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RBSE Class 10 Hindi Model Paper Set 1 with Answers
पूर्णाक : 80
समय : 2 घण्टा 45 मिनट
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:
- परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न-पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
- सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य हैं।
- प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर-पुस्तिका में ही लिखें।
- जिन प्रश्नों में आंतरिक खण्ड हैं, उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
- प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
- प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है –
खण्ड | प्रश्नों की संख्या | अंक प्रत्येक प्रश्न | कुल अंक भार |
खण्ड-अ | 1 (1 से 12), 2 (1 से 6),3 (1 से 12) | 1 | 30 |
खण्ड-ब | 4 से 16 = 13 | 2 | 26 |
खण्ड-स | 17 से 2014 | 3 | 12 |
खण्ड-द | 21 से 23 = 3 | 4 | 12 |
खण्ड – (अ)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए : (5 x 1 = 5)
किसान का जीवन बनाने में ही भारत का सर्वोदय है। भारत का किसान देखभाल कर चलने वाला है। वह सदियों से अपना काम चतुराई से करता आ रहा है। वह परिश्रमी है। खेत में जब उतरता है, तो कड़ी धूप में भी सिर पर चादर रखकर वह डटा रहता है। वह स्वभाव से मितव्ययी है। उसे बुद्धू या पुराणपंथी कहना अपनी आँखों अंधापन है। भारतीय किसान को उसकी भाषा में जब कोई अच्छी बात बताई जाती है, तब वह उसे चाव से सीखता है और अपनाने की कोशिश करता है। भारतीय किसान शरीर से सुदृढ़ और मन से क्षमाशील है।
सन्तोष और परिश्रम में भारतीय किसान संसार में सब से ऊपर है। उसके सद्गुणों की प्रशंसा करनी चाहिए। फूस के छप्परों के घरों में रहना दोष नहीं है। किसान ने जान-बूझकर ऐसे घर चुने हैं। वह अपने घर को बाँस और बल्लियों के ठाठ से, अपने ही जंगल की घास और अपने ही ताल की मिट्टी से बनाई हुई कच्ची ईंटों से बनाता है। इसमें एक बड़ा लाभ यह है कि किसान बाहरी जगत का मुँह नहीं ताकता। वह अपने ही क्षेत्र में स्वावलम्बी बन जाता है।
आत्मनिर्भरता भारतीय किसान के जीवन की कुंजी है।
1. भारतीय किसान का उल्लेखनीय गुण है- (1)
(अ) रूढ़िवादिता एवं दूरदर्शिता
(ब) ऋतुओं की प्रकृति का ज्ञाता
(स) अपनी चादर के अनुसार पैर पसारने वाला
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।
उत्तर :
(द) परिश्रमी, मितव्ययी, देखभालकर चलने वाला।
2. भारतीय किसान किस बात में संसार में सबसे ऊपर है ? (1)
(अ) अशिक्षा एवं परम्परावाद में।
(ब) सात्विकता एवं पवित्रता में
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में
(द) गरीबी एवं कर्मठता में।
उत्तर :
(स) सन्तोष एवं परिश्रम का जीवन जीने में
3. भारतीय किसान को स्वावलम्बी कैसे कहा जा सकता है ? (1)
(अ) आत्मनिर्भरता के कारण
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है
(स) अपना जलसंसाधन पैदा करता है
(द) अपने खेतों को स्वयं जोतता, खोदता और निराता है।
उत्तर :
(ब) अपना मकान स्वयं बनाता है
4. ‘मितव्ययी’ का शाब्दिक अर्थ है (1)
(अ) मित्रों से उधार लेने वाला
(ब) कम खर्च करने वाला
(स) थोड़ा-थोड़ा सनकी
(द) अधिक खर्च करने वाला।
उत्तर :
(ब) कम खर्च करने वाला
5. नीचे दिए गए शीर्षकों में से उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक चुनिए (1)
(अ) भारतीय किसान
(ब) आत्मनिर्भर
(स) स्वावलम्बी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) भारतीय किसान
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों का उत्तर लिखिए :
आओ मिलें. सब देश बांधव हार बनकर देश के
साधक बनें सब प्रेम से सुख शांतिमय उद्देश्य के।
क्या साम्प्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता अहो ?
