• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RBSE Model Papers
    • RBSE Class 12th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 10th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 8th Board Model Papers 2022
    • RBSE Class 5th Board Model Papers 2022
  • RBSE Books
  • RBSE Solutions for Class 10
    • RBSE Solutions for Class 10 Maths
    • RBSE Solutions for Class 10 Science
    • RBSE Solutions for Class 10 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 10 English First Flight & Footprints without Feet
    • RBSE Solutions for Class 10 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 10 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 10 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 10 Physical Education
  • RBSE Solutions for Class 9
    • RBSE Solutions for Class 9 Maths
    • RBSE Solutions for Class 9 Science
    • RBSE Solutions for Class 9 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 9 English
    • RBSE Solutions for Class 9 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit
    • RBSE Solutions for Class 9 Rajasthan Adhyayan
    • RBSE Solutions for Class 9 Physical Education
    • RBSE Solutions for Class 9 Information Technology
  • RBSE Solutions for Class 8
    • RBSE Solutions for Class 8 Maths
    • RBSE Solutions for Class 8 Science
    • RBSE Solutions for Class 8 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 8 English
    • RBSE Solutions for Class 8 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
    • RBSE Solutions

RBSE Solutions

Rajasthan Board Textbook Solutions for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12

  • RBSE Solutions for Class 7
    • RBSE Solutions for Class 7 Maths
    • RBSE Solutions for Class 7 Science
    • RBSE Solutions for Class 7 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 7 English
    • RBSE Solutions for Class 7 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 6
    • RBSE Solutions for Class 6 Maths
    • RBSE Solutions for Class 6 Science
    • RBSE Solutions for Class 6 Social Science
    • RBSE Solutions for Class 6 English
    • RBSE Solutions for Class 6 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit
  • RBSE Solutions for Class 5
    • RBSE Solutions for Class 5 Maths
    • RBSE Solutions for Class 5 Environmental Studies
    • RBSE Solutions for Class 5 English
    • RBSE Solutions for Class 5 Hindi
  • RBSE Solutions Class 12
    • RBSE Solutions for Class 12 Maths
    • RBSE Solutions for Class 12 Physics
    • RBSE Solutions for Class 12 Chemistry
    • RBSE Solutions for Class 12 Biology
    • RBSE Solutions for Class 12 English
    • RBSE Solutions for Class 12 Hindi
    • RBSE Solutions for Class 12 Sanskrit
  • RBSE Class 11

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

May 8, 2019 by Fazal Leave a Comment

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण is part of RBSE Solutions for Class 12 Biology. Here we have given Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण.

Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मृदा से पौधों को सर्व सुलभ जल है –
(अ) केशिका जले
(ब) अपवाहित जल
(स) आर्द्रताग्राही जल
(द) गुरुत्वीय जल

प्रश्न 2.
मूलों के किस भाग से जलावशोषण होता है –
(अ) मूल शीर्ष
(ब) दैर्ध्यवृद्धि क्षेत्र
(स) मूलरोम क्षेत्र
(द) परिपक्वन क्षेत्र

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 3.
पादपों में अवशोषित जल का जाइलम ऊतक तक पहुँचने का कौन-सा मार्ग सर्वाधिक प्रतिरोध वाला है –
(अ) एपोप्लास्ट
(ब) सिमप्लास्ट
(स) पारकला पथ
(द) रसधानीय पथ

प्रश्न 4.
रसारोहण का ससंजन वाद किसने प्रस्तुत किया –
(अ) गोडलेवस्की
(ब) जे.सी. बोस
(स) स्ट्रासबर्गर
(द) डिक्सन तथा जौली

प्रश्न 5.
पादपों में रसारोहण के दौरान जल किस ऊतक से ऊपर चढ़ता है –
(अ) कॉट्रेक्स
(ब) वाहिनिकाएँ
(स) वाहिकाएँ
(द) वाहिकाएँ तथा वाहिनिकाएँ दोनों
उत्तरमाला
1. (अ)
2. (स)
3. (ब)
4. (द)
5. (द)

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पाश्र्वीय जल प्रवाह के विभिन्न मार्गों के नाम बताइए।
उत्तर

  1. अपलवक या एपोप्लास्ट पथ (Apoplast pathway)
  2. संलवक या सिमप्लास्ट पथ (Symplast pathway)
  3. रसधानीय पथ (Vacuolar pathway)

प्रश्न 2.
केशिका जल क्या है?
उत्तर
केशिका जल (Capillary water) – मृदा कणों के मध्य उपस्थित केशिकाओं में पाये जाने वाला जल केशिका जल (Capillary water) कहलाता है। यह पौधों को आसानी से प्राप्य जल हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 3.
मूलरोम क्या है?
उत्तर
जड़ के दीर्घाकरण क्षेत्र के पिछले क्षेत्र में पायी जाने वाली धागेनुमा, एककोशिकीय संरचनाएँ मूलरोम (Root hairs) कहलाती हैं। ये पौधे के जल अवशोषक अंग हैं।

प्रश्न 4.
जे. सी. बोस में किस सिद्धान्त पर कार्य किया?
उत्तर
सर जे. सी. बोस ने स्पंदन सिद्धान्त (Pulsation theory) पर कार्य किया था। यह सिद्धान्त रसारोहण से सम्बन्धित है।

