Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 सुरक्षित पेयजल व खाद्य स्वच्छता
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर (PART-I)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से सही उत्तर चुनें –
(i) असुरक्षित पेयजल के सेवन से प्रायः………..बीमारियाँ हो सकती हैं –
(अ) चर्म से सम्बन्धित
(ब) पेट से सम्बन्धित
(स) बाल से सम्बन्धित
(द) आँख, नाक व कान से सम्बन्धित।
उत्तर:
(ब) पेट से सम्बन्धित
(ii) अमीबा रुग्णता किस रोगकारक रोगाणु के कारण होता है?
(अ) कोरोना वायरस
(ब) ऐन्टामीबा हिस्टोलिटिका
(स) सालमोनेला टायफी
(द) बेक्टीरियम बिबरीयो
उत्तर:
(ब) ऐन्टामीबा हिस्टोलिटिका
(iii) जल का पी.एच. मान है –
(अ) 3.5-5.8
(ब) 9.00-10.00
(स) इनमें से कोई नहीं
(द) 6.5-8.5
उत्तर:
(द) 6.5-8.5
(iv) यदि जल में सूक्ष्म जीवाणुओं और रोगाणुओं की उपस्थिति हो तो उसे किस प्रकार का जल कहते हैं?
(अ) संदूषित
(ब) प्रदूषित
(स) असुरक्षित
(द) ये सभी।
उत्तर:
(अ) संदूषित
(v) जल में कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए कौन-सी विधि अपनाई जाती है?
(अ) अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा
(ब) क्लोरीन द्वारा
(स) उबालना
(द) ये सभी।
उत्तर:
(स) उबालना
प्रश्न 2.
सुरक्षित पेयजल से आपका क्या तात्पर्य है? समझाइए।
उत्तर:
सुरक्षित पेयजल – सुरक्षित पेयजल वह जल होता है, जोकि जैविक व रासायनिक पदार्थों से मुक्त व गन्दगी रहित, स्वादिष्ट, रंगहीन, पारदर्शी तथा गन्ध रहित होता है। यह जल मानव पेय के लिए सुरक्षित होता है। संदूषित तथा प्रदूषित जल मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त होता है। सुरक्षित जल के प्रयोग से मनुष्यों में संक्रामक रोगों के फैलने का भय नहीं रहता इसलिए इसे सुरक्षित जल कहते हैं।
प्रश्न 3.
जल के संदूषित एवं प्रदूषित होने के मुख्य कारण लिखिए।
उत्तर:
जल के प्रदूषित / संदूषित होने के कारण – जल निम्नलिखित कारणों से प्रदूषित हो जाता है –
(1) कुओं को ढककर न रखना:
गाँवों में पीने योग्य पानी के लिए कुओं पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन उनकी शुद्धता के लिए कुओं पर मुँडेर एवं छत की व्यवस्था नहीं की जाती है। फलतः धूल, मिट्टी और पत्ते आदि पानी में मिलकर पानी को दूषित कर देते हैं।
(2) अस्थि विसर्जन:
धार्मिक अन्धविश्वास के कारण नदियों में अस्थि विसर्जन तथा शवों को जल-समाधि दे दी जाती है, जबकि यह सब जल को दूषित करते हैं।
(3) मल-मूत्र का पानी में बहाना:
बड़े एवं छोटे शहरों में अधिकांशतः मल – मूत्र को बहा दिया जाता है। अधिकांश सीवर लाइनें नदियाँ व तालाबों में ही जाकर खुलती हैं जिसके कारण जल में विभिन्न प्रकार के रोगाणु पैदा हो जाते हैं। फलत: जल प्रदूषित हो जाता है।
(4) साबुन का प्रयोग:
साबुन एक ओर जहाँ हमारे शरीर तथा कपड़ों की सफाई करता है वहीं दूसरी ओर गन्दगी लपेटकर नालियाँ द्वारा नदियों व तालाबों में जाकर मिल जाता है जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
(5) दहन:
पेट्रोल, डीजल, लकड़ी कोयला एवं अन्य ईंधनों के जलने से वायु में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं अन्य विभिन्न प्रकार की गैस निकलती हैं जो वर्षा के जल में घुलकर अम्ल और अन्य लवण बनाती हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।