बनती नहीं क्या एक माला विविध सुमनों की कहो।
रक्खो परस्पर मेल, मन से छोड़कर अविवेकता,
मन का मिलन ही मिलन है, होती उसी से एकता।
सब बैर और विरोध का बल-बोध से वारण करो।
है भिन्नता में खिन्नता ही, एकता धारण करो।
है कार्य ऐसा कौन-सा साधे न जिसको एकता,
देती नहीं अद्भुत अलौकिक शक्ति किसको एकता।
दो एक एकादश हुए किसने नहीं देखे सुने,
हाँ, शून्य के भी योग से हैं अंक होते दश गुने।
6. कवि किस प्रकार देशवासियों से मिलने की बात कह रहा है ?
(अ) विविध पुष्पों के हार के रूप में
(ब) सुख-शान्ति प्राप्त करने के लिए
(स) संगठित हो जाने के लिए
(द) फूलों का हार भेंट करके।
उत्तर :
(अ) विविध पुष्पों के हार के रूप में
7. देशवासियों के लिए एकता ही वरेण्य है, क्योंकि…
(अ) एकता से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है
(ब) एकता से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं
(स) देश में एकता स्थायी नहीं रह सकती
(द) (अ) व (ब) दोनों ही।
उत्तर :
(अ) एकता से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है
8. साम्प्रदायिक विविधता की तुलना की है
(अ) देश में अनेक सम्प्रदाय फैले हैं।
(ब) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से
(स) धर्म-सम्प्रदाय सुन्दर फूलों जैसे हैं
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(अ) देश में अनेक सम्प्रदाय फैले हैं।
9. ‘दो एक एकादश हुए’ पंक्ति का भाव व्यक्त करने वाला कथन है
(अ) दो और दो चार होते हैं
(अ) एक और एक ग्यारह होते हैं
(स) दो और एक एकादश होते हैं
(द) संगठन से ताकत आती है।
उत्तर :
(अ) दो और दो चार होते हैं
10. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक नीचे लिखें विकल्पों से छाँटिए –
(अ) फूलों का हार
(अ) अनेकता में एकता
(स) देश-बांधव
(द) साम्प्रदायिक सद्भाव।
उत्तर :
(अ) फूलों का हार
11. नई दिल्ली में सब था ………………………………. सिर्फ नाक नहीं थी।’ कथन का आशय बताइए?
(अ) नई दिल्ली में कोई विकास नहीं हो रहा था
(ब) नई दिल्ली में नेताओं ने सम्मान ताक पर रखकर एलिजाबेथ की अगवानी की
(स) नई दिल्ली में मूर्तियों की नाक गायब हो गई थी।
(द) भारत में सब सुविधाएँ थीं पर मान-सम्मान नहीं था
उत्तर :
(ब) नई दिल्ली में नेताओं ने सम्मान ताक पर रखकर एलिजाबेथ की अगवानी की
12. सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल नामक झरना किस नदी के किनारे स्थित है
(अ) विस्ता
(ब) पलामू
(स) गुलमा
(द) तीस्ता
उत्तर :
(द) तीस्ता
प्रश्न 2.
रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
1. जिस संज्ञा से किसी वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह का बोध हो, तो उसको ……………………………… संज्ञा कहते हैं। (1)
2. जो शब्द बात कहने वाले, सुनने वाले अथवा जिसके विषय में बात हो रही है, के लिए प्रयोग किया जाता है, ……………………………… सर्वनाम कहते हैं। (1)
3. विशेषण शब्द (पद) जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है, उसे ……………………………… कहते हैं। (1)
4. जिस क्रिया का फल कर्ता के बजाय कर्म पर पड़ता है, उसे ……………………………… क्रिया कहते हैं। (1)
5. ‘अतिवृष्टि’ शब्द में ……………………………… उपसर्ग है। (1)
6. ‘आनन्दित, बाधित’ शब्दों में ……………………………… प्रत्यय प्रयोग हुआ है। (1)
उत्तर :
1. समूहवाचक,
2. पुरुषवाचक,
3. विशेषण,
4. सकर्मक,
5. अति,
6. इत।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अति लघूत्तरात्मक प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए उत्तर सीमा लगभग 20 शब्द है। (6 x 1 = 6)
1. अयादि सन्धि की परिभाषा लिखिए।
उत्तर :
ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई असमान स्वर आने पर क्रमशः अय, आय, अव्, आव् हो जाता है।
2. समास किसे कहते हैं?