प्रश्न 5.
डिक्सन तथा जौली के सिद्धान्त का नाम लिखिए।
उत्तर
ससंजन तनाव सिद्धान्त (Cohesion tension principle) अथवा वाष्पोत्सर्जनाकर्षण या वाष्पोत्सर्जन खिंचाव सिद्धान्त (Transpirational pull theory)।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पाश्र्वीय जल प्रवाह के मार्गों का चित्र बनाइए।
उत्तर
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण 1

प्रश्न 2.
मूल के विभिन्न अंगों के नाम लिखकर जल अवशोषण करने वाले अंग का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मूल के प्रमुख अंग निम्नवत् हैं –

  1. मूल गोप (Root cap)
  2. मूल शीर्ष (Root apex)
  3. दीर्धीकरण क्षेत्र (Region of elongation)
  4. मूलरोम क्षेत्र (Root hair zone)
  5. परिपक्वन अथवा प्रौढ़ क्षेत्र (Region of maturation)

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

पौधे के जल अवशोषक अंग मूलरोम (Root hairs) होते हैं। मूल में मूलरोम क्षेत्र दीर्धीकरण क्षेत्र के पीछे स्थित होता है जिसमें असंख्य मूलरोम पाए जाते हैं। प्रत्येक मूलरोम एककोशिकीय जल अवशोषक अंग होता है।

प्रश्न 3.
जलावशोषण की सक्रिय विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर
सक्रिय जल अवशोषण की क्रियाविधि (Mechanism of Active Water Absorption) – कुछ पादपों में अल्प मात्रा में जल का अवशोषण मूलों की सक्रियता अथवा मूलों में उत्पन्न धनात्मक बलों (Positive forcs) द्वारा होता है। यह क्रिया सामान्यतः उस समय होती है जब वाष्पोत्सर्जन की दर अत्यन्त कम अथवा वाष्पोत्सर्जन क्रिया नहीं होती है। इस अवशोषण के लिए जड़ों के जाइलम (xylem) में उपस्थित जल स्तम्भ (Water column) में धनात्मक बल उत्पन्न होता है जिसे मूल दाब (Root pressure) कहते हैं। इस दाब के द्वारा जड़े मृदाजल (Soil water) को बलपूर्वक भीतर खींचती हैं अर्थात् अवशोषित करती हैं। सक्रिय जल अवशोषण में ATP के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो कि मूलों की श्वसनशील कोशिकाओं द्वारा प्रदान की जाती है। इस विधि द्वारा जल को अवशोषित मात्रा अत्यन्त कम अर्थात् कुल अवशोषित जल की मात्रा की 2-4% होती है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 4.
जल अवशोषण को प्रभावित करने वाले किन्हीं दो कारकों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
जल अवशोषण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Water Absorption) – जल अवशोषण की दर निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है –

  1. प्राप्य मृदा जल (Available soil water) – मृदा में उपस्थित सभी प्रकार का जल पौधों के लिए उपलब्ध नहीं होता है। मुख्यतः केशिका जल (Capillary water) ही पौधे को प्राप्य होता है। सामान्य अवशोषण के लिए सर्वाधिक आदर्श स्थिति वह है जबकि मृदा में जल इसकी क्षेत्र क्षमता (Field capacity) अथवा जलधारण क्षमता (Water holding capacity) तथा स्थायी म्लानि प्रतिशतता (Perananent wilting percentage) के प्रक्षेत्र में हो।
    1. जलधारण क्षमता (Water holding capacity) – गुरुत्व बले द्वारा मृदा से निष्कासित अतिरिक्त जल की मात्रा के पश्चात् मृदा में शेष बची जल की मात्रा को जल धारण क्षमता (Water holding capacity) अथवा क्षेत्र क्षमता (Field capacity) कहते हैं।
    2. स्थायी म्लानि प्रतिशतता (Permanent wilting percentage) – मृदा जल की वह प्रतिशतता जबकि इसमें उगे हुए पौधों की पत्तियाँ प्रथम बार स्थायी मुरझान या म्लानि प्रदर्शित करें। इस स्थिति को मृदा की स्थायी मुरझान प्रतिशतता (Permanent wilting percentage) कहते हैं।
  2. मृदा वातन (Soil aitration) – अच्छे वातन वाली मृदा जैसे- दोमट मृदा से जल अवशोषण पर्याप्त मात्रा में होता हैं। जलाक्रान्त मृदा से जल का अवशोषण निम्न या शून्य होता है।
  3. मृदा का तापमान (Soil temperature) – मृदा के उपयुक्त तापमान (20°C से 30°C के मध्य) पर अधिकतम जल अवशोषण होता है। 30°C से अधिक तथा 20°C से कम तापक्रम पर जल अवशोषण की
    दर घट जाती है।
  4. मृदा विलयन की सान्द्रता (Concentration of soil solution) – मृदा में खनिज लवणों की अधिकता से मृदा विलयन की सान्द्रता उच्च हो जाती है। इस स्थिति में जल अवशोषण क्षीण होता है। इसकी तुलना में तनु मृदा विलयन वाली मृदाओं में जल अवशोषण की दर उच्च होती है।