(6) औद्योगीकरण:
बड़े-बड़े उद्योग-धन्धे नदियों से जल लेकर उसका उपयोग करते हैं और अवशिष्टों को जल के साथ पुन: नदियों या नालों में डालकर जल को प्रदूषित करते हैं।
(7) गोबर, कूड़ा-करकट:
जल के साधनों के पास गोबर, कूड़ा-करकट डालने से उनमें उत्पन्न कीटाणु जल में मिल जाते हैं, जिससे जल दूषित हो जाता है।
(8) उर्वरकों व कीटनाशकों का जल में मिलाना:
कृषि के व्यापारीकरण के चलते उर्वरकों व कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कृषि में बढ़ा है। किन्तु फसलें इनका पूरा उपयोग नहीं कर पातीं। अत: इनका अधिकांश भाग वर्षा के जल से मिलकर नदियों व तालाबों में मिल जाता है, जिससे जल दूषित हो जाता है।
प्रश्न 4.
घरेलू स्तर पर सुरक्षित पेयजल विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
घरेलू स्तर पर सुरक्षित पेयजल तैयार करना घर पर निम्न प्रकार की विधियाँ अपनाकर जल को पीने योग्य बनाया जाता है
(1) उबालकर:
जल को भली – भाँति उबालकर ठण्डा किया जाने पर जल की अस्थायी कठोरता दूर हो जाती है। इस विधि से जल में उपस्थित कीटाणु और गैस नष्ट हो जाती हैं। उबालने पर जल से ऑक्सीजन कुछ मात्रा निकल जाती है। अत: जल को खुली हवा में रखने से इसमें आवश्यक मात्रा में ऑक्सीजन घुल जाती है तथा पानी में स्वाद भी आ जाता है।
(2) छानकर:
इस विधि में जल को सूती कपड़े से छानकर शुद्ध किया जाता है। यह विधि अधिक उपयुक्त नहीं है, क्योंकि कपड़े में से महीन मिट्टी तथा जीवाणु भी जल के साथ छन जाते हैं।
(3) फिटकरी द्वारा:
इस विधि में फिटकरी के टुकड़े को 4-5 बार जल में घुमाया जाता है। जल के बर्तन को ढक्कर बिना हिलाये रख दिया जाता है। जल में उपस्थित धूल मिट्टी के कण व अन्य गन्दगी बर्तन के तले में बैठ जाने पर बिना हिलाये जल को दूसरे बर्तन में ले लिया जाता है। फिटकरी आसानी से उपलब्ध होने वाला सस्ता पदार्थ है।
(4) क्लोरीन की गोली:
इस विधि द्वारा जल में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए क्लोरीन की गोली प्रयोग में लायी जाती है। यह विधि सस्ती, विश्वसनीय, आसानी से उपयोग में आने वाली, हानिरहित और शीघ्रता से काम करने वाली है। इस विधि में 0.5 ग्राम क्लोरीन की गोली 20 लीटर पानी को निसंक्रमित करने के लिए उपयोग में लायी जाती है। इसके अतिरिक्त आजकल पेयजल शुद्धिकरण हेतु अनेक प्रकार के उपकरण बाजार में उपलब्ध हैं। इन उपकरणों से छानने, अल्ट्रा वायलेट किरणों तथा आधुनिक झिल्ली तकनीक द्वारा सुरक्षित पेयजल तैयार किया जाता है।
(5) विपरीत परासरण विधि:
यह जल के शुद्धिकरण की एक तकनीक है जिसके अन्तर्गत उच्च दाब पर पानी को एक अर्द्ध पारगम्य झिल्ली के माध्यम से निकाला जाता है जिससे जल में उपस्थित अनावश्यक आयन तथा अणुओं को जल से निष्कासित कर जल शुद्ध किया जाता है।
(6) अल्ट्रा:
वॉयलेट किरणों द्वारा इस विधि में एक यन्त्र का उपयोग किया जाता है, जिसमें पारे के वाष्प-युक्त बल्ब लगे होते हैं। इस यन्त्र से अल्ट्रा वॉयलेट किरणें निकलती हैं, जो जल में उपस्थित जीवाणुओं का विनाश करके जल को शुद्ध बनाती हैं।
प्रश्न 5.
