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RBSE Solutions for Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 3 छोटा जादूगर

May 20, 2019 by Safia Leave a Comment

Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 3 छोटा जादूगर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
छोटा जादूगर के पिता जेल में क्यों थे ?
(क) चोरी के कारण
(ख) मारपीट के कारण
(ग) देश के लिए
(घ) नशे के कारण।
उत्तर:
(ग) देश के लिए

प्रश्न 2.
निशाना लगाकर छोटा जादूगर ने कितने खिलौने बटोर लिए ?
(क) दस
(ख) आठ
(ग) तेरह
(घ) बारह
उत्तर:
(घ) बारह

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 3.
‘कार्निवाल’ क्या है ?
उत्तर:
कार्निवाल एक प्रकार का मेला होता है जिसमें खेल, व्यायाम, जादू, नृत्य, संगीत आदि मनोरंजन के साधन हुआ करते हैं।

प्रश्न 4.
“जब कुछ लोग खेल-तमाशा देखते ही हैं तो मैं क्यों न दिखाकर अपना पेट भरू ?”
1. ये शब्द किसने और किससे कहे ?
2. वह खेल दिखाकर क्यों अपनी आजीविका चलाता था?
उत्तर:

  1. ये शब्द लड़के ने लेखक से कहे।
  2. उसके पास जीविका का और कोई साधन न था और वह अपनी बातों से लोगों को प्रभावित कर सकता था।

प्रश्न 5.
मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए पूछा – “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?”
1. किसने, किससे और कहाँ पूछा ?
2. उसने क्या उत्तर दिया ?
3. उसके बाद क्या घटना घटित हुई ?
उत्तर:

  1. लेखक ने छोटा जादूगर से यह पूछा जब वह सड़क किनारे अपना खेल दिखाकर पैसे बटोर चुका था।
  2. छोटा जादूगर ने कहा कि उसकी माँ ने उससे कहा था कि वह जल्दी लौट आए क्योंकि उसका अंतिम समय आ चुका था। इसी कारण वह ठीक से खेल न दिखा सका।
  3. जब लेखक को लड़के की माँ की हालत का पता चला तो वह उसे तुरन्त मोटर में बिठाकर उसके झोंपड़े पर ले गया। लेकिन तब तक माँ की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। न वह कुछ बोल पाई न बेटे को गले लगा पाई।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 6.
बताइए कि इस पाठ का शीर्षक छोटा जादूगर’ कहाँ तक उपयुक्त है ? क्या आप इसके लिए कोई दूसरा उपयुक्त शीर्षक दे सकते हैं ?
उत्तर:
इस पाठ का शीर्षक ‘छोटा जादूगर’ पूरी तरह उपयुक्त है। पूरी कहानी उस छोटे बालक के आस-पास घूमती है जो जादू का खेल दिखाकर अपनी बीमार माँ के उपचार के लिए और अपना पेट भरने के लिए कुछ पैसे कमा लेता है। आयु में छोटा होते हुए भी उसमें एक कुशल जादूगर जैसी प्रतिभा है। इस पाठ का अन्य शीर्षक ‘पुरुषार्थी बालक’ या ‘छोटा श्रवण’ हो सकता है।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित मुहावरों का स्वरचित वाक्यों में प्रयोग कीजिएहँसी फूट पड़ना, दंग रहना, हँसते-हँसते लोट-पोट होना, पीठ थपथपाना, पैसे बटोरना।
उत्तर:
हँसी फूट पड़ना-दारोगा जी की तनी हुई मूंछों और गंजी-खोपड़ी को देख हमारी मित्र-मंडली की हँसी फूट पड़ी। दंग रहना-भवेश को गुरुजी के साथ जबान लड़ाते हुए देख कक्षा के छात्र दंग रह गए। हँसते-हँसते लोट-पोट होना-इस बार विद्यालय के वार्षिकोत्सव पर छात्रों ने ‘अंधेर नगरी’ नाटक का मंचन किया। इसमें अंधेर नगरी के राजा का अभिनय करने वाले छात्र के संवाद और हावभावों को देख सभी दर्शक हँसते-हँसते लोट-पोट हो गए। पीठ थपथपाना-परीक्षा में 90% अंक लाने पर सुगन्धा के पिताजी ने उसकी पीठ थपथपाई और उसे बाइक दिलाने का वायदा किया। पैसे बटोरना-मंदिर के बाहर आँख बंदकर माला जपने वाले बाबा एकांत होते ही चढ़ावे के पैसे बटोरकर चलते बने।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित शब्दों का एक-एक पर्यायवाची शब्द दीजिएनिशाना, विषाद, तिरस्कार, अभिनय।
उत्तर:
निशाना-लक्ष्य, विषाद-दुखे, तिरस्कार-अपमान, अभिनय-नाट्य या अनुकरण।