उत्तर :
दो या दो से अधिक शब्दों का, कारक चिह्न आदि का लोप होकर जब एक ही पद की भाँति प्रयोग होता है, तो उसे समास कहते
3. ‘हाथ पसारना’ मुहावरे का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-सहायता के लिए प्रार्थना करना।
4. ‘दूध का दूध, पानी का पानी।’ लोकोक्ति का अर्थ लिखिए।
उत्तर :
अर्थ-सही निर्णय किया जाना।
5. मूर्ति की बनावट में खटकने वाली क्या बात थी ?
उत्तर :
एक कमी थी जो खटकती थी। उस मूर्ति में चश्मा पत्थर का नहीं था। शायद मूर्ति बनाने वाला पत्थर का चश्मा बनाना भूल गया था।
6. अपने ही लोगों द्वारा विश्वासघात किए जाने से लेखिका के पिता के स्वभाव में क्या परिवर्तन आ गया ? 1
उत्तर :
पहले वह आँख बंदकर लोगों पर विश्वास कर लेते थे पर अब वह इतने शक्की और अविश्वासग्रस्त हो गए थे कि अपने बच्चों पर भी शक करने लगे थे।
7. काशी को संस्कृति की पाठशाला क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
काशी भारतीय संस्कृति की संगमस्थली है। यहाँ रहकर संस्कृति के इतिहास और विकास का अध्ययन किया जा सकता
8. गोपियों के मन की बात मन में क्यों रह गई ?
उत्तर :
गोपियों के मन में था कि श्रीकृष्ण उनकी आँखों के सामने रहें लेकिन श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने और लौटकर न आने से गोपियों के सभी मनोरथ मन में ही दबकर रह गए।
9. परशुराम द्वारा बार-बार फरसा दिखाए जाने पर लक्ष्मण ने क्या कहा?
उत्तर :
लक्ष्मण ने कहा कि उन्हें बार-बार फरसे का डर दिखाकर परशुराम फूंक से पहाड़ उड़ाने की चेष्टा कर रहे हैं।
10. ‘कहीं साँस लेते हो/घर-घर भर देते हो’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर :
कवि ने फागुन को एक सजीव प्राणी मानते हुए कल्पना की है कि उसके साँस लेने से हर घर सुगन्ध से भर उठता है।
11. मूसन तिवारी को चिढ़ाने का भोलानाथ को क्या परिणाम भोगना पड़ा ?
उत्तर :
पाठशाला से चार लड़के बैजू और भोलानाथ को पकड़ लाने को भेजे गए। बैजू तो भाग गया लेकिन भोलानाथ पकड़े गए। मास्टर जी ने भोलानाथ की खूब खबर ली।
12. यूमथांग में चिप्स बेचती सिक्किम की युवती ने लेखिका से क्या कहा? उसे सुनकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर :
यूमथांग में चिप्स बेचती सिक्किम की युवती ने लेखिका से कहा- ‘मैं इंडियन हूँ।’ यह सुनकर लेखिका को बहुत अच्छा लगा।
खण्ड – (ब)
निर्देश-प्रश्न सं. 04 से 16 तक के लिए प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम उत्तर सीमा 40 शब्द है।
प्रश्न 4.
कैप्टन चश्मेवाले को सामने देखकर हालदार साहब अवाक रह गए। आपके अनुसार इसका क्या कारण रहा – होगा?
उत्तर :
चश्मेवाले की नेताजी के प्रति सम्मान की भावना और इसके कैप्टन नाम से हालदार साहब को लगा होगा कि चश्मेवाला नेताजी का साथी या आज़ाद हिंद फ़ौज का भूतपूर्व सिपाही रहा होगा। उसकी चाल-ढाल, कद-काठी एक सैनिक जैसी होगी। लेकिन जब उन्होंने चश्मेवाले को साक्षात् देखा तो उनकी कल्पना-मूर्ति खण्ड-खण्ड हो गई। उनके सामने एक बेहद बूढ़ा, मरियल-सा लँगड़ा आदमी खड़ा था। यही उनके अवाक् रह जाने का कारण था।
प्रश्न 5.
बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे-पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। 2
उत्तर :
इकलौते पुत्र की मृत्यु के मार्मिक अवसर को वह आत्मा-परमात्मा के मिलन का, आनंदित होने का अवसर बताते हैं। वह इस प्रचलित मान्यता को ठुकरा देते हैं कि केवल पुरुष ही चिता में आग लगाने का अधिकारी है। वह पुत्रवधू से पुत्र की चिता को आग दिलवाते हैं। वह विधवा पतोहू को उसके भाई के साथ भेजकर उसका पुनर्विवाह करने का आदेश देते हैं। समाज में विधवा-विवाह पर रोक की वह चिन्ता नहीं करते।
प्रश्न 6.