संदूषित जल के मानव शरीरों पर दुष्प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जल के माध्यम से जिस प्रकार विभिन्न जीवाणु पीने पर शरीर में जाकर पेट व आंतों से सम्बन्धी अनेक रोग उत्पन्न करते हैं, ठीक उसी प्रकार नदी, तालाब, पोखरों आदि के जल में अनेक परजीवी होते हैं जो लैप्टोस्पाइरोसिस, एनकायलो, नारु आदि रोग उत्पन्न करते हैं। उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट जल में अनेक विषैले पदार्थ छोड़ता है; जैसे – फ्लोराइड्स, फीनोल्स, साइनाइड, अम्ल, क्षार, पारा, सीसा आदि। पेयजल के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करने पर ये पदार्थ अनेक प्रकार की बीमारियाँ फैलाते हैं। सीसा युक्त जल के पीने से माँसपेशियों, पाचन संस्थान, केन्द्रीय नाड़ी संस्थान से सम्बन्धित रोग हो जाते हैं। फ्लोराइड अधिकता वाले जल को पीने से दाँतों में धब्बे पड़ जाना, हड्डियों एवं जोड़ों में दर्द होना, पैरों में घुटनों का बाहर की तरफ मुड़ना आदि दुष्प्रभाव देखने में आते हैं। राजस्थान में विशेषकर अजमेर, जयपुर, अलवर, जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, नागौर, पाली व बीकानेर जिलों में फ्लोराइड प्रदूषण से फ्लोरोसिस रोग की समस्या अधिक है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (PART-I)
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न (PART-I)
प्रश्न 1.
पृथ्वी पर उपलब्ध जल का सिर्फ………..प्रतिशत जल ही पीने योग्य है –
(अ) 1
(ब) 1.2
(स) 3
(द) 4
उत्तर:
(ब) 1.2
प्रश्न 2.
गुणवत्ता के आधार पर जल को कितने भागों में बाँटा गया है?
(अ) एक
(ब) दो
(स) तीन
(द) चार
उत्तर:
(द) चार
प्रश्न 3.
जल की अस्थाई कठोरता दूर की जा सकती है –
(अ) उबालकर
(ब) छानकर
(स) ढककर
(द) ये सभी।
उत्तर:
(अ) उबालकर
प्रश्न 4.
पेयजल के एकत्रीकरण, परिवहन एवं भण्डारण के समय उसमें
(अ) हाथ नहीं डालें
(ब) लुटिया नहीं डालें
(स) गिलास नहीं डालें
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) हाथ नहीं डालें
प्रश्न 5.
दाँतों पर धब्बे किस तत्व के जल में मिले होने के कारण पड़ जाते हैं?
(अ) क्लोराइड
(ब) फ्लोराइड
(स) सल्फेट
(द) ब्रोमाइड
उत्तर:
(ब) फ्लोराइड
प्रश्न 6.
राजस्थान के किस जिले में फ्लोरोसिस रोग जल द्वारा नहीं होता है?