प्रश्न 5.
रसारोहण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर
रसारोहण (Ascent of sap) – मृदा से जल मूलरोमों द्वारा अवशोषित होकर पौधों के शीर्ष तक व अन्य अंगों में तनु विलयन के रूप में पहुँचता है। जल के इस ऊपरिदिश स्थानान्तरण को रसारोहण (Ascent of sap) कहते हैं।

प्रश्न 6.
रसारोहण के सम्बन्ध में प्रस्तुत वादों को कितने वर्गों में बाँटा जाता है। उनके नाम लिखिए।
उत्तर
रसारोहण के सम्बन्ध में प्रस्तुत वादों को तीन वर्गों में बाँटा जाता हैं –

  1. जैव बल सिद्धान्त (Vital force theories)
  2. मूल दाब सिद्धान्त (Root pressure theory)
  3. भौतिक बल सिद्धान्त (Physical force theories)

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पौधों द्वारा जल अवशोषण की क्रिया पर सारगर्भित लेख लिखिए।
उत्तर
पौधे के जल अवशोषण करने वाले अंग (Water Absorbing Organs of Plants) – निम्न श्रेणी के पादपों; जैसे- शैवाल (Algae) तथा कवको (Fungi) में जल अवशोषण के लिए विशिष्ट अंग नहीं पाए जाते हैं। इनके पादप शरीर की समस्त कोशिकाएँ जल एवं खनिज लवणों का अवशोषण करती हैं। ब्रायोफाइट्स में जल अवशोषण मूलाभासों (Rizoids) द्वारा होता है। जबकि उच्च श्रेणी के पादपों में जल अवशोषण के लिए सुविकसित (Well developed) मूल तन्त्र (Root system) पाया जाता है।

जल तथा खनिज लवणों का अवशोषण जड़ की सम्पूर्ण सतह द्वारा नहीं होता है। सभी स्थलीय पादप केशिकीय मृदा जल (Capillary soil water) का अवशोषण जड़ की बाह्य त्वचा (Epidermis) में उपस्थित एककोशिकीय (Unicellular) मूल रोमों (Root hair) द्वारा करते हैं। जड़ के दो भाग (क्षेत्र) होते हैं –
(i) तरुण क्षेत्र, (ii) परिपक्व क्षेत्र।
जल अवशोषण का कार्य जड़ के युवा क्षेत्र से होता है क्योकि परिपक्व क्षेत्र की कोशिकाओं में लिग्नीकरण (Lignification) तथा सुबेरिनीकरण (Suberisation) के कारण इनकी भित्तियाँ जल के लिए अपारगम्य (Impermeable) हो जाती हैं। जड़ के तरुण क्षेत्र को पाँच भागों में विभक्त किया जाता है –

  1. मूल गोप (Root cap) : यह जड़ का शीर्षस्थ (Terminal) भाग होता है जो जड़ के वृद्धिकारी शीर्ष को रक्षात्मक आवरण प्रदान करता है।
  2. मुलशीर्ष (Root apex) : यह जड़ का उपान्तस्थ (Subterminal) क्षेत्र होता है जिसकी कोशिकाएँ विभाजनशील या विभज्योतकी (Meristematic) होती हैं। यह क्षेत्र कोशिका विभाजन का क्षेत्र (Zone of cell division) कहलाता है। जड़ की वृद्धि इसी क्षेत्र द्वारा होती है।
  3. दीर्घाकरण क्षेत्र (Region of elongation) : यह मूलशीर्ष के ठीक पीछे स्थित भाग होता है। जड़ की लम्बाई में वृद्धि इसी क्षेत्र की कोशिकाओं में वृद्धि के कारण होती है।
  4. मूलरोम क्षेत्र (Root hairs Region) – यह दीर्घाकरण क्षेत्र के पीछे स्थित होता है। इस क्षेत्र में हजारों की संख्या में मूलरोम (Root hairs) पाए जाते हैं। जड़े का यह भाग जल अवशोषण करने वाला मुख्य भाग होता है।
  5. परिपक्वन अथवा प्रौढ़ क्षेत्र (Region of Maturation) – यह जड़ का परिपक्व भाग होता है। कोशिकाओं के लिग्नीकरण (Lignification) तथा सुबेरिनीकरण (Suberization) के कारण यह क्षेत्र जल अवशोषण का कार्य कम करता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण 2

प्रश्न 2.
वृक्षों में रसारोहण क्रिया का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर
रसारोहण की क्रियाविधि (Mechanism of Ascent of Sap) – छोटे शाकीय पादपों में रसारोहण की समस्या नहीं होती है। परन्तु ऊँचे वृक्षों जिनकी लम्बाई कई मीटर होती है, में रसारोहण की व्याख्या करना कठिन है। इन वृक्षों में रसारोहण की क्रियाविधि स्पष्ट करने के लिए अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किए गए हैं। इन सिद्धान्तों को तीन वर्गों में विभक्त किया गया है –
1. जैव बल सिद्धान्त (Vital force theory)
2. मूल दाब का सिद्धान्त (Root pressure theory)
3. भौतिक बल सिद्धान्त (Physical force theory)

