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RBSE Solutions for Class 12 Psychology Chapter 8 मनोविज्ञान तथा जीवन

August 20, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 मनोविज्ञान तथा जीवन

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 अभ्यास प्रश्न

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हमारे चारों ओर जो कुछ भी है उसे चरितार्थ करने वाला पद है –
(अ) प्रदूषण
(ब) पर्यावरण
(स) शोर
(द) परिवार
उत्तर:
(ब) पर्यावरण

प्रश्न 2.
पर्यावरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं, स्वाभाविक तथा –
(अ) प्राकृतिक
(ब) मानवीय
(स) अन्तर्वैयक्तिक
(द) निर्मित
उत्तर:
(द) निर्मित

प्रश्न 3.
यह परिप्रेक्ष्य पर्यावरण को मूल्यवान वस्तु के रूप में संदर्भित करता है –
(अ) अल्पतमवादी
(ब) नैमित्तिक
(स) भौतिकवाद
(द) आध्यात्मिक
उत्तर:
(द) आध्यात्मिक

प्रश्न 4.
कोई भी ध्वनि जो खीझ या चिड़चिड़ापन उत्पन्न करे और अप्रिय हो, कहलाती है –
(अ) शोर
(ब) चीख
(स) प्रदूषण
(द) आवाज़
उत्तर:
(अ) शोर

प्रश्न 5.
वे व्यवहार जिनका उद्देश्य होता है, पर्यावरण का संरक्षण तथा उन्नत स्वास्थ्य कहलाते हैं –
(अ) मित्रता
(ब) सजगता
(स) पर्यावरण प्रेम
(द) पर्यावरण मैत्री
उत्तर:
(द) पर्यावरण मैत्री

प्रश्न 6.
ऐसा शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार जिसका उद्देश्य दूसरों को चोट पहुँचाना होता है –
(अ) अपराध
(ब) घृणा
(स) आक्रामकता
(द) झगड़ा
उत्तर:
(स) आक्रामकता

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण शब्द ‘परि + आवरण’ दो शब्दों से मिलकर बना है जिनका अर्थ क्रमशः ‘चारों ओर’ तथा ‘ढका हुआ है। हमारे चारों ओर का वातावरण एवं परिवेश जिसमें अन्य जीवधारी और समस्त प्राणी रहते हैं, उसे पर्यावरण कहते हैं, किन्तु ‘पर्यावरण’ का बहुत व्यापक अर्थ है। पर्यावरण समस्त भौतिक (हवा, जल, मृदा, सड़क, पुल आदि) एवं जैविक-सामाजिक कारकों (परिवार, समुदाय, व्यवसाय व उद्योग आदि) की वह व्यवस्था है जो मानव को किसी न किसी प्रकार से प्रभावित करती है।

प्रश्न 2.
जनसंचार किसे कहते हैं?
उत्तर:
भाषा, संकेत या चिह्न आदि के माध्यम से अपने चिन्तन एवं विचार को दूसरों तक पहुँचाने की प्रक्रिया को संचार कहा जाता है। संचार में एक जीवित प्राणी दूसरे जीवित प्राणी से सामान्य बोध को स्थापित करता है। जनसंचार प्रक्रिया में दो या दो से अधिक प्राणी या व्यक्ति सूचनाओं एवं अनुभूतियों का आपस में विनिमय करते हैं। जन-संचार में बहुत सारे लोग सम्मिलित होते हैं तथा इनमें जन-सम्पर्क के माध्यमों; जैसे-रेडियो, चलचित्र व सिनेमा, टेलीविजन तथा दूरदर्शन आदि का प्रयोग होता है। वर्तमान समय में जनसंचार के नवीन माध्यम जैसे मोबाइल व इंटरनेट आदि अत्यधिक प्रचलन में हैं।

प्रश्न 3.
विभेदीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सामान्य रूप में विभेदीकरण या विभेदन से तात्पर्य विभिन्न घटनाओं में अन्तर को प्रदर्शित करना है। एक व्यक्ति और दूसरे व्यक्ति के बीच कद, रंग, आयु आदि पर किए गए भेद को व्यक्तिगत विभेदीकरण और प्रकार्य (व्यवसाय),रुचि तथा क्रम-विन्यास (रैंक) के आधार पर किये गए भेद को सामाजिक विभेदीकरण कहा जाता है। अधिक स्पष्ट रूप में, विभेदीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक संस्था के द्वारा संपादित किये जाने वाले सामाजिक कार्यकलाप विभिन्न संस्थाओं के बीच बँट जाते हैं। विभेदीकरण किसी समाज में उत्तरोत्तर बढ़ते हुए विशेषीकरण को प्रदर्शित करता है। विभेदीकरण की प्रक्रिया समाज में अन्याय की द्योतक भी होती है। जो व्यक्ति विभेदन से पीड़ित होते हैं वे मानसिक रूप से तनाव से ग्रस्त भी पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
आक्रामकता के स्वरूप को समझाइए।
उत्तर:
आक्रामकता एक सार्वभौमिक घटना और सामाजिक समस्या है, जिसका मानव जीवन पर अत्यन्त घातक और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मनोविज्ञान में आक्रामकता को एक ऐसे व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसकी परिणति दूसरे व्यक्ति के लिए नकारात्मक (क्षतिपूर्ण व कष्टकारक) होती है। आक्रामकता की प्रवृत्ति केवल मनुष्यों में ही नहीं बल्कि पशुओं में भी पायी जाती है।

आक्रामकता शारीरिक व शाब्दिक दोनों प्रकार की हो सकती है लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य दूसरों को शारीरिक व मानसिक चोट पहुँचाना या कष्ट देना होता है।

अत: यह स्पष्ट होता है कि आक्रामकता का तात्पर्य उन शारीरिक व वाचिक व्यवहारों व क्रियाकलापों की विस्तृत श्रेणी है जिनका प्रदर्शन व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक रूप से आघात पहुँचाने अथवा उसकी सम्पत्तियों को क्षति पहुँचाने हेतु किया जाता है।