(अ) जयपुर
(ब) जोधपुर
(स) भरतपुर
(द) अजमेर
उत्तर:
(स) भरतपुर
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. “जीवनदाता जल ………….भी हो सकता है।”
2. शुद्ध जल को …………..जल भी कहते हैं।
3. पीने के लिए शुद्ध व ………… जल स्वास्थ्य के लिए नितान्त आवश्यक है।
4. क्लोरीन की गोली 5 ग्राम की मात्राएँ ………… लीटर पानी को भी संक्रमित कर सकती है।
5. 100°C-121°C तक जल को उबालने से जल में उपस्थित जीवाणु व उनके…………नष्ट हो जाते हैं।
6. मिट्टी में हानिकारक जीवाणु होते हैं जो कि पानी को ………… कर सकते हैं।
उत्तर:
1. मृत्युदाता
2. प्राकृतिक
3. सुरक्षित
4. 20
5. अंडे
6. प्रदूषित।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 अति लघूत्तरीय प्रश्न (PART-I)
प्रश्न 1.
सुरक्षित पेयजल के गुण बताइए।
उत्तर:
सुरक्षित पेयजल जैविक, रासायनिक पदार्थों से मुक्त, मिट्टी व गन्दगी रहित, गन्धहीन, रंगहीन, दिष्ट पारदर्शी होता है।
प्रश्न 2.
जल विषाक्त कब हो जाता है?
उत्तर:
जल मानव एवं पशओं के अपशिष्ट पदार्थों से संक्रमित और रासायनिक यौगिकों के मिलने से विषाक्त हो जाता है।
प्रश्न 3.
अशुद्ध जल के सेवन से किन रोगों के होने का खतरा रहता है ?
उत्तर:
अशुद्ध जल के सेवन से अतिसार, पेचिश, हैजा, टायफाइड, पेट में कीड़े, पीलिया आदि रोग होने का खतरा रहता है।
प्रश्न 4.
पृथ्वी पर जल का वितरण किस प्रकार है?
उत्तर:
पृथ्वी पर उपलब्ध जल का 97 प्रतिशत भाग समुद्रों में, 1.8 प्रतिशत भाग बर्फ के रूप में तथा केवल 1.2 प्रतिशत जल पीने योग्य है।
प्रश्न 5.
जल को शुद्ध करने की दो घरेलू विधिबताइए।
उत्तर:
जल को शुद्ध करने की दो घरेलू विधि –
- उबालकर
- छानकर।
प्रश्न 6.
जल में अघुलनशील अशुद्धियों को कैसे दूर किया जाता है?
उत्तर:
जल में अघुलनशील अशुद्धियों को छानकर दूर किया जाता है।
प्रश्न 7.
जल को शुद्ध करने की सबसे अच्छी विधि कौन-सी है ?
उत्तर:
जल को उबालकर, जल को शुद्ध करने की सबसे अच्छी विधि है।
प्रश्न 8.
जल को उबालने से क्या लाभ है?
उत्तर:
जल को उबालने से उसमें उपस्थित कीटाणु व जीवाणु नष्ट हो जाते हैं तथा छानने के बाद वह पीने योग्य हो जाता है।
प्रश्न 9.
फिटकरी मिलाने से जल किस प्रकार शुद्ध हो जाता है?
उत्तर:
फिटकरी मिलाने से जल में उपस्थित विलेय तथा अविलेय पदार्थ अवक्षेपित होकर नीचे बैठ जाते हैं, जिन्हें छानकर अलग कर लिया जाता है।
प्रश्न 10.
प्रकृति में जल किस प्रकार शुद्ध होता रहता है ?
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश की पराबैंगनी किरणों द्वारा प्रकृति में जल शुद्ध होता रहता है।
प्रश्न 11.
वर्षा के जल में कौन-सी अशुद्धियाँ होती
उत्तर:
वर्षा के जल में CO2 धूल के कण, जीवाणु = व धुआँ आदि मिले रहते हैं।
प्रश्न 12.
किन साधारण विधियों द्वारा जल को शुद्ध पीने योग्य बनाया जा सकता है?
उत्तर:
- उबालकर,
- छानकर,
- फिटकरी द्वारा,
- ब्लीचिंग पाउडर द्वारा।
प्रश्न 13.