‘नवाब साहब का सहसा भाव-परिवर्तन अच्छा नहीं लगा।’ नवाब साहब का भाव-परिवर्तन कैसा था ? वह लेखक को क्यों अच्छा नहीं लगा? 2
उत्तर :
लेखक ने जब डिब्बे में प्रवेश किया था तो नवाब साहब ने उनके प्रति उपेक्षा का भाव दिखाया। लेखक के आ जाने से वह असंतुष्ट दिखाई दे रहे थे। कुछ देर बाद नवाब साहब ने अचानक ही लेखक को ‘आदाब-अर्ज’ (नमस्कार) करते हुए खीरे का शौक फरमाने की पेशकश की। उनका यह अचानक भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा। उसने सोचा कि नवाब साहब शराफत का दिखावा करके उसे आम आदमियों की तरह अपना मुरीद बनाना चाहते हैं।
प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ अस्सी बरस से खुदा से क्या माँगते आ रहे हैं और सज़दे में गिड़गिड़ा कर क्या कहते। 2
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अस्सी बरस से खुदा से एक सच्चे सुर का वरदान माँगते आ रहे हैं। वे अपने शहनाई वादन में ऐसा प्रभाव चाहते हैं कि श्रोता उसे सुनकर परमआनंद में मग्न हो जाएँ। वे पाँचों वक्त की नमाज़ पढ़ते हैं और हर नमाज़ के बाद खुदा से गिड़गिड़ाकर यही याचना करते हैं कि वह उनको ऐसा सच्चा सुर प्रदान करे जिसे सुनकर श्रोताओं की आँखों से सच्चे मोतियों जैसे आँसू सहज भाव से निकल पड़ें। श्रोता उनकी शहनाई सुनकर भाव-विभोर हो जाएँ।
प्रश्न 8.
गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं ? 2
उत्तर :
गोपियाँ श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। उनका मन माखन चोर श्रीकृष्ण ने चुरा लिया था। तब श्रीकृष्ण सच्चे प्रेमी थे। मथुरा जाकर वह बदल गए हैं। प्रेम की सरलता त्याग कर उन्होंने राजनीति का छल-कपट अपना लिया है। अब वह गोपियों से प्रेम भी नहीं करते। उन्होंने ब्रज में वापस आने के अपने वचन को भी तोड़ा है। ऐसी स्थिति में गोपियाँ चाहती हैं कि उनका मन उनको वापस मिल जाए जिसे श्रीकृष्ण अपने साथ ले गए थे।
प्रश्न 9.
‘लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ प्रसंग में कविवर तुलसी की किस काव्यगत विशेषता के दर्शन होते हैं? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
‘लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ प्रसंग कविवर तुलसीदास की काव्यगत प्रतिभा का अनूठा उदाहरण है। इस प्रसंग में कवि ने संवादपरक वर्णन शैली में अपनी कुशलता का पूरा प्रमाण दिया है। संवादों की भाषा पात्रों और परिस्थिति के अनुरूप है। संवाद बड़े सटीक और चुटीले हैं। संवादों से पात्रों के चरित्र पर पूर्ण प्रकाश पड़ा है। संवादों की रोचक योजना ने इस प्रसंग को बड़ा नाटकीय बना दिया है।
प्रश्न 10.
कवि ‘कन्यादान’ कविता के माध्यम से क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर :
‘कन्यादान’ कविता का उद्देश्य नारी को जागृत करके अपने व्यक्तित्व, अपनी क्षमता और अपने गुणों से परिचित कराना है। रूप-सौन्दर्य, गहने, वस्त्र आदि नारी के व्यक्तित्व को नाना प्रकार के बंधनों में बाँधकर उसे जीवनभर पुरुष पर आश्रित बनाए रखने के मोहक षड्यंत्र हैं। इनसे मुक्त होकर उसे हर प्रकार की हीनता, दीनता और दुर्बलता का त्याग कर देना चाहिए। जो उसे नारी होने के नाम पर बन्धनों में बाँधते हैं तथा उसके स्वतंत्र व्यक्तित्व की हत्या करते हैं।
प्रश्न 11.
‘उत्साह’ किस प्रकार की कविता है? इसके माध्यम से कवि क्या बताना चाहता है?