प्रश्न 9.
रेखांकित शब्दों के व्याकरण की दृष्टि से शब्द भेद बताइए। छोटे जादूगर ने कम्बल ऊपर डालकर उसके शरीर से लिपटते हुए कहा “माँ”।
उत्तर:
छोटे-विशेषण गुणवाचक, जादूगर-संज्ञा जातिवाचक। ऊपर-क्रिया-विशेषण, उसके-सर्वनाम।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 10.
छोटे जादूगर में आपको जो गुण दिखलाई पड़ते हैं, उन्हें उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर:
छोटा जादूगर इस कहानी का प्रमुख पात्र है। उसके चरित्र में अनेक गुण दिखाई देते हैं। वह पुरुषार्थी बालक है। अपने और अपनी माँ के जीवनयापन के लिए वह अपनी जादू कला से पैसा कमाता है। निर्धन होते हुए भी वह किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता। कठिनाइयों का सामना करते हुए स्वाभिमान के साथ जीवन बिताना चाहता है। लेखक के व्यंग्य करने पर वह गर्व से कहता है “तमाशा देखने नहीं, दिखाने आया हूँ।” उसमें एक कुशल जादूगर बनने के सभी गुण हैं। वह वाचाल है और आत्मविश्वास से पूर्ण है। निर्जीव खिलौने से वह ऐसा खेल दिखाता है कि सभी हँसते-हँसते लोट-पोट हो जाते हैं। उसका सबसे बड़ा गुण है उसकी मातृ-भक्ति। माँ के लिए ही वह परिश्रम से पैसे कमाता है। माँ की मृत्यु पर उसकी करुण दशा सभी के हृदय को द्रवित कर देती है।

प्रश्न 11.
I. इस कहानी में कहानीकार का क्या उद्देश्य छिपा हुआ है ?
II. इस कहानी से आप क्या प्रेरणा ग्रहण कर सकते हैं ?
उत्तर:
I. इस कहानी में लेखक ने एक निर्धन माँ-बाप के स्नेह से वंचित बालक के कठिनाइयों से जूझते हुए जीने की झाँकी प्रस्तुत की है। माँ बीमार है और पिता जेल में हैं। लेकिन बालक हार नहीं मानता। किसी के समाने हाथ नहीं फैलाता। अपने परिश्रम और चतुराई से स्वाभिमान के साथ जीना चाहता है। लेखक इस कहानी से बालकों को आत्मविश्वास, स्वाभिमान और परिश्रम की तथा माता-पिता की सेवा करने का संदेश देना चाहता है।

II. इस कहानी से हमें कठिनाइयों से निराश न होने और कला-कौशल, परिश्रम और चतुराई से जीवनयापन करने की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही माता-पिता की सेवा करने तथा स्वाभिमान के साथ जीने की प्रेरणा भी प्राप्त होती है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कहानी का मुख्य पात्र छोटा जादूगर क्या काम करता है?
उत्तर:
‘छोटा जादूगर’ कहानी का मुख्य पात्र एक तेरह-चौदह वर्ष की छोटी लड़की है, जो अपनी असहाय अवस्था में आजीविका के लिए जादू का खेल दिखाता है।

प्रश्न 2.
लेखक कोलकाता क्यों गया था और वहाँ किसे देखा ?
उत्तर:
लेखक (जयशंकर प्रसाद) गर्मी की छुट्टियों में कोलकाता घूमने गया था। वहाँ के मेले में उसने एक तेरह-चौदह वर्ष के बालक को देखा।

प्रश्न 3.
‘छोटा जादूगर कहिए’ लड़के की यह उक्ति किस बात की परिचायक है ?
उत्तर:
छोटी जादूगर कहलाना उस लड़के के अपने कर्म के प्रति गर्व और निष्ठा का परिचायक है।