संदूषित जल किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि जल में सूक्ष्म जीवाणुओं और रोगाणुओं की उपस्थिति हो, तो उसे संदूषित जल कहते हैं।
प्रश्न 14.
पीलिया रोग किस कारण से होता है?
उत्तर:
पीलिया रोग संदूषित जल व भोजन के उपभोग करने से होता है।
प्रश्न 15.
जल की अस्थाई कठोरता कैसे दूर की जा सकती है?
उत्तर:
जल की अस्थाई कठोरता उबालकर, या कास्टिक सोडा, अमोनिया डाइआक्साइड को डालकर।
प्रश्न 16.
जल में तैरने वाली अशद्धियों को कैसे दूर किया जाता है?
उत्तर:
जल में तैरने वाली अशुद्धियों को छानकर और निथारकर दूर किया जाता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 लघूत्तरीय प्रश्न (PART-I)
प्रश्न 1.
मानवीय क्रियाकलापों द्वारा जल कैसे प्रदूषित होता है?
उत्तर:
निम्न मानवीय क्रियाकलापों द्वारा जल प्रदूषित होता है –
- जल में नहाना, पशुओं को नहलाना,
- मानव एवं पशुओं का मल-मूत्र विसर्जित करना,
- कारखानों का अपशिष्ट प्रवाहित करना,
- मृत शवों को जल में प्रवाहित करना।
प्रश्न 2.
प्रदूषित जल किस प्रकार हमें नुकसान पहुँचाता है?
उत्तर:
प्रदूषित जल निम्न प्रकार हमें नुकसान पहुंचाता है –
- जब हम प्रदूषित जल को पीते हैं तो इसमें उपस्थित रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश करके विभिन्न रोग उत्पन्न करते हैं।
- प्रदूषित जल से नहाने पर यह त्वचा के रोग उत्पन्न करता है।
प्रश्न 3.
गुणवत्ता के आधार पर जल को कितने प्रकारों में बाँटा गया है?
उत्तर:
गुणवत्ता के आधार पर जल को निम्नलिखित चार प्रकारों में बाँटा गया है –
- शुद्ध जल-जल, जिसमें कोई अवांछनीय तत्व नहीं होता, शुद्ध जल कहलाता है। इसे प्राकृतिक जल भी कहते हैं।
- सुरक्षित जल-शुद्ध जल का उपचार कर उसे पीने योग्य बनाया जाता है, इसे उपचारित जल भी कहते हैं। इस जल में किसी प्रकार के अवांछनीय पदार्थ नहीं होते हैं।
- संदूषित जल-यदि जल में सूक्ष्म जीवाणु और रोगाणु उपस्थित हों तो इसे संदूषित जल कहते हैं।
- प्रदूषित जल-यदि जल में कार्बनिक, अकार्बनिक, विकिरण, जैविक आदि अशुद्धियाँ घुली हुई हों तो वह प्रदूषित जल कहलाता है।
प्रश्न 4.
शुद्ध तथा अशुद्ध जल में अन्तर बताइए।
उत्तर:
शुद्ध तथा अशुद्ध जल में अन्तर
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 निबन्धात्मक प्रश्न (PART-I)
प्रश्न 1.
घर पर जल को सुरक्षित रखने हेतु आप क्या सावधानियाँ रखेंगे और क्यों?
