Rajasthan Board RBSE Class 10 English Supplementary Reader Resolution Chapter 1 The Thief’s Story Notes, Summary, Word Meanings, Hindi Translation and Passages for comprehension.
The Thief’s Story RBSE Class 10 English Notes
The Thief’s Story Theme Of The Lesson
This story tells us how a thief changed into a good man. The centre point of the story is Hari Singh, who is a thief. He is the narrator of the story. He is fifteen years old. During a wrestling match, he meets Anil. Anil is about 25 years old. He is a simple and honest man. He is a man of helping nature. He takes Hari Singh to his house and gives him shelter. He knows that Hari Singh saves money from the daily supplies, but he says nothing. He makes him learn to cook and write his name. One day Anil brings a small bundle of notes after selling a book to a publisher. Hari Singh decides to steal the money. When Anil is sleeping, he takes the money and reaches the station. But his conscience stops him from running away. He drenches in the rain and sits down under the clock tower. Now his mind changes and he doesn’t want to break Anil’s faith. He returns and puts the money back under Anil’s mattress. Next morning Anil gives him a fifty rupee note and tells that now he will pay him regularly.
The Thief’s Story Short Summary
Narrator’s meeting with Anil: The narrator of this story is a thief. He is fifteen years old. He meets Anil when he was watching a wrestling match. He told Anil his false name to escape from his former employers and the police.
The narrator requests Anil for work: After the match, the narrator followed Anil and requested him for some work. Anil replied that he couldn’t pay him. After this Anil agreed to have him with him and provide him food. Anil took him to his room over the Jumna Sweet Shop because the narrator lied to him that he knew cooking. Anil gave him balcony for sleeping. Anil could not eat the food cooked by Hari Singh even though he allowed him to stay with him.
The Thief’s Story पाठ का सार
यह कहानी वर्णन करती है कि किस प्रकार एक चोर बदलकर एक अच्छा व्यक्ति बन जाता है। इस कहानी का केंद्र बिंदु हरि सिंह है, जो एक चोर है। वह इस कहानी का वर्णनकर्ता भी है। वह पंद्रह वर्ष का है। एक कुश्ती मैच के दौरान वह अनिल से मिलता है। अनिल की आयु लगभग 25 वर्ष है। वह एक साधारण और ईमानदार आदमी है। वह एक मददगार प्रवृत्ति का इनसान है। वह हरि सिंह को अपने घर में शरण देता है। वह जानता है कि हरि सिंह प्रतिदिन की खरीदारी से रुपये बचाता है, लेकिन वह कुछ भी नहीं कहता। वह उसे खाना पकाना सिखाता है। एक दिन अनिल प्रकाशक को एक पुस्तक बेचकर रुपये का बंडल लेकर आता है। हरि सिंह रुपयों को चुराने का निर्णय करता है। जब अनिल सो रहा होता है, तो वह रुपये चुरा लेता है और ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पहुँच जाता है। लेकिन उसकी आत्मा ऐसा करने से उसे रोक देती है। वह बारिश में भीग जाता है और घंटा घर के नीचे बैठ जाता है। अब उसका मन बदल जाता है और वह अनिल का विश्वास तोड़ना नहीं चाहता है। वह वापस चला जाता है और अनिल के गद्दे के नीचे पैसा वापस रख देता है। अगली सुबह अनिल उसे पचास रुपये का एक नोट देता है और कहता है कि अब वह उसे नियमित रूप से रुपये दिया करेगी।
संक्षिप्त सारांश
वर्णनकर्ता की अनिल से मुलाकात : इस कहानी का वर्णनकर्ता एक चोर है। वह पंद्रह वर्ष का है। वह अनिल से तब मिलता है जबकि वह कुश्ती का एक मैच देख रहा था। उसने अनिल को अपना झूठा नाम पूर्व के मालिकों एवं पुलिस से बचने के लिए बताया था।
वर्णनकर्ता का अनिल से काम के लिए प्रार्थना करना : मैच के बाद, वर्णनकर्ता ने अनिल का पीछा किया और उसने उससे कुछ काम देने की प्रार्थना की। अनिल ने उत्तर दिया कि वह उसे रुपये नहीं दे सकता। इसके बाद अनिल उसे भोजन देकर नौकरी पर रखने के लिए तैयार हो गया। अनिल उसे ‘जमुना स्वीट शॉप’ के ऊपर अपने कमरे में ले गया क्योंकि वर्णनकर्ता ने उसे झूठ बोला था कि वह खाना बनाना जानता है। अनिल ने उसे सोने के लिए बालकॉनी की जगह दी। अनिल हरि सिंह द्वारा पकाए गए भोजन को नहीं खा सका फिर भी उसने उसे अपने साथ रहने दिया।
The narrator started to save money: For the household, the narrator had to purchase the day’s supplies. In that he would make a profit of about a rupee a day. Anil knew it, but he never spoke about it.