1. जैव बल सिद्धान्त (Vital force theory) – इस सिद्धान्त के अनुसार रसारोहण एक जैविक क्रिया (Vital activity) है। पौधों में रसारोहण तने की जीवित कोशिकाओं में होने वाली क्रियाओं के कारण उत्पन्न जैव बलों (Vital forces) द्वारा होता है। इस सम्बन्ध में प्रमुख वैज्ञानिकों के विचार संक्षेप में प्रस्तुत हैं –
गौड्लेवस्की (Godlewski 1984) के रिले पम्प सिद्धान्त (Relay pump theory) के अनुसार जाइलम मृदूतक (Xylem parenchyma) तथा मज्जा रश्मियों (Medullary rays) की जीवित कोशिकाओं के परासरण दाब में आवर्ती परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप रसारोहण की क्रिया होती है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

सर जे०सी० बोस (Sir J.C. Bose, 1923) के स्पंदन सिद्धान्त (Pulsation theory) के अनुसार पौधों में रसारोहण तने के वल्कुट (Cortex) की सबसे भीतरी कोशिकाएँ जो अन्तस्त्वचा के सम्पर्क में होती हैं में नियमित लयवद्ध स्पन्दन (Rhythmic pulsation) के कारण रसारोहण होता है। उन्होंने अपना प्रयोग भारतीय टेलीग्राफ पादप (Desmodium gyrans) पर किया था।

स्ट्रासबर्गर (Strassburger, 1891) ने अपने प्रयोग से सिद्ध किया कि रसारोहण जैविक क्रिया नहीं है। उन्होंने पादप के कटे भाग को पिक्रिक अम्ल में डुबोया तथा इसके वाद इयोसिन घोल में रखा। थोड़ी देर में इओसिन का लाल रंग पत्तियों तक पहुँच गया। इससे सिद्ध होता है कि पिक्रिक अम्ल से कोशिकाओं के मर जाने के बाद भी रसारोहण क्रिया सम्पन्न हुई और लाल जल पत्तियों तक पहुँच गया। इस प्रयोग से उन्होंने सिद्ध किया कि जीवित कोशिकाओं का रसारोहण की क्रियाविधि से सीधा सम्बन्ध नहीं है परन्तु इनकी उपस्थिति इस क्रिया के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है।

2. मूल दाब सिद्धान्त (Root pressure theory) – इस सिद्धान्त को प्रीस्टले (Priestley) ने दिया था। पैरेन्काइमी कोशिकाओं की कोशिकाभित्ति लचीली होती है। इन कोशिकाओं में जल अथवा विलयन के प्रवेश से उनकी कोशिकाभित्ति में तनाव उत्पन्न होता है और वह पुनः अपनी सामान्य स्थिति में आने का प्रयास करती है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में कोशिका में उपस्थित द्रव्य पर धनात्मक दबाव पड़ता है जिससे कोशिका से द्रव्य की कुछ मात्रा निकलकर वाहिकाओं (Vessels) में आ जाती हैं। इस द्रव्य के कारण वाहिकीय तत्वों में उत्पन्न द्रवस्थैतिक दाब को मूल दाब (Root pressure) कहते हैं। दूसरे शब्दों में जाइलम वाहिकाओं के रस में पाया जाने वाली धनात्मक दाब मूल दाब (Root pressure) कहलाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण 3
मूलदाब का मापन मैनोमीटर (Manometer) द्वारा किया जाता है। परन्तु किसी भी पादप में इसका मान 2 वायुमण्डल से अधिक नहीं पाया गया। 2 वायुमण्डल दाब पौधों में जल को लगभग 20 मीटर तक चढ़ाने के लिए पर्याप्त है लेकिन ऊँचे काष्ठीय पौधों के लिए 12 वायुमण्डलीय मूल दाब की आवश्यकता होती है। किसी भी पौधे में इतना अधिक मूल दाब किसी भी परिस्थिति में प्रेक्षित नहीं किया गया। अतः इस सिद्धान्त का महत्व सीमित है। साथ ही मूल दाब सभी पादपों में नहीं पाया जाता है। किसी भी अनावृतबीजी (Gymnosperm) पादप में मूलदाब नहीं
पाया जाता है।

3. भौतिक बल सिद्धान्त (Physical force theories) – इन सिद्धान्तों के अनुसार, रसारोहण एक भौतिक क्रिया है तथा रसारोहण केवल भौतिक बलों (Physical forces) के कारण होता है एवं इनमें जीवित कोशिकाएँ भाग नहीं लेती हैं। वैज्ञानिकों ने समय-समय पर विभिन्न बलों को रसारोहण का कारण बताया जिसमें वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric pressure) अन्तः शोषण (Imbibition) तथा केशिकत्व (Capillary action) सम्मिलित हैं। इन सिद्धान्तों में डिक्सन तथा जौली (Dixone and Jolly, 1894) का जल का ससंजन बल सिद्धान्त (Cohesion force of water theory) एवं वाष्पोत्सर्जन अपकर्ष या खिंचाव सिद्धान्त (Transpirational pull theory) रसारोहण के सभी सिद्धान्तों में सर्वाधिक मान्य सिद्धान्त है।
डिक्सन तथा जौली के ससंजन तनाव सिद्धान्त (Cohesion tension principle) अथवा वाष्पोत्सर्जनाकर्षण या वाष्पोत्सर्जन खिंचाव सिद्धान्त (Transpirational pull theory) के प्रमुख लाक्षणिक बिन्दु निम्नवत् हैं –