उत्तर:
घर पर जल को सुरक्षित रखते हुए सावधानियाँ-ये निम्नलिखित हैं –
- जिस बर्तन में जल रखना है, उसे प्रतिदिन साफ करना चाहिए।
- जल के बर्तन को ढककर रखना चाहिए।
- पानी निकालने के लिए लम्बी डण्डी वाली लुटिया का प्रयोग करना चाहिए।
- पानी के बर्तन को ऊँचे स्थान पर रखना चाहिए।
- पानी के बर्तन में हाथ नहीं डालना चाहिए। सावधानी रखने से लाभ –
- पानी का बर्तन ढके होने से पानी पीने का मन करता है तथा सन्तोष का अनुभव होता है।
- पानी कीटाणुरहित रहता है।
- पानी को ढककर रखने से मिट्टी, धूल आदि के कण उसमें नहीं पहुँच पाते हैं।
- पानी के शुद्ध व स्वच्छ होने से अनेक जानलेवा बीमारियों से सुरक्षा हो जाती है।
- जल का पूर्ण उपयोग होता है।
प्रश्न 2.
जल की भौतिक एवं रासायनिक गुणवत्ता के मानक एक तालिका द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जल की भौतिक एवं रासायनिक गुणवत्ता के मानक की तालिका
प्रश्न 3.
संदूषित जल से उत्पन्न होने वाले रोगों को एक तालिका द्वारा समझाइए।
उत्तर:
संदूषित जल से उत्पन्न होने वाले रोगों की तालिका
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर (PART-II)
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. भोज्य पदार्थों को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यक है कि उन्हे………होने से बचायें।
2. गेहूँ, चावल, दालों आदि को……….व……….साफ एवं सूखे डिब्बों में संगृहीत करें।
3. भोजन को सदैव…………..रखना चाहिए।
4. भोजन के दूषित होने के तापमान की परिधि……..है।
5. रसोइया स्वयं ………….व………होना चाहिए।
उत्तर:
1. दूषित / अस्वच्छ
2. छानकर, बीनकर
3. ढककर,
4. 5°C – 60°C
5. स्वच्छ, निरोगी।
प्रश्न 2.
खाद्य स्वच्छता को समझाइये।
उत्तर:
खाद्य स्वच्छता से तात्पर्य ऐसे भोज्य पदार्थों के उत्पादन से है जोकि उपभोक्ता के लिए सुरक्षित और अधिक समय तक संग्रहीत किये जा सकते हैं तथा संग्रहण के समय भी उनकी गुणवत्ता वैसी ही बनी रहे। अतः भोज्य पदार्थों को स्वच्छ रखने के साथ-साथ उन्हें दूषित होने से बचाना ही खाद्य स्वच्छता कहलाता है।
प्रश्न 3.
खाद्य पदार्थ किन-किन कारणों से अस्वच्छ हो जाता है?
उत्तर:
खाद्य पदार्थ निम्नलिखित कारणों से अस्वच्छ हो जाता है –
- खाद्य पदार्थों को अधिक समय तक खुला रखने से उनमें धूल, मिट्टी के कण पहुँचकर उन्हें अस्वच्छ कर देते हैं।
- कड़े भोज्य पदार्थों जैसे – फल व सब्जियों में कीटाणु पनप जाते हैं जिसके कारण वे दूषित हो जाते हैं।
- जिस बर्तन में खाना बनाया जाता है उनके साफ व स्वच्छ न होने पर भोज्य पदार्थ अस्वच्छ व दूषित हो जाता है।
- भोज्य पदार्थ रखने का स्थान यदि अस्वच्छ है तो स्थान की अस्वच्छता भोज्य पदार्थों में प्रवेश कर जाती है, जिससे भोजन अस्वच्छ व दूषित हो जाता है।
- भोजन पकाने व परोसने वाले व्यक्ति के अस्वस्थ होने से भोजन हानिकारक हो जाता है।
- जिन बर्तनों में भोजन परोसा जाता है, वे पूर्ण रूप से स्वच्छ व साफ होने चाहिए अन्यथा बर्तनों की गन्दगी भोजन के साथ मिलकर पेट में चली जायेगी और व्यक्ति को रोगी बना देगी।
- रसोइये के बाल व नाखून कटे हुए न होने पर नाखूनों की गन्दगी भोज्य पदार्थ में मिल जाती है जिससे भोजन अस्वच्छ हो जाता है।
प्रश्न 4.