उत्तर :
‘उत्साह’ आह्वान तथा संदेशपरक कविता है। कवि ने इस कविता के माध्यम से उत्साह, रचनात्मक क्रान्ति और नवचेतना का संदेश देना चाहा है। कवि ने अपने संदेश का माध्यम बादल को बनाया है। कवि समाज के समर्थ लोगों को संदेश देना चाहता है कि वे अभाव, शोषण और कष्टों से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता दिखाएँ। उनके कष्टों को दूर करें।
प्रश्न 12.
‘माता का अँचल’ नामक पाठ में लेखक ने तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का जो चित्रण किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
‘माता का अँचल’ पाठ में लेखक ने ग्रामीण अंचल और उसके चरित्रों का आकर्षक चित्र प्रस्तुत किया है। इसमें बालकों के खेल, उत्सुकता, माता की ममता, पिता का दुलार, लोकगीत आदि शामिल किए गए हैं। शहर की चकाचौंध से अलग गाँव की सहजता को चित्रित किया गया है। बाल मनोभावों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ लेखक ने तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का भी सुन्दर चित्रण किया है।
प्रश्न 13.
“यह छोटा-सा भाषण फौरन अखबारों में छप गया।”लेखक का यह कथन सरकारी तंत्र और अखबारों के बीच किस ताल-मेल पर व्यंग्य करता है ?
उत्तर :
आज अखबारों और सरकार दोनों को एक-दूसरे की जरूरत पड़ती है। अखबारों को सरकारी विज्ञापन तथा अन्य सुविधाएँ चाहिए और सरकार को अखबारों में अपनी नीतियों और कार्यों की प्रशंसा चाहिए। अपनी-अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए दोनों एक-दूसरे का लिहाज करते हैं। सरकार और समाचार पत्रों के बीच यह अपवित्र गठबंधन प्रजातंत्र के लिए शुभ नहीं हो सकता।
प्रश्न 14.
कटाओ के प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर लेखिका के मन में क्या भावनाएँ उठ रही थीं ?
उत्तर:
जब अन्य पर्यटक कटाओ के फोटो खींचने में व्यस्त थे तब लेखिका उस परिदृश्य को अपने भीतर भर लेने का प्रयत्न कर रही थी। उस संपूर्ण और दिव्य सौन्दर्य को देखकर उसे लगा कि वैदिक ऋषियों ने ऐसे ही वातावरण में वेदों की रचना की होगी। जीवन के महान सत्यों की खोज की होगी और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ (सभी सुखी हों) जैसे उदार विचार उनके हृदय में जागृत हुए होंगे।
प्रश्न 15.
‘रामवृक्ष बेनीपुरी’ का जीवन व कृतित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘यतीन्द्र मिश्र’ का जीवन व कृतित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 1 व 2 के प्रश्न 15 का उत्तर देखें।
प्रश्न 16.
सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला’ का जीवन व कृत्तित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
अथवा
‘गिरिजा कुमार माथुर’ का जीवन व कृतित्व परिचय संक्षेप में लिखिए।
उत्तर :
मॉडल 4 व 1 के प्रश्न 16 का उत्तर देखें।
खण्ड – (स)
प्रश्न 17.