प्रश्न 4.
छोटे जादूगर ने एक रुपये में क्या-क्या खरीदा ? आज के समय में उतना ही सामान खरीदने के लिए तुम्हें कितने रुपयों की आवश्यकता होगी ?
उत्तर:
छोटे जादूगर ने एक रुपये में एक सूती चादर खरीदा और पकौडी खाई। आज के समय में उतना ही सामान खरीदने के लिए कम से कम 100 रुपये की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 5.
‘छोटा जादूगर’ कहानी में किसका वर्णन किया गया है?
उत्तर:
‘छोटा जादूगर’ कहानी में एक बालक के माता के प्रति प्रेम, व्यवहार-कुशलती तथा परिश्रमपूर्वक जीवन-यापन का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 6.
माँ का अन्तिम समय जानकर भी छोटी जादूगर जादू दिखाने क्यों निकल पड़ा ?
उत्तर:
वह जानता था कि माँ की मृत्यु के बाद उसका अन्तिम संस्कार करने के लिए भी पैसे चाहिए। इसी कारण वह जादू दिखाने निकल पड़ा।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“और तुम तमाशा देख रहे हो ?” “छोटा जादूगर’ कहानी के लेखक ने यह बात छोटे जादूगर से क्यों कही और लड़के ने क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
लेखक ने जब छोटे जादूगर से उसके परिवार के बारे में पूछा तो उसने बताया कि घर में उसके पिता और बीमार माँ थी। पिता देश के लिए जेल में थे और बीमार माँ घर में, लेखक ने लड़के पर व्यंग्य करते हुए यह बात कही। लेखक के इन शब्दों ने छोटे जादूगर (लड़के) के दिल को चोट पहुँचाई। उसने कहा कि वह वहाँ तमाशा देखने नहीं दिखाने आया था ताकि कुछ पैसे कमाकर माँ के पथ्य (भोजन) को प्रबन्ध कर सके।

प्रश्न 2.
“तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती” बालक छोटा जादूगर’ को अधिक प्रसन्नता कब और क्यों होती ?
उत्तर:
बालक को तब अधिक प्रसन्नता होती जब लेखक उसे शरबत न पिलाकर कुछ पैसे उसके खेल को देखकर उसे दे दिए होते। लड़का स्वाभिमानी था। वह किसी की दया या सहानुभूति के सहारे नहीं बल्कि अपने परिश्रम और कार्यकुशलता के द्वारा अपनी जीविका चलाना चाहता था। इसी कारण उसे परिश्रम की कमाई पाकर प्रसन्नता होती।

प्रश्न 3.
अपने आप को छोटो जादूगर की जगह रखकर संक्षेप में बताइए कि आप ऐसी परिस्थितियों का सामना कैसे करते ?
उत्तर:
यदि मैं छोटा जादूगर होता तो लगभग वैसा ही व्यवहार करता जो उसने कहानी में किया है। मैं आत्मविश्वास, साहस और विवेक का सहारा लेकर परिस्थितियों का सामना करता। बाबूजी (लेखक) से स्पष्ट कहता कि वह यदि मेरी सहायता करना चाहते हैं, तो मेरे परिश्रम के बदले मुझे आर्थिक संहायता दें। मैं अपनी जादू कला को और निखारता तथा आमदनी बढ़ाकर माँ का अच्छा इलाज कराती।

प्रश्न 4.
‘छोटा जादूगर’ कहानी हमें क्या संदेश देती है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
छोटा जादूगर’ कहानी विशेष रूप से बालकों को बड़ा प्रेरणादायक संदेश देती है। ‘छोटा जादूगर’ के चरित्र की विशेषताओं को अपनाकर बालक अपने जीवन में एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं। कहानी बालकों और युवाओं को माता-पिता के प्रति उनके कर्तव्यों का स्मरण कराती है। और उन्हें स्वाभिमानी, आत्मविश्वासी, साहसी और कार्य-कुशल बनने का संदेश देती है।

RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 2 निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

प्रश्न:
प्रसाद की ‘छोटा जादूगर’ कहानी की रचना का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
छोटा जादूगर’ कहानी प्रसादजी की उद्देश्यपूर्ण रचना है। छोटा जादूगर के पिता जेल में है। उनकी देश के लिये जेल यात्री पर उसको गर्व है उसकी माता बीमारी से पीड़ित है। माँ की दवा और पथ्य के लिए पैसा चाहिए। अपने भरण-पोषण के लिए भी धन चाहिए। अवयस्क जादूगर यह जानता है। अपनी कच्ची उम्र में ही वह पैसा कमाने निकल पड़ता है और छोटा जादूगर बन जाता है। असहाय बालक किसी के सामने हाथ नहीं फैलाता। वह अपनी निर्धनता का उल्लेख कर भीख नहीं माँगता।