Their increasing faith in each other: Within a month, they had much faith in each other. Now Anil had given him a separate key of the room. The narrator started to build good relation with Anil. But during this month, Anil did not give him money.
Anil had a small bundle of notes: One day Anil came home with a small bundle of currency notes. He told the narrator that he had sold a book to a publisher. Now Hari had a negative feeling. He decided to steal the notes as Anil did not give him anything for his work.
The narrator steals the money and his internal feelings: At night when Anil was sleeping, the narrator stole the notes and left the room. He reached at the station. The Lucknow Express was leaving the station slowly. He could enter the compartment easily, but his conscience stopped him. Walking through the market, he reached the maidan and was thinking continuously about the behaviour of different people when they lose something. The greedy man showed fear and the rich man showed anger. The poor showed acceptance but he knew that Anil would show sadness for breaking his trust.
The narrator’s analysis and his return: Just then, heavy rain began and he was drenched. He took shelter under the clock tower. It was midnight. The notes that he had tied with the string of his pyjama had become completely wet. He thought it was very difficult to cheat Anil as he had faith in him. He was teaching him to read and write which could make him a very respectable man. So he decided to go back.
The end of the story: Hurriedly, he went back. He was very nervous. When he reached there, Anil was still sleeping. He put the notes back under the mattress. Next morning Anil woke up first and prepared tea. He gave him a fifty-rupee note. The narrator was fearful to be caught. Anil told him that he would now pay him regularly and would start teaching him writing sentences. The narrator smiled.
वर्णनकर्ता द्वारा रुपये बचत की शुरुआत करनाः घर के लिए वर्णनकर्ता को दिन का सामान खरीदना होता था। इसमें वह प्रतिदिन लगभग एक रुपया बचाने लगा। अनिल को इसकी जानकारी थी, लेकिन उसने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा।
उनका एक-दूसरे के प्रति बढ़ता हुआ विश्वास : एक माह में, उनको एक दूसरे पर अच्छा विश्वास हो गया। अब
अनिल ने उसे कमरे की एक अलग चाबी दे दी। वर्णनकर्ता तथा अनिल के बीच एक अच्छा रिश्ता बनने लगा। लेकिन इस माह के दौरान, अनिल ने उसे कोई रुपये नहीं दिए।
अनिल के पास नोटों का एक छोटा बंडल : एक दिन अनिल नोटों के एक छोटे बंडल के साथ घर आया। उसने । वर्णनकर्ता को बताया कि उसने एक पुस्तक प्रकाशक को बेच दी थी। अब हरि सिहं के दिमाग में एक नकारात्मक विचार आया। उसने नोटों को चुराने का निर्णय लिया क्योंकि उसके कार्य के लिए अनिल ने उसे कुछ नहीं दिया था।
वर्णनकर्ता का रुपये चुराना और उसकी आंतरिक भावनाएँ : रात में, जब अनिल सो रहा था, वर्णनकर्ता ने नोट चुरा लिए और उसने शीघ्रता से कमरा छोड़ दिया। वह स्टेशन पहुँचा। लखनऊ एक्सप्रेस धीरे-धीरे स्टेशन से निकल रही थी। वह आसानी से डिब्बे में चढ़ सकता था। लेकिन उसके अंत:करण ने उसे रोक दिया। बाजार से होकर वह एक मैदान में पहुँच गया और वह लगातार अलग-अलग लोगों द्वारा अपनी हानि पर किए जाने वाले व्यवहार पर सोच रहा था। लालची व्यक्ति डर दिखाते थे जबकि अमीर गुस्सा दिखाते थे। गरीब स्वीकृति दिखाते थे लेकिन वह जानता था कि अनिल अपने विश्वास को टूटने का दुख प्रदर्शित करेगा।
