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Rajasthan Board RBSE Class 6 Sanskrit प्रश्न-निर्माणम्
अधोलिखित वाक्येषु रेखांकित पदानाम् आधृत्य प्रश्न निर्माण कुरुत। (नीचे लिखे वाक्यों में रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न बनायें)
प्रथमः पाठः
(क) अहम् विद्यारम्भम् करिष्यामि। (मैं विद्या का आरम्भ करूंगा।)
(ख) अस्यां विद्यायाम् सदा मम कृते पूर्णतायाः प्राप्तिः भवतु।.(इस विद्या में हमेशा मेरे लिये पूर्णता की प्राप्ति हो।)
(ग) त्वम् एव धनम् असि। (तुम ही धन हो।)
(घ) सर्वे कल्याणं पश्यन्तु। (सभी कल्याण को देखें।)
उत्तर:
(क) अहम् किम् करिष्यामि?
(ख) कस्याम् विद्यायाम् सदा मम कृते पूर्णतायाः प्राप्तिः भवतुः
(ग) त्वम् एव किम् असि?
(घ) सर्वे किम् पश्यन्तु?
द्वितीयः पाठः
(क) गजा: चलन्ति। (हाथी चलते हैं।)
(ख) कृषका: गच्छन्ति। (किसान जाते हैं।)
(ग) अध्यापकाः आगच्छन्ति। (अध्यापक आते हैं।)
(घ) रजका: क्षालयन्ति। (धोबी कपड़ा धति है।)
उत्तर:
(क) के चलन्ति?
(ख) के गच्छन्ति?
(ग) के आगच्छन्ति?
(घ) के क्षालयन्ति?
तृतीयः पाठः
(क) महिलाः पचन्ति। (महिलाएँ पकाती हैं।)।
(ख) गायिके गायतः। (दो गायिकाएँ गाती हैं।)
(ग) वृद्धाः वदन्ति। (वृद्ध बोलते हैं।)
(घ) शिक्षिका लिखति। (शिक्षिका लिखती है।)
उत्तरम्
(क) काः पचन्ति?
(ख) के गायत:?
(ग) के वदन्ति?
(घ) को लिखति?
पञ्चमः पाठः
(क) एताः अध्यापिकाः। (ये अध्यापिकाएँ हैं।)
(ख) ते पिपीलिके। (वे दोनों चूटियाँ हैं।)
(ग) एतत् मन्दिरं। (यह मन्दिर है।)
(घ) तद् विमान। (वह जहाज है)
उत्तर:
(क) एताः काः?
(ख) ते के?
(ग) एतद् किम्।
(घ) तद् किम्?
षष्ठमः पाठः
(क) यूयम् धावकाः। (तुम सब धावक हो।)
(ख) युवाम् सैनिकौ। (तुम दोनों सैनिक हो।)
(ग) यूयम् सैनिकाः। (तुम सब सैनिक हो।)
(घ) अहम् लिखामि। (मैं लिखता हूँ।)
उत्तर:
(क) यूयम् के?
(ख) कौ सैनिकौ?
(ग) यूयम् के?
(घ) कः लिखामि?
सप्तमः पाठः
(क) वयम् बालका: भारतभक्ताः। (हम बालक भारत के भक्त हैं।)
(ख) वयं पृथ्वी स्वर्गम् जेतुम् शक्ताः। (हम सब पृथ्वी, स्वर्ग को जीत सकते हैं)
(ग) वयम् सुधीराः सुवीरा: हृष्टमानसाः पुष्टशरीराः।। (हम सब धैर्यवान वीर, स्वस्थ मन वाले और मजबूत शरीर वाले हैं।)
(घ) वयम् भारत सेवायामनुरक्ताः। (हम सब भारत सेवा में अनुरक्त रहने वाले हैं।)
उत्तर:
(क) वयम के भारतभक्ता:?
(ख) वयम् पृथ्वी स्वर्गं किम् कर्तुम् शक्ताः?
(ग) के सुधीराः, सुवीराः, हुष्टमानसाः पुष्टशरीरा:?
(घ) वयम् के?