निम्नांकित पठित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) (1 + 2 = 3)
वैदिक इतिहास में शहनाई का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इसे संगीत शास्त्रांतर्गत ‘सुषिर-वाद्यों’ में गिना जाता है। अरब देश में फेंककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, को ‘नय’ बोलते हैं। शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात् ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है। सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में तानसेन के द्वारा रची बंदिश, जो संगीत राग कल्पद्रुम से प्राप्त होती है, में शहनाई, मुरली, वंशी, शृंगी एवं मुरछंग आदि का वर्णन आया है।
अथवा
जन्मी तो मध्य प्रदेश के भानपुरा गाँव में थी, लेकिन मेरी यादों का सिलसिला शुरू होता है अजमेर के ब्रह्मपुरी मोहल्ले के उस दो-मंजिला मकान से, जिसकी ऊपरी मंजिल में पिताजी का साम्राज्य था, जहाँ वे निहायत अव्यवस्थित ढंग से फैली-बिखरी पुस्तकों-पत्रिकाओं और अखबारों के बीच या तो कुछ पढ़ते रहते थे या फिर “डिक्टेशन’ देते रहते थे। नीचे हम सब भाई-बहिनी के साथ रहती थीं हमारी बेपढ़ी-लिखी व्यक्तित्वविहीन माँ…. सवेरे से शाम तक हम सबकी इच्छाओं और पिताजी की आज्ञाओं का पालन करने के लिए सदैव तत्पर।
उत्तर :
संदर्भ व प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश पाठ्य पुस्तक ‘क्षितिज भाग-2′ में संकलित पाठ नौबतखाने में इबादत’ से लिया गया है। इसके लेखक यतीन्द्र मिश्र हैं। लेखक शहनाई वाद्ययंत्र के इतिहास पर प्रकाश डाल रहा है।
व्याख्या-शहनाई भारतीय वाद्य नहीं प्रतीत होता क्योंकि वैदिक इतिहास में इसका कहीं उल्लेख नहीं मिलता। ऐसा प्रतीत होता है कि इसका भारत में आगमन अरब देशों से हुआ। संगीत शास्त्र में इसे सुषिर वाद्यों में रखा गया है जो फूंक कर बजाए जाते थे। अरब देशों में जिन वाद्ययंत्रों को फूंककर बजाया जाता है और जिनमें नाड़ी (नरकट) या रीड होती है उनको ‘नय’ कहा जाता है।
ऐसे बाजों में श्रेष्ठ होने के कारण शहनाई को शाहेनय भी क गया है। सोलहवीं सदी के अंतिम भाग में प्रसिद्ध गायक तानसेन द्वारा रची गई बंदिशें संगीत के ग्रंथ ‘राग कल्पद्रुम’ में संग्रहीत हैं। इसी ग्रंथ में शहनाईं, मुरली, वंशी, श्रृंगी और मुरछंग आदि वाद्यों का उल्लेख मिलता है। अवधी भाषा के लोकगीतों और चैती में शहनाई का नाम बार-बार आया है।
प्रश्न 18.
निम्नांकित पठित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए- (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द)
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन विश्व के निदाघ के सकल जन आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन! तप्त धरा, जल से फिर शीतल कर दो-बादल, गरजो!
अथवा
छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना। जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी; तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी, कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना।
उत्तर :
सन्दर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कवि गिरिजाकुमार माथुर की रचना ‘छाया मत छूना’ से लिया गया है। इस अंश में कवि छाया छूने अर्थात् पुरानी यादों में जीने से मना कर रहा
व्याख्या- कवि अपने मन को संबोधित करता हुआ कहता है- हे मन ! तुम विगत जीवन की सुखद स्मृतियों की छाया से दूर रहो अन्यथा तुम्हारा वर्तमान दु:ख दूना हो जाएगा। यह ठीक है कि तुम्हारे बीते हुए जीवन की यादें रंग-बिरंगी और मनमोहक हैं। इन यादों में अनेक सुन्दर छवियों के रूप की गन्ध छाई हुई है, किन्तु वे मिलन की मधुर रातें बीत चुकी हैं अब तो केवल प्रिय के शरीर की मादक गंध ही बाकी रह गई है।
आज चाँदनी रातें तुम्हें प्रिया के केशों में गुंथे फूलों की याद कराती हैं। आज तुम्हारे जीवन का हर पल उस भूली हुई यादों के स्पर्श जैसा लगता है। ये सारी यादें तुम्हारे दु:ख को दूना कर रही हैं। अतः विगत जीवन की इन स्मृतियों से दूर रहो।
प्रश्न 19.
गंगा स्नान के लिए जाते हुए उनकी दिनचर्या क्या रहती थी तथा वे कितने दिनों में वापस घर लौटते थे? (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
‘लखनवी अंदाज़’ कहानी से लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर :
भगत हर साल गंगा-स्नान करने जाते थे। उनका ध्येय गंगा में स्नान करके पापों से मुक्ति पाना तथा पुण्य कमाना नहीं था। वह इसमें विश्वास नहीं करते थे। वह वहाँ जाकर संतों की संगति करते थे तथा लोगों से मिलते-जुलते थे। संतों का साथ पाना तथा लोगों से मिलना-जुलना ही उनकी गंगा-स्नान यात्रा का ध्येय था। गंगा-स्नान की यात्रा में चार-पाँच दिन का समय लगता था। साधु होने के कारण बालगोबिन किसी का सहारा नहीं ले सकते थे।
भोजन की व्यवस्था साथ रखना भी साधु-जीवन के विरुद्ध था। वह गृहस्थ थे और किसी से भीख भी नहीं माँग सकते थे। वह घर से खाकर चलते और लौटकर घर पर ही खाना खाते थे। रास्ते भर खजड़ी बजाते, पद गाते चलते थे। प्यास लगती तो पानी पी लेते थे। इस लम्बे उपवास में भी उनकी मस्ती में कोई अंतर नहीं आता था।
प्रश्न 20.