वर्णनकर्ता का विश्लेषण करना और वापस लौट जाना: उसी समय भारी वर्षा शुरू हो गई और वह पूरा भीग गया। उसने घंटी घर के नीचे शरण ली। यह अर्धरात्रि का समय था। जो नोट उसने अपने पजामे के नाड़े से. बाँधे थे, वे पूर्ण रूप से भीग गए थे। उसने सोचा कि अनिल को धोखा देना उसके लिए बहुत कठिन था क्योंकि उसने उसपर विश्वास किया था। वह उसे लिखना और पढ़ना सिखा रहा था जो उसे बहुत सम्माननीय व्यक्ति बना सकता था। इसलिए उसने वापस जाने का निर्णय किया।
कहानी को अंतः शीघ्रता से वह वापस आया। वह बहुत घबराया हुआ था। जब वह वहाँ पहुँचा, अनिल अब भी सो रहा था। उसने नोटों को वापस गद्दे के नीचे रख दिया। अगली सुबह, अनिल पहले जगा और चाय बनाई। उसने वर्णनकर्ता को पचास-रुपये का एक नोट दिया। वर्णनकर्ता को पकड़े जाने का भय था। अनिल ने उसे कहा कि अब वह उसे नियमित रूप से रुपये देगा और वाक्य लिखना शुरू करेगा। वर्णनकर्ता मुस्कुराया।
The Thief’s Story Main Points Of The Story
- Hari Singh, the narrator, is a thief. He tells us how he managed to befriend Anil.
वर्णनकर्ता हरि सिंह एक चोर है। वह बताता है कि किस प्रकार उसने अनिल से दोस्ती की। - Hari Singh told Anil that he wanted to work for him. Anil said that he could not pay him. Hari Singh agreed to work in return for food. He told him that would cook for him.
हरि सिंह ने अनिल से कहा कि वह उसके लिए काम करना चाहता है। अनिल ने कहा कि वह काम के लिए उसे पैसे नहीं दे सकता। हरि सिंह केवल भोजन पर काम करने के लिए तैयार हो गया। उसने कहा कि वह खाना बनाएगा। - Anil found that he did not know cooking. Anil said that he would now teach him how to cook and he also promised him that he would teach him how to read and write.
अनिल को पता चल गया कि हरि सिंह को खाना बनाना नहीं आता। अनिल ने उससे कहा कि वह उसे खाना बनाना सिखाएगा। उसने यह भी विश्वास दिलाया कि वह उसे लिखने तथा पढ़ने की शिक्षा देगा। - Hari Singh started saving money through the purchasing of daily supplies.
हरि सिंह दैनिक सामानों की खरीद में रुपये बचाने लगा। - One day Anil got six hundred rupees from a magazine publisher. He put that amount under the mattress.
एक दिन, अनिल को एक पत्रिका के प्रकाशक से 600 रुपये प्राप्त हुए। उसने इस राशि को गद्दे के नीचे रख दिया। - At night Hari Singh stole the money and ran to the station. But his conscience stopped him from boarding a train to Lucknow and he missed the train.
एक रात हरि सिंह ने ये रुपये चुरा लिए तथा स्टेशन की ओर चल पड़ा। लेकिन उसकी अंतरात्मा ने उसे ऐसा करने से रोक दिया तथा उसकी ट्रेन निकल गई। - He walked to the clock tower and got wet in the rain. After thinking too much, he came back and put back the money under the mattress.
वह घंटा घर की तरफ बढ़ा तथा वर्षा के पानी में भीग गया। काफी सोचने के बाद, वह वापस लौट गया तथा उसने चुराए गए पैसे को पुनः गद्दे के नीचे रख दिया। - His mind got changed. Next morning he woke up late and found that Anil had already made the tea.