अष्ट्रमः पाठः
(क) भीत: मूषकः ऋषिसमीपं गच्छति। (भयभीत चूरू ऋषि के समीप जाता है।)
(ख) मूषकः विडालः भवति। (चूहा विडाल बन जाता है।)
(ग) भौत: विडालः ऋषिसमीपं गच्छति।(डरा हुआ विड़ाल ऋषि के पास जाता है।)
(घ) विडालः श्वानः भवति। (विडाल कुत्ता बन जाता है।)
उत्तर:
(क) भीतः मूषक: कम् गच्छति?
(ख) कः विडालः भवति?
(ग) क: ऋषिसमीपं गच्छति?
(घ) विडालः कः भवति?
नवमः पाठः
(क) अस्माक विद्यालय: आदर्शविद्यालयः अस्ति। (हमारा विद्यालय आदर्श विद्यालय है।)
(ख) सभागारस्य अन्तः वयम् ईशवन्दनां कुर्मः। (सभागार के अन्दर हम सब ईश्वर की बन्दना करते हैं।)
(ग) शिक्षका: अस्माकं ज्ञानं वर्धयन्ति। (शिक्षक हमारे ज्ञान को बढ़ाते हैं।)
(घ) विज्ञानस्य कालांशे वयम् अत्र आगच्छामः। (विज्ञान के कालांश (घंटे) में हम सब यहाँ आते हैं।)
उत्तर:
(क) केषाम् विद्यालय: आदर्श विद्यालयः अस्ति?
(ख) सभागारस्य अन्तः वयम् काम् कुर्मः?
(ग) शिक्षका: केषाम् ज्ञानं वर्धयन्ति?
(घ) विज्ञानस्य कालांशे वयम् कुत्र आगच्छामः?
दशमः पाठः
(क) वटवृक्षस्य उपरि द्वौ वानरौ उपविशतः। (वटवृक्ष के ऊपर दो वानर बैठते हैं।)
(ख) वृक्षस्य अधः चत्वार: मयूराः नृत्यन्ति। (वृक्ष के नीचे चार मोर नाचते हैं।)
(ग) तत्र सप्त कपोता: अन्नकणान् खादन्ति। (वहाँ पर सात कबूतर अन्नकणों को खाते हैं।)
(घ) उद्यानस्य समीपे एकः सरोवर: अस्ति। (उद्यान के समीप एक तालाब है।)
उत्तर:
(क) वटवृक्षस्य उपरि कौ वानरौ उपविशत:?
(ख) वृक्षस्य अधः कति मयूरो: नृत्यन्ति?
(ग) तत्र कति कपोताः अन्नकणान् खादन्ति?
(घ) कस्य समीप एकः सरोवरः अस्ति?
एकादशः पाठः
(क) अतः अहम् श्रेष्ठम्। (इसलिये मैं श्रेष्ठ हैं)
(ख) वयं भोजनस्य चर्वणं कुर्मः। (हम लोग भोजन को)
(ग) भोजनस्य पाचनकार्यम् अहम् एव करोमि। (भोजन का पाचन कार्य में ही करता हूँ।)
(घ) ऐतेषाम् वार्तालापं मस्तिष्कः शृणोति। (इनके वार्तालाप को मस्तिष्क सुनता है।)
उत्तर:
(क) अत: अहम् किम् (अस्मि)?
(ख) वयम् कस्य चर्वणं कुर्म:?
(ग) कस्य पाचनकार्यम् अहम् एव करोमि?
(घ) एतेषां वार्तालाप कः शृणोति?
द्वादशः पाठः
(क) वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि। (एक गुणवान् पुत्र सैकड़ों मूर्खपुत्रों की अपेक्षा उत्तम चबाते हैं।)
(ख) स्वदेशे पूज्यते राजा, विद्वान् सर्वत्र पूज्यते। (राजा अपने देश में पूजा जाता है, विद्वान् सभी जगह पूजा जाता है।)
(ग) लोचनाभ्याम् विहीनस्य दर्पण: किंचिदपि न करिष्यति।। (नेत्र विहीन मनुष्य का दर्पण कुछ भी नहीं कर सकता है।)
(घ) हस्तस्य भूषणं दानं सत्यं कण्ठस्य भूषणम्। (हाथ का आभूषण दाने और कण्ठ का आभूषण सत्य | होता है)
उत्तर:
(क) वरमेको कीदृशो पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि?