  1. पौधों में जड़ से लेकर (तने में से होते हुए) पत्तियों तक जल का एक निरन्तर अटूट स्तम्भ होता है। इसे जल स्थैतिक प्रणाली (Hydrostatic system) कहते हैं।
  2. वाष्पोत्सर्जन द्वारा जल हानि से पर्ण की शिराओं के जल स्तम्भ में खिंचाव उत्पन्न होता है। यह खिंचाव वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (Transpirational pull) कहलाता है।
  3. जल के अणुओं के मध्य ससंजन बल (Cohesion force) होता है। जिसका मान 45-207 वायुमण्डल (atm.) हो सकता है। इस बल के कारण वाष्पोत्सर्जन खिंचाव से जल का स्तम्भ टूटती नहीं है। वरन् ऊपर की ओर सतत् रूप से खिंचा चला जाता है।
  4. डिक्सन तथा जौली के सिद्धान्त के अनुसार वाष्पोत्सर्जन से उत्पन्न तनाव तथा जल के अणुओं के मध्य व्याप्त ससंजन बल के कारण पादपों में जल को नीचे से शीर्ष की ओर निष्क्रिय रूप से (Passively) खींच लिया जाता है। इस कार्य में न तो किसी प्रकार की उपापचयी ऊर्जा (Metabolic energy) व्यय होती है और न जीवित कोशिकाओं का कोई योगदान होता है। रसारोहण पूर्णत: भौतिक बलों द्वारा संचालित होने वाली प्रक्रिया है।
  5. इस सिद्धान्त के समर्थन में अनेक प्रमाण दिए जाते हैं। यथा – वाष्पोत्सर्जन दर सीधे रसारोहण से सम्बन्धित होती है तथा दिन के समय पादप के स्तम्भ व शाखाओं में जल स्तम्भ तनाव की स्थिति में होता है आदि। वर्तमान समय में रसारोहण की क्रिया समझने में यह सिद्धान्त सर्वाधिक मान्य सिद्धान्त है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थलीय पादप मृदा में उपस्थित किस प्रकार के जल का अवशोषण कर पाते हैं?
उत्तर
स्थलीय पादप मृदा में उपस्थित केशिकीय जल का ही अवशोषण कर पाते हैं।

प्रश्न 2.
जड़ का कौन-सा अंग मृदा से जल अवशोषित करता है?
उत्तर
मूलरोम (Root hairs)।

प्रश्न 3.
जल के लम्बी दूरी के परिवहन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर
जल का जड़ से वृक्षों के शीर्ष तक पहुँचना ही लम्बी दूरी का परिवहन कहलाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 4.
प्लाज्मोडेस्मेटा क्या होते हैं?
उत्तर
दो कोशिकाओं के बीच की निरन्तरता बनाए रखने के लिए उनके जीवद्रव्य जुड़े रहते हैं। इन संरचनाओं को जीवद्रव्य तन्तु (Plasmadesmata) कहते हैं।

प्रश्न 5.
जड़ों में अधिकांश जल का परिवहन किस पथ द्वारा होता है?
उत्तर
जड़ों में अधिकांश जल का परिवहन अपलवकीय पथ (Apoplast pathway) द्वारा होता है।

प्रश्न 6.
जल की अपलवक तथा संलवक गति में एक अन्तर कीजिए।
उत्तर
अपलवक गति कोशिका के अजीवित भाग से होती है तथा संलवक गति जीवित भाग जीवद्रव्य से होती है।

प्रश्न 7.
दारु के किस अवयव की सहायता से जल ऊपर चढ़ता है?
उत्तर
दारु की वाहिका तथा वाहिनिकाओं द्वारा जल की ऊर्ध्वगति होती है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 8.
रसारोहण से सम्बन्धित स्पन्दन परिकल्पना किस वैज्ञानिक ने दी?
उत्तर
स्पन्दन परिकल्पना सर जे.सी. बोस ने दी थी।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मृदा जल कितने प्रकार का होता है? इनमें से पौधे को कौन-सा जल आसानी से प्राप्त होता है?
उत्तर
मृदा जल मुख्यतः तीन प्रकार का होता है –

  • केशिकीय जल (Capillary water)
  • गुरुत्वीय जल (Gravitational water)
  • आर्द्रताग्राही जल (Hygroscopic water)

केशिकीय जल (Capillary water) पौधे को सर्वाधिक आसानी से प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
एपोप्लास्ट तथा सिम्प्लास्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर
(i) अपलवक या ऐपोप्लास्ट पथ (Apopeast pathway) – पादपों में जल का प्रवाह निर्जीव कोशिका भित्ति (Cell wall) व कोशिकाओं के मध्य उपस्थित अन्तरकोशिकीय अवकाशों के द्वारा होता है तो इस मार्ग को एपोप्लास्ट पथ (Apoplast pathway) कहते हैं। जल का यह प्रवाह अनियन्त्रित व विसरण के द्वारा होता है। इस तन्त्र में परस्पर सम्बन्धित कोशिका भित्तियाँ (Interconnected cell walls), अन्तराकोशिकीय स्थान (Inter cellular spaces), कैस्पेरियन पट्टी (Casparion bands), अन्तस्त्वचा की भित्ति (Walls of endodermis) दारु वाहिनी (Xylem vessel) तथा दारु वाहिनिका (Xylem trachieds) आती हैं।