प्रश्न 5.
प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर:
प्रदूषण के निम्नलिखित कारण है:

  1. वनों की कटाई के कारण वायुमण्डल में उपस्थित गैसों का सन्तुलन बिगड़ गया है, जिससे प्रदूषण में वृद्धि हुई है।
  2. बड़े उद्योगों से निकलने वाली अनेक गैसों से भी प्रदूषण की समस्या बढ़ती है।
  3. कीट व खर-पतवारों को नष्ट करने के लिए फसलों पर जो रसायन छिड़के जाते हैं उनमें से भी अनेक विषाक्त पदार्थ वायु में फैल जाते हैं, जिससे प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है।
  4. मृत वनस्पति, जीव, जानवर या मनुष्य आदि वायुमण्डल में छोड़ दिए जाते हैं, जिसमें अनेक प्रकार के रोगों के कीटाणु, जीवाणु व विषाणु प्रदूषण को उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 6.
भीड़ किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्य भाषा में भीड़ शब्द का प्रयोग लोगों के एक स्थान पर एकत्रीकरण के लिए करते हैं। भीड़ लोगों का एक अस्थायी एवं असंगठित समूह है, जो ध्यान के एक केन्द्र-बिन्दु के चारों ओर एकत्रित हो जाता है। भीड़ में समान संवेग एवं उद्वेग पाये जाते हैं और व्यक्तिगत चेतना सामूहिक चेतना में बदल जाती है। भीड़ के सदस्यों में समान अनुभूति भी पायी जाती है।

भीड़ के सदस्यों में घनिष्ठ भौतिक सम्पर्क होता है। आकर्षण के सामान्य केन्द्र के विलुप्त होने के साथ-साथ व्यक्तियों का यह संकलन भी धीरे-धीरे स्वतः समाप्त हो जाता है।

प्रारम्भिक समाज मनोवैज्ञानिकों में प्रमुख रूप से “ली बॉ” तथा “गैब्रिल टार्डे” दोनों ने भीड़ की उत्पत्ति के लिए पशु प्रवृत्ति और जन-अनुकरण की भावनाओं को उत्तरदायी माना है। भीड़ सक्रिय (दंगा) और बिखरी हुई (रैली) या निष्क्रिय, केन्द्रित लक्ष्योन्मुख (श्रोतागण) हो सकती है।

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव-पर्यावरण सम्बन्ध को समझाइए। इसे किस प्रकार स्वस्थ बनाया जा सकता है?
उत्तर:
मानव व्यवहार तथा पर्यावरण के बीच का सम्बन्ध हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनोविज्ञान की एक शाखा जिसे पर्यावरणीय मनोविज्ञान कहते हैं। यह अनेक ऐसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों का अध्ययन करती है, जिनका सम्बन्ध व्यापक अर्थ में मानव पर्यावरण की अंतः क्रियाओं से होता है।

मानवीय पर्यावरण का निर्माण अनेक तत्वों से मिलकर हुआ है; जैसे-पृथ्वी की रचना, मिट्टी के रूप, आन्तरिक व बाह्य परिवर्तन आदि । वनस्पति जगत तथा अन्य मानव प्रजातियाँ विकसित एवं अविकसित समाज मिलकर मानव पर्यावरण के निर्माण का निर्माण करते हैं। इन सबका मिला-जुला रूप ही मानव निर्मित पर्यावरण है जिसे समग्र रूप से सांस्कृतिक पर्यावरण कहा जाता है।
RBSE Solutions for Class 12 Psychology Chapter 8 मनोविज्ञान तथा जीवन img-1
मानव पर्यावरण सम्बन्धों को निम्न आधारों पर स्वस्थ बनाया जा सकता है –

  1. मानव व पर्यावरण के सम्बन्धों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए दोनों के मध्य अनुकूलन का होना आवश्यक है।
  2. मानव को पर्यावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है कि वह प्राकृतिक संसाधनों का नियोजित रूप से प्रयोग करे।
  3. अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाना चाहिए, जिससे समस्त वातावरण स्वस्थ रहे।
  4. मानव के लिए समय-समय पर पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें इसके विषय में ज्ञात हो सके व पर्यावरण सम्बन्धी जागरूकता का भी उनमें समावेश हो।

प्रश्न 2.
जनसंचार का मानव व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जनसंचार का मानव व्यवहार पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है –

1. सामान्य बोध:
जनसंचार की प्रक्रिया मानव के व्यवहार में एक जीवित प्राणी को दूसरे जीवित प्राणी से सामान्य बोध को स्थापित करने का प्रयास करता है।

2. विचारों का विनिमय:
जनसंचार को एक विनिमय प्रक्रिया के आधार पर भी जाना जाता है। इसके अन्तर्गत व्यक्ति के विचारों व सूचनाओं तथा साथ ही अनुभूतियों का आपस में विनिमय की प्रक्रिया में सहायक होती है। इससे व्यक्ति को दूसरे व्यक्तियों के व्यवहारों को समझने में सहायता मिलती है।

3. सम्पर्क स्थापित करना:
जनसंचार के साधनों; जैसे-रेडियो, टी. वी. आदि के माध्यमों के द्वारा व्यक्तियों के व्यवहार पर काफी प्रभाव दृष्टिगोचर होता है, उन्हें अनेक देशों व क्षेत्रों की जानकारी होती है तथा साथ ही वर्तमान गतिविधियों के बारे में पता भी चलता है।

4. समय की बर्बादी:
जनसंचार साधनों का व्यक्तियों के स्वभाव पर अनुकूल व्यवहार पाया जाता है, वहीं लोगों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव भी दृष्टिगोचर होता है। बच्चों के व्यवहार पर सर्वाधिक रूप से इसका प्रभाव पड़ता है, वे ज्यादातर अपना समय टी. वी. आदि कार्यक्रमों को देखने में ही व्यतीत कर देते हैं।