(ख) स्वदेशे कः पूज्यते, विद्वान् कुत्र पूज्यते?
(ग) लोचनाभ्याम् कीदृशस्य दर्पण: किंचिदपि न करिष्यति?
(घ) कस्य भूषणं दाने, सत्यं कस्य भूषणं?
त्रयोदशः पाठः
(क) श्वः अस्माकं विद्यालये अपि समारोहः भविष्यति। (कल हमारे विद्यालय में भी समारोह होगा।)
(ख) समारोहे बहवः कार्यक्रमाः भविष्यन्ति। (समारोह में बहुत से कार्यक्रम होते हैं।)
(ग) राजस्थानस्य लोकगीतस्य उपरि नृत्यं भविष्यति। (राजस्थान के लोकगीत के ऊपर नृत्य होगा।)
(घ) अहमपि श्वः विद्यालयं चलिष्यामि। (मैं भी कल विद्यालय चलूंगा।)
उत्तर:
(क) श्वः केषाम् विद्यालये अपि समारोहः भविष्यति?
(ख) कस्मिन् बहव् कार्यक्रमाः भविष्यन्ति?
(ग) राजस्थानी लोकगीतस्य उपरि किम् भविष्यति?
(घ) अहमपि श्वः कुत्र चलिष्यामि?
चतुर्दशः पाठः
(क) एकः शृगालः वनम् गच्छति।। (एक गीदड़ वन को जाता है।)
(ख) पिपासया बुभुक्षया च सः वनम् गच्छति। (प्यास और भूख के कारण वह वन में जाता है।)
(ग) सः पश्यति द्राक्षाफलम्। (वह अंगूर के फल को देखता है।)
(घ) आम्लम् द्राक्षाफलम्। (अंगूर खट्टे हैं।)
उत्तर:
(क) एक शृगालः कुत्र गच्छति?
(ख) काभ्याम् च सः वनम् गच्छति?
(ग) कः पश्यति द्राक्षाफलम्?
(घ) कीदृशम् द्राक्षाफलम्?
पञ्चदशः पाठः
(क) एक: रघुः नामक: नृपः भवति। (एक रघु नामक राजा होता है।)
(ख) रघुः कौत्सस्य आतिथ्यं करोति।। (रघु कौत्स का सत्कार करता है।)
(ग) अधुना अहम् अपि गुरोः वरतन्तोः कृते दक्षिणा दातु इच्छाम्।ि। (इस समय मैं अपने गुरु वरतन्तु के लिए दक्षिणा देने की इच्छा करता हूँ।)
(घ) अहम् अन्यत्र गच्छामि। (मैं दूसरी जगह जाता है।)
उत्तर:
(क) एकः रघु: नामकः कः भवति?
(ख) रघुः कौत्सस्य किम् करोति?
(ग) अधुना अहम् अपि गुरोः वरतन्तोः कृते काम् दातुम् इच्छामि?
(घ) अहम् कुत्र गच्छामि?
षोडशः पाठः
(क) हितं मनोहारि च दुर्लभम् वचः। (हितकारी और मन को हरने वाले वचन दुर्लभ होते हैं।)
(ख) माता भूमिः पुत्रोऽहम् पृथिव्याः। (भूमि हम सबकी माता हैं और हम उसके पुत्र हैं।)
(ग) ज्ञानं भारं क्रियां बिना। (बिना कार्य के ज्ञान भारस्वरूप होता है।)
(घ) क्रोधो मूलमनर्थानाम्। (क्रोध अनर्थ का कारण (जड़) होता है।)
उत्तर:
(क) हितं मनोहारि च कीदृशम् वचः?
(ख) माता भूमि पुत्रोऽहम् कस्याः?
(ग) ज्ञानम् किम् क्रियां विना?
(घ) को मूलमनर्थानाम्?
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