जल में घुलनशील पदार्थ तथा विलयन इस मार्ग द्वारा सरलता से विसरित हो जाते हैं। अपलवक पथ में जल के अणुओं की गति मूलरोमों से दारु की ओर बिना किसी कला (Membrane) या कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) को पार किए होती है तथा ये गति आयतन प्रवाह (Mass flow) के रूप में होती है। इस प्रकार यह पथ जल की गति में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करता है। इसलिए जड़ों में अधिकांश जल का परिवहन अपलवक पथ द्वारा होता है। जल का यह पथ पारकला पथ (Trans membrane pathway) भी कहलाता है।

(ii) संलवक या सिमप्लास्ट पथ (Symplast Pathway) – पादपों में जीवद्रव्य के अन्तः सम्बन्धी तन्त्र (Interconnected system) को संलवक पथ (Symplast pathway) कहते हैं। यह पादपों का जीवित तन्त्र होता है। जिसमें दो पड़ोसी कोशिकाओं के जीवद्रव्य तन्तु (Plasmadesmata) उपस्थित होते हैं जो उन कोशिकाओं के मध्य निरन्तरता (Continuity) बनाते हैं।
संलवक पथ के अन्तर्गत जल का परिगमन एक कोशिका से दूसरी कोशिका में कोशिका द्रव्य के द्वारा होता है। चूंकि यहाँ जल कोशिका कला (Cell membrane) द्वारा प्रविष्ट होता है इसलिए इसकी गति धीमी रहती है तथा जल की गति विभव प्रवणता (Potential gradient) के अनुरूप होती है। जल का यह प्रवाह परासरण क्रिया द्वारा होता है तथा इसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे सजीव पथ भी कहते हैं। यह मार्ग अधिकतम प्रतिरोध वाला मार्ग हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 3.
अपलवकीय (ऐपोप्लास्ट) तथा संलवकीय पथ में अन्तर लिखिए।
उत्तर
अपलवकीय तथा संलवकीय पथ में अन्तर

संलवकीय पथ अपलवकीय पथ
1. यह जीवित भाग से होता है। यह पादप कोशिकाओं के मृत भाग से होता है।
2. जल के मार्ग में कई बाधाएँ होती हैं। जल के मार्ग में कई अवरोध होते हैं।
3. यह धीमा प्रक्रम है। यह तीव्र प्रक्रम है।
4. जड़ की उपापचयी दशा जल की गति को प्रभावित करती है। जड़ की उपापचयी दशा जल की गति को प्रभावित नहीं करती है।

प्रश्न 4.
सक्रिय तथा निष्क्रिय जल अवशोषण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
सक्रिय तथा निष्क्रिय जल अवशोषण में अन्तर

सक्रिय जल अवशोषण निष्क्रिय जल अवशोषण
1. मूलरोमों द्वारा जल का अवशोषण उच्च विसरण दाब न्यूनता के कारण होता है। मूलरोमों द्वारा जल अवशोषण वाष्पोत्सर्जन खिंचाव द्वारा होता है।
2. वाष्पोत्सर्जन की भूमिका नगण्य होती है। वाष्पोत्सर्जन मुख्य भूमिका का निर्वहन करता है।
3. जड़ों द्वारा जल अवशोषण मन्द गति से होता है तथा जल जाइलम वाहिनिकाओं में भेजा जाता है जिसके फलस्वरूप मूल दाब (Root pressure) उत्पन्न होता है। जड़ों में मूल दाब उत्पन्न नहीं होता है क्योकि जल का अवशोषण तीव्र गति से होता है।
4. इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उपयोग होता है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उपयोग नहीं होता है।
5. क्रियात्मक विभव की उत्पत्ति मूल कोशिकाओं में होती है। क्रियात्मक विभव की उत्पत्ति पौधों के वायवीय भागों पत्ती, पुष्प) में होती है।

प्रश्न 5.
रसारोहण का जैव बल सिद्धान्त समझाइए।
उत्तर
जैव बल सिद्धान्त (Vital force theory) – इस सिद्धान्त के अनुसार रसारोहण एक जैविक क्रिया (Vital activity) है। पौधों में रसारोहण तने की जीवित कोशिकाओं में होने वाली क्रियाओं के कारण उत्पन्न जैव बलों (Vital forces) द्वारा होता है। इस सम्बन्ध में प्रमुख वैज्ञानिकों के विचार संक्षेप में प्रस्तुत हैं –
गौड्लेवस्की (Godlewski 1984) के रिले पम्प सिद्धान्त (Relay pump theory) के अनुसार जाइलम मृदूतक (Xylem parenchyma) तथा मज्जा रश्मियों (Medullary rays) की जीवित कोशिकाओं के परासरण दाब में आवर्ती परिवर्तन होते हैं जिसके परिणामस्वरूप रसारोहण की क्रिया होती है।

सर जे०सी० बोस (Sir J.C. Bose, 1923) के स्पंदन सिद्धान्त (Pulsation theory) के अनुसार पौधों में रसारोहण तने के वल्कुट (Cortex) की सबसे भीतरी कोशिकाएँ जो अन्तस्त्वचा के सम्पर्क में होती हैं में नियमित लयवद्ध स्पन्दन (Rhythmic pulsation) के कारण रसारोहण होता है। उन्होंने अपना प्रयोग भारतीय टेलीग्राफ पादप (Desmodium gyrans) पर किया था।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