5. सृजनात्मकता में कमी:
जनसंचार साधनों के परिणामस्वरूप लोगों व बच्चों की सृजनात्मकता में कमी आती है। वे स्वयं कुछ नवीन कार्यों में रुचि नहीं लेते हैं, जिसमें उनका समुचित विकास नहीं हो पाता है।

6. ध्यान केन्द्रित करने में असमर्थता:
इन साधनों के कारण व्यक्ति अपने ध्यान को किसी भी कार्य को करने में असमर्थ पाए गए हैं।

अत: उपरोक्त तथ्यों की विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि जनसंचार के साधनों का व्यक्तियों पर अनुकूल व प्रतिकूल दोनों ही प्रकार का प्रभाव उनके व्यवहार पर पड़ता है।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक आपदाएँ किस प्रकार से जीवन को प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाएँ; जैसे-आग, भूकम्प, बाढ़, सूखा तथा चक्रवात या तूफान आदि जन-जीवन को अग्र रूप से प्रभावित करती है –

1. मूलभूत आवश्यकताओं की कमी:
प्राकृतिक आपदा से ग्रस्त लोगों की आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा, मकान तथा चिकित्सीय सहायता तो होती ही हैं, इसके साथ-साथ संवेगात्मक आवश्यकताएँ तथा अन्य मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ भी होती हैं जिनको पूरा करने का दायित्व राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार का तो होता ही है साथ ही शेष समाज का भी होता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा उत्पन्न होती है व्यक्ति का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है तथा वह अपनी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति भी नहीं कर पाता है।

2. भौतिक हानि/प्रभाव:
वर्षा ऋतु में जब बाढ़ आती है, तो फसलें नष्ट हो जाती हैं। बाढ़ों के साथ आने वाली मिट्टी खड़ी फसलों को सबसे अधिक हानि पहुँचाती है। दबाव के कारण बाँध टूट जाते हैं और भू-स्खलन होता है।

3. बीमारियों का संचा:
प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप व्यक्तियों के अनेक विषैले पदार्थों के अपघटन से महामारी, वायरल संक्रमण, पेचिश तथा मलेरिया जैसी अनेक बीमारियों में वृद्धि होती है।

4. अन्य प्रभाव:

  • व्यापक हानि एवं विनाश के कारण जनता के आर्थिक क्रियाकलापों; जैसे-कृषि, कारोबार तथा सेवाओं पर गम्भीर प्रभाव पड़ते हैं।
  • इससे नागरिकों में असन्तोष उत्पन्न होता है।
  • जलाशयों के प्रदूषण, पानी की निकासी के पाइपों में दरारें आदि के कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं।
  • यातायात एवं संचार के साधनों पर प्रभाव।
  • प्राकृतिक आपदाओं के उत्पन्न होने से लोग अधिक परेशान हो जाते हैं। इस प्रकार के चिन्ता वाले व्यक्तियों में कई बार सामान्यीकृत चिन्ता विकृति उत्पन्न हो जाती है।

प्रश्न 4.
गरीबी तथा भेदभाव को कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर:
गरीबी तथा भेदभाव को कम करने के लिए अनेक उपाय किये जा सकते हैं –

  1. सबसे पहले तीव्र गति से बढ़ती हुई जनसंख्या पर रोक लगाने की विधियों को अपनाया जाए।
  2. आर्थिक विकास की गति को तेज किया जाए।
  3. योजना की कमियों को दूर किया जाए तथा देश के पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए प्रयत्न किए जाए।
  4. देश के उपलब्ध प्राकृतिक साधनों का पूर्ण दोहन किया जाए।
  5. सामाजिक कुप्रथाओं को समाप्त किया जाए।
  6. उत्पादन के साधनों और लाभों का समाज के सभी लोगों में समान रूप से वितरण किया जाए।
  7. औद्योगिक और सामान्य शिक्षा का प्रसार किया जाए, जिससे एक तरफ रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो दूसरी ओर अज्ञानता, रूढ़ियों एवं सामाजिक कुरीतियों से भी छुटकारा मिल सकेगा।
  8. भेदभाव को समाप्त करने के लिए अन्तर्जातीय विवाहों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
  9. भेदभाव को समाप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय एवं प्रान्तीय संगठनों पर रोक लगा दी जाए क्योंकि ये संगठन ही भेदभाव की भावना को पैदा करने व उभारने के लिए उत्तरदायी हैं।
  10. समाज में विभिन्न लोगों के बीच आर्थिक एवं सांस्कृतिक समानता लाना आवश्यक है।
  11. कृषि के परम्परागत तरीकों के स्थान पर नवीन तरीकों, उन्नत बीज, खाद एवं नवीन सिंचाई के साधनों का उपयोग किया जाए।
  12. बचत की आदत को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, इससे पूँजी की वृद्धि होगी और पूँजी को उत्पादन कार्यों में लगाया जा सकेगा जिससे व्यक्ति एवं राष्ट्र की आय में वृद्धि होगी।

प्रश्न 5.
पर्यावरण मैत्री व्यवहार उन्नयन के कुछ प्रमुख बिन्दु बताइए।
उत्तर:
अनेक ऐसे उपाय या बिन्दु हैं जिन्हें साधारण जन-सरलता से अपनाकर पर्यावरण संरक्षण, सुधार एवं पर्यावरण मैत्री व्यवहार उन्नयन में अहम् व महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं –

  1. पर्यावरण मैत्री व्यवहार उन्नयन के लिए यह आवश्यक है कि आम जनता में जागरूकता उत्पन्न की जाए, जो बिना पर्यावरण शिक्षा के सम्भव नहीं है।
  2. कल-कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाना चाहिए।
  3. छात्रों और आम जनता को पेड़-पौधों के महत्व एवं प्रदूषणों के नियंत्रण के उपाय बताए जाने चाहिए। छात्रों में बागवानी का शौक बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  4. पर्यावरण के प्रति उचित व्यवहार पर पुरस्कार एवं अनुचित व्यवहार पर दंड की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  5. समाज में दिखावे की प्रवृत्ति को कम किया जाना चाहिए, विशेषकर कई लाउडस्पीकरों द्वारा एक साथ शोर मचाने की प्रथा तो बिल्कुल बन्द होनी चाहिए।
  6. कठोर कानूनों की मदद से शोर की तीव्रता, स्थान तथा समय सभी पर नियंत्रण रखा जा सकता है।
  7. वृक्षारोपण कर वृक्षों की देखभाल की जानी चाहिए।
  8. मोटर वाहनों से बहुध्वनि वाले हॉर्न बजाने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए।
  9. ट्रैफिक जाम के समय जब वाहन से विषैली गैसें निकलती रहती हैं। अत: वाहनों के हल्के-भारी व ओवरलोडिंग पर नियंत्रण होना चाहिए।
  10. कोई भी नवीन उद्योग लगाने के साथ ही साथ उपचार संयंत्र भी लगाए जाएँ, जिससे वायु व जल में अवशिष्टों की ऐसी निश्चित मात्रा ही जा सके, जो हानिकारक न हो।

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण का दोहन कौन कर रहा है?
(अ) मानव
(ब) जानवर
(स) ईश्वर
(द) कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) मानव

प्रश्न 2.
पर्यावरणीय मनोविज्ञान का जन्म कब हुआ?
(अ) 1955
(ब) 1960
(स) 1973
(द) 1970
उत्तर:
(ब) 1960

प्रश्न 3.
वायु प्रदूषण से सबसे पहले प्रभावित होता है –
(अ) पेट
(ब) सिर
(स) फेफड़ा
(द) यकृत
उत्तर:
(स) फेफड़ा

प्रश्न 4.
प्राणी के व्यवहार पर उसके वातावरण के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है –
(अ) सामान्य मनोविज्ञान
(ब) सामाजिक मनोविज्ञान
(स) नैदानिक मनोविज्ञान
(द) पर्यावरणीय मनोविज्ञान
उत्तर:
(द) पर्यावरणीय मनोविज्ञान

प्रश्न 5.
जल प्रदूषण से होने वाला रोग है –
(अ) पीलिया
(ब) एड्स
(स) कैंसर
(द) डायबिटीज
उत्तर:
(अ) पीलिया

प्रश्न 6.
ध्वनि प्रदूषण के फलस्वरूप उत्पन्न हो सकता है –
(अ) बेरोजगारी
(ब) बहरापन व रक्तचाप में वृद्धि
(स) अशिक्षा
(द) कोई भी नहीं
उत्तर:
(ब) बहरापन व रक्तचाप में वृद्धि

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित है?
(अ) वृक्षारोपण
(ब) जैविक खाद
(स) औद्योगिक अपशिष्ट
(द) धुआँरहित वाहन
उत्तर:
(स) औद्योगिक अपशिष्ट

प्रश्न 8.
स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारी किस प्रदूषण से ज्यादा होती है?
(अ) ध्वनि प्रदूषण
(ब) मृदा प्रदूषण
(स) जल प्रदूषण
(द) वायु प्रदूषण
उत्तर:
(द) वायु प्रदूषण

प्रश्न 9.
पर्यावरणीय मनोविज्ञान किसकी शाखा है?
(अ) व्यावहारिक मनोविज्ञान
(ब) नैदानिक मनोविज्ञान
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) व्यावहारिक मनोविज्ञान

प्रश्न 10.
मानव पर्यावरण सम्बन्ध को लेकर कितने दृष्टिकोण प्रचलित हैं?
(अ) दो
(ब) तीन
(स) चार
(द) छः
उत्तर:
(ब) तीन

प्रश्न 11.
APS का पूर्ण नाम क्या है?
(अ) Air Pollution Solution
(ब) Air Pollute Syndrome
(स) Air Pollution Syndrome
(द) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
(स) Air Pollution Syndrome

प्रश्न 12.
सांस्कृतिक आत्मसातीकरण के द्वारा क्या कम किया जा सकता है?
(अ) स्तरीकरण
(ब) नगरीकरण
(स) औद्योगीकरण
(द) विभेदीकरण
उत्तर:
(द) विभेदीकरण

प्रश्न 13.
आक्रामकता क्या है ?
(अ) व्यवहार
(ब) आदत
(स) जरूरत
(द) प्रवृत्ति
उत्तर:
(अ) व्यवहार

प्रश्न 14.
बैण्डुरा कौन थे?
(अ) समाजशास्त्री
(ब) मानवशास्त्री
(स) मनोवैज्ञानिक
(द) राजनीतिज्ञ
उत्तर:
(स) मनोवैज्ञानिक

प्रश्न 15.
आक्रामकता का क्या कारण है?
(अ) कुंठा
(ब) डर
(स) दोनों
(द) कोई भी नहीं
उत्तर:
(अ) कुंठा

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरणीय मनोविज्ञान का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य शब्दों में यह कह सकते हैं कि व्यक्ति पर पर्यावरण के पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन ही ‘पर्यावरणीय मनोविज्ञान’ है। पर्यावरणीय मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की नवीनतम शाखा है। इसकी उत्पत्ति सन् 1960 के लगभग हुई। यह मनोविज्ञान मनुष्य एवं उसके वातावरण के मध्य होने वाली अन्तःप्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।