सूरदास के संकलित पदों में भक्ति के किस स्वरूप को प्रतिष्ठित किया गया है (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
अथवा
क्या कवि निराला की कविता ‘अट नहीं रही है’ से आपको कोई प्रेरणा मिलती है। अपना मत लिखिए। (उत्तर सीमा लगभग 60 शब्द) 3
उत्तर :
‘अट नहीं रही है’ कविता में निरालाजी ने फागुन की प्राकृतिक शोभा का एक शब्द-चित्र प्रस्तुत किया है। कवि प्रकृति-प्रेमी है। प्राकृतिक सौन्दर्य के प्रति कवि में अत्यन्त लगाव है। इस कविता में भी कवि फागुन की शोभा से चकित और मुग्ध दिखाई देता है। उसे लगता है कि फागुन की वासंती शोभा के लिए धरती छोटी पड़ गई है। वह उसमें समा नहीं पा रही है। कवि इस विराट और विविध स्वरूपों वाले प्रकृति-सौन्दर्य से अत्यन्त प्रभावित है।
आज की नगर-प्रधान जीवन-शैली में हमारे लिए प्रकृति के मनमोहक दृश्य दुर्लभ हो गए हैं। प्रकृति के साथ मनुष्य का सम्बन्ध आर्थिक स्वार्थों को पूरा करने के लिए है। अतः आज की सभ्यता में प्रकृति का अनुचित तथा अनावश्यक दोहन जारी है। इससे मानव जीवन संकट में पड़ता जा रहा है तथा सभ्यता के लिए भी खतरा पैदा हो रहा है। निराला की ‘अट नहीं रही है’ – कविता हमें प्रकृति के साथ नि:स्वार्थ प्रेम रखने की प्रेरणा देती है।
खण्ड – (द)
प्रश्न 21.
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक पर 300-350 शब्दों में सारगर्भित निबन्ध लिखिए।
(अ) शिक्षित नारी की समाज निर्माण में भूमिका
(i) भारतीय संस्कति में नारी का स्थान
(ii) नारी शिक्षा का महत्व
(iii) शिक्षित नारी की भूमिका
(iv) शिक्षित नारी का आदर्श स्वरूप
(v) उपसंहार
(ब) शिक्षा में खेलकद का महत्व
(i) खेलकूद का महत्व
(ii) स्वास्थ्य और खेल
(iii) शिक्षा और खेलकूद
(iv) खेलकुद के अन्य लाभ
(v) उपसंहार
(स) मेरा प्रिय कवि
(i) मेरा प्रिय कवि
(ii) कवि का परिचय
(iii) प्रिय लगने के कारण
(iv) उपसंहार
(द) समाचार पत्रों का महत्व
(i) समाचार पत्रों का महत्व
(ii) समाचार पत्रों का वर्तमान स्वरूप
(ii) समाचार पत्रों का दायित्व
(iv) उपसंहार
उत्तर :
(स) मेरा प्रिय कवि
(i) मेरा प्रिय कवि – हर व्यक्ति की रुचियाँ अलग-अलग होती हैं। किसी को कोई वस्तु या व्यक्ति प्रिय लगता है तो दूसरे को कोई अन्य अच्छा लगता है। हिन्दी में अनेक महान् कवि हुए हैं। सबकी अपनी-अपनी विशेषताएँ हैं। अतः जिसे जो विशेषता भाती है उसी के आधार पर वह किसी विशेष कवि से प्रभावित हो जाता है। हिन्दी कवियों में मुझे सबसे अधिक गोस्वामी तुलसीदास ने प्रभावित किया है। उनका व्यक्तित्व और उनकी रचनाओं में अनेक ऐसी विशेषताएँ हैं जिनके कारण तुलसी मुझे बहुत प्रिय लगते हैं।
(ii) कवि का परिचय- तुलसीदास जी के जन्मस्थल और जीवन के विषय में विद्वान् एकमत नहीं हैं। कुछ राजापुर को, कुछ सोरों को और कुछ सूकर क्षेत्र (आजमगढ़) को उनकी जन्मस्थली मानते हैं। तुलसी बचपन में ही माता-पिता के स्नेह से वंचित हो गये। उनका बचपन बड़े कष्टों में बीता।
संत नरहरिदास ने इन्हें अपना शिष्य बनाया। इनका विवाह रत्नावली से हुआ। पत्नी के ताना देने पर उनका मन संसार से उचट गया और उन्होंने सारा जीवन भगवान राम की भक्ति में लगा दिया। तुलसीदास जी की प्रमुख रचनाएँ ‘रामचरितमानस’, ‘विनय पत्रिका’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘दोहावली’, ‘बरवै रामायण’ आदि हैं। इनमें रामचरितमानस ही वह महान् ग्रन्थ है जिसने तुलसी को अमर बना दिया। आज भी यह ग्रन्थ करोड़ों भारतीयों का पवित्र कर्म-ग्रन्थ है।