उसकी मानसिकता में परिवर्तन आ गया। अगली सुबह वह देर से उठा। उसने देखा कि अनिल चाय बना चुका था। - He gave Hari Singh a fifty rupee note which was still wet with the rain.
उसने हरि सिंह को पचास रुपये का एक नोट दिया, जो अभी तक वर्षा के पानी से भीगा हुआ था।
The Thief’s Story Passages For Comprehension With Hindi Translation
Passage-1: (Page 1)
I was still a thief when I met Anil.
And though only 15, I was an experienced and fairly successful hand.
जब मैं अनिल से मिला तब भी मैं एक चोर था।
यद्यपि मैं केवल 15 वर्ष का था, तथापि मैं बहुत अनुभवी और हाथ की सफाई में पारंगत था।
Passage-2: (Page 1)
Anil was watching a wrestling match when I approached him.
He was about twenty-five-a tall, lean fellow-and he looked easy-going, kind and simple enough for my purpose.
I was sure I would be able to win the young man’s confidence.
जब मैं अनिल के पास पहुँचा तब वह एक कुश्ती का मैच देख रहा था।
वह लगभग 25 वर्ष का था-लंबा और दुबला-पतला सीधा-सादा, उदार तथा मेरे उद्देश्य प्राप्ति के लिए बहुत आसान लक्ष्य था।
मुझे यकीन था शायद मैं इस नवयुवक का विश्वास जीत पाऊँ।
Passage-3: (Page 1)
“You look a bit of a wrestler yourself,” I said. A little flattery helps in making friends.
“So do you,” he replied, which put me off for a moment because at that time I was rather thin.
“Well,” I said modestly, “I do wrestle a bit.”
“What’s you name?”
“तुम स्वयं एक पहलवान जैसे दिखते हो,” मैंने कहा। थोड़ी
चापलूसी मित्र बनाने में सहायक होती है। “तुम भी वैसे ही लगते हो,” उसने उत्तर दिया। इस उत्तर ने मुझे एक क्षण के लिए चुप करा दिया क्योंकि मैं उस समय थोड़ा पतला था। ठीक है, मैं भी थोड़ी कुश्ती कर लेता हूँ,” मैंने विनम्रता से कहा। “तुम्हारा नाम क्या है?”
Passage-4: (Page 1)
“Hari Singh,” I lied. I took a new name every month.
That kept me ahead of the police and my former employers.
After this introduction, Anil talked about the well oiled-wrestlers who were grunting, lifting and throwing each other about.
I didn’t have much to say.
Anil walked away. I followed casually.
“हरि सिंह,” मैंने झूठ बोला। मैं हर माह एक नया नाम रख लेता था।
यह मुझे पुलिस और मेरे पुराने मालिकों से दूर रखता था।
इस परिचय के बाद अनिल ने तेल से अच्छी प्रकार मालिश करते हुए पहलवानों के बारे में बात की जो कि हुँकार भरते हुए एक-दूसरे को उठाकर पटक रहे थे। मेरे पास कहने को अधिक कुछ नहीं था।
अनिल चल पड़ा। मैंने बिना परवाह किए उसका पीछा किया।
Passage-5: (Page 1)
“Hello again,” he said.
I gave him my most appealing smile.
“I want to work for you,” I said.
“But I can’t pay you.”
“फिर से हैलो,” उसने कहा।
मैंने अपनी सर्वाधिक आकर्षक मुस्कान बिखेरी।
मैंने कहा, “मैं आपके लिए काम करना चाहता हूँ।”
“किंतु मैं तुम्हें उसके पैसे नहीं दे सकता।”
Passage-6: (Page 1)
“I thought that over for a minute.”
Perhaps I had misjudged my man.
I asked, “Can you feed me?”.
“Can you cook?” “I can cook,” I lied again.
“If you can cook, then maybe I can feed you.”
“मैंने इस पर कुछ मिनट विचार किया।”
शायद मैंने अपने शिकार का सही आकलन नहीं किया।
मैंने पूछा, “क्या तुम मुझे खाना दे सकते हो?”