मानव के भौतिक परिवेश में आने वाली तीव्र चेतना एवं अभिवृद्धि पर्यावरणीय मनोविज्ञान का ही परिणाम है। हेमस्ट्रा एवं मैक्फारलिंग के अनुसार-“पर्यावरणीय मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जो मानव व्यवहार तथा भौतिक वातावरण के परस्पर सम्बन्धों का अध्ययन करती है।” अत: पर्यावरणीय मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जिसमें मानव व्यवहार पर वातावरण के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक एवं निर्मित पर्यावरण को समझाइए।
उत्तर:
1. प्राकृतिक पर्यावरण:
प्राकृतिक पर्यावरण के अन्तर्गत भौगोलिक लक्षण; जैसे-जमीन, पहाड़, नदियाँ, समुद्र, जल व वायु आदि का अध्ययन किया जाता है तथा साथ ही यह भी ज्ञात किया जाता है कि इनसे मानव व्यवहार किस तरह प्रभावित होता है। पृथ्वी पर जल के दो स्रोत हैं –

  • भौमिक स्रोत
  • पृष्ठ स्रोत

इन स्रोतों से प्राप्त जल से मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। सभी जल शुद्ध नहीं होते हैं। इनमें कुछ जल दूषित होते हैं। प्रदूषित जल के प्रयोग से बीमारियाँ फैलती हैं। जल प्रदूषण की तरह वायु भी प्रदूषित होती है।

2. निर्मित पर्यावरण:
जो कुछ भी मानव द्वारा रचित है वह निर्मित पर्यावरण कहलाता है। जैसे-नगर, मकान, पुल, सड़कें, बाँध व वाहन आदि। जितना बड़ा शहर होता है, वहाँ उतना ही निर्मित पर्यावरण होता है। आजकल लोग इन साधनों की ओर भाग रहे हैं। इन सभी साधनों का मानव के व्यवहार पर प्रभाव देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
भीड़ को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
समूह का एक वर्गीकरण स्थायित्व के आधार पर भी किया जाता है। भीड़ एक अस्थायी एवं असंगठित समूह है। सामान्य भाषा में भीड़ शब्द का प्रयोग लोगों के एक स्थान पर एकत्रीकरण के लिए करते हैं। . टर्नर के अनुसार, “भीड़ लोगों का एक ऐसा समूह है जो उद्वेग, घनिष्ठता, अनुकरण, संकेत तथा अनामिकता (Anonymity) जैसी प्रक्रिया से प्रभावित रहता है।”

अतः भीड़ लोगों का एक अस्थायी एवं असंगठित समूह है, जो ध्यान के एक केन्द्र-बिन्दु के चारों ओर एकत्रित हो जाता है। भीड़ में समान संवेग एवं उद्वेग पाये जाते हैं तथा व्यक्तिगत चेतना सामूहिक चेतना में बदल जाती है। भीड़ के सदस्यों में समान अनुभूति भी पायी जाती है।

प्रश्न 4.
भीड़ एवं जनता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भीड़ एवं जनता में भेद/अन्तर:

  1. भीड़ के सदस्यों में शारीरिक समीपता पायी जाती है, जबकि जनता में शारीरिक निकटता नहीं होती है।
  2. भीड़ का प्रभाव लोगों पर अस्थायी होता है, जबकि जनता का प्रभाव अपेक्षाकृत स्थायी होता है।
  3. भीड़ में विचार-विमर्श की साधारणतः कोई सम्भावना नहीं होती है, जबकि जनता में होती है।
  4. भीड़ की क्रियाएँ अधिकांशत: अविवेकपूर्ण होती हैं, जबकि जनता की तार्किक एवं विवेकपूर्ण होती हैं।
  5. जनता की अपेक्षा भीड़ की सदस्य संख्या कम होती है।

प्रश्न 5.
प्राकृतिक आपदाएँ क्या हैं ? समझाइए।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाएँ, प्रकृति के द्वारा उत्पन्न की गई एक ऐसी आकस्मिक विपत्ति है, जो किसी क्षेत्र में रह या काम कर रही जनता की बड़ी संख्या को विस्थापित करती है। विस्थापन में मृत्यु, जीविका या सम्पत्ति की हानि तथा मानवता के कष्ट सम्मिलित हैं।

आपदा के स्वरूप का वर्णन निम्न प्रकार है –

1. सामान्य कार्यकलाप का विस्थापन:
एक आपदा प्राकृतिक संसाधनों और जान-माल को नष्ट करती है। जिसके फलस्वरूप समाज का सामान्य कार्यकलाप विस्थापित होता है।

2. आपदा कार्य परिणाम:
आपदा या परिणाम प्रभावित क्षेत्र की जनसंख्या के घनत्व पर निर्भर होता है।

3. आपदा का परिणाम:
आपदा का एक प्रमुख पर्यावरणीय परिणाम यह होता है कि नदियों और भू-जल के प्रदूषण तथा वायुमण्डल में धूल तथा गर्मी के कारण पर्यावरण को हानि पहुँचती है।

4. आपदा का प्रभाव:
धंसाव जैसी आपदाओं ने अतीत में बड़े-बड़े समुदायों को प्रभावित किया है।

प्रश्न 6.
अभिघातज अनुभव (Traumatic Experiences) किसे कहते हैं?
उत्तर:
अभिघातज अनुभव-यह एक प्रकार से प्राकृतिक विपदाएँ होती हैं अर्थात् विपदा के पश्चात् जीवित व्यक्तियों के लिए सांवेगिक रूप से आहत करने वाले तथा स्तब्ध या चौकाने वाले होते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि जब पृथ्वी पर प्रकृति का कहर आता है तो उसे देखने वाले, महसूस करने वाले तथा उससे जूझने वाले व्यक्तियों के लिए वह अनुभव बहुत ही कष्टदायक होता है, जिसे वह कभी भूल नहीं पाते हैं। इसी स्थिति को अभिघातज अनुभव कहते हैं।