पूँजी के अभाव में व्यापार हो नहीं सकता। जादूगर बनना उसके बुद्धि के कौशल का प्रमाण है वह संघर्ष करके जीवन बिताने का साहस दिखाता है वह बालसुलभ करुणा के साथ दायित्व बोध का परिचय देता है। छोटा जादूगर के इन मानवीय गुणों का उद्घाटन कर आत्मनिर्भरता और दायित्व बोध का संदेश देना ही कहानी का उद्देश्य है।

-जयशंकर प्रसाद

पाठ-परिचय

इस कहानी के लेखक श्री जयशंकर प्रसाद हैं। इस कहानी में एक बालक का माता के प्रति प्रेम, व्यवहार की कुशलता और परिश्रम से जीवन बिताने का वर्णन है। लेखक बड़े दिन की छुट्टियों में कोलकाता घूमने गया। वहाँ एक मेले में उसने एक तेरह-चौदह वर्ष के बालक को देखा। वह जादू के छोटे-छोटे खेल दिखाकर अपनी बीमार माँ का इलाज कराता था। कहानी का अंत छोटे-जादूगर की बाँहों में उसकी माँ के निधन के साथ होता है।

शब्दार्थ-गंभीर = गहराः। विषाद = दुख। पथ्य = रोगी को दिया जाने वाला भोजन। दंग = आश्चर्ययुक्त, चकित। सुरम्य = अति सुन्दर। वाचालता = चतुराई भरी बातें करना। तरी = रस। स्फूर्तिमान = तरोताजा, फुर्ती से युक्त। घड़ी = मृत्यु का समय। अविचल = शान्त। स्तब्ध = अचेत-सा, चुपचाप।

प्रश्न 1.
प्रसिद्ध कहानीकार जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
उत्तर:
लेखक-परिचय जीवन परिचय-जयशंकर प्रसाद एक युग-प्रवर्तक रचनाकार थे। इनका जन्म काशी के ‘हुँघनी साहू’ परिवार में 1889 ई. में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा और जीवन समृद्धती में आरम्भ हुआ, किन्तु 17 वर्ष की उम्र में इन पर भारी विपदाएँ आईं। प्रसादजी ने उनका सामना बड़ी धीरता और गम्भीरता से किया। इनका निधन 1937 ई. में हुआ। साहित्यिक विशेषताएँ-प्रसादजी ने कविता, नाटक, कहानी तथा उपन्यास सभी की रचना की। इनके साहित्य में प्रकृति के सचेतन रूप के साथ-साथ मानव के भौतिक एवं पारलौकिक जीवन की अनुपम झाँकी प्राप्त होती है। ये कवि के रूप में छायावाद के चार प्रवर्तकों में से एक थे। नाट्य रचना के द्वारा इन्होंने भारतवर्ष के गौरवशाली इतिहास का चित्रण किया है। कहानी और उपन्यास के माध्यम से इन्होंने मानवीय करुणा के अनेकानेक अनछुए पक्षों का उद्घाटन किया है। रचनाएँ-काव्य-कानन कुसुम, महाराणा का महत्व, झरना, आँसू, लहर, कामायनी। नाटक-स्कंदगुप्त, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, जनमेजय का नागयज्ञ, राज्यश्री। कहानी संग्रह-छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी, इन्द्रजाल। उपन्यास-कंकाल, तितली, इरावती (अपूर्ण)।

महत्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ कीजिए

1. कार्निवाल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी। मैं खड़ा था फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर से एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे। उसके मुँह पर गम्भीर विषाद के साथ धैर्य की रेखाएँ थीं। मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। (पृष्ठ-13)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी प्रबोधिनी में संकलित ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में लेखक ने ‘छोटा जादूगर’ से प्रथम बार मिलने का वर्णन किया है। व्याख्या-लेखक एक बार कोलकाता घूमने गया। वहाँ वह एक मेला देखने पहुँचा। मेले का सारा मैदान बिजली की सैकड़ों बत्तियों के कारण जगमगा रहा था। वहाँ पर एक फुहारे के पास खड़े लेखक के पास ही एक तेरह-चौदह वर्ष का बालक भी खड़ा था जो वहाँ शरबत पीने वाले लोगों को चुपचाप देख रहा था। उसने फटा कुर्ता पहन रखा था। उसके गले में एक मोटी सूत की रस्सी पड़ी थी और उसकी जेब में कुछ ताश के पत्ते रखे हुए थे। लेखक ने देखा कि उस लड़के के मुख पर गहरा दुख का भाव झलक रहा था, साथ ही ४ रज का भाव भी दिखाई दे रहा था। लेखक अनजाने ही उस लड़के की ओर खिंचाव का अनुभव करने लगा।