“क्या तुम खाना पका सकते हो?” “मैं खाना पका सकता हूँ,” मैं दोबारा झूठ बोला।
“यदि तुम खाना पका सकते हो, तो शायद मैं तुम्हें खाना दे सकता हूँ।”
Passage-7: (Page 1)
He took me to his room over the Sweet Shop and told me I could sleep on the balcony.
But the meal I cooked that night must have been terrible because Anil gave it to a stray dog and told me to be off.
But I just hung around, smiling in my most appealing way and he couldn’t help laughing.
वह मुझे मिष्टान्न की दुकान के ऊपर स्थित अपने कमरे में ले गया और मुझसे बोला कि मैं बालकानी में सो सकता हूँ।
लेकिन उस रात मैंने जो खाना बनाया वह भयानक रहा होगा क्योंकि अनिल ने उसे आवारा कुत्ते को खिला दिया और मुझे चले जाने को कहा।
किंतु में सर्वाधिक आकर्षक मुस्कान बिखेरते हुए वहीं खड़ा रहा और वह स्वयं को हँसने से नहीं रोक पाया।
Passage-8: (Page 1)
Later, he patted me on the head and said never mind, he’d teach me to cook.
He also taught me to write my name and said, he would soon teach me to write whole sentences and to add numbers.
I was grateful. I knew that once I could write like an educated man there would be no limit to what I could achieve.
बाद में उसने मेरे सिर पर थपकी देते हुए कहा “कोई बात नहीं, वह मुझे खाना बनाना सिखा देगा”।।
शीघ्र ही उसने मुझे मेरा नाम भी लिखना सिखाया और बोला कि वह मुझे पूरे वाक्य लिखना और अंकों को जोड़ना सिखाएगा।।
मैं आभारी था। मैं जानता था कि एक बार मैं पढ़े-लिखे आदमी की तरह लिखना सीख जाऊँ, फिर मैं क्या प्राप्त कर सकता हूँ, इसकी कोई सीमा नहीं रहेगी।
Passage-9: (Page 2)
It was quite pleasant working for Anil.
I made the tea in the morning and then would take my time buying the day’s supplies, usually making a profit of about a rupee a day.
I think he knew I made a little money this way but he did not seem to mind.
अनिल के लिए काम करना बहुत सुखदायी था।
मैं सुबह में चाय बनाता और फिर मैं दिन का सामान खरीदने में समय बिताता और रोजाना लगभग एक रुपये का मुनाफा कमा लेता।
मैंने सोचा कि उसे पता था कि मैंने इस प्रकार कुछ पैसे बना लिए हैं लेकिन लगता था कि उसे इससे कोई आपत्ति नहीं थी।
Passage-10: (Page 2)
Anil made money by fits and starts.
He would borrow one week, lend the next.
He kept worrying about his next cheque, but as soon as it arrived he would go out and celebrate.
It seems he wrote for magazines-a queer way to make a living!
अनिल अनियमित रूप से पैसा कमाता था।
वह एक सप्ताह उधार लेता और अगले सप्ताह उधार देता।
वह अपने अगले चेक की प्रतीक्षा में चिंतामग्न रहता, किंतु जैसे ही यह पहुँचता, वह बाहर जाता और आनंद मनाता।
ऐसा लगता था कि वह पत्रिकाओं के लिए लिखता था यह आजीविका कमाने का एक विचित्र तरीका था।
Passage-11: (Page 2)
One evening he came home with a small bundle of notes, saying he had just sold a book to a publisher.
At night, I saw him tuck the money under the mattress.
एक शाम वह नोटों के एक छोटे बंडल के साथ घर आया। उसने बताया कि उसने अभी एक प्रकाशक को एक किताब बेची है।
रात को मैंने उसे पैसे बिस्तर के नीचे दबाते देखा।
Passage-12: (Page 2)
I had been working for Anil for almost a month and, apart from cheating on the shopping, had not done anything in my line of work.
I had every opportunity for doing so.
Anil had given me a key to the door, and I could come and go as I pleased.
He was the most trusting person I had ever met.