(iii) प्रिय लगने के कारण- तुलसीदास जी ने घोर संकट के समय हिन्दू जाति को आशा और विश्वास का दृढ़ आधार प्रदान किया। भगवान राम के लोक-रक्षक चरित्र का गान करके उन्होंने समाज को बिखरने से बचाया। तुलसीदास जी ने अपनी रचनाओं में सभी के लिए आदर्श प्रस्तुत किये हैं। पिता कैसा हो, माता कैसी हो, राजा, प्रजा, भाई, मित्र सभी के आदर्श रूप सामने रख दिये हैं।
कुछ उदाहरण देखने योग्य हैंआदर्श राजा – जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी, सो नृप अवसि नरक अधिकारी। मित्र – जे न मित्र दुःख होइ दुखारी, तिनहिं विलोकत पातक भारी ॥ काव्य-कला की दृष्टि से भी उनकी रचनाएँ अत्यन्त उच्च कोटि की हैं। यही कारण है कि मुझे तुलसी प्रिय लगते हैं।
(iv) उपसंहार- तुलसी का कहना है कि कीरति, भनिति, भूति भल सोई, सुर सरि सम सब कहँ हित होई। अर्थात् वही कीर्ति, कविता, वैभव श्रेष्ठ है जिससे गंगा के समान सबका हित हो। इसी आदर्श को सामने रखकर तुलसीदास चले हैं। यही कारण है कि वह केवल मेरे ही नहीं अपितु विश्व में कोटि-कोटि लोगों के प्रिय बने हुए हैं।
प्रश्न 22.
किसी प्रतिष्ठित दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर चुनाव के दिनों में कार्यकर्ताओं द्वारा घरों, विद्यालयों और मार्गदर्शक चित्रों आदि पर बेतहाशा पोस्टर लगाने के कारण इससे लोगों को होने वाली असुविधा की ओर ध्यान आकृष्ट कीजिए।
अथवा
आपने अपने विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह का आयोजन करवाया और आपकी इसमें सक्रिय भागीदारी रही। इस समारोह का अनुभव बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखें।
उत्तर :
जयपुर
दिनांक : 15 फरवरी, 20_ _
सेवा में,
संपादक महोदय, दैनिक भास्कर, जयपुर विषय- पोस्टर लगाने के कारण होने वाली असुविधा हेतु। मान्यवर, मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के ‘माध्यम से चुनाव के दिनों में पोस्टरों से उत्पन्न होने वाली समस्या की ओर प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिक दलों तथा जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। चुनाव के दिनों में विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने उम्मीदवार के पक्ष में जनमत तैयार करने के लिए तरह-तरह के पोस्टरों, होर्डिंग्स आदि को घरों की दीवारों, दरवाजों, खिड़कियों, विद्यालयों, चौराहों, विज्ञापन बोर्डों, सार्वजनिक अस्पतालों के मुख्य द्वारों तथा मार्गदर्शक चित्रों पर चिपका देते हैं।
जिसके कारण आम जनता को बहुत अधिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। चुनाव आयोग, पुलिस विभाग तथा संबंधित नगर निगम के अधिकारियों से मेरी यह अपील है कि सभी को मिल-जुलकर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए। मुझे आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आम जनता के हित में सभी राजनीतक दल, चुनाव आयोग तथा नगर निगम अपने कर्तव्यों का सावधानीपूर्वक निर्वहन करेंगे तथा ऐसा कोई भी कार्य नहीं करेंगे, जो जनता के लिए असुविधाजनक हो।
धन्यवाद।
भवदीय
क, ख, ग
प्रश्न 23.
पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयान कीजिए।
अथवा
विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए।
उत्तर :
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