इस स्थिति से एक भयंकर विकार उत्पन्न होता है जिसे PTSD कहा जाता है। इसे “अभिघातज उत्तर दबाव विकार” कहते हैं। यह एक गम्भीर मनोवैज्ञानिक समस्या है जो अभिघातज घटनाओं; जैसे- प्राकृतिक विपदाओं के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 7.
गरीबी की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सभी गरीब एक ही समूह के अन्तर्गत नहीं आते हैं। इन्हें तीन उप-समूहों में बाँटा जा सकता हैं जो निम्न प्रकार –

1. सर्वाधिक गरीब (निस्सहाय) (Destitute):
इस अवस्था में व्यक्ति प्रतिमाह 1989-90 के मूल्यों के आधार पर रुपए 71 से भी कम खर्च कर पाता है, देश में ऐसे लोगों की संख्या करीब 5 करोड़ है।

2. बहुत गरीब (Very Poor):
इस स्थिति में प्रति व्यक्ति प्रति माह रुपए 83 से भी कम खर्च किया जाता है। दूसरे और तीसरी उप-समूह के लोगों की देश में कुल संख्या सरकारी आँकड़ों के अनुसार करीब 25 करोड़ है, जबकि अर्थशास्त्रियों के अनुसार 35 करोड़ है।

3. गरीब (Poor):
इस उप-समूह में उन लोगों को माना गया है जो प्रति व्यक्ति प्रति माह रुपए 127 से भी कम खर्च कर पाते हैं।

अतः इस प्रकार स्पष्ट है कि भिन्न-भिन्न आधारों पर गरीबी के अनुमान में भी थोड़ा-बहुत अन्तर पाया जाता है। इसी के परिणामस्वरूप उनकी स्थिति में भी बदलाव दृष्टिगोचर होते हैं।

प्रश्न 8.
जनसंचार साधनों के लाभ बताइए।
उत्तर:
जनसंचार साधनों के निम्नलिखित लाभ हैं, जिसे निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

1. विभिन्न सूचनाएँ:
जनसंचार के साधनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके माध्यम से समाज के समस्त नागरिकों को देश-विदेश की सभी गतिविधियों व क्रियाकलापों की सूचनाएँ या जानकारी आसानी से उपलब्ध हो जाती है।

2. परिवर्तन लाने का माध्यम:
जनसंचार के साधन समाज में परिवर्तन के द्योतक के रूप में जाने जाते हैं। इसके साधनों जिनमें इंटरनेट, मास मिडिया आदि ने समाज को परिवर्तित करने में एक अहम् भूमिका का पालन किया है।

3. सोच या मानसिकता में बदलाव:
जनसंचार के साधन नागरिकों की मानसिकता में बदलाव लाते हैं। उन्हें तार्किक आधार पर सोचने के लिए अवसर प्रदान करते हैं, जिससे व्यक्तियों को सही या गलत के विषय में उचित जानकारी हो सके।

RBSE Class 12 Psychology Chapter 8 दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरणीय मनोविज्ञान की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरणीय मनोविज्ञान की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं –

1. पर्यावरण और व्यवहार के सम्बन्धों का अध्ययन:
इसमें पर्यावरण व व्यवहार के सम्बन्धों का एक इकाई के रूप में अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन मुख्यतः इस समस्या को लेकर होते हैं कि भिन्न-भिन्न प्रकार के पर्यावरण मानव व्यवहार को किस प्रकार और किस सीमा तक प्रभावित करते हैं।

2. वैज्ञानिक प्रकृति:
पर्यावरणीय मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है। इसकी अध्ययन विधियाँ तथा विषय-वस्तु वैज्ञानिक है। इस मनोविज्ञान में विज्ञान की सभी विशेषताएँ पायी जाती हैं।

3. व्यावहारिक:
इसमें जितने भी अध्ययन हैं, वह प्राय: व्यावहारिक होते हैं। उनके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार को समझने में बहुत सहायता मिलती है।

4. कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन:
पर्यावरणीय मनोविज्ञान में कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन मुख्यतः प्रयोगात्मक विधि के द्वारा किया जाता है।

5. व्यावसायिक:
पर्यावरणीय मनोविज्ञान में कुछ उच्च स्तरीय अनुसंधान व्यावसायिक कार्यक्रमों से जुड़े हुए हैं। इससे ऐसे तथ्य प्रकाश में आते हैं जिनसे व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। वायु-प्रदूषण को चेक करने के लिए अनेक यंत्र और उपकरण बाजार में इन्हीं अध्ययनों के परिणामस्वरूप उपलब्ध हैं।

6. उदारवादी:
पर्यावरणीय मनोविज्ञान का दृष्टिकोण बहुत ही उदारवादी है। पर्यावरणीय मनोवैज्ञानिक आज सामाजिक मनोवैज्ञानिकों, समाजशास्त्रियों और व्यावहारिक मनोवैज्ञानिकों से महत्वपूर्ण ढंग से जुड़े हुए हैं और इनके सिद्धान्तों, अध्ययन विधियों और तकनीकों का सहारा लेकर पर्यावरणीय मनोविज्ञान को अधिक उपयोगी और व्यावहारिक बना रहे हैं।

प्रश्न 2.
वायु-प्रदूषण के कारणों तथा उसके नियंत्रण के उपायों के विषय में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
कारखानों, वाहनों तथा अन्य स्रोतों से उत्पन्न धुएँ एवं विषैली गैसों से वायुमण्डल अशुद्ध होकर जब वह मनुष्य को हानि पहुँचाने लगता है तो ऐसी स्थिति को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु-प्रदूषण के कारण:
इसके स्रोतों को वैज्ञानिकों ने दो भागों में बाँटा है –