मैं अनिल के लिए लगभग एक माह से काम कर रहा था, किंतु खरीदारी में धोखाधड़ी के अतिरिक्त मैंने अपने काम में कोई गलती नहीं की थी।
मेरे पास ऐसा करने के लिए हमेशा मौका रहता था।
अनिल ने मुझे दरवाजे की एक चाबी दे दी थी, और मैं अपनी खुशी के अनुसार आ-जा सकता था।
मुझे अब तक मिले सभी लोगों में वह सबसे अधिक भरोसेमंद व्यक्ति था।
Passage-13: (Page 2)
And that is why it was so difficult to rob him.
It’s easy to rob a greedy man because he can afford to be robbed;
but it’s difficult to rob a careless man sometimes he doesn’t even notice he’s been robbed and that takes all the pleasure out of the work.
और यही कारण था कि उसे लूटना इतना कठिन था।
एक लालची आदमी को लूटना आसान है क्योंकि वह लूट सहन कर सकता है,
किंतु एक लापरवाह व्यक्ति को लूटना कठिन है-कई बार वह इस पर ध्यान भी नहीं देता है कि उसे लूटा गया है और इससे काम का सारा आनंद चला जाता है।
Passage-14: (Page 2)
Well, it’s time I did some real work, I told myself; I’m out of practice.
And if I don’t take the money, he’ll only waste it on his friends.
After all, he doesn’t even pay me.
ठीक है, यह वही समय है जब मैंने सच में कुछ काम किया है, मैंने स्वयं से कहा; मुझे अभ्यास किए बहुत समय हो गया है।
और यदि मैं ये पैसे नहीं लेता, तो वह इन पैसों को अपने मित्रों पर ही बर्बाद करेगा।
अंततः, वह मुझे पगार भी तो नहीं देता है।
Passage-15: (Page 2)
Anil was asleep.
A beam of moonlight stepped over the balcony and fell on the bed.
I sat up on the floor, considering the situation.
If I took the money, I could catch the 10.30 Express to Lucknow.
Slipping out of the blanket, I crept up to the bed.
Anil was sleeping peacefully.
His face was clear and unlined; even I had more marks on my face, though mine were mostly scars.
अनिल सो गया था। बालकनी में से चाँद की चाँदनी आकर बिस्तर पर पड़ रही थी।
स्थिति को ध्यान में रखते हुए मैं फर्श पर बैठ गया।
यदि मैं पैसे ले लेता हूँ तो मुझे 10.30 बजे लखनऊ को जाने वाली रेलगाड़ी मिल सकती है।
कम्बल से बाहर खिसकते हुए मैं बिस्तर तक रेंग कर गया।
अनिल शांतिपूर्वक सो रहा था।
उसका चेहरा साफ और बिना किसी निशान के था; जबकि मेरे चेहरे पर अधिक निशान थे, यद्यपि अधिकतर घाव के निशान थे।
Passage-16: (Page 2)
My hand slid under the mattress, searching for the notes.
When I found them, I drew them out without a sound.
Anil sighed in his sleep and turned on his side towards me.
I was startled and quickly crawled out of the room.
मेरा हाथ नोटों को खोजते हुए गद्दे के नीचे सरक गया।
जब वे मुझे मिल गए तब मैंने बिना आवाज किए उन्हें बाहर निकाल लिया।
अनिल ने नींद में उबासी ली और मेरी तरफ करवट बदल ली।
मैं चौंक गया और जल्दी से रेंगकर कमरे से बाहर चला गया।
Passage-17: (Page 2)
When I was on the road, I began to run.
I had the notes at my waist, held there by the string of my pyjamas.
I slowed down to a walk and counted the notes: 600 rupees in fifties! I could live like an oil-rich Arab for a week or two.
जब मैं सड़क पर पहुँचा, मैंने भागना शुरू कर दिया।
मैंने नोटों को अपनी कमर पर रखकर उन्हें अपने पाजामे के नाड़े से बाँध दिया।
मैं धीमा होकर चलने लगा और मैंने नोटों को गिना: पचास के नोटों में 600 रुपये! मैं एक या दो सप्ताह के लिए तेल बेचने वाले अरब के रईस की तरह रह सकता था।
Passage-18: (Page 2)
When I reached the station, I did not stop at the ticket office (I had never bought a ticket in my life) but dashed straight to the platform.
The Lucknow Express was just moving out.