खाद्य पदार्थों को स्वच्छ कैसे रखा जा सकता है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को स्वच्छ रखना मानव की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ होती हैं- भोजन, कपड़ा और मका इनमें से भोजन एक अति महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। इसके बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता। भोजन के द्वारा ही व्यक्ति को शक्ति व ऊर्जा मिलती है जिससे वह कठिन – से – कठिन कार्यों को आसानी से कर लेता है। भोजन के माध्यम से ही व्यक्ति को सभी पौष्टिक तत्व उचित मात्रा में मिलते हैं जिससे उसके शरीर की रोगों से रक्षा होती है। यदि भोजन दूषित व अस्वच्छ होगा तो व्यक्ति अनेक रोगों का शिकार होकर कमजोर हो जायेगा। अत: यह अति आवश्यक है कि भोजन व खाद्य पदार्थों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाये। खाद्य पदार्थों को स्वच्छ रखने के लिए निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए
(1) भोज्य पदार्थ को ढककर रखें:
भोज्य पदार्थों को हमेशा ढककर रखना चाहिए। खुले हुए भोज्य पदार्थ पर मक्खी-मच्छर बैठकर उसे दूषित कर देते हैं साथ ही धूल व मिट्टी के कण खुले भोज्य पदार्थ में मिलकर उसे दूषित कर देते हैं।
(2) स्वच्छ स्थान पर रखें:
जिस स्थान पर भोज्य पदार्थों को रखना है वह स्थान स्वच्छ व साफ होना चाहिए अन्यथा उस स्थान की गन्दगी भोजन में पहुँचकर उसे दूषित कर देती है।
(3) ताजे फल व सब्जियाँ का प्रयोग करें:
बाजार से हमेशा ताजे फल व सब्जियाँ को ही खरीदना चाहिए। अत्यधिक पके फल व सब्जियाँ संक्रमित व दूषित हो सकते हैं। उन्हें भोज्य पदार्थों में शामिल नहीं करना चाहिए।
(4) बर्तन साफ व स्वच्छ रखें:
भोजन पकाने व परोसने के बर्तन साफ व स्वच्छ रखने चाहिए जिससे किसी भी प्रकार की अस्वच्छता का भय न रहे।
(5) रसोई बनाने वाला व्यक्ति स्वस्थ हो:
सर्दी, जुकाम, क्षय रोग या कोई चर्म रोग वाले व्यक्ति से न तो भोजन पकवाना चाहिए और न ही भोजन परोसवाना चाहिए, क्योंकि खाँसते व छींकते समय जीवाणु भोजन में प्रवेश कर जाते हैं और भोजन को दूषित कर देते हैं।
(6) बाल व नाखून कटे हों:
जो व्यक्ति भोजन पका रहा है उसके बाल व नाखून कटे होने चाहिए, साथ ही उसके वस्त्र साफ होने चाहिए।
(7) धूम्रपान न करें:
धूम्रपान करने वाले व्यक्ति से कभी भी भोजन नहीं पकवाना चाहिए और न ही परोसवाना चाहिए।
(8) कूड़ेदान की सफाई-घर के कूड़े:
करकट को ढक्कन वाले कूड़ेदान में डालें तथा कूड़ेदान की भी नियमित सफाई करें।
(9) नेपकिन, झाड़न को साफ रखें:
रसोई के कार्य में प्रयुक्त किये जाने वाले कपड़े नेपकिन, झाड़न आदि को साबुन से धोकर धूप में सुखाकर उपयोग में लाना चाहिए।
(10) आवश्यकतानुसार भोजन बनायें:
पारिवारिक सदस्यों की आवश्यकतानुसार ही भोजन पकाना चाहिए अन्यथा भोजन खराब हो जाता है। अधिक दिनों तक फ्रिज में रखे भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
यदि उपर्युक्त बातों को ध्यान में रखा जाये तो भोज्य पदार्थों को स्वच्छ व कीटाणुरहित रखा जा सकता है।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर (PART-II)
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 वस्तुनिष्ठ प्रश्न (PART-II)
प्रश्न 1.