1. प्राकृतिक प्रदूषण:
इसका स्रोत स्वयं प्रकृति है, जिससे अनचाहे और अनजाने में यह प्रदूषण हो जाता है। जिसका प्रभाव जीवधारियों पर पड़ता है; जैसे- ज्वालामुखी के विस्फोट, पहाड़ी चट्टानों का टूटना या बिखरना, धूलभरी आँधी या तूफान, वनों में आग लगना, बिजली का गिरना आदि। नदियों के जल में सड़ी-गली वस्तुओं का बहना व उनका कहीं एकत्र हो जाना भी प्राकृतिक प्रदूषण के अन्तर्गत आता है।

2. मानव प्रदत्त प्रदूषण:
यह विशेषतः शहरों व औद्योगिक क्षेत्रों की देन है। जहाँ अभी तक खाना पकाने का काम परम्परागत तरीकों से ईंधन (लकड़ी, कोयला व गोबर) जलाकर किया जाता है, वहाँ चूल्हों से निकलने वाला धुआँ अत्यन्त विषैला होता है तथा वायुमण्डल को प्रदूषित करता है।

वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय:

  1. कारखानों की चिमनियों में शोधन संयन्त्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  2. डीजल में संयोजी पदार्थों का मिश्रण करना चाहिए।
  3. लेड (शीशा) तथा सल्फर रहित पेट्रोल का प्रयोग करना चाहिए।
  4. फैक्ट्रियों की चिमनियों को अधिकतम ऊँचा बनाना चाहिए।
  5. अधिक धुआँ देने वाले वाहनों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।
  6. वायु-प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम का व्यापक प्रचार तथा प्रसार करना चाहिए।
  7. वनों का विस्तार कर वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक आपदाओं के निवारण के उपाय बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक आपदाओं के निवारण के उपाय निम्नलिखित हैं –

1. प्राकृतिक आपदा; जैसे- भूकम्प, सुनामी, बाढ़, सूखा व आग आदि के घटित होते ही सम्बन्धित लोगों में सूचना का पहुँचना अति आवश्यक होता है। सही विस्तृत, सूचना जितनी अधिक-से-अधिक सम्बन्धित लोगों में जितनी जल्द पहुँचेगी पीड़ित लोग उसी के अनुसार समायोजित करने का प्रयास करेंगे।

2. प्राकृतिक आपदाग्रस्त लोगों को विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि उन तक आवश्यक सहायता जल्द से जल्द पहुँच रही है। ऐसे में शान्ति, सौहार्द्र तथा सहायतापरक व्यवहार बनाए रखना चाहिए।

3. सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों को चाहिए कि पीड़ित व्यक्तियों की अधिक-से-अधिक सहायता समय पर करें, जिससे लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके एवं उनका समायोजन न बिगड़े।

4. प्राकृतिक आपदाओं के समय उचित दिशा-निर्देश के आधार पर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए, जिससे लोगों की उचित समय पर सही व सच्ची सेवा हो सके।

5. आपदाग्रस्त क्षेत्र के लोगों को आपदा से उत्पन्न समस्याओं का निराकरण करने के उपाय समझाए जाने चाहिए। उन्हें आपदा से सम्बन्धित सूचनाएँ प्रदान कर जागरूक किया जाना चाहिए।

6. प्राकृतिक आपदा की स्थिति में अनेक व्यक्ति मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए विशेष डॉक्टरों की टीम की व्यवस्था की जानी चाहिए। उनके लिए विशेष दवाइयों, औषधियों व आराम की समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए।

7. प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में लोगों को जल्द से जल्द लोगों की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति की जानी चाहिए। अत: उपर्युक्त उपायों के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं का निराकरण किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
निर्धनता के दुष्प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं –

1. सामाजिक प्रभाव:
गरीबी व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा, पद, भूमिका आदि को भी प्रभावित करती है। गरीबी का अर्थ है-निम्न सामाजिक प्रस्थिति । अधिकांश अपराधी, बाल-अपराधी, आवारा एवं मानसिक रूप से असन्तुलित व्यक्ति गरीब परिवारों के ही होते हैं।

2. दुर्व्यसनों में वृद्धि-गरीबी के कारण लोग मानसिक चिन्ता एवं निराशा से ग्रस्त हो जाते हैं। कई लोग तनाव को कम करने के लिए शराब पीने लगते हैं, तथा जुआ जैसी अनेक प्रवृत्तियों में वृद्धि हो जाती है।

3. चारित्रिक पतन:
गरीबी के कारण उच्च चरित्र बनाए रखना सम्भव नहीं हो पाता। आर्थिक अभाव के कारण कभी-कभी बाध्य होकर स्त्रियाँ अपना तन का सौदा करके परिवार का भरण-पोषण करने लगती हैं, कुछ स्त्रियाँ तो गरीबी के कारण ही वेश्यावृत्ति अपनाती हैं।

4. भिक्षावृत्ति:
गरीबी भिक्षावृत्ति को उत्पन्न करने के लिए भी जिम्मेदार है।

5. गरीबी, गरीबी को उत्पन्न करती है:
निर्धनता एक कुचक्र है। लोग इसलिए बीमार रहते हैं कि वे गरीबी हैं, लोग गरीब इसलिए हैं कि वे बीमार भी है। ‘प्रो. नर्कसे’ कहते हैं कि कोई देश इसलिए निर्धन है कि वह निर्धन है।

6. मानसिक प्रभाव:
गरीबी कुपोषण के लिए और कुपोषण मानसिक कमियों के लिए उत्तरदायी है। गरीबी के परिणामस्वरूप व्यक्ति की मानसिक स्थिति क्षीण होती जाती है तथा वह तनावग्रस्त या कुंठा की समस्या से ग्रस्त हो जाता है।

7. गरीबी के शारीरिक प्रभाव:
गरीबी शारीरिक कमियों को जन्म देती है। क्षय रोग को गरीबों की बीमारी माना गया है। लम्बी बीमारी व कार्य न करने की क्षमता भी लोगों को गरीब बनाती है।