The train had still to pick up speed and I should have been able to jump into one of the carriages, but I hesitated for some reason I can’t explain—and I lost the chance to getaway.
जब मैं स्टेशन पर पहुँचा तो टिकट खिड़की पर नहीं रुका (मैंने अपने जीवन में कभी टिकट नहीं खरीदी थी) बल्कि सीधे प्लेटफार्म पर भाग गया।
लखनऊ एक्सप्रेस अभी छूट ही रही थी। रेलगाड़ी को अभी गति पकड़नी थी और मैं किसी भी डिब्बे में छलांग लगाकर चढ़ सकता था, किंतु किसी कारणवश जिसका मैं वर्णन नहीं कर सकता, मैं झिझका और मैंने भाग जाने का अवसर पूँवा दिया।
Passage-19: (Page 2 & 3)
When the train had gone, I found myself standing alone on the deserted platform.
I had no idea where to spend the night.
I had no friends, believing that friends were more trouble than help.
And I did not want to make anyone curious by staying at one of the small hotels near the station.
The only person I knew really well was the man I had robbed.
Leaving the station, I walked slowly through the bazaar.
जब रेलगाड़ी जा चुकी थी तो मैंने स्वयं को वीराने प्लेटफार्म पर अकेला खड़ा पाया।
मुझे नहीं सूझ रहा था कि रात कहाँ बिताई जाए।
यह सोचकर कि मित्र सहायता करने की अपेक्षा मुसीबत बन जाते हैं; मेरा कोई मित्र भी नहीं था।
और स्टेशन के निकट छोटे होटल पर रुककर मैं किसी में जिज्ञासा भी पैदा नहीं करना चाहता था।
एकमात्र आदमी जिसे मैं बहुत अच्छी तरह जानता था, वही था जिसे मैंने लूटा था।
स्टेशन को छोड़कर मैं बाजार में धीरे-धीरे चला।
Passage-20: (Page 3)
In my short career as a thief, I had made a study of men’s faces when they had lost their goods.
The greedy man showed fear; the rich man showed anger; the poor man showed acceptance.
But I knew that Anil’s face, when he discovered the theft, would show only a touch of sadness.
Not for the loss of money, but for the loss of trust.
चोर के रूप में, मैं अल्पकाल में ही अध्ययन कर चुका था कि सामान के चोरी हो जाने के बाद लोगों के चेहरे कैसे हो जाते हैं।
लालची लोग भय दिखाते थे; धनी लोग गुस्सा करते थे; गरीब लोग स्वीकृति प्रकट करते थे।
लेकिन मुझे अनिल के चेहरे के बारे में पता था कि जब उसे चोरी का पता चलेगा तो वह केवल थोड़ी-सी उदासी दिखाएगा।
धन की हानि के कारण नहीं, बल्कि विश्वास टूट जाने के कारण।
Passage-21: (Page 3)
I found myself in the maidan and sat down on a bench.
The night was chilly it was early November -and a light drizzle added to my discomfort.
Soon it was raining quite heavily.
My shirt and pyjamas stuck to my skin, and a cold wind blew the rain across my face.
मैंने स्वयं को मैदान में पाया और मैं एक बेंच पर बैठ गया।
रात अत्यधिक ठंडी थी-यह नवंबर की शुरुआत थी-और हल्की बूंदाबाँदी ने कष्ट बढ़ा दिया था।
जल्दी ही भारी बरसात होने लगी।
मेरी कमीज और पाजामा मेरी खाल से चिपक गए और वर्षा के रूप ठंडी हवा के झोंके मेरे चेहरे पर पड़ने लगे।
Passage-22: (Page 3)
I went back to the bazaar and sat down in the shelter of the clock tower.
The clock showed midnight.
I felt for the notes.
They were damp from the rain.
मैं बाजार वापस गया और घंटा घर की आड़ में बैठ गया।
घंटा आधी रात दिखा रहा था।
मैंने नोटों को टटोला।
वे बरसात में भीग गए थे।
Passage-23: “(Page 3)
In the morning he would probably have given me two or three rupees to go to the cinema, but now I had it all.
I couldn’t cook his meals, run to the bazaar or learn to write whole sentences any more.