ऐसे भोजन से शरीर का पोषण होता है, जो –
(अ) सन्तुलित
(ब) पौष्टिक
(स) स्वच्छ
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
प्रश्न 2.
स्वच्छ खाद्य पदार्थ वे होते हैं, जो उपभोक्ता के लिए –
(अ) सुरक्षित हों
(ब) सस्ते हों
(स) स्वादिष्ट हों
(द) पौष्टिक हो
उत्तर:
(अ) सुरक्षित हों
प्रश्न 3.
भोजन पकाने व परोसने के क..न साफ करने चाहिए –
(अ) समय मिलने पर
(ब) जितनी जल्दी हो सके
(स) सारे दिन के एक साथ
(द) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(ब) जितनी जल्दी हो सके
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. भोज्य पदार्थों को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यक है कि उन्हें………….होने से बचायें।
2. गेहूँ, चावल, दालों आदि को…………व………….साफ एवं सूखे डिब्बों में संग्रहीत करें।
3. भोजन को सदैव……………रखना चाहिए।
4. रसोइया स्वयं……………व…………होना चाहिए।
उत्तर:
1. दूषित / अस्वच्छ
2. छानकर, बीनकर
3. ढककर
4. स्वच्छ, निरोगी।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 अति लघूत्तरीय प्रश्न (PART-II)
प्रश्न 1.
संदूषित भोजन के सेवन से कौन-सी
उत्तर:
संदूषित भोजन के सेवन से हैजा, उल्टी, अतिसार, पीलिया आदि रोग हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
खाद्य पदार्थ कैसे अस्वच्छ हो जाते हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थ उनमें उपस्थित गन्दगी, कीटाणु और रासायनिक पदार्थ, उपयोग में लेने वाले व्यक्ति तथा रखने व संग्रहण करने के स्थान, बर्तन, उपकरण व अन्य सामग्री द्वारा अस्वच्छ हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
स्वच्छ खाद्य से क्या अभिप्राय है? बीमारियाँ हो जाती हैं?
उत्तर:
स्वच्छ खाद्य से अभिप्राय है – ऐसे भोज्य पदार्थों के उत्पादन से है जोकि उपभोक्ता के लिए सुरक्षित होते हैं, लम्बे समय तक प्रयोग किये जा सकते हैं और संग्रहण के समय उनकी गुणवत्ता यथावत बनी रहती है।
प्रश्न 4.
भोजन में किस प्रकार के फल व सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर:
भोजन में ताजे फल व सब्जियों का प्रयोग करना चाहिए।
RBSE Class 12 Home Science Chapter 20 लघूत्तरीय प्रश्न (PART-II)
प्रश्न 1.
बाजार से लाये गए खाद्य पदार्थों को संग्रहण से पहले क्या करना चाहिए?
उत्तर:
घर लाने के बाद सभी खाद्य पदार्थों को काम में लेने या संग्रहण से पूर्व साफ कर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए फल व सब्जियों को धोकर, सुखाकर, रेफ्रिजरेटर में संगृहित करना चाहिए। आलू व प्याज की बाह्य गंदगी हटाकर टोकरी में रखनी चाहिए। गेहूँ, चावल, दालों आदि को छानकर एवं बीनकर साफ डिब्बों में रखना चाहिए।
प्रश्न 2.
खाद्य स्वच्छता से क्या अभिप्राय है? भोजन को कैसे स्वच्छ रखा जा सकता है ?
उत्तर:
खाद्य पदार्थ उनमें उपस्थित गन्दगी, कीटाणु और रासायनिक पदार्थ, उपयोग में लेने वाले व्यक्ति तथा रखने व संग्रहण करने के स्थान, बर्तन, उपकरण व अन्य सामग्री द्वारा अस्वच्छ हो जाते हैं।
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