रों के बौद्धिक वर्गीकरण हेतु, जब समरूप समूह आदि का निर्माण करना हो।
B. व्यावसायिक निर्देशन में उपयोग –
- व्यवसायों हेतु उपयुक्त व्यक्तियों के चयन एवं वर्गीकरण में।
- कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान करने में।
- कर्मचारियों की मानसिक अवस्था के निदान में।
- कर्मचारियों को कार्य संतुष्टि प्रदान करने में।
- व्यवसाय सम्बन्धी दक्षता प्रदान करने हेतु कर्मचारियों के वर्गीकरण में।
C. नैदानिक उपयोग:
बुद्धि-परीक्षणों का प्रयोग छात्रों एवं अन्य व्यक्तियों की मानसिक समस्याओं के निदान में भी किया जाता है। बालकों की बुद्धि का सीधा सम्बन्ध उनके उत्तम समायोजन, अधिगम तथा शैक्षिक प्रगति से है, जब इनमें असंतुलन दृष्टिगोचर होते हैं, तो शिक्षक उचित उपाय कर सकते हैं, जिससे बालकों के मानसिक स्वास्थ्य को स्थायी बनाया जा सके।
प्रश्न 2.
बुद्धि परीक्षण एवं उपलब्धि परीक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि परीक्षण एवं उपलब्धि परीक्षण में निम्नलिखित अन्तर है –
बुद्धि परीक्षण | उपलब्धि परीक्षण |
1. बुद्धि परीक्षण का सम्बन्ध बालक की जन्मजात योग्यताओं के मापन से होता है। | 1. उपलब्धि परीक्षण का सम्बन्ध छात्र द्वारा शिक्षण के बाद अर्जित ज्ञान की मात्रा के मापन से है। |
2. बुद्धि का मापन प्रायः ‘बुद्धि-लब्धि’ (I.Q.) के रूप में किया जाता है। | 2. उपलब्धि परीक्षणों द्वारा समाप्ति लब्धि (A.Q.) ज्ञात की जाती है। |
3. बुद्धि परीक्षणों में प्रश्नों की व्यवस्था बालकों की आयु के क्रम से की जाती है। | 3. उपलब्धि परीक्षणों में प्रश्नों को शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए पाठ्यक्रम में से चयन किया जाता है। |
4. बुद्धि परीक्षण छात्रों की उन्नति के सम्बन्ध में पूर्वकथन कर सकते हैं। | 4. उपलब्धि परीक्षण छात्रों के वर्तमान अर्जित ज्ञान का मापन करते हैं। |
5. बुद्धि परीक्षण में अर्जित ज्ञान का केवल सहारा लिया जाता है अत: वह साधन की तरह है। | 5. इस परीक्षण में छात्र द्वारा अर्जित ज्ञान ही साध्य हैं क्योंकि उसका मापन ही उपलब्धि का सूचक है। |
6. बुद्धि परीक्षणों के जनक “अल्फ्रेड बिने” हैं। | 6. उपलब्धि परीक्षण अनादि काल से किसी-न-किसी रूप में विद्यमान रहे हैं। |
7. बुद्धि परीक्षण एक संगठित इकाई की तरह हैं, जिनमें अनेक प्रकार के प्रश्नों को संकलित किया जाता है। | 7. उपलब्धि परीक्षण प्रत्येक विषय के अनुरूप अलग-अलग प्रकार के होते हैं तथा विषय-वस्तु का क्षेत्र भी अनिश्चित होता है। |
प्रश्न 3.
बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता का सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता:
1. बालकों की व्यावसायिक योग्यता का ज्ञान:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा बालकों की व्यावसायिक योग्यता ज्ञात की जाती है, उन्हें उनकी योग्यताओं के अनुसार कार्य प्रदान किया जाता है।
2. छात्रों की प्रगति का ज्ञान:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा छात्रों की बुद्धि-लब्धि निकालकर शिक्षक उनकी शैक्षिक उपलब्धियों को ज्ञात करते हैं इससे बालक की पाठ्य-विषय में प्रगति का विस्तृत विवरण सामने आ जाता है।
3 छात्रवृत्ति प्रदान करने में सहायक:
बुद्धि-परीक्षणों द्वारा बालकों का बुद्धि परीक्षण करकं योग्य तथा प्रतिभाशाली बालकों को छात्रवृत्ति देने में सहायता ली जा सकती है।
4. राष्ट्र के लिए उपयोगी:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा राष्ट्र के सभी आयु-वर्ग के बालकों की बुद्धि-लब्धि को ज्ञात किया जा सकता है, जिससे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अन्य दूसरे राष्ट्रों की अपेक्षा अपने राष्ट्र के बालकों का बौद्धिक स्तर कितना कम या अधिक है।
5 वार्षिक परीक्षाओं में सहायक:
बुद्धि-परीक्षणों के आधार पर कुशाग्र बुद्धि बालक यदि कक्षा में असफल हो जाता है अथवा अस्वस्थता के कारण वार्षिक परीक्षा में कम अंक प्राप्त करता है तो उसे आगे की कक्षा में प्रोन्नति दी जा सकती है।
6. शिक्षक के कार्यों का मूल्यांकन करने में सहायक:
बुद्धि परीक्षण में प्राप्त अंकों एवं बालकों की बुद्धि-लब्धि की तुलना करके शिक्षक के कार्यों का मूल्यांकन किया जा सकता है।
7. बालकों की क्षमता के अनुसार कार्य:
बालकों की योग्यता, रुचि एवं क्षमताओं का पता लगाकर उनके अनुसार उन्हें उपयुक्त कार्य देने में सुविधा हो जाती है।
8. बालकों की विशिष्ट योग्यताओं का ज्ञान:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा बालकों की विशिष्ट योग्यताओं को ज्ञात किया जाता है। यह जानकारी बालकों के उचित शैक्षिक निर्देशन में सहायता देती है।
9. विशिष्ट वर्गों के अध्ययन में सहायक:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा कुछ विशिष्ट वर्गों, जैसे-अंधे, गूंगे, बहरे व पिछड़े समुदायों के बालकों के बौद्धिक स्तर का अध्ययन करने में सहायता मिलती है, जिससे उनका उचित मार्गदर्शन किया जा सकता है।
10. मानसिक अस्वस्थता का निदान एवं उपचार:
बुद्धि परीक्षणों द्वारा बालकों की मानसिक अस्वस्थता का पता लगाकर उनका उचित उपचार किया जा सकता है।
अतः उपरोक्त वर्णन से यह स्पष्ट है कि वर्तमान समय में जैसे-जैसे मनोविज्ञान का महत्व बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे बुद्धि परीक्षणों का भी विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग बढ़ रहा है।