स्ट्रासबर्गर (Strassburger, 1891) ने अपने प्रयोग से सिद्ध किया कि रसारोहण जैविक क्रिया नहीं है। उन्होंने पादप के कटे भाग को पिक्रिक अम्ल में डुबोया तथा इसके वाद इयोसिन घोल में रखा। थोड़ी देर में इओसिन का लाल रंग पत्तियों तक पहुँच गया। इससे सिद्ध होता है कि पिक्रिक अम्ल से कोशिकाओं के मर जाने के बाद भी रसारोहण क्रिया सम्पन्न हुई और लाल जल पत्तियों तक पहुँच गया। इस प्रयोग से उन्होंने सिद्ध किया कि जीवित कोशिकाओं का रसारोहण की क्रियाविधि से सीधा सम्बन्ध नहीं है परन्तु इनकी उपस्थिति इस क्रिया के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 6.
रसारोहण के मूल दाब सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
उत्तर
मूल दाब सिद्धान्त (Root pressure theory) – इस सिद्धान्त को प्रीस्टले (Priestley) ने दिया था। पैरेन्काइमी कोशिकाओं की कोशिकाभित्ति लचीली होती है। इन कोशिकाओं में जल अथवा विलयन के प्रवेश से उनकी कोशिकाभित्ति में तनाव उत्पन्न होता है और वह पुनः अपनी सामान्य स्थिति में आने का प्रयास करती है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में कोशिका में उपस्थित द्रव्य पर धनात्मक दबाव पड़ता है जिससे कोशिका से द्रव्य की कुछ मात्रा निकलकर वाहिकाओं (Vessels) में आ जाती हैं। इस द्रव्य के कारण वाहिकीय तत्वों में उत्पन्न द्रवस्थैतिक दाब को मूल दाब (Root pressure) कहते हैं। दूसरे शब्दों में जाइलम वाहिकाओं के रस में पाया जाने वाली धनात्मक दाब मूल दाब (Root pressure) कहलाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण 4
मूलदाब का मापन मैनोमीटर (Manometer) द्वारा किया जाता है। परन्तु किसी भी पादप में इसका मान 2 वायुमण्डल से अधिक नहीं पाया गया। 2 वायुमण्डल दाब पौधों में जल को लगभग 20 मीटर तक चढ़ाने के लिए पर्याप्त है लेकिन ऊँचे काष्ठीय पौधों के लिए 12 वायुमण्डलीय मूल दाब की आवश्यकता होती है। किसी भी पौधे में इतना अधिक मूल दाब किसी भी परिस्थिति में प्रेक्षित नहीं किया गया। अतः इस सिद्धान्त का महत्व सीमित है। साथ ही मूल दाब सभी पादपों में नहीं पाया जाता है। किसी भी अनावृतबीजी (Gymnosperm) पादप में मूलदाब नहीं
पाया जाता है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जल अवशोषण को प्रभावित करने वाले कारकों पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर
जल अवशोषण को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Water Absorption) – जल अवशोषण की दर निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होती है –
1. प्राप्य मृदा जल (Available soil water) – मृदा में उपस्थित सभी प्रकार का जल पौधों के लिए उपलब्ध नहीं होता है। मुख्यतः केशिका जल (Capillary water) ही पौधे को प्राप्य होता है। सामान्य अवशोषण के लिए सर्वाधिक आदर्श स्थिति वह है जबकि मृदा में जल इसकी क्षेत्र क्षमता (Field capacity) अथवा जलधारण क्षमता (Water holding capacity) तथा स्थायी म्लानि प्रतिशतता (Perananent wilting percentage) के प्रक्षेत्र में हो।

  1. जलधारण क्षमता (Water holding capacity) – गुरुत्व बले द्वारा मृदा से निष्कासित अतिरिक्त जल की मात्रा के पश्चात् मृदा में शेष बची जल की मात्रा को जल धारण क्षमता (Water holding capacity) अथवा क्षेत्र क्षमता (Field capacity) कहते हैं।
  2. स्थायी म्लानि प्रतिशतता (Permanent wilting percentage) – मृदा जल की वह प्रतिशतता जबकि इसमें उगे हुए पौधों की पत्तियाँ प्रथम बार स्थायी मुरझान या म्लानि प्रदर्शित करें। इस स्थिति को मृदा की स्थायी मुरझान प्रतिशतता (Permanent wilting percentage) कहते हैं।

2. मृदा वातन (Soil aitration) – अच्छे वातन वाली मृदा जैसे- दोमट मृदा से जल अवशोषण पर्याप्त मात्रा में होता हैं। जलाक्रान्त मृदा से जल का अवशोषण निम्न या शून्य होता है।
3. मृदा का तापमान (Soil temperature) – मृदा के उपयुक्त तापमान (20°C से 30°C के मध्य) पर अधिकतम जल अवशोषण होता है। 30°C से अधिक तथा 20°C से कम तापक्रम पर जल अवशोषण की
दर घट जाती है।
4. मृदा विलयन की सान्द्रता (Concentration of soil solution) – मृदा में खनिज लवणों की अधिकता से मृदा विलयन की सान्द्रता उच्च हो जाती है। इस स्थिति में जल अवशोषण क्षीण होता है। इसकी तुलना में तनु मृदा विलयन वाली मृदाओं में जल अवशोषण की दर उच्च होती है।