सुबह वह मुझे सिनेमा के लिए शायद दो या तीन रुपये देता । किंतु अब मेरे पास सारे के सारे थे।
अब मैं और अधिक उसका खाना नहीं पका सकता था, बाजार नहीं जा सकता था और पूरे वाक्य नहीं लिख सकता था।
Passage-24: (Page 3)
I had forgotten about them in the excitement of the theft.
Whole sentences, I knew, could one day bring me more than a few hundred rupees.
It was a simple matter to steal-and sometimes just as simple to be caught.
But to be a really big man, a clever and respected man was something else.
I should go back to Anil.
I told myself, if only to learn to read and write.
मैं चोरी के आवेग में उसके बारे में भूल गया था।
पूरे वाक्य, मैं जानता था कि एक दिन मुझे कुछ सौ रुपये से अधिक कमाने में सक्षम बना सकते थे।
चोरी करना आसान था-और कई बार पकड़े जाना भी
आसान था। लेकिन वास्तव में एक बड़ा आदमी बनना, एक चतुर और आदरणीय आदमी बनना कुछ अलग बात थी।
मुझे अनिल के पास वापस जाना चाहिए।
मैंने स्वयं को कहा, यदि मैं पढ़ना और लिखना सीखना चाहता था।
Passage-25: (Page 3)
I hurried back to the room feeling very nervous, for it is much easier to steal something than to return it undetected.
I opened the door quietly, then stood in the doorway, in clouded moonlight.
Anil was still asleep.
I crept to the head of the bed and my hand came up with the notes.
I felt his breath on my hand.
I remained still for a minute.
Then my hand found the edge of the mattress, and slipped under it with the notes.
मैं बहुत अधीर होकर जल्दी-जल्दी वापस कमरे की ओर चल दिया, क्योंकि किसी चीज को चुरा लेना आसान है, जबकि उस चीज को बिना पता चले वापस करना कठिन।
मैंने धीरे-से दरवाजा खोला और बादलों भरी चाँदनी में द्वार मार्ग में खड़ा हो गया।
अनिल अभी भी सोया हुआ था।
मैं बिस्तर के सिरहाने तक खिसक कर गया और मेरा हाथ नोटों के साथ आया।
मैंने उसकी साँसें अपने हाथ पर अनुभव की। मैं कुछ मिनट स्थिर रहा।
तब मेरे हाथ ने गद्दे का सिरी खोज निकाला और नोटों के साथ इसके नीचे खिसक गया।
Passage-26: (Page 3)
I awoke late next morning to find that Anil had already made the tea.
He stretched out his hand towards me.
There was a fifty-rupee note between his fingers.
My heart sank.
I thought I had been discovered.
मैं प्रात: देर से उठा और पाया कि अनिल ने पहले ही चाय बना ली थी।
उसने अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया।
उसकी अंगुलियों के बीच एक 50 रुपये का नोट था।
मेरा दिल बैठ गया। मैंने सोचा कि मेरी चोरी पकड़ी जा चुकी है।
Passage-27: (Page 3)
“I made some money yesterday,” he explained.
“Now you’ll be paid regularly.”
My spirits rose.
But when I took the note, I saw it was still wet from the night’s rain.
“Today we’ll start writing sentences,” he said.
मैंने कल कुछ रुपये कमाए थे,” उसने कहा।
“अब तुम्हें नियमित रूप से पगार मिलेगी।”
मेरा उत्साह बढ़ा। किंतु जब मैंने नोट पकड़ा, तो मैंने देखा कि यह रात की बरसात से अभी भी भीगा हुआ था।
“आज हम वाक्य लिखना शुरू करेंगे,” उसने कहा।
Passage-28: (Page 3)
He knew.
But neither his lips nor his eyes showed anything.
I smiled at Anil in my most appealing way.
And the smile came by itself, without any effort.
वह जानता था।
लेकिन न तो उसके ओठों ने और न ही उसकी आँखों ने कुछ प्रदर्शित किया।
मैं अपने सर्वाधिक आकर्षक अंदाज में अनिल की ओर मुस्कुराया।
और मुस्कराहट अपने-आप आई, बिना किसी प्रयत्न के।
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