8. अन्य दुष्प्रभाव:

  • गरीबी से अपराधों में वृद्धि होती है।
  • गरीबी से समाज में पारिवारिक विघटन भी होता है।

प्रश्न 5.
ध्वनि प्रदूषण की समस्या पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
अधिक तीव्रता वाली ध्वनि, जो सामान्यतया कानों को अप्रिय लगे लगे, ‘शोर’ की सीमा में आ जाती है, उसे ही “ध्वनि प्रदूषण” कहा जाता है।
ध्वनि मापने की इकाई डेसीबल है। 70 डेसीबल से अधिक ध्वनि कानों को अप्रिय लगती है तथा मानव के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।

विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न ध्वनि की मात्रा एवं उसके प्रभाव नीचे तालिका में स्पष्ट किए गए हैं –

ध्वनि का स्रोत ध्वनि की मात्रा ध्वनि का प्रभाव
मोटर साइकिल एवं ट्रक का शोर 90-100 डेसीबल हानिप्रद, कर्कश
जेट विमान अथवा सायरन 150-160 डेसीबल बहरापन व रक्तचाप में वृद्धि
वेक्यूम क्लीनर 80 डेसीबल मानसिक तनाव
सड़क यातायात व भारी वाहन 80-100 डेसीबल हानिप्रद, कर्कश
अंतरिक्षयान की प्रारम्भिक उड़ान 140-170 डेसीबल रक्तचाप में वृद्धि
बिजली की कड़क 120 डेसीबल मानसिक तनाव

ध्वनि प्रदूषण के कारण:

  1. परिवहन के साधन-ट्रक, कारें, स्कूटर, हवाई जहाज आदि।
  2. घरेलू सामान-मिक्सी, प्रेशर कुकर, कूलर्स आदि।
  3. कारखाने व उद्योग-मशीनें, जनरेटर्स तथा सायरन।
  4. प्राकृतिक प्रकोप-आँधी, तूफान, बिजली की गड़गड़ाहट आदि।

ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाय:

  1. ध्वनि स्रोतों पर नियंत्रण रखना।
  2. व्यवस्थाओं में अपेक्षित परिवर्तन करना।
  3. ध्वनि प्रदूषण के बारे में लोगों को जागरूक बनाना।
  4. कारखानों का निर्माण बसावट से दूर करना।
  5. सरकार व गैर-सरकारी संस्थाओं के द्वारा अनेक अभियान व कार्यक्रमों का संचालन करना।
  6. ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर कानून का निर्माण करना।

प्रश्न 6.
भीड़ की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भीड़ की विशेषताएँ:

1. सीधा सम्पर्क:
भीड़ के सदस्यों में शारीरिक समीपता होती है और वे किसी घटना या वस्तु के चारों ओर एकत्रित होते हैं, अतः उनमें सीधा सम्पर्क पाया जाता है।

2. समानता:
भीड़ में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होती है कि व्यक्तियों को उनकी सामाजिक प्रस्थिति के अनुसार पद एवं स्थिति प्रदान की जाए। अतः भीड़ में सभी लोगों के अधिकार समान होते हैं।

3. अनामिकता:
भीड़ में कोई भी व्यक्ति सामान्यतः अन्य लोगों के नाम या सामाजिक पद को नहीं जान पाता। यही कारण है कि व्यक्ति भीड़ में निडर होकर ऐसे कार्य भी कर बैठता है जो वह सामान्य दशा में नहीं कर सकता।

4. स्वतः निर्माण:
भीड़ का निर्माण योजनाबद्ध रूप से नहीं वरन् स्वतः होता है। भीड़ के लिए समय एवं स्थान निर्धारित नहीं होता है। किसी भी समय एवं स्थान पर किसी भी घटना, दुर्घटना, तमाशा एवं विचित्र स्थिति पैदा होने पर लोग एकत्रित हो जाते हैं तथा भीड़ का निर्माण हो जाता है।

5. पारस्परिक प्रभाव:
भीड़ में शारीरिक समीपता एवं कंधे से कंधे की रगड़ के कारण लोग एक-दूसरे को शीघ्र प्रभावित करते हैं और प्रभावित होते हैं। इस प्रभाव के कारण भीड़ के लोग कभी-कभी अवांछित एवं असम्भव प्रतीत होने वाले कार्य भी कर बैठते हैं।

6. सामूहिक शक्ति की अनुभूति:
शारीरिक समीपता एवं प्रत्यक्ष सम्बन्ध के कारण भीड़ के लोगों को सामूहिक शक्ति की अनुभूति होती है। भीड़ में आकर व्यक्ति मार-पीट, दंगा, अपराध आदि भी कर बैठता है। वह समझता है कि सारा समूह उसके साथ है। वह समूह की शक्ति को अपनी शक्ति समझने लगता है।

7. असंगठित:
भीड़ असंगठित होती है। इसका कोई नेता हो सकता है, किन्तु इसमें श्रम-विभाजन और पदों की कोई व्यवस्था नहीं होती। इसका न कोई स्थान निश्चित होता है और न समय। इसकी अन्तक्रिया अनियंत्रित होती है। इसकी सदस्यता के कोई नियम नहीं होते। कोई भी इसकी सदस्यता जब चाहे ग्रहण कर सकता है और जब चाहे छोड़ भी सकता है।

8. सीमित आकार एवं क्षेत्र:
भीड़ का आकार आवश्यकता के अनुसार सीमित होता है। सदस्यों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाने पर भीड़ अपनी विशेषताएँ खोने लगती है। भीड़ का वितरण स्थानीय (spatial) होता है।

किम्बाल यंग के अनुसार, “भीड़ का फैलाव एक सीमित क्षेत्र के अन्दर ही होता है।” इसका फैलाव पूरे नगर, गाँव, प्रान्त या देश में नहीं हो सकता।

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