प्रश्न 2.
रसारोहण का मार्ग समझाइए। रसारोहण के मार्ग को समझाने के लिए एक प्रयोग दीजिए।
उत्तर
रसारोहण का मार्ग (Path of Ascent of Sap) – पादपों में किए गए विभिन्न प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि जड़ द्वारा अवशोषित जल और खनिज लवण संवहन तन्त्र की जाइलम वाहिकाओं (Xylem vessels) तथा वाहिनिकाओं (Tracheids) द्वारा होता है। इसे नीचे दिए गए प्रयोग से प्रदर्शित किया जा सकता है।
प्रयोग – बालसम (गुलमेंहदी) (Balsam impatiens) पादप की जड़ काटकर इसके कटे सिरे को सैफ्रेनिन के विलयन में दो या अधिक घण्टों के लिए डुबोकर रखते हैं। सैफ्रेनिन एक लाल रंग का अभिरंजक है जो केवल लिग्निन युक्त पादप ऊतकों (जाइलम दृढ़ोतक) को अभिरंजित करता है। दो घण्टे रखने के पश्चात् बालसम पौधे की पत्तियों की शिराएँ लाल दिखने लगती हैं। इस अवस्था में पत्ती, पर्णवृन्त अथवा शाखा के अनुप्रस्थ काट को | सूक्ष्मदर्शी में देखने पर सैफ्रेनिन को लाल रंग केवल जाइलम नलिकाओं में ही दृष्टिगत होता है। अत: इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि पादपों में रसारोहण की क्रिया केवल जाइलम ऊतकों द्वारा ही होती है।

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण

प्रश्न 3.
मूल दाब से आप क्या समझते हैं? एक प्रयोग की सहायता से मूलदाब को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मूल दाब सिद्धान्त (Root pressure theory) – इस सिद्धान्त को प्रीस्टले (Priestley) ने दिया था। पैरेन्काइमी कोशिकाओं की कोशिकाभित्ति लचीली होती है। इन कोशिकाओं में जल अथवा विलयन के प्रवेश से उनकी कोशिकाभित्ति में तनाव उत्पन्न होता है और वह पुनः अपनी सामान्य स्थिति में आने का प्रयास करती है। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में कोशिका में उपस्थित द्रव्य पर धनात्मक दबाव पड़ता है जिससे कोशिका से द्रव्य की कुछ मात्रा निकलकर वाहिकाओं (Vessels) में आ जाती हैं। इस द्रव्य के कारण वाहिकीय तत्वों में उत्पन्न द्रवस्थैतिक दाब को मूल दाब (Root pressure) कहते हैं। दूसरे शब्दों में जाइलम वाहिकाओं के रस में पाया जाने वाली धनात्मक दाब मूल दाब (Root pressure) कहलाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण 5
मूलदाब का मापन मैनोमीटर (Manometer) द्वारा किया जाता है। परन्तु किसी भी पादप में इसका मान 2 वायुमण्डल से अधिक नहीं पाया गया। 2 वायुमण्डल दाब पौधों में जल को लगभग 20 मीटर तक चढ़ाने के लिए पर्याप्त है लेकिन ऊँचे काष्ठीय पौधों के लिए 12 वायुमण्डलीय मूल दाब की आवश्यकता होती है। किसी भी पौधे में इतना अधिक मूल दाब किसी भी परिस्थिति में प्रेक्षित नहीं किया गया। अतः इस सिद्धान्त का महत्व सीमित है। साथ ही मूल दाब सभी पादपों में नहीं पाया जाता है। किसी भी अनावृतबीजी (Gymnosperm) पादप में मूलदाब नहीं
पाया जाता है।

We hope the given RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण will help you. If you have any query regarding Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Chapter 6 पादपों में जल अवशोषण व रसारोहण, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

Share this:

  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on Facebook (Opens in new window)

Related

Filed Under: Class 12

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Recent Posts

  • RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Comparison of Quantities In Text Exercise
  • RBSE Solutions for Class 6 Maths Chapter 6 Decimal Numbers Additional Questions
  • RBSE Solutions for Class 11 Psychology in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 11 Geography in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Hindi
  • RBSE Solutions for Class 3 English Let’s Learn English
  • RBSE Solutions for Class 3 EVS पर्यावरण अध्ययन अपना परिवेश in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 Maths in Hindi Medium & English Medium
  • RBSE Solutions for Class 3 in Hindi Medium & English Medium

Footer

RBSE Solutions for Class 12
RBSE Solutions for Class 11
RBSE Solutions for Class 10
RBSE Solutions for Class 9
RBSE Solutions for Class 8
RBSE Solutions for Class 7
RBSE Solutions for Class 6
RBSE Solutions for Class 5
RBSE Solutions for Class 12 Maths
RBSE Solutions for Class 11 Maths
RBSE Solutions for Class 10 Maths
RBSE Solutions for Class 9 Maths
RBSE Solutions for Class 8 Maths
RBSE Solutions for Class 7 Maths
RBSE Solutions for Class 6 Maths
RBSE Solutions for Class 5 Maths
RBSE Class 11 Political Science Notes
RBSE Class 11 Geography Notes
RBSE Class 11 History Notes

Copyright © 2023 RBSE Solutions

 

Loading Comments...