विशेष-
(1) लेखक ने सरल शब्दों में लड़के का सजीव चित्र अंकित कर दिया है।
(2) भाषा बोलचाल की शब्दावली युक्त है और शैली वर्णनात्मक तथा शब्द चित्रात्मक

2. “तुम्हारे और कौन हैं?” “माँ और बाबू जी।” “उन्होंने तुम्हें यहाँ आने के लिए मना नहीं किया?” “बाबू जी जेल मैं हैं।” “क्यों?” “देश के लिए, वह गर्व से बोला। “और तुम्हारी माँ।” “वह बीमार है।” “और तुम तमाशा देख रहे हो?” उसके मुँह पर तिरस्कार की हँसी फूट पड़ी। उसने कहा, “तमाशा देखने नहीं, दिखाने आया हूँ। कुछ पैसे ले जाऊँगा, तो माँ को पथ्य दूंगा। मुझे शरबत न पिलाकर आपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता, तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती।” मैं आश्चर्य से उस तेरह-चौदह वर्ष के बालक को देखने लगा। (पृष्ठ-13)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी प्रबोधिनी में संकलित ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इन पंक्तियों में लड़का लेखक को कार्निवाल में आने का कारण बता रहा है।

व्याख्या-लेखक और लड़की (छोटा जादूगर) शरबत पीने के बाद खिलौनों पर निशाना लगाने जा रहे थे। लेखक ने पूछा कि उसके परिवार में और कौन-कौन हैं? लड़के ने बताया कि उसके पिता और उसकी माँ हैं। लेखक ने लड़के से पूछा कि उसके माता-पिता ने उसे मेले में आने से नहीं रोका, तो लड़के ने उत्तर दिया कि उसके पिता देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने के कारण जेल में थे और उसकी माँ बीमार थी। यह सुनकर लेखक ने व्यंग्य करते हुए कहा कि माँ के बीमार होते वह तमाशा देखने कैसे आ गया। इस पर लड़का लेखक की ओर तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखते हुए हँस पड़ा। उसने गर्व से कहा कि वह तमाशा देखने नहीं आया था, बल्कि लोगों को अपना जादू का तमाशा दिखाने आया था। उससे मिलने वाले पैसों से वह बीमार माँ के लिए कुछ पत्य (मरीज का भोजन) ले जाएगा। उसने लेखक से यह भी कहा कि अगर उन्होंने उसे शरबत न पिलाकर नकद पैसे दिए होते तो उसे अधिक प्रसन्नता होती क्योंकि उनसे वह अपने और बीमार माँ के लिए कुछ खरीद लेता। लेखक घेरे से लड़के की ऐसी समझदारी पूर्ण बातें सुनकर चकित रह गया।

विशेष-
(1) लेखक ने प्रस्तुत अंश में लड़के की कर्तव्यपरायणता को उभारा है।
(2) भाषा सहज, सरल और छोटे-छोटे संवादयुक्त है।

3. एक दिन कलकत्ते के उस उद्यान को फिर से देखने की इच्छा से मैं अकेले ही चल पड़ा। दस बज चुके थे। मैंने देखा कि उस निर्मल धूप में सड़क के किनारे एक कपड़े पर छोटे जादूगर को रंग-मंच सजी था। मोटर रोककर उतर पड़ा। वहाँ बिल्ली रूठ रही थी, भालू मनाने चला था। ब्याह की तैयारी थी। पर यह सब होते हुए भी जादूगर की वाणी में प्रसन्नता की तरी नहीं थी मानो उसके रोयें रो रहे थे। मैं आश्चर्य से देख रहा था। खेल हो जाने पर पैसा बटोर कर उसने भीड़ में मुझे देखा। वह जैसे क्षण-भर के लिए स्फूर्तिमान् हो गया। मैंने उसकी पीठ थपथपाते हुए पूछा, “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?” “माँ ने कहा था तुरंत चले आना। मेरी घड़ी समीप है।” अविचल भाव से उसने कहा। (पृष्ठ-15)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक हिंदी प्रबोधिनी में संकलित ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया गया है। इस अंश में लेखक की लड़के से तमाशा दिखाते हुए भेंट होती है। वह लड़के के मुँह पर उदासी का भाव देखकर उससे कारण पूछता है।

व्याख्या-एक दिन लेखक अकेला ही कोलकाता के बोटेनिकल उद्यान को देखने चल दिया। दस बजे का समय था। अचानक उसने देखा कि स्वच्छ धूप में सड़क के किनारे छोटा जादूगर अपना तमाशा दिखा रहा था। उसने कपड़े के एक टुकड़े पर अपने खिलौने सजा रखे थे। यह देखते ही लेखक अपनी कार से उतर पड़ा। वहाँ भी लड़का वही खेल दिखा रहा था। यहाँ भी बिल्ली रूठ रही थी और भालू उसे मना रहा था। ब्याह की तैयारी हो रही थी। छोटा जादूगर यह सब खेल दिखा तो रहा था पर उसकी बोली में पहले वाली बात नहीं थी। प्रसन्नता की जगह उसका मुख उदास था। लगता था कि वह अंदर से बड़ा दुखी है। लेखक को लड़के का यह हाल देखकर अचम्भा हो रहा था। जब खेल समाप्त हो गया और जादूगर ने पैसे इकट्टे कर लिए तो उसने भीड़ में लेखक को खड़ा देखा। उसे देखते ही तनिक देर को उसके मन में प्रसन्नता की लहर उठी। लेखक ने आकर उसकी पीठ थपथपाई और उससे पूछा कि आज खेल ऐसा ढीला-ढाला सा क्यों रहा? लड़के ने बड़े शांत भाव से बताया कि उसकी माँ ने उससे तुरन्त आने को कहा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसका अंत समय आ चुका था। इस प्रकार लेखक को लड़के के धैर्य और दृढ़ता जैसे गुणों का पता चला।

विशेष-
(1) मनोभावों और हाव-भावों का हृदय को छू लेने वाला चित्रण हुआ है।
(2) भाषा सरल है। शैली वर्णनात्मक और भावात्मक है।

4. कुछ ही मिनट में झोंपड़े के पास पहुँचा। जादूगर दौड़कर झोंपड़े में माँ-माँ पुकारते हुए घुसा। मैं भी पीछे था। किन्तु स्त्री के मुँह से, ‘बे……’ निकल कर रह गया। उसके दुर्बल हाथ उठकर रह गए। जादूगर उससे लिपटकर रो रहा था, मैं स्तब्ध था। उस उज्ज्वल धूप में समग्र संसार जादू-सा मेरे चारों ओर नृत्य करने लगा। (पृष्ठ-15)

संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक हिंदी प्रबोधिनी में संकलित ‘छोटा जादूगर’ नामक पाठ से लिया। गया है। इस अंश में लड़के की माँ की मृत्यु का करुण दृश्य अंकित हुआ है। व्याख्या-लेखक को जैसे ही लड़के के प्रति कठोर व्यवहार में अपनी भूल का अहसास हुआ, वह उसे तुरन्त मोटर में बिठाकर उसकी माँ के पास चल दिया। जैसे ही गाड़ी झोंपड़े। पर पहुँची लड़का ‘माँ-माँ’ पुकारता हुआ दौड़कर झोंपड़े में घुसा। लेखक भी उसके पीछे अंदर जा पहुँचा लेकिन देर हो।

चुकी थी। माँ बेटा’ कहना चाहती थी लेकिन उसके मुख से केवल ‘बे….’ ही निकल पाया। वह बेटे को बाँहों में भरना चाहती थी। लेकिन उसके हाथों में शक्ति नहीं रह गई थी। हाथ जरा-सा उठकर रह गए। बेचारा छोटा जादूगर माँ के मृत शरीर से लिपटकर रो रहा था। लेखक यह दृश्य देखकर जड़-सा खड़ा रह गया। उसे लगा जैसे उसके चारों ओर की सारी वस्तुएँ जादू के खेल से नाच रही हों। वह सुध-बुध खोए हुए सच्चाई को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा था।

विशेष-
(1) भाषा भावों के अनुकूल है।
(2) शैली शब्द-चित्रात्मक है।

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